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प्रतिशोध - मृणालिनी in  |  Audio book and podcasts

प्रतिशोध - मृणालिनी

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10 हॉरर कहानियां का संग्रह 'प्रतिशोध' आपके रोंगटे खड़ा कर देगा। ये कहानियां अलग-अलग घटनाओं और व्‍यक्ति से जुड़ी हैं। तो देर न करते हुए ट्यून करें कुकूएफएम और सुनें खौफनाक कहानियां।
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निर्णय ले नहीं । शिवानी ने करवट बदली और सोने की कोशिश की मगर उसे नींद ही नहीं आ रही थी । कई रातों से यही सिलसिला चल रहा था । वो रातों को चैन से सो नहीं पाती थी । उसने अपने बिस्तर के पास रखी मेज पर से पानी का जब उठाया । मगर वह जब खाली था वो मैं तो उसमें पानी रखनी भूल गई । क्या कर शिवानी ने जब को वापस में इस पर रख दिया । राज के ढाई बज चुके थे । चारों तरफ सन्नाटा था, शिवानी थी और किचन की तरफ चल पडी । किचन में जाकर उस ने फ्रिज खोला और उसमें से ठंडे पानी की बोतल बाहर निकाली । उसने पानी कोई गिलास में डाला था कि उसे अपने पीछे कोई बाहर सुनाई दी । शिवानी चौंक गई और उसने फौरन पीछे मुड कर देगा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था । किचन के बाहर जो गलियारा था वहाँ बाल चल रहा था । शिवानी ने पानी का ग्लास अपने हाथों में ले लिया । वो उस गिलास को वोटों से लगा नहीं वाली थी । उसे लगा उसके पीछे कोई घडा है । उसने बोल कर देखा तो उसे गलियारे में काली परछाई नजर आई । कौन है वहाँ? शिवानी ने काम भी आवाज में पूछा । शिवानी पानी का गिलास हाथों में लिए उस परछाई को देखते हुए धीरे धीरे गलियारे की तरफ बडी परछाई को देखकर लगता था कि वो किसी और उसकी परछाई है जिसका पद लंबा बदन छरहरा था और उसके लंबे लंबे बाल हवा में लहरा रहे थे । वो सौरभ ने अपने दायें हाथ से बालों को सहलाया । शिवानी ने देखा कि उसके नाखून बहुत लंबे और खून खाते थे । शिवानी किचन के दरवाजे पर खडी हो गई और उस से धीरे से गलियारे में झांककर देखा । वहाँ उसने जो दृश्य देखा उससे उसके होश हो गए । गलियारे में कहीं कोई नहीं था लेकिन फर्श पर एक परछाई नजर आ रही थी । देख खूंखार काली परछाई शिवानी बेहोश होकर फर्श पर गिर गई । राशि बेटा कोर्ट सरस्वती की आवाज में घबराहट थी । क्या है हाँ राशि आंखे बंद किए बिस्तर पर ही बडी रही । इतनी जल्दी की उठा दिया । अभी तो ठीक से सुबह ही नहीं हुई । शिवानी की तबियत खराब है । सरस्वती राशि के बिस्तर पर जाकर बैठ गई । तुझे आजी केवलपुर जाना होगा । दामाजी लंदन गए और शिवानी वहाँ के लिए तेरे पापा के घुटनों का ऑपरेशन अभी अभी हुआ है और मुझे उनकी देखभाल करने के लिए रुकना होगा । नहीं तो मैं भी चलती तेरे साथ लेकिन दीदी को हुआ क्या है? अब तुझे में क्या बताओ? बेटा सरस्वती जी आगे भराई किसी की नजर लग गई है । मेरी शिवानी को केवल पुर में शिव जी का बडा पुराना मंदिर है तो उसे वहाँ जरूर लेकर जाना । शिवानी की शादी केवलपुर के सबसे बडे रईस सिंघानियां परिवार में हुई थी । उसके पति आदित्य सिंघानियां अपने बिजनेस के सिलसिले में लंदन गए हुए थे । शिवानी बडी सी हवेली में अपने पांच साल के बेटे आरव के साथ अकेले रहती थी । आदित्य अक्सर यूपी काम के सिलसिले में शिवानी को घर पर अकेले छोडकर बाहर जाते रहते थे । शिवानी के लिए ये कोई नई बात नहीं थी लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसके साथ कुछ अद्भुत घटनाएं हो रही थी जिसकी वजह से वो बहुत परेशान थे । राशि के आने से शिवानी को थोडी राहत मिली । उसके कहने पर शिवानी एक मानसिक रोग चिकित्सक का डॉक्टर आशा अग्रवाल के पास गई । ऐसा तुम्हारे सांस कब से हो रहा? शिवानी डॉक्टर अग्रवाल ने पूछा हूँ जी पिछले छह महीनों से शिवानी ने सहमते हुए गा । मेरी सांस की मौत के हफ्ते बाद मुझे पहली बार ऐसा अनुभव हुआ । उनकी मौत कैसे हुई थी? दिल का दौरा पडने से तुम्हारी सास के साथ तुम्हारे संबंध कैसे थे? उनका सुबह बहुत विचित्र था । शिवानी का चेहरा उतर गया क्षेत्र मतलब डॉक्टर अग्रवाल ने शिवानी को ध्यान से देखा और पूछा क्या वो तुमसे अच्छा बर्ताव नहीं करती थी? क्या वो बहुत डांटती थी तो मैं लौटना तो दूर की बात है । उन्होंने तो मुझ से कभी एक शब्द तक नहीं कहा । शिवानी रोमांस अपना माथा पूछा और मुझे तू क्या? मैंने तो उन्हें किसी से बात करते हुए नहीं देखा । सिर्फ इतना ही नहीं वो तो किसी से मेलजोल भी नहीं रखती थी । हमारी शादी पर भी नहीं आई हो । बस एक बंद कमरे में बैठी रहती थी जिसके अंदर प्रवेश करने की इजाजत किसी को नहीं थी । केवल एक नौकरानी कमरे में खाना देने जाती थी और कमरे की साफ सफाई भी कर दी थी । तुम कभी उनसे मिलने नहीं गई । एक बार गई थी । शिवानी के हाथ ठंडे पड गए थे और उन्हें बार बार हवा कर गर्म कर रही थी । उनके कमरे के दरवाजे पर बहुत सारी चीजें बनी हुई थी । मैंने दरवाजा खटखटाया तो उन्होंने मुझे चले जाना होगा । फिर मैं कभी दोबारा वहाँ नहीं गई । इसका मतलब ये क्या है उन्होंने कभी भी तुम से बातचीत लेंगे कि सिर्फ एक बार शिवानी ने गहरी सांस लेते हुए कहा पहली और आखिरी बार काम उनकी मृत्यु से कुशन पहले क्या कहाँ हो रहे हैं? रात के लगभग ढाई तीन बजे होंगे । मैं सोच रही थी वो दौडती हुई आई और मुझ से लिपट कर फूट फूटकर होने लगी । आपको बहुत घबराई हुई सी लग रही थी । उनका पूरा बदन ठंडा पडा था और वो थर थर काँप रही थी । उन्होंने मुझसे सिर्फ इतना का एक काली परछाई क्या कर शिवानी एकदम छूट हो गई । फिर क्या हुआ? शिवानी डॉक्टर अग्रवाल ने बडी कौन चुकता से पूछा । अगले पल उन्होंने काम तोड दिया तो ये बात है । डॉक्टर अग्रवाल ने अपनी मेज पर से पलम उठाई और एक पर्चे पर कुछ लिखने लगी । देखो शिवानी तुम्हारी सास की मौत हमारी आंखों के सामने होगा तो अभी वो सदमे से बाहर नहीं निकल पाई होगी । तुम्हारी सास ने मरते वक्त जिस काली परछाई का जिक्र किया था तो उसे ही बार बार देखती हूँ । ये सब सिर्फ तोहरा बहन है । नहीं डॉक्टर मेरा वह नहीं है । शिवानी होने लगी । मैंने सब अपनी आंखों से देखा है । ऐसा सचमुच होता है । मेरे साथ दवाइयाँ सही वक्त पर लेती नहीं ना पर्चा । शिवानी को पकडते हुए डॉक्टर अग्रवाल ने कहा सब ठीक हो जाएगा । शिवानी राशि को साथ लिए डॉक्टर के केबिन से बाहर निकल आई । राशि शिवानी रोते हुए बोली मैं सबको कैसे यकीन दिलाऊं, तुम चिंता मत करो । दी राशि ने शिवानी के आंसू पोछे और कहा माने छह मंदिर जाने को कहा था । शाम होने वाली है । चलो जल्दी चलते हैं । संध्या की आरती के बाद ही शिवानी मंदिर में ही बैठी रही । उसे घर वापस जाने के खयाल से ही डर लगता था । मंदिर के पुजारी जब प्रसाद देने आए तो शिवानी से उसके दुःख का कारण पूछा । शिवानी है सब बता दिया । यहाँ से थोडा आगे महासचि देवी का आश्रम है । वो परम जानी है । पुजारी जी बोले तो वो ही तो मैं इस संकट से मुक् कर सकती है । शिवानी राशि को लेकर सतीदेवी के आश्रम गई । सतीदेवी ने शिवानी कोई आश्वासन दिया कि वो उस की हर संभव सहायता करेंगे । शिवानी उन्होंने अपनी व्यथा कह सुनाई, मैंने बहुत कुछ सुना है । तुम्हारे परिवार के बारे में सतीदेवी को जैसे अचानक कुछ याद आ गया । तुम्हारी सास की सांस का ध्यान भी किसी बहुत दर्दनाक हादसे से हुआ था । ना हाँ । शिवानी ने कहा मैंने भी कुछ ऐसा ही सुना है । उनकी मृत्यु हमारी शादी से पहले ही हो चुकी थी । तुम्हारे घर में जो सत्रह भी आई जाती है वो इसी तरह किसी ना किसी हादसे का शिकार हो जाती है । बडी विचित्र बात है । तभी सतीदेवी जी नजर शिवानी के गले में पडे हार्पर पडी ये हार किसने दिया तो मैं ये हमारा खाना नीहार है । शिवानी ने हार को अपनी उंगलियों से छुआ और कहाँ ये साथ ही गुजर जाने के बाद बहुत को दिया जाता है । ठीक है सतीदेवी ने अपना हाथ शिवानी के सिर पर रखा और कहा मैं ध्यान लाकर देखती हूँ कि वह कौन सी शक्ति है जो तुम है परेशान कर रही है । सतीदेवी ध्यान में लीन हो गई । थोडी देर बाद उन्होंने आंखे खोली और शिवानी को देखा हूँ । शिवानी तुम्हारा परिवार यक्षिणी के प्रकोप से ग्रस्त है । सतीदेवी बहुत चिंतित लग रही थी । ये कहानी शुरू होती है सूर्य प्रकाश सिंघानियां से तो तुम्हारे ससुर के परदादा थे । उन्होंने अपने गांवों की सुंदर लडकी मृणालिनी से प्यार हो गया था । तुम्हारा जो खानदानी हार है वो सूर्य प्रकाश ने मेरा लेने के लिए ही बनवाया था । लेकिन उनके पिता कोई रिश्ता बताई मंजूर नहीं था, क्योंकि मेरा लेनी गरीब किसान की बेटी थी । उन्होंने कुछ गुंडों को भेजकर बेचारी मेरा लेने की हत्या करवा दी । मेरा लेनी के पिता को जब पता चला तो वो अपनी बेटी हम में पागल हो गए । उन्हें तंत्रमंत्र का ज्ञान था । उन्होंने तंत्रविद्या की मदद से मृणालिनी को यक्षिणी बना दिया । फॅमिली अगर वह सिंघानिया परिवार की बहू ना बन पाई तो किसी और को भी नहीं बनने देगी । पिछले सिंहानिया परिवार की बहुओं की यू अकाल मृत्यु हो जाती है । उन की हत्या और कोई नहीं बल्कि निर्णय ले नहीं कर रही है । क्या उस यक्षिणी से मुक्ति पाने का कोई उपाय नहीं? शिवानी ने हाथ जोडते हुए पूछा । मेरा लेने के पिता ने उसका शव शरीर जंगल के सबसे पुराने बरगद के पेड के अंदर बने होटल में छुपा दिया है । हमें उसके शव को जलाना होगा । ठीक है । राशिद खडी हुई तो फिर अभी चलते हैं । शिवानी और राशि को साथ लेकर सतीदेवी उस बरगद के पेड के पास जा पहुंची हूँ । उन सब ने मिलकर उस पेड में आग लगा दी । पर विचित्र बात ये हुई कि पूरा का पूरा पेड तो जल गया मगर बडा लेनी का शरीर नहीं जला । ये क्या हो रहा है? सतीदेवी शिवानी ने हैरान होकर पूछा तो मुझे फिर से ध्यान करना होगा । छती देवी ने आंखे बंद की और ध्यान में लीन हो गई । शिवानी और राशि बडी बेसब्री से इंतजार करने लगे । इतने में मेरा इतनी की काली परछाई जलते हुए बरगद के पेड से निकली और शिवानी की तरफ बडी उसने अपने लंबे खूंखार ना हूँ शिवानी की कदम मैं कहाँ दिए दिवाली डर से कराओ थी छोड दो मेरी दीदी को राशी ने शिवानी को मृणालिनी के चंगुल से छुडाने की कोशिश की । मृणालिनी ने उसे जमीन पर पटक दिया और शिवानी पर न को से बात करने लगी । हमारी रक्षा कीजिए सतीदेवी अपनी बहन की दुर्दशा देखकर राशि जोर से चिल्लाई । वहाँ सतीदेवी ने झट से आंखें खोली और शिवानी से कहा तुम्हारा वो खानदानी हारी सारे फसाद की जड है । उसे नष्ट कर दो शिवानी यक्षिणी भी नष्ट हो जाएगी । ये सुनते ही शिवानी ने अपना हार उतारा और उसे आग में फेंक दिया । हार के नष्ट होते ही यक्षिणी भी हुआ हो गई और आज भी बोझ गई । केवल इतना ही नहीं बरगद का पेड भी फिर से हरा भरा हो गया । बस उसकी कोटर में और मेरा लेनी के शरीर के स्थान पर सिर्फ ऍफ थी । वो हर मृणालिनी के लिए बनवाया गया था । सतीदेवी बोली इसलिए उसकी आत्मा उस हार से बंद कर रह गई । वो हार किसी और को मिले ये उससे बर्दाश्त नहीं होता था । अब वो हार नहीं रहा इसलिए तो उसे भी मुक्ति मिल गई । स्थिति देवी ने कोटर से मेरा लेनी की राख निकली और शिवानी को देते हुए कहा । इससे गंगा में विसर्जित कर देना । जाने से पहले सतीदेवी ने शिवानी और राशि के सिर पर हाथ रखा और कहा मंगलभावना ।

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