Sरामकिशन जी और उनके परिवार को लगा था कि जंगल के सुनसान रास्ते की कहानी
खत्म हो चुकी है। लेकिन शुभम को उस दिन के बाद से भूतिया सपने आने शुरू
हो जाते है। रूद्र को भी डरावने सपने आने लगते है। तब उन्हें अहसास होता
है कि ये कहानी का अंत नही केवल इंटरवेल था। इस कहानी में आप जानेंगे कि
शुभम और शिवांगी उस सुनसान जंगल और उसके भूत के रहस्य का किस तरह पता कर
पाते है ? मेरी मदद करो की आवाज लगाने वाली वो रहस्यमयी आवाज किसकी थी ?
क्या शुभम और शिवांगी उस आत्मा की मदद कर पाते है ? या रामकिशन जी के
परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए ये केवल एक मायाजाल था। इस भाग में एक
के बाद एक बहुत से राज खुलेंगे जिनके बारे में किसी ने सोचा तक नही था।
साथ ही हैवानियत की हद पार करने वालांें का बहुत ही बुरा हाल होगा ? ऐसी
भयानक मौत उन गुनहगारों को मिलेंगी जिसकी किसी ने कल्पना भी नही की होगी
? वो गुनहगार भी बस यही चीखते हुए मरेंगें - मेरी मदद करो। मेरी मदद करो।Read More