Made with in India
ऍम किताब का नाम है शिखर तक चलो जिसमे लिखा है डॉक्टर काॅलोनियां ने हर आज भी है आपके ऍम है जब मन चाहे सपने भी क्या कभी आपने हो सकते हैं । उसने आंखें मान मलकर देखा सामने सागर की उत्ताल तरंगे उत्साही उमंगों से साढे संघ अटखेलियां कर रही थीं । हिन्द महासागर किए लहर हैं दूर से इठलाती बलखाती मुँह जुनून में और लगती है फॅस आती है । उनका उफान हल्का सा कम हो जाता था । सफेद फिल्मों से लगभग लहरें बे बहुत लुभावनी लग रही थी । कुछ समय बाद अंशुमाली की अरुणिम आभा से आप्लावित होकर इन गर्मियों में अनोखा आकर्षण पैदा हो जाता था । मध्यान् के तेजस्वी सूर्य की प्रकार तीनों में इन लहरों के उफन टूटे हुए झाग यूँ लगते थे । मानव रत्नाकार ने जदयू को अंबार लगा के रखी हूँ । हवाएं भी मनोविनोद हेतु इनसे मित्र वध हास परिहास कर रही थी कि हाँ, टीवी वाला की तरह लहरों को ठेल कर कभी आगे लाती कभी पीछे नहीं जाती थी । तिरंगे रंग में रंगा हिन्द महासागर का ऐसा रंगीनमिजाज यही दिखाई दे रहा था । दूर सितेश पर आसमानी रंग दिखाई दे रहा था । जहाँ तक दृष्टि पहुंचे वहाँ तक बस महासमुद्र और नीला आकाश एक आकार नजर आ रहे थे । महासागर के मध्य का चल मोर कंट्री रांका था । किनारे के । समीर की जलसंपदा मनोहारी हल्के रंग को धारण की है । झेल भूषण समझ रही थीं । सागर तट पर बसे आलीशान बंगले समुद्र की मर्यादा के साथ ही थे । इन बंगलों के पाशर्व में आकाश छोडने के आकांक्षी अनुपम रक्षा मनभावन राष्ट्रीय प्रस्तुत कर रहे थे । तो बहुत समय से संजोया । सपना साकार देखकर सीमा और सोमेश की खुशियों का ठिकाना आना था । हूँ । अंडमान निकोबार द्वीप समूह के इस विश्व प्रसिद्ध सागर तट पर पहुंचकर सोमेश अपने आप को रोकना पाया और सीमा को खींचते हुए उन लहरों के समीप ले गया । अपने पति के साथ इस शीटर जल के स्पर्श है । सीमा को भी रूम रूम का पहला आदत हो गया । दोनों जल करिया करने लगे जी भरकर जल बिहार करने के बाद जब वर्स्ट परिवर्तन के लिए जाने लगे दवा! अचानक सोमेश को याद आया कि उन्हें महात्मा गांधी मैरीन नेशनल पार्क भी जाना है । हूँ पता शीघ्र अतिशीघ्र तैयार होकर दोनों वहाँ के लिए रवाना हो गए । लगभग पंद्रह छोटे बडे द्वीपों को समाहित करते हुए बना ये मैरीन पार्क दुनिया के उत्कृष्ट समुदायिक उद्यान में से एक था । दुनिया के उत्कृष्ट सामुद्रिक उद्यान में से एक था । यहाँ के गहरे डालिये जल जीवन केस बंधन का अवलोकन भी अपने आप में है । बहुत ही अद्भुत प्रतीत होता था हूँ । इसका पूरा आनंद पाने हैं तो उन्हें महात्मा गांधी मैरी नेशनल पार्क में स्कूबा डाइविंग और स्नोर कालिंग भी करनी थी । इसके लिए वह कई दिनों से विद्युत परीक्षण भी ले रहे थे । कुछ समय पश्चात वहां पहुंचकर दोनों ने तैराकी पोशाक, वहाँ जीवन रक्षा जैकेट पहनी । पानी के अंदर दिखाई देने वाले चश्मे लगाए । ऍम मास्क पहन का कुछ देर उतने जल में स्नोर कालिंग करते रहे और नया ना बेरहम नदी ईश्वर को नितांत निकट के निरंतर निहारते रहे हो । फिर बाहर अगर उन्होंने लाइफ जैकेट उतारी और फिर अपने प्रशिक्षक के संग चल पडे । सिंधु की गहराइयों में घूमते लगाने के लिए सीमा अच्छी तरह थी । तैराकी में स्वर्ण पदक भी उसने प्राप्त किया था की तो इस असीम समुद्र की अतल गहराई में जाते हुए उसे डर लग रहा था । सुमेश उसकी स्थिति समझा दिया था और सीमा का हाथ पकडकर का डुबकी लगाने लगा । कुछ समय पश्चात सीमा सामान्य हो गई । नीचे जाकर उन्होंने देखा कि यहाँ तो अलग ही रंग की रंगीली दुनिया थी । अद्भुत आकार प्रकार की वनस्पतियां जो उन्होंने सिर्फ टेलीविजन में डिस्कवरी चैनल में ही देखी थी । कोई ब्रॉकली का बडा सा फोन लग रहा था तो कोई एलोवीरा और बैंगन बेलिया कम रन दिख रही थी । दूसरी तरफ के नारंगी नीले फूल आर्केट को भी मार दे रहे थे । स्फटिक सदस्य पारदर्शी स्वच्छ जल में तैरती रंगबिरंगी मछलियां इन दृश्यों की वास्तविक नायिकाएं थीं । निर्णय प्रभाव से वे गति कर रही थी । आधुनिक योगी मानव की गलाकाट प्रतिस्पर्धा की भागम भाग से विपरीत उन्होंने सिर्फ चलते जाने का नाम जीवन अशोक जाने का अर्थ मेरे तीन समाज रखा था हूँ मीले पीली डॉॅ । जब सीमा की तरफ आती तो खुशी की हुई थी । एक बडी सी मछली को आते देख सीमा सोमेश के पीछे हो गई । इस प्रकार नहीं मनभावन जल जरूरत है । लोग अच्छे भी खेलते रहे । अचानक सीमा को एक बडी सी । सी । पी । दीजिए । वो उस ओर बढी तो उसे गुलाबी आवाज से चमकता कुछ देखा । उसने हाथ बढाकर उठाया तो देखा एक बहुमूल्य होती था । सीमा ने उसे अपने जाकर की जब वाली पॉकेट में डाल लिया । खुशी से उसका चेहरा भी जमा कटा । सोमेश ने नजरों से कहा चले दोनों धीरे धीरे तैरते तैरते उन हाँ ऊपर आ गए । मछलियों के मध्य समुद्री सादा होने का उनके जीवन का प्रथम रोमांचकारी अनुभव हुआ था । हूँ । सीमा के रोमांच का अंधी ना था । सोमेश भी बेहद प्रफुल्ल था । दोनों ने किनारे पहुंचकर ऍम चश्में सब कुछ बता रहे हैं और वहीं सबसे फेवरेट पर धर्म से पसर गए । गहरी सांसों के संघ विश्राम करते हुए सोमेश ने सीमा का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा प्रिया ऍम, यहाँ तो स्वर्ग है । स्वर्ग सीमा भावुक होकर बोले ऍसे भी फट कर है । कुछ समय पश्चात दोनों हाथ से निकल कर गांधी सामुद्रिक पहुंचे जहां पर आधुनिक जलक्रीडाओं की भरमार थे तो मैं बोला चलो पहले पैरासेलिंग करते हैं । सीमा चलने को गत हुई और दोनों पैरासेलिंग स्टेशन पर पहुंच गए । वहाँ बने प्लेटफॉर्म पर महाराष्ट्र से जुडी हुई कुर्सियों पर उन्हें बैठा आकर जीवन रक्षा जैकेट पहनाकर कमर पेटी बांधी गई । सारा शूप से बंधी रस्सी का एक किनारा हूँ । स्पीडबोट से झगडा हुआ था । इधर बोर्ड का इंजन आराम हुआ । उधर इन्हें प्लेटफॉर्म पर दौडने को कहा गया । दौडते हुए सीमा सुन मैं जैसी प्लेटफॉर्म से उतर हवा में उडे । एक बार तो सीमा घबराकर सोमेश निपट गई । कुछ सेकंड बाद सामान्य होते हुए उसने आखिरी खोली तो नीचे का अनुपम दृश्य देखकर वह रोमांचित होती । अठारह जलराशि को ऊपर से देखना भी अविस्मरणीय अनुभव था । हूँ । मीला मूर्ख अंडी और हरा रंग ली है । उधर दी वियोगी मोर सदस्य लग रहा था जो अपनी प्रिय मोरनी के इंतजार में खूबसूरत बंक फैलाए बढा चला जा रहा हूँ । क्या होगा मिला या फिर वो इतने में ही स्पीडबोट धीमी हुई जहाँ धारा टूट गई । धीरे से इनका पैराशूट समुद्री सत्ता पर गिरा हूँ । पानी से डुबकी लगा दोनों ने बाहर निकले और वोट ने गति तेज कर दी जिनसे इनका पैराशूट हवा से बातें करने लगा । करीब दस मिनट की पैरासेलिंग तो बेहद रोमांचकारी यात्रा रहे हैं । सोमेश अब हाथ पकडकर सीमा को बनाना बोर्ड सवारी के लिए ले गया । तैराकी पोशाक पर जीवन रक्षक जैकेट पहने अन्य पांच सवारियों के साथ सीमा और सोमेश भी केले की आकृति में बनी बोर्ड पर दोनों तरफ पैर फैलाकर बैठ गए । आगे स्पीडबोट से रस्सियां से जुडी बनाना बोर्ड स्पीडबोट के प्रारंभ होते ही तेजी से चल पडी हूँ तथा जलराशि पर खुले में सवारी करना बडे ठीक कर के बाद थी जो जो उनकी बनाना बोट दूर समुद्र के अंदर पहुंच रही थी । सीमा की धडकनें बढ रही थीं, अचानक उसका दिल ढाकरे रह गया । ये क्या? तो मैं उछल कर बोर्ड से नीचे समुद्र में गिर गया । सुमेश हाँ, मैं चलाते हुए है । नया कुछ सोचे समझे अगल सीमा भी बहुत पडी । सहयात्री घबराकर अब क्या होगा? आगे से स्टेट बोर्ड से दो प्राण रक्षा को दे । दोनों तैरकर सीमा और सुमेश तक पहुंचे । उन्हें अपने संघ स्पीड बोर्ड में ले जाकर बैठाया गया । ऍम वोट में बैठे ही सोमेश ने सीमा को गले लगा लिया । फॅमिली मेरे पीछे तुमको खोदी सीमा कुछ बोलना था की तो उसकी आंखें डबडबाई सुमेश की आंखें भी नाम हाँ नहीं हूँ । लगभग दस पंद्रह मिनट तक दोनों इसी ठकारे दो बजे की भावनाओं को सही कह रहे हैं । वो पट्टा किना रहा गया था । उनका गला भी सोच रहा था । अदाह किनारे पहुंचकर दोनों ने नारियल पानी पिया । ऍम तनिक विश्राम के पश्चात सोमेश बोला स्केटिंग करोगी आॅफ पानी में स्कूटर रेसिंग कैसी होती है? सीमा के पूछने पर सोमेश से हाथ फागण कार्य कुछ देव ले गया । यहाँ कॉलेज के कुछ विद्यार्थी समुद्री सत्ता पाए स्कूटर से सरपट दौड रहे थे । उनका एक दूसरे से आगे बढना, जोर जोर से चिल्लाना सीमा को बडा भरा लग रहा था । आज मेरे जीवन का भरपूर आनंद ले लेना जा रही थी । सीमा के चेहरे की रोना को सुमेश नेपालिया आगे बढकर स्कूटर रेसिंग की दो टिकट खरीद ली । सुमेश ने अपने स्कूटर भरोसे बैठा लिया । भारत बता झटका खाकर सीमा नहीं, सोमेश को पीछे ऍम दोनों की सवारी है । चलिए सथा करोड चली । दोनों ओर से उठते पानी की बौछारों में भीगती हुई उनकी विचित्र प्रकार की रोमांच की अनुभूति हो रही थी । अचानक जोश में आकर सुमेश जीटॅाक सीमा चलाने लगी । नहीं, ऐसे नहीं है जितना चलाती हूँ । सुवेश को उतना ही मजा आता आकस्मात सोमेश ने डाइनिंग स्कूटर मोडा इतने में पीछे से आता स्कूटर सवार इनसे तेजी से बडा संतुलन बिगडा और साहब समुद्री सकता पर गिरे हूँ । हेमा को लगा कि आज तो डूबे ही, यही उसकी जलसमाधि बनेगी । सुमेश ने ढांढस बांधते हुए दिलासा देते हुए कहा हर घबराओ नी प्राणरक्षक परिधान पहना है तो होगी नहीं । किनारे से वह काफी दूर पहुंच गए थे । सामने हम दो पति की अच्छा जलराशि को देख सीमा को चक्कर आ रहे थे, लेकिन हिम्मत जुटाकर उन्होंने किनारे की दशा में तैरना प्रारम्भ किया । दूसरे स्कूटर सवार की हालत और खराब थी । से तो करना भी नहीं आता था । ब्लॅड के सहारे एक ही जगह कह रहा था सुमेश उसकी सुरक्षा थी । तरकीब सोच रहा था । कितने में जीवन रक्षक नौका के इंजन की गडगडाहट सुनाई थी । इस समुद्र तटीय पर्यटन स्थल पर सुरक्षा के बडे पुख्ता इंतजाम थे । थिएटर शक सुरक्षा गार्ड ने पहले सीमा फिर सो मैं अन्य सवार को खींचकर बोर्ड में बैठाया । फिर दोनों स्कूटरों में हो । फॅमिली से बोट में बंदा लगभग दस पंद्रह मिनट में सबसे कुशल किनारे पहुंच गए । बोर्ड से उतर कर चलते हुए सोमेश ने मजाकिया अंदाज में पूछा हूँ, चलो की कुछ और ऍम करने है कोई तमन्ना बाकी सीमा तक सामान्य हो चुकी थी । उसको रह कर बोली हूँ, मेरे को इतना बनना बाकी छोडी । खाएँ । मेरी आत्मा तरफ है और कुछ भी नहीं करना है तो जलपान करते हैं तो मेष भी नहीं चाहता था । उससे बडे जोरों की भूख लगी थी । वहीं किनारे पर अन्य पहुंॅच दिया था । उसमें हल्का फुल्का नाश्ता लेकर दोनों साॅस पहुंचे । भूतल पर स्वागत कक्ष के पास बाल देखभाल का था । उसके दरवाजे पर तीन चार वर्ष का एक क्या गोलमटोल बाला खडा था । उस की बडी बडी आंखों में किसी की प्रतीक्षा बसी थी । गोरा रंग गुलाबी गाल झगडा, लेबाज गालों में प्यार से गड्ढे । यह बालक उदास सा एकाकी खडा था । पीछे रनिंग बच्चे खेल रहे थे । सीमा तेज देश चलकर दरवाजे तक पहुंची थी कि वह बच्चा मामा करके सीमा से निपट गया ।