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नवाज एक्टर सिद्धार्थ कार की पिछली सीट पर बैठकर दुनियो ज्यूरिस्ट पड रहा था जो दुनिया की सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय कानून पत्रिका है । आकाश ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठा था । अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सिद्धार्थ अक्सर डॉक्टर सूची को याद किया करता था । शूज उसके दिमाग में छाई रहती थी और ये सिद्धार्थ की गलती नहीं थी । सूची का आकर्षण था ही जादुई जिसने उसे प्रभावित किया था वो फिर से सूची से मिलने के लिए उस अस्पताल में जाने का बहाना सोच रहा था । अब समय था की वो अपने लिए एक अच्छी लडकी की तलाश करें और शादी कर ले भी अदालत जा रहे थे जब सिद्धार्थ ने सडक पर एक गुंडे को किसी कमजोर युवक को पीते हुए देखा । कुछ गाडिया और पैदल यात्री अन्याय की अनदेखी करके सडक पर चले जा रहे थे । सिद्धार्थ भी उसे अनदेखा कर के आगे चल दिया । कुछ दूर जाने के बाद उसके दिमाग में कुछ आया और उससे ड्राइवर से कार को पीछे लेने को कहा । वो फिर घटनास्थल पर पहुंचा । गुंडे अभी भी लडके को पीट रहे थे । क्या हो रहा है वहाँ छोटों से वो कार से बाहर निकलकर तेज आवाज में चलाया । सिद्धार्थ को देखकर गुंडे डर गए और वहाँ से भाग निकले । सिद्धार्थ जख्मी लडके के पास गया । वो डर के मारे कांप रहा था । लडके ने कुछ नहीं कहा । उसके शरीर से खून बह रहा था जिससे उसकी कमीज पर खून के धब्बे बन रहे थे । आकाश ने सिद्धार्थ किस नरम होने को पहले कभी नहीं देखा था । सिद्धार्थ एक खास क्लाइंट से मिलने के लिए अदालत जा रहा था । फिर भी वो जरूरतमंद को बचाने के लिए रुक गया । आकाश ऍम से मिलने जाओ । मैं ऐसे अस्पताल में जाऊंगा । सिद्धार्थ ने आकाश को आदेश दिया और लडकी को लेकर के कार की तरफ बढा । आकाश को यकीन नहीं हुआ कि उसने क्या सुना । उसने कभी नहीं सोचा था कि सिद्धार्थ मुफ्त में एक गरीब की मदद करेगा । वो पता नहीं लगा सका की इसके पीछे सिद्धार्थ का इरादा क्या था । आकाश को लगा कि सोचते रहने से पूछना बेहतर है और उसने कहा आप इस गरीब बच्चे के लिए अपना वक्त क्यों पर बात करना चाहते हैं । आपको मीटिंग में जाना चाहिए और मैं उसे अस्पताल ले जाऊंगा । अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल मत करो । जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही करूँगा । सिद्धार्थ ने आप बबूला होकर कहा वो अपने जूनियर के साथ बहस नहीं करना चाहता था । सिद्धार्थ आकाश को सडक के किनारे छोडकर उस लडके के साथ अपनी कार में चला गया । उसमें पीडित लडके को कार की अगली सीट पर बैठने के लिए कहा और खुद पीछे की सीट पर आराम से बैठ गया । कॅरियर फाउंडेशन चलो सिद्धार्थ ने ड्राइवर को हुक्म दिया । वहाँ आस पास कई दूसरे अस्पताल थे फिर भी उसने ड्राइवर को केवल ऍम फाउंडेशन ले जाने के लिए कहा । शायद सुधार तो से सबसे अच्छी चिकित्सा मुहैया कराना चाहता हूँ । लडका अस्पताल पहुंचने तक बेहोश हो गया । शुचि मेरे साथ एक मरीज है जिसे फौरन मदद की जरूरत है । मैं उसे लेकर अस्पताल के बाहर खडा हो तो जल्दी आओ । सिद्धार्थ ने अस्पताल के बाहर पहुंचते ही सूची को फोन किया । हो सकता है कि सिद्धार्थ के उस अस्पताल में जाने का एकमात्र कारण उस लडके का बेहतर इलाज नहीं था । सूची स्टेशन और कुछ विशेषज्ञों के साथ अस्पताल से बाहर आई । इसे क्या हुआ आपको ये कहा मिला रोक का कारण पूछना डॉक्टर के लिए जरूरी है ताकि वो उसके अनुसार इलाज कर सके । मैंने से सडक किनारे पाया कुछ गुंडे से पीट रही थी । सिद्धार्थ ने सूची को थोडी डिंग हफ्ते हुए बताया कि कैसे उसने एक लडकी को अन्याय से बचाया । सूची ने खून बहना रोकने के लिए उसके घावों की पत्ती की और उसे होश में लाने के लिए उसके चेहरे पर पानी छिडका । अब तुम कैसा महसूस कर रहे हो शूटिंग इस लडके के होश में आते ही पूछा कौन लोग तो में पेट रहे थे? सिद्धार्थ ने पूछा । शुचिः ने उसके स्वास्थ्य के बारे में पूछा लेकिन सिद्धार्थ उन गुंडों के बारे में चिंतित था जो उसे पीट रहे थे । यही डॉक्टर और एक वकील के बीच का अंतर है । घायल लडके ने जवाब दे दिया । वो सूजी और बाकी सभी को घूरता रहा । जैसे कि वो उनकी भाषा समझ नहीं पा रहा हूँ । तुम्हारा नाम क्या है? शुचि ने फिर से उसे बात करने की कोशिश की । वो अभी शांत रहा । उसका ये आॅयरन सिद्धार्थ को स्वीकार नहीं था । मुझे लगता है तुम कोई खूनी चोरिया अपराधी हो । अगर तो मुझे एक मिनट में अपने बारे में नहीं बताओगे तो पुलिस को फोन करूंगा । सिद्धार्थ गुस्से से चलाया । जब प्यार से कम ना बडे तो क्रोध आ पाए । वो बिखर गया और रोने लगा । मेरा नाम भोला है । उसने नजरे बचाते हुए जवाब दिया कौन लोग तो पीट रहे थे क्या तो मुझे जानते हो? सिद्धार्थ ने फिर से पूछा तो ढाबा मालिक का बेटा है जहाँ में काम करता था और उसके दोस्त हो तो मैं क्यों पीट रहे थे? मैं बनाती हूँ और अपने जीवन यापन के लिए मैं सडक के किनारे एक छोटे से ढाबे में काम करता था । मैं वहाँ बेटर के रूप में काम करता था और अगर चाय वाला न आए तो कभी कबार चाय भी बनाता था । रसोई में बर्तन साफ करना भी मेरी जिम्मेदारी थी । मुझे महीने के पांच सौ रुपये और उसका बचा हुआ खाना मिलता था । शुर्खियों सिद्धार्थ ने उसकी बात सुनकर एक दूसरे की और देखा । वह बहुत खराब परिस्थितियों में रह रहा था और उसे जितना मिलना चाहिए था उसे बहुत कम भुगतान मिलता था । यही प्राथमिक कारण है कि अमीर और अमीर हो रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहे हैं । मैं किसी भी तरह भोजनालय में अपना काम कर रहा था । जब एक दिन निराशा की सारी हदें पार हो गई । बातचीत के बीच बोला, चुप हो गया । उसके लिए वो काला दिन याद करना बहुत कठिन था । शूज उसके लिए गिलास पानी लियाई । वह एक घूट लेने के बाद फिर से बोला, एक दिन होटल का मालिक किसी काम के लिए दूसरे शहर गया । उसमें तिजोरी की चाबी जहाँ उसका सारा पैसा रखा था, अपने इकलौते बेटे को सौंप दिया । उस दिन ढाबे की देखभाल करने के लिए बस हम दोनों ही बच्चे थे । मैं ग्राहकों की सेवा और बाकी सभी काम कर रहा था । जब मैंने देखा कि उनका बेटा तिजोरी से पैसे निकालकर अपनी जेब में रखा था । वो अपना घर लूट रहा था । मैंने रसोई की खिडकी से उसकी इस बीच हरकत को देखा । मैंने इसे अनदेखा करने का फैसला किया और अपने काम में लगा रहा । मैंने सोचा कि मैं उनके पारिवारिक मामले में क्या बोल सकता हूँ । जात में मैं हमेशा की तरह लकडी की खाट पर होटल के बाहर सोया था । मालिक शहर से देर रात वापस आया । उसने शहर से मिले पैसों को रखने के लिए लॉकर खोला । उन्हें तुरंत पता लग गया कि सुबह उनके पास मौजूद नकदी गायब थी । हालांकि लॉकर खाली नहीं था पर नोटों का बंडल कम था । आप बबूला होकर के उस आदमी ने अपने बेटे से लापता बंडल के बारे में पूछा । मुझे नहीं पता पिताजी मैंने ध्यान नहीं दिया । मैं दिन में लंच के लिए रसोई के अंदर गया तो मैं दराज को बंद करना भूल गया था । हो सकता है बोला नहीं चुराया हूँ । उसके बेटे को डर लग गया और बहुत भोलेपन से उसने अपनी गलती के लिए मुझे दोषी ठहराया । सोते हुए मेरे गाल पर एक कस के थप्पड लगा । मालिक भडक गया । उसने मुझसे कुछ नहीं पूछा । बस आया और मुझे पीटना शुरू कर दिया । अपना किस्सा सुनाते हुए बोला, फिर से होने लगा । उसके शरीर पर घाव और चोरी के झूठे आरोप उसे राहत कर रहे थे । वो छोटे से मानसिक आराम के बाद आगे बोला, मैंने उनके हमले का विरोध करने की कोशिश की लेकिन में कर नहीं सका । एक बडा आदमी मुझे मार राठौर में उसे रोकने में असक्षम था । क्या हुआ से जी कम से कम मुझे तो बताइए । मैंने हाथ जोडकर विनती की लेकिन उसने कोई दया नहीं दिखाई । रोज के कारण वो उग्र व्यक्ति अपने आपे से बाहर चला गया । ताजुब के इस बात का है कि उन्होंने मुझे अपनी मानवीय आक रात मकता का कारण बताना भी जरूरी नहीं समझा । उनके इस घिनौनी हरकत में मुझे झकझोर कर रख दिया । कुछ और मिंटो के बाद आखिरकार उसने मुझे पीटना छोड दिया और पूछा तुम्हें पैसे कहा रखे हैं । शायद वो मुझे पीते हुए थक गया । कुछ ही समय में मुझे पूरा मामला समझ में आ गया । मैंने पैसे नहीं चुराए हैं । ये काम आपके बेटे ने किया है । मैंने उसे खिडकी से पैसे चुराते हुए देखा था । मैंने अपने बचाव में जवाब दिया भलाई पिता नौकर से कैसे हो सकता था कि उसका बेटा चोर है । उन्होंने मुझे कुछ और थप्पड मारे और कहा यहाँ से निकल जाओ । अब तो यहाँ काम नहीं करोगे । इस बीच उसका बेटा दौडता हुआ बाहर आया और कहा कि पिताजी ये देखिए, मुझे उसके बैग में क्या मिला । नोटों का गायब बंडल इसके बैग में कपडों के नीचे मिला । उसका क्रूर बेटा पकडे जाने से डर गया होगा और मेरे बैग में नोटों की गड्डी रखती और मुझे अपने कूकर मिल के लिए दोषी ठहरा दिया । मुझे आधी रात को वहाँ से निकाल दिया गया । मैंने रात किसी भी तरीके से पास के बस स्टॉप की बैंच पर बिताई । एक लंबी सांस लेकर के भोला ने अपनी कहानी खत्म की । लेकिन आज सुबह मालिक का बेटा तुम को फिर से क्यों पीता था? सिद्धार्थ ने पूछा वो मुझे धमकी दे रहा था कि मैं उसका नाम दोबारा ना आलू और पुलिस के पास नहीं हूँ । उस ने ये भी कहा कि मेरे पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और अगर मैं पुलिस से संपर्क करूंगा तो मुझे ही गिरफ्तार किया जाएगा । हालांकि वो सही था भरा पुलिस मालिक की बेटी की जगह नौकर के बाद क्यों सुनेगी? शुचिः ने से नहलाया । वे सभी असहाय थी । अगर बोला चोरी होते देखते ही पुलिस के पास पहुंचता तो उन्होंने कुछ क्या होता । लेकिन अब कोई गरीब की नहीं सुनेगा तो तुम सही कह रहे बोला कोई भी मालिक के बेटे के खिलाफ किसी गरीब पर भरोसा नहीं करेगा । शुचि ने कहा, वो दुखी लग रही थी । पुलिस एक गरीब बच्चे की बात नहीं सुनेगी, लेकिन उन्हें सिद्धार्थ रॉय की बात सुन्नी पडेगी । सिद्धार्थ ने अपनी चुप्पी तोडी । चिंता पद करूँ, मैं उस ढाबा मालिक को जल्द ही गिरफ्तार करवा दूंगा । हाँ, ये बिल्कुल सही रहेगा । शिवजी ने खुश होकर के कहा । शुचि को खुश होता देखकर की सिद्धार्थ भी बहुत खुश हो गया । सिद्धार्थ ने अपना बटुआ खोला । बोला को दो हजार रुपये का नोट देते हुए कहा ये रख लो, तुम्हारे काम आएगा । बोला ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया, शमा करें श्रीमान, मैं आपसे ये धन स्वीकार नहीं कर सकता । मैं इस पैसे से एक हफ्ते या फिर एक महीने तक जीवित रह सकता हूँ । लेकिन उसके बाद क्या होगा? मैं अपना पूरा जीवन आपसे पैसे नहीं ले सकता । मुझे आपके पैसे या न्याय की आवश्यकता नहीं है । मुझे काम चाहिए तो बिल्कुल सही कह रहे बोला शुचि ने कहा तो मैं एक नौकरी ढूंढ नहीं होगी । एक अच्छी नौकरी जहाँ लोग तुम पर भरोसा करें तो कितना पढे हुए हो? मुझे बताओ । मैं अच्छी नौकरी पानी में तुम्हारी मदद करेंगे । बोला कोई सवाल थोडा अजीब लगा । चुप रहना उसके पास सबसे अच्छा जवाब था । अनाथ बच्चे स्कूल नहीं जाते । उनकी फीस भरने के लिए उनकी पापा नहीं होते हैं । बोला कि कुछ कहे बिना ही सोची समझी उस सोच समझकर पांच मिनट के बाद अपना फोन उठाती है और एक नंबर डायल करती है । उसके चेहरे के परिवर्तित भाव से ये स्पष्ट था कि वह बोला को नौकरी जरूर दिलवाएगी । नायक जी, आपने पिछले हफ्ते मुझसे कहा था कि आपको एम्बुलेंस के लिए स्ट्रेचर उठाने के लिए एक आदमी की जरूरत है । अभी तक कोई मिला क्या? शुचि ने पूछा जैसी उसने फोन किया? नहीं सूची वाडी इन दिनों हम भरोसे बंगलो कहाँ हो सकते हैं । हमारा काम लोगों के जीवन को बचाना है और अब जोखिम नहीं उठा सकते हैं । हमें से लोगों की जरूरत है जो कभी छुट्टी ना ले और समर्पण के साथ काम करें । एंबुलेंस के ड्राइवर और संरक्षक नायक जी उन के काम में आने वाली परेशानियां गिना रही थी कि तभी सोची नहीं टोका और कहा कि मुझे लडका मिल गया है । मैं उसे आप के पास भेज रही हूँ । अब तुम थोडा आराम करना तो भारी । जख्म ठीक होने के बाद मैं नायक जी के पास बीच में और वो तो मैं अच्छा वेतन भी देंगे । शुचि ने कहा भोला खुल करके मुस्कराया । शायद बहुत दिनों के बाद राहुल अपने मरीजों का रूटीन चेकअप करने के बाद वहां पहुंचा । हाई राहुल शुक्ला ने उसे देख कर कहा उसकी आंखों में जाती चमक थी । राहुल सिद्धार्थ से मिलो और सिद्धार्थ राहुल से मिले । शूटिंग दोनों को मिलवाया हो तो ये है वकील जिसकी सूची तारीफ करती रहती है । राहुल ने सोचा और मिलने के लिए हाथ बढाया । ये सूची का कोई साथ ही डॉक्टर होगा । सिद्धार्थ ने सोचा और हाथ मिलाया । दोनों एक दूसरे की आंखों में आंखें डाले घूम रहे थे । उन में से कोई भी दूसरे को नहीं देखना चाहता था । मैंने सुना । आप कचेहरी में बेहोश हो गए थे । राहुल ने उसे चुराते हुए पूछा, हाँ, बहुत अच्छा हुआ जो में बेहोश हो गया था । सिद्धार्थ ने जवाब दिया, अच्छा भला बेहोशी अच्छी कैसे हो सकती है? मैंने आश्चर्यचकित होकर पूछा अगर मैं बेहोश ना हुआ होता तो आप जैसे अद्भुत डॉक्टर से कैसे मिलता? सिद्धार्थ ने ये कहते हुए सूची की और देखा वैसे अब आप कैसे हैं? शिव जी ने पूछा मैं ही क्यों नहीं होंगा? आखिरकार इतनी अद्भुत डॉक्टर नहीं मेरा इलाज किया है । सिद्धार्थ नहीं । सूची को फिर देखते हुए कहा मैंने कुछ नहीं किया । आप ठीक थे जब यहाँ भर्ती किए गए थे । शुचि शर्मा गई । राहुल अंदर ही अंदर जल रहा था । उसे पता था कि सिद्धार्थ सूची के साथ पूरी तरह से फ्लर्ट कर रहा था । लडकी भले ही लडकियों को समझना सकी लेकिन वे किसी दूसरे लडके के दिमाग को पढ सकते हैं ।