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आप सुन रहे हैं को को एफएम किताब का नाम है क्या मुझे प्यार है जिसे लिखा है अरविंद पाराशर दें और आवाज भी है । श्रीकांत सिन्हा नहीं कुकू एफएम सुनी जो मनचाहे क्या मुझे प्यार हैं? वर्ष दो हजार के बस्ती और छुट्टियों की तंग गलियों में तुम्हारे इंतजार नहीं मेरे दिल की हर धडकन तुम्हारा ही नाम हो पा रही है तो ऐसे गायब हो गई । हाँ तो हमारे बीच में कुछ था ही नहीं और मैं और मैं हर बार अपने मन को दिला सकते था हूँ यदि मैंने उसे दुखी किया है तो इस वक्त मेरी जान ले लो । फॅस मैं हर पल तो पुकार हूँ । जवाब तो नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा तो भारी । अनुपस् थिति उसका आभाव मुझे हर पल धरातल में ले जा रहा है । लौटाओ तो जहाँ कहीं भी हो रूम ऍम मेरी पत्र ॅ के तो वे देखते के लिए तरस रही है नहीं तो अच्छा है । मेरी तो अच्छा तुम्हें छूट को तरस रही है क्या मैं तो मैं इतना प्यार नहीं किया कि तुम मेरे साथ रहो क्या की इसीलिए तो मुझे छोड कर चली गई । अच्छे इसरन बेटू पैसे बचा लूँ देनी चाहिए मेरे दिल की और धडकन तो बारह ही नाम पर रुक रही है । ऍम अनंतकाल तक तुम्हारी प्रतीक्षा करेगा । तब फिर अब मैं इसके काबिल ही हूँ । वो प्रकटीकरण तो है पागल पर तो भारी परछाई बेरी पीला भरी आंखों से होकर कुछ कट रही है । मैं यहाँ पे लेटकर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ । किसी भय और अब सात से दी फोन मैं लेकर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ और ये चार जानता हूँ । बहुत चलता है तो में एक पर फिर धूम लूंगा मैं सिर्फ लेकर पाओ तक संथा बालों पारस जमीन पर फिर चल रहा हूँ । जैसे वो हर क्षण पिघलता और फिर चलता है । ठीक वैसे ही मेरा दर्द । कभी आरक्षण मेरे अंदर बढता जा रहा था । मैं परिस्थिति से बिल्कुल हिल गया था । एक छोटा कदम नहीं बढाने के लिए मुझे बहुत सोच लगाना पडा रहा था । मेरी दुनिया पूरी तरह बदल चुकी थी । मेरे साथ ऐसा कुछ हो जाएगा इसके मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी । वो पुणे कि मॉनसून की सुबह थी और उस वक्त सुबह के साथ बच रहे थे । मैं अपने कॉलेज से दो किलोमीटर दूँ, दूसरी मंजिल पर बने अपने घर में रहता था । गौरी मेरे साथ करती थी । मुझे दो साल छोटी थी । मैं इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था और वो माइक्रोबायोलॉजी की छात्रा । मगर पिछले शाम को अनहोनी हो गई । वह जन्म से वापस नहीं अपनी नई नवेली जैसी नहीं है । पुलिस आ चुकी थी । नमस्ते मेरा नाम इंस्पेक्टर विश्व है और ये बेदी । साथ ही परिषद तो महज औपचारिक थी । वो देखने से ही उग्र लग रहा था । मैं वरिष्ठ इंस्पेक्टर थान्या लाया हूँ । नमस्ते कृपया अंदर आइए । नमस्ते के अलावा उन्हें संबोधित करने का कोई बेहतर तरीका मुझे नहीं था । मेरी आवाज कम आ रही थी । मैं पूरी रात नहीं सोया था । हालांकि मैं पूरी तरह चौकन्ना था । मुझे मालूम था कि जांच प्रक्रिया की शुरुआत उससे ही होगी । मुझसे सवाल पूछे जाएंगे । मैं बिल्कुल सामान था । मेरी कब का बाहर शायद इसलिए थी क्योंकि मेरा मन थक चुका था । मैं बिल्कुल भी कपडा नहीं रहा था । बस थोडा विचलित था । मैंने उन पुलिस वालों को चाय के लिए पूछा । बारिश के मौसम में ये बिल्कुल सामान्य था । मैंने शुरू होने का पहला परिचय दे दिया था । सर नमस्ते कहते ना मुझे ठीक नहीं लगा । इसपर मैंने अपनी बातों में सर और मैडम का भी प्रयोग किया था । इस पर मानसून चल दिया गया था । दौर ही और मैंने लोना वाला जाने का कार्यक्रम बनाया था । हमारी यात्रा में कुछ ही दिन बचे थे । हालांकि ये मेरी योजना नहीं थी । ये कार्यक्रम उसी ने बनाया था । जब भी कहीं बाहर जाने या खुशी मनाने का कार्यक्रम बनता था तो सारी योजना वहीं बनाते थे । मैं उस से प्रेम करता था । हालांकि ये प्रेम अभी बहुत कहना नहीं हुआ था और जब भी हम साथ होते थे तब ये उभर कर सामने आता था । मगर फिर भी मैं उसके प्यार में कितना जा रहा था या उस दिशा में बढ रहा था जब अचानक मेरी दुनिया चुनना हो गई । उसके लापता हो जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि उसके लिए मेरा प्रेम कितना प्रकार था । मुझे अब घोषणा चुका था तो तुम दोनों एक मुश्किल हालात से गुजर रहे थे । फिर क्या जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष निकाल लें? मैंने अपनी आखिरी घुमाकर दोनों जांच अधिकारियों पर एक एक निगाटा हूँ । मैंने अपनी बात में उनसे अनुरोध किया, इन सब के बीच मुझे कई फोन आए । मेरी बात, मेरे पिता तो उस दिन वाला दूध द्वारा यूनियन वाले यहाँ तक कि पत्रकारों ने भी मुझे फोन किया । सच्चाई से अब सामना करना ही था, हर किसी नहीं । ये तय किया कि मैं अपने बन में ये बात बैठा हूँ । मैं पूरी तरह हो चुका था । इस परिस्थिति में आप शांत रहने की लाख कोशिश कर ले । मगर कुछ लोग आपको इतना झकझोर देंगे तो शांत रहना नामुमकिन हो जाएगा और ये लोग आपके करीबी ही होते हैं । जैसे माँ बाप तो और कुछ तो उस । अब तो पुलिस वालों का बर्ताव मुझे ज्यादा दोस्ताना लगने लगा था । उन्होंने कहा कि मैं जिसका भी फोन लेना चाहूँ ले सकता हूँ और यदि जादू नहीं हूँ तो अकेले में भी बात कर सकता हूँ । भगवान जाने में क्या चाह रहे थे? देखो परेशान होने की जरूरत नहीं है । नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । अभी तक हमने तुमसे कोई भी मुश्किल सवाल पूछा ही नहीं हैं । धान्या ने अपनी बात मुस्कुराकर खाॅ कर विश्वास लगातार इधर उधर देख रहा था । हालांकि वो एक के बाद एक सवाल भी पूछना था गौरी ऐसे इंसान थे । आप का मतलब गौरी कैसी इंसान थी? हाँ, वही आकर्षक, जिंदादिल, सवाल करने वाली, किसी भी चीज की पूरी जानकारी लेने वाले उसे सिनेमा देखना बहुत पसंद था । उसके विचार बिल्कुल स्पष्ट होते हैं और बैंक उसे बस पिछले कुछ हफ्तों से ही जानता था । क्या हमे मान सकते हैं कि ये सब होने से पहले तुम्हारे और गौरी के बीच अंतरंग घनिष्ठ संबंध होता । हाँ, बस शुरुआत की और गौरी साथ रहते थे ना? हाँ, मगर हम दोनों एक दूसरे को लेकर बहुत गंभीर नहीं थे । मेरा मतलब है वो थी मगर मुझे कुछ और समय चाहिए था । मैं उसे पसंद करता था । मगर अंतरंगता तो नहीं थी । हमारे बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं था । मुझे सच में मालूम नहीं था कि मुझे ये कहना चाहिए था या नहीं । मगर फिर भी मैंने कह दिया सवालों का सिलसिला थम गया । अचानक दरवाजे की घंटी बच्ची दो लोग आए और उन्होंने विश्व के हाथ में एक लिफाफा दिया । जिसे उसने तो क्या फिर उसके हाथ उसकी जेब में चले गए । वो एक बेहद चौकन्ना पुलिस वाला था । जो हर क्षण अपनी गति बदल सकता था । उसे समझ पाना बहुत मुश्किल था । थोडा सहज होने के लिए मैंने थान्या की होती था । मगर वो मेरी वोट नहीं देख रही थी । मैं समझ चुका था वो इस बात का कोई निशान नहीं देना चाहती थी कि वह मेरे तो उसकी मंगेतर है । दरअसल मैं और खांडिया एक साथ ही बडे हुए थे । हालांकि वह मुझ से बोली थी और पहले ही उसकी मुलाकात कौन से करवाई थी? धान्या नायर बहुत जल्द धान्या बॉल बनने वाली थी । गौरी भी उसी राह पर थी । वो गौरी बाहर को बनना चाहती थी । मैं हर पल बस उसी के बारे में सोच रहा था । क्या उसमें कभी तुमसे शादी करने के लिए कहा? सीधे तौर पर तो नहीं मगर वहाँ सब सात में बूढे होने वाली बात करती थी । जरूर इसका मतलब वही होता है जो जैसा मैं लगातार बात करता रहा हूँ । मुझे बात करने को विवश किया जाता रहा । मेरी जानकारी में आने वाली हर छोटी बडी बात मुझसे पूछे गए । पिछले चौबीस घंटों में जो कुछ भी हुआ मैंने काम पर तो खाया । सुबह से लेकर जब तक हम दोनों साथ थे, विश्व अपनी आदत के अनुसार लगातार कमरे में चक्कर लगा रहा था और हर चीज को बडे ध्यान से देख रहा था । जबकि धान्या एक जगह बैठी हुई थी और मुझे ही देख रही थी । वो अपनी हाव भाव से मुझे दिलासा देने की कोशिश कर रही थी । उसने ये मान लिया था कि मैंने तो हूँ उसके हाथ । हाँ उसे मुझे ऐसा लग रहा था । सीसीटीवी फुटेज के अनुसार वो बिल्कुल सामान्य तरीके से जिम से बाहर निकले थे । उसके हाथ में एक छाता था और कैमरे के निकाल से उछल होने से पहले उसने सडक को पार किया । छाता क्या आपको पूरा यकीन है? हाँ क्यूँ क्योंकि घर से तो वो छाता लेकर नहीं गई थी शायद उसे लगा होगी बारिश आने वाली है और उसने किसी से मांग लिया हूँ नहीं मुझे अच्छी तरह से याद है और इस मामले में वो बिल्कुल भी ढिलाई नहीं करती थी । मैं आपसे कह रहा हूँ वो घर से निकलने से पहले हमेशा मौसम की भविष्यवाणी देखती थी । उसे पता था की बारिश नहीं होगी और इसीलिए वो छाता लेकर नहीं गई थी । तो भारत मतलब है कि वह ऐसे जगह जा रही थी जहाँ उसे पता था की बारिश होने वाली है और इसीलिए और करने वाली बात के कि उसके साथ उसका कॉलेज वाला बचता था जिससे कि कोई अतिरिक्त सामान दिखाई । नाते तो ये होता है कि वो अकेले कहीं छुट्टी पर नहीं जा रही थी । एक अजीब सा सन्नाटा छा गया हूँ । इस बातचीत से पहले तो ये तय हो चुका था की ये कुछ भी इतनी आसानी से सोचने वाली नहीं । कम से कम मुझे तो ऐसा ही लग रहा था । विश्वास ही नजर फ्रीज पर चिपके कागजों पर बडे अगाथा क्रिस्टी ऍम कल बारिश होने वाली है अट्ठाईस डिग्री सेल्सियस । मैंने उन्हें समझाया कि उसे सिनेमा देखना बहुत पसंद था और वह अपराध पर आधारित उपन्यास भी खूब पडती थी । वे कागज मुझे गई याद दिलाने के लिए थे कि मुझे उसके लिए बेथल में डाउन लोग करनी थी और वो किताब खरीदनी थी । आखिरी दो मौसम की भविष्यवाणी थी । उन पुलिस वालों के चेहरे पर मुस्कान आती है । गरमा गर्म चाय पीने के बाद और जरूरी सबूत जुटाने के बाद वह पूरी तन्मयता से इस मामले को सुलझाने में लग गए । लिखने का काम धान्या कर रही थी । इसलिए विश्व के दखल देने और कुछ कहने से पहले उसने मेरे को देखा । वो अपनी मर्जी से गायब हुई है । उसने जरूर अगाथा क्रिस्टी के किसी उपन्यास की तर्ज पर ये कहानी रची होगी । इसलिए सर तुम तुम नहीं तो मैं इस गुत्थी को सुलझाने में हमारी मदद कर सकते हैं । उस सूची में फॅस भी है । इसका मतलब क्या अब वो ठंडी का काम करने भी लगी है? नहीं, तुम नहीं तो हमें गुमराह करने के लिए ये कागज के टुकडे अपने फेस पर नहीं चिपकाई । अचानक से विश्वास ने पूछा मैंने उन्हें बताया कि मैंने उसके लिए एक नया सिल फोन खरीदा था जो मैं उसे लोनावाला में देने वाला था । मेरी ऐसी कोई मंशा होती है तो मैं बोला ऐसा क्यों करता है? मैंने उन्हें वो खाती दिखाया जो मैंने लिख कर उस पॉकेट के अंदर डाला था । रहस्य धीरे धीरे और गहरा होता जा रहा था । मैं सब के घेरे में आ गया था । पुलिस वालों ने उन कागज के टुकडों के साथ मेरा लैपटॉप भी जब तक किया था । उसके बाद मेरे घर की तलाशी होने लगी । मैं हैरान था । मैंने उससे स्पष्टीकरण मांगा । मैंने उस से पूछा कि क्या उनके पास तलाशी का कोई वारंट है? परिस्थिति अचानक से बदल गई । धान्या ने परिस्थिति को संभाला और विश्व को घूर करते हैं । वो उसे कोने में ले गए और कुछ देर तक उससे बात जरूर । पुलिस वालों की कोई गुप्त भाषा रही होगी । इसके बाद से धान्या नहीं सारी बात हूँ । वो विश्व की वरिष्ठ अधिकारी थी । हालांकि मुझे उनकी भूमिका ठीक से पता नहीं थी । उसने मुझे पुणे छोडकर जाने को मना किया । अगर जाना पडे तो हमें बता कर जाना । विश्व ने मुझसे का और तुम से ऐसा बर्ताव करने के लिए मैं माफी चाहता हूँ । इन बातों ने मेरे अंदर के विश्वास को पुनर्स्थापित कर दिया । मैं फिर से खुद को नहीं तो उस मानने लगा था । मगर क्या मैं इससे खुश था? वे लोग चले गए और मैं फिर से अकेला हो गया नहीं । पर फिर उस की या तो देखो गया । जब कोई सूरज चान सेदारों की बातें करता है तो उन सब में कौन सी बात होती है एक कभी के लिए ये शब्द उसके अवसाद या हथियार होते हैं जिसका प्रयोग वो किसी के अंदर प्रेम, जुनून, प्रस् इत्यादि बातें गई निर्ममता से अपनी मर्जी से करता है । इस शिक्षा के लिए ये शोध का विषय होता है । किसी खगोलशास्त्री के लिए ये गहरे विज्ञान की समझ होता है जिसके माध्यम से वो अपना जीवन व्यापन या फिर कुछ अतिरिक्त धन प्राप्त करता है । किसी प्रेमी के लिए इसका क्या मतलब होता है? लेखक और कलाकार इसका प्रयोग कभी के मुकाबले थोडा कम ही करते हैं । मगर दोनों का मकसद एक ही होता है । ये मनुष्य के संबंध हूँ, परिस्थिति या प्रकृति की खूबसूरती से जुडा हुआ है । जहाँ तक एक प्रेमी का प्रश्न है ये एक जानलेवा मिश्रण है । प्रेम में ये प्यार, जुनून और खुशी को जाहिर करता है । खासकर चंद और सितारों की मौत होती है । सूरज को थोडा दूर ही रखा जाता है । पिछाड जाने पर ये तथाकथित कभी प्रेमी को बुलाने के लिए पर्याप्त खाद प्रदान करते हैं । अक्सर प्रेमी खुद ही लेखक बनकर चांद सितारों का भरपूर इस्तेमाल करते हैं । संबंध विच्छेद किसी शल्यचिकित्सा के बाद के हालात की तरह होते हैं । प्रेमी एक मरीज की तरह होता है । मैं इस मुश्किल वक्त से पहले भी हो चुका हूँ जब करीब दो महीने पहले मैं गया से अलग हुआ था । हालांकि मुझे इस बात का जरा भी अनुमान नहीं था कि इतने चलते हैं । मुझे फिर से उसी चीज का सामना करना पडेगा । इस बार तो ये और भी पूरा है । मुझे गौरव की कमी महसूस हो रही थी और ये एहसास मेरे अनुमान से पढे था । काश मैंने तब महसूस किया होता जब मेरे साथ थी । उसकी गैरमौजूदगी नहीं । मुझे इस बात का एहसास कराया कि मैं उसे प्यार करता था । वो सच्चा और ऍम इस बात को स्वीकार करने की जरूरत थी । मगर यही तो जिन्दगी हैं । इतनी कम उम्र में मैं कितना को झेल रहा था । मुझे लगने लगा था कि मैं वाकई बडा होने लगा था । अभी तक मैं खुद को एक घटिया विद्यार्थी समझा करता था जो अपने कॉलेज के डिग्री की पढाई कर रहा था । मैं बचकाने मजाक करता रहता था और एक के बाद एक मुसीबत हूँ और संबंध विच्छेद तो सही गुजरता रहता था । हालांकि मैं स्वाभाविक प्रगति की चाह ही रखता था । बालक से पुरुष बनने की स्वतः प्रगतियां शादी के बाद शुरू होती हैं मगर मैं तेजी से प्रगति की ओर बढ रहा था । मेरे विचार से ऐसे विकेट परिस्थितियां किसी बालक के लिए असामान्य मैं पुरुष की परिभाषा नहीं जानता था मगर मैं इतना जरूर जानता था की ये कॉलेज के विद्यार्थी को पुरुष तो नहीं कहते हैं । मैं तो हर तरह से आप परिपक्क था । एक अलग अलग अनुभवहीन इंसान । कम से कम मेरा मन तो यही मानता था । और जब आपके दिमाग में ऐसी कोई बात हूँ तब ये तो तय है कि आप अपना अस्तित्व स्वयं ही साबित करने का प्रयास कर रहे हैं तो पुरुष या बडे होने की बात पर वापस लौटते हैं । मेरे पिता अक्सर मुझसे कहते थे कि एक पुरुष वो होता है जो आगे बढकर परिस्थितियों को संभालता है, वो जिम्मेदारियों को उठाता है । वे अक्सर अपना उदाहरण देते थे और उनके उदाहरण में प्यार से ज्यादा व्यवहारिकता की भरमार होती थी । उनके मुताबिक पुरस् व्यवहारिक होते थे जबकि बालक मार होते थे । जो बस प्रेम में पढना जानते थे उनके मापदंड के अनुसार मैं भी अब तक बडा नहीं हुआ था । बिलकुल भी नहीं । इसका एकमात्र कारण था की मैं हर पल बस गौरी के बारे में सोच रहा था । मैंने कभी जानबूझकर गौरी को चोट नहीं पहुंचाई थी । कभी नहीं । मैं अभी तक अलग होने के खयाल से कुल रहा था । अभी तक मैं एक प्रेमी की तरह चांद सितारों में खोया था । हालांकि ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था । मैं इन मामलों में बिल्कुल अच्छा था । यही वो वक्त था जब गौरी ने बेची वन में कदम रखा । वो मुझ से बहुत प्यार करती थी । मुझे तो अंदाजा भी नहीं था कि वो मुझ से कितना प्यार करती थी । वो मुझे पाना चाहती थी पूरी तरह से और बस अपने ही नहीं । वो एक साल के लडके के प्यार में पागल थी । मेरा पीछा करते करते वो कॉलेज तक आ गई थी । स्कूल में भी वो मेरी कनिष्ठ थी । अब अपना इसके बारे में सोचता हूँ तो मुझे याद आता है कि मैंने कभी उस पर ध्यान ही नहीं दिया था तो मुझे बचपन से ही पसंद करती थी । मगर उस वक्त मेरा सारा ध्यान पढाई पर होता था । मेरे पिता ने मुझे लडकियों के बारे में सोचने के लिए भी मना कर रखा था क्योंकि ऐसा करने से मेरे बोर्ड के परिणाम पर असर पड सकता था । फिर मुझे अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिलता और जिसके परिणामस्वरूप मैं किसी होटल, ज्यादा स्तरों में पिज्जा बर्गर बनाने को मजबूर हो जाता है । खाना बनाना एक ऐसी चीज है जिससे मुझे हमेशा नफरत नहीं है । मैंने लडकियों से ज्यादा ध्यान पढाई पत्तियाँ मैं अभी तक गौरी को पूरी तरह समझ नहीं पाया था । उसने कभी मुझे मौका ही नहीं दिया है । अगर वो जान बूझ कर गायब हुई है तो वो वापस आकर सबको बताएगी कि वह मजाक कर रही थी और मैं उसे माफ कर दूंगा । मगर अगर सच में उसका अपहरण हो गया तो पुणे में महिलाओं के खिलाफ अपराध बहुत ज्यादा तो नहीं है । और फिर वो जगह भीड भाड वाली थी और उसके मोबाइल का भी पता नहीं चल रहा था । मैंने देखा कि मेरा मोबाइल पूरी तरह चार्ज हो चुका था । किसी भी क्षण मेरी माँ का फोन आ सकता था और मैं उसी का इंतजार कर रहा था । उन्होंने एक बार फिर फोन किया क्योंकि पिछले दो घंटों में उनका पांचवां फोन उन्होंने मेरी चिंता हो रही थी और वे बस ये तसल्ली करना चाहती थी कि मैं ठीक ठाक खून या नहीं । उनकी आवाज से चिंता साफ झलक रही थी क्योंकि टॉम नहीं मेरे सारे चिंता भरे एसएमएस उनको भेज दिए थे तो मैंने उसे भेजे थे । भगवान ऐसा कौन करता है? हाँ, वो ऐसा कर सकता है । तो अब तुम मुझसे बातें भी छुपाने लगा है । अपने दोस्तों को बताएगा मगर अपनी माँ को रही जिस देता हूँ महीने तुझे अपनी कोख ने पाला । मुझे तो कुछ जानने का ही नहीं ऍम मेरे बच्चे मेरे बच्चे को क्या परेशानी है तो माँ वहाँ सब ठीक है । सुबह सुबह भावुक होने की जरूरत नहीं है । पापा कहाँ है? अच्छा सुन पापा ने जेठमलानी के भतीजे से बात करनी है । बहुत बडा वकील है वह जेठमलानी के परिवार में सब वकील हैं क्या? अगर वो तो में बर्फ को बना रहा हूँ तो क्या पता वह उसका भतीजा है भी या नहीं । मैंने सावधानी से अपनी बात कहती है क्योंकि मेरे माता पिता छोटे शहर में रहने वाले भोले भाले लोग थे तो भी क्या लगता है तुम्हारे पिता नहीं इन सब बातों की तहकीकात नहीं की होगी और वैसे भी उसके कमरे में राम के चित्र हर तरफ दंगे हुये थे । इसीलिए तुम घबराओ नहीं कभी ना कभी तो मैं वकील की जरूरत पडेगी । हम तुम्हारे साथ है । बेटा हूॅं और माँ माँ पापा से कहना तो उन्हें आने की जरूरत नहीं है । हस्ते हस्ते मेरा गला भर गया था । वे अकेले नहीं आएंगे । मैं भी उनके साथ होंगी । माँ तुम्हें ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है । सुनो बेटा, तुम तो आज अपने दोस्त थान्या से खतरा गए । इस मामले से अकेले कैसे हो गई तो हमने तुम्हें वो एसएमएस भी भेज दिया । अब और कुछ कहने की जरूरत नहीं है । उस स्थान में से तो मैं वहाँ पर बात करेंगे । मेरी गोद में खेलकर बडी हुई है । वह जब तो उससे ऊंची आवाज में बात कर रही थी । तब तुमने उसे ये क्यों नहीं बताया? नहीं हाँ उसने ऐसा कुछ नहीं किया । वो तो बस अपना काम कर रही थी और वैसे भी वो अपने कनिष्ठ अधिकारी को ये नहीं बताना चाह रही थी कि वह पक्षपात कर रही है । बडे हो जाओ नहीं बडे हो जाऊँ, मारता बनो । आखिर कब तुम बडे आदमी की तरह बात करोगे । मेरे पिता ने माँ से फोन ले लिया था । जी देखो मैं अभी अभी सुबह की सैर से वापस लौटा हूँ । अगर फास्ट ट्रैक अदालत के न्यायाधीश मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं । उन्होंने मुझे ऍम का नाम सुझाया है । क्या बात है पापा आप की तो बहुत जान पहचान है, हमेशा से ही थी और अब मैं उनका इस्तेमाल तुम्हारी मदद करने के लिए करूंगा और उम्मीद है की ये आखिरी बार होगा जब मैं किसी का एहसान लूंगा । अब तुम भी बडे बनो ताकि बुढापे में तुम हमारे देखभाल करूँ ना कि हम तुम्हारी एक पर फिर माँ ने पापा से फोन छीन नहीं ये लोग ऐसे ही थे जब कोई ज्यादा कडक के अव्यावहारिक होने लगता था । तब दूसरा कोमल और प्यारा बन जाता था । मुझे मानते और समझाने के लिए अपने पिता की बातों का बुरा मत मानना । बच्चा बस तेरे लिए परेशान हैं । खाना ध्यान से खा लेना और पानी पीते रहता हूँ खाएंगे आखिर ये बातचीत खत्म हुई है । मुझे नहीं मालूम कि दुनिया भर की सारी हाँ ऐसे ही होती हैं या सिर्फ हिन्दुस्तान की ही मामले ये खासियत है क्योंकि हॉलीवुड की जितनी फिल्म में मैंने देखी है उनमें ऐसी मुश्किल खडी में माँग कभी भी खाने पीने की जानकारी नहीं लेते । अंततः मैं अपने सोफे पर ले । क्या मैं दो विकल्पों के साथ अपनी काल्पनिक दुनिया में खो गया । एक लडकी की भर्ती सोचूँ या एक मत की तरह मैंने पहला विकल्प चुना । मैं गौरी के बारे में सोचने लगा । भगवान हूँ हूँ अब छुट्टी करो । मैं तो यही थी । मैं तो बस तुम्हारे प्यार की परीक्षा ले रही थी । तुम हो गई हूँ तो भारत दिमाग खराब हो गया है । नहीं बिल्कुल भी नहीं । मैं तुम से बार बार पूछती रही थी क्या तो मुझसे प्यार करते हूँ पर तुम मुझे साबित करते रहे हैं । हूँ नहीं, मैं तुमसे प्यार करता हूँ । अब कभी दोबारा ऐसा मत था तो कभी मुझे शक करने का मौका मत देना ऍम
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