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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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सत्रह अठारह वर्ष की आयु में वो पांच चार इंच का गोरा चिट्टा गोलमटोल कुंवर बन गया था जिसके चेहरे पर किसी तपस्वी जैसा तीन आंखों में आत्मविश्वास की कीमत थी । साधा सुरक्षित थोडा लेबाज पहने जब मैं स्कूल में पहुंचा तो एक अनोखी आवासीय अलौकित इस किशोर को वहाँ के पॅाल साहब देखते ही रह गई । उसने दोबारा हो जाता हूँ मैं काॅल साहब ने चित्र लेकिन ठंडा आज मैं जवाब दिया तो मैं उनकी मेज के सम्मुख आकर खडा हो गया । प्रिंसिपल साहब नेशनल यहाँ सिख स्वर में कहा ऍम सामने कुर्सी पर बैठ गया हूँ, क्या नाम है तुम्हारा? प्रिंसिपल साहब ने पूछा ऍम घर में सब मुझे शिवा कहते हैं । किशोर ने और ऍम घर में और कौन कौन है? मेरे पिता जी वा माता जी क्या नाम है तुम्हारे माता पिता जी का? सावित्रीदेवी ऍम श्री सत्यवान जी, पिता जी क्या करते हैं पर क्योंकि एक छोटी सी तो खानी है बोलो यहाँ कैसे आना हुआ? बच्चे क्या चाहते हो? मैंने सर्वोदय विद्यालय से दसवीं की परीक्षा दिए कि आर्मी में आपके विद्यालय में प्रवेश लेना चाहता हूँ । हमारे विद्यालय में ही क्यों प्रवेश लेना चाहते हो सर आपके विद्यालय का भर्ती का परीक्षा परिणाम बहुत अच्छा रहता है । बता मैं भी यही से अध्ययन करना चाहता हूँ ताकि मेरा भी बारहवीं कक्षा की परीक्षा परिणाम हो । श्री शिवधाम रहे और मैं ॅ प्रदेश ले सकूँ । क्या तुम्हारे पिताजी विद्यालय को किसी प्रकार का आर्थिक अनुदान दे पाएंगे? नहीं सर, बेटी मेरी फीस की भी व्यवस्था नहीं कर पाएंगे । फिर शिवाई विद्यालय में पढने का सपना छोड दो । मेरे होने से आपके स्कूल को भी बहुत लाभ हो सकता है तो मिटने विश्वास है ऐसा कैसे कह सकते हो? मैं पढाई में खेल कूद था । अन्य प्रतियोगिताओं में विद्यालय का नाम रोशन करने में आपकी मदद कर सकता हूँ । मैं कैसे प्रत्येक क्षेत्र में प्रथम आकर तुम इतने आत्मविश्वास से कैसे कह सकते हो? आत्मविश्वास ही तो सफलता की सच्ची कुंजी होती है । आत्मा के विश्वास के सारे ही तो इंसान हिमालय की चोटी पर चढ सकता हूँ । महासागरों की गहराई आप सकता हूँ । यहाँ के सम्मोहन से छोड कर एक आॅफर साहब यथार्थ में लौटे तो मैं उस से बहुत प्रभावित हुआ है । उन्होंने शिवास है, उसका पुराना रिकॉर्ड मांगा और उस पर एक नजर डाली ऍम उसका प्रगति विवरण शानदार था । परीक्षा के प्रमाणपत्र देंगे । पहली से लेकर नवी कक्षा में प्रथम चित्र कलाम है । प्रथम कविता पाठ में प्रथम निबंध सुलेख, सामान्यज्ञान एवं भाषण प्रतियोगिता में प्रथम ऊंचीकूद ऍम डाला दौड । इनके अलावा भी अनेक प्रमाण पत्र शिवांगी फाइल में थे । वो कच्छा पांच से आज तक सरकार से उसे नाॅक मिल रही थीं । विवाह से प्रभावित होने के बावजूद प्रिंसिपल साहब ने इंटरव्यूज आ ही रखते हुए पूछा है तो सरकारी विद्यालय था ये प्रथम श्रेणी का विद्यालय क्या तो अपना यथावत रख पाओगे तो सर मैं इससे भी ज्यादा करके दिखाऊंगा । ऍम प्रिंसिपल साहब के पास की कुर्सी पर विद्यालय मैंनेजिंग कमेटी के महासचिव बैठे थे । शिवा की बातचीत के अंदाज से वह काफी प्रभावित हुए । उन्होंने हिरा से पूछा हूँ चाहे ॅ जी मैंने सादगी में उत्तर दिया, धनी वायॅर अभी कुछ की आवश्यकता नहीं है । बस एक ही तमन्ना है इस विद्यालय में प्रवेश प्राप्त करना । मैंने हमारी सारी बातचीत तो नहीं है किंतु हमारी मजबूरी है बिना चंदा लिए यहाँ किसी भी विद्यार्थी को प्रवेश नहीं रह सकते हो कि हमारी सामर्थ्य से बाहर है । उसके बिना भी मुझे मौका देखकर तो देखिए ऍम वास्तव में तुम असाधारण बुद्धिमान हो तो अपने विद्यालय में पढते हुए नंबर लाॅस ओर के लिए विद्यालय परिवर्तन आवश्यक नहीं । सर्वागीण क्षमताओं के प्रस्फुटन के लिए उचित वातावरण भी बहुत आवश्यक है । गुलाब रेगिस्तान में पैदा नहीं हो सकते हैं । हर बीच उचित वातावरण पाकर ही पुष्पित पल्लवित देवम् परिवर्तित हो सकता है । विद्यालय के महासचिव शिक्षा के तार्किक संवादों से बेहद संतुष्ट हुए । उन्होंने प्रिंसिपल को नजरों से इशारा कर दिया । प्रिंसिपल साहब ने कहा ठीक है, हम विचार करेंगे तो अपनी फाइल एप्लीकेशन नहीं छोडती हूँ । कल प्राथा दस बजे आकर स्वागत काक्षी पर मैसेज इतनी बेटी है मैं लेना ऍम कहते हुए शिवा खडा हो गया । फिर खडे खडे ही बोला ऍम! मुझे विश्वास है कि कल मुझे आप की स्वीकृति ही मिलेगी । बाईस कहते हुए है बाहर निकल गया हूँ । प्रिंसिपल ने एक बार पुनः आ शिवा की फाइल पर नजर डाली हूँ तो उन्हें संतुष्टि के पश्चात उस पर अपनी स्वीकृति लेकर प्रशासनिक विभाग में भिजवा दिया । दूसरे दिन नियत समय पर आकर शिवा त्रिवेदी मैडम से मिला । उनसे स्वीकृति पाकर शिवानी स्कूल में प्रवेश की सारी औपचारिकताएं पूर्ण कर दी । उसे ग्यारह ही कक्षा बाॅल नहीं । इस कक्ष में ज्यादातर बच्चे कमजोर थे । एक महीने बाद यूनिट टेस्ट हुए हैं । हिंदी में बीस में उन्नीस नंबर आए । बाकी सब देशों में भी इसमें बीस आॅफ सेवा कक्षा क्या रही है उन ना होकर ग्यारहवीं ए में आ गया । इस कक्षा में सबको शाखा विद्यार्थी थे । स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली क्रीडा बोर्ड की ओर से अंतरविद्यालय टूर्नामेंट आयोजित होने जा रहा था । इसे है तो इच्छुक विद्यार्थी नाम लिखा दें । ऐसी सूचना शिवा की कक्षा में भी पहुंची । शिवानी ऍन टू चार मीटर रिले ऍम मीटर रेस में अपना नाम लिखवाया । वो सभी प्रत्याशियों खिलाडियों को अगले हफ्ते क्वॉलीफाइंग राउंड क्लियर करना था । शिवानी बडी आसानी से चारों पर क्या होता हूँ तो क्वॉलिफाइंग राउंड क्लियर किया । पीटीआई ॅ नियमित रूप से सभी को ट्रेनिंग देते शिवः प्रतिदिन नियत समय से दस मिनट पूर्व पहुंचाता । खूब एकाग्रता है । मन लगाकर अपनी योग्यता बढाता हूँ हूँ । हर दूसरे दिन आपने पहले दिन का रिकॉर्ड तोडने का प्रयास करता हूँ प्रकार अभ्यास करते करते वे दिन आ ही गया जिसका शिवा को इंतजार था हूँ । इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में तू टूर्नामेंट का आयोजन किया गया हूँ । सबसे पहले सौ मीटर रेस का आयोजन हुआ । तीस स्कूलों के प्रतिनिधित्व करने वाले साठ बच्चे भाग ले रहे थे है चाय का ट्रैक बना था हूँ जगह का पांचवी बार में हम बनाया नमस्कार महामंत्र पढकर उसने अपने आप को वहाँ क्या ॅ सभी को पोजीशन लेने को कहा । पापा नियम आॅखो के साथ सीटी बजे और शिवा के पैरों में पंख लग गए । शुरूआती बढत के साथ सब से काफी आगे रहते हुए उसने पहला राहुल जीत लिया । इन दूसरे राउंड में आए बच्चों को भाजपा में बाढ कर सेमीफाइनल राउंड होना था । पहले चरण में पांचवें नंबर पर शिवा खडा था । पूरी तरह से चुस्त अवाॅर्ड फ्री ने तुम्हारे शुरू करवाई ऍम को ऍम ये क्या हो के साथ ही शिहास जोर से अटका उसका सीधे पैर का अंगूठा मोडकर जमीन से टकराया और मैं जोर से लडखडाया । बाकी दोस्तों की यहाँ से रोक नहीं । इतने में देखा शिवा पुनः अपनी ताकत संजोकर दौड रहा था हूँ । सब धावकों को बचाते हुए पुना उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया । उसके दोस्त खुशी से चिल्लाने लगे । शिवा शिवा ॅ एक तरफ में आकर देखा तो अंगूठे का नाखून टूटकर अंगूठे की चमडी में ढल गया था और लगातार खून बह रहा था । पीटीआई ने तुरंत प्राथमिक चिकित्सा करके बॅाडी तथा उसे विश्राम करने की सलाह दी । इसी बीच रेस के फाइनल राउंड की उद्घोषणा हो गई । सर ने शिवा से कहा कि अगर तो मैं दिक्कत हो रही है तो स्कूल के दूसरे ढावा को उसकी जगह दौरान ही शिवानी पूरे मनोबल वह आता विश्वास के साथ कहा शहर अपने स्कूल के लिए दौडने की पर्याप्त सामर्थ अभी भी मुझे हैं । कृप्या मुझपर विश्वास करें मुझे मौका नहीं साॅस देखा आठ में विश्वास की आभाष शिवा का मौका ऍफ हो रहा था तो तुरंत उन्होंने उसे दौडने किये जा जाते नहीं हूँ । आगानी ऍम मीटर रेस के फाइनल राउंड की घोषणा हो गईं । सेमीफाइनल के पांचों स्कूलों के बेहद यार थी ट्राय के पास दोनों तरफ अपने दोस्तों का हौसला बढाने के लिए जमा हो गए । सब लडते दिल से भगवान का नाम ले रहे थे । वो पांच बच्चों ने अपनी अपनी पोजिशन ले ली । पैर को इलाज लाकर देखा तो वाकोला का पैर सुनना हो रहा है । वहीं खडा है जल्दी जल्दी पैर को उठाकर कमाने लगा हूँ । दर्द के मारे वो से चीत्कार निकल गई । उसने भगवान से प्रार्थना की भगवान आज मुझे अपने आपको साबित करना है । आप मेरी मदद करें इतने में ही रखती हूँ । यहाँ नहीं तैयार जीटॅाक आपने अपनी अपनी पोजिशन ली । शिवानी भी पूरी शक्ति ऍम था तथा एकाग्रता से गहरा श्वास भरा । इतने में ही रह फ्री बोला ऍन धूप से निकली गोली लक्ष्य पर जाकर ही दम लेती है । ऐसा ही चमत्कार क्या शिवानी पलक झपकते ही शिवा समापन रेखा पर खडा था । सबसे ला रहे थे वहाँ फॅमिली ने नाम है हम समय नोट किया बधाई दी । शिवा एक शिवा भारतीय विद्या भवन दो ऍम स्कूल तेल लगे दिल्ली पब्लिक स्कूल अब भाला फेंक प्रतियोगिता दी । इसके बाद गोला फेक, फिर ऊंचीकूद उसके बाद पुनः ऍम थी । चाहें तो सौ मीटर रिले रेस में शिवा की टीम द्वितीय रही । बाधा दौड में शिवापुर रह रहा हूँ आप बारी थी चार सौ मीटर लम्बी रेस ॅ । अभी प्रतियोगिता शुरू होने में दस पंद्रह मिनट की देरी थी । लक्ष्य सीमा के पास आया और बोला वो मेरा बधाइयाँ । पहले दिन ही इतने मेडल जीतने के लिए ऍम धन्यवाद का लक्ष्य बोला । जहाँ तक मेरा सोचना है, चार सौ मीटर का मैडल भी तो नहीं मिलेगा । फॅमिली की शक्कर लक्ष्य पुणा कहा अगर तुम चाहो तो अभी इसी वक्त एक लाख रुपए कमा सकते हो । कैसे? लक्ष्य ने कहा तो मारेगी पक्की है अगर तुम पीछे हट जाओ तो मैं तो में एक लाख रुपए दे सकता हूँ । दस हजार अभी तुरंत ऍम जितना एक ठंड के लिए सदमे में आ गया उसने तो अपने पूरे जीवन में एक लाख रुपये एक साथ देखी भी नहीं थी । यह एक बहुत बडी राशि थी । घर ही झटका पड रही थी । उसकी मरम्मत करवानी थी । माँ पिछले कई दिनों से लगातार खांसी आ रही थी । उन्हें अच्छे अस्पताल में दिखाना था । पिताजी की घडी खराब हो गई थी । उन्हें नहीं घडी चाहिए थी । इससे उसकी समस्या आवश्यकताएं पूरी हो सकती थी । मैं साइकिल भी खरीद सकता था । शिवा का मन विचलित हो गया । उसने लक्ष्य से पूछता हूँ क्या सचमुच तो मुझे एक लाख रुपए दे दोगे? हाँ क्यों नहीं । उसने तुरंत हजार हजार के दस नोट निकले और उसकी तरह बढाते हुए कहा ऍम तो मेरा विश्वास कर सकते हो । आपको आसमान घूमता नजर आया । जैसे बडी प्रसन्न मुद्रा में गणेश भगवान लक्ष्मी जी रुपये बरसा रहे थे । फॅमिली में समेट रहा है । उसने अपना हाथ आगे बढाया । इतने मैं उसे उसकी माँ की शिक्षा याद आई । जिंदगी में कभी गलत काम नहीं करना । नहीं गलत ढंग से पैसे कमाना । हिमाचल का उसने अपने आप को संभाला और बोला नहीं नहीं लगे मैं अपने स्कूल से घाटा नहीं कर सकता हूँ । मेरी आत्मा ऐसा पैसा लेना स्वीकारती नहीं । मैं नहीं देख सकता हूँ । मैं अपनी पूरी क्षमता से अपने विद्यालय के लिए दौडों का रुपया तुम यहाँ से चले जाऊँ । लक्ष्य पुणा कहा उस लोग हाँ मैंने सोच लिया । नहीं नहीं हूँ अब क्या करें । लगे सिर नीचा करके वहाँ से निकल गया । बितने में माइक पर उद्घोषणा हुई मैं ॅ कृपया ध्यान दें चार सौ मीटर देश की दौड प्रारंभ होने जा रही है । सभी प्रतियोगी ट्रैक पर पहुंचे । जो भी इधर उधर थे वैसा पांच मिनट में वहीं पहुंच गए । रेफरी ने सारे नहीं हम एक बार बोल रहा, सभी को बताएँ । सभी को पोजिशंस लेने का निर्देश दिया । ॅ की आवाज के साथ धावक दौड पडे । लक्ष्य सभी से आगे दौड रहा था । हमारे उसके ठीक भी छह था । शिवा सधे कदमों से धावकों के मध्य स्थिति में था । सौ मीटर बार हुए की शिवा अपने साथ ही धावकों से आगे निकल आया । दो सौ मीटर क्रॉस होते हुए अमन अंकुश से भी आगे निकल गया । किंतु अभी लक्ष्य काफी बढत बनाया था । तीन सौ मीटर आते आते लक्ष्य थोडा सा पीछे रहा और देखते ही देखते शिवा लक्ष्य के समकक्ष पहुंचा । भीड पूरी उत्तेजना से लक्ष्य लक्ष्य चिल्लाने लगी । हूटिंग से उत्साहित होकर लक्ष्य और तेज दौडने लगा । बीलवा गोला कहा उसका चोटे लंगोटा पैर से अलग हो जाएगा । उसने अपनी समग्र शक्ति को एकत्र किया । विनर साइन की ओर देखा और संपूर्ण आत्मा लगा और थोडा वो लक्ष्य के बराबर पहुंचा और है क्या? लक्ष्य को बचाते हुए अगले ही फॅमिली के उस पार था । चार सौ मीटर रेस को भी उस ने जीत लिया तो तुरंत प्रशिक है दौड कराए । उन्होंने शिवा को गले लगाकर खूब सवा ही नहीं । आज की सारी रेंज में शिवानी अपने स्कूल के लिए चार स्वर्ण पदक जीते हैं । शाम को जब घर पहुंचा तो उससे टाइम पैर से चला नहीं जा रहा था । पूरा उठा नीला पड गया था । ऐसा लग रहा था जैसे मान फट गया है । घर पहुंचते घटिया बर्धमान से गिर गया । शिवा ने माँ को आज के बोर्ड देते हुए सारी बातें बताई हूँ । एक साथ इतने स्वर्ण पदक जीतने के लिए माने शिवा को गले से लगा लिया । जब एक लाख रुपए रिश्वत वाली बात बताई तो माँ ने कहा ऍम तुमने मेरा सिर गर्व से ऊंचा किया है । जिंदगी में कितना भी बडा प्रलोभन क्यों ना आएं । हमेशा सत्य ऍम ईमानदारी के रास्ते पर चलना हो । अंतिम विजय तुम्हारी ही होगी । फिर महाने शिवा के अंगूठे पर गर्म पानी से बोरिंग ऐसे डालकर सिखाएगी खाना खिलाया हर आदमी गुडवा गेहूँ के आटे का हलवा बनाकर घर हम गरम ही अंगूठे पर बांध कर फिर आपको सुला दिया । सुबह तक उसे काफी आराम मिल गया । भाई विद्यालय के छुट्टी थी । अगले दिन विद्यालय पहुंचा तो सेखो बधाइयां मिली बॅाल करने । शिवा को अपने ऑफिस में बुलाकर कहा हूॅं, इसे बनाए रखना । विनम्रता से थैंक्यू कहकर सवाल बुल्हा अपनी कक्षा में आ गया । कक्षा में मैदा में कमांडो पूर्वसूचना दे रही थीं । अक्टूबर में स्काउट गाइड कार राष्ट्रीय शिविर होगा । ये प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार आयोजित होता है । जो भी विद्यार्थी भाग लेने के इच्छुकों वे अपने नाम सुनाक्षी मैडम को लिखा दें । योग्यता के आधार पर चुनाव करके स्कूल से बात लडके और चार लडकियों को ले जाया जाएगा । शिवा को रहते है वो माडॅल साहस बडे कारनामें शुरू से पसंद है । मैं चाहता था कि उसे कहीं अवसर मिले तो बर्फीले पहाडों पर चढना सीखे । तूफानी नदियाँ पार करना सीखें । जंगलों में भटके हुए को रास्ता बताएँ । आठ से जलती इमारतों से मनुष्यों को बचाएं । दीन दुखियों की सेवा करें । स्काउटिंग का सहज सहयोग मिला । ऍम साहस को स मारने का मौका मिला । और शिवा का राष्ट्रीय शिविर के लिए चयन हो गया । अगले महीने फॅार ईको उन्हें शिविर के लिए रवाना होना था । स्काउट्स एवं गाइड्स की पूरी स्पेशल ट्रेन बुक थी । पांच लडके तो पांच लडकियों का एक ग्रुप था । उनके साथ एक का और एक अध्यापक इस तरह के पूरे सौ ग्रुप स्पेंड थे । लडकियां खाना बनाती हूँ । लडके दूसरी सारी व्यवस्था करते हैं । टीचर्स देखभाल करते एक तरह से कहा जाए तो ट्रेन ये उनका घर बन गई थी । एक घंटा स्टेशन आता था । बहुत सबूत थे । उस शहर के ऐतिहासिक एवं दर्शनिक सालों का अवलोकन करते पुनः ट्रेन में बैठ जाते हैं और उनकी रेल अगले गंतव्य के लिए रवाना हो जाती । भोपाल और हैदराबाद रेलवे स्टेशन पर इन बच्चों का भव्य स्वागत हुआ हूँ । सबको मालाएं पहनाई गईं, मिठाइयों के पैकेट बांटे गए । कुछ भाषण जलसा भी हुआ । सबको बहुत आनंद आ रहा था । विशाखापट्टनम रेलवे स्टेशन पर इन की स्पेशल ट्रेन रुकी हुई थी । ऍम पर शिवा के ग्रुप की लडकियाँ खाना बना रही थी । बाद में ही संस्कृति पब्लिक स्कूल की लडकियाँ भी खाना बना रही थी । उनके साथ ही लडके वहीँ सामान वगैरा पकडने में उनकी मदद कर रहे थे । तभी वहाँ से कुछ लोकल गुंडे टाइप के लडके निकले । उन्होंने शिवा के स्कूल की लडकियों पर फब्तियां कहीं फिर आगे जाकर संस्कृति पब्लिक स्कूल की लडकियों से छेडछाड करने लगे । उनके साथ ही लडकों से ये बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने मारपीट करके लोगों का लडकों को वहाँ से भगा दिया । लगभग एक घंटे में सबका खाना पीना समाप्त हो गया और ट्रेन पूरी तरह ऍम रवाना हो गई । पर यह क्या रेलवे स्टेशन से बाहर निकलते ही खिडकियों दरवाजों पर भयंकर पत्थरों की बौछार शुरू हुई । संस्कृति स्कूल के लडकों ने जिन स्थानीय लडकों को पीटा था अपने साथ गुंडों की पूरी फौज ले आए । जो पत्थर हॉकियां पेट्रोल से भरे कैन हाथ में लगे हुए थे बडी विकट स्थिति पैदा हो गयी थी । पूरी ट्रेन में खिडकियों के शेयर हम शटर तुरंत लगवाए गए । आनन फानन में प्रवेश द्वार बंद करवाए गए । वो शिवा ने एक साथ ही को साथ लिया और दूसरे को कान में कुछ कहकर अंदर ही अंदर ड्राइवर वाली बोगी की ओर दौड पडा । लगभग नौ डब्बे पार करके ड्राइवर का कॅश वहाँ तो आज का शिवानी देखा । ड्राइवर तो एकदम सुरक्षित था लेकिन ट्रेन के सामने बीच पटरियों पर कुछ लडके लाल झंडे लिए ट्रेन को रखवाने की मंशा से खडे थे । ट्रेन चलती रहती तो इनमें से किसी न किसी लडके का कटना भी हो सकता था और अगर ट्रेन रुकती तो वह गुंडे ट्रेन में आग लगा देते हूँ । अपनी प्रत्युत्पन्नमति से बेहद जोखिम भरा निर्णय लेते हुए शिवा ने कहा ड्राइवर अंकल आपको ट्रेन किसी भी हालत में रोकने नहीं । बच्चे लडकों के पास पहुंचते हुए हल्की सी थी, नहीं करियेगा, हम दोनों दोस्त नीचे को देंगे । इन लडकों को पटरी से हटाएंगे और कुनाल ट्रेन में चढ जाएंगे तो ड्राइवर बोला मेरा तुम्हारी जान को खतरा है ट्रेन से खोजते हुए दुर्घटना का तथा इन गुंडे लडकों से मौत का तो मैं होके मत उठाओ । शिवा अपने साथ ही से बोला तो तुम एकता से तीसरे चौथे डिब्बे के गेट हमारे लिए खुलवाने की व्यवस्था करो और अगले पांच मिनट में हम नीचे कूद कर और अगले पांच मिनट में हम लोग के खोज कर इन लडकों की जान बचाने का प्रयास करेंगे । ऍसे हम हटाएंगे, ट्रेन चलती रहेगी । हम फिर जो डब्बा हट आएगा चढ जाएंगे । साथ ही सोचने लगा कि घंटा तो बात है अब क्या किया जाए । आखिर भी शिवा को सहयोग देने के लिए तैयार हो गया । लाल झंडे लिए । ट्रैक पर खडे लडकों से दस कदम ढोल ट्रेन पर ब्रेक लगे । उन शोध ने सोचा कि ट्रेन रूक रही इतने में दोनों ओर से शिवा उसका साथ ही नीचे को दे । वो लडकों को खींचकर रेलवे ट्रैक से अलग फेंका । विद्युत की गति से पुलिस ट्रेन में चढने के लिए दौडे । सेवा के ऊपर से पत्रों की पहुंचा रही हूँ । सामने कम्पार्टमेंट का दरवाजा बंद । एक्शन के लिए शिवा घबराया लेकिन हल्की सी खिडकी खोले । एक लडकी दिल थामकर ये सब देख रही थी तो दौड कर गए । दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढाने लगी । इतने में पीछे से एक मजबूत मर्दाना हाथ बाहर निकला और शिवा उसके साथ ही को तुरंत अंदर खींच लिया तो उस लडकी ने पुनः दरवाजा खिडकी बंद कर ली हूँ । इन ड्राइवर नहीं एकदम गति बढा नहीं गुमदेश होते । पीछे छूट गए । अब सब काट रहे थे, बाहर थे । फिर मैंने आंखें खोलकर देखा । उसके अंदर कितने की चाहूँ किया तो उसके अपने सर थे । वो उसे बुरी तरह डांट रहे थे । इतना बडा जोखिम उठाया तुमने । कहीं कुछ हो जाता तो मैं तुम्हारे माता पिता को प्रिन्सिपल सर को कैसे मोदी का था । शिवा ने धीरे से सौं खाना की उसकी बुद्धि, महासभा, विनम्रता ने अध्यापक को मुक्त कर दिया । उन्होंने शिवा को सीने से लगा लिया और बोला हूँ यहाँ मुझे तुम पर कर रहा हूँ । शिवानी ट्रेन ड्राइवर अपने साथियों, उस अनजान लडकी और अपने घर के साथ भगवान का भी शुक्रिया अदा किया जिससे उनकी टीम इस समस्या से निजात पा सके । इस घटना ने शिवा को सब के बीच एक पहचान दिला दी हीरो बना दिया हूँ । लेकिन मैं बढावा दे ही सब कामों में ईमानदारी और मनोयोग से जुडा रहता हूँ । लेकिन खान पान, गाना बजाना, नाचना कूदना, इनमें भी पूरी मस्ती करना आखिरकार तमिलनाडु पहुंच गईं । वहाँ प्रशिक्षण शिविर में तंबू में रहना, खाना स्वयं बनाना, जाटों को जागकर पहरा देना, कैंप फायर में हत्या की संगीत आदि की संस्कृतिक प्रस्तुति देना पुल मिलाकर घंटों लगातार श्रम करता हूँ । सोना तपकर कुंदन बन गया । दिल्ली के एक हजार बच्चों के मध्य शिवा का प्राॅडक्ट में उसने सिर्फ अपने स्कूल का ही नहीं बल्कि अपने राज्य का भी शानदार प्रतिनिधित्व किया ।

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