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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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साधारण परिवार के पालक की असाधारण सफलता एक मिसाल बन गई । बहुत सारे बधाई के फोन भी आ रहे थे । सफलता का आज बिंदु माध्यम हिंदू और चरमबिंदु ऍम शक्ति कहाँ कहाँ है? आत्मा की क्षमता विकसित होने के बाद संकल्प व्यक्ति का स्वभाव बन जाता है और जिसकी संकल्पशक्ति जब जाए उसे शक्ति का अच्छा स्त्रोत प्राप्त हो जाता है । क्योंकि संकल्प का नियमित एवं दीर्घकालिक अभ्यास शरीर और मन पर चमत्कारिक ऍम संकल्पों की जनता से सफलता स्वयं हमारे सामने आ जाती है । वास्तव में संकल्पबद्धता, दूरदर्शिता, ऍम योजना भत्ता से किया गया कार्य जीवन को ज्योतिर्माला कर देता है । शिवा के साथ भी ऐसा ही हुआ । उसको अपना सच होता नजर आया हूँ । बचपन से ही मैं श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पडने का सपना देखता था । ये महाविद्यालय केवल भारत का ही नहीं एशिया महाद्वीप का नंबर एक वाणिज्य वश्यक ऍम रहा है । वो प्रतिशत से कम प्राप्ति वाले प्रतिशत से कम प्राप्तांक के विद्यार्थियों को तो वहाँ प्रवेशी नहीं मिलता हूँ । उसने श्री राम कॉलेज में अपना प्रवेश काम भर दिया । धो रही दिनों में प्रवेश की सोची लगी तो प्रथम कट ऑफ लिस्ट में ही शिवा का नाम था । वो उसने श्री राम कॉलेज की फीस वगैरह का पूरा विवरण प्राप्त किया । हॉस्टल सुविधा का भी पता किया तो सब कुछ अच्छा आता हूँ । कुलमिलाकर उसे एक साथ अट्ठाईस हजार रुपये की जरूरत थी । उसके पास तो अट्ठाईस सौ भी नहीं थे । कितनी मुश्किल से माँ बाप उसे पढा रहे थे । उस से छिपाना था । अब क्या करें? वह गंभीर जनरल में था । उसे कोई मार कर नजर नहीं आ रहा था । जैसा उसे अपने स्कूल के प्रिंसिपल की आज आई । उसने उनसे मिलने का निश्चय किया । दूसरे दिन प्रातः स्कूल में प्रिंसिपल से मिलने पहुंचा । वजह से मेधावी विद्यार्थी को देखते हैं । उनका रूम रोम पुलकित हो उठा हूँ । अपने स्थान पर खडे होकर स्वागत करते हुए बोले हाँ बेटा आ ओ बैठो कैसा चल रहा है । सब कुछ फॅमिली रहे हो । सब कुछ ठीक है । मैं श्री राम कॉलेज में प्रवेश लेने की सोच ना होता है । एकदम सही हो जाए तो मैं अपने प्रतिभा से इतना अच्छा कॉलेज मिल गया और तो मैं चाहिए क्या? फिर भी कभी हमारे लायक काम हो तो बताना हो और मिलते रहना । फिर ना बोला तो आपके पास एक विशेष कार्य वर्षी आया था । मेरे घर से वाले बहुत दूर पडता है । रोज आने जाने में तो समय तथा पैसे की बर्बादी होगी । इसलिए मैं वहीं हॉस्टल में रहना चाहता हूँ । ऍम तथा हॉस्टल की फीस की राशि मेरे पास नहीं है । वो कितने रुपए चाहिए । रिछफल ने पूछा हूँ आपसे मैं व्यक्तिगत कोई आर्थिक सहायता नहीं चाहता हूँ । मैं सोचता हूँ अभी दस या ग्यारह ही की कोई अच्छी ट्यूशन आप मुझे दिला दें जो मुझे एडवांस रुपये देकर मेरी मदद कर सकें । शिवानी उत्तर दिया शिवा के आशीर्वादी विचारों ने एक बार ॅ आपको अंडरटेक प्रभावित किया । वो गदगद हो उठे । उन्होंने दो मिनट सोचा फिर फोन उठाया फॅालो कुलभूषण नहीं आप खरबंदा साहब की लडकी के लिए अच्छा डाॅॅ मेरे पास है फॅमिली बहुत योग शिक्षक ऍफ बता क्या हूँ कभी जो ॅ ग्यारह बजे ठीक है । ओके भूषण जी दलों ने आपके पास देखता हूँ । फोन रख कर प्रिंसिपल साहब बोले शिवा, पर्यटन मंत्री घर भंडा साहब की पुत्री तो चित्र इस वर्ष दसवीं की परीक्षा देगी । उसका सहायक अध्यापक सुधीर बहुत अच्छा शिक्षक था । अचानक उसके सिर में देश दर्द हुआ और पता नहीं कि ब्रेन ट्यूमर था ऍम स्तिथि मृत्यु से लड रहा था विचारा अब उन्हें बेहद विश्वासी अगर योग्य अध्यापक चाहिए । मैं समझता हूँ तो उनकी अपेक्षाओं पर खरे उतरोगे हूँ । अगर वहाँ तुम्हारी ड्यूटी लग गए तो बारे में आ रहे हैं और तो मैं पैसे की भी कोई कमी नहीं रहेगी । मैं अपने मीटर को बोल दूंगा । हाँ एक और बात मंत्री जी का निवास भी श्री राम कॉलेज के परिसर के निकट है । भगवान ने चाहा तो तुम्हारे समस्या का कल समाधान हो जाएगा । ॅ आप मुझे उनका पता फोन नंबर दे दीजिए हूँ । शिवा खडा होते हुए बोला हूँ प्रिंसिपल साहब ने कल भूषण जी का विजिटिंग कार्ड निकाल कार्य शिवा गौड दे दिया हूँ । आपका इंसान में जिंदगी भर नहीं बोलूंगा । चिभाभा बोला हूँ ऍम कैसा? विद्यार्थियों की मदद करना हमारा कर्तव्य है है । तुम तो भारत के स्वर्णिम भविष्य हो । कभी कभी मिलते रहना । दूसरे दिन प्रातः ग्यारह बजे से दस मिनट पूर्वी सेवा मुक्त पत्ते पर पहुंच गया हूँ । कल भूषण जी बाहर ही मिल गए । शिवा की समय की पाबंदी का प्रथम प्रभाव बहुत अच्छा रहा हूँ । अंडर ले जाकर उसे बैठाया । फिर पूछा आप तो स्वयं अभी बहुत छोटे लग रहे हैं । क्या दसवीं के विद्यार्थी को पढा पाएंगे? शिवा ने पूरे आठ में विश्वास नहीं कहा ही मैं वैसे पढाता हूँ । कुलभूषण जीने पर रखने के हिसाब से शिवा से पूछा हूँ, आपका शिक्षा के बारे में क्या विचार है? शिवा बोला राजनीति का क्षेत्र हो या साहित्य का, समाजविज्ञान का हो या इतिहास का भाषा विज्ञान हो या तकनीकी विज्ञान, शिक्षा के बिना किसी भी क्षेत्र में प्रवेश और गति नहीं हो सकती । साथ ही साथ शिक्षा हो और साधन न हो तो बौद्धिक विकास खतरा बनकर मंडराने लगता है । शिक्षा की सार्थकता, आस्था, संकल्प और आचरण कि यूपी में है । महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि व्यक्ति की अंतर्निहित पूर्णता थी । अभिव्यक्ति ही शिक्षा है । महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि व्यक्ति की अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति ही शिक्षा है । शिक्षा व्यक्ति का मौलिक अधिकार है । शिक्षा से ही व्यक्ति ज्ञान विज्ञान के लाभ प्राप्त कर अपना जीवन सुखी बना सकता हैं । शिक्षित व्यक्ति के जीवन शैली, भाषा शैली एवं व्यक्तित्व विशिष्ट प्रकार का होता है तो कुलभूषण अच्छा । परीक्षा परिणाम प्राप्ति के पुरुषार्थ की क्या भूमिका है? तो मेरा मानना है कि पुरुषार्थ की महत्वपूर्ण भूमिका है । विद्यार्थी योजना बद्ध तरीके से सकारात्मक सोच के साथ नियमित अध्ययन करने का पुरुषार्थ करें तो भाग्य भी बदल सकता है । विद्यार्थी श्रेष्ठतम प्रदर्शन कर सकता है । आठ विश्वास से परिपूर्ण शिवा के मधुर वाणी ने भूषण जी पर जादू का असर किया । वो तुरंत उठकर अंदर गए । एक लिफाफे में बीस हजार रुपये रख कर बाहर आए और बोले हूँ ये हो तो मैं उसकी जरूरत ही ना । इस वर्ष का पूर्व भुगतान ऍम हत्प्रभ रह गया । उसको ये राशि तुरंत प्राप्त होने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी । उसकी आंखों में खुशी से पानी आ गया । दो लाख ऍम इतनी जल्दी भी क्या थी पहले मुझे पर रख कर लेते । कुलभूषण जी बोले हमें एक नजर में आदमी पर रखते हैं । अच्छा है मैं आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा । अभी चलो इजाजत है कहते हुए शिवा खडा हो गया । पैसों का लिफाफा वहीं रखा था । कुलभूषण जी भी सेवा को बाहर तक छोडने आए । उसे रुपये वाला लिफाफा पकडाया और कहा इसमें बीस हजार रुपये मंत्री जी के आवास का पता लिखा है । कल से साया चार बजे प्रतिदिन वहाँ जाना । जब रविवार को छुट्टी रहेगी कल वहीं मिलते हैं । सेवा ने करता के भाव से लिफाफा स्वीकार कर लिया तो रुपए लेकर रह । सबसे पहले मंदिर गया जहां भगवान को प्रसाद चढाया फिर बाजार गया । अपनी पहली कमाई से उसने माँ के लिए सुंदर सी साडी खरीदी और पिताजी के लिए कुर्ता पजामा खरीदा । खुशी खुशी घर पहुंचा महावा पिताजी घर पर इंतजार कर ही रहे थे । उसने मां के चरण हुए हैं । हाथों में साडी का पैकेट पकडाया ऍम हुए हैं और उन का कार्य टकराया । बोला अपनी पहली का नहीं से आपके लिए उपाय लाया हूँ । दोनों ने अपने अपने पैकेट से निकालकर देखा तो आंखों में खुशी के आंसू आ गए थे । मैंने कहा बेहद सुंदर साडी है अपनी बहु के लिए रखेंगे मेरे जीवन की प्रथम खरीदी हुई साडी तो माँ ही पहनेगी । फिर अभी बहुत बहुत दूर हाँ सेवा बोला । माने शिवा ॅ पिताजी ने भी उसकी पीठ थपथपाई और कहा बेहद उम्दा डिजाइन है । मैंने तो आज तक इतना महंगा गुप्ता पैजामा नहीं पहना हूँ । सेवा के आंखों में खुशी की चमक और बढ गई । फिर उसने कहा आपका बेटा भी तो अभी काबिल हुआ है तो तब पर शायद उसने अपनी फॅमिली सब के बारे में उन्हें विस्तार से बताया हूँ । दूसरे दिन चार बजे से पांच मिनट पुर सेवा मंत्री जी के निवास पर पहुंच गया । वहाँ स्वागत कक्ष पर ही भूषण जी खडे थे । उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों से शिवा का परिचय करवा दिया कि अब ये रोज आया करेगा । फिर शिवा कोंडर ले गए । बात सुचित्रा अपनी मम्मी के संग बैठी थी । शिवा के प्रथम दर्शन नहीं माँ बेटी को बहुत प्रभावित किया । शिवा के पढाने के शहरी और समझाने का तरीका बहुत अच्छा था । उसकी भाषा पर पकड विषय के गहन ज्ञान के साथ धूल आत्मविश्वास से समझाना सुचित्रा को बहुत पसंद आया हूँ । चित्र के अध्ययन के स्तर के साथ कक्षा परीक्षा के अंकों में भी निखार आता जा रहा था । सेवा का बातचीत का साली का इतना गरिमामय था । आपके सुचित्रा अपने अध्ययन विषयों के अलावा भी इनके सामायिक मुद्दों पर उसे चर्चा करती हूँ । अपनी अनेक शंकाओं के विषय में समाधान पार्टी कभी कभी मंत्री जी विश्वास है मिल लिया करते थे । इस प्रकार व्यवस्थित क्रमसे शिवा का अध्यान कार्य चलने लगा । अध्यापन एक बहुमूल्य काला है । ये सिर्फ पार्टी पुस्तको का ही नहीं जीवन की समग्र विधाओं का होता हूँ । अध्यापन के लिए द्राफी लेना बुरा नहीं है । उस की आवश्यकता है किन्तु बुद्धि के साथ सौदा करना भी उचित नहीं हूँ क्योंकि अध्यापक पर बहुत बडा उत्तर डाइट रहे हैं । केवल वेतनभोगी कर्मचारी नहीं अपितु राष्ट्र का सबसे ज्यादा जिम्मेदार ऍम अध्यापक उस व्यक्ति का नाम है जिसका प्रभाव दहेज के राष्ट्र की भर्ती संतति पर पडता है ब्राय यहाँ विद्यार्थी ये नहीं देखते कि अध्यापक क्या कहते हैं बल्कि वह है देखते हैं कि वह क्या करते हैं । तो अध्यापक का जीवन जितना कर्मठ ऍम पन होगा वो विद्यार्थी उतना ही करता ऍम होगा निष् करता हूँ । अध्यापक का दायित्व निभाने वालों में तीन बातें हो लाॅट आवश्यक है गंभीर ज्ञान, पवित्र चरित्र और सेवाभाव ।

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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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