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Part 2 in Hindi

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10 K Listens
AuthorNitin Sharma
क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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हूँ । तुमने अभी तक पहले सवाल का ही जवाब नहीं दिया है । हेमंत ने उससे घूमते हुए कहा, फॅर कल आठ से नौ बजे तक मैं सीक्रेट सर्विस के हेड क्वार्टर में था । कोई इस बात की पुष्टि कर सकता है? नहीं, संडे का दिन था । मैं अकेला था । अच्छा तो पंकज को कब से जानते हो? कौन पंकज जिसका खत्म हुआ है । मैंने अपने करियर में बहुत दिक्कत देखें । उनमें से बहुतों का नाम पंकज था । हेमंत की कनपटी गुस्से से सुरु हो गई । जावेद हो जाया कौन? पंकज जावेद पर कोई फर्क नहीं पडा । मिस्टर साहनी का नौकर पंकज हेमंत परस्ते हुए बोला, उसे तो कभी से नहीं जानता हूँ । जावेद ने उसी तरह शांत स्वर में कहा, ठीक है तो फिलहाल हिरासत में लिया जा रहा है । किसी को कॉल करना चाहते हो था । जावेद ने सीक्रेट सर्विस के चीफ अभय कुमार को कॉल किया । फिर हेमंत ने खुद जावेद को लॉकअप में बंद कर दिया और अपनी डेस्क की तरफ पहुंचा । तभी हेमंत को फोन आया । दूसरी तरफ कमिश्नर गोपीनाथ था । हेमंत अलर्ट हो गया । जी अहिंसा, जावेद शक्तियां निर्दोष औपचारिकता निभाई बगैर कमिश्नर ने कहा, हो सकता है सर और हमें अपनी इन्वेस्टिगेशन जारी रखनी पडेगी । अपराधी काफी दूर है जिसने मॉडर के सबूत जावेद के खिलाफ प्लांट कर दी है । बट सर जावेद ऍम मैं जावेद को काफी अरसे से जानता हूँ । कमिश्नर तेज स्वर में बोला वो एक देशभक्त जासूस है जिसने मरते दम तक देश की सेवा करने का प्रण लिया हुआ है तो हम उसके बारे में इस तरह से बात नहीं कर सकते हैं । पसर ये कोई व्यक्तिगत मामला भी हो सकता है । हेमंत जिद के साथ बोला कमिश्नर कुछ से कई पद नीचे के अवसर की बेबाकी से थोडा झुंझलाया । फिर भी संतुलित स्वर में बोला पहली बात तो ऐसा हो नहीं सकता । अगर होता भी तो वो इतना मूर्ख नहीं की मॉडर करने के बाद आपने फिंगर प्रिंट चाकू पर छोड जाएगा और फोन लगे कपडों सहित अपने घर के सामने वाले कूडेदान में ही फेंके । कुछ तो दिमाग लगाओ । इंस्पेक्टर हेमंत चुप रह गया । ठीक है आॅटो मारे काम में दखलंदाजी नहीं करना चाहता पर घायल रहे जावेद को वहाँ कोई तकलीफ होने पाएगा । कुछ देर में शायद अमर वर्मा उससे मिलने वहाँ उसे जावेद से मिलने देना जी । फिर कमिश्नर ने फोन काट दिया । सहानी अपने बेडरूम में लेटा हुआ था । दस बजे उसकी नींद खुल गई थी, पर वह फिर भी लेटा हुआ सोच में डूबा हुआ था । सब कुछ ठीक ठाक हो रहा है । अचानक वो उठा और बाथरूम जाकर फ्रेश हुआ । फिर नीचे किचन में पहुंचकर उसने चाय बनाई और फिर बिस्किट खाते खाते पीने लगा । अब इंस्पेक्टर हेमंत से बात करनी चाहिए । उसने पुलिस स्टेशन फोन किया । कुछ देर में हेमंत ने जवाब दिया, इंस्पेक्टर स्थानीय बोलिए, सर, कुछ प्रोग्रेस आप यकीन नहीं करेंगे । हमने इस सस्पेक्ट को पकड भी लिया । यानि कातिल मिल गया । कमाल कर दिया आप लोगों ने कातिल तो नहीं कह सकता, पर प्राइम सस्पेक्ट के तौर पर । पर प्राइम सस्पेक्ट के तौर पर हम ने जावेद को अरेस्ट कर लिया है । बहुत इंस्पेक्टर कहीं आपने सुबह सुबह पी तो नहीं ली थी? हेमंत हंसा फिर उसने उन सबूतों के बारे में बताया । साहनी बुरी तरह से चौकर बोला, ऍम पर जावेद पंकज का मर्डर क्यों करेगा? मोदी तो पता नहीं ऍम मुझे नहीं लगता उसने ये ऑर्डर किया होगा । हम छानबीन कर रहे हैं । आप ये बताइए क्या? पंकज कभी जावेद से पहले मिला? हो सकता है हूँ उम्मीद तो नहीं है । अरे कहाँ? पंकज मेरा रसोइया और जावेद एक जासूस यहाँ पहले कभी मिले हैं । जब एसे हाउस घडी के चक्कर में आखिरी घडी का मामला क्या है? मैंने उस दिन आपको बताया था जरा विस्तार से बताई थी । साहनी ने बताया के मन इत्मीनान से सुनता गया । फिर बोला आप इस मामले को पुलिस की नजर में भी ला सकते थे वो । मैंने सोचा काफी उलझी हुई होती है । हो सकता है पंकज के पति का इससे कोई संबंध मैं आपसे मिलूंगा । आज रात पुलिस आपके घर रहेगी । किसी भी तरह की मुसीबत से निपटने के लिए । ॅ सो काइंड ऑफ यू ऍम साहनी ने कॉल समाप्त की । अमर को जैसे ही थी अभय कुमार का फोन आया । वो तुरंत तैयार हुआ और सीधे सीक्रेट सर्विस हेडक्वार्टर पहुंचाया । कुछ ही देर में वह चीज के कैबिन में था । चीफ बोला जब की बात नहीं है हम लोगों के अंदर ना दुश्मन है जरूर उनमें से कोई जावेद को फंसाने की कोशिश कर रहा है । जी आप सही कह रहे हैं पर वो इंस्पेक्टर कल रात आठ से नौ के बीच जावेद नहीं था । एंट्री रजिस्टर की एक कॉपी निकलवाकर मेरे साइन और स्टैम्प लगवा लो । ठीक है सर और एडवोकेट श्रीवास्तव को अपने साथ ले जाना बेल हो जाएगी तो कुछ देर में अमर जब चीफ के साइन लेकर कैबिन से निकला तो उसे जॉन मिल गया मेरी जान । अमर बोला मेरे आम आज सुबह सुबह ऑफिस में कैसे मेरी जान? कभी कभी दिन में भी चांद के दीदार होते हैं । बहुत खूब तो मेरे चंदा ये बता जावेद किधर सुबह से फोन कर रहा हूँ मुझे मॉडर के इसमें मदद चाहिए थी । जावे तो हवालात में मौज कर रहा है । किसी से पूछताछ करने गया गया नहीं । पुलिस उससे पूछताछ कर रही है तो सीधी तरह से बोलेगा या कहते हुए जॉन ने अमर को घूंसा दिखाया । सच बोल रहा हूँ मैं उसकी बेल करवा नहीं जा रहा हूँ तो भी चल कहकर अमर बाहर की तरफ चल दिया । जॉन उलझन भरे भाव के साथ उसके पीछे दौड पडा तो सच करे हाँ, अमर ने कार का दरवाजा खोला । जॉन हैरत भरे भाव लिए कार में बैठ गया । एडवोकेट श्रीवास्तव के ऑफिस जाते हुए अमर ने जॉन को सारी बात बताई हूँ । ये क्या चक्कर है? जरूर कोई जावेद को फंसाने की कोशिश कर रहा है । पर कौन? कहीं सानी ही तो कोई साजिश नहीं रख रहा । मुझे उस की घडी वाली कहानी फिजूल लग रही है । पर हमने खुद उस घडी को तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर रुकते देखा था । ये जरूर कुछ साहनी का काम रहा हूँ । हुआ तो उन्हें तो बिना कोई छानबीन करे फैसला भी सुना दिया । एक होमीसाइड एक्सपर्ट से ये उम्मीद नहीं थी । ऐसा सोच कर छानबीन करेंगे तो कातिल जल्दी पकडा जाएगा । नहीं अमर और जॉन वकील के साथ पुलिस स्टेशन पहुंचेगी । वहाँ से हेमंत और जावेद को लेकर वह मजिस्ट्रेट के सामने पहुंचे और फिर बेल की औपचारिकता पूरी करने के बाद जावेद को छुडा लिया गया । वो लोग कोर्ट से बाहर निकले तो हेमंत सुबह सुबह तो मैं रेस्ट कर के लिए आया था । अमर ने पूछा था मेरे खिलाफ पुख्ता सबूत जो मिल गए थे । युवा राॅकेट श्रीवास्तव बोला हूँ, आपकी जगह कोई आम आदमी होता तो उसकी इतनी आसानी से बेल नहीं हो पाते तो ये कोई आम खत्म नहीं बल्कि तुम्हारे खिलाफ साजिश का हिस्सा था । जॉन बोला मेरे खयाल से तो इस कहानी पर हमें बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए । जो लोग पार्किंग में पहुंच गए थे, सब के बैठते ही अमर ने कार्य आगे बढाएंगे । श्रीवास्तव को उसके दफ्तर छोडने के बाद वो हेडक्वार्टर पहुंचे । चीज से उनकी मीटिंग हुई । जावेद तुम क्या पहले कभी इस पंकज से मिले हो, अब है । कुमार ने पूछा हाँ क्या अमर चौका पर कल साहनी के घर पर तो तो मैं ऐसा कुछ पता नहीं । उस वक्त मैंने इलाज की शकल पर खास ध्यान नहीं दिया था । मैं उससे एक नहीं दो बार मिल चुका हूँ । कब पहली बार पिछले हफ्ते उस बार में जो अमर मैंने तुम्हें बताया था वहाँ वो कुछ हथियारों से संबंधित बातें कर रहा था और फिर मुझे देखकर भाग गया और फिर शनिवार को दोबारा शनिवार को कहा, आप लोगों को पता ही है कि आजकल हम लोग निरंतर आतंकवादियों और आईएसआई की हरकतों पर नजर रख रहे हैं । कुछ लीड जैसे मिले हैं जिनसे की आशंका बन रही है कि कई बडे आतंकवादी दल मिलकर साउथ ईस्ट एशिया में कुछ बहुत बडा काम अंजाम देने की फिराक में हैं । आईएसआईएस को बैठ कर रही है तो इस बात की संभावना नकारी नहीं जा सकती कि की ये साजिश भारत के खिलाफ ही बनाई जा रही है । इसी सिलसिले में मैं शनिवार को एक टेप मिलने पर गोमतीनगर में बन रहे नए मॉल में पहुंचा । वहाँ लगभग काम पूरा हो चुका है, पर अभी कोई दुकान नहीं खुली है । मैं लिफ्ट में दाखिल हुआ । मेरे पीछे एक और आदमी लिफ्ट में आ गया । जैसे ही लिफ्ट चली उसने मुझ पर चाकू से हमला कर दिया । मैंने उसका मुकाबला किया है । तीसरी मंजिल आते ही दरवाजा खुला और वह भाग खडा हुआ । मैंने उसका पीछा किया पर फिर भी वह एकदम से कहीं मॉल में ही गायब हो गया । इस घटना का पंकज के खत्म से क्या था लोग? अभय कुमार ने पूछा । अभी याद करता हूँ तो लगता है कि वो आदमी भी पंकज जी था । बस शायद थोडे से मैं कपडे हैं क्या? अमर चौका तो मैं पूरा यकीन है । लगभग लिस्ट में सीसीटीवी जरूर होगा । जॉन बोला हमें मॉल जाकर पता करना चाहिए क्या टाइम रहा होगा । उस वक्त शाम के सात बजे थे । कहानी के बारे में क्या खयाल है? चीफ ने पूछा । सब कुछ उसके इर्द गिर्द ही हो रहा है । अमर बोला श्रीनिवासन से उसकी कुंडली निकलवानी पडेगी । ठीक है अमर नी चीज के कैबिन से निकलकर श्रीनिवासन को ढूंढा और इस काम पर लगा दिया । जावेद जॉन के साथ मॉल चला गया । जावेद और जॉन मॉल पहुंचकर सीधे वहाँ के सिक्योरिटी इंचार्ज से मिले । कहिए क्या काम है? इंचार्ज ने पूछा हमें शनिवार शाम साढे छह से साढे सात के बीच लिफ्ट की सीसीटीवी फुटेज देखनी है । जॉन बोला, पर सर, आप तो जॉन ने अपना परिचय पत्र दिखाया तो जरूर जरूर मैं आपको ले चलता हूँ । पर वहाँ पुलिस पहले से ही आई हुई है । आप भी उनके साथ ही तो लेना चाहिए । जावेद चौकर बोला, इंचार्ज को उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया । वो दोनों को मॉल के कोने में छोटे से कमरे में ले गया । वहां उन्हें एक वर्दीधारी कंप्यूटर की स्क्रीन में तत्पर्ता के साथ लिफ्ट का फुटेज देखता दिखाई दिया । एक गार्ड उसका सहयोग कर रहा था । जावेद और जॉन उसके पीछे पहुंचे । अपने पीछे किसी के होने का अहसास होने पर वर्दीधारी पालता इंस्पेक्टर हेमंत जावेद के मुझसे स्वतः ही निकला । हेलो जावेद वो भेदभरी मुस्कान के साथ बोला, अच्छा हुआ तो खुद यहाँ गए क्यों? तो मैं फिर से मेरी तलाश थी । लगता तो कुछ ऐसा ही है । अब तो मेरी बेल हो चुकी है । जावेद उसकी बात हंसी में उडाते हुए बोला हो सकता है वो बेल खारिज हो जाए । हेमंत ने गंभीरता के साथ कहा, क्या कहना चाहते हो? वो टेस्ट देखो समझ आ जाएगा । कहकर वहाँ से परे हट गया और जावेद को कुर्सी पर बैठने के लिए आमंत्रित किया जावेद बैठ गया । वैसे तुम यहाँ क्या खोजते हुए पहुंचे? जावेद ने पूछा मैं तो उन सभी जगह जा रहा हूँ जहाँ जहाँ होने से पहले पंकज गया था । जावेद बेचैनी से फुटेज को रिवर्स करने लगा । हेमंत ने एक सिगरेट निकाली तो जॉन ने उसका दीवार पर चिपके नो स्मोकिंग के स्टीकर की तरफ ध्यान आकर्षित किया । हेमंत ने जॉन को खोलकर देखा । फिर कमरे से बाहर निकलकर सिगरेट पीने लगा । जावेद और जॉन ने देखा । जावेद लिफ्ट में आया और उसके पीछे वो आदमी भी अंदर आ गया । कुछ ही पल बाद उसने जावेद पर हमला कर दिया । दोनों में लडाई होने लगी । कुछ देर में एक चाकू दिखाई दिया जिसका फल उस आदमी की तरफ था । ऐसा लग रहा था कि जावेद उसे चाकू से मारने की कोशिश कर रहा है और वह किसी तरह से खुद को बचा रहा है । ये क्या? जॉन बोला तो मैं उस पर अटैक किया था । नहीं, मैं खुद को बचा रहा था । ध्यान से देखो । हेमंत दरवाजे से ही बोला जाको का फल पंकज की तरफ है । यानि तुम उसे मारने की कोशिश कर रहे हो । तो हम कैसे इतने यकीन के साथ बोल रही हूँ । जावेद बोला होते जितना क्लियर भी नहीं और देखा नहीं । पहले उसने हमला किया था, मुझ पर बाद में है । लडाई के वक्त पहले वो चाकू मेरी तरफ था और खुद को बचाने के लिए मैं उसे अपने विपरीत दिशा में ही तो घुमाऊंगा जरूर जरूर । यही तो मैं समझना चाहता हूँ कि तुम्हारी उससे दुश्मनी की वजह क्या थी? ऐसा किया था कि उसके हमला करते ही तुमने चाकू निकाल लिया । ऍम जावेद उत्तेजित होते हुए बोला, तुमने कब देखा की चाकू मैंने निकाला था, जहाँ आपको तुम्हारा है तो तुम ने ही निकाला होगा । निराचार को? हाँ वही जिससे बाद में इसका ऑर्डर हुआ था तो मैं लॉकप में रखने के बाद तुम्हारे घर की तलाशी ली गई थी । वहाँ एक और वैसा ही चाहते मिला था । तुम्हारे पास दो का था और उनमें से गायब है । ऐसे न जाने कितने चाकू बाजार में मिलते हैं । हाँ पर उन पर तुम्हारे फिंगरप्रिंट नहीं मिलेंगे ना वो तो इसी चाकू पर मिले थे । तुम चाहते क्या हूँ? मैं तो बस पंकज के कातिल को पकडना चाहता हूँ और फिलहाल सभी सबूत तुम्हारी तरफ इशारा कर रहे हैं । मेरी एल इ बाईस साबित हो चुकी है । मैं ऑर्डर के समय की पर इस नए सबूत के चलते साफ पता चल रहा है कि तुम्हारे पास पंकज को मारने की पहले से कुछ तो वजह थी । भले ही बाद में तुमने मर्डर किसी और से करवाया हो तो होश में तो जॉन भडक कर बोला है कुछ भी बोले जा रही हूँ तो मैं खुफिया अधिकारी पर । इस तरह मैं सिर्फ वो भाषा बोल रहा हूँ जो सबूत बुलवा रहे हैं । तो मैं तो ये बात समझनी चाहिए । मिस्टर खुफिया अधिकारी तो मैं भी समझना चाहिए किस धुंधले फुटेज इसमें कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा । उससे इस तरह के निष्कर्ष निकालना गलत है और मॉडर के सबूत जिस तरह तुम्हें मिले हैं, क्या उसने ये नहीं पता चल रहा कि जावेद को प्रेम किया जा रहा है? हो सकता है जांच पडताल करने के बाद ही ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है । फिर तो ठीक तरह से जांच पडताल करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना । हेमंत चुप हो गया । फिर बैठ कर अपनी फाइल में कुछ नोट करने लगा और उसने फुटेज की एक कॉपी पेन ड्राइव में ले ली । जावेद और जॉन ने मॉल के कुछ कर्मचारियों का बयान लिया पर किसी ने भी इस बात की तस्दीक नहीं कि कि उस दिन उन्होंने मॉल में जावेद या पंकज को देखा हूँ । कुछ देर बाद जावेद और जॉन मॉल की पार्किंग में पहुंचे जॉन के बैठते ही जावेद ने कहा आगे बढा दी । जब एक सीट बेल्ट लगाते हुए जॉन बोला मैंने एक बात नोट की ये जो पंकज था शकल सूरत से नौकर चाकर की जगह गुंडा मवाली दिखता था । वो आईएसआई एजेंट हो सकता है । बाहर में जिस तरह की बातें कर रहा था उससे मुझे उस पर शक हुआ था और मुझे याद है जिस तरह उसने मॉल में मुझ पर हमला किया था वो कोई आम आदमी नहीं कर सकता । वो ताकतवर था । मेरे जैसे हफ्ते में आठ घंटे जमीन करने वाले पर भी वह भारी पड रहा था । फॅमिली ऐसा आदमी, नौका वही कुक कैसे हो सकता है । चौकीदार होता तो फिर भी समझ जाता है । हालांकि उसकी हरकतों से मुझे वो आईएसआई वाला नहीं लग रहा है । क्यों उसके काम करने के स्टाइल में कोई इंटेलिजेंस नहीं दिख रही बल्कि काफी लापरवाही दिखाई दे रही है । साहनी ने इसको किसी एजेंसी से ही हार क्या होगा? श्रीनी को बोलता हूँ पता लगाए । कुछ देर में जावेद ने अपने घर के सामने कार रोकी दोनों कार से उतरे और जावेद के घर के सामने स्थित एक चाय की दुकान पर पहुंचे । दो चाहे लेने के बाद जावेद ने चाय बनाने में मशगूल चाय वाले से पूछा गंगा राम जी माले कल रात है, इधर इधर ही थे मालिक । मेरे घर के सामने जो कूडादान है क्या? उधर कोई अनजान लोग कुछ भेजते देखे थे । इतना तो हम ध्यान नहीं दिए । किसी ने तो जरूर देखा होगा । टाइम क्या था वाले दस बजे के बाद हम पता करते हैं । गंगा राम की समझ में जावेद पुलिस में काम करता था । आए दिन अपने एरिया से जुडी गतिविधियों के बारे में जावेद उसकी दुकान से जानकारी लेता रहता था । जावेद का बस एक बार बोलना बहुत था । उसके बाद गंगा राम कहीं से भी खबर निकाल कर देता था । चाय पीने के बाद जावेद ने उसे सौ का नोट देकर कहा, मुझे फोन करना जरूर मालेक चलो । ऍम चाय का गिलास नीचे रखते हुए जावेद ने जॉन से कहा, कुछ देर में दोनों हेडक्वॉर्टर पहुंच गए । मीटिंग रूम में जावेद और जॉन के साथ अमन और श्रीनिवासन भी शामिल हुए । ये लीजिए सहानी की हिस्ट्री श्रीनिवासन एक कागज टेबल पर रखते हुए बोला, फिर दूसरा कागज रखकर बोला और ये पंकज प्रजापति की हमारी आज मुझे ही बता दूँ पढाई लिखाई कौन करेगा? अमर ने कहा जरूर मिस्टर पुलिस सानी एक बढिया बिजनेसमैन स्मार्ट ऍम अभी तक शादी नहीं किया इसलिए सोसाइटी में फॅार कहलाता है । श्री ने फॅार की लिस्ट में उसके बाद तुम्हारा नंबर आता है । अमर आंख मारते हुए बोला जॉन हस्तिया तो उनका तो हमको बीच में टोकता है । श्रीनिवासन नाराज होते हुए बोला काम की बात बताऊँ । जावेद ने गंभीर स्वर में कहा वही बता रहा हूँ सर उसे बैचलर लाइफ पसंद है । आई क्लास मॉडल्स और ऍम के साथ उसका अफेयर चलता रहता है । खास बात ये है कि फॅस पहले उसका एक गर्लफ्रेंड वन मॉर्डल सुसाइड कर लिया था । क्या नाम था उसका? जॉन ने पूछा मिनाज शमी हमको मालूम आप पूछेंगे इसलिए हम पूरा के स्टडी किया । दो साल पहले मिनाज अपने फ्लैट में फोन से बने फोन में पाई गई थी तो इसलिए क्योंकि बात सब में लास्ट था और उसमें पानी और फोन से मिलकर पूरा पहुंच बन गया था । उसकी दोनों हाथों की नसें कटी हुई थी । ब्लेड भी ऑन स्पॉट मिल गया था और उस पर मिनाज का ही फिंगरप्रिंट मिला था । सानी भी उस दिन शहर में मौजूद था । उसका कहना था की फॅसे डिनर के लिए मिला । उसे घर छोडा पर उसके फ्लैट के अंदर नहीं गया और उसके हिसाब से डिनर तक शिवा स्वाइन । उसने सोचा भी नहीं था कि वह सुसाइड करेगा तो पुलिस ने उसे क्लीन चिट दे दी थी । जावेद ने पूछा यस फॅस कुछ और मसाला श्रीनि? अमर ने पूछा उसके अलावा ये कि वह काफी फॉरेन ट्रिप करता है । बहुत और बिजनेस ॅ जावेद ने पूछा ऍम साल में पांच फॅमिली में तो ऑलमोस्ट ऍम हूँ । अमर ने कहा मजा तो पंकज की पोल खोलने में आएगा । बंदा ऐसा है आप ही बता दीजिये ना कहकर श्रीनिवासन बोतल से इस तरह पानी पीने लगा जैसे कई मील दौड कर थक गया हूँ । अमर ने कागज पर नजर डाले बिना बोलना शुरू किया । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पंकज ने कुक की नौकरी साहनी के घर से ही शुरू की थी तो उससे पहले वह क्या करता था? जावेद ने पूछा वो दिल्ली से भागा हुआ एक क्रिमिनल था । मैंने कहा था ना जॉन जावेद को देखते हुए बोला सही कहा होगा मेरी जान अमर बोला । दिल्ली पुलिस को उसकी एक रॉबरी केस के तहत करीब एक साल से तलाश थी और सानी और क्रिमिनल से खाना बनवा रहा था । जॉन व्यंगपूर्ण मुस्कान के साथ बोला, हो सकता है उसने जानबूझ कर एक क्रिमिनल को नौकरी पर रखा हूँ । एक मिनट अमर ने कहा, हम साहनी पर क्यू शक करें क्यों ना करें? जॉन बोला, उसने घडी के बहाने हम लोगों को कॉन्टैक्ट किया । फिर जावेद को फंसाने की साजिश को अंजाम दिया । मेरी जहाँ सोचते हैं उस दिशा में भी फिलहाल मेरे पास तुम्हारे लिए एक सवाल है । पंकज को कैसे पता चल रहा कि जावेद मौल आने वाला? शायद वो जावेद का पीछा कर रहा था तो मॉल गए होते हैं । अमर ने पूछा, मुझे टिप मिली थी, बताया तो था किसने दी थी लेकिन फॉर्मर नहीं । उसका नाम बताओ । नाम फारुख कॉल हिस्ट्री देखो जावेद ने अपने मोबाइल में कॉल हिस्ट्री देखनी शुरू की । फिर कुछ देर में बोला, कोई लैंडलाइन नंबर है ऍम श्योर । कोई पब्लिक फोन होगा । जॉन बोला और ये फोन जरूर साहनी ने करवाया होगा । जावेद ने नंबर श्रीनिवासन को दिया । उसने पांच मिनट में पता लगा लिया कि टेलीफोन नंबर बस स्टेशन के पास का था । मैं फारूख को कॉल करता हूँ, कन्फर्म हो जाएगा । कहकर जावेद ने फारुख नाम के एजेंट के मोबाइल पर फोन किया । स्वरूप ने इस बात की पुष्टि की कि उसने जावेद को ऐसी कोई कॉल नहीं की थी । डाॅ । जॉन मेज पर मुक्का मारते हुए बोला जो साहनी के सेवाओं और कौन कर सकता है साहनी का तो बैग्राउंड ऐसा नहीं लगता कि उसके पास जावेद को फंसाने का कोई उद्देश्य अमर बोला क्या पता क्या वजह है? जॉन बोला और जो भी है उसका इरादा तो यही लगता है और हमें तैयार रहना होगा । उसकी अगली चाल के लिए । इंस्पेक्टर हिम्मत को पंकज के कातिल का पता लगाना था । इस सिलसिले में उसने मॉल के बाहर दुकानों और रिक्शा स्टैंड पर पंकज की फोटो लेकर पूछताछ शुरू की । हालांकि उसे कोई कामयाबी न मिल सके । पुलिस स्टेशन वापस जाने के लिए वो अपनी बाइक पर सवार हुआ और चल दिया । शाम हो रही थी हल्का हल्का अंधेरा छाने लगा था । वो फैजाबाद रोड पर पहुंचकर एक गली में घुस गया । अचानक ही पीछे से किसी कार्ने हॉल देना शुरू किया । उसने पलट कर देखा फिर किनारे हो गया कर आगे निकल आई और फिर अचानक ही उसके ब्रेक लगे के मत को बाइक रोकनी पडी । बडी तेजी से कार में से चार आदमी उतरे और हेमंत पर झपट पडे । उसे सोचने का मौका ही नहीं मिला । चारों ने उस पर घूंसे लात बरसाने शुरू कर दिया । उसे बाइक से उतार लिया गया और बाइक किनारे नाली में गिरा दी गई । हेमंत बेटे हुए भी धमकाने लगा । सालों पुलिस वाले पर हाथ उठा तो वो लोग उसे गाली दे देकर पीते रहे । उस सुनसान सडक पर देखने वाला कोई नहीं था । कीमत निधान होकर एक तरफ गिर गया । उनमें से एक बोला पता चला तुझे हमारे जावेद भाई पर हर डालने का काम साले अगली बार तेरी लाश मिलेगी । घर में समझ रहे हो ऍम जोर उचक्कों को पकड और अपनी अकादमी रहे । उन लोगों ने हिम्मत के पास से उसके नोट्स पेन ड्राइव हासिल की और फिर वहाँ से भाग ले । हेमंत ने देखा कार की नंबर प्लेट पर मिट्टी लगी हुई थी । उसका पूरा बदन दर्द से टूटा जा रहा था । दस मिनट बाद जब एक बाइक सवार उधर से गुजरा तो उसने उससे मदद की गुहार की । जावेद अमर के साथ अभी ऑफिस से निकला ही था । जावेद कार ड्राइव कर रहा था और अमर बगल में बैठा था । तभी चीज का फोन आया । जावेद ने उसे स्पीकर पर डाला ये सर जावेद अभी इंस्पेक्टर हेमंत का फोन आया था और तुम्हारे घर की तलाशी लेना चाहता है तो लेकिन सर हमें मालूम है कि उसकी ये फरमाइश भी फिजूल है । पर उसका कहना है कि उसने सर्च वारंट हासिल किया है इसलिए फिलहाल कुछ नहीं किया जा सकता है तो घर जाकर उसे उसकी मनमर्जी पूरी कर लेंगे । तो बाद में हम देखते हैं । ठीक है सर जावेद ने फोन काटा और कार अपने घर की तरफ मोड दिया । आखिर ये तुम्हारे पीछे के ऊपर गया । अमर बोला पता नहीं शायद उसे कोई और सच तक नजर नहीं आती है । उसे ये सब करने के लिए फीस मिल रही हूँ । ऐसा भी हो सकता है । जावेद ने गहरी सांस छोडें । कुछ देर में वो जावेद के घर पहुंच गए । हेमंत पूरी तैयारी के साथ अपनी टीम के साथ उपस् थित था और उसका ही इंतजार कर रहा था । बोलो हेमंत आप क्या चाहते हो? जावेद ने पूछा मैं तो बस अपनी ड्यूटी निभाना चाहता हूँ । मुझे तुम्हारा घर सर्च करना है । अच्छा वैसे आपको ऑर्डर मिल कहाँ से रहे हैं? अमर ने पूछा क्या मतलब है तुम्हारा? मतलब यही की किसी ने आपको ऐसा करने का ऑर्डर दिया होगा? मैं इस मर्डर केस का ऑफिसर इंचार्ज हूँ । मुझे खुद फैसले लेने की इजाजत है । मैं सिर्फ सबूतों के सहारे आगे बढ रहा हूँ । लगता है सबूतों ने आपकी पिटाई भी कर दिया है । अमर उसके चेहरे पर ताजा चोटों के निशान देखते हुए कहता है, केमंत्री उसे घूरकर देखा पर कुछ बोला नहीं है । वो जावेद की तरफ पालता । अब तुम दरवाजा खोल लोगे । जावेद ने मेन गेट खोला । फिर अंदर आकर बैठक के दरवाजे पर पडा । ताला खोला । हेमंत और उसकी टीम ने तलाशी शुरू की । जावेद और अमर को बाहर ही रोक दिया गया था । एक घंटे बाद हेमंत अपनी टीम के साथ बाहर आया और जावेद को सख्त नजरों से देखते हुए बोला, ऍम कमिश्नर ऑफिस में सीक्रेट सर्विस का चीफ अभय कुमार कुछ ही देर पहले पहुंचा था । उसके चेहरे पर गहन चिंता भरे भाव थे की आवाज का ये सबूत मिले हैं । अब नहीं । चिंतित स्वर में पूछा मुझे खुद विश्वास नहीं हो रहा है पर अब जो मिला है वह सामने हैं और ये जावेद के घर के पास ही मिलाएं । कमिश्नर गोपीनाथ ने जवाब दिया, पर हम जावेद को अरेस्ट किए बिना भी तो कुछ कर सकते हैं । कोई तो तरीका होगा काश ऐसा हो सकता है । पर ये टूरिज्म का मामला है । मैंने थोडी भी ढील दी तो मेरे ऊपर ही नहीं पूरे पुलिस विभाग पर उंगलियां उठेंगे । ऊपर से जावेद का धर कमान गोपीनाथ तुम तो जावेद को जानते होंगे तो मुस्लिम है तो क्या हुआ हूँ उसने कितने टेररिस्ट ऑपरेशंस में भाग लिया । कितने ही आतंकवादियों को पकडा है । मारा है । मुझे यकीन है इसी कारण उसे इस तरह फंसाया जा रहा है । मैं सब जानता हूँ है और मेरे हाथ बंधे हुए कानून को तुम भी उतना ही जानते हो जितना मैं पुलिस फोर छोड कर ही तो तुम सीक्रेट सर्विस में गए थे । अब तुम बताऊँ मेरी जगह अगर तुम होते तो क्या करते हैं । अब है । तनावयुक्त ढंग से परे देखने लगा । मुझे साजिश का पर्दाफाश करने के लिए टाइम चाहिए । इन्वेस्टिगेट पुलिस भी करेगी । पर फिलहाल तो जावेद को छोडा नहीं जा सकता । ऍम ठीक है गोपीनाथ अभय कुमार खडा हो गया तो मतलब फर्ज निभाओ मैं चलता हूँ । कमिश्नर गोपीनाथ अचानक बोला ठहरो अब है अब ठीक टक्कर लोग गया और उसकी तरफ पालता । गोपीनाथ ने उसे देखते हुए मोबाइल उठाया और किसी को कॉल लगाई । दूसरी तरफ से आवाज आती ही वो बोला ऍम वो आवाज हेमंत की थी । जावेद कहाँ है मैं उसे लेकर सब स्टेशन पहुंच गया हूँ सर उसके खिलाफ अभी कोई लिखा पढी तो नहीं हुई जी नहीं बस अब करने वाला हूँ । उस की कोई आवश्यकता नहीं है । जावेद को जाने दो । हेमंत बुरी तरह से चौका पर सर ऍम की नहीं है की जावे । जैसा अवसर आतंकवादी हूँ पर सर उसके घर के अंदर से ही तुम जांच पडताल करते रहूँ और पता लगा उसके घर में ये हथियार कितने रखे हैं । लेकिन इंस्पेक्टर क्या तो मैं कम सुनाई देता है । नौ नौ सौं आॅफरिंग तो जो कहा है वैसा करो । ओके सर गोपीनाथ ने कॉल समाप्त करके अभय की तरफ देखा । अब धीरे कदमों से चलता हुआ उसके पास पहुंचा ऍम गोपीनाथ । उसने कहा अब है । अब हमें बहुत तेजी से साजिश से पर्दा उठाना होगा । आजकल इन बातों को ज्यादा देर दबाना आसान नहीं होता है । आई नो जावेद अमर जॉन ही मेरे बेस्टमैन है । वो पूरी कोशिश करेंगे पर तुम हेमंत को भी बोलो । उनका सहयोग करने के मैं जरूर बोलूंगा क्योंकि मैं चलता हूँ । ठीक है अब है चला गया । उसके जाते ही गोपीनाथ फिर फोन के साथ व्यस्त हो गया । जावेद अमर जॉन उस वक्त हेमंत के सामने ही थी जब उसे कमिश्नर गोपीनाथ का फोन आया । मोबाइल को खोलते हुए हेमंत कुर्सी पर बैठ गया । वो इंस्पेक्टर अमर मुस्कुराते हुए बोला, भेल के अरमा आंसू में बह गए । हेमंत ने तैश में आकर उसे देखा की आइए बात तो मैं पहले ही समझ नहीं आई थी । अमर ने कहा जाता है तो लॉकअप में बंद था तो उसी समय उसके घर हथियार रखवाए गए होंगे । ये किसे पता है कि हथियार उस वक्त वहाँ रखवाए गए या पहले से मौजूद थे । हेमंत जिद करते हुए बोला । जावेद ने अमर को शांत रहने का इशारा किया और बोला ऍम तुम अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, मैं जानता हूँ और मैं तो मैं यकीन दिलाता हूँ । ये मेरे खिलाफ साजिश है । आप लोगों को मुझे सफाई देने की कोई जरूरत नहीं है । मैं तो एक बहुत निचले दर्जे का अवसरों, आप लोगों के सामने मेरी औकात ही क्या है? वह साफ तौर पर चढा हुआ मालूम पड रहा था । हेमंत यहाँ कोई कमियां ज्यादा औकात वाला नहीं है । एक बहुत बडी साजिश चल रही है । शहर में आतंकवादी और आईएसआई के एजेंटों के सक्रिय होने की खबर मिल रही है तो हम हमारा साथ दोगे तो हमें भी इन लोगों तक पहुंचने में मदद मिलेगी । मुझ से जो होगा मैं जरूर करूंगा । मेरी तुमसे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है । वही तो अब हम लोग वापस मेरे घर जाएंगे । पुलिस ने घर सील किया हुआ है इसलिए मुझे तुम्हारी मदद चाहिए । ठीक है मैं चलता हूँ । ये हुई ना । बाद अमर खुशमिजाजी के साथ बोला । फिर वो सभी हेमंत के साथ पुलिस जीत में बैठकर वापस जावेद के घर की ओर चल दी है । रास्ते में जॉन ने हिम्मत से पूछा जिस वक्त जावेद लॉकप में था तब उसके घर की चाबी तुम्हारे पास है, मेरे पास नहीं । सब स्टेशन के लॉकर में थी । चाबी किसे सौंपी थी कांस्टेबल को उसका नाम? आप लोग पुलिस पर शक्कर रहें । हेमंत मुस्कुराए शुरुआत किसने की थी? है मान जी अमर बोला ये सब पूछने का मंतव्य सिर्फ ये हैं कि पता लगे कि जावेद के बंद घर में उन्हें एंट्री कैसे मिली? जॉन ने कहा मैं समझ सकता हूँ । हेमंत बोला घर पर ताला लगा हुआ था । यानी जो भी अंदर आया उसके पास चाहती थी । चाभी न होती तो ताला तोडा गया होता है या कोई और रास्ता इस्तेमाल किया गया होता । मेरे घर के अंदर और कहीं से भी घुसना मुमकिन नहीं । जावेद बोला सभी खिडकियों में गृह लगे हैं । दूसरा कोई दरवाजा है नहीं । छत का दरवाजा जॉन ने पूछा वो हमेशा अंदर से बंद रहता है । इसका मतलब जो भी अंदर आया उसके पास जा भी थी । इतने सारे हथियार लाख कराया होगा तो किसी ने देखा भी होगा । अमर बोला गंगा राम शायद कुछ बता सके । जावेद बोला हुआ जरूरी नहीं वो मेन गेट से घुसा हूँ । जॉन ने कहा, तुम्हारे घर की चारदीवारी पर कोई तार भी नहीं है । उसे कूदकर अंदर आना आसान है । चिंता मत करो । हेमंत बोला है मैं पता लगवा लूंगा । जूतों के निशान दीवार पर मिल जाएंगे । घर के अंदर भी होंगे गोल्ड जॉन बोला जावेद के घर पहुंचने के बाद हेमंत ने फोरेंसिक वालों को निर्देश दिए और वह अपना काम कुछ और तेजी से निपटाने लगे । कुछ देर में पता चला कि दो जोडी ऐसे जूतों के निशान अवश्य मिले थे जो जावेद के हरगिज नहीं थे और वो दीवार से होते हुए घर के अंदर बेडरूम तक पाए गए थे । जहां से हथियार मिले थे और वह दीवार से होते हुए घर के अंदर बेडरूम तक पाए गए थे । जहां से हथियार मिले थे । फिंगर प्रिंट सो जावेद की सेवा किसी और की थी नहीं, जिससे यह साफ पता चल रहा था कि उन लोगों ने दस्ताने पहने हुए थे । पुलिस और जावेद अमर जॉन नहीं पुलिस और जावेद अमर जॉन ने घर के चारों तरफ पूछताछ शुरू की, पर कोई चश्मदीद गवाह नहीं मिल सका । जाहिर है कि काम बेहद सतर्कता के साथ किया गया था । आप आज रात कहीं और बिता लीजिए । हेमंत जावेद से बोला कल सुबह तक आपको आपका घर वापस मिल जाएगा क्योंकि जावे बोला चलो फिर मेरे घर चलकर पार्टी शार्टी करते हैं । अमर जेब से कार की चाभी निकालते हुए हो । जावेद और जॉन उसके पीछे पीछे कार की तरफ चलती है । मैं एक बार जेल चला जाऊं फिर आराम से पार्टी करना जबीबुल्लाह । अरे यार, फॅालो टेंशन नहीं ले रहा हूँ और इतना खुश भी नहीं हूँ कि पार्टी मनाऊं । अरे मेरे आम हमें कुछ करना चाहिए । जॉन बोला अब आगे क्या करना है, पहले सोचना तो पडेगा । अमर कार में बैठते हुए बोला जॉन उसकी बगल में बैठा और जावेद पीछे । अमर ने चाभी एडमिशन में घुमाएंगे । कार स्टार्ट हो गई । साहनी के घर चलते हैं । जॉन ने सुझाव दिया क्यों? जावेद ने पूछा, क्योंकि फिलहाल शक करने के लायक कोई और उम्मीदवार नहीं है । ये भी है । अमर बोला और फिर उसने कार को गेयर में डाला और आगे बढा दिया । साहनी उन्हें बंगले पर ही मिला । बैठक में उन तीनों का स्वागत करते हुए उसने कहा, मिस्टर जावेद । मैंने सुना था कि पुलिस ने आप को गिरफ्तार कर लिया । सही सुना था मुझे पुलिस से ये उम्मीद नहीं थी । उस इंस्पेक्टर का जरूर पेश ढीला हो गया है । जो आपके कातिल होने की बात सोच बैठा । जभी बोला वो अपनी ड्यूटी कर रहा था । आम तौर पर ड्यूटी करते हुए दिमाग इस्तेमाल करने पर तो कोई सरकारी पाबंदी है । नहीं तीनों वहाँ से गैर बताइए मैं आप की क्या मदद कर सकता हूँ? साहनी नहीं मुस्कुराते हुए पूछा । पंकज, आपके घर कब से काम कर रहा था? जॉन ने पूछा कुछ महीने पहले से आई थिंक पांच छह महीने आपने उसे किसी एजेंसी से हायर किया होगा? नहीं वो तो मेरे दोस्त के यहाँ काम करता था । वो यूके शिफ्ट हो रहा था तो उसने मुझसे पूछा कि कुछ चाहिए? मुझे जरूरत थी तो मैंने रख लिया अच्छा यानि उसका आपने कोई बैकग्राउंड वेरिफिकेशन वगैरा नहीं करवाया । जरूरत ही कहाँ है? आपके उस दोस्त का नाम मध्यस् बताएंगे । उसका आप क्या करेंगे? यही सवाल उससे पूछूंगा । ब्राॅन के बारे में अच्छा पर मैं काफी टाइम से उसके कॉन्टेक्ट में नहीं, यू के का ड्रेस तो नहीं है । वो नंबर जो दिया था वो देता हूँ । फिर साहनी नहीं उसे । अंकित सेठी नाम के साथ यू । के । का एक नंबर दिया सैंक्यो । जॉन ने कहा । जावेद ने पूछा क्या आपको कभी पंकज पर शक हुआ? मेरा मतलब उसकी कोई ऐसी हरकत या कोई वाकिया जिस पर आपकी खास समझ हो गई हूँ? मैंने तो कभी नोटिस नहीं किया । आप समझ सकते हैं कि नौकरों पर तवज्जो देने का मेरे पास टाइम ही कहाँ होता है । फिर भी साहनी ने सोचने की मुद्रा में ऊपर देखा । फिर कहा, नहीं ऐसा कुछ भी नहीं आता रहा । क्या हम उसका कमरा देख सकते हैं? जॉन ने पूछा मुझे कोई दिक्कत नहीं है । साहनी कमरे से बाहर निकलते हुए बोला आइए परपुलिस पूरी जांच पडताल करके गई है तो मुझे नहीं लगता वहाँ आप कोई और सबूत मिलने की गुंजाइश होगी । वो आप हम पर छोड दीजिए । अमर बोला बिल्कुल यू नो और ऍम साहनी उन्हें लेकर सर्वेंट क्वार्टर पहुंचा । उन लोगों ने फोरी तौर पर पंकज के कमरे की जांच की । फिर जॉन बोला, बगल वाला कमरा किसका खाली बडा है? कभी कोई और नौ कराया तो वो रह सकता है । वो यानी फिलहाल बंद है । बंद है पर लोग नहीं सहनी उन्हें बगल वाले कमरे के सामने ले आया जिसका दरवाजा पंकज के कमरे के दरवाजे के ठीक सामने था । दरवाजे का कुंडा बंद था पर उस पर कोई ताला नहीं था । साहनी नहीं उसे खोलने के लिए हाथ बढाया ही था की जांची खा रुपये साहनी ने सब पका के हाथ पीछे कर लिया । इस पर फिंगरप्रिंट हो सकते हैं । जॉन ने जेब से रूमाल निकालते हुए कहा, और जब पंकज के कमरे में ही फिंगरप्रिंट नहीं मिले तो साहनी ने कहना चाहा पर जावेद बोला किसी भी संभावना को नकारा नहीं जा सकता । मिस्टर साहनी ऐसे तो कमरे में फिंगरप्रिंट नहीं मिले पर मॉडर व्यापन पर मेरे फिंगरप्रिंट मिले । इसी से पता चलता है कि आपको फंसाया जा रहा है । साहनी ने कहा मुझ पर भरोसा करने के लिए शुक्रिया जावे बोला । जॉन ने रुमाल हाथ में लपेटकर दरवाजा खोल दिया और एक आपको रहनुमा मानकर ही तो मैं मदद के लिए आपके पास आया था । मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूँ । मिस्टर जावे । मेजर राघव ने आर्मी के दिनों की आपके कारनामें बताए थे । मुझे अब आप सीक्रेट सर्विस में रहकर देश की सेवा कर रहे हैं । ऐसे ज्यादा बेहतर इंसान और कौन हो सकता है? युवा टू का इन मिस्टर साहिल इस बीच जॉनी उस बंद कमरे की लाइट जलाई । अंदर सिर्फ एक पल था । उसके अलावा वहाँ कोई सामान नहीं था । जॉन की नजरें फर्श पर गई । वर्ष पर धूल है । वो नीचे हो गया और दरवाजे के पीछे धूल पर जूतों के निशान हैं । आप लोग बाहरी रुकिए । मुझे लग रहा है कि कातिल पंकज पर हमला करने से पहले यहाँ छिपा रहा होगा । वो लोग बाहर लोग गए इस कमरे की भी फोरेंसिक वालों से जांच करवा लेते हैं । जब एबोला अमर ने तुरंत इंस्पेक्टर हिमंत को फोन किया और फॉरेंसिक वालों को साहनी के घर भिजवाने को बोला पर वहाँ तो जांच हो चुकी है । हेमंत बोला हाँ लेकिन आपने पंकज के सामने वाले कमरे की जांच नहीं करवाई थी पर वो तो बंद पडा था । बंद था पर ताला नहीं लगा था । मुझे नहीं लगता उसकी कोई जरूरत है फॅार साहब, जांच हम अपने एक्सपर्ट को बुलाकर भी करवा सकते हैं । पर क्योंकि केस आपका है । बाद में आप पर ही उंगली उठेगी की आपने जांच में कोताही बरती । अरे मैं सिर्फ ये कहना चाह रहा था कि अभी ये लोग यहाँ बिजी हैं, कुछ नहीं होता । एक दो लोग भेज दीजिए । ठीक है हेमंत नहीं सिर्फ इतना कहा और फोन काट दिया तो?

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क़त्ल और देशद्रोह के इलज़ाम में सीक्रेट सर्विस का देशभक्त जासूस जावेद खान जेल की सलाखों के पीछे पहुँचता है. इस गुत्थी को सुलझाने निकले अमर और जॉन के सामने आती है एक ऐसी साजिश जो भारत के नक़्शे को बदलने की क्षमता रखती है. क्या थी वो साजिश? और कौन था उसका...मास्टरमाइंड? writer: शुभानंद Author : Shubhanand Voiceover Artist : RJ Hemant
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