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जिनी पुलिस भाग 5 in Hindi

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AuthorArpit Agrawal
लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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भाग चार सभी की जिंदगी में ऐसी टीचर्स होते हैं जिन्होंने उन्हें प्रोत्साहित किया और उनकी जिंदगी को बदला है । तो तृषा दत्ता भी ऐसी ही एक टीचर है जो हर साल सैकडों छात्रों के जीवन में बदलाव लाती है । वो अपनी पीढी की सीआइयू कहेगी किसी भी पीढी की सबसे बेहतरीन सुखी का है । पढाई के प्रति उसका उत्साह छात्रों को भी पॉजिटिव एनर्जी देता है । जब उसे कहा जाता है कि कम उम्र के कारण उसमें एक्सपीरियंस की कमी होगी तो वो कहती है कि किसी को पढाने के लिए बूढा होने की जरूरत नहीं है और वह तब से अपने दोस्तों को पढा रही है जब खुद स्कूल में पढती थी इसीलिए पच्चीस साल की उम्र में ही उसे दस साल का एक्सपीरियंस है । जहाँ दूसरे टीचर्स किसी सब्जेक्ट पर बहुत ही बोरिंग लेक्चर देकर स्टूडेंट्स को सलाह देते हैं तो वो जितना हो सके वास्तविक यानी कि रियल एक्जाम्पल देकर समझाती है । वो छात्रों के साथ विषय पर चर्चा करती है और उनसे भी उनकी राय लेती है । वो छात्रों को बोल के बताने के बजाय यथा सम्भव करके दिखाने की कोशिश करती है । हर बार भौतिकी व्याख्यान के दौरान वो छात्रों को बहुत ही की प्रयोगशाला में ले जाकर उन्हें पहले कार्यशील मॉर्डल दिखाती है और सिद्धांत सिखाती है । वो जानती है कि हम जो आंखों से देखते हैं वो हमें ज्यादा याद रहता है । वो अपनी क्लास के छात्रों को वैज्ञानिक के नाम दे देती है । उदाहरण के लिए जब उसे न्यूटन का गति का नियम पढाना होता है तो वो अपनी कक्षा के किसी छात्र का नाम न्यूटन रख देती है । ऐसे में छात्रों को चैप्टर याद रखना आसान हो जाता है क्योंकि उन्हें मैं जान करने के लिए वैज्ञानिक का एक चेहरा मिल जाता है । तृशा के द्वारा पढाई गई छात्र को घर पर नोटबुक खोलने की भी जरूरत नहीं होती । वो सब्जेक्ट को इतनी आसानी से सुनाती है जैसे कोई दादी अम्मा बच्चों को कहानी सुना रही हूँ जैसे कोई कभी भूल नहीं सकता । लेकिन जब वो छात्रों के आस पास नहीं होती तो वह एक अलग ही शख्सियत होती है जिसके बारे में सिर्फ उसके करीबी ही जानते हैं । वो बडी ही शर्मिली है । अगर वो आपको नहीं जानती तो आपसे बात तक नहीं करेगी । वो आपसे नजरे जुलाई और अगर आप फिर भी उसकी और देखेंगे तो वहाँ से चली जाएगी । लेकिन एक बार अगर आपकी उससे दोस्ती हो जाए तो आप उसके बडबोलेपन को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे । वो तब भी आपको तंग करेगी जब अब सो रहे हो, खा रहे हो या कोई भी जरूरी काम कर रहे हो और नाजुक तो इस बात का है कि जब आपको तंग नहीं करेगी इस बात से अब और भी ज्यादा तंग हो जाएंगे । अगर एक भी दिनों से नहीं देखेंगे तो उसकी यहाँ बताएगी । वो कमाल का शतरंज खेलती है और उसे फिल्में देखने से ज्यादा किताबें पढना पसंद है । जब भी वह यात्रा करती है तो उसके हाथ में हमेशा कोई किताब होती है । वो दसवीं और बारहवीं के छात्रों को दिल्ली के सबसे अच्छे स्कूल में पढाती है या योग रहे कि वह पढाती है । इसीलिए वो स्कूल दिल्ली का सबसे अच्छा स्कूल है । वो ना केवल स्टूडेंट को सब्जेक्ट समझने में मदद करती है बल्कि उन्हें नई चीजों को सीखने में सक्षम भी बनाती है । किसी सामान्य दिन की तरह कृष्णा ने कक्षा में प्रवेश क्या गुड मॉर्निंग मैं क्लास में खडे होकर मैडम का स्वागत किया । ग्राॅस कृष्णा ने मुस्कान के साथ सभी का अभिवादन किया । अपने शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले ही तृषा स्कूल प्रबंधन से छात्रों की सूची लेकर सब के नाम याद कर लेती है । स्कूल के पहले दिन से ही वो हर छात्र को उनके नाम से पुकारती है । वो पिछली कक्षाओं के टीचर से हर छात्र के बारे में फीडबैक ले लेती है । उसे पता होता है कि कौन सा छात्र पढाई में कैसा है । वो कभी भी हाजिरी लेकर या अटेंडेंस लेकर टाइम वेस्ट नहीं करती । खाली सीटें गिनकर पता लगा लेती है कि उसकी क्लास में कितने बच्चे उपस् थित है । वो फिजिक्स बढाना शुरू करती है । किसी भी विषय को पढाने से पहले वो बताती है कि यह वास्तविक जीवन से कैसे जुडा हुआ है जो छात्रों के बीच रूचि पैदा करने में मदद करती है । स्पीड डिस्टेंस एन टाइम को पढाते समय वो अपने छात्रों को वास्तविक जीवन से जुडे प्रश्न देती है । जो भी तृषा के छात्र ट्रेन या बस में यात्रा करते हैं उन्हें दो स्टेशन के बीच की दूरी को यात्रा में लगने वाले समय से डिवाइड कर के ट्रेन या बस की स्पीड की कैलकुलेशन करते हुए देखा जाता है । स्टेशन के बीच की दूरी की सारी डिटेल्स टिकट में दी होती है और लगने वाला टाइम छात्र अपनी घडी में देख लेते हैं । तो आज हम सीखेंगे लॉफबोरो शन उसने कहा पहले में तीनों लो तो में अच्छी तरीके से समझा देती हूँ और फिर हम इस से जुडे सवालों को हल करेंगे जो की परीक्षा में पूछे जाते हैं । तृषा ब्लैक बोर्ड में लगभग पचास मिनट तक सभी विषयों को पढाया । क्या सभी को समझ में आया । तृषा ने हर विषय को समझाने के बाद पूछा । सभी छात्रों ने एक साथ जवाब दिया कि ये ऍम केवल कनाडी छात्र हरप्रीत को छोडकर वो अपना मुंह खोलकर उबासी ले रहा था । त्रिशा जो पढा रही थी उसमें उसका जरा भी ध्यान नहीं था । वैसे भी गर्मी के दिनों में नींद पे काबू रखता ना बहुत ही मुश्किल होता है । कृषि सुबह का सबसे पहला लेक्चर लेती है ताकि छात्र सुस्त ियाँ नीरस नाम महसूस करें । लेकिन पहले ही लेक्चर में हरप्रीत को नींद आ गई । वह चुलबुला पंजाबी लडका है जो सर पे पगडी पहनता है । परीक्षा में सबसे कम अंक प्राप्त करता है लेकिन उसके शरीर का वजन उसकी कक्षा में सबसे ज्यादा है । तृशा उस की तरफ ज्यादा ध्यान देती है क्योंकि उसे पता था कि वह पढाई में कमजोर है । त्रिशा ने उसे नाम से पका रहा हरप्रीत पूरी कक्षा उसकी और देख रहे थे । लेकिन वो खिडकी से बाहर देख रहा था । उसके बगल में बैठे छात्र ने अपनी कोहनी मारकर उसी अलर्ट क्या? तृषा हरप्रीत से कहा आगे आओ और इस विषय को समझाओ । हरप्रीत आगे आया और किसी मोम के पुतले की तरह खडा हो गया । उसे कोई अंदाजा नहीं था कि कक्षा में क्या पढाया जा रहा था । तृशा ने उसके पास जाकर अपना हाथ उठाया । हरप्रीत ने तुरंत ही डर के मारे अपने दोनों हाथ अपने कोमल गालों पर रखकर आंखे बंद कर ली । उसने सोचा कि त्रिशा उसे थप्पड बारे कि जैसा कि किसी दूसरे टीचर ने क्या होता है लेकिन परेशानी ऐसा नहीं किया । तृशा ने उसके सर पर हाथ रखा और विनम्रता से पूछा क्या हुआ बेटा पढाई में ध्यान क्यों नहीं दे रहे हो के तुम्हारी फॅमिली में कोई प्रॉब्लम है या फिर मैं ठीक से पढा नहीं पा रही हूँ । नहीं मैं ऐसी कोई बात नहीं है । अगर कोई स्टूडेंट रिशा के बढाते टाइम ध्यान ना दे तो वही से अपनी ही नाकामी समझती है । कृषि का मानना है कि स्टूडेंट के ऊपर पढाई का प्रेशर बनाने की बजाय पढाई को ही इतना इंट्रेस्टिंग बना दिया जाए । स्टूडेंट को खुद ब खुद पढने का मन करें हरप्रीत त्रिशा की उदारता को देख कर गदगद हो गया । पढाई में कमजोर होने के कारण ता उम्र उसी टीचर्स ने सिर्फ फटकारा है । पहली बार किसी ने उससे इतने अच्छे से बात की । तृषा ने फिर से पूछा तो फिर तुम पढाई में ध्यान क्यों नहीं दे रहे हो? मुझे नहीं पता मैडम ऐसा क्यों होता है । लेकिन जो भी मैं ब्लैक बोर्ड की तरफ देखता हूँ तो मुझे नहीं जाने लगती है । मैसेज जानबूझ कर नहीं करता हूँ । बस ऐसा हो जाता है । त्रिशा ने पूछा फिर तो मैं किस चीज में दिलचस्पी है? तो मैं सबसे ज्यादा क्या पसंद है? खाना खाना? धर्मप्रीत ने मासूमियत से कहा वो क्या करें अगर उसे खाने की सेवा और कुछ सोचता ही नहीं । अब बहस पूछ उठाएगी तो गाना थोडी जाएगी । गोवरी करेगी ना क्लास के सभी छात्र और तृषा हस पडे । अंत में हरप्रीत भी हसने लगा खाने को छोडकर ऐसी कौन सी चीज है जिसके लिए तुम रात भर जाग सकते हो । तुम्हारा ऍम किया है कुछ तो होगा ऐसा खर प्रीत वहाँ खडा अपना सिर खुजलाने लगा । उससे पहले कभी नहीं सोचा था कि उसकी हॉबी क्या है । बहुत सोचने के बाद उसने कहा फुटबॉल हाँ मैं मुझे फुटबॉल खेलना बहुत अच्छा लगता है । मैं बिना खाई पे दिन रात फुटबॉल खेल सकता हूँ । लियोनल मैसी मेरा पसंदीदा फुटबॉल प्लेयर है । हाँ, क्लब बार्सिलोना मेरी पसंदीदा टीम है । सुस्ती और नींद से भरे हरप्रीत में जोश भर गया तो क्या तुम पढाई छोडकर सिर्फ फुटबॉल खेलना चाहते हूँ? ये बडा मुश्किल सवाल था । असल में हरप्रीत चाहता तो यही था मगर अपनी टीचर से वह कैसे कहे तो खेल में अपना करियर बना सकते हो । इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन तुम्हें फिर भी अपनी प्रारंभिक शिक्षा तो पूरी करनी ही होगी । मान लो तुम कल को बहुत बडी प्लेयर बन गई और इंडिया को रिप्रेजेंट करने लगे । तो क्या तुम चाहोगे कि लोग तो में बारह फील कर हैं । हरप्रीत की नजरे शर्म से झुक गई आपने ऍम को फॉलो करो, इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन पहले सुरक्षा प्राप्त करो । कम से कम अपने माता पिता के लिए और जहाँ तक किस सब्जेक्ट में रूचि का सवाल है, इंट्रेस्ट का सवाल है तो तुम पढाई करने के लिए भी अपने फैशन का इस्तेमाल कर सकते हो । हरप्रीत कुछ भी समझ पाने में असमर्थ था । मानो तृषा फिरसे फिजिक्स पढा रही हो । चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद कर होंगी । मुझे ये बताओ कि तो फुटबॉल खेलने कब और कहाँ जाते हो । बीडी ग्राउंड शाम चार बजे उसने कहा, फुटबॉल की संदर्भ मात्र से उसकी आंखें चमक उठीं तो ठीक है । मैं इस रविवार शाम चार बजे वीडी ग्राउंड आउंगी तो मैं अपनी फुटबॉल नहीं कराना । खुशी से भरपूर । हरप्रीत ने तृषा से पूछा मैडम क्या आप भी मेरे साथ फुटबॉल खेल होगी? तृषा ने कहा हाँ तो मेरी कक्षा में पढाई तो करनी रहे हो तो क्यों ना मैं तुम्हारे मैदान में तुम्हारे साथ फुटबॉल खेल लो । आखिर किसी को तो किसी से कुछ सीखना ही चाहिए । तृषा ओदार था का प्रतीक है उसकी पढाई हुई । छात्र परीक्षा में अच्छे नंबर से पास हो इसी को अपनी जिम्मेदारी मानती है । वो छात्रों को सजा नहीं देती जैसा वो कहती है छात्र अक्सर वैसा ही करते हैं और अगर वे ऐसा ना करें तो तृषा के पास उसके अपने तरीके हैं हूँ ।

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लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
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