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Part 1A in Hindi

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6 K Listens
AuthorAditya Bajpai
अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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आप सुन रहे हैं वो ऍम कहानी का नाम है । चुनौती जैसे लिखा है गण था बेहन मान्य और आवाज भी है । आपके प्रियम मोहिल हैं तो फॅसने जो मनचाहे बिन उमर से मेरी भेंट अपरहण उन्नीस सौ अडतालीस में हुई । मैं बख्तरबंद गाडी द्वारा डाक लाने ले जाने के कार्य पर नियुक्त था और इस समय कास बियांका जा रहा था । जब मैं अलग क्रोमा के किले के पास जो तो रोक के पश्चिम में बना हुआ है पहुंचा तो मैंने एक इटालियन सैनिक ट्रक को सडक के किनारे खडा देखा । ट्रक के पीछे चार व्यक्ति खडे थे । मैं किसी वस्तु पर निरंतन प्रहार करते जा रहे थे । मैंने उत्सुकतावश अपनी गाडी की रफ्तार भी नहीं करती । मेरी उन इटालियन सैनिकों से कुछ बातचीत करने की इच्छा हुई । मैं थोडी बहुत इटैलियन भाषा बोल लेता था । मैंने नजदीक जाकर देखा एक सार्जेंट तथा तीन सैनिकों के सामने एक अरबी नग्न पढा था और उस पर संगीनों से बेरहमी से प्रहार कर रहे थे । अरबी के हाथ भात गाडियों में झगडे हो गए थे और उसकी जंजीर ट्रक के पिछले वाहक से बंदी हुई थी । ऍम मारते जा रहे थे और साथ ही साथ विनोद ऍम खट्टी शराब भी पीते जा रहे थे । राॅड होते थे । उनके एक हाथ में बोतल और दूसरे हाथ में नंगी संगीन थी । और भी खून से लथपथ निर्जीव सारे पर उन्हें पडा हुआ था । मुझे देखते ही सार्जेंट अभिवादन क्या पूछा कैसे हो? ठीक हूँ । मैंने छोटा सा उत्तर दिया जो उपयोग सार्जेंट ने बोतल मेरी और बढा दी । मैंने खुशी से उसका आग्रह स्वीकार कर लिया । फिर मैंने अरबी की ओर देखते हुए पूछा ही ये कौन है? रेगिस्तानी धोलका ढेर सारा दिन ने उत्तर दिया और आपने भारी बोर्ड से उसकी पीठ पर खासकार एक लाख जमाई । अरबी खिला तक नहीं । शायद मैं मर चुका था । हथियार और गोलाबारूद चुराते हुए कल शाम हमने इसे पकडा था । ये अलग क्रोमा के कैसे भाग निकला था । पर हम ने भी जाकर के पका लिया । ये कहते हुए सारे झंडें एक और लाल जमाई इस बार अरबी नहीं करहाते हुए अपने पैर से कौडे । इस पर सभी सैनिक हंसने लगे पर मेरा जी मिचलाने लगा था । इसका परिणाम क्या होगा? बोतल में से एक होटल भी कर मैंने वो तल सार्जेंट को थमाते हुए पूछा, होना क्या है? सार्जेन्ट लापरवाही से बोला हमें आदेश दिए गए हैं कि डेरना के बंदीग्रह पता कैसे पहुंचा दें परन्तु मुझे संदेह है कि है वहाँ तक पहुंच सकेगा । इस दुष्ट अरबी के लिए हमें इतनी चिंता नहीं है । डेरना आने जाने का फैसला दो सौ मील है और हम बेकार में इतना पेट्रोल क्यों नष्ट करें? हम यहीं पर इसे समाप्त कर देंगे और रिपोर्ट दे देंगे की इसने भाग निकलने की कोशिश की थी । पता हमने इसे गोली मार दी । ये कहते हुए सार्वजनिक ने वो तल मुंह से लगा ली और गटागट सारी शराब भी किया । मैंने अपनी भावनाओं को छिपाने का प्रयत्न करते हुए शराब के लिए उनको धन्यवाद दिया । मुझे जल्दी जाना है थोडा कहकर मैंने डाली और अपनी गाडी में बैठ गया । फिर मिलेंगे ऐसा ही चल रहा है । मैं गाडी की मैग्जीन पर किसका और मशीनगन को उन सैनिकों की ओर मोडना चाहा पर मशीनगन की नालका कोन निकटता के कारण सही नहीं बैठ रहा था । मैंने इंजन स्टार्ट किया और तेजी से पचास गज दो हट गया । फिर ड्राइविंग सीट से हटकर महीन घन के पीछे आ गया । चारों इटालियन संकेत नजरों से मुझे देख रहे थे पर उन की शंका तुरंत ही दूर हो गई जब मैंने मशीनगन की नाल उनकी ओर फेर दी । हेलो मत मैंने जोर से कहा, उस व्यक्ति को तुरंत हो और यहाँ ले आओ । उनके मुख पर भाई छा गया है । कोई नहीं हिला । उनके पैरों के आसपास मेरी महीन गन की गोलियों ने स्पष्ट कर दिया था कि मेरे आदेश का कुछ आशय है । सार्जेंट ने तुरंत ही अपनी पतलून की जेब से चाभी निकली और उसकी हथकडी खोल दी । उसे उठाओ और यहाँ गया हूँ । मैंने फिर से आदेश दिया । अरबी आश्चर्यचकित था । उसमें जीवन की आशा का संचार भी हो गया था । पता हमें लडखडाता हुआ सार्जेंट का सहारा लिए मेरी गाडी तक आया । मैंने तीनों डालियन सैनिकों को मशीनगन की नाल के सामने रखा । सार्जंट ने सहारा देकर अरबी को मेरी गाडी के अंदर धकेल दिया । करहाते हुए फर्श पर लेट किया । मैं जब जहाँ पर ड्राइविंग जी पर बैठ गया और तेजी से गाडी आगे बढा दी । इटालियन सैनिक देखते ही रह गए । दो दिन के बाद अरबी की हालत कुछ सुधरी । हम अलग साला में प्रथक हो गए । वहाँ से साई रहने का जाने वाला ऊंटों का एक छोटा काफिला मैंने किया । उसका नगर से इसी मार्ग था । उसने अपना नाम दिन उमर बताया, मैं भी नहीं जानता था और है जर्मन भाषा से अनभिज्ञ था । पर हम दोनों ही थोडी बहुत बटालियन जानते थे । यदि आप कभी मेरे नगर भाषा में आए तो जो कुछ मेरा है वह आपको अर्पित कर दूंगा । यही मेरी हार्दिक इच्छा है । आपने मुझे जीवन दान दिया है, चिंता मत करो । मैंने हसते हुए कहा युद्धकाल में अनहोनी घटनाएं घटती ही रहती हैं । मुझे दिनों उमर से फिर कभी मिलने की आशा नहीं थी । युद्ध चरमसीमा पर था । मुझे इस पर विचार करने का समय नहीं मिला और कुछ दिन के बाहर तो मैं सच मुझे इस घटना को एकदम भूल गया जो उन्नीस सौ की दोपहरी सहारा का तपता रेगिस्तान मेरा फॅार से हटा और गाडी रुक गई । मैंने एक नेशन ऑफ कर दिया । इंजन शांत हो गया । मैंने पसीने सिदार अपने हाथ स्टेरिंग व्हील से हटाएं और धूल से बचाने वाले मोटे शीशों की कहना कोतारी फिर धूल से बचने के लिए नाक और गले में लपेटे हुए कपडे को उतारा और भारी इंजन के ढक्कन को खोल दिया । नीचे उतर कार्य मैंने गर्दन और कपडों की धूल जाडी फिर दूरबीन लिए हुए मैं बुर्जी पड चढा जहाँ मशीन गन फिट थी । सोलह अग्नि बढ जा रहा था और मशीनगन की नाल इतनी गर्म हो गई थी कि मेरे हाथ चल गए । रेड और गुड चट्टानों के अलावा वहाँ और कुछ नहीं था । तिगरा अल अब तक का मार्ग भी दिखाई दे रहा था । ऊंटों के काफिलों का मार्ग था जो अलग कदम होता हुआ वाडिया पहुंचता था । अपनी आंखों पर हाथ से छाया करके मैंने देखा कुछ दूरी पर खाली पेट्रोल के टीम का ढेर पडा हुआ था । इस स्थान समय परीक्षा था । इससे मुझे ज्ञात हो गया कि मैं तीन चौथाई मार्केट ट्राई कर चुका हूँ । सूर्य पश्चिम की ओर कुछ ढल चुका था । मैंने अनुमान लगाया कि सूर्यास्त के समय ताकि मैं अपने पैसेंजर डिवीजन के हेड क्वार्टर में पहुंच सकूंगा । मैं नब्बे किलोमीटर की यात्रा तय कर चुका था । अभी तीस किलोमीटर शेष थी । रेगिस्तान का ये भाग बहुत खतरनाक था । यहाँ अंग्रेजी गश्ती लडाकू विमान चक्कर लगाते रहते थे । स्थान स्थान पर बारूदी सुरंगे बिछी हुई थी तथा अंग्रेज ट्रेनिंग भी बख्तरबंद गाडियों में कशक लगाते रहते थे । हिंसा भावनाओं का विचार आते ही मैंने अनायास ही अपनी दुर्बीन से चारों ओर का निरक्षण किया । कुछ भी दिखाई नहीं दिया । केवल गर्म बालों की लहरें होती घूमती दिखाई दे रही थीं । मुझे विश्वास हो गया था कि इस समय मैं अकेला ही इस मरूभूमि में विचार यहाँ हूँ । मैंने रेडियेटर साफ किया, उसमें ठण्डा जल डाला और एयर फिल्टर साफ करके तेल क्या गाडी में आकर मैंने मशीनगन की सफाई की और ट्रिगर दबा के गोलियों की बौछार देख ली । फिर बीस किलोमीटर की तोड को भी फायर करके देखा । कानों के बढते फाड देने वाला धमाका हुआ । अम् निश्चिंत हो गया कि मेरे सभी आयोग भी काम कर रहे हैं । मैंने पानी की बोतल निकाली और बासी गर्म पानी के दो घूंट भर लिया । थोडी सी शक्ति पुनः प्राप्त कर लेने के बाद मैं गाडी में आ बैठा । मैंने रेडियोट्रांसमीटर के अनेक यंत्र घुमाये पर कार्य नहीं कर रहा हूँ । समय हो गया था तथा मैंने गाडी स्टार्ट कर दी । मैं क्वार्टर जल्दी पहुंचना चाहता था क्योंकि मुझे आशा थी कि घर से कुछ पट रहा होंगे तथा में ये भी जानना चाहता था कि मेरे पंद्रह दिनों की गैर हाजरी में कितने व्यक्तियों ने कार्य किया है और कितनों ने जानबूझ कर अपनी गाडी वर्क शॉप में भेजी है । अचानक मेरी गाडी पर मशीन धन की गोलियां बरसाने लगे । गाडी के दाएं बाएं और आगे जीत के फव्वारे छोड रहे थे और निकल राष्ट्रीय धूमिल हो गया था । मैंने बगल में लगे शीशे में से देखा । अंग्रेजी बख्तरबंद गाडियां ठीक मेरे पीछे थी । मेरे पहलने अनायास ही एक्सिलेटर को और अधिक जोर से दबा दिया और गाडी तेजी से भाग नहीं लगी । फिर भी गोलियां इधर उधर ताक आधी रहीं । पीछे लगे शीर्ष से मैंने सर देखा । दो अंग्रेजी बख्तरबंद गाडियां तेजी से मेरा पीछा कर रही थी । शीशे में से निरंतर देखते रहना असंभव था क्योंकि गाडी की रफ्तार बहुत देखते मेरी गाडी में कोई अन्य व्यक्ति ना था । इसलिए गाडी जलाना तथा शत्रु पर आक्रमण करना एक साथ संभव नहीं था । मस्तिष्क कार नहीं कर रहा था । मां झे का पसीना आंखों के अंदर जा रहा था जिससे कुछ तक देख पाना संभव ना हो या का आकस्मात ही मन नहीं हजार आया कि मेरी गाडी अंग्रेजों की गाडी से रेत पर भागने में अधिक उपयुक्त है । ये सोच से ही मैंने तेजी से अपनी गाडी को एक और मोड थी और मैं रेट में भागने लगे । फलस्वरूप अंग्रेजों के निशाने चुकने लगे । मैंने देखा उनकी दोनों गाडियां भी मेरा पीछा करती हुई उसी ओर आ रही थीं और हमारा फासला निरंतर कम हो रहा था । भय नहीं मुझे विचलित कर दिया क्योंकि मेरे सामने गड्ढे वाला चट्टाने आ गई थी । अब गोलियों की वर्ष रुक गई नहीं । मैं पागलों की भांति गाडी चला रहा था और गड्ढों और चट्टानों से बचता हुआ आगे बढ रहा था । अनजाने में स्टेरिंग व्हील से मेरा हाथ हटा और मशीन गंदगी नाल्को साफ करने लगा तभी तोड की नाल की और हाथ बढाया था की गाडी एक घंटे में जा पडी और धक्का खाकर उछल पडी । आगे लगे शीर्षक से मेरा सेल टकरा गया । गाडी स्वयं ही न्यूट्रल गेयर पर आ गई और मैं मशीनगन तथा दोड के पीछे आ गया । जादू की भांति मशीनगन और दो की नाल तू की ओर मुड गई । तब मैंने पीछे की ओर पहले की अपेक्षा अधिक निश्चिंत होकर शत्रु की गाडियों को देखने का प्रयास नहीं किया । दोनों गाडियाँ लगभग दो सौ गज की दूरी पर थी और तेजी से चट्टानों को पार करती हुई मेरी ओर बढ रही थी । मैंने अपनी तो आपका निशाना साध लिया और आगे वाली गाडी की प्रतीक्षा करने लगा । इतने में उन की ओर से गोलियों की बौछार फिर आरंभ हो गई जिनसे हवा में सीटियों किसी ध्वनि उत्पन्न होने लगी । बडी तेजी से मेरा पीछा करती हुई आ रही थी । अथाह उनके निशाने चूक जाने स्वाभाविक ही थे । मैंने पहली आती गाडी को देखकर फायरिंग बटन दबा दिया और लगातार चार फायर किया । धोनी तथा रेत की ऊंची दीवार आगे आने वाली गाडी के समूह खडी हो गई जिसने उसे दिशा बदलने पर मजबूर कर दिया । इससे मुझे उसके चौडे भाग पर निशाना साधने का अवसर मिल गया । मैं जानता था कि यदि में इसी स्थान पर दोनों गाडियों को नष्ट न कर सका तो निश्चय ही मेरा हो जाएगा । कुछ ही देर में दूसरी गाडी दिखाई थी जिसमें से मशीन गन की गोलियों की वर्ष हो रही थी । इससे पत्थर चटक गए तथा धूल हवा में फैल गई जिसने मेरे दो के निशाने को अवरुद्ध कर लिया । आगे आने वाली गाडी फिर दिखाई थी उसका चौडा भाग मेरे सामने था । मुझे अवसर मिल गया तो आप के चार गोलों में से दो उसके ऊपरी भाग में लगे तीसरी ठीक सामने इंजन पर लगा और चौथे नेत्री धूल उडा दी कि उस गाडी में से निकलने वाला काला धुआं लगभग तीन मिनट के बाद दिखाई दिया । इन गोलों से शत्रु की गाडी लगभग उलट गई और तेजी से भागती हुई चट्टानों के पीछे जाकर द्रश्य हो गई । दूसरी गाडी भी अत्यधिक तेजी से उसके पीछे गायब हो गई । उस पर तो चलाना संभव न हो सका । दोनों गाडियों के अध्यक्ष हो जाने के बाद निश्चिंत हो गया । अब मशीन गन की गोलियों से मैं सुरक्षित था और अंग्रेजी बख्तरबंद गाडियों में स्वचालित तो पे नहीं थी । मैंने जल्दी जल्दी फिर अपनी तोपों में गोले भर लिया और मशीनगन की नाल्को चट्टानों की और घुमाकर गाडियों के प्रकट होने की प्रतीक्षा करने लगा । एक का एक अग्नि तथा धोनी के बादल चट्टानों के पीछे से प्रकट होने लगे । साथ ही साथ बारूद तथा अन्य गोलियों के धमाकों से वातावरण गूंज उठा तथा लाल लाल गोलियाँ आकाश में उडने लगी । मैं मूर्ख की बातें प्रसन्नता से चिल्ला उठा । अब तो स्पष्ट दिख रहा था कि अंग्रेजी बख्तरबंद गाडी नष्ट हो चुकी थी । फिर भी मैंने अपनी मशीनगन से चट्टानों पर गोलियों की वर्ष की पर फायरिंग थी । काले धुएं से आकाश भर गया था । गोला बारूद के धमाकों के बीच में ही मान इंजन की गडगडाहट सुनी । अब संभव ताहा दूसरी गाडी हम पर आक्रमण करेगी । इसलिए इस संभावित हमले का सामना करने के लिए मैं पूर्ण ताह तैयार हो गया । पर मुझे शीघ्र ही ज्ञात हो गया कि वह गाडी चट्टानों की आड लेकर भाग निकली है । मुझे दो चलाने का अवसर ना मिल सका । कुछ मिनट के बाद लगभग एक मील दूर रियत उडती हुई दिखाई दी । अंग्रेजी बख्तरबंद गाडी जांच गई थी । अब मुझे शांति मिली । मैं मृत्यु के मुख्य बर्ज निकला था अगर अंग्रेजी बख्तरबंद गाडियों में तो पे लगी होती तो मैं अभी तक राख के ढेर में बदल गया होता । नहीं जानने को उत्सव था की नष्ट हुई गाडी के सैनिक बच गए हैं । नहीं यदि मैं बच गए हैं तो निश्चय ही चट्टानों की आड में हथगोले और मशीनगन ली है । मेरी प्रतीक्षा में बैठे होंगे । इसका निश्चय करने के लिए मैंने चट्टानों तथा आसपास के क्षेत्रों में फिर गोलियां बरसा दी । यहाँ तक की पहले की भरी हुई गोलियाँ समाप्त हो गई । मैंने फिर उनमें गोलियाँ भर दी और अपनी दूरबीन से मैंने चट्टानों को सावधानी से निरक्षण करते हुए देखा । अब किसी के जीवित बचने की संभावना नहीं थी । काला धुंआ आकाश में उड रहा था और यदा कदा गोला बारूद का धमाका भी सुनाई पड जाता था । भागती हुई अंग्रेजी बख्तरबंद गाडी छह पेज पर धूल उडाती हुई मुसोलनी द्वारा लगाए गए कंटीले लोहे के तारों के बाडों में मिस्र की सीमा से होती हुई मत डालना के किले की ओर बढ रही थी । मैंने चारों दिशाओं का एक बार फिर अध्ययन किया और जब कुछ दृष्टिगोचर ना हुआ तो मैं भूमि बर उधर आया । अभी मेरी दृष्टि चट्टानों पर देखी हुई थी । इसी दशा में अपनी गाडी के सामने आ गया । गाडी देवघर में भयभीत हो गया । उसका दाहिना पहिया अंदर की ओर मुड गया था । स्टेयरिंग टाई रोड पूर्ण तार टूट चुकी थी । अब तो मेरा जाना असंभव हो गया । गाडी के चार ओवर मशीन गन की गोलियों से छेद बने हुए थे और भाइयों के कुछ मिनट भी छोड चुके थे । एक तरफ की बत्ती का शीशा तथा खरीद दोनों ही नष्ट हो चुके थे ।

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Voice Artist

Sound Engineer

अंधेरी रात में, धमाकों के बीच, अपने ही साथियों की आंख में धूल झोंक कर गंथर भाग निकला… चलने-चलते उस ने पे-मास्‍टर सार्जेंट को घायल कर दिया और रूपयों की तिजोरी अपने साथ ले ली। लेकिन गंथर ने ऐसा क्‍यों किया? एम जर्मन सैनिक की सच्‍ची कहानी जिस ने अपनी सेना के विरूद्ध जिहाद छेड़ा। Publisher - Vishv Books Writer - Ganther Bahneman
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