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भाग - 5.3 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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पांच दिन गुजर गए । हमारी बातों और कैंटीन में मिलने का सिलसिला चलता रहा अन्य कई प्रेमी चोलो के बीच । मगर मेरे लिए ये अभी तक कोई प्रेम कहानी नहीं थी ये तो तय था । हालांकि ये एक खूबसूरत रूप ले रहा था । मैं भी नई शुरुआत का छठ आते ही घंटे बच्ची ऍम के लिए अलग दिन तो लगा रहे हैं वो एयर सप्लाई का दाना लास्ट दिन लग था वास्तव में ये मेरी कॉलर ट्यून भी थी और उसके लिए लगाई गई रिंगटोन भी थी । इसका मतलब मैं और गौरी दोनों एक ही गाना सुन रहे थे । मेरे नए साथी से संपर्क स्थापित करने का ये मेरा नया तरीका था । संगीत हमें छोड था जैसे कि ये आत्माओं को जोडता था । नाटकीय कमोबेश एक तीस साल के लडके से आप और क्या उम्मीद कर सकते हैं उदास और फिर से अपनाया गया ऍम शनिवार को तुम्हें जगाने के लिए माफ करना नहीं नहीं ये काम तो सूरज बहुत पहले कर चुका है आजकल चमकदार वस्तुओं से जानना मैं देख के सामान्य बात है तो तुम्हारा मतलब है कि मैं समझता हूँ तुम उससे भी ज्यादा चाहता हूँ मुझे बचाने के लिए ईश्वर का एक करिश्मा क्या? मैंने तो अब सात और संबंध विच्छेद के पंजों से बुक करा दिया । उस से भी बहुत ज्यादा सही कहा तो आज का क्या कार्यक्रम है तो यहाँ आना चाहोगी । दरवाजा तो खोलो उसके चाहता हूँ । मैं उछल पडा और उडते हुए दरवाजे की कम देखता हूँ वो वाकई में सूरत से भी जाना चमकना लग रही थी । मुझे खुश करने के इंतजार में । अंदर खाने के दो मिनट के पास ही घर के अंदर की दुनिया बदल चुकी थी । बिखरे हुये कपडे अलमारी के अन्दर खुसी ले जा चुके थे । जूतों की दिशा पतली और वे पालन के किनारे रखी मेज के नीचे पहुंच गए जूतों की । मैं इसका इस्तेमाल शराब के खाली बोतलों और बेची रिच दुकान से लाए गए आयाति पोत्रो के लिए किया जाता था । उस से मुझे याद आया कि मेरी यात्रा सूची में मनाली गांव छोडना था । कितना सुना था उसके बारे में? भारत का ऍम मुझे दरवाजे की घंटी की हल्की आवाज सुनाई दे रही थी । मैं भी कल्पना में था । अब मैं पूरी तरह की दुनिया में वापस आ चुका था । मैंने खुद को झट छोरा और हर बढाते हुए दरवाजे की ओर पढा मालूम पहले ही बहुत तेज कर चुका था । लगता है मैं गलत वक्त भरा गई । हाँ, जैसे तुमने मुझे लगा दिया । मैंने उसकी ओर देखा और वह बिल्कुल वैसे ही देख रही थी जैसा मैं सोच रहा था । वो बहुत चमक रही थीं । तो आखिर तुम्हारे होठों पर आई गया टाॅप ये तो बात रखने की कला है । मैं तो भरा ही इंतजार कर रहा था । इसलिए दरवाजा खोलने के लिए तो मैं आधा घंटा लगता है । है ना लानत है सहमति । क्या मतलब हूँ तुम ने अपना घर तो बहुत अच्छे से सजाकर रखा हुआ है । एक का विवाहित व्यक्ति से ऐसी उम्मीद नहीं रहती है या कोई और भी रहती है । तुम्हारे साथ क्या बकवास है? ही करना व्यंग्य विमान समझे । मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कितनी जल्दी गौरी के साथ कितना सहज हो चुका था । मेरा मन जो लगता था कि बिलकुल ध्वस्त हो चुका है । एक बार फिर सामान्य होने लगा था । अच्छा तो मैं सोच रहा था । हमारे व्यंग्य और कटाक्ष के मिलन के आधार पर हमें हिमाचल की यात्रा का कार्यक्रम बनाना चाहिए । साफ साफ बताओ मनाली सुना है कि वह भारत का एम्स्टर्डम है तो मैं पता है मेरी सबसे अच्छी दोस्त के मामा वही रहते हैं । मनाली में मनाली में तो नहीं पर शिमला में इतिश्री हाँ थी । इतिश्री हाँ आई थी । जोरदार बारिश शुरू हो गई थी । इन मौकों पर बारिश होना बहुत जरूरी है वरना हमारी छोटी छोटी दुनिया का निर्माण कैसे होगा? इसके बाद मैं जिस चीज के बारे में सोच पा रहा था वो था मेरी खिडकी के बाहर निकलने वाला इंद्रधनुष, हवा को फैलाने वाली बूंदें और खिडकी पर थपकी देने वाली बारिश आपको अपने पास बुला रही थी । पत्ते हवाओं से झगड रहे थे, टहनियाँ इंद्रधनुष और बारिश के बीच में गिर रही थी । ये सब किसी क्षेत्र माला की तरह था । और जो चीज इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी वो ये सूरज की किरणें कांच की तरह बारिश के गुंडों के बीच में से झांक रही थी । खाॅन सब से भी ज्यादा जो चीज खूबसूरत बना रही थी वो था साथ में खाना साथ थी तो मैं पता है आज रात में तूफान के साथ तेज बारिश होने वाली है तो हमारी योजना का क्या होगा? सप्ताह तो कल घटना हो रहा है और कल बहुत ही चमकीला दिन होने वाला है । हम कल जा सकते हैं । ठीक है तो फिर मुझे शाम में कौन से बात करने तो जरूर मैं किसी को भी साथ ले आउंगी । छठे दिन हम एक साथ है और मैं इससे बहुत प्रेम कर रही हूँ । उसे सब कुछ याद था और वो बिल्कुल सटीक की थी । मेरे मन में खयाल आया हूँ । मैं अभी से बहुत पसंद कर रहा हूँ और मैंने अपने नए होने वाले प्यार को ध्यान से देखने के बाद कहा । बेहतरीन मित्रों के साथ ही खूबसूरत योजना हमारे शादी बाद का पटाक्षेप करने वाली थी । ये महीने का दूसरा शनिवार था और हमारे कॉलेज में छुट्टी थी । ये अभी तक एक हफ्ते की ही बात थी । मगर गौरी इसे जीवन भर के लिए चाहती थी । जब की मैं अभी भी उसके साथ कदम मिलाने की कोशिश कर रहा था । काश ये सब उम्र भर ऐसा ही रहे । मैंने प्यार किया । मैं तब तक ऐसे ही रहूंगी जब तक पहुंचा हो । वो मुस्कुराई । मौसम लोगों को करीब ले आता है । मैंने आप खास किया । ठीक उसी पल मुझे याद आया कि कैसे उस बारिश में आर्या के साथ भी सब कुछ बिल्कुल ठीक था । मगर उसने मुझे छोड दिया । मैं पिछली बातों के बोझ दलित अपना नहीं चाहता था । मगर अभी ये सुविधा मेरे पास नहीं थी । उसे बुलाने में मुझे कुछ वक्ता और लगेगा । मुझे मालूम था कि गौरी अपना सर्वस्व देने को तैयार थी । मगर मैं अपने अंदर के बहुत सारे है । उसके साथ बता नहीं चाहता था । खो देने का इस्तेमाल किए जाने का अनजान के साथ साथ सब कुछ करना है । मेरी परिस्थिति में होना आसान नहीं था । मैं अपने लिए चिंतित नहीं लगता है । तुम कहीं हूँ । मैं दो बार तुम्हें काफी दे चुकी हूँ । तुम ठीक तो हूँ, उसको माफ करना । हाँ हाँ, मैं ठीक हूँ । बस अपनी माँ के बारे में सोच रहा था । मुझे तो उनकी याद विद्यालय के दिनों की है । लगता है तो मेरे बारे में सब कुछ जानती हूँ । धीरे धीरे तो मैं सब पता चल जाएगा । मेरे नहीं । ये बहुत ही सुकून देने वाला वाकया था । आपने पन से भरा और किसी प्रेमपत्र जैसा उसने मुझे अपना कहा था । मेरा तेल जोर जोर से धडकने लगा था । मैं पीस बीच में उसके चेहरे के भाव पड रहा था । ये मुझे हमेशा से ही पसंद था । इससे मुझे उसे ऍम देखते रहने का मौका मिलता था । वो सोफे पर मेरी बगल में आकर बैठ नहीं । कॉफी एक बार ठंडी हो चुकी थी । मुझे तो पता नहीं चला मगर गौरी को पता चल गया करें । क्या तुम हमेशा ऐसे ही रहती हूँ? मेरा मतलब है विचारशील और मान नहीं आता । हाँ, यदि कई बार कॉफी बनाना मुझे रोमानी बनाता है तो फिर मैं इसमें बहुत निपुण हूँ । लानत है मैं मन ही मन हस रहा था । मुझे लगा मालू मैं समुद्र के किनारे पर बैठा हुआ था । वे कहाँ से लहरें और उनकी कल करूं? फनी किसी सपने की तरह थी । चंद्रमा की शांति और जमते हुए सितारें इस कल्पना में चार चांद लगा रहे थे । ये बारिश का असर नहीं ये कौन का था? मैं इतना प्रेम और एक है । एक महसूस करने लगा था कि मैंने कुछ पंक्तियां लिखीं और फौरन ही उन्हें कौरी को सुना दिया । गुलाब कांटों के बीच में रहता हूँ और उन्हें कल ही लगता है । फिर भी उसके मान और चरित्र पर कोई ताकत नहीं आता है । हम दोनों का वर्ष और तुम्हारे प्यार का वशीकरण इसमें भी उतनी ही गरिमा मानो गुलाब और कांटों का हूँ । उसकी प्रतिक्रिया अप्रत्याशित थी । मेरे खत्म करने से पहले ही उसके आंसू उसके गालों से बहने लगे थे । वो मेरे ऊपर कोतवाली और मुझे कसकर करने लगा । लग गया । इसके पहले की मैं कुछ कहता उसने अपनी उंगली मेरे होठों पर रखती है और मुझे चुप रहने का इशारा किया । अगर मैं अभी इसी पल तुम से कुछ मांगू तो तुम मना तो नहीं कर हो गई । उससे पूछा मुझसे कुछ भी मामलों मैं तुम्हारा आभारी रहूंगा । मुझे बहुत खुशी होगी अगर तुम अपने घर में मुझे थोडी सी जगह देख सकूँ । उसके झुकते हुए मुझसे कहा एक साथ रहता हूँ तुम आश्वस् तत्वों हाँ मैं सोचना चाहती हूँ की मैं ध्यान करूँ सिल्की मांगता हूँ क्या भी थोडी जल्दबाजी नहीं हो जाएगी । मैं अभी तक दिल तोड देने वाली पिछली घटना से पूरी तरह ऊपर नहीं पाया था और मुझे ये सब थोडा जल्दी लग रहा था । इसलिए मैंने पुष्टि करने के लिए पूछा सात वर्ष और छह दिन नहीं मैं तुमसे अपने जन्मदिन से प्यार करती हूँ । अब बताऊँ क्या? ये बहुत चलती है तो ये तो बहुत ज्यादा वक्त होता है । मतलब तुमने सोच लिया है तुम सोच रहे हो या हामी भर रहे हो । आंखों में चमक लिए उससे पूछा मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गया हूँ और इस विषय को मैं अपने विश्वास के सिवाए और कुछ नहीं देना चाहता हूँ । एक अकल्पनीय भाव से मैंने कहा वो मेरे पास आई और अपने होठों को लगभग मेरे कानों के अंदर ले जाकर मुझसे कहा शुक्रिया मैंने नहीं ये किसी भी तरह जोशना पता नहीं था । ये नहीं आती थी । जितनी बार तो कुछ कहती मेरे दिल की धडकन रूप से जाती थी । बाहर हो रही बारिश की आवाज मुझे बिलकुल भी सुनाई देखते रही थी । अब समुद्र में खामोसी थी । इस पल मैं सुरक्षित नहीं था । नहीं मेरे मन में उसे खो देने का भय था । बल्कि प्यार में भरोसा और मजबूत हो गया था । इस पर मिली यदि में मेरा भरोसा पूरी तरह कायम हो चुका था । गौरी को अपनी सहज ज्ञान पर किसी भी दूसरी चीज से ज्यादा भरोसा था । यही कारण था कि हम दोनों के विषय में वो पूरी तरह आश्वस्त थी । उसने अपना सामान पहले ही पांच रखा था । वो उसकी गाडी में था । उसे तो बस मेरे हाथ में चाबी देने की तेज थी । पहले मुझे कुछ समझ में नहीं आया । ज्यादा कुछ नहीं है । बस दो बसते हैं और एक बडा सा सुनते हैं । बाकी सब इतनी संभालने की क्या तो मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रही है । तो मतलब नहीं भी सामान के साथ यहाँ जो हाँ, मुझे पता है कि मेरी गाडी यहाँ खाली करने में समस्या है क्योंकि तुम्हारे पास एक ही खाली खाली करने की जगह है । मगर चिंता मत करूँ इतनी मेरी काली ले जाएगी है तो हमारे पास दो रूम है तो मुझे आप रहने में कोई समस्या नहीं होगी । वो बिना रुके एक ही सांस नहीं सब बोल गई । गौरी के साथ मेरी जिंदगी ऐसा ही स्वरूप ले रही थी । ये अजीब भी था और एक सकारात्मक जोखिम से भरा हुआ नहीं । मैं हर क्रिया कलाप ने उसका साथ दे रहा था । वो मुझ से कुछ भी करने को कह नहीं रही थी । है ये सब मैं बडी सहजता से और अपनी मासी और खुशी से कर रहा था । सुनो तुम कोई खेल खेलना पसंद कर हो गई तो हमारा मतलब शतरंज का खेल हाँ नहीं साधारण चीजें मैं तो मैं समझाती हूँ । ये बहुत मजेदार है । जब तक मैं ऐसा करती हूँ कि हम थोडा सा संगीत बचा ले । नहीं पहले मुझे ये टीवी बंद करने तो जरूर मैं कोई संगीत बजाता हूँ और क्या फिर हम शाम में कोई मूवी देखने जायेंगे? मैं गौरी की बात सुन नहीं पाया क्योंकि मैं उसका सामान लाने के लिए नीचे उतर चुका था । उसके सामान का अधिकांश हिस्सा किताबों सिनेमा से भरा हुआ था बल्कि सफेद चादर में लिपटे उसके सामानों में इन्ही चीजों की भरमार थी । मुझे देखकर चौकीदार भी मुस्कुरा रहे थे । जैसे कि वे हमेशा करते थे जब उन्हें पता चलता कि किसी जवान लडके को कोई नई प्रेमिका मिल गई है और वो उसके साथ रहने आ रही है । भगवान का शुक्र है कि पुणे इन सब मामलों में खुले विचारों वाला शहर था । यदि ये सब गुवाहाटी में हो रहा होता तो सब लोग मिलकर शाही अंदाज में मेरी ठुकाई कर रहे होते हैं । अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों में शायद मैं ही एकमात्र व्यक्ति था जो ये काम दोबारा करने की हिम्मत करता हूँ । हालांकि अपने परिवार चलों के बारे में मुझे यकीन था कि बहुत सारे लोगों ने ये करने की कोशिश की होगी या छुप छुपकर ऐसा कर भी रहे होंगे । मगर किसी ने अभी तक मुझे तो नहीं बताया था । मेरे बडे भाई बहनों ने भी नहीं । जो मुझसे छोटे थे वे तो अभी तक विद्यालयों में ही पढ रहे थे । छह । वे अभी भी वी मोहन के उस दौर से गुजर रहे थे जैसा कि गौरी एक लंबे समय तक थी । मेरे जीवन में कई कहानियां बोर हो रही थी । पुणे में मेरे जीवन की कहानियाँ और बचपन से मुझ पर आ सकता व्यक्ति के साथ रहने की कहानियां आ सकता क्योंकि वह मुझ पर आ सकता है । मैं सही जा रहा था अपने घर को व्यवस्थित देखकर मुझे आश्यर्यजनक खुशी हूँ ये पहले कभी भी ऐसा नहीं था । मैंने देखा कि मेरे जुडते उतने पुराने नहीं जितना कि वे देखते थे । अब फ्री इसको भी बदलने की जरूरत नहीं थी और ये सब कुछ बस पंद्रह मिनट में हुआ था । क्या तुम कोई जादूगर हूँ? हाँ उस टीवी कार्यक्रम से बहुत ज्यादा ही प्रभावित तो मैं याद है क्या नाम था उसका धक तेरे की कैसे भूल गई? मैं अच्छा खैर जाने दो और वैसे भी मैं मैं तो ये काम तब से वो बुक कर कर रही थी जब से मैं यहाँ हूँ । लगता है तुम्हारा ध्यान अभी क्या है? बिल्कुल सही क्योंकि मैं तो तुम्हें देखने में व्यस्त था । सुनो उम्मीद है तो मेरे साथ मजाक नहीं कर रहे हो । अगर कर भी रहा हूँ तब भी मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ । इसलिए तो मैं तुमसे प्यार करते हो । नहीं अच्छा सुनो आज दोपहर में हम कासाब्लांका मोवी देखे क्या एक बेहतरीन शाम स्वस्थ विचार है । थोडी बहुत ही प्यारे हो । बातों ही बातों में उसके घर में पडी हर चीज के लिए एक स्थान सुनिश्चित कर दिया । कौन सी चीज कहाँ जाएगी सब उसके नियंत्रन में था । मेरा कमरा भी । उसने अपने कमरे के बाद मेरा कमरा ठीक किया तो अच्छा जे अ स्नानागार और किचन के साथ भी वही हुआ । कुछ ही पलों में पूरा घर व्यवस्थित हो चुका था । मैं आश्चर्यचकित था । मैं अचंभित था । मैं यही सोच कर हैरान था की उसके अंदर कितनी ऊर्जा भरी हुई है । वो कितनी शानदार इंसान थी । मैं तो सपने में भी इतना सब कुछ करने की सोच ही नहीं सकता था ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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