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अभी अब सुन रहे हैं तो कोई ऍम सुने जो मन चाहे और मैं हूँ आपके साथ आपका दोस्त बचे । रवि रंजन गोस्वामी का लिखा हुआ लघु उपन्यास नाकाम दुश्मन अभी आप सुन रहे हैं पेश सीरीज का तीसरा बात । मार्च तीन दो हजार सोलह दिल्ली भारत ये भारत में शीर्ष खुफिया एजेंसियों के अधिकारियों की एक नियमित बैठक थे लेकिन इस बार वहाँ की चिंता कुछ अलग और अच्छे थे । पाकिस्तान द्वारा घुसपैठ और सीमा उल्लंघन की घटनाओं लेकिन ये गिरावट राजनीति में लोगों ने इसको दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों का परिणाम बताया । हालांकि प्रधानमंत्री ने रक्षा और गृह मंत्रालय को अतिरिक्त सतर्क रहने को कहा था इसलिए इस बैठक मैं इस खामोशी के बारे में बात कर रहे थे कि पडोसी दुश्मनी चुपके से भारत के खिलाफ कुछ योजना तो नहीं बना रहा हूँ या उसकी नीति में कुछ सकारात्मक बदलाव आया था । बैठक एक घंटे में समाप्त हुई और इसकी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्रालय, गृहमंत्रालय, विदेश मंत्रालय को सूचना नहीं दी गई । बैठक के बाद दलजीतसिंह साॅस के अपने कार्यालय लौटा । ये सरकार द्वारा एक नवगठित संगठन उन्होंने पहुंचने के तुरंत बाद डाॅक्टर चीज संजय श्रीवास्तव को बुलाया । संजय को सीमेंट ओके बेहतर वहाँ आ गया हो । उम्र में करीब पचास साल आधा जनजा मध्यम ऊंचाई और बिना गाडी मुझ वाला आदमी उसके चश्मे का ढीला फ्रेम अक्सर उसकी नाक के नीचे लड रखने की कोशिश में लगा रहा था, जिसे वो बार बार आज से ऊपर चढाता रहता था । तो एक बुलाकर प्रोफेसर की तरह लगता था लेकिन वहाँ देखता मैं वो हमेशा सतर्कता और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अदृश्य निर्धारण कर सकता था । पाकिस्तान के मामलों को वही देख रहा हूँ, क्या मैं करा सकता हूँ? ऍम श्रीवास्तव अंदर आया और बैठ गया तो उन्हें इसके लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं । श्रीवास्तव दलजीत के द्वारा बात शुरू करने के इंतजार थे । दलजीत हमारा प्रिय पडोसी क्या कर रहे हैं? तो अलर्ट संजय सर अंतरिक सुरक्षा को खडा करने की आवश्यकता । हम गृह मंत्रालय के लिए एक मछुआरा पोस्ट कर सकते हैं और दलजीत क्या सीमा पर कोई अंदेशा? संजय कोई चिंता नहीं । दलजीत कुछ खास कर सकते हैं अभी नहीं कर । जो भी हम नेताओं द्वारा खुफिया विफलता के आरोप से बच नहीं सकते और हम अपने काम का खुलासा भी नहीं कर सकते हैं । संजय ने मजाक में कहा, और का बस कुछ दिन और प्रतीक्षा करें । महोदय, मैंने पाकिस्तान की यात्रा पर राजेश को भेजा । दलजीत राजेश तुम्हारा शागिर्द है इसलिए मुझे उससे उम्मीद । संजय धन्यवाद । मौत पूर्व के देशों की और ध्यान देते रहे हैं । ये क्षेत्र मुझ पर छोड दे । इसके बाद संजय श्रीवास्तव दल जी से आज्ञा लेकर अपने कमरे में चले गए । कुछ फोन कॉल करने के बाद वो अपने घर के लिए रवाना हो गए । घर में वो अपनी पत्नी के साथ बैठके चाय पी रहे थे । उनकी पत्नी उनसे कुछ कह रहे थे । कभी कभी होता है जब आपको सोच रहे होते हैं जो आपके लिए महत्वपूर्ण है और पत्नी अपने और आपका ध्यान चाहते हैं । इस तरह की स्थितियों में दोनों जो वास्तव में एक दूसरे को दुखी नहीं करना चाहते । हम जहाँ नहीं एक दूसरे को चोट पहुंचा देते हैं । श्रीवास्तव टीवी पर न्यूज देख रहे थे जिसमें पाकिस्तान में होटल प्लाजा में हुए विस्फोट के बारे में बता रहे थे वो राजेश के बारे में सोचने लगे । उनकी पत्नी ने फोन पर अपने भाई के साथ हुई बातचीत के बारे में बता रहे थे । अच्छा होता अगर वह पत्नी से थोडी देर के लिए चुप हो जाने का अनुरोध करते थे । इसके वजह उन्होंने दोनों कार्य उसे सुनने और साथ ही समाचार विश्लेषण करने की कोशिश की । कुछ ही देर में वो अपना धैर्य खो बैठे और पत्नी से थोडे ऊंचे सर मैं बोल गए थोडी देर के लिए चुकी हूँ । पता नहीं तो चुप कराने के तुरंत बाद उन्होंने महसूस किया । वह गलती कर गए थे । कई घंटों के लिए मुंह फुलाकर चुप रहने वाले थे । वो दिल्ली हैं । एलेक्स को सीधे बैठने में मुश्किल हो रहे थे । वो नहीं था गाडी के दिल्ली पहुंचने के सिर्फ आधे घंटे पहले सो जाने की विलासिता हुआ नहीं कर सकता हूँ । कभी कभी उसका सिर तंत्र से अभी बहुत नीचे झुक जाता । वतंत्र टूटती तो झटके के साथ सीधा हो जाता हूँ । जैसे ही ट्रेन स्टेशन को छूने से पहले दी में हुई रिलेक्स ने अपना सामान उठाया और तुरंत उतरने के लिए ट्रेन के डिब्बे के गेट के पास जाकर खडा हो गए । जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर रोके वो ट्रेन से उतर गया । उसने कुली से अपना सूटकेस लेकर चलने को कहा । कुली नहीं सूटकेस अपने सर पर रखा और स्टेशन के गेट की तरफ चलते हैं । एक सपना बॅायकॅाट लात कर को लेकर पीछे चल दिया । वो जानबूझकर कुली से थोडा दूर चल रहा था था की कोई मुसीबत पैदा हो तो बज कर भाग सकते । नशीली दवा का एक बडा ऐसा वो कुछ यूरोपीय देशों को कोचीन से कुरियर द्वारा बेच चुका था । लेकिन फिर भी उसके सूटकेस में जितनी मात्रा में हेरोइन रखे थे वो उसे कुछ सालों के लिए सलाना पीछे करने के लिए पर्याप्त थे । ऍम की वह मात्रा पीटर के लिए थे । पीटर विभिन्न स्रोतों से थोडी थोडी ट्रक स्क्रेप कर कुछ कॉलेज के छात्रों के लिए पूर्ति करता था । ये वो करीब के इशारे पर करता था जो सेंटर खरीदने के लिए पैसे और कॉलेज के छात्रों के लिए आपूर्ति करने का एक अच्छा पारिश्रमिक देना था । वॉशिंगटन । संयुक्त राज्य अमेरिका फरवरी दो हजार सोलह सीनेटर मार्क मजबूत पसंद और ना पसंद के व्यक्ति । हाल ही में उन्होंने एक अध्ययन समूह के प्रतिनिधि के रूप में भारत का दौरा गया था । भारत में वैश्य घुमाने का जिस तरह सामना किया था और पिछले कुछ वर्षों में विकास की उसकी उल्लेखनीय गति के लिए भारत के प्रशंसक थे, साथ ही नहीं कारणों से भारत के विरोधी भी थे । भारत को एशिया में अमेरिकी नेताओं के लिए एक चुनौती मानते थे । भारत के प्रति अपेक्षाकृत अनुकूल बनने के लिए अमेरिकी सरकार का विरोध करते मार्क नाॅट को कॉफी के लिए आमंत्रित किया था । एलवर्ट के दादा डॉक्टर वाहिद भारत के विभाजन के कुछ बाद आपने जवाने में पाकिस्तान से अमेरिका चले गए थे । इनके इकलौते बेटे सिराज नहीं खराब महिला समीना से शादी की थी । ऍफ का एकलौता बेटा था और उसमें एक अमेरिकी मुस्लिम महिला जो ऐसे शादी की थी जो है उसकी वाॅर्ड और विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उसकी प्रथक सोच से प्रभावित हुए थे । जब तो फाॅरवर्ड पहुंचा मांगने बडे गर्मजोशी के साथ उसका स्वागत के एलवर्ट मार्क को उसके हर लाइन दृष्टिकोण और सत्ता के खिलाफ साहस के लिए पसंद करता हूँ । यहाँ तक कि राष्ट्रपति भी इस आदमी से थोडा सावधान रहते थे । वे मार के मकान की बालकनी में बैठे थे । मार्क ने पूछा कैसे हैं आप? ऍम आपका शोध कार्य कैसे चल रहा? ॅ अच्छी तरह से चल रहा है । ऍम अपने काम को प्रभावित नहीं करते लेकिन आपका प्रभाव तो है ही क्या कर फॅसे मार आप अकेले ही काम कर रहे हैं । फॅमिली साथ छात्रों का एक समूह कोई अमेरिकी, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, चीनी और भारतीय जाते हैं । वहाँ चीनी क्यों समयवद्ध का एक छोटा लडका लगाने के लिए साम्यवादी अभी भी काफी संख्या में उनके कैडर कुछ भागों में अभी भी मजबूत माँ प्रोफेसर मैंने आपको लाहौर यूनिवर्सिटी जाकर एक बोर्ड आयोजित व्याख्यान श्रृंखला में व्याख्यान देने के लिए शिक्षा बता के पैनल में शामिल करवा दिया । ये अच्छी खबर है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद । ॅ खुशी प्रकट मार्क । आपका स्वागत ऍम कॉफी खत्म करने के बाद ऍम सीधा अपने घर के लिए चला गया । हमको बुजुर्ग डॉक्टर वाहिद अपने मकान के विशाल नाम के एक कोने में बैठे हुए चाय पी रहे थे । भारत और पाकिस्तान के कई अन्य विस्थापित व्यक्तियों की तरह उन्हें विभाजन के समय में स्थापित होने के लिए मजबूर नहीं किया गया था, लेकिन उन्होंने ऍम देखा था और उसके तरफ को महसूस किया था । विभाजन के कुछ वर्ष उपरांत वह उच्च शिक्षा के लिए लाहौर से अमेरिका आए थे तो अमेरिका में बसने नहीं थे । लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती गई, उन का प्रवाह से स्थायी हो गया । उन्होंने वाशिंगटन में एक छोटा सा लेने शुरू किया, अमेरिका बसे पाकिस्तानी मुस्लिम परिवार की लडकी से शादी कर ली । कैंट वाशिंगटन में एक मध्यम दर्जे कर घर बनाया और अंतर वहीं बस गए । उनके पुत्र शिवराज ने ऑटोमोबाइल पार्ट्स के कारोबार में अच्छी तरह के चिराग ने अपने पिता के सामान्य कार्य को एक शानदार बंगले मैं बदन देखो । डॉक्टर वह इतना एक बडा भूखंड खरीदा था । हालांकि उन्होंने इस पर एक छोटे से घर का निर्माण किया था । फिर आज के बेटे अली वर्ष के पढाई में दिलचस्पी थे । पहले इसमें एक स्थानीय अमेरिकी पाकिस्तानी मुसलमाना दौरा चलाए जाने वाले स्कूल में पढाई की । इसके बाद उसने ईसाई हाई स्कूल में पढाई की और आखिरकार उसने वाशिंगटन विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री अर्जित की और एक सहायक प्रोफेसर के रूप में वहीं कार्यरत हो गए । सुबह से हो कम से कम अपने परिवार की आंखों में दार्शनिक क्रांति करेंगे । तरह था किशोरावस्था में एक घटना से काफी अब साथ में आ गया था । नाइन इलेवन तो हजार एक के आतंकवादी हमले के तुरंत बाद गुस्साया विपक्ष के अमेरिका ने । स्कूल के कुछ छात्रों ने अलीबख्श को मारपीटकर स्कूल के बाहर फेंक दिया था । ये घटना एक बडा झटका थे और एक दर्दनाक अनुभव ता हूँ । वो कुछ हफ्ता हूँ के लिए स्कूल में वापस जाने की हिम्मत नहीं कर सकता था । अलीबख्श समझता था की ये मुसीबात उसकी मुस्लिम पहचान की वजह से पैदा हुई थी । उसने अपना नाम बदलकर एलवर्ट रख लिया । वहाँ नाइन इलेवन के तत्काल प्रतिक्रिया में मुसलमानों पर हमले की छिटपुट घटनाएं हुई थी और जल्द ही लोग सामान्य स्थिति में लौट आए थे । हालांकि अलीबख्श ने अपना नाम रिवर्ट बनाए रखा । डॉक्टर वाहिद अपने परिवार को बहुत प्यार करते थे और इस बात पर रहना खाखरा कहा कि वे एक ही छत के नीचे एक साथ रहते थे । उन्होंने देखा एलवर्ट के कारण गेट में प्रवेश की गरज मैं अपनी कार पार्किंग के बाद एलवर्ट डॉक्टर वाहिद के पास आया हूँ । दादा जी मैं पाकिस्तान की सरकारी यात्रा पर जाने वाला हूँ । ऍफ का हुआ है वहाँ क्यों और कब बॉलवर्ड? वहाँ मुझे लाहौर विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान देना है । आपकी क्यों नहीं? मेरे साथ चलते तो पता है मैं नहीं चल सकता है । वह अपने अपने दिल पर हाथ रखकर का ऍम मैं नहीं चाहता हूँ लेकिन का सब चलते हैं । साला मरने से पहले एक बार जरूर वहाँ जाऊंगा । डॉक्टर फायदे का कलवर्ट इंशाअल्लाह आप शीघ्र यात्रा करने में सक्षम हो जाएगा और मैं आपको वाले जाऊँ । सांत्वना के ये शब्द कहकर अलर्ट घर के अंदर चला गया । इसके आगे की कहानी जानेंगे अगले हुआ तब तक सुनते रहे कॅामन चाहें तो हूँ