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प्रतिशोध - राजवंश in  |  Audio book and podcasts

प्रतिशोध - राजवंश

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10 हॉरर कहानियां का संग्रह 'प्रतिशोध' आपके रोंगटे खड़ा कर देगा। ये कहानियां अलग-अलग घटनाओं और व्‍यक्ति से जुड़ी हैं। तो देर न करते हुए ट्यून करें कुकूएफएम और सुनें खौफनाक कहानियां।
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राहत हुआ है । एक जोरदार चीज सुनकर रियाना झट से आके खोली । उसके दिल की धडकनें तेज थी और वो पसीने में नहीं आई हुई थी । उसकी सांसे भी तेजी से चल रही थी । रिया ने कमरे की बत्तियां जलाई और चारों तरफ देखा । क्या हुआ रिया रिया के साथ वाले बिस्तर पर सोई हुई सोनिया उड गई और उसने आंखें बोलते हुए पूछा मैंने अभी कई लोगों को ऐसा चीज तो सुना । रिया हफ्ते हुए बोली तुमने कोई सपना देखा होगा? सोनिया ने रिया के कंधे पर हाथ रखा और कहाँ यहाँ कोई नहीं है । रात बहुत हो चुकी है । अब सो जाओ । कल सुबह में जल्दी उठना है । आज तो स्टडी टूर का पहला दिन हुआ है और अभी तो बहुत सारी जगह जाना है । हाँ तुम ठीक कहती हो, हरियाणा कमरे की लाइट बंद कर दी और सोने की कोशिश की । रियो अपने कॉलेज की दूसरी छात्राओं के साथ स्टडी टूर पर आई थी । वो लोग पुराने खिले और इमारतों पर शोध कर रहे थे । आज उन्होंने एक बहुत पुराना किला देखा था । उसके लिए मैं घूमते हुए रिया को ऐसा लगा जैसे उसके लिए इस एरिया का कोई बहुत पुराना रिश्ता है । रात को उनके ठहरने का इंतजाम किले के पास वाले होटल नहीं किया गया था । रिया को बहुत कोशिश करने के बाद भी जब नहीं न आई तो वो टी और खिडकी के पास जाकर खडी हो गई । खिडकी से वो खिला साफ नजर आ रहा था । न जाने कितने वर्षों से वो खिलाफ गुम नानी की चादर के पीछे छिपा बैठा था हरियाणा । उसके लिए को देखा तो ऐसा लगा जैसे वो खेला उसे सम्मोहित कर रहा हूँ । अंधेरे की घनी परत के पीछे वो खिलाफ चुपचाप खडा था । रियाना जाने कितनी देर उस पहले को बस देखते ही रह गई । अचानक उसे बहुत सारे लोगों के एक साथ चीखने की आवाज फिर से सुनाई दी । ऐसा लग रहा था जैसे उन लोगों को बहुत निर्मम यातनाएं दी जा रही हूँ और वो डर से करा रहे हो । रिया से उनका दौर बर्दाश्त ना हुआ और उसने अपने कारणों पर हाथ रख लिया । फिर उसने पलट कर सोनिया को देखा । सोनिया आराम से सो रही थी जैसे चीजें उसे सुनाई नहीं दे रही हूँ । ये खयाल आते ही रिया का दिल और जोरों से ढकने लगा । क्यों जी को को सिर्फ वो ही क्यों सुन सकती थी । रिया ने इस राज पर ये पर्दा हटाने की ठान ली । उसने कान ऊपर से हाथ हटाया और ध्यान से सुना । वो चीज हैं किले की तरफ से आ रही थी । मैं उसके लिए मैं जाकर देखती हूँ । रिया ने अपने गांव के ऊपर शॉल उडते हुए खुद से कहा देखो तो सही कि आखिर वहाँ क्या हो रहा है । बाहर अंधेरा काफी घना था और आज भी काफी हो चुकी थी । इस वक्त उसे अकेले बाहर जाते हुए डर लग रहा था । पहले उसने सोचा कि सोनिया को साथ ले चलें पर फिर उसे खयाल आया कि जब सोनिया चीज है सुनी नहीं सकती तो उसे क्या कहे? रिया पल भर के लिए हिचकिचाई लेकिन फिर उसने हिम्मत की और हाथों में टॉर्च लिए अकेले ही होटल से बाहर निकल आएगा । बाहर ठंडी हवा चल रही थी । चारों तरफ सन्नाटा था । रिया जल्दी जल्दी कदम बढाते हुए खेले की तरफ चली । खिलाफ अब एकदम खामोश खडा था । पल भर के लिए रिया को लगा कि उसने जो चीज सुनी कहीं वो उसका बहन तो नहीं लेकिन तब तक वो केले के अंदर प्रवेश कर चुकी थी । पंद्रह अंधेरा और भी ज्यादा था । रिया ने तौर जलाई और चारों तरफ देखा । खिलाफ एकदम शांत था और कहीं कोई हलचल नहीं थी । कुछ पल भी जाने के बाद प्रिया को विश्वास हो गया कि वहाँ कुछ भी नहीं है । रिया वापस होटल लौटने को मुडी थी कि वो चीज है रात के सन्नाटे को चीरती हुई फिर होगी फूल चीखों को सुनकर या का दिल दहल गया । दो शर्ट बाद वो चीज है रुक गई और सारा वातावर्ण फिरसे शांत हो गया । वो चीज है किले के निचले भाग से आ रही थी । सुबह जब वो लोग इसके लिए में आए थे तो उनके साथ आए गाइड ने बताया था कि नीचे तक खाना है । रिया को ते खाना देखने की बडी छाती मगर उसकी प्रोफेसर ने मना कर दिया । अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था । रिया नीचे की तरफ जाती सीढियां उतरने लगी । चिडियाँ उतरने के बाद वो गलियारे से होकर गुजरी और एक बडे से कमरे में आ गई । तो याने तो उस कमरे को टॉर्च की रोशनी में ध्यान से देखा । वो कमरा जालियों से भरा हुआ था और उसकी छह से श्रम कानून लटके हुए थे । अचानक वो चीज है फिर से गूंज उठी और या के हाथों से मुँह गिर गया । चीखों बंद होते ही उसने टॉर्च उठा लिया । कमरे के एक तरफ से एक पाँच सौ दरवाजा था । भयानक चीज है । दरवाजे के पीछे से ही आ रही थी । रिया ने डरते हुए धीरे से हो सुबह तरह हैं हरियाणा उसे खोलने की बहुत कोशिश की, पर वह खोला नहीं । रिया ने बहुत जोर लगाया और आखिर में वो दरवाजा एक जोरदार आवाज के साथ खेल गया । उस दरवाजे के पीछे कई डिब्बी आ रखी हुई थी । उन डिब्बियों से अलग अलग रंग का प्रकाश निकल रहा था । हरियाणा उन्हें छूकर देखने को हाथ बताया था कि वह डर नाची है । फिर से हैं । लेकिन इस बार वह बहुत की वृद्धि रिया को लगा कि वह चीज है उसे पागल कर देंगी । उसका सर चकराने लगा । उसने अपने कारणों पर हाथ रखा और उस कमरे से बाहर आ गई । कमरे के दरवाजे पर वो अंधेरे में किसी से टकराई और डर के मारे चिल्लाने लगी हैं । रिया सोनियाना उसी कंधे पर हाथ रखा और कहा, मैं सोनिया घबराओ मत । उन सोनिया रिया ने रोते हुए सोनिया को गले से लगा लिया । अच्छा हुआ तो आ गई लेकिन तुम इतनी रात गए यहाँ क्या कर रही हूँ? मैं तुम्हें सब बताती हूँ । रिया ने खबर आई हुई नजरों से लेकिन टूटी फूटी दीवारों को देखा और कहा पहले यहाँ से बाहर निकालो । मैंने तो कुछ नहीं सुना । वापस अपने कमरे में पहुंचने के बाद सोनिया ने कहा लेकिन मुझे भारत ठीक है, साफ साफ सुनाई देती है । रिया परेशान होकर कमरे में चहलकदमी करने लगी । उन चीज होने मेरी आत्मा को छलनी कर के रख दिया है । वो चीज है ना मुझे चैन से जीने देती है और नहीं आराम से सोने देती है । लेकिन सवाल है कि ये चीजें मुझे कि सुनाई दे दी है और तो केवल एक ही व्यक्ति हमारी मदद कर सकते हैं । कौन मेरे पापा की दोस्तियां पास के ही कॉलेज में बढाते हैं । सोनिया ने रिया का हाथ पकडकर उसे अपने पास बैठाया और कहा वास्तु शास्त्र के प्रोफेसर है उन्होंने ऐसी आलू की शक्तियों पर काफी अनुसंधान क्या है? उनके पास ऐसे कई उपकरण है जिनके जरिए वो इन अदृश्य शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकते हैं । उनका नाम प्रोफेसर के जाना शास्त्री है । एक काम करते हैं । हम कल उनसे मिलने चलते हैं । हाँ ये ठीक रहेगा । रिया को उम्मीद की किरण दिखाई दी । अगले दिन सुबह ही सोनिया रिया को साथ लेकर प्रोफेसर शास्त्री से मिलने गयी ऍम उसने रिया के साथ बीती रात हुई और भूत घटना का पूरा ब्यौरा उन्हें दिया । प्रोफेसर शास्त्री उन लडकियों की मदद करने को फौरन तैयार हुए तो उन्होंने अपने कुछ विशेष उपकरणों को एक बक्से में डाला और उनके साथ खेले की तरफ रवाना हो गए । वो तीनों सीधा ते खाने में गए । वहाँ दिन में भी अंधेरा था । प्रोफेसर शास्त्री ने अपने बक्से में से कुछ मोमबत्तियां निकली और उन्हें ते खाने की फौज पर जला दिया । वो तीनों उन मोमबत्तियों के पास ही घेरा बनाकर बैठ गए । प्रोफेसर शास्त्री ने बक्से में से कुछ उपकरण निकले और उन्हें वर्ष पर रख दिया । फिर उन्होंने अपने हाथ उन उपकरणों पर रखे और आंखे बंद कर ध्यान में लीन हो गए । कुछ देर बाद उन उपकरणों से देश प्रकाश आने लगा और पूरा ते खाना रोशन हो गया । कुछ क्षण बाद प्रोफेसर शास्त्री का शरीर इस तरह का आपने लगा जैसे उन्हें बिजली के झटके लग रहे हो । ये देखकर सोनिया और या डर गई परन्तु प्रोफेसर शास्त्री ने उन्हें पहले से हिदायत दे रही थी कि जब वो उन आलोकिक शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हो तो वो दोनों किसी प्रकार की बाधा ना डाले । इसलिए रही और सोनिया डरी हुई नजरों से उन्हें देखते ही नहीं । थोडी देर में उनकी काम कभी शांत हो गई और वो फिर से पूर्व स्थिति में आ गए । शास्त्री ने धीरे से आंखें खोली और उन दोनों लडकियों को देखकर मुस्कुराए । मुझे ऊंची होगा ऐसे पता चल गया दिया । शास्त्री ने कहा, और ऐसे क्या है? सोनिया अपनी उत्सुकता को नियंत्रित नहीं कर पाई और फट से बोली बताइए ना प्रोफेसर साहब, इन चीजों का संबंध तुम्हारे पिछले जन्म से है । पिछले जन्म दोनों लडकियों ने एक साथ पूछा था । शास्त्री ने तहखाने की दीवारों को देखते हुए कहा, सदियों पहले यहाँ मेरो जी राजवंश राज करता था । ये खिलाफ उनका है । मेरो जी राजवंश अपनी क्रूरता के लिए को किया था । उन्होंने अपनी प्रजा के कल्याण के लिए कोई कार्य नहीं । क्या कभी उनके हित की नहीं सोची और केवल इतना ही नहीं वो अपनी प्रजा पर तरह तरह के जुल्म करते थे । उन पर तरह दौरा के कर लगते और राजकोट भरते थे । मैं सारी जनता गुजारा बहुत मुश्किल से होता था । वो अपना पेट काटकर भरती थी । तुम्हारा नाम राजकुमारी नुपुर मणि था । तुम्हारे पिता चंद्र से मेरो जीराज बज के टूर राजाओं में सबसे बडे थे । उनसे उनकी प्रजा प्रसिद्धि । इसलिए प्रजा की रक्षा करने का बीडा तुमने उठाया । तुमने अपने कुछ विश्वास के सैनिकों को साथ लिया और राजकोष में जो की तो मैं जो धन प्राप्त हुआ वो तुम्हें गरीब प्रजा में बाढ दिया । ये सिलसिला कई वर्षों तक चला । आखिर राजा चंद्रसेन को शक हुआ और उन्होंने राजकोष की सुरक्षा के कडे इंतजाम कर दिए । एक दिन तुम जो अपने सैनिकों के साथ राजकोष में छोडी करने गई तो उन्होंने तो मैं डाकू समझा और मौत के घाट उतार दिया । जब तुम्हारे पिता को इस बात का पता चला तो उन्होंने आत्महत्या कर नहीं उनके बाद हो रहा जाए । उन्होंने भी प्रजा पर अत्याचार ही किए । एक राजा का सबसे बहुत धर्म होता है प्रजा का पालन करना । राजधर्म निभाने की वजह से मेरो जीराज मंच के राजाओं की आत्माओं को मुक्ति ना मिली और वो इसी जिले में कैद हो गई । प्रजा पर उन्होंने अत्याचार किये की यहाँ की रजा ने उन्हें श्राप दे डाला । शराब के कारण इन राजाओं ने अपने जीवनकाल में जो पीडा अपनी प्रजा को दी थी, वही पीडा के लिए मैं शायद उनकी आत्मा बहुत रही है । वो उनके ही चीखने की आवाज है जो तुमने कल रात को सुनी पर वो चीजें मुझे क्यों सुनाई देती है । रिया ने पूछा मैंने तो प्रजा पर कोई दम नहीं किया बल्कि उनकी सहायता ही की है । इसके दो कारण है । शास्त्री बोले पहला ये कि अपने पुरखों को स्पीड से तुम्हें नियुक्त करना होगा तो उनके पापों का प्रायश्चित करके उनकी आत्मा को इस यात्रा से मुक्त करना होगा । दूसरा ये कि प्रजा कल्याण का जो बीडा तुमने उठाया था वो आॅफ मृत्यु हो जाने के कारण तो पूरा नहीं कर सकी । अब तुम्हें वो काम इस जन्म में करना होगा । लेकिन रिया ने बडे आश्रय से शास्त्री को देखा । इस जन्म में मैं क्या कर सकती हूँ? मैं राजकुमारी नहीं आज का आज देखने का मुझे कोई अधिकार नहीं । मैं तो केवल एक आम नागरिक हूँ । हम आम नागरिकों के चाहने से इस देश की पिछली जनता का उधार होगा । रिया शास्त्री ने बडे प्यार से रिया के सिर पर हाथ फेरा और कहा या आसपास के गांव में ना बिजली है ना पानी है नहीं कोई और सुविधाएँ हैं तो लोग पढे लिखे भी नहीं है । इसलिए वो अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा सकते । उन्हें नहीं मालूम कि उनके क्या अधिकार है और इन्हें पाने के लिए क्या करना होगा । सरकारी योजनाओं का लाभ ऐसे पिछले इलाकों की गरीब जनता तक पहुंची नहीं पाता । सरकार और इन अनपढ लोगों के बीच जो खाई है तो मैं उस पर पुल बनाने का काम करना होगा । तुम है उन्हें उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा और सरकार वो इनकी आवश्यकताओं से आप भी कहते हैं सर रिया को लगा जैसे उसके जीवन को एक नई दिशा मिल गई हो । रिया, सोनिया और उनके सहपाठियों ने घर घर जाकर लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में बताया और उनका लाभ उठाने का मार भी बताया और साथ ही उन्होंने एक रिपोर्ट तैयार की जिसमें इन सब गरीब वालों की जरूरतों का पूरा देख रहा था । उन्होंने ये रिपोर्ट सरकारी अफसरों तक पहुंचाई । कुछ ही सालों में इन गांव में बिजली, पानी का स्वच्छ पानी, स्कूल, अस्पताल सब की व्यवस्था हो गई । किसानों के पास अब अच्छी पैदावार देने वाले बीज, खाद व खेती के आधुनिक उपकरण पहुंचा दिए गए थे । अब उन गांव में चारो लहराते हरे भरे खेत थे और गांव और उनके मन में भीड । सारी खुशियां रिया भी खुश थी क्योंकि अब उसे मेरो जी फिर ऐसे चीज है नहीं सुनाई दे दी थी । आखिरकार उसने अपने अथक परिश्रम से अपने पूर्वजों को उस यात्रा से मोच दिला ही दिया

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