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भाग - 5.1 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके चार से नहीं बल्कि उसके कारण से होती है । आखिरकार के लोगों का कर्म वही होता है जो उन्हें एक दूसरे से प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है । प्यार को सिर्फ समझ लेने भर से किसी व्यक्ति को प्यार नहीं हो जाता है । आप जिससे प्यार करते हैं उसके जीवन में आपका क्या बहस होगा इस बात का फैसला आपके कार्यों से होता है । आरंभ में ऐसा हो सकता है उसे आपके चेहरे से, आंखों की मुस्कुराहट से या फिर आप के बात करने के अंदाज से प्यार हो जायेगा । ज्यादातर ये आपके शारीरिक पक्ष से संबंधित होता है । फिर धीरे धीरे आप का सामना सच्चाई से होता है । कर्म अपना काम करने लगता है । यहाँ तो बस उसका ही एक घटक है । ये तो विश्वास चिंता एक दूसरे को समझने का और ऐसे ही कई अन्य चार वस्तुओं का एक मिश्रण होता है तथा इस तरह से करमल अत्यंत विशाल है । ये प्यार से कई गुना बडा होता है । गौरी का कर्म बहुत ही महान था । बहुत ही सुलझा हुआ अच्छा वह मुझ से कई गुना श्रेष्ठ थी । मैं जितनी कल्पना कर सकता था वो उससे भी कई गुना बेहतर थी । तो उसके साथ मेरी शुरुआत कुछ इसी तरह से हुई । विद्यालय की आ सकती से कॉलेज की कक्षक अगर तुम्हें कासाब्लांका का कौन सा हिस्सा सबसे ज्यादा पसंद है, सारा का सारा हूँ । हाँ, ये कुछ ऐसा ही है कि काम मुझसे पूछो की मुझे तुम्हारे के शीर्ष पर सबसे ज्यादा प्यार नजर आता है । और तुम मुझसे प्यार करते हो मेरी । हाँ अच्छे से उसके मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा मुझे तो ऐसा ही लगता है । कभी कभी मुझे यकीन हो जाता है कि तुम्हारे शब्द इतने प्रभावशाली होते हैं कि मुझे यकीन नहीं होता कि तुम शब्दों के साथ बिल्कुल संपन्न हूँ । काश मैं ऐसे बयान करता था । मगर मेरे और तुम्हारे प्यार के सभी घटक और चार तत्व सकारात्मक से हो चुके हैं । शुक्रिया मेरे नहीं हूँ । मैं तुम्हारा आकलन हमेशा याद रखेंगे और मैं तुम्हारे कर्म और तुम्हारी शुद्धता को हमेशा याद रखूंगा । कासाब्लांका ने मुझ पर कुछ ऐसा ही चाहते प्रभाव डाल दिया था । मुझे यकीन था कि यह एक शापित प्रेम है । मगर फिर भी ये मेरे मस्तिष्क पर छा गया था । तो जानते हो तो भारी आवाज कैसी लग रही है? एक ऐसा आदमी जो खुद को उस चीज के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है जिस पर उसका तेल भरोसा नहीं कर पा रहा है । हे भगवान! तो मैं तो सारे पंक्तिया पूरी तरह से याद है । जब बात और तो की हो रही हो तो मैं एक सच्चे लोकतांत्रिक हूँ । गौरी मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि तुम्हें सब कुछ याद है । युद्ध में एक बार फिर तुम्हारा स्वागत है । इस बार मुझे यकीन है कि जीत हमारी ही होगी । तो मैं भी याद है नहीं । एक वास्तविक खेल के बारे में क्या विचार है? मेरी पंथियों से प्रेरित होकर गौरी भी खेल खेलने के लिए लालायित हो गई थी तो खेल जिसके बारे में मैंने पहले कुछ भी नहीं सुना था । इसका नाम ओ भी का खेल था । मूलरूप से वस्तुओं और भावनाओं से उत तुम्हारे इस खेल में दस वस्तुएं होती हैं । हम दोनों इनका चुनाव एक के बाद एक करते हैं । इसके बाद आपको अपने प्रतिद्वंदी को इशारों में ये समझाना होता है कि उस वस्तु का मतलब क्या है? उसका मतलब कुछ भी हो सकता है, ये आप पर निर्भर करता है और ये तब तक करता है जब तक आप अपने प्रतिद्वंदी को ये ना समझा सके कि आखिर उसका मतलब क्या है? हाँ, आपके इशारे अर्थपूर्ण होने चाहिए और उन्हें इशारों से आपको भावना जागृत करनी होती है । ये भावना प्रेम हो सकता है । नफरत हो सकती है । भय, उदासी, हास या फिर कुछ और भी । शुरुआत में ये काफी मुश्किल लग रहा था । गौरी ने पहले आपने दस वस्तुओं का चुनाव करने का फैसला किया । मैंने ये मान लिया कि ये वस्तुएं अनियमित होंगी । वो पहले वस्तु चुनना चाहती थी ताकि मुझे खेल को समझने में मदद मिल सके । देखो जो भी मैच उन होंगी वो मेरी वस्तु होगी । चुनते वक्त मैं इस टोकरी में नहीं देख सकती है इसलिए मुझे मेरी आंखें बंद रखनी होंगी । मैं उस वस्तु को महसूस नहीं कर सकते हैं तो मैं इस टोकरी को घुमा तो और फिर जिस वस्तु पर मैं सबसे पहले हाथ होंगी वो वस्तु में हो जाएगी और फिर मैं तुमसे कुछ भी करने को कह सकूंगी और इससे धीरे धीरे तो में ये खेल समझा जाएगा । जो भी जीतेगा वो अपने प्रतिद्वंदी से कुछ भी मान सकता है । कुछ भी क्या अब तो मुझे डरा रही हूँ । रुको ना ये मजेदार है । अच्छा तो शुरू करते हैं तो तुमने घुमा लिया । हाँ गौरी अब उठाऊँ क्या मिला मुझे ये तो बहुत ज्यादा आसान है चॉकलेट की एक पट्टी उसने उसे बाहर खींचा । फिर वो रसोई में गए और उसे थोडा गर्म किया । उसने एक टुकडा खाया, अपने वोटों पर फैलाया और एक दम पीछे हट गई । फिर वो नाचने लगी और मैं दिल की एक गाना गाया । वो चॉकलेट वाला गाना कुछ खास है । हम सभी में कुछ बात है । हम सभी में बात है । कुछ खास कुछ स्वाद है क्या? साथ है जिंदगी में फिर मेरे नजदीक आई और मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया । मुझे प्रेम की अनुभूति हुए तो नहीं बना हूँ उन्हें क्या महसूस किया? मैंने प्यार नहीं देखा । मैंने कहा था ना, ये बहुत आसान है । अब तुम खाने जा रहे हैं । हमने इस खेल का पूरा आनंद लिया । अभी तक तो गौरी जीत ही रही थी क्योंकि मुझे पता तो था नहीं क्योंकि मुझे तो पता नहीं था कि चिप्स के साथ खाने के अलावा और क्या करना चाहिए । आखिरी वस्तु बिस्किट का एक पैकेट था । वो खेल को वस्तु तक खेलने लगी थी तो कहीं जाकर छुप कहीं । मैं उसे ढूंढ नहीं पा रहा था । वो तो पहले ही जीत चुकी थी । एक बहुत बडे अंतर से पांच दो से । मगर अब मैं भी हो रहा था । पंद्रह मिनट से भी ज्यादा हो चुके थे । मैं गौरी को नहीं धूम पाया । कहाँ हूँ मैं तुम्हें ढूंढ नहीं पा रहा हूँ । मुझे पता है तुम कहीं कहीं हो बस करो । गौरी मुझे और मंटा रहा हूँ । वो बिलकुल मेरे पीछे से पूछ कर मेरे सामने आ गए । मुझे यकीन नहीं हुआ कि वह मेरे इतने नजदीक थी और फिर भी मैं उसे ढूँढ नहीं पाया । पहले मुझे डर लग रहा था और आपने उससे कुछ नाराज हो गए । मैं खुद को रोकना चाह रहा था मगर मैं ऐसा नहीं कर पाया । ये आखिरी बार है तो दोबारा कभी ऐसा मत करता हूँ । बस भी करो । तुम इतना गंभीर हो रही हूँ तो बस खेल है था तुम्हारे लिए । मगर मैं दिल के नहीं क्या नाम चुनाव बातें कर रहे हो । लुका छुपी तो बहुत पुराना खेले । जो बच्चे खेलते हैं तो इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो तो शायद मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए । ठीक है मुझे माफ कर वो छुट हो गयी । वो दूसरी ओर देख रही थी । मैं सोफे पर बैठा हुआ था । वहाँ एक दम सन्नाटा छा गया । ऐसा सन्नाटा जो अगर थोडी देर और रुक जाए तो आपकी चंद ले लें । इसीलिए मैंने पहला कदम उठाया और पीछे से आकर उसे अपनी बाहों में भर लिया । मुझे धनहीन आपको सुनाई दे रहे थे । मैंने उसे अपनी और घुमाया तो तुम छोटी हूँ हो क्यों रही हूँ की इतनी बडी कोई बात तो नहीं थी । वो चुप ही रही । फिर एक पल रुककर उसने धीरे से कुछ कहा । मुझे बस तो था उसके चेहरे कि नजदीक जाना पडा ताकि मैं उसकी बात सुनता हूँ । बहुत मस्ती मुझे माफ कर उसने हस्ते और रोते हुए कहा एक जोडी के तौर पर गई हमारे बीच की बर्फ पिघलने वाला पहला मौका था । ये खेल का हिस्सा नहीं था । मगर सभी भाव एक साथ घट पडेंगे तो वही क्या मैं ये मान लूँ कि अब हम बराबरी पर हैं इस खेल में मैंने तो मैं छुपाया, फसाया लाया, दुखी किया और फिर बाकी सब जरूरी चीजें जिनके बारे में तुमने बताया था अब छुट हो जाओ । मैं तो बहुत पहले चीज चुकी थी । ठीक है तो हम जीत गई । शुक्रिया । अब मैं तुमसे अपनी इच्छा से कुछ भी मांग होंगे मगर वक्त आने पर तुम कुछ भी मान सकती हूँ । मजेदार बात यह है कि मेरे अनुसार अभी तक के मेरे जीवन के अनुभव से प्रेम और किसी व्यक्ति के जीवन में प्रेम के दस पहलु होते हैं । इसको और भी आसानी से समझने के लिए हम इन्हें चरण कहेंगे । हालांकि ये किसी निर्धारित काम में तो नहीं है मगर ये जरूरी स्थानों पर दर्शाए गए पहला चरण, पहली नजर का प्यार, दूसरा चरण, किसी संबंध के लिए प्रस्ताव रखना यहाँ हम अस्वीकृति की बात नहीं कर रहे हैं । तीसरा चरण एक साथ जीवन का सिंह भोजन करना चौथा चाहता हूँ सिनेमा घूमना, खाना, बातें देर रात पाते सुबह सुबह बातें ट्वेंटी फोर इन टू सेवन बातें ये सर्वश्रेष्ठ चरण होता है । हालांकि ये परीक्षा भी हो सकता है । इस चरण में सभी भाव और मनोभाव सामने आ जाते हैं । आप इससे प्यार करने लगते हैं और लोग चाहते हैं कि प्रेमी जोडों की दुनिया इसी चरण पर रूप चाहे बेवकूफी भरी चीजे तो इसके बाद आती हैं प्रतिबद्धता साथ रहने या शादी करने का प्रस्ताव । पांचवां चरण अभिभावक वाले कुल छठा चरण झगडे, प्यार छकडे, प्यार मूल्य कर्नाटक सातवां चरण संबंध विच्छेद यहाँ शादी आठवां चरण है । विवाह पश्चात संबंध विच्छेद या जीवन का खुशी या दुख के साथ आगे बडता रहता है । जीवन आगे बढता रहता है । नाम आचरण है । बच्चे और भी बच्चे या फिर दोबारा शादी और पहले से सातवें चरण की पुनरावृत्ति या फिर आठ पाँच रन और दसवां चरण है । ये पहले और दूसरे चरण के बीच में कुछ भी हो सकता है या फिर पहले चरण से भी जब आप एकल होते हैं शायद ही कभी क्योंकि इंसान सीखते नहीं है और जीवन उन्हें सिखाता रहता है । इस चरण को अंत में रखने के पीछे मेरा कारण ये है कि आप इसे लचीला बना सके और इसमें अपनी सुविधानुसार कुछ भी चोट या घटा सकें । एक बार जिसके लिए मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ वो ये है कि आपका जीवन एक से अधिक चरणों में आपके सामने प्रकट होगा । रोमांचक है ना? बीस के उम्र में अगर ऐसे अनुमान लगा रहा हूँ तो आपको मेरी थोडी सी दाद तो देनी पडेगी । जब मैं चालीस का हो जाऊंगा तो हो सकता है कि मैं पीछे मुडकर देखो और अपने इस आकलन पर खूब हंसू । किसे पता आगे क्या होने वाला है । खैर मैं वर्तमानकाल में जीवन का आनंद ले रहा था । हाँ, मैं इन सब के योग्य हो क्योंकि तुम किसी और चीज से ज्यादा मेरे योग्य हूँ । उसके एक बडी सी मुस्कान के साथ मुझसे कहा शाम हो चुकी थी । हम ऍम और तीसरी का इंतजार कर रहे थे । सभी तैयारियां हो चुकी थी । ये मकान अब घर अधिक लग रहा था । ये घर मुस्कुरा रहा था और उन्हें इंसानों की खूबसूरती को महसूस कर रहा था क्योंकि अब इसका हिस्सा थे । ये सब बहुत खूबसूरत था । उस छोटे से झगडे और मान मनौव्वल के बाद यही और भी खूबसूरत लग रहा था जब मैंने उसे उस खेल में वापस पा लिया था । उसके बाद और भी ज्यादा खूबसूरत उससे हार जाने के बाद और भी खूबसूरत मुझे उस से किसी भी खेल में लाखों बार हार जाने का कोई भी काम नहीं था । वो प्राकृतिक था, मेरी विचारों की कडी से चल रहा था । नहीं खेल तो पूरी तरह मेरे हैं । पैसे चलता था इसलिए तो ये स्वाभाविक था । मुझे क्षमा करें । नील तो याद है । मैंने कहा था कि मैं वहाँ तक चलूंगी जहाँ तक तुम चलो की हाँ मुझे आरकाॅम थोडा सा परिवर्तन है । मैं हमेशा तो तुम्हारे साथ चलेंगे । मैंने गौरी को गले लगा लिया । मैंने उसे अपने और नजदीक खींच लिया और धीरे से उसके कानों में फुसफुसाकर कहा मैं वहाँ तक चलूंगा । गौरी जहाँ तक तुम चलो की मुझे आभास हो गया था कि वह थोडा सही नहीं क्योंकि उसने फौरन लकडी पर अपना हाथ लगाया । सचमुच प्रेम का रिसाव शुरू हो चुका था । ऐसा नहीं था कि मैंने गौरी को गले लगाने से आगे बढने के बारे में नहीं सोचा था । ऐसा मैंने कुछ पार्टियां, हर बार जब गौरी के साथ अंतरंग होने का विचार मेरे मन में आता, मैंने उस विचार को अस्वीकार कर दिया । ये अच्छी तो था मगर मैंने हर बार ऐसा ही किया । मुझे लगा कि इस समय जब हम अपने संबंध के इतने शुरुआती दौर में हैं, यदि मैंने ऐसा कोई कदम उठाया तो ये हमारे रिश्ते को चोट पहुंचा सकता है । मैंने बस ऐसा ही सोचा । अब जब कौरी मुझ पर भरोसा करने लगी थी तो मेरे लिए यह और भी जरूरी हो गया था कि मैं इस रिश्ते को फल लें और परिपक्व होने का समय मैं इसी पद पर आगे बढ रहा था । ऐसा करके मैं खुश था । मैंने ये बात गौरी को नहीं बताई । मैंने इसे अपने अंदर ही छुपाकर रख दिया ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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