Made with in India
आप सुन रहे हैं फॅार शुभानंद की लिखी किताब मास्टरमाइंड है और मैं हूँ आर्चे हेमंत कुक ऍम सुनी जो मन चाहे अध्याय प्रारंभ दोपहर का समय था, चिलचिलाती हुई धूप जमीन पर कहर ढा रही थी । वो बिहार इलाका था जहां दूर दूर तक किसी इंसान तो क्या परिंदे या पेड पौधे तक का नामोनिशान नहीं था । चारों तरफ धूल पत्थर और कंकड फैले हुए थे । कई छोटे बडे पहाड और चट्टानी दूर दूर तक दिखाई दे रही थीं । हालांकि ध्यान से देखने पर उन सूखे और धूलभरे पहाडों के किनारे धूल पर अपने पांव के निशान छोडता हुआ एक आदमी चला जा रहा था । दूर से वो इसलिए दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि उसने वहाँ की काली मिट्टी के समान काले कपडे पहने हुए थे और उसकी पीठ पर एक बडा सा बोला था जिसे उसने बांध रखा था । उस पूरे का रंग भी एकदम उसके पहनावे पर गया था । धीमी चाल से सूरज की गर्मी में दबते हुए वो आगे बढ रहा है । उसने अपने शरीर के साथ साथ सिर को भी रख रखा था । उसके कपडे धूल से भरे हुए थे । सिर से पसीना बहते हुए माथे पर आ रहा था पर गर्म हवा उसे वहाँ ज्यादा देर टिकने का मौका न देते हुए भाग में तब्दील किए जा रही थी । उसके चेहरे पर हल्की अध्यपक खरीदारी । मुझे आंखें देखकर लगता था कि जैसे महीनों से उसकी नींद पूरी नहीं हुई हूँ । अचानक ही उसे दूर से कुछ आवाज सुनाई थी । उसके कान खडे हो गए । उसने पलट कर देखा । काफी दूरी पर उसे एक साइकिल दिखाई दी, जो की उसी की तरफ चली आ रही है । वो आश्चर्य से उसे देखने लगा । साइकिल काफी दूर है । उसने अंदाजा लगाया कि उसके पास पहुंचने में उसे पांच मिनट तो लग ही जायेंगे । उसने वो पूरा जमीन पर रख दिया । फिर उसने हाथ जेब की तरफ पढाया और एक बीडी और माचिस का पैकेट निकाल लिया । उसने बीडी सुलगाई और इत्मिनान से वही जमीन पर बैठ गया । कुछ देर में साइकिल उसके नजदीक पहुंची । उसे एक अधेड किसान चला रहा था । किसान ने साइकिल रोकी और फिर दोनों के बीच बातचीत होने लगी । बात करते करते किसान साइकिल से उतर रहा है । कुछ तो सब सामान्य दिख रहा था, पर फिर एकदम से उस आदमी ने बीडी एक तरफ फेंकी और फुर्ती के साथ एक शिकारी चाह को निकालकर उसने किशन की गर्दन पर फिर आदि उसकी नस कट गई और खून रिसने लगा । किसानवाग सा खडा उसे देखता रहा । उसका हाथ स्वतः ही अपनी गर्दन पर चला गया है उनको रोकने की और सफल कोशिश करते हुए तो जमीन पर लुढकाया । उस आदमी ने चारों तरफ देखा और चाकू वापस अपने कपडों में कहीं छिपा लिया । उस पूरे इलाके में अभी भी उसके सिवा कोई और नहीं था । उसने किशन की साइकिल जमीन पर लिटा दी । अपना पूरा वही रहने दिया और किसान को खींचते हुए आगे बढने लगा । किसान अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था । आज सुबह घर से निकलते वक्त उसे इस बात का इल्म नहीं था कि वह फिर कभी लौटकर नहीं आने वाला । पर अब उसे पता था कि ये सच है । मौत इंसान को ढूंढा करती है और वह था की खुद मौत को गले लगाने । यहाँ पहुंचा लगभग बात बंद होती आंखों से उसे अब जमीन में गुफा जैसी एक जगह दिखने लगी । गुफा को देखकर उसे लगा जैसे कोई भयानक पिशाच मूर्खो ले लेता हूँ । अपने आहार का इंतजार कर रहा है । वहाँ के अंदर दो पटरियां जाती दिखाई दे रही थी जिनपर दो वैगन खडे थे । जिन्हें जंग खा गई थी वो गुफा साफ तौर पर किसी खान का द्वार नजर आ रहा था । क्या यहाँ मेरी मौत लिखी थी? गांव से मीलों दूर खान में वो पूछना चाहता था आपने प्लान हरता से क्यों? वो उसके साथ इतनी बेदर्दी से पेश आया । आखिर उसका कसूर किया था । पर अब बहुत देर हो चुकी थी । उसे ठंड लगने लगी । पर वो काम नहीं रहा था । वो मन ही मना नो किसी शांति का है । सांस करने लगा । अब उसे किसी बात की फिक्र नहीं थी । नहीं किसी बात का मलाल मौत उसे अपने आगोश में समेट ले रही थी और उसे अब वो बेहद सुखदायी महसूस हो रही थी । कितना सुकून मिल रहा था उसे मौत की पाऊँ घुप अंधेरी खान में प्रवेश करते हुए हैं । उसकी आंखों के चारों तरफ ये हमेशा के लिए अंधेरा छा गया । वो रविवार की यह काम सुबह थी जब लखनऊ की महानगर कॉलोनी में स्थित जावेद के दो मंजिला घर के सामने एक आलीशान कार आकर रुकी । कार की पिछली सीट पर एक खूबसूरत नौजवान बैठा था । अपने परिधान से वो एक मॉडन बिजनेसमैन प्रतीत हो रहा था । उसने सफेद पोलो शर्ट वह पूरे रंकी चीनों पहनी हुई थी । उसका जिसमें गोरा और गठीला था जिससे कि ज्ञात होता था । कि वह नियमित रूप से कसरत या कोई खेल जरूर खेलता था । उसकी बगल वाली सीट पर आईपैड और आज की इकनॉमिक टाइम्स की प्रति रखी हुई थी । ड्राइवर को उसने अपने कार्ड सहित अंदर भेज दिया । जावेद से मिलने की इजाजत लेने के लिए कार में इंतजार करते हुए उसने डनहिल का नीले रंग का पैकेट जेब से निकाला और उसमें से एक सिगरेट निकालकर सुरगानी । कुछ देर में उसके ड्राइवर ने वापस आकर बताया कि जावेद उससे मिलने के लिए तैयार है । ड्राइवर को वहीं छोडकर वो गेट खोलकर जावेद के घर के पोर्च में प्रविष्ट हुआ जहाँ जावेद कि सफेद रंग की पुरानी मारुति एट हंड्रेड खडी थी । वो टहलते हुए अंदर की ओर बढा । जावेद उसे बैठक के दरवाजे पर खडा दिखाई दिया । उसने हमेशा की तरह अपनी पसंदीदा सिक्स पॉकेट का वो शॉर्ट्स और टी शर्ट पहनी हुई थी । उसकी मांसल भुजाएं देखकर साफ प्रतीत हो रहा था कि रविवार के दिन भी उसने जिनसे छुट्टी नहीं ली थी । जावेद की तरफ बढते हुए उस व्यक्ति के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे उसे बरसों से उसकी तलाश थी । मिस्टर फॅमिली जावेद के सवाल से वो जैसे सम्मोहन की अवस्था से बाहर आया यस ऍम मीटिंग में चर्चा उसने अपना हाथ बढाया । मेयर मिस्टर सानी वैसे मुझे आर्मी से रिटायर हुए कई साल हो चुके हैं, कॉल में जा रहे हैं । जावेद ने हाथ मिलाकर उसे अंदर आने का इशारा किया और बैठे है । जावेद ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा, साहनी ने सोफे पर आसन ग्रहण किया । बैठते हुए उसकी नजरें स्वतः ही सामने । दीवार से सटी लकडी की अलमारी पड गई जिसमें कई मेडल्स, सर्टिफिकेट और शील्ड दिखाई दे रही थी । जाहिर है साहनी की आंखों में जावेद के लिए प्रश्नात्मक चमक उभरी । कहीं है मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ? जावेद ने पूछा मेरे साथ एक बेहद अजीब वाकया हो रहा है । बात ऐसी है कि उसके लिए मैं पुलिस के पास भी नहीं जा सकता । इसलिए मैंने अपने आर्मी से रिटायर्ड दोस्त मेजर लागत से बात की और उसने आपसे मिलने का सुझाव हाँ राघव ने जिक्र किया था कि बडे हैं पर आपकी प्रॉब्लम के बारे में कुछ नहीं कहा । हाँ, मैं नहीं कहा था कि ना बताया । मैं चाहता था कि खुद आपसे रूबरू होकर बात करना ज्यादा बेहतर रहेगा । तो चलिए अब खुलकर बताइए । जावेद अपने दायें हाथ को सोचने की मुद्रा में थोडी से लगाकर बोला सहनी! दो पल रुका फिर जावेद की तरफ देखते हुए बताने लगा मेरे घर में क्वालकाॅम ऍसे पांच हजार यूरो में खरीदी हूँ । बेहद नाया क्या चोरी हो गई? नहीं चोरी हुई होती तो मैं पुलिस के पास जाने में संकोच क्यों करता है? राइट आप बताइए क्या चल रहा है? अचानक ही दरवाजे की तरफ से आवाज आई । जावेद और सहानी दोनों की नजर उधर गई । उधर अमर खडा था । उसने काले रंग का ट्रैक सूट और सफेद स्पोर्ट्स शूज पहन रखे थे और कान में ब्लूटूथ एयर फोन लगा रखा था । उसके शरीर से पसीना निकल रहा था और वो थोडा हाफ रहा था फिट रहने के लिए । अमर दौडना तैरना वह टेनिस, बैडमिंटन, फुटबॉल आदि खेल खेलना पसंद करता था । जावेद की तरह जिम में वर्जिश करना उसे पसंद नहीं था । जावेद बोला इन से मिलो ये मिस्टर साहनी आरती ट्रेडर्स के मालिक एंड मिस्टर सानी ये हमारे हमारी संस्था में एक जूनियर एजेंट अमर ने साहनी की तरफ हाथ बढाया और बोला जूनियर एजेंट जो बहुत जल्दी ही सीनियर बनने वाला है । नाइस मीटिंग मिस्टर साहनी ऍम अमर बैठते हुए बोला था फॅमिली जी वैसे आप काफी फिट दिखाई दे रहे हैं । लगता है रोज जिम जाते हैं हमारे भाई जान की तरह ऍम जिम के अलावा मुझे स्विमिंग का बहुत शौक है । गुड सुबह तो मैं भी बहुत अच्छी करता हूँ । पर यहाँ के स्विमिंग पूल मिस्टर साहनी अपनी फ्रेंच घडी के बारे में कुछ जरूरी बात बता रहे थे । जावेद बात काटकर बोला था सहानी बोला बाॅन्ड क्या मैं आपका टॉयलेट यूज कर सकता हूँ और अंदर जाकर ले? जावेद ने अन्दर की तरफ इशारा किया । उसके जाते ही अमर बोला क्या बात है आज कल सुबह सुबह बिजनेस टाइकून के साथ मीटिंग कर रहे हो । ना जाने क्या प्रॉब्लम लेकर आए । मेजर राघव ने रेकमेंड किया है इसलिए मना नहीं कर सकता है वरना मैं ऑफिस निकल नहीं वाला था । आज संडे भाई मालूम है और बहुत कम है देश तो छोडो अपने शहर में ही न जाने क्या क्या चल रहा है । ऐसा क्या हो गया? शहर में अचानक ही आईएसआई एक्टिविटी बहुत तेजी से बढ रही है । अच्छा फॅमिली है कि शहर में भारी मात्रा में हथियार लाए जा रहे हैं । यही तो उन का काम है । आईएसआई भारत में रहकर आतंकवादियों दंगाइयों को हथियार, इंटर वगैरह के मामले में पूरा सहयोग करता है । वो तो है आए दिन हथियार पकडे भी जाते हैं । पर इस बार जो खबर मिल रही है अगर उसे सच माने तो हथियार इतने हैं कि जैसे किसी युद्ध की तैयारी चल रही हूँ, क्या बात कर रहे हो? यही तो बात है जिससे फिक्र हो रही है तो मैं यहाँ नहीं इसलिए बता नहीं पाया कि पिछले हफ्ते हम लोगों को एक्टिव मिली थी एक आदमी के बारे में जो एक बार में कुछ इस तरह की बातें कर रहा था । मुझे जब पता चला तो मैं खुद उस बार में पहुंचा । पर मुझे देखते ही वह भाग खडा हुआ । यानी वो तुम्हें पहचानता था । शायद इसलिए मुझे लग रहा है वह आईएसआई वाला था । तभी सहानी वापस आ गया और उनका वार्तालाप वही खत्म हो गया । साहनी सोफे पर बैठते ही बोलने लगा तो बात ये है कि मेरी जो एंटी घडी है, पिछले एक महीने से वह घडी रोज सुबह तीन बजकर पैंतालीस मिनट पर रुक जाती है । यानी घडी खराब है । जब एबोला मिस्टर जावे । आप इतनी सी बात होती तो मैं आपका और अपना समय खराब करके यहाँ नहीं आता । वो खराब नहीं है । मैंने उसे चेक करवाया था । गाडी वाले ने काफी ट्रायल भी ली है और उसके सामने घडी कभी तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर नहीं होगी मैं खासकर इसलिए हैरान हूँ की ये समय मेरे लिए काफी अहम है । क्या हुआ था तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर मेरा जान हो पर क्या घडी ठीक तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर रुकी होती है क्या जब आप सुबह उठकर देखते हो तो तीन बज कर पैंतालीस मिनट के आसपास चल रही होती है । मेरा मतलब मैं समझ रहा हूँ नहीं घडी थी । तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर पूरी तरह से रूकी होती है फिर आप उसे दोबारा कैसे चालू करते हैं? मैं नहीं करता हूँ । मैं हिला डुलाकर देखता हूँ । सेल बदलकर भी ट्राय किया है और कुछ नहीं होता । पर कुछ देर बाद घडी खुदबखुद चालू हो जाती है । सही समय पर नहीं । जहाँ रुकी थी वहीं से अच्छा मुझे लग रहा है जैसे कोई इस तरह से मुझे आतंकित करना चाहता है । आपको किस पर शक हैं? नहीं आपके कोई दुश्मन क्या नहीं सकता । बिजनेस करते हुए राइवल्स तो बन ही जाते हैं । मुझे नहीं लगता कोई सा तक जाएगा कोई व्यक्तिगत रंजिश नौ आप के साथ कौन कौन रहता है कोई नहीं मैं अकेला हूँ । बंगले में नौकर चाकर जरूर है । आपके आगे पीछे कोई तो होगा नहीं । मेरे माता पिता की कुछ साल पहले डेथ हो गयी थी । मैं उनका एकलौता बेटा हूँ । हमारा और कोई रिश्तेदार नहीं क्योंकि मिस्टर साहनी मैं आपकी मदद जरूर करना चाहूंगा । तो आप कब मेरे बंगले पर आएंगे? आजकल मेरे पास कई काम है जिन में मैं बहुत ज्यादा मार स्कूल हूँ । इसलिए मुझे कुछ दिन का समय दीजिए । पर अगर आज कल में मुझे कुछ हो गया तो आपकी मदद मेरे किस काम आएगी । मुझे तो अपने चारों तरफ खतरा मंडराता दिख रहा है । मेरे पास पहले ही कुछ मर्डर केस है जिनकी वजह से मैं बहुत मस्त गोल हूँ । आप उन की बात कर रहे हैं जो मर चुके हैं । मैं तो अभी जिंदा हूँ । मेरी जिंदगी बचाना क्या ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं । मैं आपको मना नहीं कर रहा है । बस मुझे थोडा समय दीजिए । मैं कोशिश करता हूँ जल्द से जल्द आपसे मिलने की ऍम अच्छा । मुझे आपका इंतजार रहेगा कहकर वह अमर की तरफ पालता और आपका भी आप इतनी मोहब्बत से बुला रहे हैं तो बंदा आपको परेशानी देने आपके दडबे पर जरूर पहुंचेगा । शुक्रिया साहनी ने मुस्कुराते हुए कहा । फिर उनसे विदा ली है । गुजरात नौ बज कर बीस मिनट पर साहनी को अमर का फोन है । वो उससे मिलने आना चाहता था । साहनी ने खुशी जाहिर की । उसने अमर से उसके घर पर ही डिनर लेने का आग्रह किया, जिससे वो झट से मान गया । बीस मिनट बाद नौकर ने आकर बताया कि मिस्टर अमर पहुंच गए हैं । वह बैठक में पहुंचा । वहाँ अमर मौजूद था और उसके साथ जॉन भी था । हेलो मिस्टर साहनी । अमर ने उसे देखते ही उत्साहित स्वर में कहा, ऍम, आपने मेरी रिक्वेस्ट सीरियस ली और आज आ ही गए । ऍम आप पेट भर के खाना खिला दीजिए, हिसाब बराबर हो जाएगा । साहनी हस दिया फिर बोला मिस्टर जावे, दिखाई नहीं दे रहे हैं । उसे ऑफिस में कुछ काम था इसलिए वो नहीं आ सका । कर्नाट मैं हूँ और साथ में मेरा दोस्त और साथ ही एजेंट मेरी जान यानी जान । जॉन ने इस वक्त टीशर्ट और जींस पहनी हुई थी, जो उसके छरहरे शरीर पर खूब फब रही थी । आपने रिमलेस चश्मे के लेंसों की मदद से वो साहनी को पहनी रखती नजरों से देख रहा था । साहनी में गर्मजोशी के साथ जॉन से हाथ मिला है । फिर डिनर टेबल की तरफ इशारा करते हुए वो बोला आइए बाकी की बातें डिनर करते करते हो जाएंगी । सभी डिनर टेबल पर पहुंचे । बेहरा खाना लगाने लगा । हमारा प्लान है कि आज रात घडी पर नजर रखेंगे । अमर ने फुसफुसाते हुए साहनी से कहा ऍम तो अच्छा है । आप के घर में कुल कितने नौकर हैं । दो रसोई है, एक सफाई वाला है । एक माली और एक दिन का चौकीदार और एक रात का । यानी आप को मिलाकर कुल छह लोग था । ये सभी बंगले में ही रहते हैं । सिर्फ एक रसोइया पंकज और सफाई वाला नहीं है । बाकी अपना काम करके अपने अपने घर जाते हैं । आप काम के लिए काम नहीं करते हैं । मैं ऑफिस रेगुलर नहीं । ज्यादा हफ्ते में एक दो बार या जब कोई खास मीटिंग होती हैं उसके अलावा में अक्सर सुबह सीधे रॉयल क्लब निकल जाता हूँ । वहाँ स्विमिंग, जिम आदि के अलावा गोल खेलता हूँ । क्योंकि खाना खाकर वह लोग बैठक में आ गए । तो ये है वो रहस्यमई घडी । अमर ने दीवार पर टंगी सफेद रंग की एंटी फ्रेंच घडी की तरफ देखते हुए पूछा साहनी नहीं हम इधर आज रात देखते हैं । इसकी करामा अमर घडी को इस तरह देखते हुए बोला जैसे अपने व्यक्तिगत दुश्मन को देख रहा हूँ । कुछ देर वो योगी बातें करते रहे । फिर अचानक साहनी ने सोफे से उठ कर घोषणा की, अब मैं चलता हूँ । मेरी मीटिंग है । रात को ग्यारह बजे जॉन ने घडी पर नजर डालते हुए पूछा, हाँ, वीडियोकाॅॅॅन के साथ वो अच्छा आप निश्चिंत रहिए । यहाँ सब हमारे हवाले छोड दीजिए । अमर ने आश्वासन देते हुए कहा, मैं आपका कमरा लगाने के लिए बोल देता हूँ । हमारा तो यही बिस्तर लगवा दीजिए । घडी के साथ यहाँ लेकिन यहाँ कम्फर्टेबल नहीं रहेगा । यकीन मानी हमने इससे कहीं ज्यादा खराब बिस्तरों में रातें काटी । बस दो गद्दे लगवा दीजिए । मुझे यकीन है मैं इंतजाम करवा दूंगा । मेरी कॉल शुरू होने वाली है । मैं चलता हूँ कहकर वह दूसरी मंजिल पर बेडरूम की ओर बढ गया । जाते जाते उसने अपने नौकर को बैठक में दो बिस्तर लगाने को बोल दिया । बेडरूम में पहुंचकर उसने अपना लेपटॉप फोन किया । उस पर वह बंगले के अंदर और बाहर लगे विभिन्न कैमरों से वहाँ के दृश्य देख सकता था । उस ने बैठक का नजारा देखा । अमर और जॉन सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे । उन्हें देखते हुए उसने अपने सिरहाने दो तीन तक क्या लगाए तो उन्हें देखता रहा । शायद अमर जॉन के मजे ले रहा था । रह रहकर जॉन उसपर मारने के लिए झपट रहा था । इस तरह लेटे लेटे उसकी पलकें भारी होने लगी । फिर नींद ने साहनी को अपनी आगोश में ले लिया । सुबह तीन बजकर पचास मिनट पर मोबाइल का अलार्म बज उठा जिससे सहने की नींद टूटी । आंखें मसलते हुए उसने लेपटॉप कीबोर्ड के बटन खटखटाकर उसे भी नींद से जगाया । स्क्रीन पर हॉल का दृश्य उजागर हुआ । उसे देखकर हैरत हुई कि हॉल में पडे गद्दों पर अमरिया जॉन दोनों ही दिखाई नहीं दे रहे थे । हालांकि वहाँ लाइट अभी भी चल रही थी किधर चले गए । उसने घर के बाहर के कैमरे देखने शुरू की । बाहर गार्डन में उसे अमर और जॉन दिखाई दी है । वो सर्वेंट रूम की तरफ बढ रहे थे । देखते ही देखते वह सर्वेंट रूम के दरवाजे पर पहुंच गए । दो मिनट बाद दोनों कमरे से बाहर बदहवास हालत में बाहर निकले । अमर किसी को फोन करते हुए देखा चला जाए । सहानी बैठ के उतरा और उसने जल्दी से चप्पल पहले फिर वो सीढियों से नीचे उतारा और हॉल से होते हुए बाहर गार्डन में पहुंचा गया है । क्या हुआ मैं इस तरफ बाहर बाहर पहुंचते ही उसने पूछा आप गए? अमर ने चौंककर पूछा हाँ, नीचे से तेज तेज बातों की आवाज आ रही थी । सब ही तो है ठीक नहीं है । मिस्टर साहनी अमर गंभीर स्वर में बोला आपके नौकर पंकज का खत्म हो गया है और वो चीख उठा । हाँ अंदर कमरे में उसकी लाश पडी है । बट वाइट साहनी हाथ फैलाकर बोला ऍम आखिर उसे मारकर किसी को क्या मिलेगा तो नो बेचारा पंकज वो पंकज के कमरे की तरफ बढने लगा पर अमर ने उसकी बहन था आप अंदर मन चाहिए बट अंदर कातिल के सुराग मौजूद हैं और ऍम क्या? मैं पुलिस को फोन करुँ । साहनी ने बेसब्री से पूछा मैंने पहले ही कर दिया है पुलिस कुछ ही देर में पहुंचती होगी तो ये कहकर साहनी बेचैनी के साथ कहने लगा मिस्टर साहनी रिलेक्स आप समझ नहीं रहे पंकज मेरा एम्प्लॉय था उसके गांव में उसकी फैमिली है आॅल मैं समझ सकता हूँ पर होनी को कौन टाल सकता है । पर ये हुआ कब? मेरा अंदाजा है कि काफी पहले ही हो गया था शायद हमारे यहाँ आने से । कुछ घंटे पहले बहुत आप का कहना है कि पंकज शाम से हमारा पडा है और किसी ने नोटिस नहीं किया ऍम इलाज को देख कर तो ये साफ पता चल रहा है कि उसकी हत्या भी नहीं हुई है । खून जिस तरह से जमा हुआ है और लाल ठंडी पडी है उससे ये अंदाजा लगाना बेहद आसान है । तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा इसलिए कह रहा हूँ आप टेंशन ना ले । इसे हमारे और पुलिस के ऊपर छोड दीजिए । चाहिए तो उसकी फैमिली को इन्फॉर्म कर दीजिए । कौन कर रहा है? सब बनाते हुए वह अंदर चला गया । कुछ ही देर में वातावरण में पुलिस का सायरन गूंजने लगा । फिर पुलिस कर्मी तेजी से बंगले में प्रविष्ट हुए हैं । इंस्पेक्टर हेमंत सबसे आगे था । अंदर आकर वो सीधे अमर से मुखातिब हुआ । वो अमर को पहचानता था । मिस्टर अमन कदम हुआ है । क्या आप इस तरह पूछ रहे हैं जैसे आपको विश्वास नहीं है कि अब तक हुआ नहीं, ऐसी बात नहीं है । किधर हुआ इधर आइए अमर ने इशारा किया इस कमरे में अभी हुआ है । इंस्पेक्टर हेमंत पर हवलदार अमर जॉन के साथ कमरे में पहुंचेगी । कोई छोटा सा कमरा था जिसमें एक पलंग, एक कुर्सी और एक ही अलमारी थी टॉयलेट था । पलंग पर पंकज नाम के उस रसोइये की लाश पडी थी । उसके सीने में गहरा घाव था और गांव के आसपास खून जमा हुआ था । लगता है काफी देर पहले खत्म हुआ है । के मत बोला आपने ठीक कहा । जॉन ने कहा मर्डर व्यापन भी नहीं दिखा । यानी उसे कातिल अपने साथ ले गए । इसका मतलब पूरी प्लानिंग के साथ मैं ऑर्डर किया गया है । ऐसा ही लग रहा है घर का मालिकों ने । मिस्टर साहनी अमर बोला, वन दरोगा है इस बेचारे की फैमिली को फोन करने । तभी गेट की तरफ से कार की आवाज आई । लगता है जावेद आ गया । अमर बोला मैंने उसे भी फोन कर दिया था । कुछ ही देर में जावेद वहां पहुंचा । उसने नाइट सूट पहना हुआ था । लगता है तो मैं कपडे बदलने का भी समय नहीं मिला । अमर बोला इन कपडों में क्या खराबी है? जावेद ने पूछा फिर कब किसका हुआ है? अमर ने बताया, चाकू मारकर खत्म किया गया और किसी को पता भी नहीं चला । जावेद संदेह प्रकट किया । मेरा ख्याल है कि मक्तूल कातिल को जानता था । जॉन ने तीक्षण दृष्टि के साथ कमरे का निरीक्षण करते हुए कहा, ये सिक्सर कैसे लगाया? मेरी जाते अमर नहीं चौंकते हुए पूछा । कमरे में कोई भी सामान उथल पुथल नहीं हुआ है । यानी इसके और कातिल के बीच कोई संघर्ष नहीं हुआ । दूसरी बार कपिल बिना आवाज के हुआ । कोई चीज भी नहीं निकली । कोई अनजान यू बंगले में घुस आता और मकतूल पर हमला करता तो इतने में ही शोरगुल हो जाता है । कुछ तो संघर्ष में होता है । आखिर मरने वाला देखने में हट्टा कट्टा दिख रहा है । हो सकता है मारने वाला मरने वाले से भी ज्यादा हट्टा कट्टा रहा हूँ । हेमंत जावेद के मांसल बाजुओं को देखते हुए बोला मतलब अमर ने पूछा । कुछ पेशेवर कातिल बहुत ही कुशलता से काम करते हैं । उसने झटके में हमला किया होगा । इस बेचारे को चिल्लाने का मौका ही नहीं मिला होगा । अचानक हुए ऐसे हमले के दौरान इंसान शॉक के कारण चीज भी नहीं पाता हूँ । तब तक साहनी वहाँ वापस पहुंचा । कुछ पता चला, किसने किया ये सब? उसने बचकाना से सवाल किया । आप तो ऐसे पूछ रहे हैं जैसे शेयर मार्केट के हाल चाल का पता कर रहा हूँ । अमर व्यंगपूर्ण ढंग से बोला ॅ साहनी, देश में आ गया रिलैक्स । मिस्टर साहनी जब भी बोला ये पेचीदा मामला है । हमें इस मामले की तह तक अवश्य पहुंचेंगे । आप थोडा सब्र रखिए ऍम पर मैं बहुत घबराया हूँ । इस तरह तो मेरा भी हो सकता था । आप घबराइए नहीं । हेमंत बोला पुलिस आपके प्रोटेक्शन के लिए मौजूद है । फिर वो लोग आपस में बातें करने लगे । क्या हुआ था जावेद ने अमर से पूछा । शुरू से बताओ मैं और जॉन बैठक में बैठे बातें कर रहे थे, नहीं तो आ नहीं रही थी । इंतजार था तीन बज कर पैंतालीस मिनट पर साहनी जी की चमत्कारी घडी के अपने आप बंद हो जाने का । आखिरकार तीन बज कर पैंतालीस मिनट हुए और घडी वाकई बंद हो गए । हम उठकर घडी को देखने लगे । फिर घडी से कुछ दूरी पर जो खिडकी है वहाँ से कुछ झटके की आवाज मैं जॉन के साथ बाहर पहुंचा । वहाँ उस खिडकी के नीचे जूतों के निशान पाए । हमें लगा जरूर ये किसी इंसान का काम जो इस खिडकी तक चल कराया था । जूतों के निशान बहुत नीचे की तरफ जा रहे हैं । जाहिर है बाकी की गीली मिट्टी के कारण ही निशान बनेंगे । फिर निशान आगे सर्वेंट रूम की तरफ गए थे । इस तरह हम इस कमरे में पहुंचे जहां इसकी लाश पडी नहीं । जूते यहाँ नहीं इंस्पेक्टर हेमंत बोला था । अमर बोला मैंने भी देखा अगर पंकज जी खिडकी तक चल कर आया था तो जूते यहीं कहीं बैठ के आस पास होनी चाहिए थी । पर पंकज कैसे चल कर आया हो सकता है । जावेद ने सवाल उठाया वो तो काफी देर पहले से मारा मालूम पड रहा है । हो सकता है मरने से पहले ही आया हूँ । हेमंत बोला वो किस लिए? जावेद बोला शायद घडी से छेडछाड करने के लिए । अमर बोला मैंने देखा है उस खिडकी को उसमें ग्रीन लगी है और घडी बहुत दूर है । खिडकी से इतनी दूर से घडी में कोई गडबड नहीं की जा सकती । करते भी तो आठ नौ बजे से पहले क्यों करते हैं पर अभी तक पता कहाँ चला है की घडी रूकती कैसे है? अमर बोला ये घडी की क्या कहानी है? हेमंत ने पूछा । साहनी ने संक्षिप्त में घडी के बारे में बताया । सुनकर हेमंत ने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं थी । फिलहाल हमें ये पता करना चाहिए कि पंकज का खत्म कहाँ और किसने किया? जावेद ने पूछा । हेमंत ने साहनी से पूछा इसके रूम में और कौन रहता है ही नहीं । आपने कहा था कि एक और नौकर घर में ही रहता है । अमर ने याद दिलाया हाँ पर वो इधर नहीं होता, वो बंगले के अंदर ही होता है । छत पर एक कमरे में आपने आखिरी बार पंकज को कब देखा था । हेमंत ने पूछा दोपहर में तो क्या पंकज ने हमारा डिनर नहीं बनाया था? अमर ने पूछा, नहीं, ये नाश्ता और लंच बनाता था और फिर शाम को ग्रोसरी खरीदने बाहर जाता था । दूसरा रसोइया डिनर बनाता है और रात को चला जाता है । रुकता नहीं, वो ये बात है । जावेद कुछ सोचते हुए बोला । हेमंत ने साहनी से पूछा क्या बता सकते हैं कि किसका दूसरी स्टोर से शॉपिंग की जाती थी? चौराहे के पास महानगर सुपर मार्केट से तो के हेमंत चहलकदमी करते हुए सर्वेंट क्वार्टर के पीछे पहुंचा जहाँ बंगले की बाउंड्रीवॉल वो करीब दस फीट ऊंची थी और उसके ऊपर कंटीले तार भी लगे हुए थे । बाउन्ड्रीवाल के दूसरी तरफ गालियाँ ना उसने साहनी से पूछा । आप उसके बाद फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स बंगले पर पहुंचे और जांच चलती रही । सुबह छह बजे के आस पास वो एक हवलदार को वहीं छोडकर फारिक हुए । दरवाजे पर खटखटाहट की आवाज सुनकर जावेद की नींद खुली । उसने चादर एक तरफ हटाई और घडी देखेंगे । दस बज कर बीस मिनट हुए थे । बेडरूम से निकलकर वह बैठक में पहुंचा और फिर दरवाजा खोला । सामने इंस्पेक्टर ही मन था, कुछ पता चला । अंदर आने के लिए रास्ता छोडते हुए जावेद ने पूछा । हेमंत ने जवाब नहीं दिया जावे । बैठक में लगे वॉशबेसिन पर जाकर बहुत होने लगा । जावेद हेमंत कुछ संकोच करते हुए बोला, जरा हमारे साथ चलो कुछ पूछताछ करनी है । जरूर कोई सुराग तुम्हारे हाथ आ गया है । ऍसे मोह पहुंचते हुए जावेद ने कहा, ठीक समझे पुलिस स्टेशन चले तो क्या है? मैं बस दस मिनट में तैयार होता हूँ । कहकर जावेद अंदर चला गया । ठीक दस मिनट बाद वो तैयार होकर आया और हेमंत के साथ चल दिया । थाने पहुंचकर वो इंस्पेक्टर हेमंत के कैबिन में पहुंचा । अब बताओ । जावेद ने कहा, क्या पता चला पहले तुम कुछ सवालों के जवाब दो । हेमंत बोला हैं मुझे क्या पूछना? कल रात आठ से नौ के बीच तुम कहाँ थे? हेमंत ने पूछा उसका इस मर्डर से क्या कहीं तुम मुझ पर बोलते हुए जब जावेद को यह एहसास हुआ कि उसे वहाँ इस तरह लाने का क्या अभिप्राय था? वो उठ खडा हुआ वोट नौं मिस्टर जावेद बैठ जाइए । उसकी बात को अनसुना करते हुए जावेद रोष भरे स्वर में बोला, क्या मैं पूछ सकता हूँ? तो उन्हें ऐसा क्या सबूत मिल गया है कि मुझे ऐसा सलूक किया जा रहा है? हमें मर्डर व्यापन मिल गया है और कीमत बोला और उस पर तुम्हारे फिंगर प्रिंट मिले हैं क्या? जावेद बुरी तरह से चौंक उठा । यही नहीं कीमत सख्ती के साथ बोला तुम्हारे घर के कूडेदान से अब जले कपडे मिले हैं जिस पर पंकज के खून के निशान हैं । जावेद सोच में पड गया । उसके चेहरे पर परेशानी के भाव थे । फिर धीरे धीरे उसके भाव बदले और फिर वो सामान्य दिखने लगा । उसने कहा ठीक है पूछूँ और क्या सवाल है ।
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Sound Engineer