5000 वर्ष पूर्व जब महाभारत का महायुद्ध समाप्त हो गया था और पांडव अपने पौत्र परीक्षित को राज-पाट सौंप कर स्वर्गलोक की ओर प्रस्थान कर चुके थे। द्वापर अपने अंत की तरफ बढ़ रहा था और कलियुग अपने आगमन के लिये नये रास्ते तलाश रहा था । ये वो समय था जब पुण्य शक्तियाँ क्षीण पड़ने लगी थी और काली शक्तियों को एकबार फिर अपने पैर पसारने का मौका मिल गया । और ये घटनाक्रम शुरू हुआ वहां से बहुत दूर कंदवन में जिसे अब कालवन कहा जाने लगा था। क्योंकि ये वन मौत और आतंक का पर्याय बन चुका था। क्योंकि जो भी इस वन के अंदर जाता जिंदा वापस नहीं आता था। और उसका कारण थे पाताल में रहने वाले राक्षस। पाताल से धरती पर आने के बहुत गिने-चुने रास्ते हैं। और कंदवन उन गिने-चुने रास्ते में से एक था। जहाँ से राक्षस बाहर आते और धरती पर रहने वाली इंसानी बस्तियों पर हमला कर वापस लौट जाते। इंसानों ने कंदवन में जाकर उस द्वार को तलाशने की बहुत कोशिश की पर सफल नहीं हो पाये। क्योंकि उस पाताल द्वार की रक्षा करती थी राक्षसों द्वारा नियुक्त एक खूंखार और शिकारी ‘कबीलाई जनजाति’ जिनकी शक्तियों का स्त्रोत था राक्षसों की घातक और मारक तंत्र शक्तियों से युक्त ‘मुखौटे’।
#Adventure
writer: अनुराग कुमार सिंह
Voiceover Artist : Raghav Dutt
Author : Anurag Kumar Singh
Producer : Theremin StudiosRead More