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7. Bazi Palat Gayi in  |  Audio book and podcasts

7. Bazi Palat Gayi

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मिलिए सिद्धार्थ से, एक अच्छा वकील लेकिन एक बुरा इंसान। मिलिए राहुल से, एक अच्छा इंसान लेकिन एक बुरा डॉक्टर। और मिलिए शुचि से, एक अच्छी इंसान और एक बाकमाल डॉक्टर। शुचि सिद्धार्थ को एक अच्छा इंसान और राहुल को एक अच्छा डॉक्टर बनाना चाहती थी लेकिन मुंबई में हुए बम विस्फोट ने उनकी ज़िन्दगियों को उलट दिया। सुनें इस क्रांतिकारी कहानी को यह जानने के लिए कि कैसे सिद्धार्थ अदालत से एक अनोखी जनहित याचिका पारित करवाता है और कैसे राहुल एक बहुत अनोखी सर्जरी करने में कामयाब होता है उस लड़की को बचाने के लिए जिससे वो प्यार करते हैं। Follow Arpit Agrawal to get updates on his next book. • Facebook – arpit194 • Instagram – arpit1904 Voiceover Artist : Ruby Producer : Kuku FM Author : Arpit Agrawal
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सात वाॅटर उस दिन अदालत, वकीलों और मीडिया संवाददाताओं से खचाखच भरा हुआ था । हर कोई ये जानने के लिए उत्सुक था कि बारटेंडर के सर पर किसने मारा है । अदालत की भीड इस बात की गवाह ही की कैसे लोग खुद से ज्यादा दूसरों की जिंदगी में दिलचस्पी रखते हैं । हालांकि की सभी के लिए साफ था हर कोई अंदाजा लगा सकता था कि विधायक के बेटे ने ही अपराध क्या होगा । उस दिन बारटेंडर को अदालत में मुकदमे की सुनवाई के लिए खुद आना था और मुजरिम को पहचान करके सलाकों के पीछे भिजवाना था । निहारिका दिन जैसा कि मीडिया कह रही थी । तेज सायरन बजाते हुए एंबुलेंस अदालत के सामने पहुंची । अस्पताल के दो कर्मचारी सफेद टोपी और सफेद वर्दी पहने हुए बारटेंडर को स्ट्रेचर पर अदालत के भीतर ले जा रहे थे और कुछ पुलिस कांस्टेबल भीड को हटाकर के उनके लिए रास्ता बना रहे थे । ब्लॅक साधारण पीले रंग की शर्ट और काले रंग की पैंट पहनी हुई थी । ये उसके सबसे अच्छे कपडे थे । आखिरकार सभी अखबारों में उनकी तस्वीरें छपनी थी । उसे सीधे अस्पताल से लाया गया था । उसका चेहरा सूजा हुआ था और आंखि सुस्त थी । जैसे वो लम्बे ऐसी से सोया ही ना हो । समाचार संवाददाताओं की तस्वीरें लेने के लिए गुड में मक्की की तरह जमा थे । एक आम आदमी के लिए इस तरीके से मीडिया की नजर में आना उसकी उम्मीद से कहीं ज्यादा था । हर कोई वहाँ पर सिद्धार्थ को पहली दफा हारते हुए देखने के लिए एकदम तैयार था और अगर वह जीता भी है तो आखिर कैसे? ये एक रोचक विषय था । बारटेंडर बिना किसी सहायता के चलने में सक्षम था लेकिन उसकी सेहत का ध्यान रखते हुए उसे चलने की इजाजत नहीं थी । वो डॉक्टर की निगरानी में ही न्यायालय के भीतर ले जाया जा रहा था । अदालत में सुनवाई से एक दिन पहले ही सिद्धार्थ को अस्पताल से छुट्टी मिल गई तो कुछ ही देर में कोर्ट पहुंच और विधायक से मिला । क्या जस्टिस मेनन आज इस मामले की सुनवाई कर रहे हैं? सिद्धार्थ ने पूछा, लंच के दौरान रिश्वत लेने के असफल प्रयास के बाद सिद्धार्थ नहीं चाहता था कि वो अब इस मामले की सुनवाई करेगी । वो कम हो गया । उन का दूसरे विभाग में तबादला हो गया । अब वो किसी भी हत्या के मुकदमे की सुनवाई नहीं करेंगे । वही कुमाऊ जनहित याचिका समिति के प्रभारी है । ये एक प्रकार की समाजसेवा है । सिद्धार्थ ने सिर हिलाया और कुछ कहा नहीं । उसने अपने तक सीटों के साथ मेल खाती हुई काले रंग की ट्राई को ठीक किया । सरकारी वकील ने कुछ क्रूर लेकिन आत्मविश्वास से भरे शब्दों के साथ मुकदमा शुरू किया । एक तरह से उसने संदिग्ध को दोषी ठहराते हुए जज की घोषणा किए बिना ही सजा का ऐलान कर दिया था । माय लॉर्ड आज न्याय का दिन है । आज हमारे साथ खुद बारटेंडर सच्चाई बताने के लिए मौजूद है । शायद ही सुनवाई की आखिरी तारीख है । आज हम अदालत के समय को बर्बाद किए बिना मुजरिम को सलाखों के पीछे भेजेंगे । उसने दावा किया बिचारा बारटेंडर अपनी पत्नी के साथ दर्शकों में बैठा था । मालौट पीडित को कटघरे में बुलाने की अनुमति चाहता हूँ ताकी वो बता सके कि उस रात बार में आखिर क्या हुआ था । इजाजत है नियुक्त हुए नए जितने अनुमति दी विधायक नए जज को फिर से खरीदने का जो कि नहीं उठा सकता था । अगर दोबारा कुछ गलत हुआ तो वो उसे अबकी बार बदल नहीं सकता था । काफी टांगों से चलकर बारटेंडर कटघरे तक पहुंचा । आधा कत्ल खतरनाक होता है । अगर करंट एक और बॉटल उस बारटेंडर के सर पे दे मारता तो उसका कत्ल कर देता हूँ तो ये मुकदमा लडना । शायद सिद्धार्थ के लिए और भी आसान होता । कोई सबूत या गवानी बचता और सबूतों की कमी होने की वजह से सिद्धार्थ उसे बचा लेता । लेकिन अब बारटेंडर खुद ही गवाई दे सकता था । विधायक और करन डर की वजह से अपने नाखून चला रहे थे । विपक्षी वकील का विश्वास देखकर भी अच्छे थे । एक नजर उन्होंने सिद्धार्थ को देखा जो अपनी जगह पर शांति से बैठा था । ये सब क्या चल रहा है? क्या इसके इसके लिए तैयार है? विधायक सिद्धार्थ और झुक करके फुसफुसाया सिद्धार्थ ने सिर्फ हाँ में सिर हिलाया । आप कुछ करके दे रहे हैं भला मैं क्या कर सकता हूँ । जो कुछ भी होगा अपने आप ही होगा । आप आराम से देखते चाहिए । सिद्धार्थ ने कहा विधायक के लिए ये सब समझना बहुत मुश्किल था । वो लगभग चलाया क्या देखते जाओ क्या सब कुछ अपने आप ही होगा? हाँ, सिद्धार्थ ने मुस्कुराकर कहा, विधायक के पास इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं था । विपक्षी वकील फाइल और एक अटैची के साथ पूरी तैयारी करके आया था । वकील ने करन को दूसरे कटघरे में बुलाने की इजाजत मांगी ताकि बारटेंडर अपराधी को आसानी से पहचान सकें । गुजरात के बारे में अदालत को बताएं । सरकारी वकील ने बारटेंडर को देखकर पूछा ऍम थोडी देर के लिए चुप हो गया । ऐसा लग रहा था कि वो याद करने की कोशिश कर रहा है कौनसी राज सर । उसने विनम्रता से पूछा, जिस रात आपके सिर पर चोट लगी, क्या आपको कुछ याद है? उस रात? हाँ मैं ग्राहकों को सर्व कर रहा था । जब करण बाबा अपने दोस्तों के साथ शराब पीने हमारे बारे में आए । मैंने उन्हें ड्रिंक्स क्या? वो हमारे बार में अक्सर आते हैं । वो हमारे मालिक के दोस्त हैं । हमें समय होने पर काउंटर बंद कर दिया । वो देर रात मेरे पास और ड्रिंक्स मांगने आई । मैंने विनम्रता से कहा कि बार बंद हो गया है और हम आपकी और सेवा नहीं कर सकते हैं । बारटेंडर चुप हो गया । वो अभी भी अपने सिर में दर्द महसूस कर रहा था । फिर क्या हुआ? अदालत को बताइए कि आगे क्या हुआ? सिद्धार्थ के खिलाफ मुकदमा जीतने और अगले दिन सुबह हर अखबार में छपे अपने फोटो को देखने का एक मंजर सरकारी वकील की आंखों में भर गया । एक बाल के लिए सारा सामान हंसा गया । सभी जगह शांति थी । टाइप राइटर ने टाइप करना बंद कर दिया । घडी टिक टिक करना बंद कर दिया और उस बारटेंडर को सुनने के लिए हर किसी ने अपनी सांसे थाम ली थी । ये निर्णायक क्षण था । हर कोई बारटेंडर को घूर रहा था । बारटेन्डर ने सिद्धार्थ को देखा जो की अपनी सीट पर आराम से बैठा था । उनकी आंखें लगभग आधे मिनट के लिए मिली । कोई भी आपने बल्कि झुकाने को तैयार नहीं था । ड्रिंक सव करने से इनकार करने के बाद क्या हुआ? सरकारी वकील ने ऊंची आवाज में पूछा, मेरे ना कहने के बाद बाबा मान गए और अपने दोस्तों के साथ वहाँ से चले गए । सरकारी वकील विश्वास नहीं कर पा रहा था कि उसने ये क्या सुना । सभी लोग हैरान रह गए । न करण को विश्वास हुआ ही । विधायक को सिद्धार्थ ने विधायक को देखकर के आंख मारी । विधायक ये तो नहीं जानता था कि सिद्धार्थ ने ये कैसे किया लेकिन वो ये जरूर जानता था कि ये सब सिद्धार्थ की वजह से ही हो रहा है । फिर आपके सिर में गंभीर चोट कैसे लगी? अगर उसने आपको नहीं मारा तो फिर किसने मारा? ये चोट सिर्फ एक दुर्घटना थी । असल में मैं फर्श पर फिसल गया क्योंकि मैंने फर्श पर पडे एक बर्फ के टुकडे पर पैर रख दिया था या क्या कह रहे हैं । देखिए, किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है । कानून आपके साथ है । कोई आपका कुछ नहीं बिगाड सकता । अदालत को सच्चाई बताइए, हम आपको इंसाफ दिलाएंगे । उत्तेजित होकर के सरकारी वकील ने कहा, ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके पहले तले जमीन खींचती हूँ । मुझे जो कुछ कहना है मैं पहले ही कह चुका हूँ । कम आवाज में बारटेंडर ने कहा और जमीन की तरफ देखा । उसकी आवाज में पछतावा था । नई जिसके लिए फैसला सुनाना मुश्किल नहीं था । उन्होंने करण को बाइज्जत बरी किया और मामले को एक दुर्घटना लिखते हुए खारिज कर दिया । न्याय आखिरकार अंधा होता है । विधायक और करण ने हाथ जोडकर सिद्धार्थ का आभार व्यक्त किया । सिद्धार्थ ऐसे ही के सुलझाता है । मानो उसके पास कोई जादुई शक्ति हूँ जैसे वो किसी को भी सम्मोहित कर सकता है । मानव सुपरमैन हो, भले वो न्याय के पक्ष में खडा हो या अन्याय के मदर जीत हमेशा उसी के पक्ष में होती है । तुम नहीं कैसे क्या विधायक ने आश्चर्य से पूछा । वो ये जानने के लिए उत्सुक थी कि सिद्धार्थ ने बारटेंडर को कैसे अपनी तरफ क्या । मैं उसे अस्पताल में भर्ती हुआ जहां बारटेंडर को भर्ती किया गया था । क्या आपको लगता है कि ये सिर्फ एक संयोग था? विधायक ने खुशी से तेज आवाज में कहा, तुम कमाल के आदमी हो । मैं अस्पताल में उसकी पत्नी से मिला । मैंने उसे दो विकल्प दिए या तो उसका पति अस्पताल के बिस्तर में मर जाएगा जो ऐसा लगेगा जैसे डॉक्टरों से बचाने पाई या फिर वो अदालत में जिंदा पहुंच सकता है और बयान दे सकता है कि ये एक दुर्घटना थी । मैंने उसे ये भी बताया कि आप उस अस्पताल के मालिक है और आपके लिए उसके पति को मारना के तरफ अजान है । वो मेरी बात सुन कर के मान गयी । वो अपना फैसला न बदल दे । इसीलिए मैंने उसे पांच लाख रुपये देने का वादा भी किया । तो न्याय को खानी सकते । न्याय मिलने के बाद आखिर तुम्हारा पति करेगा क्या? क्योंकि नौकरी से तो निकाल दिया जाएगा हूँ । ये सिर्फ आमिर ज्यादे कि छोड किसी गलती है । इसे और लम्बा खींचना ठीक नहीं है । वो बुद्धिमान थी । उसने सौदा करने में ज्यादा वक्त बर्बाद नहीं किया और किसी भी तरह से होश में आने पर अपने पति को मना लिया । अब उस बारटेंडर को पैसे भेज देना । मैं बईमानी का काम भी पूरी ईमानदारी के साथ करता हूँ । सिद्धार्थ ने कहा

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मिलिए सिद्धार्थ से, एक अच्छा वकील लेकिन एक बुरा इंसान। मिलिए राहुल से, एक अच्छा इंसान लेकिन एक बुरा डॉक्टर। और मिलिए शुचि से, एक अच्छी इंसान और एक बाकमाल डॉक्टर। शुचि सिद्धार्थ को एक अच्छा इंसान और राहुल को एक अच्छा डॉक्टर बनाना चाहती थी लेकिन मुंबई में हुए बम विस्फोट ने उनकी ज़िन्दगियों को उलट दिया। सुनें इस क्रांतिकारी कहानी को यह जानने के लिए कि कैसे सिद्धार्थ अदालत से एक अनोखी जनहित याचिका पारित करवाता है और कैसे राहुल एक बहुत अनोखी सर्जरी करने में कामयाब होता है उस लड़की को बचाने के लिए जिससे वो प्यार करते हैं। Follow Arpit Agrawal to get updates on his next book. • Facebook – arpit194 • Instagram – arpit1904 Voiceover Artist : Ruby Producer : Kuku FM Author : Arpit Agrawal
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