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हूँ । टेलीविजन रिपोर्टर बनना मेरी जीवन की सबसे बडी अभिलाषा थी । लेकिन ये जबसे अभिलाषा पूरी हुई है मैं तो भूत प्रेतों के बीच फसकर है । गया हूँ । बात दरअसल यह है कि हमारे चैनल ने आलौकिक शक्तियों पर एक नया कार्यक्रम शुरू किया था और मुझे उसका एंकर बना दिया गया था । अगले रविवार का शो कुलधरा गांव पर आधारित था और उसके बारे में मुझे शोध करने के लिए भेजा गया । मैंने भी कमर कस ली । आखिरी मेरा पहला शो था और इससे मुझे बेहतरीन बनाना ही था । मैं हाथों में कैमरा ये निकल पडा कुलधरा की ओर । मैंने कुल मिला के बारे में कई कहानियां सुनी और पढी थी । सुनने में आया है कि कुलधरा गांव के सारे लोग एक रात अचानक गायब हो गए और तब से गांव वीरान है । कहने वाले तो ये भी कहते हैं कि वहाँ भूतों का आवास है । कुलधरा पर पहले भी कई टेलीविजन चैनल्स कार्यक्रम पेश कर चुके थे और कई अखबारों में इसके बारे में कई लेख भी लिखे जा चुके थे । इसलिए मुझे अपने शो के लिए इन सब से कुछ हटकर कुछ नया चाहिए था । तो थोडा गांव क्यों वीरान हो गया? इसके बारे में तो कई कहानियां प्रचलित है लेकिन मुझे तो उनके पीछे छुपा हुआ सच जानना था और मैंने जाना भी एक ऐसा खौफनाक सच जो आपके भी रोंगटे खडे कर देगा । ये कहानी है कि यात्रा है उन राहु से जिनसे मैं अपने शोध के दौरान पहुँच रहा था । राजस्थान पहुंच गए । सबसे पहले मैं अपने मित्र विवेक से मिला । जुहापुरा तो विभाग में अवसर था । उसे भूत प्रेतों में बिल्कुल विश्वास था । क्यों हर बात का वैज्ञानिक विश्लेषण कर केवल तथ्यों, बडी विश्वास करने वालों में से था । हरे सीधी सी बात है । विवेक ने चाय की चुस्की लेते हुए मुझसे कहा वहाँ खेती करने को पानी नहीं बचा था । भूमिका जल के सारे स्रोत सूख गए थे । फिर बेचारी गांव वाले क्या करते हैं? उन्होंने यहाँ से पलायन कर लिया । लेकिन विवेक एक रात अचानक साढे गांव वाले एक साथ कहीं चले जाते हैं । ये बात तुम्हें कुछ अजीब नहीं । उसमें जी क्या है? विवेक अभियान तो चाय का आनंद लेने में था । पंचायत की बैठक बुलाई होगी और उन्हें फैसला लिया होगा कि आज रात ही सब गांव छोड दे । बस और क्या सुना है वह जगह बहुत दिया है कहते हुए मुझे थोडी से रन जरूर महसूस हुई । विवेक ये सुनकर खेल खेला हूँ थोडा हाँ कहानियाँ तो मैंने भी कई हुई है । विवेक ने मुस्कुराते हुए कहा लोग तो ये भी कहते हैं कि एक जालिम राजा हुआ करता था जो वहाँ के बेचारे किसानों से बहुत भारी भरकम लगान वसूला करता था और जब वो लगा नहीं दे पाते थे तो मुआवजे के तौर पर वो करू । राजा उनके घर की ओर तो उठा कर ले जाता था । उसी की डर से सब भाग गए और फिर उस गांव में भूतों ने मेरा डालिया उसके बाद सारे मकान ढह गए और पूरा गांव तबाह हो गया । क्या इसमें कुछ सच्चाई है? मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पूछा तो बिना विवेक को फिर से हसी आ गयी । बच्चों जैसी बातें ना क्या करूँ ये भूत पेपर ये और छोले जो है ना । इनका सिर्फ और सिर्फ बच्चों की कहानियों में होता है लेकिन वहाँ के सारे मकान कैसे रह गए? शायद कोई हूँ काम बायो विवेक में थोडी देर सोच कर कहा अच्छा हाँ मेरे ऑफिस जाने का वक्त हो गया । मैं चलता हूँ तो मैं किसी चीज की जरूरत हो तो फोन कर देना । विवेक से बात करने के बाद ही मुझे कोई खास संतुष्टि नहीं मिली । जो बात मैं जानना चाहता था उस पर तो अभी पता पडा हुआ था । मुझे तो कुलधरा गांव का खौफनाक राज जानना था । कुलधरा गांव के बारे में सोचते हुए मैं अपनी जीत की तरफ बडा । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं किस बात का विश्वास करूँ । किस्से पूछूँ कौन है जो मुझे सच बता सकता है? ख्यालों में खोए हुए मैं अपनी जीत में जाकर बैठ गया । हर सवाल का जवाब विद्वान के पास नहीं होता । साहब जीटॅाक बोला क्या मतलब? मैंने बडी उत्सुकता से उसे देख और पूछा तो कहना क्या चाहते हो? कहाँ गया तो आपको बहुत सारी सुनने को मिल जाएंगे साहब बराबर ने कहा लेकिन अगर आपको सर जानना है तो मैं आपकी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से करवा सकता हूँ जो उस रात का सर जांदा है । और यकीन मानिए साहब उनके अलावा और कोई भी पूरा सच नहीं । अंडा बाकी सब तो बस कहानियाँ बोलते हैं । वो कौन है स्टेशन मंदिर के पुजारी श्री आलोक आनंद बाबा ड्राइवर की आंखों में उस व्यक्ति के लिए सम्मान साफ झलक रहा था । सदियों पहले उनका परिवार उसी गांव में रहता था की आप मिलना चाहेंगे । उनसे ठीक है । उसकी बातों ने मेरी उत्सुकता को बढा दिया । नहीं चलते हैं बाबा आलोक आनंद की उम्र लगभग सत्तर साल से ऊपर की होगी । उनकी कमर थोडी झुकी हुई थी और वह कमर पर हाथ रखकर चलते थे । उनके सिर के बाल काफी झड चुके थे और उनकी दाडी पूरी सफेद हो चुकी थी । वो सफेद धोती कुर्ता पहने हुए थे और माथे पर लाल रंग का बडा सा तिलक लगाए हुए थे । ड्राइवर ने मेरा परिचय उनसे करवाया और मेरे आने का उद्देश्य भी बताया । मैंने पास जाकर उनके पैर हुए आयुष्मान भव । उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखकर कहा मेरी कुटिया यहीं पास नहीं है । चलो वही चल कर बात करते हैं । बाबा मुझे अपनी गोटियां में ले गए और जलपान भी कराया । कई सदियों पहले कुलधरा गांव में परिवार रहता था जिसके मुखिया किशोरीलाल थे । बाबा मेरे सामने रखी कुर्सी पर बैठकर कहानी सुनने लगे । वो गरीब किसान थे । कुछ गांव राजा राघवेंद्र प्रताप सिंह के साम्राज्य का ऐसा था । राजा बढा ही लाल जीता । वो हर साल लगान की रकम बढा देता था । एक साल किशोरी लाल की फसल बर्बाद हो गई और वह लगान देने की स्थिति में नहीं थे तो उन्होंने राजा से बहुत मेहनती की पर उसको राजा ने उनकी एक ना सुनी । राजा की नजर तो उनकी अप्सरा जैसी सुंदर बेटी नंदनी पर थी । वो हर कीमत पर नंदनी को पाना चाहते थे । राजा ने किशोरी लाल को लगान भरने के लिए सिर्फ एक दिन का समय दिया । किशोरीलाल अपनी जान दे देते हैं पर अपनी रोती बेटी को कभी उस जालिम राजा के हवाले ना करते हैं । हम किशोरीलाल के पास अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने के अलावा और कोई चारा नहीं था । ऐसी विपदा की घडी में उनकी मुलाकात तांत्रे चंद्रालय से हुई । तांत्रिक को उन पर दया आ गई और उसने उनकी मदद करने का वादा भी किया । तांत्रिक ने कई साल तपस्या करके एक फ्रेंड को वर्ष में कर लिया था, जिसका नाम निशुंभ था । विश्वंभर का शरीर अगली से बना था । यही अग्नि उसकी शैतानी ताकतों को ऊर्जा देती थी । तांत्रिक ने तंत्रों मंत्रों से बने घेरे में उसे गैस कर रखा था । अपने मित्र की सहायता करने के लिए तांत्रिक ने विश्व को जगाया और उसे राजा का अंत करने के लिए कहा । निशुंभ ऐसा करने के लिए राजी हो गया, लेकिन उसने ये शर्त रखी कि इसके बाद तांत्रिकों से आजाद करना होगा । तांत्रिक ने उसकी बात माननी तुमने उस ईरान राजा राघवेंद्र को मार गिराया । अत्याचारी राजा की मृत्यु की खबर सुनकर प्रजा बहुत खुश हुई । विश्व वापस आया और उसने तांत्रिक से स्वयं को आजाद करने का आग्रह किया । लेकिन तांत्रिक को ऐसा करना ठीक ना लगाम । उसने वर्षों की तपस्या से विश्व को अपने काबू में किया था । अब वो उसे आजाद करके अपनी कठिन तपस्या पर पानी नहीं खेलना चाहता था । किशोरी लाल ने भी दादरी का समर्थन किया क्योंकि वह चाहते थे कि अगर भविष्य में उन पर या गांव वालों पर कोई भी बंदा आए तो विश्व का यहीं रहकर उनकी रक्षा करें । उनकी सहमती से तांत्रिक ने छल से विश्व ममा को फिर से शायद करने का प्रयत्न किया । तांत्रिक के विश्वासघात ने विश्व मम्मा को करोड से पागल कर दिया और उसने तांत्रिक की हत्या अगर उसके बाद उसका क्रोध गांव वालों पर बारह बडा उसने अपनी देवशक्तियों से गांव में भूकंप ला दिया और सारे घरों को तहस नहस कर दिया । विश्व के शरीर से निकलती यहाँ की लडकियों ने गांव का सारा पानी भी सोंग लिया । इससे पहले कि विश्व उन्हें भी मार डालता सब गांव अपनी जान बचाकर वहां से भाग गए । तांत्रिक के मंत्रों के जाल में बने होने के कारण विश्वकर्मा कुलधरा गांव से कभी आजाद नहीं हो पाया । उसके डर के मारे गांव वाले फिर कभी वापस आए । बाबा ने अपनी आंखें मन की और एक गहरी सांस । कुछ सालों बाद उन्होंने अपनी आंखें खोली और बडे प्यार से मुझे देखा । मैं किशोरी लाल जी का ही वंशज हूँ । बाबा ने एक मंद मुस्कान के साथ कहा कुलधरा का ये खौफनाक राज हमारे परिवार ने सबसे आज तक छुपा कर रखा था और वो इसलिए क्योंकि हम जानते थे कि कुलधरा की तबाही के लिए सब हमें ही दोषी ठहराएंगे । लेकिन कहते हैं ना सच को हमेशा के लिए छुपा कर रखा नहीं जा सकता । कभी ना कभी वो सामने आ ही जाता है । आज तुम्हारे माध्यम से मैं ये सच जन जन तक पहुंचाना चाहता हूँ और साथ ही यह संदेश भी देना चाहता हूँ की मेरे परिवार ने जो किया वो अपनी बेटी के अभिमान की रक्षा के लिए क्या मैं सबसे उम्मीद रखता हूँ कि वो हमें समझ सकेंगे और हमारी टूटियों को क्षमा कर देंगे । ये कहकर बाबा समाधि में लीन हो गए । मैं कुटियां से बाहर निकाल आया । उस दिन मेरे मन में बडी प्रसन्नता थी । मैंने कुलधरा का वो खौफनाक राज चांदिया था जो आज तक कोई नहीं जान पाया
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