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भाग - 03 in Hindi

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AuthorMixing Emotions
सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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एक सामान्य प्रक्रिया है । जब भी आप के साथ कोई बुरी घटना होती है तब आप पहले तो अकेले होते हैं । फिर आपके आस पास कई सारे लोग होते हैं और फिर जब चले जाते हैं तब आप और पहले से भी ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं । ये एक प्रकार का शून्य है जिसका निर्माण होता है । फिर एक समय आता है जब आप हो जाते हैं । यही वह समय है जब आपके अंदर पागल बनाने लगता है । आपके ऊपर नकारात्मक हूँ, अति यथार्थवादी हावी हो जाता है । आप उन घटनाओं को बार बार याद करने लगते हैं जो आपके साथ घटी है । मैं आपको बच्चो करती है । मैं उस चीज को समझने लगा था जो मेरे साथ हुई थी । पिछले चौबीस घंटों की निचोड देने वाली परीक्षा ने मेरी इन्द्रियों को पूरी तरह से कपडे पहना दिया था । मेरी आंखों में खून उतर आया था । मैं उनकी जलन महसूस कर रहा था । मैं थोडा शांत होना चाहता था । मैं थोडा आराम करना चाहता हूँ । मैं तब तक आराम करना चाह रहा था जब तक मुझे दिन आ जाए तब तक नहीं हो सकता था । जब तक मैंने विचार मेरे चाकलेट अमन को डराना बंद नहीं करते । अभी लगभग एक महीना पहले ही मैं गौरी से कॉलेज के पुस्तकालय में दफनाया । ये कोई फिल्मी फंतासी नहीं थी क्योंकि फिल्मों में किताबें हाथ से छूटकर नीचे गिर जाती है । अधिकांश तक वो लडकी ही होती है जिनके हाथों में किताबे होती है । लडका नीचे झुककर उन्हें खाता है । ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था । वो मैं एक दूसरे को पहले से जानते थे । उसके बारे में मेरी जानकारी बहुत कम और थी जबकि उसके लिए ये बिल्कुल अलग था । हमारे विद्यालय के दिनों से ही वो मुझे पसंद करती थी । तो जैसे ही मैं उससे टकराया उस ने मेरा हाथ थाम लिया । मैं अभी अपनी अलगाव से ही उभर रहा था कि उसने अपनी पकडता मजबूत करें । मैं मुस्कुराया हूँ । उसने मुझे गले लगाया और मेरे कानों में थोडे से कहा जो मैं समझ नहीं पाया माफ करना ही । मगर अभी तुमने जो मेरे कानों में कहा है मुझे कुछ समझ नहीं आया । कुछ प्रेम का हानियाँ बहुत से शुरू होती हैं । अक्सर लडके किसी लडकी की वो मुहित हो जाते हैं मगर कभी कभी इसका उल्टा होता है । वे भी प्रेम का खानियां ही होती हैं तथा कथित एक था प्रेम कहानियां अक्सर इसका इजहार नहीं हो पाता । जहाँ तक प्रेम का सवाल है, वो तो बहुत ही को बस स्थिति नहीं, खाली भूत हो पाता है । ये एक जानलेवा आकर्षण भी हो सकता है या फिर इन सबके विपरीत ये एक तो तरफा प्यार भी हो सकता है । गौरी के मन में मेरे प्रति जो आकर्षण था, कॉलेज के अधिकांश कनिष्ट उससे अवगत थे । यह आकर्षण इतना कह रहा था कि गौरी ने विद्यालय से निकलने के बाद आपने खूबसूरत शहर वो गुवाहाटी को मेरे लिए छोड दिया था । वो उसने मेरे कॉलेज में दाखिला लेने का निश्चय कर लिया था । जहाँ मैं बेटे की पढाई कर रहा था, वो माइक्रोबायलोजी पढ रही थी । विश्व का विज्ञान अभी भी हम दोनों के बीच सामान था । जब मैं उससे टकराया तो मेरे दिल के एक महज संजोग था । हर ईमानदारी से देखे तो हम दोनों की प्रतिक्रिया से तो ऐसा ही लगा या फिर मैंने ध्यान नहीं दिया । शायद उसने मुझे इस पर ध्यान देने का मौका ही नहीं दिया । ये उस अति उत्साही आर्या से अलग होने के दस दिन बाद की बात थी । गौरी ने सटीक शब्दों के प्रयोग का ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया । वो सब जिनके आगे मैं निकल गया था मैं समझ सकती हूँ । इस वक्त तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही है? पहले तो मैं हैरान रह गया । उसे कैसे पता कि मेरे ऊपर क्या बीत रही है और उससे भी ज्यादा उसने मुझे हेलो तक नहीं हूँ । अखिल क्यों वो सीधे मेरे दिल की गहराई में छुपे खाओ को खुद देख रही थी । आखिर क्यों वो मुझे एक वरित बाल हम देना चाह रही थी । हो सकता है उसने मुझसे हेलो का और मैं सुन नहीं पाया या फिर वो बहुत ऊंची आवाज में न बोल पाई हूँ और घबराहट में उसे इस चीज का एहसास हुआ हूँ । थोडी देर बाद मैंने देखा उसके ताल गुलाबी हो रहे थे । बस ये वो क्षण था । अब वो भी थोडी सतर को हो गई और उस ने मेरा अभिवादन किया । मैंने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दिए क्योंकि वो मेरी कनिष्ठ थी जिनके दिल में मेरे लिए एक खास स्थान था । हालांकि वह बाकी लडकियों की तरह नहीं थी । शायद ये पहली बार था जब मैंने उसे इतने नजदीक से देखा था । उसके साथ भी ऐसा ही था । ये पहली बार था जब उसकी आवाज मुझे इतनी अस्पष्ट सुनाई दे रही थी । विद्यालय में तो उसकी आवाज प्रार्थना के समूह कान में परेड में क्या फिर मध्यावकाश में मचने वाले विद्यार्थियों के शोरशराबे में ही सुनाई देती थी । पहले मुझे कभी भी उसकी आवाज अकेले सुनाई नहीं दी । अब के आवाज बहुत दिलकश प्रतीत हो रही थी । बिल्कुल शहर की तरफ भी थी । मुझे था कि इस आवाज को मैं कभी फूल हूँ । वो आवाज सीधे किसी के तरफ से निकलकर आपके दिल पर दस्तक देती हूँ । उसे बुलाया नहीं जा सकता हूँ । पुस्तकालय में हुए उस पांच मिनट के वार्ता लाभ में कुल संतुलन नहीं था क्योंकि चार मिनट तक वो बोलती रही और मुझे जो कहना था वो मैंने एक मिनट में निपटा दिया । तो ये कुछ इस तरह शुरू हुआ हे भगवान नहीं, रिजेक्ट तुम ही हो । हाँ, बिल्कुल तो मुझे पहचानती हो । बिलकुल तो ही साल तो उसमें हैं । तुम से दूर रहकर तो मेट्रो थे । एक आकर्षक आॅफ थोडा खुश हो गया । मेरी आंखों के सामने बारहवी कक्षा का पूरा साल खुल गया तो मुझे आता गई थी । मैं भी तुम्हें पहचान गया । गौरी है ना । मुझे यकीन नहीं होता कि तुम्हें मेरा नाम याद है । आखिर कक्षा दस की बेसबॉल टीम की खुबसूरत कप्तान को कौन भूल सकता है । हमारी बातचीत हमें कॉलेज की नाट्यशाला तक ले आई थी । पुस्तकालय में सहयोग पाँच शुरू हुई । छोटी से भेंटवार्ता अब लंबी बात चीत का रूप ले चुकी थी । एक और आधा घंटा जो हमने साथ में कुछ सारा छब्बीस मिनट तक वो बोलती रही और मुझे सब चार मिनट मिले । मेरे लिए वो बर्फ के पिघलने का सुखद अहसास था । इसीलिए जब मैंने उस से पूछा कि मुझ से बात करते हैं, उसे कैसा लगा तो वो तैयार नहीं बन वो इस प्रश्न की प्रतीक्षा कर रही हूँ । तो मेरे पहले आकस्मिकता हो । अरे वाह! मेरा मतलब है सचमुच हाँ और इसके पहले की तुम कुछ आ रहा हूँ, पहले लडके हो जिसके साथ मैंने इतनी देर तक और इतनी सारी बातें की हैं और इसके बावजूद तो में लगता है कि तुम मेरी पीडा को समझ सकती हूँ । उसके बाद गौरी बोलती ही रही । वो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी । वो पंद्रह मिनट तक बोलती रही । ऐसा लग रहा था मालूम वो अपने इस मुलाकात की प्रतीक्षा ही कर रही थी । तो रेल कल्पना करो की कोई है जिससे मैं प्यार करती हूँ । एक था और मैं उससे पिछले सात वर्षों से प्यार करती हूँ । सादा से एक था और मैंने उसे आज तक नहीं बताया है तो वाकई अद्भुत हूँ । है ना और तुम कितने लोगों को जानते हो तो किसी को सात वर्षों से चाहते हूँ । वो भी एक था मेरे ख्याल से । ये एकतरफा प्यार है इसलिए सात वर्षों से चला रहा है । अगर ये दोनों तरफ से होता तो शायद इसके भी नहीं थी । मेरी जैसे ही हूँ जब तक ऐसा कुछ होता नहीं, कोई नहीं जानता हूँ । मगर तुम ने उसके बारे में बताया था नहीं तो मेरी माँ ने कहा था अगर मैं किसी से प्यार करती हूँ तो उसे बताने से पहले मुझे अठारह वर्ष पूरे करने होंगे । तो उसने कहा उस लडके से मिलने से पहले मुझे बालिक होना चाहिए क्योंकि ताकि यदि मेरे माता पिता उसे अस्वीकृत करते तो कम से कम उसके साथ हाथ जाने के लिए मेरी उनका ठीक हूँ । मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाया । गौरी के बात करने का अंदाज मुझे पसंद आ रहा था । वह सब कुछ अलग थी मगर मैं अभी तक उसको समझ नहीं पाया था । हालांकि हम काफी हद तक निजी बातचीत के दौर में बहुमत चुके थे मगर अभी तक मैंने उस से उस व्यक्ति का नाम नहीं पूछा जिससे वो प्यार करती थी । मैंने सोचा वो खुद ही बता देगी । मगर उसने ऐसा नहीं किया । इसीलिए मैंने बात को उस अंदाज में खत्म करने का निश्चय किया कि वो अंतर था । उसने मुझे बता ही दिया । मैंने सोचा कि यदि कोई लडकी मेरे साथ इतना अच्छा बर्ताव कर रही है तो मैं भी उस की थोडी सी मदद तो कर ही सकता हूँ । शायद मैं उस लडके से उसकी मुलाकात करवा सकूँ । खैर मैं इतना भी भूला नहीं था । मुझे पता था वो क्या कहना चाहती है । मगर मुझे अपना मासूम आकर्षण बनाएगा था । मैं समझ सकता हूँ तुम्हारे ऊपर क्या बीत रही है । हाँ तो बहुत होशियार होनी सब सूरत में इसके लिए धन्यवाद । मगर मैं तुम्हारे जितना होशियार भी नहीं है । शुक्रिया अगर मैं उतनी होशियार होती तो शायद उस व्यक्ति के सामने अपनी भावनाएं व्यक्त करने की हिम्मत जुटा पाती । मैं थोडी शर्मिली ही रहना पसंद करती हूँ । ये तो उस लडके के साथ नाइनसाफी होगी ना । शायद उस लडके से तो भारत जैसी आप खूबसूरत और होशियार लडकी का साथ छूट रहा हूँ । ये बात तो बिलकुल सही है । मुझे लगता है कि अब हमें चलना चाहिए । मेरे शिक्षा का समय हो रहा है । हाँ हाँ जरूर उम्मीद है हम जल्दी दोबारा मिलेंगे । तो कल रात के खाने पर आ जाऊँ क्या खास है मैं अठारह साल की हो रही हूँ आखिरकार वह जन्मदिन की पहले से बधाई हो । गौरी ने जिस प्रकार बातचीत के इस प्रकरण को आगे बढाया था उस से मैं बहुत प्रभावित था । वो बहुत दूर थी परिपक्व, संतुलित और आ रही है उन पैंतालीस मिंटो में मैं इतना तो समझ चुका था इन सब से ज्यादा वो बहुत वाकपटु हूँ और साफ लडकियों में बात करने वाली थी ।

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सात वर्षों से चला आ रहा एक तरफा प्‍यार क्‍या दोनों तरफ होगा या अधूरा रह जाएगा? क्‍या दोस्‍ती प्‍यार में बदल सकती है या सिर्फ दोस्‍त ही बना जा सकता है? प्रेम और अंतरंगता के ताने-बाने में बुना बेहद रोचक उपन्‍यास है। Writer - Arvind Parashar
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