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कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 04 in  |  Audio book and podcasts

कुछ अनकहे अलफ़ाज़ - 04

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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हर तरफ हरियाली ही हरियाली फैली हुई थी । धीमी धीमी ठंडी ठंडी हवा चल रही थी । ऍफ जगह बनी हुई थी । एक लडकी का बर्थडे था और उसके दोस्त लोग कर रहे थे । ये कटिंग खत्म हुआ और ये लोग पहुंचे एक लडकी ने आगे आगे इन दोनों को इनवाइट किया ऍम यहाँ के लोग बहुत अच्छे होते हैं । खेल के साफ और दोनों लोगों को बहुत सुंदर दिया करते हैं । पहले पहले तो राजीव मना कर रहा था जी आई हो गए हैं की इच्छा जग रहा था बेगानी पार्टी शरीफ होने से आयुषी के दबाव में दोनों लडकी के साथ गए और गाॅगल कोशिश किया । साथ ही साथ के खाके आगे बढ गए । आयुषि आज वर्षों बाद में बहुत खुश हुआ हूँ । जिंदगी ऐसे ही कर जाए तो कितना छाव ना अरे क्या करोगे ये दौलत शोहरत बटोर का अगर साथ में तुम्हारा साथ ही ना तो हो तो लगता है बस के सफर ऐसे ही चलता है और हम अफसर बन के चलते रहे । कुछ कहा तुमने? राजेश आयुष ने कहा और पलट के उसकी तरफ देखने लगी । ये देखकर राजीव नहीं बात को घुमाने के लिए कहा कि वह रोज के दुःख के किरदारों के बारे में बोल रहा था । आयुषी तो समझ गई थी कि राजेश क्या कहना चाहता था । फिर भी कुछ नाम समझने का बहाना बनाकर बोझा आता था कि राजीव ऐसा ही कुछ बोलने वाला था । फिर भी उसने पूछा कब तक सच्चाई से भागते रहोगे तो तब समझेंगे कि मैं तुम्हें और तो मुझे पेन तहाँ मोहब्बत करते हैं । कुछ कहा तुमने अभी अभी नहीं । मैं तो ये कह रहा था कि अगले साल तुम्हारा बर्थडे जानी झील के गार्डन में ही बनाएंगे । क्या तुम याद करके आओगे? अगले साल क्या इतना इंपॉर्टेंस देते हो मुझे । आज भी हाय उसी ने गाडी का ब्रेक लगाते हुए पूछा । ये बात सुनकर वो खुश हुई थी मनी मनी लेकिन एक डर भी था कि कहीं सबका टूट ना जाए । मेरी बातों पे तो कोई यकीन नहीं है । बोलाना बनाएंगे । यहाँ तो मनाएंगे जरूर क्या बात कही भी राइटर साहब दिल झूम उठाई सुनकर देखते देखते दोनों अब झूला देवी ऍफ पहुंच चुके थे । यहाँ एक मान लेता है कि जो भी मन्नत मांग के एक घंटी बांधेगा इस जगह पे उसकी मुराद जरूर पूरी होगी । ऐसा ही मानना है यहाँ के लोगों का । गेट के प्रवेश द्वार से ही छोटी बडी घंटियां बंदी हुई दिखाई दे देंगे । चीज हो या देखकर कुछ अजीब सा लगा । उसने आगे जाके एक से पूछ लिया भाई साहब जरा सुनेंगे हांजी का ये क्या? सच में लोगों की मुरादें पूरी होती है । यहाँ पे घंटी बहाने से है । देखिए ऐसा है मेरे मन में विश्वास और श्रद्धा हो तो भगवान में मिल जाते हैं और अपना अनुभव बोलूँ तो ऐसा है । मेरा पैर ठीक से काम नहीं कर रहा था । बहुत डॉक्टर को दिखाया लेकिन काम नहीं आया । अंत में एक संचयन कॅाफी महिमा सुनाई और यहाँ माथा टेकने को सुझाव दिया । अरे यहाँ आने के कुछ ही दिनों बाद से मैं चलने लगा हूँ तो भाई ले देकर बात यही है कि मतलब हम तो भगवान ना मानो तो पत्थर की मूरत है । इतना कहकर वो व्यक्ति आगे बढने लगा । अब राजीव को भी माँ के ऊपर भरोसा होने लगा था । दोनों मंदिर में दाखिल हुए । राजीव ने एक मन्नत मांग के घंटे बांदी तुम कबसे धार्मिक होने लगे । राइटर बाबू आयुषी ने पूछा कुछ कि नहीं खुश ही है देख घर की । अब राजीव भी ऊपर वाले यकीन करने लगा है । अकसर हर किसी की लाइफ में ऐसा एक वक्त आता है जब इंसान भगवान के ऊपर भरोसा करने लगता है । यहाँ राजीव के मन में एक खाली थी कि आयुषी से अपने दिल की बात कहना पाया और जब उसे एहसास हुआ दबाई खुशी नहीं आती हो चुकी थी । ऍसे रहे गए हूँ । आप लोगों को पता है कि आयुषी की शादी टूट गई है । यहाँ आयुषी ये बात राजीव को बनाएगी । क्या दोनों फिर से एक हो पाएंगे? सारी बातें आपको जल्द ही पता लगेगी । दोनों मंदिर से निकलकर आगे बढने लगे । इतने में आयुषी ने पूछा क्या मांगा राइटर साहब भगवान के ऊपर कब से भरोसा करने लगे । आयुषी की बातों में उत्सुकता थे और वो थोडी खुश भी थी । खुश इसलिए कि बहुत सालों पहले उसने राजीव को बोला था एक दिन आएगा जब तुम भगवान के ऊपर भरोसा करने लग होगी । उस वक्त राजीव बहुत जोर से हस्ते लगा था और कहा था आप आयुषी ऐसा दिन कभी नहीं आएगा । मैं और हालत इंसान के बस में नहीं होते । क्या हो जाए किसी को क्या पता । स्कूटर आगे चलने लगा था । एक पडाव के बाद दोनों दूसरी मंजिल की तरफ बडने लगे । आकाश में बादल मंडरा रहे थे । पूरा रास्ता कोहरे से ढका हुआ था । बारिश कभी भी हो सकती है ये तो तय था ट्रैक में आने से पहले दोनों ने रेनी सूट और जैकेट साथ में लेके आए थे । दो किलोमीटर के बाद दोनों नैना पी के उस जगह पहुंच गए थे जहाँ से ट्रैकिंग शुरू होती है । ट्रैकिंग स्टार्टिंग प्वाइंट पे एक हरे और लाल रंग का बोर्ड लगा हुआ था जहाँ पे उस जगह के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हुई थी । डोनो स्कूटर को रोड के साइड पर लगाकर आगे बढते गए ऍम भी करना पडेगा अब तक का सफर कैसा लगा? बताऊँ अच्छा था ना? हाँ यार बहुत अच्छा रहा मैं हजार का रहता आयुषी ऍम करने का ऍम था मेरा वो तो बस काम के चक्कर में कुछ भी नहीं हो पा रहा था । अच्छा जी ऐसा क्या हो ठीक उसी वक्त कार्य वहाँ पर एक गाना शुरू हो गया क्योंकि मैं नजाकत को देखते हुए एकदम से सही बैठ गया था । जाना था तो वो बंद हो । आयुष विंग आगे आगे चल रही हूँ । क्या गाना चल रहा है तुम्हारे रेडियो पर सच में मजा आगे आॅफ खूब होता अगर हम भी कॉलेज के दिनों में ऐसे दूर कहीं भाग जाते हैं । ये बात को कितने दिल से और खतम मजाक से कहा राजीव ने क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं? आयुषी ने मुरकी देखा तो मजाक कर रहा था । वो ही बात को टाल दिया । राजीव नाजीब ने कुछ देर बाद आयुष की कमर पर चेंज कर दिया । इस वक्त वही गाना चल रहा था । जाने के बोल और आयुषी के बाद एक साथ राजीव के कारण सुनाई दी बोल कुछ इस तरह थे देखू ना छेडो । इस तरह रास्ता ऍम किस तरह राजीव ने टाल देते हुए कहा । दोनों उधर रुक गए और जोर जोर से हसने लगे हो । दोनों को महसूस हो रहा था जैसे वो कॉलेज के दिनों में चले गए । अच्छा बाकी बातें बाद में चाय पी होगी । अभी भी क्या? हाँ बस कुछ तीन चार कप होंगे । डॅा । देर नागरजी पूरा ऊपर आते आते हैं । दोपहर हो गए थे । आयुषी हॉटपॉट में कुछ में आएगी और चिकन मोमोज लाई थी । उससे लंच कर लिया । दोनों ने पहाड की चोटी पर पहुंचकर एक बडे से पत्थर पर बैठ गए । दोनों नीचे की तरफ देख रहे थे जहाँ से एक दो पर्वत देख रहे थे और बादल नीचे मान जाते हुए दिख रहे थे । ये दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है । आप अपनी आंखों से नहीं देखोगे तब तक यकीन नहीं कर हो गए । पता है आयोजिन जिंदगी शतरंज की तरह होती है । हार हो या जीत हो ये महाराज चलाने वाले के ऊपर निर्भर करता है । हम जीते या हारे इससे कोई फर्क नहीं पडता हूँ । ऍम सबकुछ ठीक हो जाता है ना । हाँ अगर आपके मन की ना की है तो आगे जाके एक वाला चलो रह जाता है कि ऐसा कर दे तो वैसा हो सकता था । बिल्कुल सही कहा तो मैं भी यही सोचती रहती हूँ । लेकिन वक्त अब दोबारा लौट के आने वाला नहीं है । बहुत देर हो चुकी है । आगे और कुछ नहीं हो सकता हूँ क्या नहीं हो सकता हूँ । कुछ खोल के बोलो की भी ऐसे ही सस्पेंस क्रिएट करती होगी । राजीव ने पूछा तुरंत आयुष को देखते हुए इस बार भी उसमें बात को यही कह के टाल दिया कि कॉलेज के दिनों की बात कर रहे थे । राजेश को पता था आयुषी क्या कहना चाहती है लेकिन उसने भी दबाव डालना सही नहीं समझा क्योंकि उसकी नजर में आयुषी शादीशुदा हूँ । वैसे एक बात बताओ इतने सालो बाद मेरी याद कैसे आई? तुमको होगी तो मैं बोला कब जो यादव की तो वहाँ तो हर वक्त मेरे आस पास ही नहीं करती हूँ । आज तो तुम्हारा कुछ सामान मेरे पास ही है तो ऍफ की हुई । वह कॉलेज की शर्ट है । एक बार जो गुम हो गया था वो तुम्हारा ॅ तो भी मेरे पास है । हाँ उसमें बैटरी खत्म हो गई होगी । शायद चैलेंज में जीता हुआ वो क्रिकेट मैच का का जो काम हो गया था बोल के तुम्हें क्लास में कहा था और उसका फाइन भी भरा था । उनको मैं नहीं भूल सकता । कभी भी आयुषी अभी नहीं । ये सुनकर आयुषी की आंखे नम हो चुकी थी । क्या करे क्या ना करे । कुछ नहीं समझ आ रहा था तो बस शांत बैठे । धीरे ठंडी ठंडी हवा चल रहे थे । आस पास कोई नहीं था । पंछियों की चर्चा सुनाई दे रहे थे । वाकता ऐसे ही थम जाए तो कैसा होगा तेरे कंधे पर सर रखकर सारी उम्र का जाए तो कैसा हो । कुछ ना चाहे जिंदगी में मुझे बस तेरा साथ ही काफी है । जिंदगी जीने के लिए आयु से ने अपना सर राजेश के कंधे पर याद किया था । दोनों वर्षों के बाद आज खुश है । अब दोनों की आंख लग गई । पता चला जवान खुली तो देखा अंधेरा होने को है । दोनों तुरंत उस जगह से उठे और नीचे जाने के लिए तैयार हो गए । सारेगामा कारवां की बैटरी भी आपका खत्म हो चुकी थी । रास्ते में एक जगह जो का लोग बहुत शायद लगाए हुए हैं, आपके चारों तरफ बैठे हुआ इंटरनेट का मजा ले रहे हैं । ये दोनों भी उस जगह आकर रोका और आग के ताप का लुफ्त उठाने लगेगा । बहुत तेजी से बढ रहा था और बढते वक्त के साथ साथ दोनों के जेल में एक दूसरे के बिछडने का दर्जा पडता जा रहा । अब दोनों ने एक दूसरे से बात करना बंद कर दिया था । दोनों में से कोई भी कुछ भी बोल दे तो दूसरा फूट फूट के रो दें । ऐसा माहौल बन चुका था । राष्ट्र में कोई किसी से एक शब्द भी नहीं बोला । समझानी खेत से नैनीताल आते आते रात के ग्यारह बज चुके थे । रास्ते में लोग के एक ढाबे से कुछ खाना पैक करवा लिया था । यूशी उसने एक भी शब्द नहीं पूछा राजीव से कि वो क्या खायेगा, कुछ भी क्यों से? तो राजीव की हर बार जबानी याद है । घर पहुंचते ही आयुषी ने खाना गरम किया और दोनों टीवी देखते देखते खाना खाने लगे । जैसे जैसे साथ पढ रही थी ठंड और भी बढ रहे थे । टीवी पर कटी पतंग फॅस हो रही थी दोनों एक ही काम बन में । बस फिल्म कम मसाले रहे थे । आप दोनों की हाँ हो गए किसी को पता नहीं चला । सुबह का आलाम बजा तो दोनों की आंखें खोलेंगे हूँ टाइम क्या हुआ है करके ऍम चालू फिर फ्रेश हो जाऊँ । मैं कुछ बनाती हूँ नाश्ते के लिए एक बात कर आयुषी किशन में चले गए । राजीव भी मात्र है हो गया दिल में जितना भी कर दिया खुशी हो सुबह सुबह दिमाग पूरा शांत होता है । ऐसा ही कुछ इन दोनों का हाल था । एक तरफ राजीव शाम ऑन करके उसके नीचे बीते दिनों को याद करता रहता हूँ तो दूसरी तरफ कॉफी मशीन कौनसी कब का बन के तैयार हो गई थी । फिर भी आई थी अपने कॉलेज के दिनों में खोई हुई थी । कितना खुश है दोनों ही पूछने के साथ दुनिया की खबर है ना किसी घंटा अब एक अलग ही दुनिया बना चुके हो । हाँ एक और महत्वपूर्ण बात तो ये थी की दोनों को पता ही नहीं था कि कब एक दूसरे से प्यार करने लगे थे । एक बाल भी दोनों एक दूसरे के बिना बिताते ये पॉसिबल ही नहीं था । दोनों के लिए भी हो गया और इन दोनों की हरकतों से आप घर वाले भी शक करने लगे थे । जो हल्का पानी खाली हो गया तो कुछ देर बाद हाजिर वर्तमान की दुनिया में लौट आया । आपने बदलकर डाइनिंग रूम में आया तो आयुषी दो कप कॉफी और दो प्लेट पकौडे टेबल पर रखकर बैठी थी । क्या हो गया हैं खयालों की फॅमिली गई थी कॅश लेकिन फिर भी वह बहुत के माफी बैठी रही जब उसने आयुषी के गाल को खींचा । अब बच्चे लाओ थी अक्सर किसी जमाने में ऐसी शरारत करता धाराजी । लेकिन इतने सालों बाद ऐसा कुछ किया उसने और उसके बाद दोनों हस्ते हस्ते रो पडे । बहुत बार ऐसा होता है हम लोगों के साथ जब ज्यादा खुश होते हैं हम आंखों से खुशी के मोदी गिर जाते हैं और कई दफा गांव के दुःख के सैलाब भी बहने शुरू हो जाता है तो उन्होंने ॅ होते ही जा रहे हैं । एक वक्त ऐसा आया जब ऍम दोनों स्टेशन की ओर बढते चलेगा तो हूँ नहीं

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बरसात में जैसे बूंदों का धरती से मिलना, तेरा मिलना मेरे तकदीर में जैसे इंद्रधनुष का खिलना! यही हाल होता है जब सालों बाद अपने बिछुडे हुए प्‍यार का मिलना होता है और फिर ये दिल कहता है-काश हम उस वक़्त बोल देते…. काश वो वक़्त फिर से लौट आता... यह सब बातें कभी-न-कभी हमारी ज़ेहन में एक हलचल-सी करती रहती है। वक़्त गुज़र जाता है और उस दोस्त से कुछ न कह पाने का एक अधूरापन हमें परेशान करता रहता है और कहीं उनसे सालों के बाद अचानक मिल गए तो क्या आलम होगा कभी सोचा है आपने ???
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