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भाग आठ तृषा के स्कूल में एडमिशन लेने के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि वह स्कूल नहीं आई । दिनभर उसकी याद में लोहित उदास रहा । लोगे तो स्कूल में रोज बातें तो नहीं करता था मगर उसकी एक झलक भी किसी मुलाकात से कम नहीं थी । घर वापस आकर लोहित टीवी देख रहा था जब उसके लैंडलाइन से रिश्ता का फोन आया । हाई तृषा आज स्कूल क्यों नहीं आई? लोग इतने तुरंत उसकी मधुर आवाज पहचान ली । मुझे सर्दी खासी हो गई है । ये कहकर वो फोन पे ही खास नहीं लगी । लोहित को उसकी घासी भी मधुर लग रही थी । अब कैसी होता हूँ काफी बेहतर? लोहित ने सोचा तुम्हारी आवाज सुनकर मैं भी बेहतर महसूस कर रहा हूं । लोहित मैंने ये पूछने के लिए फोन किया है कि आज स्कूल में क्या हुआ? ज्यादा कुछ नहीं । हमारी टीम ने टीम भी से फुटबॉल मैच जीत लिया । मैंने तीन गोल मारे और ये चौबीस होमवर्क ना करने के लिए कभी को फिर से मारा । उसने अपना गला साफ किया और कहा कि मेरा मतलब है कि पढाई में क्या हुआ । लोह इतने सोचने की कोशिश की लेकिन पढाई से जुडा कुछ भी उसे याद आया । लोहित ने कहा मैं अपना स्कूल बैग लेकर तुम्हारे घर आ जाता हूँ । आकर तो में सब बता दूंगा तो रोहित ने सोचा और इसी बहाने तो मैं देख लूंगा । हाँ ये अच्छा रहेगा । फोन रखते ही लोग इतने अपने चेहरे को पापा की फीस वह सिद्ध हो या माँ की फॅस क्रीम लगाई और अपने दिवाली वाले नए चमकदार कपडे पहनकर उसके घर जाने के लिए तैयार हो गया । अपना स्कूल बैग पकडे वो घर से जा ही रहा था कि मानों से देखकर टोका क्या तो किसी पार्टी में जा रहे हो वो भी स्कूल बदली नहीं मम्मी तृषा बीमार है । नौ से बताने जा रहा हूँ की आज स्कूल में क्या पढाई हुई । मैंने मुस्कुराते हुए कहा फिर तुमने ऐसे कपडे पहने हैं । कुछ साधारण सा पहन कि जाओ जो बच्चे जवान होने लगते हैं और पहला पहला इश्क फरमाते हैं । होने लगता है कि माँ बाप नहीं समझेंगे । माँ बाप भी तो इसी दौर से गुजरे हैं । समझ जाते हैं लॅाक और कैप्री पहनकर तृषा के घर पहुंचा और डोर बेल बजाई नमस्ते आंटी । लोहित ने कहा जब त्रिशा की माने दरवाजा खोला इंतजार तो लोहित उस दिन का कर रहा था जब उन्हें आंटी नहीं मम्मी जी का है । आंटी ने कहा हो तो मैं स्कूल बैग लेकर आए हूँ । वहाँ लोग इतने फिर सोचा हूँ और एक दिन बारात लेकर भी आऊंगा । लोहित रिश्ता की कमरे में गया । तृषा को देखते ही लोहित का जी तो क्या है कि उसे गले लगा ले पर उसने ऐसा नहीं किया । एक तो उसे डर था कि कहीं तृषा के बुखार के जी वानों उस से संक्रमित ना करते है और दूसरा ये कि जबरदस्ती गले लगाने के लिए तृशा उसे थप्पड ना झडते । तृषा अपने पलंग पर आलती पालती मोडी बैठी थी और उसके पैरों के ऊपर एक तकिया रखा हुआ था । उसने सफेद स्वेटर पहना था जिसमें गुलाबी फूल छपे थे । बुखार से उसका शरीर गर्म था शायद इसीलिए वह हॉट दिख रही थी । लोहित ने कल्पना कि की एक रात फूलों से सजी बिस्तर पे गर्व दूध से भरा एक गिलास लेकर वहां बैठी होगी । कृष्णा का बैडरूम दूसरी लडकियों के कमरों की तरह नहीं था । हर दीवार पे अध्ययन से संबंधित सामग्री जैसे मैच के फॉर्मूले, पीरियोडिक टेबल आदि टंगे हुए थे । बहुत सारे गणित और विज्ञान ओलंपियाड में प्राप्त प्रमाणपत्रों को भी दीवार पर लटकाया गया था । लोहित वहाँ इस अचरज में खडा था कि कहाँ बैठे आओ यहाँ बैठो । तृषा ने कहा लोहित बिस्तर पर उसके पास बैठ गया । भर अपनी नोटबुक दिखाने के लिए उसने अपना स्कूल बैग खोला । तृषा ने अपने छोटे हाथों को अपने चेहरे पर रखकर झपटमारी लोहित ने कहा गॉड ब्लेस यू तो हंसी जानती हो । जब कोई ठीक होता है तो गॉड ब्लेस यू क्यों कहते हैं क्यूँ? क्योंकि जब हम सीखते हैं तो हमारा दिल एक मिली सेकंड के लिए धडकना बंद कर देता है । वो ऐसा अच्छा तो बताओ । आज गणित में क्या पढाई हुई? लोहित ने अपनी तीखी बहुत सिकोडने पर उसे कुछ याद नहीं आया । फिर उसने कॉपी देखते हुए कहा गणित में उन्होंने सिखाया सेमी सर्कल मुझे सर्कल पता है लेकिन सैमी सर्कल क्या है? ये एक सर्कल का आधा हिस्सा है कि इस तरफ का आधा किसी भी तरह का । लोहित ने सोचा मैं सिर्फ तुमसे प्यार करता हूँ तो मुझे नहीं किया । ये से मिला हुआ ठहरो । मैं इसे अपनी नोटबुक में नोट कर लेती हूँ । उसने अपने पैरो पे रखे तकिये को हटाया और अपनी अलमारी खोलने के लिए खडी हुई । उसने पीले रंग की शर्ट पहनी थी जो उसके घुटनों के ऊपर तक ही लंबी थी ही । भगवान सेमी नेकेड उसकी दाहिनी जांघ में एक काला काला था । फिर से वो तकिये को गोद में रखकर बैठ गई । अब लोहित को समझ आया कि उसने अपनी गोद में तकिया क्यों रखा हुआ था । लोहित की अलमारी के विपरीत उसकी अलमारी में किताबे, कपडे, स्कूल बैड और एक बडा सा टेडी बियर अच्छी तरह से अलग अलग खंडों में व्यवस्थित रखा हुआ था । हिंदी भाषा में आज क्या पढाई हुई? रोहित ने अपनी नोटबुक देखी और कहा विशेषण अब ये क्या है? विशेषण एक शब्द है जो किसी संख्या का वर्णन करता है । उदाहरण के लिए अगर मैं कहूँ तो बहुत खुबसूरत हो तो यहाँ पर खूबसूरत विशेषण है क्योंकि ये तुम्हारा वर्णन करता है । वो शर्मा गई माफ करना । भगवान सिर्फ चौदह साल की उम्र में ही लोहित फ्लर्ट करने लगा क्या तो मैं और उदाहरण चाहिए । नहीं नहीं मैं समझ गई तो इसी भी नोट करलो लोह इतने अलमारी की और इशारा करते हुए कहा था कि वह फिर से उसकी चमदार टांगो को देख सके । लेकिन इस बार निशाने तरकीब लगाई और कहा कि वहाँ क्या तुम अलमारी से मेरी नोटबुक लाड होगी? नोट करने के बाद निशाने पूछा तो उन्हें चॉकलेट पसंद है । बिलकुल उसके अपने बैग से निकालकर लोहित को एक खास दिल के आकार वाली चॉकलेटी लोह इतने खाते हुए पूछा ये बहुत टेस्टी है कितने दिनों में आज सुबह पापानि दी थी तुम्हारे साथ शेयर करने के लिए मैंने इसे बैग में रख दिया था । उसके अगले हुए चॉकलेट को देखकर लोहित का दिल भी पिघल गया । किसी टीनेजर के साथ अगर कोई अपनी चॉकलेट शेयर करें तो ये उसके लिए बहुत बडी बात होती है । लोहित पहले शायद कृष्णा से उसकी खूबसूरती के लिए प्यार करता था । लेकिन ठीक उसी क्षण लोहित को तृषा से उसके स्वभाव के लिए फिर से प्यार हो गया । वो कमरा, चॉकलेट और तृषा द्वारा लगाए हुए पॉंच पाउडर की मोहक खुशबू से महक रहा था । पॉंच पाउडर लडकियों का पहला मेकप होता है । दोनों चॉकलेट खाने में मशहूर थे कि तभी लोहित ने अचानक ही पूछ लिया तृषा तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है । कमरे में कुछ पलों के लिए गहरा सन्नाटा पसर गया । लोहित को लगा कि शायद उसे कृष्णा से ऐसा नहीं पूछना चाहिए था लेकिन जब से उसने तृषा को पहली बार देखा था तभी से वह ये पूछना चाहता था । इसीलिए आज खुद को रोकने सका । क्या नौ लोग हैं बॉयफ्रेंड बनाने के लिए अभी मैं बहुत छोटी हूँ । भगवान का शुक्र है कि हम भारत में रहते हैं पडना विदेशों में तो लडकियाँ इस उम्र में मां बन जाती है । लोहित ने फिर पूछा क्या तुम्हारा कोई क्रश है? वो शर्मा गई शर्ट अपना लो है । जब भी उसे शर्म आती है वो दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लेती है । हाँ या ना बताओ भी उसके हाथों से अपने चेहरे को ढके हुए ही हामिद सिर हिलाया लोहित का दिल डूब गया कौन? मुझे बताओ कौन है वो? क्या वो तुम्हारे पिछले शहर से है या यहाँ से । यही से लोहित के दिल की धडकन कई गुना बढ गई । उसे लगा कि शायद वो खुद ही तृषा का क्रश है । उसने त्रिशा की तरह शर्मा कर अपना चेहरा ढकने की कोशिश भी की । कौन है तुम्हारा क्रश? लोहित ने भगवान से प्रार्थना की भगवान अगर वह मुझे अपना क्रश कहेगी तो मैं एक साल तक पहुँच नहीं देखूंगा । गबरू जवान, लडकी कुछ इसी तरह की कुर्बानी देते हैं, है ना? कृष्णा ने पूछा क्या तुम उससे मिलना चाहूँगी? लोहित के सीने में हल्का हल्का दर्द होने लगा । उसे एहसास हुआ कि शायद त्रिशा का क्रिश कोई और है । इसलिए दृशा उस से मिलवाना चाहती है । ए केवल में उसकी सारी खुशियाँ छीन गई । लोहित ने दिल पे पत्थर रखते हुए कहा हाँ, बेशक मिलना चाहूंगा । लोहित के अति कल्पनाशील मस्तिष् नहीं तो ये कल्पना करने भी शुरू कर दी कि वह त्रिशा की शादी के रिसेप्शन में कडाई पनीर और आलूदम खा रहा है । रिशा ने शर्माते हुए कहा वो यहाँ इसी कमरे में मौजूद है । लोहित की कोई हुई खुशियां लौट आई आपने कल्पना में जहाँ लोहित त्रिशा की शादी के रिसेप्शन में खाना खा रहा था, वहाँ उसने खाने का प्लेट फट से रखा और स्टेज पर चढकर डोले की जगह पर खडा हो गया । लोहित के जन्म से लेकर उस बाल तक इतनी ज्यादा खुशी उसे कभी नहीं हुई थी । वो इतना खुश था कि यदि वो एक राजा होता तो अपनी प्रजा के सभी लोगों में हजारों स्वर्णमुद्राएं बाढ देता । ये ऐसा था जैसे लोहित ने एक लॉटरी के तीन टिकट खरीदे हूँ और उसे ही पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार मिल गया हो । लोहित निश्चित था कि त्रिशा उसी के बारे में बात कर रही है । मगर इसे उसके मुझसे सुनने के लिए उसने फिर पूछा कौन मौजूद है यहाँ पर मुझे तो कोई दिखाई नहीं दे रहा । त्रिशा ने कहा तो उसको उस से मिल पाती हूँ और फिर से खडी हुई डर के मारे लोहित का तो गला सूख गया । लोहित का ध्यान अब उसकी टांगों पे नहीं गया तो निशाने अपनी अलमारी में रखे टेडी बियर को कसकर गले लगाया और कहा देखो ये है मेरा क्रश ऍम । लोहित ने कहा और डैडी को हैंडशेक ऑफर किया । हालांकि टेडी ने कोई जवाब नहीं दिया । लोहित को एक ही समय में दुख और खुशी दोनों महसूस हुई । दुखी इस बात का की वो तृषा का क्रश नहीं था और खुशी इस बात की की उसका रही सिर्फ कैरी है कोई दूसरा लडका नहीं और उसे इस बात की भी खुशी थी की अब उसे बॉन्ड की कुर्बानी नहीं देनी पडेगी । कृषि अपने दोनों हाथों से डैडी को पकडती है और उसकी छोटे काले प्लास्टिक के नाक के साथ अपनी नाक रगडती है । टैपियोका जीवन ही भला सुंदर लडकियों के साथ खेलो । फिर बडे आराम से उनकी अलमारी में सोचता हूँ । कृषि के दोस्त फिल्म देख कर वापस आ गए । अब बॉलीवुड में कहाँ तीन घंटे लंबी फिल्में बनती है । लोहित ने दृशा की सहेलियों से पूछा कैसी लगी मूवी लेकिन तुम्हारी कहानी जितनी दिलचस्प तो नहीं थी । सभी हंस पडे । तृशा की सहेली ने कहा, अब घर चलो की या तो उम्र यही रहने का इरादा है । नहीं नहीं चलो चलते हैं । लोहित पूछा जाते जाते इतना तो बताती जाओ कि हम डेट पर कब चलेंगे । अब तो तुम्हारे पास मेरा नंबर है । हम फोन पर तय कर लेंगे । उस ने कहा और वहाँ से चली गई । लोह इतने बच्चे हुए सेंडविच को खत्म किया और अपने ऑफिस के लिए निकल गया ।
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