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Part 6 in Hindi

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AuthorAditya Bajpai
यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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भाई है । सुबह चिंटू जाने के लिए तैयार हो जाता है साठ में बकौल भी बकौल हमेशा की तरह वही लाल शर्ट और लाल पैंट पहनकर बाहर आता है । मैं कॉलेज जा रहा हूँ । पापा जाॅन झंटू जगत नारायण और गायत्रीदेवी दोनों के पहुँच होता है । वो हो तुम कहाँ जा रहा है आज छुट्टी सुबह सुबह जगह नारायण ने बकुल को देखकर क्या बीते हुए पूछा । ठाकुर के पास कोई जवाब नहीं होता है तो चिंटू को देखने लगता है भैया की कल कुछ रह गई थी तो दूर की है इसीलिए अभी सुबह देने जा रहे हैं ताकि जल्दी फ्री हो जाए और मुझे भी कोने तक छोड देंगे । चिंटू ने झूठ को विश्वास से बोला जो सुनने में सच जान पड रहा था । अरे चाय पीता जा माने कहा नहीं मां जल्दी में चिंटू बोला हूँ हाँ दे दो । चिंटू की बात के साथ ही बस कुछ भी बोल पडा । दोनों एक दूसरे को देखने लगे । अच्छी बातें दो । चिंटू ने बोला चलो अच्छा रहन दो बकौल फिर बोला फिर से दोनों एक साथ अलग अलग बोल पडे । किन्तु ब कुर्की साइकिल पर पीछे बैठा बैठा बडकुर को सिखा रहा है । मकोल थोडा असहज और भाई से भरा नजर आ रहा था । भैया आपको सिर्फ तीन बातें बोल आएँ मैडम के सामने और कुछ भी नहीं एक सही बात है । दूसरी गलत बात है । और तीसरी जो चिंटू क्या सुनाऊँ में कितने में मेरा काम हो जाएगा? मैडम बोलेंगी इसने मुझे देखा सीट बीमारी आंदोलन क्यों? चिंटू बोलेंगी इसी कॉलेज में ऐसा करना चाहिए । क्या आप बोलना बहुत गलत बात है? फिर बोलेंगी हम तो इसे निकाल देते कॉलेज से अगर आप नहीं आते तो आप बोला सही बात है । बस इन तीनों बातों के अलावा और कोई बात नहीं करेंगे वो आप बस ये याद रखना । चिंटू ने अपने पुराने अनुभव के हिसाब से बताया, दोनों कॉलेज पहुंच गए अंदर जाने में बहुत डर डर रहा था ऍम मैं तेरे पापा बिल्कुल नहीं लगता । बकुल वहीं रुकते हुए बोला भैया कितने डर तो यार सिर्फ मैंने जो सिखाया वह ठीक से बोल देना सर कुछ नहीं होगा । ऍफ अकडकर अंदर ले जाते हुए बोला मैं फिर पाता है पापा को बार खडाकर ग्लास में पढा रही मैडम को चिंटू ने बोला हूँ भैया वो मोटी आ रही है तैयार रहना । चिंटू ने भैया के पास आकर बोला टिंटो मोटा बोलना गलत बात है और खास तौर पर किसी की शारीरिक दशा पर तो बिल्कुल टिप्पणी करना ही नहीं चाहिए । थोडा सा मजाक भी किसी की बडी परेशानी बनने के लिए काफी होता है । मानो जैसे बखपुर चिंटू के मार्फत ये बात उन सब लोगों को सुनाना चाह रहा हूँ जो हमेशा उसका मजाक बनाते रहते हैं । तभी मेडल बाहर आ जाती हैं । देखने में बखपुर की तरह ही वजनदार शरीर लेकिन सुंदर और आकर्षक चेहरा और डाल पर कुछ बाल बार बार आकर गिर रहे थे । सलवार सूट पहने में पहन लिया आती हैं ये तो सच में होती हैं । फिर कल मेरी तरह कुर्ने मैडम को देखकर मन में बोला ठाकुर को अंदर ही अंदर खुशी तो हुई । जब एक इंसान अपनी ही तरह का कोई इंसान पाटा है तो खुद को मजबूत और अकेलेपन से दूर पानी लगता है । ऍम के पिता जी मैडम ने बक और से पूछा हाँ सही बात है । वक्त घबराहट में चिंटुओं की सिखाई तीन बातों का इस्तेमाल करना शुरू किया क्या मैडम ने बात को अजीब पाते हुए पूछा हूँ हाँ मैं पापा कह रहे हाँ । चिंटू ने बीच में बोल कर समझाया आपको पटाए कितना बदतमीज है आपका ये बच्चा मैडम ने गुस्सा करते हुए बोला बहुत गलत बात है । बस कुर्ने बिना कुछ समझे बस चिंटू की सिखाई बात को बोला गलत छोडिये इसमें मुझे देखकर सीट बीमारी ऍम उस समय कहा क्यों? चिंटू ये मैं क्या सुन रहा हूँ? बस कुर्ने तीसरी बात कहीं सारी मैं वो गलती से मुझ से निकल गई थी । चिंटू सिर झुकाते हुए बोला तुम चुप रहा हूँ । मैं तो उनसे बात नहीं कर रही है । आप बताइए निकालने हमें से कॉलेज से सही बात है । मैं कुछ नहीं बोला । चिंटू होता है कि भाई ये क्या बोल रहे हैं यहाँ फिर आप एक आवेदन लिखकर दे दीजिए कि अब ये इस तरह की कोई भी हरकत नहीं करेगा । बहुत गलत बात है । मैं और नहीं कहा मैडम और चिंटू दोनों शौक होते हैं । आप क्या बोल रहे हैं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है । चिंटू ये मैं क्या सुन रहा हूँ? तक लगातार बिना परेशानी को सुने । बस डर के मारे सिखाई हुई बातों को बोले जा रहा था । मैडम को सोना जाता है । वे साइड में फोन पर बात करने लगती हैं । यार भैया की क्या बोले जा रहे हो निकलवाओ की क्या कॉलेज से चिंटू फौरन मौका पार्टी बस तुम को फिर से समझाने लगता है तो उन्हें सिखाया वही तो बोल रहा हूँ । तो वह पूछ रही है वो भी तो सुनो, पहले अभी भूल जाऊँ । मैंने जो सिखाया आपको आपको जो ठीक लगे वो जवाब दो । हाँ बताइए आप क्या करने आपके बच्चे का? मैडम ने फोन काटते हुए वापस बखपुर के पास आकर पूछा तो मुझे लगता है इसके पापा का बता देना चाहिए तभी अक्कल ठिकाने आएगी इसकी । मकर ने कहा लेकिन पापा तो चिंटू के आप ही है ना । ऍम चिकित् होकर पूछा ऍम भैया चिंटू मैंने बोला बकौल सोचने लगता है ।

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यह उपन्यास उन तमाम लोगों के लिए है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कभी-न-कभी किसी मोटे आदमी का मजाक उड़ाया है। न पढ़ा, न लिखा, न कुछ सीखा, वो अब खोटा हो गया। उसकी जीभ हर पल लपलपाई, वो बेचारा मोटा हो गया। writer: अभिषेक मनोहरचंदा Script Writer : Mohil Script Writer : Abhishek Manoharchanda
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