Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
Part 4 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

Part 4 in Hindi

Share Kukufm
6 K Listens
AuthorNitin Sharma
क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
Read More
Transcript
View transcript

नहीं । फिर इतनी राहत इधर क्या कर रहे हो? नहीं नहीं आ रही थी तो यही घूम रहा था इस तरफ से आवाजाही तो देखने आ गया । बच रहा हूँ तुम्हारे पास कोई वहीकल हाँ कर है । चलो फिर यहाँ से निकलते हैं । ठीक है । फिर वो गली से निकलकर सडक पर पहुंचे और अमर की कार में जा पहुंचे । सडक के किनारे लगे लैम्पपोस्ट की लाइट में अमर को उसका चेहरा अब कुछ ठीक से दिखाई दिया जो सुंदर थी । रंग गोरा था । आंखे हिलने की तरह खूबसूरत ही बहुत लंबी और आपस में लगभग मिलती हुई उसके चेहरे की रौनक बढा रही थी । बालों का उसने जोडा बनाया हुआ था । पर अमर को यकीन था कि खुले बालों में वो और भी खूबसूरत लगेगी । अब देख कर रहे हो निकालो चलते यहाँ से वो बोली मैंने पुलिस को फोन किया था । आने वाली होगी वो कुछ देर शांति छाई रही । फिर अमर ने पूछा वो लोग तुम्हें मारने वाले थे । हाँ मारकर मेरा वीडियो बनाने वाले थे । पर उन्हें पता नहीं था कि मैं अपने हाथ खोल चुकी थी । वो जिस चाकू से मुझे मारने वाले थे उसे छीनकर मैं उसकी आंख में मारने का फैसला कर चुकी थी । वहाँ हो ट्रेनिंग कहाँ मिले तो मैं मिली है । कहीं तुम बताओ, जिस तरह से तुम उन का सामना कर रहे थे, मुझे लगा तुम पुलिस के आदमी होगी । चलो यही समझ लो । लडकी के चेहरे पर मुस्कान आ गई । नहीं बताना चाहते तो से ही पर मेरी मदद करने का शुक्रिया । नौ । प्रॉब्लम तुम्हारा नाम क्या है? रिकॅार्ड ऍम हूँ । रिंकी मुस्कुराकर बोली, मैंने सोचा नहीं था । उस वीरान इमारत में मेरी मदद के लिए कोई पहुंचेगा । दरअसल हमें अंदर खडी पुरानी कार की तलाश थी । वही उस इमारत तक मुझे खींच लाई । अच्छा कुछ देर में पुलिस आ गई । आतंकवादियों से संबंधित घटना होने के कारण बम निरोधी दस्ता भी साथ में आया था । उसी इमारत और कहा कि अच्छे से तलाशी भी जाने लगे । अमर ने इंस्पेक्टर को सारी बात बताई और फिर कहा उस लडकी का बयान भी ले लो, कहाँ है वो? इंस्पेक्टर ने पूछा हूँ, मेरी कार में बैठे हैं । इंस्पेक्टर ने ध्यान से अमर की कार पर नजर डाली । मुझे तो वहाँ कोई भी दिखाई नहीं दे रहा हूँ । अमर ने मोडकर अपनी कार की तरफ देखा । वाकई वहाँ कोई नहीं था । वो दौड कर कार के पास पहुंचा जिनकी नदारत थी सुबह हो गई थी । ऑफिस पहुंचते ही जॉन नहीं श्रीनिवासन को अपने साथ चलने के लिए कहा । श्रीनिवासन ने पूछा तो उसने बताया कि वह मिनाज शमी के केस पर छानबीन करने जा रहे हैं । बिना शमी का फ्लैट ज्यादा दूर नहीं था । वो गुडविल टावर नाम की हाईराइज सोसाइटी में रहा करती थी । उन्होंने उसके फ्लैट की चाभी उसके पडोसी से हासिल की थी । ये बात जॉन ने वहाँ आने से पहले ही मालूम कर ली थी कि उसकी मौत के बाद से उसका फ्लैट खाली पडा था । उसके मकान मालिक ने उसे अभी तक किराये पर नहीं उठाया था । चाबी से दरवाजा खोलकर जॉन फ्लैट के अंदर आ गया । श्रीनिवासन उसके पीछे पीछे था । जॉन ने कमरे में घुसकर लाइट का स्विच ऑन कर दिया । श्रीनिवासन थोडा परेशान होते हुए बोला, जाने सर अभी आने का क्या बेनिफिट तीन साल हो चुका है । अब तक तो मकान मालिक ने फ्लैट का सारा सामान हटाकर पूरी तरह से क्लीन कर दिया होगा । नया पेंट भी मार दिया होगा । हमको यहाँ पर क्या किलो मिलेगा? जॉन कुछ बोला नहीं वो फ्लैट के अंदर बैठक में आ गया । कमरे में चारों तरफ देखते हुए वो बाथरूम में पहुंचा जहां कथित रूप से मैनाज की लाश पाई गई थी । बाथरूम में सफेद रंग का बास्तब दिखाई दिया जो कि एकदम साफ सुथरा और सूखा था और चमचमा रहा था । उसी टाइम में मिनाज की मौत हुई थी । कभी वो लाल खून से भरा हुआ था । ये सोचकर ही जॉन के शरीर में सिरहन दौड गई । जॉन वापस बैठक में पहुंचा । इस खाली फ्लैट में क्या मिलेगा? श्रीनिवासन बोला जबकि जॉन का ध्यान में इंदूर की तरफ था वो । मैं इंडोर की चिटकनी को देखते हुए बोला, मैनाज को चिटकनी लगाकर घर में रहने की आदत होगी क्या? ऐसा रिपोर्ट में लिखा था सर श्रीनिवासन ने पूछा, नहीं चिटकनी के ऊपर देखो, वहाँ दीवार का चुना कैसा हुआ है? इसका मतलब ऑटोमैटिक डोर लॉक के अलावा तो चिटकनी भी लगती थी, जैसा कि अक्सर लोग घर में रहते हुए करते हैं । राव ऍम लेकिन इस बात से काॅन्फ्रेंस निकलता है रिपोर्ट के हिसाब से जिस रात मिनाज की मौत हुई थी, सात दरवाजे पर अंदर से चिटकनी नहीं लगी थी । तो अगर मिनाज घर में अकेली थी, वो भी रात में और नहीं आ रही थी तो उसने अंदर से चटकनी क्यों नहीं लगाई? आप क्या कहना चाहते हो? हम को तो कुछ भी नहीं । अंदर से हो रहा है श्रेणी मैं बस ये जानना चाहता हूँ की अपनी मौत की रात मिनाज घर में अकेली नहीं थी । अगर अकेली होती तो उसने ढोल लॉक के अलावा अंदर से चिटकनी भी लगाई होती हैं । यस आॅनलाइट लेकिन फिर भी फ्लैट में किसी और के होने के कोई सबूत नहीं मिलेंगे । भूत का क्या असर? उन्हें तो मिटा भी जा सकता है, राइट से नहीं । जॉन ने कहा फिर कुछ सोचते हुए बोला लेकिन सिक्योरिटी गार्ड की गवाही के हिसाब से मिनाज उस रात घर अकेले ही आई थी ऍम कातिल बाद में आया हूँ या पहले से फ्लैट में मौजूद हो मुझे । मैं भी मैं सभी गवाहों से दोबारा बातचीत करना चाहता हूँ । साथ में उसे इंस्पेक्टर से भी मिलना है जिसने इस केस पर छानबीन की थी । श्रेणी तुम उस चौकीदार का भी पता लगा हूँ जो स्वस्थ सोसाइटी में काम करता था । मैंने पूछा तो पता चला की वो कहीं और चला गया । वॅार चौकीदार की एजेंसी से हम ये बात पता करवा लेगा । इसके अलावा रिपोर्ट में मिनाज की एक दो मॉर्डल फ्रेंड का भी जिक्र मैं फिलहाल उनसे मिलने जा रहा हूँ तो हम चौकीदार का पता लगाने अभी निकल जाऊँ हूँ । फिर वहाँ से दोनों अलग अलग रास्ते पर निकल लिए । जॉन मिनास की एक फ्रेंड यहाँ से मिला । वो भी मिनाज की तरह मॉर्डल थी । रिपोर्ट में नहीं यहाँ की गवाही के बारे में भी लिखा था । उस वक्त नेहा घर से बाहर निकल ही रही थी जब जॉन ने उसका रास्ता रोक लिया । आपका नाम नहीं है । जॉन ने पूछा जी हाँ बोलिए । जॉन ने अपना परिचय पत्र दिखाया और बोला सीक्रेट सर्विस फॅार के इसके बारे में आप से कुछ पूछताछ करना चाहता हूँ । यहाँ के चेहरे पर अच्छे से भरे भाव उभर आए । पर ये है तो तीन साल पहले क्लोज हो चुका है । अब आप मुझसे क्या चाहते हैं? मैं अपना बयान पहले ही पुलिस को दे चुकी हूँ । नहीं देखो मैं जानता हूँ कि तुम गवाही दे चुकी हो और मिनाज का केस आत्महत्या का केस बनकर बंद हो चुका है । पर फिलहाल हमारे शहर में कुछ आतंकी गतिविधियां चल रही है जिसके तहत मुझे उसके केस पर फिर से काम करना पडता है । ऍम जॉन के अनुरोध के आगे वह ज्यादा विरोध नहीं कर सकी । वो उसे अंदर ले आई । हॉल में बैठने के बाद जो उन ने पूछा तो कितने साल से मिला, उसको जानती थी ज्यादा नहीं । हम एक ही एजेंसी के लिए मॉडलिंग करते थे । ऍम कुछ छह सात महीने तो अपने बयान में कहा था कि मिनाज डिप्रेस थी क्या? उसने तुमसे कभी डिप्रेशन की वजह शेयर की । उसने मुझे ऐसा कुछ डिस्कस नहीं किया । फिर तो तुमने कुछ डिप्रेशन के सिम्टम्स नोटिस की होंगे । हाँ, यहाँ सोचते हुए बोली अक्सर उदास रहती थी और कुछ और तो कुछ याद नहीं । तो क्या कभी कभी उदास होने वाले लोग डिप्रेशन के मरीज होते हैं? मुझे इस बारे में ज्यादा पता नहीं । पर तुम ने बयान में तो ऐसा बोला नहीं । यहाँ कुछ चलते हुए बोली पुलिस ने मुझसे पूछा तो मैंने बता दिया मैं कोई साइकोलॉजिस्ट तो हूँ नहीं, जो मानसिक बीमारियों को समझेंगे । ऍम बोला अच्छा ये बताओ क्या तुम जानती थी कि मिस्टर पुनीत साहनी मिनाज के बॉयफ्रेंड थे क्या? मैं नाचने तो मैं बताया था । हाँ, वो अक्सर से पिक करने के लिए आता था तो मैंने ये ऍम कर लिया । बाद में उसने कुछ बताया कि वो उसका बॉयफ्रेंड है । क्या तुम है? उनके रिलेशनशिप के बारे में कुछ और जानकारी थी? नहीं, ये सब बातें तो वो मुझसे कभी शहर नहीं करती । थी । अच्छा पर तुम ने अपने बयान में कहा है कि उन दोनों के रिलेशन बहुत अच्छी थी । साहनी उसको बहुत अच्छे से ट्रीट करता था । फिर तुम्हें ये सब कैसे पता चला? अरे ये तो मैंने जैसे देखा वैसा बताया । वो जब भी उसे मिलता था, बहुत प्यार से मिलता था ये देखकर तो मुझे ऐसा लगा कि दोनों के रिलेशन बहुत अच्छे हैं और तुमने पुलिस को भी यही बताया । जॉन ने उसका चेहरा पढते हुए पूछा जी हाँ । नेहा ने कहा । जॉन ने उसके घर में चारों तरफ देखते हुए पूछा तुम्हारा मॉडलिंग का जवाब कैसा चल रहा है? ठीक चल रहा है । जॉन को उसके घर में एक से एक महंगी चीजें दिखाई नहीं ऍम । जो बोला अगर तुम्हें इसके अलावा कुछ और भी जानकारी हो तो तुम मुझे बता सकती हूँ । मैं ऐसे कहीं रिकॉर्ड नहीं करूंगा । नहीं, तुम्हारा कहीं पर नाम आएगा । नेहा उसे ध्यान से देखती रही । फिर बोली नहीं, मुझे जो कुछ भी जानकारी थी, मैंने पुलिस को बता दी थी तो और अगर कुछ याद आए तो मेरा नंबर ले लो । मुझे कभी भी कॉल कर सकती हो, ठीक है । नेहा ने कहा नंबर का आदान प्रदान हुआ । फिर जॉन वहाँ से निकल गया । बाहर पहुंचकर उसने टैक्सी नहीं और फिर अमर का नंबर लगाया । मोबाइल की रिंगटोन ने अमर कि नहीं तोड दी । उसने आंखें मिर्च में चाहते हुए अंगडाई दी । फिर मोबाइल को उठाकर देखा । जॉन कॉल कर रहा था । उसने कॉल रिसिविंग का बटन दबाया और मोबाइल कान से लगा लिया । अभियान दूसरी तरफ से जॉन की आवाज आई अभी तक सोया पडा है । मैं तो कुछ बोला भी नहीं फिर भी तो जान गया जरूर पिछले जन्म में तो मेरी बीवी थी क्या? बता मैं तेरा पति रहा हूँ ना तेरी हरकतें बीवियों जैसी हैं तो क्या नहीं । जॉन लडकियों की आवाज निकालकर बोला । पति देव बताएंगे कि कल रात को क्या कमाई की क्यों नहीं जाने मान वो राजस्थान की गाडी तेरी बताई लोकेशन से मिल गई । आतंकवादी चला रहे थे वो गाडी अब तो पक्का हो गया कि ये पूरा मामला किसी आतंकवादी संगठन से जुडा है । हाँ मुझे पता चला फॅार में यही चर्चा हो रही थी । सुबह सुबह अच्छा उस इमारत और कहा कि फोरेंसिक रिपोर्ट आई अभी नहीं । ठीक है तो मुझे की उठाया की उठाया क्या मतलब ऑफिस नहीं आएगा क्या आऊंगा आऊंगा कहकर अमर ने फोन काट दिया फिर उठा और तेजी से बाथरूम की तरफ बढ गया । पंद्रह मिनट के अन्दर वो तैयार हो चुका था । इमरती लाल ने उसे उठा देखकर कहा अरे बाबू! कबसे नाश्ता बनाए बैठे हैं, कुछ खा पी लो । बाद में खाता हूँ । कहकर अमर ने कहा की चाभी उठाई और तेजी से बाहर निकल गया । अमर और जॉन लगभग एक साथ ऑफिस पहुंचे । मिलते ही अमर ने जॉन को दबोचा और छत पर पहुंचा । अमर ने जल्दी से सिगरेट जलाई और एक लंबा कश मारते हुए बोला, वहाँ दो आतंकी छिपे क्रिस आतंकी ग्रुप के हैं ये तो समझ नहीं आया । पर अब पता चल रहा है कि जावेद के खिलाफ साजिश की जडें किधर है? हाँ ये तो साफ हो गया । उस इमारत में उन्होंने एक लडकी को बंधक बना रखा था । पर वो लडकी कोई आम लडकी नहीं लगी । फिर भी वो कहाँ है? जॉन ने पूछा पता नहीं अमर बोला क्या मतलब पता नहीं । अरे वो गायब हो गई कहकर अमर ने पूरी बात बताई । जॉन ने ध्यान से सुना । फिर बोला मेरे खयाल से वह पुलिस के चक्कर में नहीं पडना चाहती होगी । पर वो आतंकवादियों के चुंगल में पडी कैसे? मुझे क्या पूछ रहा है ये तो तुझे उस लडकी से पूछना चाहिए था जरूर पूछताछ मौका मिलता तो हाँ वो भी है । यानी अब का तो मिल गई । पर गार मिलने का कुछ फायदा जावेद को भी हो । शायद फोरेंसिक रिपोर्ट में कुछ निकले । कुछ देर दोनों शान्त रहे । अमर शांति से सिगरेट के कश मारता रहा । फिर उसने पूछा तो कहाँ गया था? श्रेणी के साथ मिनाज शमी के फ्लैट फिर उसकी दोस्त से पूछताछ करनी है । अच्छा कोई खास बात । जॉन ने सभी बातें बताई । अब क्या करना है? उस पंचर वाले से मिलना बाकी है जिसने जावेद के घर के सामने कचरे के डिब्बे में सबूत प्लांट करने वाले को देखा था । सही कहा चलो रिपोर्ट आने तक हम उसी से मिल लेते हैं । दोनों सीढियां उतर नहीं लगे । कुछ देर में वो जावेद के घर के सामने थे । पंचर वाला लडका रात को ही काम करता था इसलिए उन्होंने उसका नाम और पता मालूम किया और फिर उसके घर पहुंचेगा । वो घर पर सोया हुआ मिला । जॉन और अमर के अनुरोध पर उसकी माँ ने उसे उठाया । वो एक पंद्रह साल का लडका था । जॉन और अमर को देखकर थोडा घबरा गया । अमर बोला डर मत बेटा क्या ना में तेरह राजू वो बोला, बहुत बढिया नाम है । अमर ने कहा, अच्छा बेटा राजू हमको सिर्फ ये बताओ की वो जो आदमी जावेद साहब के घर के सामने रात को कचरे में कुछ डाल रहा था, क्या तुझे उसकी शक्ल यादव नहीं सब बहुत मेरा था, फिर भी देखने में कैसा था, कदकाठी वगैरह आपके जितना ही लम्बा होगा और शरीर की बनावट आपके जितना ही तंदुरुस्त रहा होगा । जॉन ने हस्कर अमर से कहा ऍम! अब तो ही तो मेरा राजु अमर समझाने के ढंग से हाथ उठाकर बोला । ऐसे ही कुछ भी मत बोलो । ध्यान से याद करके बोलते हैं साहब, मैं एकदम सही कह रहा हूँ । ठीक है कुछ और बताओ और क्या बताऊँ मैंने सब तो बता दिया क्या कहा मैं उसके अलावा कोई और भी था या वही गाडी चला रहा था और ड्राइविंग सीट से उतरा था । राजू सोचने लगा । फिर बोला शायद कार में कोई और भी था । हालांकि ड्राइव तो वही कर रहा था और कौन था? अमर ने पूछा वो तो बिल्कुल भी नहीं देखा साहब, अंधेरा बहुत है । मैंने कहा ना, जब बाहर आया कुछ नहीं दिख रहा था तो गाडी के अंदर क्या देखेगा? पर जब गाडी का दरवाजा खुलता है तो गाडी के अंदर लाइट जल जाती है जिससे शायद नजर आया हूँ । राजू अपना फिर खुजाने लगा फिर बोला लाइट तो जाली थी तभी मेरा ध्यान एकदम से उस तरफ गया था साडी कार के दरवाजे के खुलने की आवाज आई थी । शाबाश! अमर बोला तो याद करो जब लाइट चली थी दो अंदर कौन दिखा था? राजू छत की तरफ देखते हुए सोच रहा था । अमर बोला जोर लगाओ हम जो कुछ भी देखते हैं सब हमारे दिमाग में होता है । कभी कभी उन्हें बाहर निकालने के लिए थोडा जोर लगाना पडता है । खान साहब याद आया उसने मेरी तरफ मुड कर भी देखा था । उसका चेहरा एकदम चौसेला आम जैसा था । जाडी मुझे नहीं थी । दोबारा देखा तो पहचान हो गए । शायद उतने अच्छे से शकल नहीं देखी थी न दूर से । फिर अमर और जॉन राजू को ऑफिस लेकर गए और उसके वर्णन के अनुसार एक स्केच बनने लगा । राजू के कहे अनुसार बनवाया स्कैच कारगर साबित हुआ । उस शख्स की चौक के एक पुराने से घर में मौजूदगी की खबर मिली । ये बात पुलिस को बताने की जगह इस बार अमर और जॉन खुद वहाँ पहुंचे । वो शांति से काम करना चाहते थे और उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय उनकी हरकतों पर नजर रखने का इरादा रखते थे । दोपहर का समय था । धूप बहुत तेज थी । चौक पहुंचकर कार उन्होंने मुख्य सडक पर ही बात कर दी । कार के ठंडे वातावरण से बाहर निकलते ही उनका सामना गर्म हवा के थपेडों से हुआ । दोनों तंग गलियों से होते हुए उस घर के पास पहुंचे । वो छोटा सा घर था । मुख्यद्वार बंद था । बाहर चार जोडी जूते रखे हुए थे । वो दोनों पासी एक पान की दुकान पर खडे हो गए । अमर सिगरेट पीने लगा और फिर दोनों इधर उधर की बातें करने लगे । करीब बीस मिनट बाद चार आदमी उस घर से बाहर निकले । उनमें से की बडी सी गाडी थी और उसने कुर्ता पजामा पहना हुआ था और बाकी सब ने पेंशन । अमर ने जॉन को इशारा किया और वह उनका पीछा करने के लिए निकल गया । कार की चाभी उसके पास थी । अमर वही बता रहा और उसने पान वाले को एक पान लगाने के लिए कहा । उन चार आदमियों के जाने के बाद घर का दरवाजा एक बार फिर बंद हो गया था । अभी अमर अपना अगला कदम उठाने का इरादा बना ही रहा था । क्या अचानक उसकी नजर उस घर के सामने वाले दो मंजिला घर की बॉलकनी पड गई । वहाँ उसे एक लडकी कैमरे के साथ दिखाई थी । लडकी ने स्तर पर दुपट्टा ओढ रखा था । शायद तेज धूप के कारण और आंखों पर ब्राउन कलर के गौर थे । यहाँ तो पहले से जासूसी चल रही है । अमर ने पान की एक मोटी पिचकारी तो की फिर उस दो मंजिला घर की तरफ बढ गया । उसका मुख्यद्वार खोला था । वो अंदर बढता चला गया । अंदर कोई दिखाई नहीं दिया । उसके ऊपर जाने वाली सीढियां नजर आई । वो सीढियाँ चढता चला गया । फिर वो उस फ्लैट के सामने पहुंचा जिसकी बॉलकनी पर वो लडकी थी । उसने कॉलबेल बजाई । अंदर से आवाज आई कौन है? लडकी की आवाज थी इसलिए उसे लगा वही कैमरे वाली लडकी है । मैं नाम कोरियर वाला आपका पार्सल हैं । अमर बोला, कुछ देर में दरवाजा खुला । अमर को देखकर लडकी चौकी उसने दरवाजा बंद करने की कोशिश की पर अमर दरवाजा धकेलते हुए अंदर आ गया । यह क्या बदतमीजी है । लडकी चिल्लाई था और तुम जो दूसरों के घर में ताकझांक कर रही हूँ वो क्या है? तुम यहाँ क्या करें? अमर अमर ने उसे ध्यान से देखा और बोला नहीं तो हाँ मैं कहकर उसने अपना चश्मा उतार दिया । अमर उसे तुरंत पहचान गया । कल रात ही तो उससे मिला था । वह दिन की थी तो कल कहाँ गायब हो गई थी तो मैं ऐसे कैसे गायब हो सकती हो और अब तुम यहाँ क्या कर रही हूँ? शायद से क्या मतलब? तुम रात को अपना काम कर रहे थे । मुझे लेट हो रहा था तो मैं तुम्हारी कार से उतरकर चली गई । ये क्या बात हुई? मैंने तो मैं कहा था ना, पुलिस को बयान देना होगा अच्छा वो सब छोडो और ये बताओ तो मैं घर की निगरानी क्यों कर रही हूँ? रिंकी मुस्कुराई मुस्कुराते हुए उसके गालों पर गड्ढे पड गए । इतने सवाल पूछो गे कुछ नहीं पडेंगे तुम्हारी हरकते ही ऐसी पूछो और पूछ मैं सोचूंगी । जवाब दे रहा है कि नहीं अच्छा जवाब तो देना पडेगा और आज मेरे साथ थाने भी चलना पडेगा । ऐसे ले जाओगे मुझे । जिनकी प्यार भरे स्वर में उस की ओर हाथ बढाते हुए बोली अमर नहीं उसका हाथ पकडने की कोशिश की पर उसने झट से हाथ हटा लिया । अमर उसकी तरफ लपका वो लहराकर एक तरफ फट गई । इस बार अमर सतर्क होकर उस पर कूद पडा जिनकी कलाबाजी खाकर एक तरफ कोर्ट गई और उसने अमर की पीठ पर लाख जल्दी अमर ने किसी तरह खुद को गिरने से बचाया । फिर वो पलटकर आंखे फैलाकर उसे देखने लगा । तुम हो क्या चीज? अब सच सच बता दूँ क्यों? तो तो मुझे कुछ डलवाना चाहते थे । इतने में ही हिम्मत हार गए हूँ तो माम लडकी तो नहीं हो सकती है । कहते हुए अमर ने रिवाल्वर निकाली या तो मच्छी हो या तुम बुरी हो नथिंग इन बिटवीन । तभी फ्लैट का दरवाजा पूरी तरह से पीटा जाने लगा । दोनों ने चौकर उस तरफ देखा, दरवाजा खोलो, बाहर से आवाज आई जिनकी ने भागकर बॉलकनी से नीचे देखा । वहाँ दो आदमी नजर आए । वो दबे स्वर में अमर से बोली ये लोग नीचे भी हैं, हम लोग फंस गए । अमर ने भी बॉलकनी से देखा फिर मोबाइल निकाला और जॉन का नंबर मिलाते हुए रिंकी से पूछा इस बिल्डिंग फ्लैट का नंबर क्या है? रिंकी ने बताया जॉन ने फोन उठाया । अमर ने उसे बताया कि वो इस फ्लैट में फंस गए । तभी दरवाजे पर जोरदार प्रहार हुआ । दोनों में चौकर उस तरफ देखा । दरवाजा तोडने की कोशिश की जा रही थी जिनकी बोली हम इंतजार नहीं कर सकते । कुछ करना पडेगा अमर सोचने लगा फिर बेल करने की तरफ आ गया । नीचे खडे आदमियों का ध्यान ऊपर नहीं । अमर सिंह जी से बोला हमें छत की तरफ जाना चाहिए पर कैसे रिंग के ऊपर देखते हुए बोली हैं अमर में जिनकी के गले में पडा दुपट्टा खींच लिया और फिर उसके एक छोर पर पत्थर लपेट दिया और फिर छत की रेलिंग की तरफ उछाला । दुपट्टा रेलिंग में फंस गया । फिर अमर ने उसे खींचकर गांठ बना दी और जिनकी को इशारा किया जिनकी दुपट्टा पकडकर पैर दीवार पर टिकाते हुए ऊपर चढती चली गई । कुछ ही पलों में वह छत पर थी । उसी प्रकार अमर भी छत पर पहुंच गया । छत पर पहुंचते ही वह बगल वाले घर की छत पर कूद गए और उसके बाद उसके अगले घर की छत पर पहुंचे । फिर वो उस घर से नीचे उतर आए । कहीं कोई व्यवधान नहीं आया पर गली में वापस आते ही उन दो आदमियों की नजर उन पर पडी हैं । उनमें से एक चलाया रुका अमर और रिंकी उनकी तरफ देखे बगैर विपरीत दिशा में चलते चले गए । अमर और रिंकी उनकी तरफ देखे बगैर विपरीत दिशा में चलते चले गए और फिर उन्होंने दौडना शुरू कर दिया । दोनों आदमी भी उनके पीछे दौडने लगे । अचानक अमर रिवॉल्वर निकालकर पालता रिवॉल्वर देखकर वह दोनों एक तरफ फट गई और फिर उन्होंने भी अपनी जेब से देसी तमंचे निकली है और फिर उनकी तरफ फायर भी कर दिया । अमर एक तरफ आता और जवाबी फायर करते हुए पीछे हटने लगा । दोनों एक घर की ओर में हो गई थी । तभी गली में दो और आदमी प्रकट हुए । उनके हाथों में मशीनगन थी और वहाँ पे अमर के मुंह से निकला और फिर वो और रिंकी सिर पर पहुंचकर भागे । वो लोग उन के पीछे थे । अमर और रिंकी गली गली भागते रहे और बार बार मुडकर उनको छकाते रहे । अंत में वह मेन रोड पर पहुंचे । वहाँ की चहल पहल की वजह से शायद वो लोग आगे ना सके और गली में ही रुक गए । अमर ने अपनी जेब से मोबाइल फोन निकाला और जॉन को फोन किया । कहाँ है मेरे आम? जॉन बोला तो कहाँ है? अमर ने पूछा अरे, मैं तो उसी फ्लैट में हूँ जहाँ तूने मुझे बुलाया था । पर यहाँ तो कोई भी नहीं है । दरवाजा भी टूटा पडा है । तेरे साथ कोई और है । अमर ने पूछा फिलहाल नहीं पर मैंने चीज को फोन कर दिया । स्पेशल कमांडोज पहुंच गए होंगे । हाँ, उनसे कहना पूरे मोहल्ले को सील कर लेंगे । यहाँ कई आतंकियों ने डेरा डाला हुआ है । हमारे पीछे पड गए थे । उनके पास मशीन भी है । अभी फिलहाल हम दोनों मेन रोड पर निकल आए । दोनों कौन? जॉन ने पूछा मेरे साथ वही कल रात वाली लडकी रिंकी वो तुझे कहाँ मिल गए उसी फ्लैट में जहाँ तू खडा है । अच्छा वहाँ क्या कर रही थी? पूछना बाकी है तो तुम वहाँ क्या कर रही थी? अमर सिंह की की तरफ उल्टा पर वहाँ नहीं थी । अरे अमर के मुंह से निकला और वह चारों तरफ खून खून कर उसे देखने लगा । पर रिंकी एक बार फिर गायब हो गई थी । जावेद पर लगे इल्जाम बेहद संगीन थी । मामला आतंकवाद से संबंधित था इसलिए पुलिस इन्वेस्टिगेशन के साथ सीबीआई के पास पहुंचा । सीबीआई ने पूछताछ के लिए जावेद को अपने हेड क्वार्टर बुलवाया । वहाँ जावेद से निरंतर छह घंटे पूछताछ चली । जावेद के पास किसी सवाल का जवाब नहीं था । नहीं तो ये बता सकता कि वह असलाहा उसके पास कैसे आया? नहीं । उसने ये माना कि वह किसी तरह कि टेरेरिस्ट ग्रुप से जुडा हुआ है । पूछताछ के बाद जावेद को वापस पुलिस हिरासत में भेज दिया गया । सीक्रेट सर्विस का चीफ अभय कुमार इस पूरे मामले पर बहुत करीबी नजर रख रहा था । सीक्रेट सर्विस की साख पर सवाल उठ रहे थे जिनका जवाब देना उस पर भारी पड रहा था । इस बीच चौक के मोहल्ले में जब स्पेशल कमांडोज ने रेड मारी तो सभी आतंकी भाग गए । हालांकि एक उनकी पकड में आ गया जो अब तक की सबसे बडी कामयाबी थी । उसे पुलिस हिरासत में लिया गया और पूछताछ शुरू हो गई । उसे पकडवाने में क्योंकि अमर और जॉन का महत्वपूर्ण योगदान था इसलिए उन्हें भी पूछताछ में बढ चढकर हिस्सा लेने का मौका मिला । इस वक्त जलाल नाम के उस आतंकी को पुलिस ने टॉर्चर चेयर पर बैठा रखा था । कमरे में उसके अलावा अमर जॉन, इंस्पेक्टर धीरज, कमिश्नर गोपीनाथ और सीक्रेट सर्विस चीफ अभय कुमार भी मौजूद थे । पूछताछ के साथ साथ उसके फिंगर प्रिंट फोटो वगैहरा लेकर रिकॉर्ड से मैच किया जाने लगा । पूछताछ के वक्त उसने बिना कोई विरोध किया खुद कबूल किया कि वह हाल ही में बने आतंकी ग्रुप आईएसआई के का मेंबर है । आईएसआई के यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इंडिया इन कश्मीर तुम्हारे साथ ही कौन कौन है? कमिश्नर ने पूछा मेरे इतने साथ ही हैं कि मैं पूरा दिन बोलता रहूंगा तो खत्म नहीं होगी । उस ने कहा और हमारे आदमी ऐसी ऐसी जगह मौजूद है जिसे सुनकर आपका दिमाग हिल जाएगा । तुम से बात कर इंस्पेक्टर डंडा लेकर उसकी तरफ बढा फॅार । कमिश्नर ने उसे रोकने का इशारा किया । फिर कहा बताओ हम भी देखे हैं तुम किस तरह हमें चौंकाते हुए वो बोला हमारे आदमी आपके पुलिस आपके जासूसों में भी फैले हुए हैं जिनमें से तो पकडा भी गया । जावेद खान आप सबसे जानते ही होंगे पर आप लोग उसे ज्यादा समय तक पकडकर नहीं रखते होंगे । हम उसे किसी ना किसी तरह से छोडा लेंगे । झूठ बोल रहा है । वापस कराई अमर गुड जाकर बोला काम राउंड अमर इसे बोलने दो । अभय कुमार बोला पर्सनल अमर ने कहना चाहा पर चीफ ने उसे चुप रहने का इशारा किया तो मैं कि नहीं होगा । वो निर्भीक स्वर में बोलता चला गया । पर पहले जावेद कश्मीर में ऑपरेट कर रहा था । उसने पहले हमारे कई साथियों को मारा पर फिर उसकी मुलाकात हमारे हो जोर से हुई । उनसे बात करके उसे एहसास हुआ कि वह काफी हो गया था । इस्लाम के खिलाफ काम कर रहा था । उसे इस बात का मलाल हुआ कि उसने अपने हाथों से अपने ही भाइयों का फोन किया । उसके बाद जब लौटा तो वो आप के लिए नहीं बल्कि हमारे लिए काम कर रहा था । आईएसआई के के लिए काम कर रहा था तो उन लोगों को कश्मीर आजाद कराना है । तो फिर तुम लोग लखनऊ में क्या कर रहे हो? कमिश्नर ने पूछा, हम सिर्फ लखनऊ में ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में फैले हुए हैं । आज लखनऊ मिलेगा तो कल कोई और शहर और तब तक हिंदुस्तान की सही ठेलती रहेगी जब तक कि कश्मीर आजाद नहीं हो जाता है । ऐसे किसी तरह बेकार की बातें करता रहेगा । जॉन बोला, हमें इसका मुँह खुलवाना चाहिए ताकि ये अपने असली साथियों का पता ठिकाना बताए । अपना पूरा प्लान बताए । उसके बाद काफी कोशिश की गई पर उसका मुंह खुलवाना नामुमकि निकला । वो मरने के लिए तैयार था पर अपना मुंह खोलने के लिए नहीं । टॉर्चर का उस पर कोई असर नहीं था । वो जब भी मैं खोलता तो इनका भी बातें करता रहता है । इस बीच एक नई उत्पत्ति हुई । पुलिस के पास प्रीतम नाम का एक सफाई कर्मचारी पहुंचा । वो सफाई कर्मचारी जावेद की क्वालिटी में झाडू लगाया करता था । उस ने ये बयान दिया कि उसने एक महीने पहले दो लोगों को जावेद के घर आते देखा था । आधी रात का वक्त था और उन्होंने अपनी गाडी से बडे बडे बैग उतारे थे । उसने उन्हें वह बैग खोलकर खतरनाक तरह के हथियार जावेद के हाथ में देते हुए देखा था । पुलिस और सीबीआई के लिए ये बहुत बडी खबर थी । प्रीतम को तुरंत सीबीआई ने तलब किया और उसका पूरा बयान लिया गया । उसके बयान के आधार पर उन दो आदमियों में से एक आदमी का हो लिया । एकदम पंकज की तरह निकला । अब इस से ये बात मानी जाने लगे की पंकज भी आतंकी था उसका पुराना बैग्राउंड देखते हुए इस बात पर विश्वास करना और आसान था । सीबीआई ने माना कि पंकज भी जावेद का साथ ही था और किसी परिस्थिति के कारण जावेद को पंकज का खत्म करना पडा । जमाल से सीबीआई ने दोबारा पूछताछ की तो उसने इस बात की पुष्टि की कि पंकज भी उनका आदमी था पर वह पुलिस की नजर में आ गया था इसलिए जावेद ने उसे खत्म कर दिया । जावेद के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट बनानी शुरू कर दी । इस दौरान मिनाज के सिलसिले में जॉन इंस्पेक्टर साईराम से मिला जिसने इसके इस पर काम किया था । साईराम ने सब स्टेशन में उसका स्वागत किया । उसकी डेस्क के सामने बैठते ही जो हमने पूछा तो क्या ख्याल है? आपका ऍम की पेशंट थी, बिल्कुल थी । उसके बॉयफ्रेंड यही कहा था । उसकी फ्रेंड ने भी यही बोला था । क्या आपने उसके डॉक्टर से पूछताछ की थी? कौन सा डॉक्टर अगर वो डिप्रेस थी, साइकैट्रिस्ट पेशन थी तो कहीं इलाज भी करा रही होगी । किसी डॉक्टर को तो दिखाया होगा हमें क्या पता हमें तो उसके फ्लाइट से ऐसा कोई सबूत नहीं मिला था । फिर आपने कैसे मान लिया कि वह डिप्रेस थी? साईराम कुछ बोला नहीं, उसे देखता रहा । आपको समझना चाहिए कि बिना मेडिकल जांच के आप किसी को डिप्रेस या कोई और मानसिक बीमारी से ग्रस्त नहीं मान सकते हैं । अब हम को इतने डॉक्टर तो आती नहीं ना । आपको नहीं आती तो आपको पुलिस विभाग के डॉक्टर से पूछना चाहिए था । फोरेंसिक वालों से पूछना चाहिए था । साईराम कुछ नहीं बोला । वो चुप चाप उसे घूरता रहा । फिर कुछ सोचते हुए बोला हूँ कि हम जान सकते हैं कि आप ये तीन साल पुराने केस को फिर से क्यों खोज रहे हैं । सीक्रेट सर्विस अगर ऐसा कर रही है तो इस की कुछ तो वजह होगी । आपको क्या लगता है? जॉन कुछ तेज स्वर में बोला सर हम को तो लगता है आप उसे सोसाइट की जगह मॉडर के समझ रहे हैं । अगर केस की जांच पहले ही ठीक से हुई होती तो रिपोर्ट पढने के बाद मुझे आपके पास आने की जहमत नहीं उठानी पडती । साईराम चुप हो गया तो ये बात तो तय है कि मिनाज मानसिक बीमारी से पीडित थी पर इसका कोई पक्का सबूत नहीं है । सोसाइट करने की कुछ तो वजह होती है । आपने वजह तलाश करने की कोशिश की? साईराम कुछ नहीं बोला तो जॉन झुंझलाया कुछ बोला इस्पेक्टर जो बात हमको नहीं पता उसका क्या जवाब दें? अच्छा ये बताओ तुम साहनी को कब से जानते हो? साहनी उसका बॉयफ्रेंड इंडस्ट्रलिस्ट हमारा तो उससे इसके अलावा कोई काम नहीं पडा । अच्छा फिर उसकी दी हुई न्यू इयर पार्टी में तुम क्या कर रहे थे? साईराम बुरी तरह से चौका उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए जैसे उसकी चोरी पकडी गई हो । जी उसके मुंह से सिर्फ इतना निकला जवाब दो जॉन आंखे फैलाकर बोला अब पार्टी में बुलाया था तो हम चले गए । इसका मतलब ये थोडी ना कि हमारी उनके साथ कोई सांठगांठ है । पार्टी में केवल तीस लोग इनवाइटेड थे । ज्यादातर बिजनेसमेन जिस तरह तुम बता रहे हो मुझे तो नहीं लगता है कि सहानी के पास तुम्हें एक इंस्पेक्टर को बुलाने की कोई खास वजह होगी । वो ऐसे ही थोडी जान पहचान तो हो ही गई थी । अच्छा जॉन से ध्यान से देखते हुए बोला तो पार्टी में क्या या सीखी थी? अय्याशी बच्चों का हाँ बताओ ना क्या किया था पार्टी में । अरे ऐसे ही पूछ रहा हूँ यार जॉन दोस्ताने भरे अंदाज में हसते हुए बोला मैं भी तो सोनू साहनी की पार्टी में क्या होता है? कुछ नहीं दारू दारू पी थी, खाना खाया था । बस अचानक ही जॉन के चेहरे पर गंभीर भाव आ गई और कुछ भी तो क्या होगा? नहीं । सोया नहीं था वहाँ पर साईराम का चेहरा एकदम से शर्म से लाल हो गया । शादी शुदा है ना तो जॉन का लहजा । अचानक से ऐसा हो गया । मान लो किसी क्रिमिनल से पूछ ताछ कर रहा हूँ । साईराम ने सिर्फ सिर हिलाया फिर भी वहाँ एक बाजारू औरत के साथ हम बिस्तर हुआ था ना साइना साईराम बगले झांकने लगा । उसने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा । इतना था जो क्यों कर रहा है? मुझे सब पता है अब मैं तुझे सीधी बात बोलता हूँ तो आज सोच ले । कल मुझे तो उससे सारी बात सच सच मालूम करनी है कि सहानी ने तो उस पर क्या दबाव डाला या क्या खिलाया पिलाया और कैसे तूने उसके झूठ को छुपाया । अगर तू कल मुझे साफ साफ बता देगा तो ये बात सिर्फ मेरे तेरे बीच रहेगी और अगर ये बात पता करने के लिए मुझे और हाथ पांव मारने पडेंगे तो उसके बाद तो समझ सकता है कि तेरी वर्दी उतरेगी और फिर उस पर केस चलेगा और तेरह नंगा सच में खुद तेरी बीवी को बताऊंगा जिसे जानने के बाद वो तुझे जरूर तलाक देगी । साईराम पसीना पसीना हो गया सर, उसके मुंह से निकला । वो कुछ कहना चाहता है, सुनी है तो और जॉन उठते हुए बोला अब मैं तो उससे कल सुबह में लूंगा । दूसरे दिन साईराम के आग्रह पर जॉन उससे पुलिस सब स्टेशन के बजाय एक रेस्टोरेंट में मिलने को तैयार हो गया । वहाँ उसमें जॉन को बताया कि साहनी नहीं उसे इस केस को दबाने के लिए दस लाख रुपये दिए थे । हालांकि साहनी ने ऐसा कभी नहीं कबूला कि उसने मिनाज का मर्डर किया था । उससे सिर्फ ये कहा कि वह अपने स्टेटस पर सवाल नहीं खडे होने देना चाहता । इसलिए केस को जल्द से जल्द बिना ज्यादा पूछताछ के बंद कर दिया जाएगा । साईराम में भी आते हुए बोला, देखिए अगर हमें लगता की सहानी साहब ने ही उसका फोन किया है तो हम उनसे कभी पैसे नहीं लेते हैं, बल्कि उनके खिलाफ कार्यवाही करते हैं । पर इन्वेस्टिगेशन से हमें उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था । फिर हमें उनसे फ्री में पैसे मिल रहे थे तो इनकार नहीं कर सके । हमारे तीन बच्चे हैं और जॉन ने हाथ उठाया और बोला मैं समझ रहा हूँ पर कानून के रक्षक होते हुए तो मैं इतना तो दिमाग लगाना चाहिए था कि कोई तो मैं दस लाख रुपए सिर्फ इतने छोटे काम के लिए क्यों देगा? साहनी साहब तो करोडपति इतना बडा बिजनेस है । उनके लिए ये रकम क्या मायने रखती होगी? बिजनेस मैन को अपने हार पैसे की कीमत मालूम होती है । वो अपनी एक भी पाई अकारण कहीं नहीं लगा देता हूँ । और जहाँ तक मैं जानता हूँ सानी बहुत ही चालाक इंसान है । अब मैं तुम्हारा ये सीक्रेट अपने पास सुरक्षित रखूंगा पर इसके लिए तुम्हें मेरे लिए काम करना होगा । जी बोलिये, मैं तैयार हूँ । सांईराम तत्पर्ता के साथ बोला । जॉन ने अपना प्लान उसे बताना शुरू किया । फिर साईराम ने विदा ली । जॉन बेहद खुश था क्योंकि साईराम के बारे में उसे कुछ एजेंट से मिली ये जानकारी कारगर साबित हुई थी । अमर महानगर में घूम रहा था । जहाँ जावेद का था उसके खयाल से जावेद को बचाने का अब यही तरीका था कि कोई सबूत या गवाह मिल सके जो उसकी बेगुनाही साबित कर देंगे । वो वहाँ की बस्ती में पहुंचा, जहां श्रमिक लोग रहा करते थे । उसने प्रीतम नाम के उस सफाई कर्मचारी के बारे में पूछताछ करनी शुरू की जिसमें जावेद के खिलाफ गवाही दी थी । अंततः है उसे ये पता चला की कॉलोनी में एक ऐसा भी घर था जहां प्रीतम साफ सफाई करता था और घर के अंदर भी जाता था और अक्सर काफी समय अन्दर बिताया करता था । अब एक सफाई कर्मचारी का घर के अंदर लंबा काम होना अपने आप में संदेहात्मक बात भी है । अमर उस घर के सामने पहुंचा । घंटे का उत्तर ना मिलते थे । उसने दरवाजा खटखटाया तो पाया कि वह खुला हुआ था । वो अंदर पहुंचा पर अंदर कोई दिखाई नहीं दिया । वापस बाहर आ गया । तभी उसे अपने पीछे से चीखने की आवाज आई उसने पलट कर देखा । एक आदमी अपने बाजू को पकडे बैठक करा रहा था । चाकू उसके बगल में गिरा था और दूसरी तरफ रिंकी डंडा लेकर खडी थी तुम्हारी पीठ में छुरा घोंपने वाला था । ये हम अमर चाकू वाले से ज्यादा रिंकी को देखकर चौका था । तुम बार बार कहाँ गायब हो जाती हूँ । अमर पूछ रहा था कि तभी उस घर के अंदर से एक आदमी निकलता दिखाई दिया जोकि रिंकी पर फायर करने वाला था । अमर ने फुर्ती के साथ रिवॉल्वर निकाला और उस आदमी पर फायर कर दिया । गोली उसके पैर में लगी और वह चिल्लाते हुए एक तरफ गिरा । अमर रिंकी के पास पहुंचा और उसकी आंखों में झांकते हुए बोला क्यों तो मेरे साथ आंख मिचौली खेल रही हूँ । रिंकी कोई कोई नजरों से अमर की आंखों में देख रही थी तो मेरी जान बचाई । रिंकी के मुँह से धीरे धीरे ये शब्द निकले तो उन्हें भी तो मुझे बचाया । अमर बोला पर उसे लगा जिनकी जैसे उसे सुनने की नहीं बल्कि समझने की कोशिश कर रही हूँ । अमर ने जमीन पर बैठे आदमी की तरफ देखा जो फिर से हरकत में आने की कोशिश कर रहा था । अमर ने उसे अपना रिवॉल्वर दिखाकर चेताया वो चुप चाप फिर से बैठ गया । अमर बोला चलो पहले इन दोनों से निपटते हैं फिर बात करते हैं । रिंकी मुस्कुरा दी उन दोनों आदमियों के हाथ बांध दिए और फिर अमर ने पुलिस को फोन किया । उसके बाद वो उन दोनों से मुखातिब हुआ तो तुम दोनों ने उस सफाई कर्मचारी से जावेद के खिलाफ झूठी गवाही दिलवाई थी ।

Details

Sound Engineer

क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
share-icon

00:00
00:00