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भाग दस यूपीएससी की मुख्य परीक्षा का पॅन से बिल्कुल अलग था । यह पूरी तरह से वर्णात्मक था और इसमें वैकल्पिक विषय पर भी एक पेपर था जिसे उम्मीदवार चुन सकता था । विष्णु अब एक वैकल्पिक विषय चुना था और वहाँ पूरी तरह से दुविधा में था । वहाँ लोग प्रशासन का चुनाव करें जो उसने प्रिलिम्स के लिए पूरे वैकल्पिक सेटअप के खत्म किए जाने से पहले तीन महीने तक पढा था या मैकेनिकल इंजीनियरिंग का जिसके साथ हुआ प्रारंभिक परीक्षा में एक बार पहले ही असफल हो चुका था या फिर वहाँ एक बिल्कुल नया विषय । विष्णु किसी तरह के मार्ग दर्शन के लिए इंटरनेट ब्राउज कर रहा था लेकिन उससे वहाँ और उलझन में आ गया । वहाँ केवल एक बात को लेकर निश्चित था की मुख्य परीक्षा का नोटिफिकेशन आ गया था और उसे एक निर्णय लेना था की वहाँ कौन से वैकल्पिक विषय का चुनाव करें, इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं था । लेकिन वहाँ लगातार सोच रहा था कि कौन सा विषय है । उसी समय शालिनी ने उसे फोन किया, सोच लिया, कौन सा विषय लेना है । उसने बेपरवाह स्वर में पूछा अभी नहीं, जितनी रिसर्च कर रहा हूँ, उतने ही उलझन बढ रही है । इस पर तुम्हारा क्या यान है, पता नहीं तुमने मैं लोग शालिनी ऐसी लडकी थी, जिसे परीक्षाओं के बारे में लगभग सब कुछ पता था । विषय सिलेबस ॅ विष्णु को हमेशा लगता था कि शालिनी के आस पास रहने से उसे मदद मिलेगी । अगले कुछ दिन और विस्तृत शोध करने के बाद विष्णु ने अपनी खोज दो विषयों पर सीमित कर ली । एंथ्रोपोलॉजी याने नौ विज्ञान और सोशियोलॉजी यानी समाज शास्त्र । इसने शोध और विशेषज्ञ सलाहों से । थककर उसने सिक्का उछालने या इनकी पिंग पोंग की जैसे वैज्ञानिक तरीके का उपयोग करने का फैसला किया । वही इस बारे में सोच रहा था कि टीवी से एक आवाज आई, जो कह रही थी मनुष्य पृथ्वी पर सबसे अद्भुत जी है । मनुष्य सबसे दिलचस्प को विषय है । यह सुनकर जैसे विषयों को एक चिनगारी छूट गई । उसे लगा जैसे कोई आलोकिक सकती चाहती थी कि वहाँ एंथ्रोपॉलोजी का चुनाव करें । अच्छे के लिए ये बुरे के लिए उस पर विष्णु ने अपने सहज ज्ञान की सुनी और वैकल्पिक विषय के रूप में एंथ्रोपॉलॉजी लेने का फैसला कर दिया । मैं सेंट्रो ले रहा हूँ, उसमें शालिनी को मैसेज किया बढिया, मैं तुम्हारे चुनाव पर प्रश्न नहीं करूंगी, लेकिन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन क्यों नहीं? जो तुमने चार महीने पडा था और फिर तुम सब कुछ ग्रेट माइंड में ही पूरा कर सकते थे । शालिनी ने जवाब में लिखा, हाँ मैंने बहुत सोचा लेकिन मुझे लगा कि डिस्क्रिप्टिव एग्जाम के लिए एंथ्रोपोलोजिकल सिलेबस अधिक अंक दिला सकता है । विषय दिलचस्प है और मुझे विश्वास है कि मैं चुनौती पूरी कर सकता हूँ । बहुत बढिया मेरी शुभकामनाएं । चुनौती मोड शुरू अगले दिन विष्णु आलम बाग रोड के आइडी कॉरिडोर में था । वह फॅमिली के सामने खडा था । ऑनलाइन समीक्षाओं और उसके कुछ दोस्तों के अनुसार यहाँ एंथ्रोपॉलॉजी के लिए सर्वश्रेष्ठ कोचिंग सेंटर था । प्रेरणा अगर में उसी इमारत में थी जिसमें फूट कोर्ट ऍम था । उस आइडी पार्क का हिस्सा जहाँ शालिनी काम करती थी । आईटीपार्क और ऍम एक हवाई पुल द्वारा जुडे हुए थे । विष्णु शालिनी को चौका देना चाहता था इसलिए वहाँ उसे बिना बताए वहाँ चला गया । शिक्षण के उच्च स्तर के अलावा उसके लिए प्रेरणा एकेडमी का चुनाव करने का मुख्य कारण यह था कि वहाँ शालिनी के और निकट रह सकता था । उसने सोचा था वह दाखिला लेने के बाद ही शालिनी को बताएगा । विश्व में आपने बाइक पार्किंग में खडी की और चलना शुरू कर दिया । वहाँ हैरान हो गया जब उसने किताबें हाथ में लिए शालिनी को प्रेरणा एकेडमी से बाहर निकलते देखा । उसके साथ एक लडका था, जिसे विष्णु ने नहीं पहचाना । वहाँ उसके ऑफिस के दोस्तों में से नहीं था । ऐसा लग रहा था जैसे दोनों सहपाठी थे और क्लास के बाद विषय पर चर्चा कर रहे थे । अपनी स्कूटी की और जाते हुए शालिनी ने लडके को भाई क्या और वहाँ से चली गई । विष्णु के दिल ने कुछ पलों के लिए धडकना बंद कर दिया और फिर दोबारा धडकने लगा । हमेशा से कहीं अधिक से क्या शालिनी भी सिविल सर्विस परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी? उसने दिने दिनों में कभी इसके बारे में बताया? क्यों नहीं? वहाँ परीक्षा की तैयारी से संबंधित जितने विचार उसके साथ साझा करती थी, क्या वे उसके खुद के अनुभव थे? उसने उसे जोकर बनाकर रख दिया और उसके पास उसका कॉफी का फ्लास्क भी है । विश्व में चौकीदार के पास जाकर पूछा तो तुम मैडम को जानते हो जो अभी अभी यहाँ से गए है? हाँ सर, वो आईटी कंपनी में काम करती है और शाम को आईएएस की कोचिंग क्लास में आती है । वे जल्दी ही कलेक्टर बनने वाली है । चौकीदार ने कहा ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर कलेस्ट्रॉल और ऍम इन सब विष्णु के शरीर के अंदर कॉकटेल पार्टी कर रहे थे । उसे देख लग रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया हूँ । कांपते हाथों से उसने शालिनी का नंबर में लाया । उसने फोन उठाया कहाँ हूँ? ड्राइवर नहीं हूँ, लेकिन होगा तो ऑफिस के पास । क्यों? उसने अनिश्चितता से कहा । विष्णु को विश्वास हो गया कि वहाँ झूठ बोल रही थी । अचानक विष्णु के मन में एक विचार आया । वहाँ शालीन से कुछ नहीं पूछना चाहता था । यदि वहाँ झूठ भी बोल रही थी तो ऐसे ही सही । वह शालिनी थी जो गलती पर थी और विष्णु जानना चाहता था कि यह सब कितनी दूर जाएगा । उसने कुछ समय के लिए बिल्ली चूहे का खेल खेलने का निश्चय किया । उसने अपनी आवाज साफ की और कहा कुछ नहीं । ऐसे ही फोन कर लिया । बाद में कॉल करता हूँ मैं । विष्णु स्पष्ट रूप से निराश था लेकिन उसने अपनी निराशा को पीछे छोडा और प्रेरणा एकेडमी में प्रवेश किया । परीक्षा पास करने से पहले मैं कम से कम सौ कोचिंग सेंटर होगा । दौरा कर चुका हूँ । उसने अपने आप से कहा, मैं आपका नामांकन कर लूंगा, लेकिन यह इस बात की गारंटी नहीं है कि आप करता प्राप्त कर लेंगे । एकेडमी के निदेशक मिस्टर नवीन ने कहा, उनकी टेबल पर रखी नेम प्लेट पर लिखा था आईएस डायरेक्टर जैसे मैं लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर हूँ । ठीक है सर धन्यवाद । मैं सप्ताह पर कक्षाओं में शामिल होना चाहूंगा । एंट्रो की पूरे दिन की कक्षाएं हर सप्ताह के अंत में होंगी । परीक्षा के समय को देखते हुए पूरा सिलेबस दो महीने में कवर किया जाएगा । हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि आप करता प्राप्त कर लेंगे । उन्होंने दोहराया, इससे मुझे बहुत मदद मिलेगी । सर पूरे बीस का भुगतान अभी कर दीजिए और शनिवार से क्लास में शामिल हो जाइए हूँ की सर मैं गारंटी देता हूँ कि मैं अच्छा करूंगा । सुनकर अच्छा लगा लेकिन फिर भी कोई गारंटी नहीं है कि आप भरता प्राप्त कर लेंगे । फॅार में हाथ हिलाकर उसे विदा किया । वह रविवार की एक गर्म दोपहर थी और विष्णु अभी भी शालिनी से धोखा खाया हुआ महसूस कर रहा था । अपने सामान्य मूड में वापस आने की कोशिश में वहाँ पाठ्यपुस्तकें खरीदने बाहर चला गया । आपने एंथ्रोपोलोजी की किताबों की तलाश में वहाँ भीड भाड वाली सडकों पर घूम रहा था । राजू बाजी स्टॉल पर तली जा रही गर्म मिर्ची भाजियों से निकल रही मोहक सुगंध ने विष्णु को मजबूर कर दिया कि वह अपने किताबों की तलाश को कुछ देर का विराम देते और बच्चियों की तलाश शुरू कर दे । विष्णु स्टॉल के अंदर जाकर गर्व बजे खा रहा था, जब उसने अचानक देखा कि भज्जी वाले ने सीएसके की टी शर्ट पहनी हुई थी । विष्णु ने उस पर विनोद के हस्ताक्षर भी देखें तो बाबू ऍम उसने एक पूछा, बाजी वाले ने उसे हैरानी से देखा और फिल्म लाइन में लगे अन्य ग्राहकों को बजे देने लगा । विष्णु का ध्यान स्टोर के पास रखी एक करंट अफेयर्स की पत्रिका पर गया । तुम बाबू ही हो विष्णु घोषित किया । भज्जी वाले ने एक बार फिर से देखा और अपने काम में लग गया । तुम बाबू नहीं हूँ । विष्णु ने फिर पूछा अगर मैं हूँ तो क्या और नहीं हूँ तो भी क्या? इससे तो मैं क्या मतलब है? बाजी वाले ने पूछा । इससे मुझे कोई मतलब नहीं है, लेकिन इससे तुम्हारे पुराने दोस्तों अशोक और विनोद को मतलब होगा । विष्णु ने कहा बाजी वाला स्पष्ट रूप से उन शब्दों को सुनकर बहुत खुश हुआ । विनोद और अशोक नाम उसके चेहरे पर मुस्कान ले आए । उसका लहजा बदल गया । विश्व में जल्दी से विनोद और अशोक से सुनी कहानी का अपना संस्करण दोहराया । हाँ, मुझे उन्हें बता देना चाहिए था कि मैं कहाँ हूँ । बाबू ने निराशा से कहा, लेकिन उस समय मैं इतने सदमे में था कि किसी और चीज के बारे में नहीं सोच पा रहा था । यहाँ लगभग एक चमत्कार है कि मैं उस अवसाद से बाहर आ गया । उसने कहा है, तुम्हारे अधिकांश दोस्तों को लगता है कि तुम भर चुके हो या कहीं और चले गए हो । मेरे लिए भी तुम्हें यहाँ देखना बिल्कुल हैरान करने वाली बात है । असल में हुआ क्या था? मैं मार सकता था । मैं पागल हो सकता था लेकिन शुक्र है कि भगवान की दया से मैं सामान्य जीवन में वापस आ गया हूँ । जब मैंने निराशा और अवसाद कम हुआ तो मेरे अंदर की आग और तेजी से बढने लगी । मैंने बहुत मेहनत की और यहाँ बाजी स्टॉल लगाया । मेरे स्टॉल में एक बाजी तीन रूपये की मिलती है । मैं एक दिन में केवल हजार बच्चियों का गोल और मिर्च से तैयार करता हूँ । शाम साढे छह बजे तक सब देख जाती है जिसका मतलब है मैं एक दिन में तीन हजार रुपए कमाता हूँ । अपने परिचालन के खर्च काटने के बाद मैं लगभग दो हजार रुपये रोज और साठ हजार महीने का मुनाफा कमाता है । इस्टॉल का किराया काटने के बाद मैं महीने के लगभग पचास हजार रुपए कमा लेता हूँ । बाबू ने कहा, जो एक आई । ए । एस । ऑफिसर की नौकरी के पहले स्तर में मिलने वाले वेतन से अधिक हैं । विष्णु ने कहा हाँ, लेकिन सम्मान तो मैं अभी भी उस नौकरी से प्यार है । हाँ है मेरे पास अभी भी एक मौका बाकी है । मेरे सपने तक एक अंतिम कोशिश । वह यहाँ तो निरी प्रेरणा यार कमाल है तो भारी स्थिति में दस में से एक या दो लोगों ने आत्महत्या की कोशिश की होती । तीन या चार अवसाद में आकर गुम हो गए होते हैं । केवल तीन या चार लोग वापस अपने पैरों पर खडे होकर उस स्थिति में आए होते जिसमें अभी तुम हो । फिर भी केवल तुम्हारे जैसा कोई अपने सपने को पूरा करने के लिए अंतिम प्रयास करने का सोच सकता है । बहुत बढिया । मुझे खुशी है कि मैं तुमसे मिला । विष्णु बोला बाबू मुस्कुरा दिया गुडलक वो जल्दी मिलता हूँ तुम्हें भी गुड गलत । बाबू ने कहा और अपने स्टॉल पर वापस चला गया । घर लौटते हुए विष्णु का ऊर्जा स्तर पूरी तरह से चार्ज हो चुका था । वहाँ अपने कमरे में जा रहा था कि शालिनी का फोन आ गया, क्या हुआ? तुमने कॉल नहीं किया । शालिनी ने तीखे स्वर में पूछा कुछ नहीं ॅ के बारे में पूछ ताछ कर रहा था । विष्णु ने जवाब दिया कहाँ दाखिला लिया ग्रेट माइंड्स । ग्रेट माइंड्स में तो इंट्रो कभी नहीं था, अब है । मैं कम दे रहा हूँ । मुझे बताया तुम्हें ये सब बातें कैसे पता है । तुम भी एग्जाम नहीं हो गया । विश्व में चुने स्वर में कहा मुझे कैसे पता मैं जानती हूँ क्योंकि मैं सालों से तुम्हारे साथ हूँ । ठीक है । मुझे बहुत सारा कोर्स कवर करना है । जब समय मिलेगा तो मैं कॉल करता हूँ । विष्णु अभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहा था कि शालिनी भी सिविल सेवाओं की आकांक्षी हो सकती थी और वहाँ चुपके से परीक्षा की तैयारी कर रही थी । यहाँ तो बेवफा होने से भी बदतर है । विष्णु अपनी एंथ्रोपोलॉजी की पार्टी पुस्तक के पन्ने पलटते हुए आपने आपने बडबडा रहा था । इस समय पांच बज कर बीस मिनट हुए हैं । वहाँ प्रेरणा अकैडमी में क्लास कर रही होगी । उसने अपना फोन निकाला और उसे कॉल किया । शालिनी को कॉल करने के लिए धन्यवाद । कॉलर ट्यून लगातार कह रही थी । उसने फोन नहीं उठाया । इससे पहले उसके पास गजनी की कॉलर ट्यून थी । वहाँ ऑफिसर बनना चाहती है । इसलिए सब कुछ औपचारिक बना रही है । मैं उसका फेसबुक पेज चेक करता हूँ । उसका भुन बुलाना जारी था । उसने अंतिम बार पैंतालीस मिनट पहले आराध्या की फोटो पर कमेंट किया था । शायद क्लास के लिए निकलने से ठीक पहले फिर उसने शालिनी का व्हाट्सएप चेक किया । वह अंतिम बार पांच बजकर पांच मिनट पर देखी गई थी । क्लास पांच में डेढ से शुरू हुई होगी और उस भी जो उसने अपना वोट सब देखा होगा । कितनी होशियार है उस पर और अधिक समय न बर्बाद करने का फैसला करके विष्णु अपनी एंट्रो की किताबों में लौट गया । मैं उसकी लैंडलाइन पर कॉल कर के चेक करूँ? नहीं, यह तो बहुत नीचे गिरने वाली बात हो जाएगी । लेकिन मैं नीचे गिरता भी हो तो क्या मुझे उसके लैंडलाइन पर कॉल करना चाहिए? नहीं । अगर में कॉल करूंगा तो भी वह कह सकती है कि वहाँ मीटिंग में हैं, क्लाइन के साथ है या कहीं और व्यस्त है । उसने अपना बुला बुलाना जारी रखा । अब तो साढे से हो गए हैं, वहाँ जल्दी कॉल करेगी । उसने अपने आप से कहा, विष्णु वाक के पूरा करने से पहले ही उसका फोन बजने लगा । कहाँ हो तुम? विष्णु हेलो किए बिना ही पूछा, ऑफिस वो सच में तब तुमने फोन क्यों नहीं उठाया? मैं व्यस्त थी । अब तक विष्णु पूरी तरह परेशान हो चुका था । कुछ प्रथागत शब्दों के बाद उसने फोन काट दिया । मुझे उस पर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए । मुझे अब पढना है ।
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