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पहला चैप्टर सुबह के वक्त एक उम्र दराज बिजनेस टाइकून पटेल साहब नवी मुंबई में स्थित अपने कार्यालय पहुंचे । दिनभर की उनकी मीटिंग का ज्ञापन और बिना चीनी वाली गरम कॉफी का एक कप उनकी मेज पर रखा हुआ था । वो आपने काले रंग की गद्दी वाले ऑफिस की कुर्सी पर बैठे । बिजनेस स्टैंडर्ड पत्रिका की हेडलाइन पढ रहे थे जब उन्होंने अपनी निजी सचिव को बुलाने के लिए अपने ऑफिस इंटरकॉम पर एक नंबर डायल किया । मैं जुहू बीच के पास होटल अरोमा को खरीदना चाहता हूँ । ये सौदा तय करवाओ । पटेल साहब ने रोहन के आते ही आदेश दिया । रोहन पटेल साहब के निजी सचिव की प्रोफाइल में पटेल साहब के हर हुक्मों को मानना शामिल है । फिर चाहे वह काम एक कप कॉफी देने जितना आसान हो या फिर करोडों रुपए के सौदे को निपटाने जितना मुश्किल रोहन में सिर हिलाया और बॉस की कही हर बात को अपने दिमाग में छापना जारी रखा । होटल के मालिक को फोन करो और उसकी मुंहमांगी कीमत पर डील करो, चेक बुक ले आना, मैं हस्ताक्षर कर दूंगा । पटेल साहब ने आदेश दिया ठीक है सर, मैं देख लूंगा । रोहन ने कहा रोहित ने सोचा कि अगर किसी के पास दुनिया भर का पैसा हो तो कुछ भी खरीदना कहाँ मुश्किल है । उसने इंटरनेट से होटल के मालिक का नंबर निकाला और डायल क्या? हेल्लो सर, मैं पटेल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री से रोहन बोल रहा हूँ । पटेल साहब ने मुझे आपसे बात करने के लिए कहा है । होटल के मालिक ने सोचा कि ये कॉल होटल की बुकिंग करने के लिए होगा । हाँ बताइए मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ । उसने विनम्रता से पूछा सर दरअसल पटेल साहब आपकी होटल को खरीदने में दिलचस्पी रखते हैं । रोहन निक प्राप्त हुई आवास में कहा, माफी चाहता हूँ जरूर कोई गलत फहमी है । मेरा होटल बिकाऊ नहीं है जी मुझे पता है लेकिन आप के लिए मेरे पास एक प्रस्ताव है । पटेल साहब ज्यादातर विदेशों में रहते हैं और जब भारत आते हैं तो बडे निवेश करते हैं । वो आपकी मांगी कोई भी कीमत दे सकते हैं । यहाँ तक कि उन पैसों से अब दो नहीं होटल भी खोल सकते हैं । देखिए पैसा मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता । मैं इसे हरगिज नहीं बेचना चाहता । जोशी जी ने कहा, और फोन काट दिया । अजीब विडंबना है । ऐसा केवल उन लोगों के लिए मायने नहीं रखता जिनके पास ढेर सारा पैसा हो । रोहन बहुत डर गया की वो सौदा पूरा करने में असमर्थ रहा । अब उसे अपने बॉस के गुस्से का सामना करना पडेगा । जब अपनी विफलता को उनके सामने पेश करेगा । वो किसी तरह थोडी हिम्मत जुटाता हुआ अपना से झुकाकर पटेल साहब के ऑफिस में दाखिल हुआ । पटेल साहब एक यूरोपियन क्लाइंट के साथ टेलिफोनिक कॉन्फ्रेंस में व्यस्त थे । उन्होंने रोहन को देखा और हाथ में एक कलम लेकर उसे चेकबुक को टेबल पर रखने का निर्देश दिया । उन्हें पूरा भरोसा था कि रोहन में सौदा तय कर लिया होगा । भला किसी और के बेशुमार पैसे से कुछ खरीदना कोई भी मुश्किल काम नहीं है । रोहन वहीं खडा जमीन को घूर रहा था । चलो कहा है फोन रखते ही पटेल साहब बढ से सर वो अपने होटल को बेचने के लिए तैयार नहीं हैं । रोहन को पटेल साहब के गुस्से का पता था लेकिन उसे सच का खुलासा करना पडा । क्या पटेल साहब ने हैरानी से पूछा बेवकूफ हो तो किसी काम के नहीं हो । क्या तुमने उसे बाजार से दोगुनी कीमत पेश की? क्या तुमने उसे बाजार से तीगुनी कीमत पेश की? अगर उसी मंजूर नहीं तो वो भी तुम्हारी तरह बेवकूफ है । पटेल साहब एका एक हस पडे हमें लोग ज्यादा गुस्सा होने पर हंसने लगते हैं । उसे फोन करो, मैं उससे बात करूंगा । रोहन पटेल साहब की टेबल पर रखे डेस्क फोन से नंबर डायल क्या हाल हो मैं राजेंद्र पटेल पटेल ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बोल रहा हूँ । नमस्ते पटेल साहब आप से बात करके खुशी हुई । कैसे है आप मैथी को? जोशी मेरे पास वक्त की कमी है । हम सीधे मुद्दे की बात पर आते हैं । मुझे आपका होटल किसी भी कीमत पर चाहिए । मैं इसे किसी को उपहार में देना चाहता हूँ । मैं पहले ही वादा कर चुका हूँ, अब समझते क्यों नहीं । पटेल साहब की आवास बात खत्म होने तक ऊंची हो गई थी । जोशी जी पटेल साहब की तुलना में अपनी आर्थिक स्थिति को स्पष्ट रूप से जानते थे । वो जानते थे कि पटेल साहब देश के सबसे अमीर लोगों में से एक है और वह सच में उन्हें होटल के लिए बहुत अच्छी कीमत दे सकते हैं । लेकिन उन्होंने अपने पिताजी की एक मात्र निशानी को बेचने से एक बार फिर से मना कर दिया । लेकिन मैं ऐसे नहीं बेच सकता । पटेल साहब इसके सिवा मेरे पास कुछ नहीं है । ये हमारा पुश्तैनी और प्रतिष्ठित व्यवसाय है । जैसे हम अब कई परसों से चला रहे हैं । मैं से सिर्फ इसलिए नहीं बेच सकता कि आप इसे किसी को उपहार में देना चाहते हैं । जोशी जी ने विनम्र तरीके से कहा, वो पटेल साहब का अपमान नहीं करना चाहते थे । इसके बावजूद पटेल साहब का नाराज होना लाजमी था । आप मुझे शर्मिंदा ना करें । हर चीज की कीमत होती है । आप बस दम बताइए और वह आपको अदा कर दिया जाएगा । नहीं पटेल साहब अब गलत है । हर चीज पर मूल्य का टैग नहीं लगा होता । जिंदगी में कुछ चीजें अनमोल होती है । मेरा जवाब अभी भी नहीं है । जोशी जी ने अपना स्वर फहराया और कॉल काट दिया । ये पटेल साहब के गाल पर एक जोरदार तमाचे की तरह था । वे किसी भी बात के लिए न सुनने के आदी नहीं थे और वो भी एक सामान्य होटल के मालिक से । दुनिया के शीर्ष पचास अमीर लोगों में उनका नाम शुमार होने के नाते वो जब भी कुछ चाहते थे, उन्हें वह सब हासिल कर लेने की आदत थी । सन एक व्यक्ति है जो ये सौदा तय करने में हमारी मदद कर सकता है । रोहन ने कहा, उसके मस्तिष् पर से घबराहट की एक लहर गुजरी । कौन? सिद्धार्थ रॉय सेक्रेटरी ने सिर झुकाए हुए कहा, मैं जोशी जी पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं डाल सकता या किसी गुंडे को नहीं भेज सकता । जोशी जी के खुद ही मंत्रियों के साथ बहुत अच्छे संपर्क हैं । पटेल साहब ने अपने सचिव की बातों को अनदेखा करते हुए कहा, सर सिद्धार्थ न तो कोई नेता है और नहीं कोई गुंडा है । वो एक वकील है । रोहन ने मेज पर से इंडिया टुडे के हालिया अंक को उठाते हुए कहा, मैग्जीन के कवर पेज पर सिद्धार्थ रॉय ॅरियर छपा हुआ था । आखिर एक वकील हमारी मदद कैसे कर सकता है? क्या तुम्हें लगता है कि किसी और की संपत्ति हासिल करना हमारा कानूनी अधिकार है? पटेल साहब ने अपने सेक्रेटरी को हैरानी से देखा सर, ये आदमी पैसों के लिए कुछ भी कर सकता है । चाहे कानूनी हो, ये गैरकानूनी रोहन थोडा ऐसा हकलाते हुए कहा । वो अपने बॉस से नजरें चुरा रहा था । ठीक है कल उसे हमारे ऑफिस बुलाओ । पटेल साहब ने सोचा कि भला एक बार मिलने में क्या हर से माफी चाहता हूँ लेकिन वो किसी के ऑफिस नहीं चाहते हैं । उनसे मिलने के लिए आपको उनके ऑफिस जाना होगा पटेल साहब ने वो वैसी कोहली सर, आप चिंता ना करें । आपकी जो मैं जाकर के उनसे बात करूंगा । रोहन ने अपने बॉस को किसी और के ऑफिस जाने की शर्मिंदगी से बचाने के लिए कहा । नहीं, मैं खुद जाऊंगा । मैं भी इस असाधारण व्यक्ति से मिलना चाहता हूँ । पटेल साहब रोहन के साथ मुंबई के नरीमन पॉइंट में स्थित सिद्धार्थ के कार्यालय में दाखिल हुए । वहाँ की साथ सच्चा इतनी खूबसूरत थी कि देश के शीर्ष रईसों में शुमार पटेल साहब भी मंत्र मुग्ध हो गए । कार्यालय में कदम रखते ही सात सफेद घोडों की एक लाख जवाब ऑयल पेंटिंग दीवार को सजा रही थी । वो सिर्फ एक फ्रेंड या काॅल्स की छपाई नहीं, बल्कि एक अत्यधिक सुंदर हाथों से बनाई गई पेंटिंग थी, जिसे की सबसे अनुभवी कलाकार एमएफ हुसैन ने बनाया था । कलाकार ने अपने काम को बारीकी से किया था, जो पेंटिंग के हर भ्रष्ट रोक से साफ झलक रहा था । गोडे युवा जोश और शक्ति के प्रतीक होते हैं । कुछ भी कर गुजरने की शक्ति सिद्धार्थ अपने ऑफिस में अकेले थे । न कोई गार्ड, न कोई प्राइवेट सेक्टर थी, जो कि उन्हें आने वाली मीटिंग की याद दिलाए । किसी को उसे ये बताने की जरूरत नहीं कि उन्हें क्या करना है । उनके साथ सिर्फ एक इंटर्न था । ऐसा नहीं था कि वो स्टाफ का खर्चा नहीं उठा सकते थे । दरअसल उन्हें जल्दी किसी पर भरोसा नहीं होता था । विजिटर्स के लिए उनके सामने केवल एक ही कुर्सी रखी गई थी, जो दूसरे ऑफिस के मुकाबले अजीब था । ऐसा इसलिए था क्योंकि सिद्धार्थ एक समय में केवल एक व्यक्ति से बात करते हैं । पटेल साहब, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ? पटेल साहब के ऑफिस में आते ही सिद्धार्थ ने पूछा, कोई खास काम तो नहीं है? छोटा सा होटल है, मैं उसे खरीदना चाहता हूँ । पटेल साहब ने अपनी अभिमानी आवाज में कहा, उनके लिए सिद्धार्थ सिर्फ एक छोटा सा था जो लोगों को पैसे देकर बात मनवा सकता था । लेकिन सिद्धार्थ असल में इससे कहीं ज्यादा ताकत रखता था । अगर आप होटल खरीदना चाहते हैं तो आप किसी प्रॉपर्टी डीलर से मिली है । इसमें मेरा क्या काम है? पटेल साहब के बर्ताव से सिद्धार्थ नाराज हुआ जोकि जाहिर सी बात थी । मैं इसके लिए कोई भी कीमत देने को तैयार हूँ । लेकिन वह होटल बेचने के लिए तैयार नहीं है । अच्छा तो ये समस्या है । सिद्धार्थ के दिमाग के घोडों ने तुरंत ही दौडना शुरू कर दिया । सिद्धार्थ ने आत्मविश्वास से कहा चिंता मत करो, वो होटल भेज भी देगा और अब से माफी भी मांगेगा । क्या ऐसा मुमकिन है? बडे साहब चौंक गए । नामुमकिन को मुमकिन बनाना ही तो मेरा पेशा है । ऐसे होटल के लगभग क्या कीमत होगी? सिद्धार्थ ने पूछा इसकी कीमत दस करोड रुपये होगी उससे मुझे फर्क नहीं पडता । पैसों की बात नहीं है । मेरी फीस दिल की आधी कीमत होगी । सिद्धार्थ ने अपनी शर्त रखी पडे साहब के बिना कुछ कहे सिर हिला दिया । आपको भूख लगी होगी । चलिए कहीं अच्छा लंच किया जाए । सिद्धार्थ ने कहा सिद्धार्थ पटेल साहब के साथ उनकी टॉप मॉडल गाडी की पिछली सीट पर बैठ गया । रोहन ने भी बैठने की कोशिश की लेकिन सिद्धार्थ ने रोक दिया । होटल अरोमा चलो सिद्धार्थ ने ड्राइवर से कहा, रेस्तरां ग्राहकों से खचाखच भरा हुआ था क्योंकि ये दोपहर के भोजन का समय था । उन्होंने दस हजार वर्गफुट के रेस्त्रा के आकर्षक और वातानुकूलित हॉल के बीच में एक टेबल लिया । ऊंची छत वाला ये रेस्ट हो एक मशहूर जापानी वास्तुकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर बनाया गया था । पियानों से निकलती अव्वल दर्जे के दोनों ने समा बनाया हुआ था । ये पहली नजर में पटेल साहब को पसंद आने लायक जगह थी । उन्होंने वेटर को मीनू लाने के लिए कहा । इसमें लगभग सभी देशों के सबसे बेहतरीन रंजन थे फॅमिली । उन्होंने मेनकोर्स में चिकन ऑर्डर किया । बीस मिनट लगेंगे सर क्या आपको और कुछ चाहिए? जाने से पहले बेटे ने पूछा हाँ मुझे रखना चाहिए । पटेल साहब ने कहा जी सर, बेटर घबरा गया, कुछ नहीं अब आप जा सकते हैं । सिद्धार्थ ने कहा और बात खत्म की । थोडी देर बातें करने के बाद पटेल साहब कॉलेज चले गए । उनके आते तक वेटर ने आयातीत इतालवी क्रॉकरी ने खाना परोस दिया था । सिद्धार्थ और पटेल साहब ने माहौल से मिजाज मिलाते हुए व्यापार और राजनीति पर बातचीत के बीच में खाना शुरू किया । वहाँ भोजन कर रहे बाकी लोग भी बडे व्यापारी थी । उनमें से कुछ पहले से ही पटेल साहब को निजी तौर से जानते थे । थोडा खाना खाने के बाद अचानक ही पटेल साहब दर्द से करहा उठे । उनके मुझ से थोडा सा खून भी निकल आया । होटल का सारा स्टाफ भागता हुआ उन तक पहुंचा । भोजन में कांच के छोटे टुकडे थे जो पटेल साहब के मुझ से निकले जिनकी वजह से उनका मूवी दर से कट गया था । पटेल साहब चिल्ला रहे थे कुछ ही पल में कई लोग और लगभग सहारा होटल स्टाफ वहाँ जमा हो गया । मैं छोडना नहीं तुम लोगों को इस होटल पर मुकदमा करूंगा । मैं इस होटल को आज मैं बंद करवा के रहूंगा तो लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो । पटेल साहब देश के बडे व्यापारी है और आपने उनका मु काट दिया । मैं अभी पुलिस को बुलाकर रेस्तरां सिल करवाता हूँ । सिद्धार्थ चलाया होटल के मालिक जोशी जी स्थिति को संभालने के लिए अपने वातानुकूलित कार्यालय से निकल कर आए । जैसे मैनेजर ने उन्हें सूचना दी । कुछ मीडियाकर्मी पहले से ही सिद्धार्थ के शारिका इंतजार कर रहे थे ताकि वे आकर के हालत को और संगीन बना सके । पंद्रह मिनट के भीतर सिद्धार्थ ने वहाँ ऐसा माहौल बना दिया । मानव किसी का कत्ल हुआ हूँ । साफ तौर से ये एक लापरवाही का मामला है । अब रेस्ट चलाना नहीं जानते । सिद्धार्थ ने कहा जोशी जी ने पटेल साहब से हाथ जोडकर माफी मांगी । सिद्धार्थ उठा और उनके कान में फुसफुसाया । आपको याद है कि पटेल साहब ने कल आपको एक डील ऑफर की थी । वो ऑफर अगले दस मिनट के लिए उपलब्ध है । यहाँ तो भेज दीजिए या में ये पक्का कर दूंगा की अदालत इसे बंद कर दें । चुनना आपको है । दोनों ही सूरत में आप इसे खो देंगे । जोशी जी के माथे पर से रिश्ता हाँ, पसीना इस बात का सबूत था कि वो इस सौदे के लिए तैयार थे । उन्होंने समझदारी से निर्णय लिया । आखिर बिना ग्राहकों वाला रस्त्रां होने से पैसे होना कहीं बेहतर है । इसके लिए मुझे बलि का बकरा बनाने की क्या जरूरत थी? फैसला से बाहर आकर पटेल साहब ने सिद्धार्थ से गुस्से में कहा, अगर तुम्हारी यही योजना थी तो मैं अपने किसी भी आदमी को अपना मुकाम पाने के लिए कह सकता था । वह अभी भी दर्द से तडप रहे थे । आप मशहूर है आपके मुझ से निकलने वाले खून का, सराब के किसी भी आदमी के मुकाबले बहुत अधिक होगा । ये जख्म तो एक सप्ताह से भी कम समय में भाग जाएगा और आपने कहा था कि आप उस होटल के लिए कोई भी कीमत अदा करने को तैयार है । बडे साहब गाडी की पिछली सीट पर बैठ गए और खिडकी बंद कर दी । उस सिद्धार्थ से परेशान थी और सिद्धार्थ उनकी दुर्दशा के मजे ले रहा था । मेरी पेमेंट बेचना ना भूले आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई । सिद्धार्थ ने ऑफिस पहुंचकर कार से निकलते हुए कहा पडे साहब ने जवाब नहीं दिया । कुछ गुस्से से और कुछ मूख्य दर्द के कारण । सर बहुत बुद्धिमान है । आपके सौदा भी कर लिया और पटेल साहब का मूवी का दिया सिर्फ इसीलिए की आपके प्रति उनका पडता ठीक नहीं था । आपने एक तीर से दो निशाने लगा दिए । सिद्धार्थ के प्रशिक्षु तथा सचिव आकाश ने कहा