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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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हरे शैक्षणिक प्रतियोगिता में शिवा प्रथम रहता हूँ । खेलकूद में सर्वाधिक पदक जीता हूँ । साहित्यिक गतिविधियां, कवितापाठ भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन हो या उत्प्रेरक लेखन होऊं चित्रकला प्रतियोगिता या गीत गाया विवाह सब मैं छाया रहता । पूरे मनोयोग से परिश्रम करके वो सबका प्रेयर विद्यार्थी बन गया था । बाल दिवस वाले दिन विद्यालय का वार्षिकोत्सव आयोजन था, जो शोर से तैयारियां की गई थीं । दिल्ली की राज्यपाल मुख्य अतिथि थे । बहुत भव्य आयोजन था । अनेक सम्मान पुरस्कार बच्चों को दिए गए । चारों तरफ उत्साहभरा उल्लास का माहौल था । अब अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण घोषणा बाकी थी सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी कि कुछ लोग बारहवीं कक्षा के टॉपर छह नेता की सोच रहे थे । कुछ लोग ओलंपियार्ड विजेता विशाल के बारे में सोच रहे थे । कुछ का अंदाज क्रिकेट टीम के कप्तान वतन के बारे में था । अचानक सब की सांसें थम गईं । ऍम स्वयं खडे हुए । उद्घोषणा मंच के पास पहुंचे । माइक संभालते हुए बोले, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है । ब्लॅक ऍम कक्षा ग्यारह के विद्यार्थी शिवमंगलसिंह को प्रदान किया जाएगा । चारों तरफ शोर मच गया । ऍम वहाँ उसके दोस्तों ने उसे घेर लिया । अपने कंधों पर उठाकर मंच तक उसे लेकर आए । गवर्नर महोदय ने स्वयं अपने हाथों से शिवा को प्रतीक चिन्ह, हवा व प्रशस्ति पत्र भेंट किया । प्रशासन ने हिरदय से उसने भविष्य में और अधिक दायित्वबोध के रूप में इस सम्मान को स्वीकार किया । वो मुख्य अतिथि प्रिंसिपल महोदय के पैर होते हुए उस ने कहा है ये तो आपकी विशेष कृपादृष्टि है तो लेकिन शब्दों में शुक्रियादा करूं फॅार भी भावुक होकर बोले तो अच्छे बच्चों के संग हमेशा आशीर्वाद बना रहता है । शिवा खूब आगे बढो और विद्यालय का नाम और रोशन करूँ सब शिक्षकों ने ऍम सहपाठियों ने बदायूं की झडी लगती है ऍफ विकेट लेकर घर पहुंचा । बाहर से ही लाने लगा माँ माँ देखो क्या लाया हूँ फॅमिली दौड कर बाहर आई बच्चे की उपलब्धि देख उसकी आंखों में बनी आ गया भी छह पीछे सत्यवान भी बाहर आ गए । शिवानी माँ के हाथ में ट्रॉफी पकडाई पिताजी को प्रशस्ति पत्र पकडाया और भावुक स्वर में बोला ही तो आपके आशीर्वाद का हाल है । पिताजी हर्षातिरेक से बोले तो हमारा नाम मुझे बहुत क्या है? बता बेटा क्या इनाम लेगा? फॅमिली ने बेटे गम हूँ मीठा करवाते हुए कहा पापा से बडा सही नाम लेना शरारत छह । शिवा बोला मेरा इनाम आपके वह हमारा जब जरूरत होगी पहले लूंगा तीनों हसी खुशी अंदर बैठ गए । सत्यवान ने कहा रेडा बारवीं कक्षा की पढाई है यह तो विद्यार्थी के लिए और कक्षा की महत्वपूर्ण होती है । प्रथम का ख्याल से नहीं कर रहा हूँ ऍम कुछ बडा भविष्य की दिशाएं निर्धारित करते हैं । ये विद्यार्थी जीवन के देखा परिवर्तन बिंदु होते हैं । ऐसी ही है कक्षा बारहा । इसके लिए तो मैं विशेष योजना भग्य परिश्रम करना होगा । साबित नहीं आध्यात्मिक प्रवृत्ति कि पूजा पाठ थी महिला नहीं । उसने कहा कि वहाँ बारहवीं कक्षा की जंग जीतने के लिए तो मैं विशेष ऍम मानसिक क्षमता हूँ की आवश्यकता है मानसिक शक्ति विकास के लिए । मैं तो मैं कुछ विशेष प्रयोग बताती हूँ । सर्वप्रथम तो शिक्षा की अभी शास्त्री, देवी सरस्वती, माँ ऍम की आराधना के लिए इन्हें याद करते हुए प्रतिदिन प्राप्ता एक माला ऍम न वहाँ की करनी है । सब संकल्प ही अपने आप महामंत्र होता है । यह भी तो मैं अध्ययन करने बैठो । वहाँ प्राण हनी का नौ बार उच्चारण करना है । इसके लिए सर्वप्रथम सुखासन में अंतिम पलथी मारकर बैठो । दायां हाथ नहीं थे पाया है तो ऊपर ॅ आपस में मिले हुए भी तो रात मुद्रा आंखे कोमलता से बंद गहरा श्वास भरो और भरे की तरह गुंजन की ध्वनि करते हुए श्वास बाहर निकालो । इसी दौरान अनुभव करना हैं कि तुम्हारे मस्तिष्क के न्यूरॉन्स जाग्रत हो रहे हैं । तुम्हारी स्मरण शक्ति बढ रही है तो हमारी एकाग्रता बढ रही है हूँ ये महाप्राण ध्वनि की एक आवृत्ति है । ऐसी नौ वृद्धियां करते ही तुम्हारे मस्तिष्कीय क्षमता बढने लगेगी । इसी स्थिति में आके मत खोलो बंद आंखों से ललाट पर लिखा देखो तुम भारत में प्रथम आ रहे हो अपने आपको सुझाव दो । यह तुम्हारे अवचेतन और अर्द्धचेतन मस्तिष्क में जाकर स्मृति गोश में जम जाएगा । फिर लक्ष्यप्राप्ति में मस्तिष्क निश्चित रूप है । विशेष जागरूकता से तुम्हारा सहयोग करेगा शिवानी पूरी तन्मयता से माँ के माॅस्को ग्रहण किया वहाँ के बोलेंगे । शारीरिक शक्ति बढाने के लिए तो मैं नियमित पौष्टिक भोजन ग्रहण करना है ताकि है शरीर में आलस्य की बजाय छोडती रहे । मस्तिष्क को भी बराबर को राहत मिलती रहे । वहाँ तो जो भी देगी में कभी न् कार्यक्रम क्या का लूंगा । पर बता तो देख क्या क्या खिलाएगी । सारे ने कहा ताॅबे श्री हल्की काली मिर्च मिलाकर होंगे, अखरोट खिलाऊंगी । दूध का नियमित सेवन करना हैं । रात को उनींदा लगेगा तो ग्रीन टी और कॉफी भी पिलाऊंगी मूल रूप से हरी सब्जियों एवं फलों का ज्यादा सेवन करना है । फॅमिली कहा देगा तो अपने आप ज्यादा की योजना बना सकता है । देखा जी अनुभवी अजीब से जुडकर ही वर्तमान उज्जवल भविष्य बनाने गए । वास्तव में शिवा बडे व्यापक दृष्टिकोण से गंभीर चिंतन करता था । उसी राहत उसने पूरी योजना बना डाली हूँ । संपूर्ण वर्ष में उसे कैसे अध्ययन करना है? प्रतिदिन ओं से कितने घंटे पढना है और क्या पढना है । पूरी दिनचर्या बनाई नहीं माने । उस की पढाई की मेरे इस प्रकार सेट कर दी थी कि बैठते समय शिवा कम हूँ । पूर्व दिशा की ओर रहता हूँ । पेड के पीछे ठोस दीवार थी । सामने खुली जगह थी । सामने की खुली जगह विद्यार्थी के सामने खुले अवसरों को प्रस्तुत करती हैं । शिवानी एक वर्ष के लिए माँ से टेलीविजन नहीं देखने का ब्रेक ले लिया था । अन्य गतिविधियों के बजाये उसने अध्ययन को अधिक महत्व दिया । दोस्त ओकेशन घूमना और गपशप भी एकदम कम कर दिया था । जितने भी बातचीत होती बस पढाई से संबंधित करते करते बाहर देगी । परीक्षाएं नजदीक आने लगी । उसके विद्यालय में भी कभी का कक्षा अध्ययन संपूर्ण समाप्त हो चुका था हूँ । चौथी बार पुनरावृत्ति चल रही थी । हर महीने टेस्ट पेपर होते थे । परीक्षा के बाद बच्चों का काम देख उसकी कमजोरी दूर करने का प्रयास होता था । ऐसी तैयारी बहुत कम स्कूलों में होती है । शिवानी अपने सारे विषयों के नोट्स बना लिए थे । की परीक्षा के पहले दिन क्या क्या पढना है और पेपर से दो घंटे पहले क्या दोहराना है । उसने गत वर्षों के प्रश्न पत्र भी एकत्र किए थे । उन्हें वह समय सीमा के भीतर हाल करके घर में ही बोर्ड की परीक्षाओं के प्रश्नपत्र हल करने का पूरा अभ्यास क्या करता हूँ, माँ बाप भी कोशिश करते हैं । मैं स्वयं भी पूरी कोशिश करता हूँ कि किसी तरह का तनाव ना रहे हैं । हर दम प्रसन्नचित और हल्का माहौल उसके आस पास नहीं । अपनी क्षमताओं के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का सब उसने संजोकर रखा था ना कि प्रतिशत या सौ प्रतिशत का कराता । सूर्योदय से पूर्व वोट कर प्रतिदिन आधा घंटा है । ध्यान योग, आसन और प्राणायाम आवश्य करता हूँ हूँ । परीक्षा देने जाने से पूर्व अपने फॅमिली लेकर प्रवेश पत्र तक को संभाल कर तैयार रखता हूँ । माता पिता को प्रणाम करके पेपर देने चाहता हूँ । परीक्षा हॉल में भी कोई घबराहट नहीं । मुँह प्रथम नमस्कार महामंत्र को बोलकर पेपर को हाथ लगता । पूरे प्रश्न पत्र को पढकर निश्चित समय सीमा के अंदर उन्हें हाल करता हूँ । ज्यादा नंबरों के प्रश्नों को ज्यादा समय कम अंकों के प्रश्नों के उत्तर को कम समय वो अंतिम साठ मिनट से पूर्व पूरा पेपर समाप्ति करके वह पुनर्परीक्षण में लग जाता हूँ । शांतचित्त से हल्की गई उत्तरपुस्तिका की लिखावट दर्शनीय होती । इस प्रकार परीक्षाएं सानंद संपन्न हो गई हूँ । विद्यालय में बडी हलचल थी । दारजी की परीक्षा का परिणाम आना था । सब बच्चे अपने अपने इस को याद कर रहे थे । ये पर कभी कभार ही लग रहे थे । ॅ अचानक तहलका मच गया । चारों तरफ खुशियां अच्छा नहीं । स्कूल में ढोल बजने शुरू हो गए । भाई विद्यालय के इतिहास का स्वाॅट आप ठाक ना के पैंतालीस वर्षों बाद यहाँ के विद्यार्थी मंगल सिंह ने संपूर्ण भारत में वित्तीय स्थान और पूरी दिल्ली में प्रथम स्थान प्राप्त किया हूँ । गणित में स्वामी सौ अंक ऍम मिक्स में सत्तानबे बिजनेस ॅ अंग्रेजी में पाॅड रहे गए थे और इंडिया टॉप करने में दो नंबर से पिछड । क्या इतने बडे चमत्कार की उम्मीद किसी को नाॅन साहब ने उसे अपने कमरे में बुलाया । प्रवेश करते ही फॅमिली होते उन्होंने उसकी पीठ थपथपाई, कही तुमने अपना वादा पूरा करके दिखाया है हमें तुम पर नाज है । जावेद ऍसे अच्छे कॉलेज में प्रवेश लोग कभी भी हमारे लायक काम हो तो याद कर लेना । मेरे जीवन में यादगार विद्यार्थियों में से तो ऍम कहता हुआ शिवा प्रशंसा सब कुछ आ रहा था । विद्यार्थी जीवन के इस महासंग्राम में विजयश्री का वरण कर गले में माला पहने जगह घर पहुंचा तो वहां का दृश्य देख हैरान हो गया । पूरा घर सजा हुआ था । सारा मोहल्ला इकट्ठा हो गया था । कई मीडिया वाले भी पहुंच गए थे । महान ई आरती की थाली सजा रखी थी । मैंने तिलक लगाया । आर्थिक की पिताजी मिठाई का डब्बा लिए खडे थे तो उन्होंने मिठाई खिलाई । शिवा ने दोनों के चरण हुआ । दोनों ने उसे गले लगा लिया । ऍम वाले दनादन फोटो खींच रहे थे वो नहीं । वहाँ के दोस्तों ने उससे पूर्व घर पहुंचकर सारी तैयारियाँ कर गांधी नहीं तो दूसरे दिन के अखबारों में मुख्यपृष्ठ पर शिवा की तस्वीरें छपी थी । टीवी पर उसका और उसके माॅल का इंटरव्यू भी देखा हूँ ।

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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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