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भाग नौ पिछले कुछ दिनों से विष्णु एक शब्द भी नहीं पढ पाया था । वहाँ बस प्रिलिम्स के परिणामों के लिए बार बार यूपीएससी की वेबसाइट रिफ्रेस करता रहता था । वहां तैयार होकर अशोक पैराडाइज जाता और परिणामों के लिए यूपीएससी की वेबसाइट चेक करता । तिरु दोस्तों के साथ लंच करता है और उसके बाद घर जाकर फॅस करने की प्रक्रिया तो हो रहा था । सफलता का दर्द अभी भी उसे बता रहा था । पिछले प्रिलिम्स के परिणामों के दिन की बहुत सी बुरी यादें ताजा हो रही थी । एक शाम विष्णु सुस्ती में बैठा अपने परिणाम के बारे में विचार कर रहा था । वही सोच रहा था कि वह पास हो गया नहीं । अगर मैं फेल हो गया तो क्या करूंगा? मैंने अपना रोलनंबर ठीक से लिखा था कि नहीं किया यहाँ मेरी अंतरात्मा मुझसे बात कर रही है, जैसा फिल्मों में होता है । अचानक उसे फेसबुक के आॅफिस पेट से बहुत सारे नोटिफिकेशन मिलने लगे । प्रिलिम्स के परिणाम अभी अभी घोषित हुए थे । विष्णु का इंटरनेट हमेशा की तरह अटक गया था और वेबसाइट् बहुत धीमी गति से लोड हो रही थी । उसने कम थी, उंगलियों से यू आ रही टाइप किया । बाहर बारिश शुरू हो गई । यह सब सिनेमा है । विष्णु ने सोचा माहौल को और सिनेमा ही बनाते हुए बिजली भी चली गई । ऊपर से घर में और कोई नहीं था । मैं किसी ब्राउजिंग सेंटर में जाकर अपना रिजल्ट देख लेता हूँ । विष्णु अपने मन में बढ बढाया । उसमें इतना साहस नहीं था की वहाँ अपने दोस्तों से अपना रिजल्ट देखने के लिए काहे वह भारी बरसाती पहनकर अपनी बाइक पर सवार हो गया । रात के अंधेरे में उसकी उभरती आकृति अस्सी के दशक की हिन्दी फिल्म के खलनायक की तरह लग रही थी । कहने की आवश्यकता नहीं कि आधे घंटे की अथक बारिश के बाद सडकों पर पानी भर गया था और कुख्यात यातायात अपनी सबसे बुरी स्थिति में था । विष्णु ट्रैफिक के बीच रास्ता बनाने के लिए जूझ रहा था और बारिश में बुरी तरह भी चुका था । उसे रास्ते में जितने भी इंटरनेट पार्लर दिखे सब बंद है । विष्णु अब हताश हो रहा था । उसने अपना मोबाइल फोन निकालने के लिए जेब में हाथ डाला तो उसे एहसास हुआ कि उसने फोन घर पर बातों में छोड दिया था । अब क्या करूँ? विष्णु खुद पर चिल्लाया अब उसे भूख भी लग रही थी । सडक के किनारे एक बिरयानी की दुकान थी जो बारिश रुक जाने के कारण दोबारा खुल रही थी । दुकान का मालिक खुशी से सीटी बजाते हुए की जान के बर्तन जमा रहा था और रेडियो सुन रहा था । विष्णु को बिरयानी की सुगंध दीवी लग रही थी और उसने दस मिनट का ब्रेक लेकर बिरियानी की देवता में लिप्त होने का फैसला लिया । उसने अपने बाइक किनारे पर खडी की और खाने के लिए अंदर चला गया । तो वैसे भी मेरा रिजल्ट बदलने वाला तो है नहीं । चाहे मैं बिरयानी खाओ या नहीं तो पहले खाई लेता हूँ । उसने अपने आप से कहा, बारिश की बूंदे छिटपुट रूप से गिर रही थी । सुखद हवा बह रही थी और रेडियो पर एक रूमानी गाना बज रहा था जो एक लडके ने अपनी गर्लफ्रेंड को समर्पित किया था । एक पल के लिए विष्णु अपने सारे दबाव और उठाए भूल गया और उस पल का आनंद लेने लगा । मैं शालिनी बोल रही हूँ । रेडियो पर एक आवाज ने कहा, यह क्या विष्णु के मुंह से निकला हूँ? मैं अपने बॉयफ्रेंड को एक गीत समर्पित करना चाहती हूँ जिसने अभी अभी यूपीएससी की प्रीलिम्स परीक्षा पास की है । शालिनी ने रेडियो जॉकी से कहा, वाओ यह तो अच्छी बात है । आपका ऍम आपको क्या ठीक दे रहा है । शालिनी हाँ जी ने पूछा, उस बेवकूफ ने अभी तक मेरे कॉल भी नहीं लिया हैं । मुझे पता भी नहीं इस समय वहाँ कहाँ है? शालिनी बोली आप जहाँ भी है, अपनी गर्लफ्रेंड शालिनी को कॉल कीजिए और हाँ शुभकामनाएं । कलेक्टर साहब आर । जे ने शालिनी का चुनाव गाना बजाने से पहले कहा, यह जो उनसे इक्यासी लाख से हजार तीन सौ नब्बे अन्य भारतीयों में से एक था जो होते हैं कि अगर एक उम्मीदवार प्रीलिम्स पास कर लेता है तो वह अगले दिन ही कलेक्टर बन जाता है । क्या ये लोग मेरी बात कर रहे थे? या यहाँ लखनऊ से कोई और साले नहीं थी जिसका एक बॉयफ्रेंड था जिसमें प्रीलिम्स पास कर लिए थे । क्या मैं पास हो गया या इस बार भी फेल हो गया । विष्णु से बिरयानी निकली नहीं जा रही थी । अब विष्णु से इंतजार नहीं हो रहा था । उसने बिरयानी वाले से उसका फोन मांगा, बिरियानी वाले में अनिच्छा से फोन दे दिया । वह भी तब जब विष्णु ने बिरयानी की चौथाई प्लेट और लेने का वादा किया । एक दशक पहले रिलायंस पांच सौ एक योजना पेश किए जाने के बाद से विष्णु और सालिनी के बीच फोन पर बातचीत कर लम्बा इतिहास था लेकिन विषयों को कभी उसका फोन नंबर याद नहीं हुआ । वास्तव में उसे किसी का फोन नंबर याद नहीं रहता था । सौरी यहाँ गलत नंबर है । दूसरी ओर से आवाज आई और विष्णु ने बार फोन काटा । उसने शालिनी का नंबर याद करने के चक्कर में बारह गलत अनुमान लगाए थे । इस बीच बिरयानी वाले ने उसे टोका । अगर एक बार और कॉल करना है तो आधी प्लेट, बिरयानी और आर्डर करो । नहीं तो मुझे मेरा फोन वापस करो । ठीक है, ठीक है भैया । एक आखिरी कॉल और मैं भी प्लेट, बिरयानी और ऑर्डर कर रहा हूँ । विष्णु ने अपना बंटवा निकाला और उसमें से कागज का टुकडा जिसमें उसने ग्रेट माइंड्स कोचिंग सेंटर का लैंडलाइन नंबर लिखा था । हेलो दूसरी ओर से आवाज आई हैलो जीता में मैं विश्वनाथ बोल रहा हूँ वो विष्णु बधाई हो । तुमने प्रिलिम्स पास कर लिया है तो तुम्हारे दोनों दोस्त भी पास हो गए । श्रीमती गीता ने कहा बहुत बहुत धन्यवाद मैं । विष्णु ने कहा और फोन रख दिया । उसे मैं खुशी महसूस हुई ना अत्यधिक आनंद । बस राहत की एक गहरी भावना महसूस हुई । उसने राहत की इतनी गहरी सांस बाहर छोडी के पास में बैठक कुत्ता चौंक गया । उसने शांति से बिरयानी का बचा हुआ हिस्सा खत्म किया । उसके बाद उसने दो और प्लेट पैक करवाई और बिरयानी वाले को धन्यवाद दिया । बाद में वह सीधे अशोक पहुँच गया जहाँ पहले से एक बडी पार्टी चल रहे थे । जिन्होंने परीक्षा पास कर ली थी । वो खुशी में पीकर धुत्त है और जिन्होंने नहीं की थी वे भी पीकर धुत्त थे । दुख से अशोक मुश्किल से खडा होगा रहा था । वहाँ कूद रहा था और छत पर चारों ओर पागल की तरह दौड रहा था । है विष्णु बधाई हो । हमें कितनी बार कॉल करना पडता है तो मैं तो तुम भी बधाई हो । विनोद हाँ, मैं झमेले में फस गया था । घर पर फोन छोड देना उसका बहुत छोटा सा हिस्सा था । खैर मैं तुम्हारे और अशोक के लिए और अपने सभी दोस्तों के लिए बहुत खुश हूँ जिन्होंने परीक्षा पास कर ली है । वैसे अपने क्लास में कौन कौन पास हुआ है? मदन डिप्टी मोहित विनोद बोलता गया प्रभु नहीं । प्रभु तभी पास होगा जब वह अपनी तरह से काम करेगा, मदद की तरह नहीं । अशोक अब सच में खुराफाती हो रहा था । वहाँ छत पर लगे डीटीएच एंटीना को तोडने की कोशिश कर रहा था । तुम शराब नहीं पीते हैं ना? विनोद ने पूछा नहीं और तुम तो तुम ऐसे में नहीं लग रहे हो । पहले मैं पीता था, अब नहीं । नीना का शुक्रिया है । विनोद शर्मा गया नीना का क्या हुआ? वहाँ बात हो गयी । विश्व में पूछा डोंट यदि कोई सवाल है बिलकुल पास हो गई है । विनोद का शर्माना गर्व की भावना में बदल गया । इस बीच अशोक जोर से चिल्लाते हुए बगल वाले घर की छत पर कूद गया तो जो समझ गए विनोद और विष्णु एक साथ बोले अशोक आईपीएस के पास किसी भी जगह सवाल करने और जांच करने की ताकत है । अशोक में जवाब दिया, यहाँ ऐसा क्यों कर रहा है? विष्णु ने पूछा यह इससे भी बुरा कर चुका है । विनोद हसने लगा इस बीच अशोक नीचे उतरा और सडक पर चला गया । अशोक अशोक, रुखों, विष्णु और विनोद चिल्लाए । दोनों नीचे उतरे और अशोक के पीछे दौडे । लेकिन अशोक कहीं दिखाई नहीं दे रहा था । कहाँ चला गया वो? यह तो सच में बुरी बात है । वहाँ कहीं नहीं जाएगा वहाँ । या तो और लेकर लेने शराब की दुकान पर गया होगा या अब तक उसने सडक पर किसी से झगडा मोल ले लिया होगा तो तभी उन्हें पार्क के पीछे से आदि अशोक की धीमी सी ठीक सुनाई दी । विष्णु और विनोद आवाज की दिशा में गए और देखा कि रात की ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाला अशोक की पिटाई कर रहा था । मुझे मारने की कोशिश मत करना, मैं तुम्हारा बॉस हूँ । अशोक पुलिस वाले कांस्टेबल के सामने बार बार अपना आईपीएस बना दोहरा रहा था जो उसकी और अधिक पिटाई को आमंत्रण दे रहा था । विनोद को कांस्टेबल से अशोक को छुडाने के लिए काफी देर तक विनती करने पडेंगे । मुझे खुशी है कि तुम्हें एक आईपीएस अफसर की ताकत का अहसास हो गया है । अशोक ने पुलिस कांस्टेबल से कहा और फिर उसके दोस्तों ने उसका गला पकडा और जबरदस्ती अशोक पैराडाइज में वापस ले आए क्योंकि लोग अभी भी पार्टी के मूड में थे । अशोक में फिर से अपना लुका छुपी का खेल शुरू कर दिया । विष्णु और विनोद ने उसे किनारे खींचा और उनके कमरे में ले आए । जब तक व्यवस्थित हुए रात के दो बच्चों के थे और तेज बारिश शुरू हो चुकी थी । विष्णु कोने में बैठ कर बारिश रुकने का इंतजार करने लगा । विनोद इस बीच नीना से फोन पर बात करने में व्यस्त था । विष्णु बारिश रुकने का इंतजार करता रहा और फिर उसे नींद आ गई है । विष्णु आलसी पहले तो तुम फोन नहीं उठा थे और फिर यहाँ अगर सुबह दस बजे तक सो रहे हो । अशोक ने सकता आवाज में विष्णु को जगाया । गुड मॉर्निंग कॅश आईपीएस क्या तुम पागल हो गए? क्या? मैंने अभी सिर्फ पिलिन पास किए हैं? पूरे देश में चौदह हजार और लोगों ने भी यह परीक्षा पास की है । मुझे अशोक आईपीएस बुलाकर तुम अति आत्मविश्वासी हो रहे हो? हाँ बिल्कुल सही । वैसे तुम कल रात क्या कर रहे थे? मैंने खूब शराब पी और हो गया । मैं बस इतना जानता हूँ । हाँ, ऐसे में उन्हें शुरुआत थी और सो जाना था । लेकिन उसके बीच एक मिनी धूम थ्री भी हुई थी । अशोक जी एप कर मुस्करा दिया । विष्णु एक लंबे समय बाद कहाँ का लगाकर हसा और घर के लिए निकल गया । विष्णु ने अपने घर की घंटी बजाई तो सुबह लगभग ग्यारह बजे थे । शालिनी ने दरवाजा खोला तो उनमें यहाँ क्या विष्णु के मुझसे निकला । यहाँ तो मुझे कहना चाहिए । अंदर आप उसने विष्णु को निमंत्रण दिया । विश्व ने टेबल पर फल की टोकरी और पौष्टिक पे देखा और शालिनी को घूमने लगा । मुझे लगा तुम कहीं गिर गए थे या ऐसा कुछ और हो गया था । शालिनी बोली कितना अच्छा सोचा तुमने? मैं अपना फोन घर पर भूल गया था और इंटरनेट बहुत धीमा चल रहा था । इसलिए रिजल्ट देखने बाहर चला गया और फस गया । मैं जानती हूँ तुम्हारे फोन में फिर फॅस हैं और फोर्टी टू टेक्स्ट मैसेज हैं और ऍम तो मैंने गिने भी नहीं । और हाँ बधाई । विष्णु ने अपना सिर हिलाया और अंदर चला गया । उसकी माँ किचन में थी । ऍम बधाई हो बेटा पापा को और मुझे कल रात बहुत खुशी हुई । तुमने विनोद के फोन से जो मैसेज भेजा था वह देखा हमने । पापा बाहर गए हैं तो मैं अगर कुछ खालो उसकी माँ ने कहा तो वे अत्यधिक प्रसन्न थी और यह खुशी उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी । आंटी मैं जा रही हूँ मेरा ऑफिस से आज तुम कुछ खाकर क्यों नहीं जाती है? विष्णु ने पूछा मैं खा चुकी हूँ बाय मिस्टर विष्णु । अब समय बर्बाद मत करो । मेंस की तैयारी शुरू कर दो । शालिनी ने जाते हुए कहा विष्णु अपनी माँ के पास आ गया । इतने दिनों बाद शालिनी को देखकर अच्छा लगा मा फालतू बात मत करो । उसने मुझे सब बता दिया है । अब जाकर मेंस के लिए पढाई करो । इन सब चीजों के बारे में हम बाद में बात करेंगे । उसकी माँ अपने बाद पूरी कर पाती । उससे पहले ही विष्णु को महसूस हुआ कि वहाँ खुशी से भी गया है । तुम खुशी से नहीं हो या पानी है जो खिडकी से आ रहा है । अब फिर की बंद करो और जाकर नालों । उसने अपने आप से कहा पिछले चौबीस घंटे मेरे जीवन के सबसे खुशी भरे घंटे रहे हैं । अब चाहे जो भी हो जाए मुझे वहाँ सब बनाए रखने की कोशिश करनी है जो मुझे चौबीस घंटों में मिला है । विष्णु बार बार खुद से कहता रहा परीक्षा पास करना अच्छा है लेकिन जिस तरीके से तो नहीं किया है वहाँ प्रशंसनीय है एक नया विषय लेना । उसे तीन चार महीने पढकर सोचना की तुमने उसमें महारत हासिल कर ली है । फिर एक दिन यहाँ निराशाजनक समाचार मिलना की विषय का पूरा सिस्टम हटा दिया गया है और परीक्षा के केवल तीन महीने पहले मैं बैठन को अपनाना, फिर कडी मेहनत करना और सफल हो जाना और यह सब अधिकांश समय चेहरे पर एक मुस्कान के साथ करना मुझे तुम पर गर्व है । तुम्हारा फाइनल रिजल्ट जो भी आए मुझे तुम पर गर्व होगा । पिता के शब्दों ने विष्णु को रुला दिया
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