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Chapter 09 in Hindi

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AuthorAmit Khan
औरत कभी उधार नहीं रखती। मौहब्बत,इज्ज़त,नफ़रत,वफ़ा सब दोगुना करके लौटाती है। ऐसी ही रीटा सान्याल थी। वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही खतरनाक भी। अपनी माँ की तबाह हो चुकी ज़िन्दगी का बदला लेने के लिए उसने अपने दिमाग की बदौलत कई सारे ऐसे मर्डर की प्लानिंग रच डाली कि पोस्टमार्टम तक में साबित न हो पाया कि वह मर्डर है। कानून ने भी उन्हें साधारण मौत समझा। आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने? आपने सोचा भी न होगा कि किसी के मर्डर की इस तरह भी प्लानिंग रची जा सकती है। दिमाग का ज़बरदस्त चक्रव्यूह। यह बेहद शानदार थ्रिलर है, जिसे आप बार-बार सुनना चाहेंगे।
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ऍम विचारी सीधी साधी चूलिया वो दोनों खतरनाक लडकियों के हाथों का खिलौना बनी हुई थी बल्कि उसे खिलाना बनाने वाली लडकी तो वास्तव में एक ही थी । सिर्फ एक रीता सानिया हूॅं जिसकी बुद्धि की रेंज ना अपना वाकई किसी के भी बस का नहीं था । मुझे इतनी जमीन के ऊपर थी उतनी ही जमीन के अंदर शक्ल से वो कितनी सुंदर नजर आती थी । अंदर से उतनी ही डेंजर थी मौजूदा करने के लिए । योजना की छाले लगातार चलती जा रही थी । यूलिया को पल प्रतिपल शिकंजे में कैसा जा रहा था । संडे के दिन जो चाल चली गईं कहने को बहुत मामूली उछाल थी । लेकिन वास्तव में जूलिया जैसी इमोशनल लडकी के ऊपर उसी चाह का सबसे अधिक असर हुआ । सभा के दस बजे ही रीता सान्याल यूलिया से ये कहकर चली गई थी कि वो एक सीरियल की शूटिंग के लिए जा रही है । रीता सानिया के जाने के थोडी देर बाद ही रजिया भी उससे योजनाबद्ध अंदाज में जूडो कराटे क्लब जाने का बहाना करके निकल गए । अब जो लिया कमरा नंबर दो सौ तीन में अकेली थी । बिल्कुल आ क्या है? कुछ देर अपने बिस्तर पर लेटी कमांडर करन सक्सेना सीरीज का जासूसी उपन्यास पडती रहे फिर जब हो गया तो उसने कुछ और पडने के लिए कमरे में इधर उधर नजर दौडाई और तभी उसकी नजर एक डायरी पर पडे । वहीं एक टेबल पर रखी थी क्यों लिया नहीं तो ये उत्सुकता वर्ष डायरी उठा ली और उसे खोलकर देखा । मोरिंडा सान्याल की पर्सनल डायरी थी जूलिया उस डायरी के पन्ने पलट चली गई । उसमें जगह जगह पर्सनल नोट लिखे हुए थे । सभी पर्सनल लॉ बहुत इमोशनल होकर लिखे गए थे और उनके अंदर से ऐसी सच्ची खिला सकती चमक रही थी तो किसी को भी ऍम डायरी के सबसे अंत में बडे दयनीय शब्दों में लिखा हुआ था मेरे जीवन का एकमात्र मकसद ऍम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी सबर दस कामयाबी हासिल करना है जैसे कामयाबी मीना कुमारी, मधुबाला, माधुरी दीक्षित या बीपी का पादुकोण को मिले । मैं जानती हूँ की ये कठिन काम है । अगर मैं ये भी जानती हूँ कि अगर मेहनत की जाए कुछ भी इम्पॉसिबल नहीं । इसीलिए मैं कठोर परिश्रम कर रही हूँ कि एक मैं एक दिन तो मुझे कामयाबी सरोहली की मेरे एक बडी प्यारी सहेली भी है जिसका नाम जो लिया है यू तो मेरी और उसकी जान पहचान अभी ज्यादा दिन पुरानी नहीं है लेकिन अभी भी मैं उसे अपनी बिल्कुल सगी बहन की तरह प्यार करने लगी हूँ । मैं चाहती हूँ कि वो भी हिंदी सिनेमा के एक महान अभिनेत्री बन जाएगा क्योंकि मैं उसके अंदर छिपे अच्छे कलाकार की प्रतिभा को देख रही हूँ । मुझे लगता है अगर वो एक्टिंग के क्षेत्र में थोडी सी भी दिलचस्पी ले तो मतलब कहीं जल्दी फिल्म इंडस्ट्री में स्टार प्लस हो जाएगी । इसीलिए मैं पिछले दो तीन दिन से उसे इस बात के लिए उकसा भी रही हूँ कि वो आॅफ और नशीली लडकी वाले रोल को हासिल करने का प्रयास करें । लेकिन जाने क्या बात है वो फैसला लेने में कुछ हिचकी जा रहे हैं । पागल नहीं जानती जिंदगी में ऐसे मौके बार बार नहीं आते हैं । ईशर मेरी सहेली को सकते थे । आज तक की वह डायरी अधूरी थी । कुछ लाइने छोडकर रीता सान्याल ने आगे लिखा हुआ था । चूलिया के परसों की बातों से मुझे अंदाजा हुआ कि वह नशे मेरी लडकी का रोल इसलिए नहीं करना चाहती हूँ क्योंकि वह ऍम है । समझ मेरी सहेली बहुत प्यारी भी है और बहुत भोली । वो इतना तक नहीं जानती कि कलाकार का सबसे बडा धर्म उसका काम होता है । और फिर जब तक मैं उसके साथ हूँ । कोई भी उसका नुकसान कैसे कर सकता हूँ । उसके बाद वो लाइने खत्म भी डायरी में आगे के तमाम पन्ने कोरे थे । जूलिया के मन में अजीत संधवान दो चलने लगा । उसने खुद को लाइफ में पहली बार अजीब दोराहे पर खडा है । तभी जूलिया की नजर एक और डायरी पर पडी । वो डायरी दसिया के बिस्तर बरंगी हुई थी जो लेने दौड कर रसिया की डायरी को उठाया तथा उसे भी खोलकर बढा उस दायरे में जगह जगह जूडो कराटे की विभिन्न फायदों का वरना था जूडो कराटे की । मैंने दांवपेच उधारी के अंदर लिखित हैं । इसके अलावा रजिया ने उस दायरे में कुछ नाम है जो भी लिख रखे थे, जिन्हें पढकर जूलिया मुस्कुराये बिना नहीं रह सके । तहरीके सबसे अंत में पर्सनल नोट भी लिखा हुआ था । मैं अपनी सहेली जूलिया से बहुत बहुत प्यार करते हैं । हम दोनों को कस्तूरबा गर्ल्स हॉस्टल के अंदर साथ साथ रहते हुए एक साल से भी ज्यादा समय हो गया । किस हॉस्टल में मुझे अगर किसी से सच्चा प्यार मिला तो मेरी सहली जूलिया निर्जेश्वर से प्रार्थना है कि उसका जीवन को लागू की तरह मैं मेरी भी इच्छा है कि वह महानाद ट्रस्ट बनी और फिल्म इंडस्ट्री की चमक के आकाश पर झाझा हैं । न जाने क्यों वायॅस बनने से हिचकी चाहती है । आज इसीलिए मैं और बेटा हाजी अली की दरगाह पर जा रहे हैं । समय उस दरगाह पर जाकर जो भी मन्नत मांगी जाती वो फलीभूत होती है । हम दोनों वहाँ जाकर मन्नत मांगेंगे की जूलिया एक्ट्रेस बनने के लिए तैयार हो जाए और अपने करियर के शुरू में ही हजार एक का रोल करेंगे । उस तारीख तक की वो राय भी बहुत हुई थी और आगे के तमाम पन्ने को रहे थे । अपनी सहेलियों की उन दोनों डायरियों को पढकर जूलिया बेहद इमोशनल हो थी । उसकी सुंदर आंखों में आंसू झिलमिलाने लगे । अपनी छाती पर जल्दी जल्दी क्रॉस बनाती हुई बोली खुली चीजें तो मुझे सहेली के रूप में सच में दो बहने दी है तो मुझे कितना प्यार करती है तो मेरे सुंदर भविष्य के लिए कैसे कैसे सबके देखो कितनी उम्मीदें संजो रही हम चाहे कुछ भी हो जाए । होली चीज मैं ऍम कर रहा हूँ । नए ग्राहक आर एक लडकी की आर्थिक भी करेंगे । फिर साबित कर दूंगी कि नशा करने वाली लडकी का रोल में भी कितना बढिया कर सकती हूँ । तो सब बोलते बोलते झूले और ज्यादा जज्बाती होती थी । उसकी आंखों से और ज्यादा झंझट आंसू बहने लगे । रीटर सान्याल सचिनदेव रहा और रजिया वो तीनो किसी बात पर बहुत जोर से ठहाका लगाकर हाँ, इस समय वो तीनो कांदिवली क्यूसी बैठी चाल के अंदर मौजूद थे । उनके बीच खुशी में मंगल मोना उसकी के दौर चल रहे थे । जबकि सचिन देवडा तो बीच बीच में सिगरेट के कश भी लगा रहा था । साढे ग्यारह बज चुके थे । बेटा सान्याल ने अपनी वेस्ट मुँह देखे और फिर उसकी का एक तगडा घूम भरा मैं समझाते हैं अब तक उस आगर लडकी ने हम दोनों की डायरियां पढ ली होंगे । बिल्कुल सही कहा तुमने? रजिया भी उत्साहपूर्वक बोली वाकई अब तक उधारियां पड चुकी होगी । हर साल मैं यही बैठे बैठे ये भी बता सकती हूँ कि डायरियां पडने के बाद उस पर क्या प्रतिक्रिया हुई होगी? क्या हुई होगी? सचिन देवरा ने हैरानी से पूछा फॅमिली रो रही होगी । बहुत जोर से ठहाका मारकर उसकी आंखों में आंसू झिलमिला रहे होंगे । हम ऐसा क्यों? तो मैं उस लडकी को पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से जानती हूँ । सचिन फॅार हस्ती हुई बोली हूँ, बहुत जज्बाती लडकी है । अगर उसे जरा सा भी दुःख होता है तो होने लगती है । इसी तरह जरा से खुशी पर भी उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं तो है यानी बेहद इमोशनल की । बिल्कुल हो उन तीनों के बीच पुनः जोरदार ठहाका गूंज का अच्छा एक बात बताओ राॅकी का एक घूट अपने हलक से नीचे उतारा तथा फिर लीटर सान्याल की तरफ देखते हुए बोले फिर पूछूँ । क्या फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बडे शोमैन वाकई कोई ऐसी फिल्म बनाने जिसमें नशीली लडकी का कोई रोल है हूँ? ऍम ऍम बहुत जोर से हंसी तुम मेरी फॅमिली में फंसकर बेवकूफ बन गई डालेंगे । मिस्टर सुभाष चोपडा ऐसी कोई फिल्म नहीं बना रहे जिसके अंदर ड्राॅप जैसे किसी लडकी का रोल हो । वो सारा नाटक मेरी मॉडर्न वाली मास्टरपीस योजना का ही हिस्सा है । और सच्चाई तो यह है कि मैं मिस्टर सुभाष चोपडा को जानती तक में मैंने उनकी फॅर सोशल मीडिया नहीं देखी । ऍम कुछ यानी उस बेचारी रजिया को एकदम सिरे से बेवकूफ बनाया जा रहा है । जाने महंत इस दुनिया में कुछ लोग पैदा इसलिए होते हैं ताकि उन्हें बेवकूफ बनाया जाए । वहाँ फिर हसी का ठहाका गूंज गया । सचिन देवरानी भी हसते हुए सिगरेट का एक लंबा कश लगाया और धोनी की गोल गोल छल्ले बनाकर छत की तरफ उछाला ऍम अब तक भी मेरी एक बात सुनाऊं नेता सान्याल ने इस बार थोडे गंभीर होते हुए श्री बोलो पिछले कई दिन से चाहती थी कि तुम से यह बात करूँ । दरअसल मेरी इच्छा है कि तुम मुझे जूडो कराटे की कुछ एक गाओ से खाता हूँ । जूडो कराटे के दांव ऍम की क्यों तरह से जितना खतरनाक गेम हम लोग खेल रहे हैं उसमें कभी भी लडाई मार धार की जरूरत पड सकती है । इसलिए मेरे वास्ते यही बेहतर रहेगा कि मैं एडवांस में जूडो कराटे के कुछ एक दाव सीखूंगा कि मौका पडते अपने हाथ खुलकर दिखा सकूँ । अगर ये बातें रालिंग फैसला बोली तो में एक दो दिन के अंदर ये तो मैं अपने जुडो कराटे क्लब का परमानेंट मेंबर बनवा दूंगी । कहाँ है तुम सब कुछ सीख जाउंगी? हाँ रीता सानिया के आंखों में एक आई चालाक लोमडी जैसी तेज जमा कौन थी? क्या ये ठीक रहेगा? मैं खुद भी यही चाहती थी कि तुम्हारी क्लब की मेंबर बन जाए । सचमुच रीटर सानिया के दिमाग की था पाना नामुमकिन था । उसने बातों ही बातों में रजिया के विरुद्ध भी एक ऐसा दांव चल दिया था जिसके अभी उस बिचारी रसिया को भी खबर नहीं थी तो उस आदमी का नाम किरपाराम मूलचंदानी था । किरपाराम मूलचंदानी एक सिम भी था और बहुत खुराफाती खोपडी का था । ऐसी ओछी नस्ल का हरामी था मुंबई जैसे शहर में भी उस जैसी क्वालिटी के आदमी । बस एक दो ही और होंगे । जिंदगी में कभी किरपाराम मूलचंदानी, मेहमानों सीधे ढंग से पैसा कमाना सीखा ही नहीं था तो हमेशा उलटे सीधे साडे फिर छह हथकंडों से पैसा कमाता था और उसी में खुश रहता था । किरपाराम की उम्र चालीस बयालीस थी । उसका शरीर मोटे भैसे की तरह थुलथुल था और सारा चेहरा छे छक्के दावों से भरा हुआ था । फॅस एक मामले में किरपाराम मूलचंदानी की किस्मत खूब पेज थी । उसे ऊषा नाम की एक ऐसी भी नहीं मिली थी । मुश्किल से छब्बीस सत्ताईस साल की थी । पहले पनाह खूबसूरत थी । बे पनाह सेक्सी थी और ऊपर से खराबी । पंती में तो फिर सारा मूलचंदानी से भी दस दस आगे थी । सभी ऊषा पारस रोड कि मशहूर कॉल कर थी, लेकिन आज की तारीख में उन दोनों खुराफाती पति पत्नी ने मिलकर बडा अनोखा धंधा चला रखा था । किरपाराम मूलचंदानी पहले मुंबई शहर में कोई मोटे नावे पत्ती वाला बकरा तलाश करता था । फिर ऊषा उस बकरी को अपने प्रेमजाल में भागती थी और तभी किरपाराम एकदम से वहां पहुंचकर ऐसा हंगामा खडा करता था कि बेचारे बकरे के छक्के झूठ जाते और वो अपनी सारी जेब में झाडकर भागने में ही ऐसी भलाई समझता मानो सस्ते में छोटा आजकल उन दोनों खुराफातियों की निगाहें सचिन डेवलॅप थी । दरअसल ये इत्तेफाक की बात है कि वो दोनों कान दिवाली के इलाके में ही रहते थे और सचिन देवडा के बिल्कुल सामने वाली एक दूसरी बैठी चौल में रहते थे । मणि मेरे को तो फॅार आ रही नहीं । किरपाराम मूलचंदानी रात के अंधेरे में खिडकी के सामने खडा खडा अपनी पत्नी ऊषा से बोला वानी पिछले हफ्ते भर से ज्यादा टाइम से हम सामने वाली बैठी चौर पर नजर रखें और हर बार हमें ये लगता है कि वहाँ कोई गहरी साजिश की खिचडी पक रही है की बात तो पक्की है । फिर पारा पूछा बेहद संजीत किसी बोले कि उस बैठी चहल के अंदर कोई न कोई चक्कर तो जरूरी चल रहा है मगर उस चौक के अंदर तीन लोग रहते थे । कुछ दिन पहले वो बूढी औरत मर गए तो सिर्फ दो मेंबर बच्चे बूढी औरत के महीने के बाद से वो लडकी अभियान बहुत कम दिखाई देती है । सिर्फ कभी कबार राहत कोई लौटी एक आदमी अब जो हरदम चौल के अंदर रहता है दिन के उजाले में तो शायद ही कभी बहाने करता कोई जरूरत का सामान लाना अभी मैंने उसे रात के अंधेरे में हाथ जाती देखा । वाणी अभी मैं कह रहा हूँ बुलबुल किरपाराम मूलचंदानी एक एक शब्द जमाकर पूल कि हमारे सामने के घर में कुछ चल रहा है कुछ हो रहा है और हम जैसे खुराफातियों को इसकी भनक तक नहीं मेहनत लगेगी तो कैसे पडे कोई ना कोई आईडिया तो सोचना पडेगा नहीं सिर पर हम मूलचंदानी ने पूरी तरह बेचैन होकर अपने दोनों हाथों की मुख्य खोल बंद की बडी अगर ऐसा तो हो नहीं सकता । बुलबुल की हम बिल्कुल उल्लू के पट्ठे की तरह चुप बैठे रहे हैं और हमारी नाक के सामने कोई तगडी खिचडी पकती हैं । बडी मेरे को तो ये लोग कोई मोटी आसामी लगते हैं जिन्हें अगर हम हलाल करेंगे तो मोटा नवा पत्ता हाथ लगेगा तो मैं तो बस हर दम हरा यारा नजर आता है । कुछ आपने मोटी जैसे दान चमकाते हुए हंसी हाॅट किरदारा मूलचंदानी खून का घूंट पीते हुए झूला बडी अगर ये मेरे को बकरा लग रहे हैं तो ये बकरा है । तुमने पिछले कुछ दिन में एक नई बात और नोटकी क्या बात पिछले दो बार से । अब रात के समय वहाँ कोई नई लडकी भी आने लगी है । ये बात तो है कोई कोई तो जाए कुछ भी है बडी अपन को तो लग रहा है कि अपन की तो आप कोई बडी लॉटरी लगने वाली पूछा फिर से चला । बाहर रात हो चुकी कुशल ने पी साडी उतारकर खूंटी पढाएंगे अब सोचो हूँ वाकई बहुत हो चुकी है । नहीं किरपा मूलचंदानी ने भी थोडी सुस्ती के साथ खिडकी के दोनों पल्ली बंद किया लेकिन रात को भी यही सोच सोच कर दिमाग में टेंशन रहती है । बडी ढंग से नींद भी नहीं आती तो पागल हो गया । फिर पा रहा चलावे उस पैसे को छोड ऍम लगी यानी फॅमिली है । पूछा कुछ से ढंग से मुस्कराएं अभी तो तुमने खाना खाया था तो आज मत कर किरपाराम मूलचंदानी झल्ला था और तेरे को अच्छी तरह मालूम है मेरे को कौन से किस्म की भूख लगी है । बडे बिस्तर पर चल फिर मैंने तेरे इस करारे करारे जस्ट उनको पापड की तरह को डालना आज बडी खतरनाक में लग रहे हो । किरपाराम उषा हस्कर बोली बडी अबे तो मेरा खतरनाक रूप देखा का एम बाल बाल बडी खतरनाक मूड और तू बिस्तर पर देखेगी मी मैंने आज तेरे बॉडी को अच्छी तरह बुद्धे डालना है । किरपाराम मूलचंदानी एकदम गिद्ध की तरह पूछा के ऊपर छपडा तथा फिर उसके लिए लिए धडाम से बिस्तर पर है या कुछ जोर जोर से खिलखिलाकर हस्ती लगी फिर हफ्ते हुए ही वो एक दूसरे से क्या होता है हूँ ।

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Writer

Sound Engineer

Voice Artist

औरत कभी उधार नहीं रखती। मौहब्बत,इज्ज़त,नफ़रत,वफ़ा सब दोगुना करके लौटाती है। ऐसी ही रीटा सान्याल थी। वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही खतरनाक भी। अपनी माँ की तबाह हो चुकी ज़िन्दगी का बदला लेने के लिए उसने अपने दिमाग की बदौलत कई सारे ऐसे मर्डर की प्लानिंग रच डाली कि पोस्टमार्टम तक में साबित न हो पाया कि वह मर्डर है। कानून ने भी उन्हें साधारण मौत समझा। आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने? आपने सोचा भी न होगा कि किसी के मर्डर की इस तरह भी प्लानिंग रची जा सकती है। दिमाग का ज़बरदस्त चक्रव्यूह। यह बेहद शानदार थ्रिलर है, जिसे आप बार-बार सुनना चाहेंगे।
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