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Part 9 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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भाग नौ सब घर के बाहर खडे होकर इंतजार कर रहे हैं । जगह नारायण शाम लाल को बुलाने जाते हैं । जब भी लडकी देखने जाते हैं तो जगह नारायण मोहल्ले में रहने वाले बाईस तेईस साल के शाम लाल को याद करते हैं क्योंकि मिनीट्रक चलता है । शाम लाल उस मिनीट्रक से चारा और भूसा गोदामों में डालने का काम करता है । वो जगत नारायण को लडका मैंने टी और शरीर लगता है । हर बार वो थोडे पैसों में इतने सारे लोगों को लेकर चला जाता है और ले आता है । सुन सुबह सुबह एक गिलास गर्म पानी में थोडा जीरा गर्म करके डाल और उसमें आधा नींबू निचोड दें तथा पानी सुबह सुबह खाली पेट रोज भी देख बीस दिन में तेरह वजन कैसे काम होता है । मामा ने बगैर को मोटापा कम करने का हमेशा की तरह एक और तरीका बताया हूँ । मोटे दुबले पतले नाते, गंजे बीमार किसी चीज में कमजोर पीडित ये बिचारी वो कम होती है जिनकी मुलाकात आम इंसानों से कम डॉक्टरों से ज्यादा होती है । एक समस्या के बदले हर कोई बीस बीस उपाय बता के जाता है । बस खुद की ही समस्याओं का सदियों तक कोई इलाज नहीं मिलता ही नहीं । तब तक जगह नारायण शामलाल के साथ मेरी रख में आ जाते हैं और सब मिनी ट्रक में बैठना शुरू करते हैं । बकुल को ट्रक के बीच में बिठाया जाना है ताकि एक तरफ वजन आकर तो खडा ना हो जाए । तभी पडोसी पंडित रवि मंडल बाहर आता है गुटका ठोकता है । सबको गाडी में बैठे देख समझ जाता है कि बखपुर के लिए लडकी देखने जा रहे हैं । जवी मंगल ऐसा शायद ही कोई दिन गया हो कि बखपुर के लिए लडकी देखने के लिए निकले हूँ और इन्होंने जगह नारायण परिवार को टोका । नाओ रवि मंगल को ब खुद के लिए लडकी देखना निरर्थक प्रयास लगता है । बार्वे हमेशा इसकी बातों बातों में हंसी उडाते हैं । लगता है फिर तेरा लगी देखने जा रहे हो गया । अभी मंगल जगत नारायण को टोकते हुए बोलता है हाँ मामाजी पर आप पीछे से टोकेंगे नहीं तो आपकी तिलिस्मी जुबान को चैन कहाँ मिलेगा? मामा ने रवि को सुनाते हुए बोला अरे हम तो पडोसी के नाते बस खबर रख रहे थे रवि मंगल हर बार की तरह बचाव करते हुए बोला कितनी खबर तुम रखते हो ना? तो मैं पंडित नहीं पत्रकार बनना चाहिए था । चलो जीजा जी मामा नी जैसे अभी का आखिरी जवाब देते हुए कहा हूँ जगत नारायण सब परिवार लडकी वालों के घर पहुंच गए थे । सब लोग मिनीट्रक से उतर जाते हैं । बकौल बैठा रह जाता है और जैसे ही वह भी उधर ने लगता है तो मिनी ट्रक आगे से थोडी उठ जाती है । जगत और मामा उस को संभालते हैं और बकुल बहुत आते हैं । आओ श्यामलाल तुम भी आजा साथ में । जगत नारायण ने लडकी के घर की ओर जाते हुए कहा नहीं नहीं पंडित जी आप लोगो कराइए मैं यहीं हूँ । श्यामलाल गाडी को ठीक स्थान पर लगाते लगाते बोला सब लोग लडकी वालों के घर में पहुंचते हैं । आईआईआईएम स्वागत है आपका लडकी के पिता ने सबका स्वागत करते हुए कहा हूँ आइए भाभी जी का मंदिर बैठते हैं । लडकी की मां ने गायत्रीदेवी और मामा जी से हसते हुए कहाँ वो ही बेटा एक कुर्सी और लाॅज लडकी के बाद में अपने छोटे बेटे को आवाज देते हुए कहा जगह नारायण मामा और बकौल तीनों एक सोफे पर बैठ गए और लडकी के पिता कुर्सी पर ठीक उनके सामने और बताइए साहब क्या लेंगे? ऍम जी ने मुस्कुराते हुए कहा बस बस हम घर से नाश्ता पानी करके ही निकले जगत नारायण ने लडकी के पिताजी से कहा हूँ और वैसे भी एक बार रिश्ता पक्का हो जाए तो खाना खिलाना तो चलता ही रहेगा । मामा नहीं । थोडा हसी का माहौल बनाने की कोशिश करते हुए कहा उधर गायत्रीदेवी और मामी जी भी लडकी की मां से घुल मिल रहे थे । हमारे यहाँ तो इस वहाँ सुबह जल्दी जाते हैं और जल्दी उठकर काम में लगना पडता है । मेरी कभी तबियत खराब हो जाती है तो बेटी सारा काम करती है । लडकी की मां ने बडी चालाकी से बातों बातों में बेटी घर के सारे गाम जानती है यह बता दिया हमारे यहाँ तो ये मंदिर जा कर खाना चाहते हैं बारह बजे तक और बस और भी बारह बजे ही काम पर जाता है तब तक सब तैयार करना पडता है । गायत्री रेड्डी ने भी अपनी दिनचर्या के बीच बखपुर का काम पर जाना बतलाया ऍम बडा अच्छा नाम है किसने रखा लडकी की माने हसते हुए पूछा हाँ जी इस की दादी ने रखा है क्योंकि इसके दादा जी का नाम नकुलनाथ था । दादी का पूरे घर में सबसे ज्यादा लाड प्यार इसी पर था । गायत्रीदेवी ने बताया कुछ देर बातचीत होने के बाद लडकी नाश्ते की प्लेट लेकर आती है और जगह नारायण के सामने रखी टेबल पर रखकर चली जाती है । ये है हमारी लडकी बीकॉम किया है और घर के सारे काम यही संभालती है । लडकी के बाद में लडकी से सब का परिचय कराते हुए कहा हूँ लडकी तो बडी सुंदर और सुशील मामा ने लडकी की तारीफ करते हुए जगह नारायण के पहले बोला वैसे आप लोग बता रहे थे कि लडका भी साथ आने वाला है । लडकी के बाप ने सवाल किया अरे यही तो है लडका मामा ने बगल में बैठे बखपुर की तरफ इशारा करते हुए बेटा बेटा ऍम के मामा ने बात को आगे बढाते हुए कहा बस और खडे होकर पैर छूने लगता है और जैसे ही जुडता है चर करके आवाज आती है । मकुर की पैंट पीछे पड जाती है और शर्म के मारे जो बच्चा फिर से सोफे पर बैठ जाता है । लडकी का बाप भद्रावती चेहरा बनाकर हंसी छिपाने की कोशिश करता है । अचानक से थोडी देर के लिए चुप पीछा जाती है । वो

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यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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