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 भाग 03 in  |  Audio book and podcasts

भाग 03

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‘कहानी एक आई.ए.एस. परीक्षा की’ में पच्चीस साल का विष्णु अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भ्रम से बाहर निकलने तथा शालिनी को शादी के लिए मनाने के तरीके ढूँढ़ता है। हालात तब और भी दिलचस्प, हास्यास्पद और भावुक हो जाते हैं, जब विष्णु ‘माउंट IAS’ पर विजय पाने निकल पड़ता है। अपनी पढ़ाई और अपने प्यार को जब वह सुरक्षित दिशा में ले जा रहा होता है, तब उसे IAS कोचिंग सेंटरों की दुनिया में छिपने का ठिकाना मिल जाता है। क्या शालिनी अपने सबसे अच्छे दोस्त के प्यार को कबूल करेगी? क्या विष्णु असफलता की अपनी भावना से उबर पाएगा? क्या हमेशा के लिए सबकुछ ठीक हो जाएगा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।
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भाग तीन उस दिन सोमवार था । एक सितंबर विष्णु कोचिंग कक्षाओं में जाना शुरू करने से पहले शालिनी को कॉल करना चाहता था, लेकिन उसने ऐसा न करने का फैसला किया क्योंकि इससे उनके दूर रहने के समझौते का उल्लंघन होता, जिसके अभी दस दिन बाकी हैं । क्योंकि अन्य कोचिंग सेंटरों में से भी अधिकांश अपने नए बैच एक सितंबर से ही आरंभ करते थे । इसलिए लोहिया नगर के चौक बाजार पर त्यौहार जैसा माहौल था । उम्मीदवारों का सैलाब चौक बाजार पर उमड रहा था । बाएं, दाएं और बीच में विश्व में देखा कि सुपर बेस्ट कोचिंग सेंटर ग्रेट माइंड्स के ठीक बगल में था । विश्व ने ग्रेट माइंड्स में प्रवेश किया, जहां उसे प्रथम तल पर एक क्लास रूम दिखाया गया । उसके प्रवेश करने तक कक्षा हो चुकी थी । मैं अंदर आ सकता हूँ सर पहला दिन पहले क्लास और आप लेट हैं । बहुत शुभ शुरुआत है । जाकर बैठे क्या ये मिस्टर यादव हैं? विष्णु ने अंतिम बनती में बैठे हुए पूछा हाँ वही है । उसके पडोसी ने जवाब दिया आए मैं । विश्वनाथ विष्णु ने कहा हाँ मैं विनोद अब कक्षा पर ध्यान दो सर कोई महत्वपूर्ण बात बता सकते हैं मैं पूरे देश में लोग प्रशासन का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हूँ । यहाँ आप सभी जानते हैं आपको कुछ नया करने की कोशिश नहीं करनी है । बस मुझे सुनी है मेरे नोट पढे और आप कुछ अंक प्राप्त करके आई । ए । एस में प्रवेश पाने में सफल होंगे । श्री यादव ने कहा पूरी कक्षा ने समूह ने सिला दिया जैसे श्री यादव उनके पाइड पाइपर थे । ये हमारे लिए परीक्षा भी क्यों नहीं दे देते हैं । विष्णु ने टिप्पणी की जिस पर उसके पडोसी को हंसी आ गए । तुम तो वहाँ क्या कर रहे हो, हंस रहे हो यहाँ कोई सरकार चल रहा है क्या? श्रीयादव लाये । उसके बाद वहाँ टेड क्लासरूम ड्रामा शुरू हो गया । तुम पहले ही दिन देर से आते हो, आखिरी पंक्ति में बैठते हो और हस्ते हो तुम्हें लगता है तो मैं अभी भी कॉलेज में हो । उन्होंने आगे कहा तो माफ कीजियेगा सर लेकिन क्या छात्रों को खुद से सोचने की सलाह नहीं दी जानी चाहिए? कुछ नया कुछ अलग हटकर सोचने की? क्या उन्हें तैयारी में अपनी ओर से और पहल नहीं करनी चाहिए? विश्व में खडे होकर पूछा मैंने केवल अपने नोट्स देकर सैकडों आईएएस और आईपीएस अफसर बनाए हैं तो मैं भी विषय पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और अंतिम पंक्ति में बैठकर हंसने की बजाय अधिक व्यवहारिक होना चाहिए । सर केवल आपके नोट पर्याप्त है । तब तो हॉल में बैठे लगभग सौ छात्रों के अलावा खिडकी पर बैठक का हुआ भी परीक्षा पास कर लेगा । पूरी कक्षा में हंसी फट गई । मेरा तर्क यह है कि छात्रों को स्वतंत्र रूप से सोचने और अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए । विष्णु ने अपनी बात जारी रखी है । आप तो हम चुप रहो और क्लास पर ध्यान दो । यहाँ शिक्षक मैं हूँ और मैं आपको बताता हूँ की क्या करना है और आप सब जानते हैं कि मैं कितना सफल हूँ । यादव ने जवाब दिया ऍम अल जी सर । क्लास ने एक स्वर में कहा ओके सर । विष्णु ने कहा और बैठ गया । वह बाकी की कक्षा में लेक्चर सुनता रहा और उसे विषय बहुत दिलचस्प लगा । हालांकि यादव का पढाने का तरीका अच्छा था लेकिन उनका छात्रों पर अपने विचार थोपना विष्णु को पसंद नहीं आया । ये लोग हमें नया कब सोचने देंगे? कभी सोचने देंगे या नहीं, वहाँ अपने आप में बुदबुदाता रहा । जल्दी ही क्लास पूरी हो गई और ब्रेक का समय आ गया हूँ । सुपर बेस्ट कोचिंग सेंटर ग्रेट माइंड्स के इतना निकट था कि अगर दोनों इमारतों के लोग अपनी खिडकियां खोल लेते । वो वास्तव में एक दूसरे के एक हाथ की दूरी पर होते हैं । दोनों कोचिंग सेंटरों के छात्रों के बीच प्रश्न पत्र, पठन सामग्री, यादव की कीमती नोट्स, यहाँ तक कि खाने पीने की चीजों का भी आदान प्रदान होता था । तो तो मैं यहाँ पढने नहीं बल्कि मैसेज करने आए हो । क्यों विनोद ने विष्णु से पूछा विनोद विश्वनाथ से कुछ बडा नहीं तो लगभग उसी के आयो का था । वहाँ छोटे कद का सामना घुंघराले बालों वाला युवक था जिसकी तीखी आंखें उसके चश्में के पीछे छुपी थी । बिल्कुल नहीं बस मुझे उन की शुरूआती बात थोडी अजीब लगी । मैं हमेशा फावडे को फावडा ही कहता हूँ । विष्णु ने जवाब दिया देखो खुद को जेल किए हुए बाल और फैन्सी घडी के साथ ऐसे लग रहे हो जैसे दोस्तों के साथ क्लब जाने के लिए तैयार हुए हो तो तो एक गंभीर उम्मीदवार जैसे देखते भी नहीं हो । पीछे से नहीं आवाज आई । यह अशोक था जो विनोद की दूसरी तरफ बैठा था और हर तीस सेकंड में यादव से कुछ ना कुछ पूछ रहा था । डाउट अशोक यादव ने उसका नाम रखा था तो तुम मेरी वेशभूषा पर भी डाउट है । विष्णु कक्षा में यादव की टिप्पणियों को संदर्भित करते हुए कहा जिससे विनोद के साथ साथ अशोक को भी हंसी आ गई । कपडो या वेशभूषा से कोई फर्क नहीं पडता बॉस लेकिन कोशिशों से पडता है । मैं विश्वनाथ हूँ । मैंने आज यहाँ दाखिला लिया है और मैं अमीनाबाद में रहता हूँ । विष्णु ने अशोक को अपना परिचय दिया है । विनोद और मैं पिछले दो सालों से यहाँ है । हम दोनों गोमती नगर में रहते हैं । आप बैठो । अशोक ने कहा उनके बीच एक संक्षिप्त बातचीत हुई और फिर श्री प्रेम उनके सामान्य अध्ययन के शिक्षक ने कक्षा में प्रवेश किया । कुछ देर में उनकी सामान्य अध्ययन की कक्षा आरंभ हो गई । सामान्य अध्ययन एक विशाल समुद्र है । आपको उसमें से केवल सीपों और मोतियों जैसी काम की और कीमती चीजों को चुनाव करना चाहिए वरना पौडियों और रंग बिरंगे पत्थर जैसी बेकार की चीजों के साथ अपना कीमती समय बर्बाद कर देंगे । उन्होंने अपनी बात शुरू की । ये देखने और बोलने में अजीब से लगते हैं लेकिन हमें बहुत काम की बातें बताते हैं । विनोद ने अपने दोस्तों विष्णु से फुसफुसाकर कहा, आप में से जो नए हैं उनके लिए यहाँ सामान्य अध्ययन की बुक लिस्ट ये पुस्तकें आप टॉपर्स बुक है उसमें से सबसे सस्ते दामों में खरीद सकते हैं । प्रेम ने सलाह दी क्या इन्हें टॉपर्स बुक हाउस से किसी तरह का कमिशन मिलता है? विष्णु ने पूछा नहीं नहीं ये उसके मालिक है । विनोद ने कहा तो विष्णु को झटका लगा । आज हम बोल के साथ आरंभ करेंगे । मौसम और जलवायु में क्या अंतर है सर, मुझे कुछ पूछना है । अशोक ने कहा अशोक मैंने केवल एक सफलता प्रश्न पूछा है । अगर मैं कोई सवाल पूछता हूँ तो आपको जवाब देना चाहिए । यह चुप रहना चाहिए न कि केवल शंकर पूछनी चाहिए । अगर मुझे ठीक से याद है तो पिछले दो सालों से मैं पहली कक्षा में एक ही सवाल पूछ रहा हूँ और आप एक ही शंका पूछ रहे हैं । प्रेम ने कक्षा के ठहाकों के बीच बेबसी से कहा । विष्णु खडे होकर कहना चाहता था मौसम एक छोटी है, उन्ही का वायुमंडलीय व्यवहार है जबकि जलवायु एक लंबी अवधि के लिए घटती है । लेकिन इससे पहले कि विष्णु उठ पाता, पहली पंक्ति से किसी ने उत्तर दे दिया जो नासा की एक सटीक परिभाषा थी । बहुत बढिया मदन शाहवाज प्रेम बोले । मदन नासा पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा भी दे रहा होगा । वहाँ हर चीज में नासा को कोर्ट करता है । अशोक ने विनोद से कहा विष्णु ने ध्यान दिया उसके क्लास रूम की खिडकियां और सुपर बेस्ट कोचिंग सेंटर के साथ वाले क्लास रूम की खिडकियां खुली थी और वहाँ साफ साफ देख सकता था कि उनकी क्लास में क्या हो रहा है । इतिहास की वैकल्पिक कक्षा चल रही थी और विषय था मुगल । प्रशासन वहाँ साफ देख सकता था की हरी पहली पंक्ति में बैठा था और पूरी ईमानदारी से नोट्स लिख रहा था । वास्तव में वहाँ तो हरी को लिखते समय अपने पडोसी से नोट्स छुपाते हुए भी देख सकता था । इस बीच उसके अपने क्लास रूम में प्रेम चिल्लाकर बोले आई लव निर्मला और पूरी कक्षा उलझन में देखने लगी । यह दक्षिणपश्चिम मानसून से कम वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों को याद करने के लिए स्मृति सहायक है । प्रेम ने स्पष्ट किया केस दीपिका उन्होंने आगे कहा और बताया कि यह सामान्य वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों को याद रखने के लिए स्मृति सहायक था । पूरी कक्षा हैरानी से घूम रही थी और उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए एक और अजीब से स्मृति सहायक की प्रतीक्षा कर रही थी । लाॅग गार्ड प्रेम ने कहा और स्मृति सहायक के अनुसार एक एक करके क्षेत्रों को प्रताडित करने लगे । पूरी कक्षा ने जो हालांकि इस तथ्य से निराश थी की अंतिम सहायक दूसरों की तरह चटपटा नहीं था । शीघ्रता से उन की बात को समझ लिया । अजीब है लेकिन प्रभावी है, यह नहीं, मोनिक तक नहीं । विष्णु बोला मैंने कहा था ना । विनोद ने जवाब दिया । उस दिन की कक्षाएं पूरी हो चुकी थी और विष्णु अपने नए दोस्त तो विनोद और अशोक के फोन नंबर लेकर घर चला गया । शालिनी जल्दी जल्दी अपनी कॉफी बना रहे थे क्योंकि उसे ऑफिस के लिए देर हो रही थी । शालिनी पच्चीस वर्ष की थी और लडकियों के एक छात्रावास में अपनी सहेलियों के साथ रहती थी । विष्णु के शब्दों में वह बुद्धिमान और साहसी थी और उसके बाद अच्छे भारतीय संस्कार थे । उत्तर प्रदेश में उस समय के हर दूसरे कॉलेज ग्रेजुएट की तरह वहाँ भी एक आईटी कंपनी में काम करने लगी थी । वो अपने काम से ना तो प्यार करती थी न नफरत लेकिन हमेशा अपनी पूरी क्षमता के अनुसार काम करती थी । उसे जीवन में तीन चीजों से अत्यधिक प्यार था । पहला कॉफी जिसे बनाकर वह जहाँ भी जाती थी क्लास में अपने साथ ले जाती थी । दूसरा संगीत किसी भी तरह का मोहम्मद रफी और श्रेया घोषाल से लेकर हलकट जवानी तक वहाँ एक अच्छी गायिका भी थी । स्कूल, कॉलेज और हॉल में कॉरपोरेट संगीत प्रतियोगिताओं में उसने हमेशा अपनी छाप छोडी थी । अब रही उसके तीसरे प्यार की बात । उसे स्कूल के समय से विष्णु के साथ एक भावनात्मक लगाव रहा था, लेकिन उसे अब तक यकीन नहीं था कि वहाँ प्यार था । मैं चाहती हूँ कि विष्णु को उसके हर काम में सफलता मिले । मैं चाहती हूँ कि विष्णु हमेशा खुश रहे । अच्छी खबर हो या बुरी, मैं सबसे पहले उसे विष्णु के साथ साझा करना चाहती हूँ । क्या इसका मतलब प्यार है? उसने अपने आप से पूछा, नहीं, बिल्कुल नहीं । बिहार में पढना मूर्ख लोगों का काम है । यह शालिनी के लिए नहीं है । विष्णु मेरा सबसे अच्छा दोस्त है और हमेशा रहेगा । वह खुद को आश्वस्त करते हुए धीरे से बुदबुदाई वहाँ ऑफिस जाते समय अपने मनपसंद गाने सुन रही थी और सूडो को खेल रही थी । वहाँ हम तो हर बार सबसे पहले ऑफिस पहुंचने वालों में से थी । प्रतिदिन सुबह नौ बजे जो उसके ऑफिस की भाषा में अलसुबह माना जाता था, उसका ऑफिस अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ एक विशिष्ट शहरी आईटी ऑफिस था । यहाँ तक की टॉयलेट में भी मॉनिटर लगे थे जो कर्मचारियों को उनके मानसिक लक्ष्य दिखाते थे और उनका ध्यान काम पर केंद्रित करते थे । वहाँ जूते पॉलिश करने के लिए स्वचालित मशीनें भी थी । हालांकि प्रतिशत कर्मचारी फॅालो में आते थे । एक विशाल लाइब्रेरी थी जहाँ केवल वही लोग आते थे जो फोन कॉल से बचने के लिए जांॅच इनका उपयोग करना चाहते थे । एक कॉफी शॉप थी जहाँ लडकियाँ लडकियाँ एक दूसरे से टकराते थे और प्रेरक शीर्षकों के साथ दीवार पर लगे पोस्टर थे जिन्हें कोई पडता नहीं था बल्कि सब उन पर बर्गर और पिज्जा की डिलेवरी के नंबर लिखते थे । ऑफिस की आंतरिक सजावट आलीशान थी और बाहरी हिस्सा और अधिक आलीशान था । ऍम अभी भी बॉक्सर्स में सीधे बिस्तर से उठकर ऑफिस आए हो गया । शालिनी ने पूछा, मॉर्निंग खाली नहीं । आज शुक्रवार है और हमारा ऑफिस डॅाल है । सिद्धार्थ शिवराज सिंह ने जवाब दिया जिसने फैशन के नाम पर अपना नाम छोटा करके सिर्फ रख लिया था । सीट द्वारा फैशन के नाम पर किए जाने वाले पूरे सरकार के बावजूद वहाँ हमेशा से ऑफिस में शालिनी का सबसे अच्छा दोस्त रहा था । आज जल्दी नहीं आ गए । शालिनी ने पूछा आज हम सभी जल्दी आ रहे हैं । यहाँ तक कि ट्वीन्स भी रास्ते में हैं । नया भी उनसे सीढियों पर मिला था । आज टीम ट्रीट है तो भूल गई थी क्या हम सब ने सोचा हम जल्दी आएंगे और जल्दी वापस जाएंगे । सिडनी जवाब दिया वो मैं आउटिंग के बारे में भूल गई थी और हमेशा की तरह तुम्हारे पास जल्दी निकलने का बहाना है । इस बीच ट्विन्स आराध्या और धारा ऑफिस में आ चुकी थी । ये ऍम वास्तव में बहने रही थी । हम साथ बडे हुए वहीं पडोस वही स्कूल, वही कॉलेज । वही ऑफिस । वे छोटा सा मौका मिलते ही गर्व से समझाती थी । हाँ, वही स्कूल, वही कॉलेज, वही ऑफिस । वही पति ट्विन्स ऑफिस में ऐसे कई तरह के निशाने पर रहती थी । लेकिन उन्हें जितने ताने मिलते थे उन्हें लोगों को चिढाने में उतना ही मजा आता था । जल्दी ही और लोग भी आ गए और अपनी सीटों पर बैठ गए और ऑफिस शुरू हो गया । चालीस नहीं ये मन में विष्णु के विचार आते जा रहे थे जो की तभी से हो रहा था जब से उसने विष्णु से बात करना बंद किया था । हर एक दिन कैंडी क्रश खेलने के बहाने से वहाँ अपने और विष्णु के बीच के पुराने टेक्स्ट संदेश जांचती थी । लेकिन पता नहीं क्यों शालिनी को लगता था कि वहाँ कभी प्यार में नहीं पडेगी और यही विडंबना उसे पीछे खींच लेती थी । हाई स्कूल और कॉलेज में वहाँ सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले लडकी थी और यही थी उसे वर्तमान स्थिति में ले आई थी । अपना क्यूबिकल । देखो गोपीनाथ आराध्या पर चिल्लाया । गोपीनाथ उसका मैनेजर था और आपने सामान्य दौरे पर था । चॉकलेट के व्यापार और स्टीकर, बॉर्बी डॉल रणबीर और विराट कोहली के पोस्टर और मॉनिटर पर वीडियोकाॅॅॅन है या कोई गेम पाला? उसने चिल्लाना जारी रखा । इस निंदात्मक भाषण को सुनकर सिड की हंसी फूट गई और कौन सेट अपनी जगह तो देखो । हर तरफ कुछ फॅमिली संख्याएं लिखी हुई है । मॉनिटर पर हमेशा क्रिकेट की वेबसाइट्स खुली रहती है और तुम फोन पर हमेशा क्रिकेट की बात करते रहते हो तो तुम कोई बुक की हो गया । गोपीनाथ ने अपना भाषण जारी रखा है । आजकल के युवा बिल्कुल बिगडे हुए हैं । लाभ, परवाह, बेकार और अयोग्य गोपीनाथ रुकने के मूड में नहीं था । हमारा सहकर्मी आपकी इतनी इज्जत करता है कि उसने अपने क्यूबिकल में आपकी फोटो लगा रखी है । सर सिडनी कहा तो गोपीनाथ उत्सुकता से रमेश के क्यूबिकल की ओर बढा । रमेश के क्यूबिकल से सटी दीवार पर गोपीनाथ का आदमकद पोस्टर चिपका हुआ था । उसके ऊपर हरी साडू की शैली में जी से गुलयानी, गुंडा ओ से ऑफिस बद्ध, बीस ऍम नीय आॅन गधा, डी सॅान्ग शाह और एच से हिटलर लिखा हुआ था और वहाँ पूरा पोस्टर रमेश द्वारा डांट के अभ्यास के लिए इस्तेमाल किया जाता था । यहाँ क्या दोनों सब स्कूल के बच्चे हो गया? गोपीनाथ ने कहा तो पूरी टीम वहाँ के मार कर हंसने लगी । तुम लोगों को एक हफ्ते में प्रोजेक्ट पूरा करके देना है । अगर डेडलाइन तक काम नहीं हुआ तो देखना कितने सिर काटते हैं । गोपीनाथ गुराया और पैर पटकते हुए कमरे से बाहर चला गया ।

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