गायत्री के वर्षों की तपस्या का फल बेटी सुंगधा के रूप में मिला था। लेकिन सुगंधा हमेशा अपनी मां से एक सवाल करती थी, जिसका जवाब उसे यही मिलता था कि जिस दिन वह अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी, उसे सब बता दिया जाएगा! क्या था वह सवाल, जो सुगंधा के जीवन में नासूर बनकर चुभता था? ऐसी कौन-सी बात है, जिसके लिए सुगंधा को बचपन से इतना लंबा इंतजार करना पड़ा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।Read More
गायत्री के वर्षों की तपस्या का फल बेटी सुंगधा के रूप में मिला था। लेकिन सुगंधा हमेशा अपनी मां से एक सवाल करती थी, जिसका जवाब उसे यही मिलता था कि जिस दिन वह अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी, उसे सब बता दिया जाएगा! क्या था वह सवाल, जो सुगंधा के जीवन में नासूर बनकर चुभता था? ऐसी कौन-सी बात है, जिसके लिए सुगंधा को बचपन से इतना लंबा इंतजार करना पड़ा? जानने के लिए सुनें पूरी कहानी।