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लक्ष्य की ओर चलने वाले को बीच में विश्राम कहा? सिर्फ चलते जाना है चलते जाना है कहीं भी शिथिलता या आलस्य नहीं ज़रूर सुने, शिखर तक चलो बहुत ही प्रेरणादायक कहनी है। writer: डॉ. कुसुम लूनिया Voiceover Artist : mohil Author : Dr. Kusun Loonia
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सोमेश हम सीमा बाला को लेकर अपने कक्ष संख्या पांच सौ चार में पहुंचे । बालक सौ में श्री गोद में था । सीमा ने कमरे का दरवाजा खोला तो खुशी से लाहोटी का पूरा काम रहा । रंगबिरंगे गुब्बारों से सजाया हुआ था । केंद्रीय मेज पर एक रखा था । उस पर सुंदर लिखावट में लिखा था ॅ तो शिवा । वहीं पर मोमबत्तियां माॅब कर सजा हुआ था । पाशर्व मेज पर पूरा भोजन लगा हुआ था । शिवा पापा के गौर से उतरकर गुब्बारों से खेलने लगा । प्रशंसात्मक प्रश्नवाचक निगाहों से सीमा ने सोमेश की ओर देखा । उसने ज्यादा से सिर्फ करते हुए कहा भूल गयी श्रीमती जी, आज आपके राजदुलारे का चौथा जन्मदिन है । यह है उसे उत्सव की तैयारी है, ऍम मीठा करवाएं । सीमा पति की सचिन था और सह्रदयता पर कुर्बान हो गई । बेटे को गोद में उठाकर मीट तक लाइन दोनों ने शिवा का दाहिना हाथ पकडता करके कटवाया । पहले दोनों ने राजा बेटा तो खिलाया । फिर शिवानी एक हाथ से मम्मी को तथा दूसरे हाथ से पापा को एक साथ के खिलाया और बोला माॅक! सागर की अटल गहराइयों से जो गुलाबी आभायुक्त देश कीमती मोटी सीमा लाई थी तो लाल कपडे में लपेटकर धागे में बांधकर उसके गले में पहना दिया । सीमा ने शिवा को बताया कि आज समुद्र के टाल में मुझे मोटी कैसे मिला था । उस ने ये भी कहा कि अपने गांव जाकर मैं इसे सोने में लॉकेट बनवा देगी । शिवानी माँ के पैर छुए । सीमा ने उसे काले जैसे लगा लिया और बोली इस मोदी की तरह सुंदर शाॅल रैना को वो आगे बढना, माँ बाप का नाम रोशन करना ये मोटी भारी रक्षा करेगा । आपने उसके हाथ में एक प्यारी सी इलेक्ट्रॉनिक घडी पहना दिए, जिसमें सुनियो के पाशर्व में उन तीनों का चित्र ने कहा था हर अपने लाल कर गले से लगाया गया इतने प्यारे वो बाहर बाकर शिवा बेहद खुशी ना खाने खाते हो गए । बालसुलभ जिज्ञासा से शिवा ढेरों सवाल पूछ रहा था । सुमेश उसे आज के मछलियों वाली सारी वोटो दिखा रहा था । शिवा बोला बता मुझे भी देखना है कब लेंगे? सोमेश ने कहा हाँ बैठे हम कलॅर ध्यान चलेंगे कल का पूरा दिन तो मैं कछुए, मछलियां, डॉल्फिन सब दिखाएंगे ऍम आएंगे । वहाँ बहुत सुन्दर सुन्दर पक्षी और तिथियां भी हैं । हम यहाँ पर और भी अच्छी थी । जगह देखने चलेंगे अभी सोचा हूँ कहकर भोजन के पश्चात तीनों रात्रि विश्राम है तो लेट गए शिवा मम्मी पापा के बीच में था । उनका राजदुलारा आंखों का धारा दूसरे दिन रह रहा हूँ । साढे छह बजे के करीब सोमेश की आंखों ली । उसने फटाफट पानी डालकर बिजली की चाय गेटली का स्विच खोला । शिवा और सीमा को उठाया । सीमा ने शिवा का दूध और दोनों की चाय बनाई । तीनों ने तैयार होकर होटल में प्रात शाहकार नाश्ता किया तो घूमने निकल गए । सर्वप्रथम वॅार जेल देखने पहुंचे । ये राष्ट्रीय स्मारक देश प्रेमियों के लिए तीर्थ यात्रा से भी बढकर होता है । स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए दीर्घकाल तक सतत संघर्ष करने वाले और अपने प्राणों को भी भारत माता के चरणों में न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का ये है तो वो ही था । सुमेर स्वयं बंगाल के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी का पुत्र था । उसकी रंगों से भी देश भक्ति का बहुत बढ रहा था । अधिकारियों की जीवन गाथा का एक चलचित्र यहाँ पर चल रहा था । अपनी जान पर खेलकर जिस रूप में उन्होंने मातृभूमि का ऋण चुकाया, उसे सजल नेत्रों से सीमाएँ हम सुमेश देख रहे थे । शिवा बालसुलभ जिज्ञासु दृष्टि से देख रहा था । इस पवित्र भूमि को वंदन करके वे लोग रोज आइलैंड को देखने निकल पडे । तत्पश्चात उन्होंने उत्कृष्ट कोटि के अनेक संग्रहालय देखें । फिर वह लोग चिडिया टापू पर पहुंचे तो यहाँ की रंगीन बिरंगी तितलियों । विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखकर शिवा बेहद प्रसन्न था । यहाँ के प्रसिद्ध डावर राष्ट्रों में भोजन करके उनकी तबियत खुश हो गई । यहाँ से जल ये पहली लेकर फिर वे लोग मधुवन पहुंचे । यहाँ के सर्वोच्च शिखर माउंट हैरियट के दर्शन किये है । अंत में शिवा को मिनी जू दिखाकर पूरा परिवार पुनः अपने होटल लौट आया हूँ । प्राकृ भोजन वही होटल सिटी पायलट नहीं किया जहाँ के करीब दस बजे अपने कमरे में पहुंच गए तो सोमेश टेलीविजन चालू किया । उस पर बच्चों की फिल्म आ रही थी । एक बिहारी सी नहीं मछली चाहनों अपने माँ बाप भाई बहनों के साथ सुन्दर से घर में मजे से रह रही थीं । अचानक दैत्याकार रेल मछली आई । इनको खाने को दौडी बच्चे की माँ अपने बच्चों को बचाने के लिए बीच में आई तो वेल उसे और उसके बच्चों को खा गई । चैनो अपने पापा के साथ घूमने गई हुई थी । लौटते ही उन्होंने देखा रेलने उनके घर को ध्वस्त कर दिया था और परिवार को भी खा गई थी । रे लेने बाप बेटे की तरफ भी छपती । इतने में पानी के तेज लहराई जैनों की जान तो बच गई, पर वे अपने मम्मी और भाई बहनों के बिना ये की कैसी रही है? देखो उदास हो गया सीमा उसका मन बहलाने के लिए गोद में उठाकर स्नानघर ले आई ब्रो रात्रि पोशाक में उसे तैयार करके बिस्तर पर सुमेश के पास बैठा दिया । स्वयं रात्रि पोशाक पहने चली गई तो मैं शिवा के समय पर हाथ फेरकर बोला । वो बाॅम्बे बडे होकर क्या बनोगे? खडा होकर फौजी की तरह सैल्यूट मारते हुए शिवा बोला फॅमिली गटका होकर सोमेश ने उसे काले जैसे लगा लिया । पूछा फौजी बन कर क्या करोगे? देश के दुश्मनों को गोली से उडाऊंगा फॅसने आज से बंदूक चलाने का इशारा किया तो सुमेश ने पूना पूछा तो मैं डर नहीं लगेगा । पापा तो बहादुर बच्चा हूँ आपका बेटा मैं दुश्मनों से नहीं निरॅतर ेंगे सुमेश का सीना अपने होनहार बेटे को देख घर गर्व से फोन गया । कितने में सीमा आ गई और सोमेश स्नान करने चला गया । फिर आज तक मां की लोरी के बिना नहीं सोया था मैं कहने लगा माँ और सुनाओ ना । सीमा बोली पहले हमेशा की तरह नमोकार महामंत्र सुना । शिवानी दोनों हाथ जोडे, आंखे मूंदी और अपनी मिश्री ही बेठे बोली में बोलने लगा नमो ऍम नमो ऍम नमो है जाए हम नाम ऊॅचा हूँ माने उसे बाहों में भेज लिया और बोली बेटा ये और प्रभावशाली महामंत्र हैं । इससे पवित्रता और रोज प्राप्त होता है । इसे कभी भूलना नहीं अपनी संघर्ष क्षमता बढाने के लिए, अपने आप को सशक्त बनाने के लिए एवं वजह प्राप्त करने के लिए सुख दुख में हमेशा सबसे पहले बोलना ये मैंने कहा हम हमेशा याद रखूंगा अब तो थोडी सुना दो ना हेमा धीरे धीरे उसके सर पर हाथ फेरती हुई लोरी सुनाने लगे धीरे से आज जारी अखिया में इंडिया आज ही आ जाएगा धीरे से आशा हूँ मेरे मुन्ना को सुलाझा इंडिया ॅ धीरे से आशा रह जहाँ पेट फिर बनने का वीर बनेगा अधीर बने का पडा हो महावीर पडने का इंडिया फॅमिली आज धीरे से तब पापा के प्राडो से प्यार बम्बई के फिल्कार डोला रहा हूँ चमके बनकर जानते से दारा इंडिया अॅान धीरे से आ गया कि बल्कि लोरी सुनते सुनते बहुत होने लगी । कुछ ही देर में वह गहन निद्रा में चला गया । गुलाबी लिबास में सीमा बाद कमनीय रूप से लग रही थी तो मैं इसका मन मचलता जा रहा था । जिंदगी में एक ऐसे रोमांटिक रोमान्चकारी भावुक बाल आज तक नहीं दिए थे । आज का एहसास ऍम था । कुछ समय पश्चात मदहोश सोमेश बोला चलो सागर तक पर चले सीमा चौकी रात का एक बजाये अभी का जाएंगे । कल चलेंगे । सुमेश का मन मचल रहा था । बोला ॅ यहाँ रात्रि भ्रमण में कोई डर नहीं होता हूँ । समुद्री किनारे सुरक्षित हैं । सीमा ने अंतिम हथियार छोडा हूँ हो गया है किसी करेंगे हो भी व्यवस्था हो जाएगी । तुम तैयार हो जाऊँ । अनमनी सी सीमा ने एक बाढ में दरी डाली । वस्त्र बदले बोल रात्रि ड्यूटी पर तैनात जूनियर मैनेजर केशव को बुलाया । सोमेश ने उसे अपने कमरे की चाबी देते हुए कहा हम लोग सागर तट पर जा रहे हैं । अभी दो तीन घंटे में आ जाएंगे । यहाँ हमारा बच्चा शिवास हो गया हुआ है तो सुबह ही होता है । फिर भी आप कर प्यार चेक करते रहे । केशव ने कहा शराब किसी तरह की चिंता ना करें । मैं अपना बच्चा समझकर इसका ख्याल रखूंगा था । आप अपने सामान को कॅश हमारे भाई हैं । जब हम अपने जिगर के टुकडे को आपको साहब के जा रहे हैं तो बहुत एक वस्तुओं का मूल ही किया है तो मैं आप के विश्वास को बनाए रखने का प्रयास करूंगा । थोडा तूफानी मौसम हो सकता है वह सावधान रहिएगा । हो सके तो जल्दी लौटा हैं । सोमेश बोला यहाँ से कितनी दूर फेंकी । घंटे का तो रास्ता है तो मौसम का में राज्य निकला तो हम तुरंत लौटाएंगे था शिवा का ख्याल आशी रखेगा वो केसर कहता हुआ केशव निकल गया । सीमा शिवा के पहाड कहीं गहरी नींद में सोया है और भी ज्यादा लग रहा था । उसने उसके मस्तक बाॅन अंकित किया तो अनजानी आशंका से उसका ऍम तेजी से लडा था वो उसके अंदर स्टाइल से आवाज आ रही थी शिवा को यूज होता छोड करना चाहूँ सोमेश बेहद रोमांटिक मूड में था । सीमा कितनी देर है कहते हुए उसने पुना कमरे में प्रवेश किया तो देखा सीमा शिवा के पास बैठी भावुक हो रही थी । मैं जो का सोये हुए अपने राजदुलारे के सिर पर हाथ फेरा और बाहों में भरकर सीमा को खींच लिया । क्या ही फॅमिली क्यों सीमा सोच रही थी कि वे अपने प्राणेश्वर के संग जाते हुए हैं । आज उसका हिरदय इतना उद्वेलित क्यों हैं? चहलकदमी करते हुए कुछ समय पर शायद रामनगर बीच पर पहुंच चुके थे तो इस समुद्री तट पर जहाँ दिन में सैकडों जल प्रेमी क्या कर रहे थे वहीं इतनी रात गए तो एक का दुख का गिनती के लोग नजर आ रहे थे । जो समुद्र दिन में गुस्सैल नौजवान की तरह तूफान उफान का जोशीली जवानी दिखा रहा था, वह अभी नवपरिणीता की तरह धीरे गंभीर नजर आ रहा था । नीले रंग के चादर टाने उनींदा उन्हें थोडा सा लग रहा था । वही किनारे दरी बिछाकर दोनों लेट गए । ऊपर देखा तो आसमान दूधिया रोशनी से नहाया हुआ था । आज पूर्णिमा के राज्य थी । आज का चंद्रमा आम दिनों से बहुत बडा एवं बेहद चमकीला नजर आ रहा था । ज्योतिषियों ने इसे सुपर मून का नाम लिया । वैज्ञानिकों का कहना था क्या चंद्रमा धरती के सबसे गरीब आया था? सुमेश और सीमा भी एक दूजे के बेहद करीब हैं । सामने हिन्द महासागर ना जहाँ प्रेम का सागर में चल रहा था । सीमा ने लजाती सी आवाज में कहा सुजॅय हो तो साहब चलो में तुम्हें ही पति रूप में पाना चाहती हूँ । प्रियता मैं मैं तो मैं साहब जन्मों का प्यार अभी इसी वक्त करना चाहता हूँ । सोमेश रसीले स्वर्ग में छोटा सा बोला प्यार मोहब्बत की गुफ्तगू में सीमा और सोमेश ऐसे होते हैं कि उन्हें वक्त का पता ही नहीं चला हूँ । राहत के लगभग ढाई बजे थे । दोनों प्रेमपाश में बडे एक दो बजे मैं समय थे । अचानक तेज गडगडाहट की आवाज सीमा के कानों में पडे जैसे कहीं दूर ज्वालामुखी फटा होऊं । सीमा को वहम लगा । नादान क्या जाने यह बहन नहीं आया । वहाँ सच्चाई थी । आवाज और तेज होती जा रही थीं । जैसे लगातार बिजली गिर रही हो । सोमेश भी चौंक गया । दोनों बैठे । अचानक बदले मौसम के मिजाज को देखकर दोनों हाथ खराब हो गए । आंखे खोलते ही उन्होंने सामने देखा कुछ समय पुर जो शांत समुद्र समस्त विश्व को मर्यादा का संदेश देते हुए देवेंद्र उत्पन्न कर रहा था, वहीं या मर्यादा भंग कर विकराल हो उठा था । सुरक्षा दाएं भयंकर डानगे लहरें सीमाओं को लांघ बडी चली आ रही थी । सुमेश लाया सीमा जल्दी चलो । सीमा इधर बैग उठाने मोडी उधर काली लहर बडी चली आ रही थी । रमेश ने सीमा को खींचा छोडो बाहर निकलो यहाँ से आप देखा ना ताव चप्पल पहने नहीं कर हाथ पकडकर दोनों अपने होटल की दिशा में दौडे । लेकिन सीमा के पहले तो पत्थर तरीके हो गए थे । दोनों ही नहीं जा रहा था । पीछे लहरों का शोरगुल भयंकर ही लग रहा था । जैसे पहले आने वाला हूँ । एक के बाद एक ऊंची लहर उनका पीछा कर रहे हैं । अपनी समस्त जीवनीशक्ति लगाकर सोमेश और सीमा तेजी से दौर पर सोमेश और तेजी से सीमा को खींचने लगा । सीमा भी तेजी से दौडने का प्रयास करने लगी । लगभग आधा रास्ता तय हो गया था । होटल बस कुछ ही फिल्म दूर था । दोनों के जिलों में ढांडा साबन था । चलो जान बची तो लाखों पाए । सीमा मन ही मन सोचने लगी आपका भी शिवा को छोडकर नहीं जाएगी । तभी उनके कानों में लहर का अट्टाहास होना नहीं हैं । और यह क्या है? यहाँ वहाँ फिट ऊंची नहीं! और ये ऍम हैं और ये क्या? आप पच्चीस फीट ऊंची लहरें मानी भूलकर पीछे देखा । कुपित समुद्र साक्षात काल बन नहीं ऍम था बहुत को इतना करीब अगर वैसे तक पडी । सुबह बच्चो ऍम मैं उसके मूड है । ठीक निकली सुमेश मिला करोडा सीमा भी वहाँ प्राण हंता है । मायावी लहर यमदूत बनकर विद्युत गति से आई और दोनों के पैरों के नीचे से जमीन चल गई । बहुत कोशिश की एक दूजे को बचाने की संग संगठित नहीं लेकिन हाय रे बदकिस्मती आज जन्मों तक साथ निभाने के ख्वाब देखने वाला प्रेमी युगल इस जन्म में संगम भी ना सका । उनकी मोहब्बत का ताज महल धराशायी हो गया । खौफनाक लहरों के भयंकर विनाशकारी वेट ने हमेशा हमेशा के लिए सीमा और सोमेश को ज्यादा कर दिया । प्रगति के रौद्र रूप के समय मानवीय शक्तियां होनी हो गई । सुनामी के इस खौफनाक मंजर ने निर्दयतापूर्वक इस द्वीप को तहस नहस कर दिया । समुद्री किनारे का क्षेत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गया । वहाँ जीवन का निर्माण काचिन भी नहीं बचा । चारों ओर बस जल्द ही जल्द था । समुद्र की अटल गहराइयां अनगिनत मासूमों की समाधि स्थल बन गई । व्यक्ति के सो खाॅ और उल्लास भार्इयों मांगे विशाल और खानदान का रूप ले लेती हैं । कामनाओं का उजाला धूमिल अंधकार में परिवर्तित हो जाता है तो यही है नश्वर संसार की नहीं आती ।

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