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रहस्मय टापू - 04 in  |  Audio book and podcasts

रहस्मय टापू - 04

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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मैं दौड कर गया और सारी घटना की जानकारी अपनी माँ को सुना है । सोच में पड गई है । हमें लगा कि खतरा सत्रह मान रहा है । हमें ख्याल आया कि कुछ लोग उसकी तिजोरी हथियाना चाहते थे । जरूर उस तिजोरी में अच्छी खासी रकम होगी । काला कुत्ता बंधा अधिकारी उसी रकम के लिए चक्कर काट रहे थे । मैंने सोचा कि डॉक्टर साहब के पास पहुंचकर इस मामले में उनकी मदद मांगी है । पर मैं अपनी आँखों के लिए छोड कर कैसे जाता हूँ और विचार तो पहले ही बहुत कपडा ही हुई थी । पिता के मरने के बाद दुखी भी थी । समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाए । घर पर इस तरह पडे रहना सुरक्षित नहीं था । हमें बार बार वही लग रहा था कि वह बंदा अधिकारी अपने साथियों को लेकर बस पता ही होगा । कुछ देर तक हम दोनों चुपचाप बैठे हैं । फिर मानेका चल दोनों बस्ती की और चलते वहाँ लोगों से मदद मांगेंगे । बस्ती सडक के उस पर थोडी ही दूर पर थे । जब तक हम बस्ती पहुंचे अंधेरा कर चुका था । लोगों के घरों में रोशनी देखकर हमें कुछ अच्छा लगा । हमने लोगों को जाकर सारी बात बता देंगे लेकिन उनमें से कोई हमारी मदद करने के लिए तैयार नहीं हुआ । वो कहने लगे की उन लोगों से बाहर लेना अच्छा नहीं है । बडे खूंखार लोग हैं । बस्ती के लोगों ने हमें बताया कि वह अंधा कोई साधारण भिकारी नहीं बल्कि समुद्री डाकू है । उसका भी रो बहुत खतरनाक है । उस गिरोह के सरगना का नाम है फुलवा मल्ला । कुछ लोगों ने डॉक्टर के घर तक पहुंचने का प्रबंध कर देने की कृपा अवश्य की और उन में से कोई भी डाकुओं का सामना करने में हमारी मदद करने को तैयार नहीं हुआ । उन लोगों के मन में समय डर को देखकर मेरी माँ को साफ किया । वह कहने लगी, तुम सब चुके हैं । यदि तुम लोगों में साहस नहीं है तो मैं और मेरा बच्चा मिलकर उनका मुकाबला करेंगे । हमने अपनी खून पसीने की कमाई उस दुष्ट कप्तान को खिलाई । हम अपना पैसा वसूल करके रहेंगे तुम लोगों को इस मित्र ही बच्चे पर जरा सी भी दया नहीं आई । ठीक है तुम लोग बैठो । अपने घरों में चूडिया पहन कर हम लोग जाते हैं और अपना पैसा वसूल कर कर रहेंगे । माफी बातों का बस्तीवालों पर कोई असर नहीं नहीं । केवल एक लडका सामने आया और कहने लगा वो डॉक्टर साहब के घर जाकर सारी सूचना दे देगा । उस कडाके की ठंड में हम लॉन्च की ओर लेते हैं । मुझे डर लग रहा था चारों और सपना था चंद्रमा धीरे धीरे अपना संस्कार हम चारों और देखते हुए तब देता हूँ । आगे बढ रहे थे । लेकर ही लगता है स्वीट हुआ रहे । लॉन्च के अंदर आते ही हमने दरवाजा भीतर से बंद कर लिया । फिर मेरी माँ एक दिन बत्ती जला कर ली है । कमरे में कप्तान की लाश पडी थी । लाश ऐसी हालत में थी जिसमें हम उसे छोड कर गए थे । उसकी आंखें खुली हुई थी और रात के अंधेरे में और भी ज्यादा डरावनी लग रही थी । उसके पास हमने पहले हुई थी । मैंने झुककर देखा । उसके सौतेली पर कागज का एक ग्रुप का रखा हुआ है । मैंने उसे उठाकर पडा । उस पर लिखा हुआ था तुम्हें रात के दस बजे तक का समय दिया जाता है । कागज के किनारे पर काले रंग का गोल निशान बना हुआ है । शायद इसीलिए उसे काला रुक का कहाँ गया था । मैंने माँ को कागज पर लिखे मौत के वारंट के बारे में बताया । दीवार घडी ने छह घंटे बजाए माँ के होने लगी । अभी भी हमारे पास चार घंटे का समय है । मान ने मुझसे कहा मैं कप्तान की तलाशी लेकर तिजोरी की चाबी की खोज करो । मैंने उसकी सारी जेबी छान मारे और चाबी नहीं मिली । तब माँ ने मुझे कहा हो सकता है चाबी उसने गले में लटका रखी हूँ । फिर मैंने लाख को कटोला । फिर उसकी गंदी और बदबूदार कमीज को फाडकर नीचे देखा तो एक रैली कुछ ही दूरी से बंदी चाबी उसकी गर्दन में लटकी हुई मिली । कप्तान के चाकू से ही मैंने उस दूरी को काटकर छापी लेगी । फिर हम दोनों ऊपर के कमरे की और दौडे जहाँ तिजोरी रखती थी । जिस दिन स तिजोरी वहाँ आई थी वो एक स्थान पर रखी हुई थी । बक्से बहुमत जोरि का ताला खोलने में पीडित हो तो हुई और माने उसे खुद ही हूँ । जैसे ही जोडी ऍम उसमें से बडी तेज कर की जोडी के ऊपरी हिस्से में सावधानी के साथ किए हुए कपडे रखे हुए हैं, उसके नीचे दो स्कूल है एक पुरानी तब वक्त पीने के दो पाई ऍम और समुद्री यात्रा के यंत्रों से बहुत सारी चीजें रहेगी । उसके नीचे पुराना सपोर्ट था । कोर्ट को माने बाहर की चाहिए एक कपडे में बंधे हुए सारे कागज सोने के गिरियों भरा के निवास काॅपर माँ के आपको में जमा कर लेंगे । उसने दिल्ली से भरा फैला उठाया और स्वागत ही कहने लगी मैं ऍम लूंगी । जितनी हमारी फॅमिली है । हमें राम का एक भी पैसा नहीं चाहिए । अपनी बात समाप्त करने के साथ ही मेरी माँ की दुनिया दिन मिलेगी । मुझे माफी साॅस और मच्छी मैंने धीरे हम आपको बताया इस तरह गिनती करने में बहुत लग जाएगी और वो अपनी बात पर अडी की उसे हराम का एक भी पैसा नहीं चाहिए । फिर वो कहने लगी, मेरे पति का जितना पैसा कप्तान किया और निकलता है, मुझे बस इतना ही चाहिए । इसी बीच मुझे बाहर से आवाज सुनाई दी । परिचित सी आवाज सुनकर मेरा कलेजा मुंह को आ गया । भाई से मैं आप उठा ये आवाज उस बंदे की लाठी की नहीं । लाठी के ठक ठक की आवाज के साथ बाहर सीटी की आवाज भी सुनाई थी मैंने माँ की वहाँ आपको धीरे से दबाते हुए दबी आवाज में कहा माँ इस पहले को अपने साथ लेकर यहाँ से निकल चले तो अच्छा है । मैंने फर्श पर बिखरे कागज उठाया और मोमबत्ती को कप्तान की तिजोरी के बाद छोड दिया । प्रस्ताव टटोलते हुए हम अंधेरी सीढियों से उतरकर नीचे पहुंचेगा । दरवाजा खोल कर हम तेजी के साथ सडक पर दौड पडे । अब तक चंद काफी ऊपर आ चुका था इसलिए रोशनी हो गई थी । इससे खतरा भी और बढ गया । हमें बहुत से लोगों के पैरों की आवाजें सुनाई देने लगे । मुझे लगा कि अब मारे गए । अब बच निकलने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है । हम और तेल छोडने लगे । सब मुझे अपनी माँ की ईमानदारी पर गुस्सा आ रहा था । उसमें बेकार इतना समय इंडिया गिरने में लगा दिया । मान ने मुझसे कहा बेटे जी पकडो रकम का खेला और उसे लेकर दौड जाऊँ । मुझे तो ही चला जाता है मुझे पडोसियों की शिकायत आप भी बडा गुस्सा आ रहा था जिन्हें डाकुओं का नाम सुनते साहब से गया था । बहुत हमारे दिक्कत आती थी । जीवन और मृत्यु का फासला लगातार से बढता जा रहा है । सौभाग्यवश सामने हमें पुलिया दिखाई दी । मैं आपको लगभग घसीटता हुआ पुलिया तक ले गया । पुलिया के पास पहुंचते ही माने केहरी सांसी और उसका सिर मेरे कंधे पर लुढक गया । पता नहीं मुझे उस समय इतनी शक्ति कहाँ से आ गई थी कि मैं माँ को खींचकर पुलिया के नीचे ले गया तो लिया बहुत नीचे थी इसलिए मुझे घुटनों के बल भीतर से रखना पडा । ये पुलिया हमारे घर के बहुत पास इतनी पास की घर में होने वाली प्रत्येक हलचल में नीचे पडे पडे सुनाई दे सकती थी ।

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प्रस्तुत उपन्यास "रहस्यमय टापू" अंग्रेज़ी के प्रख्यात लेखक रॉबर्ट लुईस स्टीवेंसन के प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास "ट्रेजर आइलैंड" का हिंदी रूपांतरण है। उपन्यास का नायक जिम जिस प्रकार समुद्र के बीच खजाने की खोज में निकलता है वो इसे और रोमांचक बना देता है। कहानी में जिम एक निर्जन टापू पर खूंखार डाकुओं का सामना करता है और कदम कदम पर कई कठिनाइयों का सामना भी करता है। इस बालक के कारनामों को सुन कर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। सुनें रमेश नैयर द्वारा रूपांतरित ये पुस्तक हिंदी में आपके अपने Kuku FM पर। सुनें जो मन चाहे।
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