Made with  in India

Buy PremiumDownload Kuku FM
जिनी पुलिस भाग  1 in  | undefined undefined मे |  Audio book and podcasts

जिनी पुलिस भाग 1 in Hindi

Share Kukufm
13 K Listens
AuthorArpit Agrawal
लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
Read More
Transcript
View transcript

हाई हेलो नववर्ष का स श्रेया का खमा घडी कैसा का मैं गुरु भी पारीक और आप मेरे साथ सुन रहे हैं कुकू एफएम पर किताब जिन्हें पुलिस जिसे लिखा है अर्पित अग्रवाल ने तो इस किताब के सारे एपिसोड्स सुनने के लिए इसे अपनी लाइब्रेरी में एड करने के साथ साथ ऍम बिल्कुल ना बोले तो सुनते रहेंगे ऍम सुने जो मनचाहे । पहला भाग अगर आप दिल्ली में है तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करने की आपके पास दो कारण हो सकते हैं । या तो आपके पास अपनी बोस्टल गाडी नहीं है या आपके शहर में वाहनों के लिए और इवन नियम लागू है । लोहित के पास दोनों ही कारण थी दिल्ली शहर की भीडभाड और तेज गर्मी के बीच लोग इतने डीटीसी बस में प्रवेश किया और सीट की तलाश करने लगा । जब छोटा था उसे खिडकी के बगल वाली सीट हमेशा अट्रैक्ट करती थी । लेकिन जैसे जैसे वह बडा हुआ उसे किसी लडकी के बगल वाली सीट ज्यादा अट्रैक्ट करने लगी । ऐसे अक्सर उम्र के साथ हमारी प्रायोरिटीज बदल ही जाती है । खिडकी के बगल में एक खूबसूरत लडकी बैठी थी और उसका गुलाबी हैंडबैग बेशर्मी से उसकी बगल वाली सीट पर रखा हुआ था । शायद किसी को वहाँ पर बैठने से रोकने के लिए लोहित उसे ताकते हुए सोचने लगा की भला कोई लडकी इतनी खूबसूरत कैसे दिख सकती है । उसकी खूबसूरती लोहित के मैच नेशन से भी बेहतर थी । उसकी गहरी भूरी झिलमिला थी । आंखों का तीस महनों किसी को भी अपने वश में कर ले । कंडक्टर ने सीटी बजाई और ड्राइवर बस को तेज रफ्तार से दौडाने लगा । लोहित ने उस लडकी से उसके बाद की और इशारा करते हुए कहा एक्स क्यों? उसमें ये एकदम साफ था कि लोहित उससे उसका बाद उठाने की बहुत बडी उम्मीद कर रहा था ताकि वहाँ पर बैठ सकें । मगर फिर भी उस लडकी ने ऐसा बर्ताव किया जैसी की उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा हूँ । उसने चौंकते हुए पूछा क्या क्या आप अपना बैग उठा सकती हैं? लडकी ने लोहित की आंखों में देखते हुए पूछा क्यों दोनों की नजरें मिले? वो बिना कुछ कहे एक दूसरे को देखने लगे । महान उनका पिछले जन्म का कोई नाता हूँ? लोहित ने मासूमियत से कहा अब बैंक उठाइए ताकि मैं यहाँ बैठ सकूँ । लडकी ने दूसरी सीटों की और इशारा करते हुए कहा, लेकिन बाकी सभी सीटें भी तो खाली है । आप कहीं और बैठ जाइए उसे देखकर लोहित कुछ इस तरह मंत्र मुग्ध हो गया कि उसने बाकी की सीट्स की तरफ देखा ही नहीं । जिंदगी में अगर आपको सफलता पानी हो तो आपका ध्यान लक्ष्य पर इस कदर केंद्रित होना चाहिए । अपना सामू लेकर लोहित आगे की सीट पर बैठ गया । लोहित से ज्यादा भाग्यशाली तो उस लडकी का बैग था जो उसके इतने करीब रखा हुआ था । कुछ देर के बाद यात्रियों की भीड और सारी सीटें भर गई । एक अधेड उम्र के अंकल खडे रह गई । लोहित भावनाओं में बहकर उठ खडा हुआ और अपनी सीट अंकल को दे दी । अंकल लेट है । इस कहाँ और उस सीट पर ऐसे पसर गए जैसे वो सीट नहीं अंकल के बुढापे की पेंशन हूँ । किस पर सिर्फ उन्हीं का हक हो । लोहित बेसहारा सामूह बनाये उस लडकी के पास खडा हो गया । खिडकी से बाहर देखते हुए वो लडकी अपने बालों को सवार रही थी । काले रंग की कुर्ती और लाल चूडीदार पहने वो इतनी हसीन लग रही थी कि कोई भी लडका बडी प्राउड से उसे अपने माँ बाप के सामने ले जाकर कह सके कि देखो ये मेरी पसंद । उसके बाई कंधे में सिमटे लाल दुपट्टे ने उसकी खूबसूरती को निखारने में कोई कसर नहीं छोडी । लोहित में अपनी सबवे शर्ट और नीली डेनिम में बहुत हैंडसम लग रहा था । उस लडकी ने आखिरकार लोहित के बेबस चेहरे पर तरस खाकर सीट से अपना बाग उठाकर अपनी गोद में रख लिया । वो लोहित से तुरंत वहाँ बैठने की उम्मीद कर रही थी । लेकिन लोहित वहीं उस लौटते हुए हैंडल को पकडे खडा रहा । लडकी ने कहा एक्स की उसमें जी लोग इतने ऐसे चौंकते हुए पूछा जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा हो । लडकियों की तरह नखरे दिखाने में उसे बडा बजा रहा था । आप यहाँ बैठ सकते हैं । लडकी ने कहा और दोबारा अपने फोन में बिजी हो गई । उसे लगा कि लोहित को सीट देकर उसने राष्ट्र के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी को निभाया है । जब हम किसी पब्लिक प्लेस पर इधर उधर कूडा कचरा ना फेंककर कूडेदान में देखते हैं तब जो संतुष्टि महसूस होती है, जो सैटिस्फैक्शन मिलता है, तृशा को शायद वहीं महसूस हुई । लोहित वहां बैठा और उस लडकी के बात को देखकर सोचने लगा, इसका भी क्या नसीब है । पहले उसके बगल में बैठा था और अब सीधा उसकी गोद में । लोहित ने बात शुरू करने के लिए कहा भाई मैं रोहित बंसल हो उसने ऐसे बिहेव किया जैसे उसने कुछ सुनाई ना हो । जैसे लोहित खुद से ही बात कर रहा हूँ । लोहित उसके कान में फस फसाया । मुझे पता है कि तुम तृषा देखता हूँ । मैं एक जासूस हूँ, तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ क्या वो इतनी जोर से चिल्लाई की उसकी आवाज से सडक किनारे पेडों पर बैठे कबूतर उड गए । उसने घबराते हुए पूछा किसने कहाँ है तुम से मेरा पीछा करने को फॅस नहीं हूँ । मैं तो बस मजाक कर रहा था । अगर ब्लॅक लाइन का कोई नोबेल पुरस्कार होता तो वह जरूर रोहित को ही मिलता हूँ । उसने लंबी सांस लेते हुए कहा ये कैसा मजाक है तो उन्हें तो डरा दिया मुझे । रोहित ने कान पकडकर कहा हम सौरी दुनिया में दो तरह की लडकियाँ होती है । एक जो ऐसी सिचुएशन में थप्पड जड देते हैं और एक जो उस करती हैं वो मुस्कुराई । इधर कंडक्टर सभी का टिकट काट रहा था । अच्छा अगर तुम जासूस नहीं तो मेरा नाम कैसे जानती हूँ? वो अभी लोहित को जासूस समझ रही थी तो मैं अपने फोन पर फेसबुक चला रही थी । बस वही मैंने तुम्हारा नाम देख लिया । इससे तुम इतनी चिंता क्यों कर रही हूँ? क्या सच में कोई है जो तुम्हारी जासूसी करवा सकता है । इसी बहाने उन दोनों की बातचीत शुरू हुई । नहीं, असल में मुझे आदत नहीं है बस उसमें यू अजनबियों से मिलने की जो मेरे साथ ऐसा मजाक करें । लाइफ में बहुत कुछ पहली बार होता है । सेनोरिटा, सडक ट्रैफिक जाम लगा था । बस अपनी जगह से हिल भी नहीं रही थी । लोहित और दिशा के पास अपनी सीट पर बैठे बैठे बात ही करने की सेवा और कोई चारा नहीं था । लोग जितने भी कभी नहीं सोचा था कि एक दिन वो ट्रैफिक जन को इतना इंजॉय करेगा । भाई मैं कृष्णा हूँ । उसने कहा और लोहित के साथ हाथ मिलाया । उसका टच लोहित के लिए किसी इलेक्ट्रिक करन से कम नहीं था । तो शादी पूछा बसों में अनजान लडकियों से फ्लर्ट करने के अलावा तो मार्केट करते हूँ ऍम वो सुनने में तो काफी दिलचस्प लगता है लेकिन किसी कंपनी का सी । ई । ओ पब्लिक ट्रांसपोर्ट में क्या कर रहा है? एक छोटी सी कंपनी है मुझे इंट्रेस्टिंग आइडिया आया । मैंने अपनी जॉब छोड दी और अपने जैसे बीस सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को लेकर कि मैंने ये कंपनी शुरू कर दी । हम अपने वेतन का भुगतान करने के लिए देशभर से छोटे छोटे प्रोजेक्ट्स लेते हैं और खाली टाइम में मेरे आइडिया पर काम करते हैं । मैंने अपनी सारी सेविंग्स अपनी इस कंपनी पर खर्च कर दी है और मुझे यकीन है कि एक दिन मेरी कंपनी बहुत बडी हो जाएगी । क्या मैं पूछ सकती हूँ क्या है तुम्हारा ही इंट्रस्टिंग आइडिया हम एक ऑटोमेटिक कॉल सेंटर प्लेटफॉर्म डेवलप कर रहे हैं जिसमें बॉर्ड कस्टमर से बात करेंगे । उनकी प्रॉब्लम्स को सुनेंगे और किसी भी ह्यूमन के इंटरफेयर के बिना इसका जवाब भी देंगे । ये इंसानों की तरह ही कंप्यूटर प्रोग्राम होंगे । क्या सच में ऐसा हो सकता है वो हाँ हो सकता है । करण सिनेरियों में कस्टमर के द्वारा पूछे गए बहुत ही कॅश और उसके आंसर्स का एक डॉक्यूमेंट कॉल सेंटर के लोगों को दिया जाता है । उन्हें अपने प्रोडक्ट की कोई डिटेल इन्फॉर्मेशन बिल्कुल नहीं होती । वो पाॅइंट पढकर मशीनों की तरह बात करते हैं तो उन की बजाय मशीनें ही ये काम क्यों ना करें । हम वाइस मॉड्यूलेशन टेक्निक कभी यूज करेंगे । बॉर्ड इंसानों की वो इसमें ही बात करेंगे और कस्टमर ये समझ नहीं पाएंगे कि वो इंसानों से नहीं बल्कि कंप्यूटर से बातें कर रहे हैं । उस टाइम के बारे में सोचो जब तुम किसी कंपनी के कस्टमर केयर को कॉल करोगे और वह तुरंत करेक्ट हो जाएगा तो मैं उस चिडचिडी कॉलेज भी उनको नहीं सुनना पडेगा की हमारी सभी प्रतिनिधि अन्य कॉल पर व्यस्त है । कृप्या लाइन पर मौजूद रहे या थोडी देर पश्चात कॉल करें आपका कौन हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो ये बॉस हमसे बातें करेंगे और हमारी हेल्प करेंगे और ये इंसानों से कई ज्यादा बेहतर होंगे क्योंकि मशीनें ना तो बेहतर पैकेज के लिए नौकरियाँ छोडेगी ही कुछ भूलेगी और ना ही रात को सोई की पैसे । तुम्हारा आइडिया तो शानदार है रोहित लेकिन इससे हमारे देश में काम कर रहे लागू कॉलसेंटर कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है । उसका क्या? लोग इतने भूमि सिकोडते हुए कहा हम ऑटोमेशन को सिर्फ इसीलिए ना कहा नहीं सकती कि इससे हमारे लोगों की नौकरी चली जाएगी । दूसरी और उन वॉस्को डेवलप और मेंटेन करने के लिए हजारों सक्षम सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को काम भी तो मिलेगा । काश अगर ये देश बेहतर तकनीक का उपयोग करने लगे तो करियर पाने की होड में यहाँ के इंजीनियर्स को विदेश न जाना पडेगा । इतना कहकर लोहित कुछ देर शांत हो गया । वैसे भी त्रि सुंदर लडकी से बहस करना अच्छी बात थोडी ना है । आज तो क्या करती हूँ? मैं स्कूल में टीचर हूँ । वो माफ कीजिएगा । मैडम भरे आपको परेशान किया अगर आप चाहे तो मैं सौ उठक बैठक लगाने को भी तैयार हूँ । अरे मैं टीचर नहीं हूँ । आज तक मैंने कभी किसी स्टूडेंट को पनिशमेंट नहीं दी है । अच्छा फिर तो बच्चों को कंट्रोल कैसे करती हूँ? अपनी अदाओं से उन्हें पडने के लिए मजबूर करने के बजाए में पढाई को ही इतना ईजी और इंट्रेस्टिंग बना देती हूँ कि स्टूडेंट मेरी क्लास में मुझे सुनना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं । लोहित सोचा हाँ, वही तो मैं आखिर कौन सुनानी जाएगा? तो मैं शायद लगे कि मैं तुमसे फ्लर्ट कर रहा हूँ, लेकिन विश्वास करो मेरा । मुझे लगता है कि मैंने तो में पहले कहीं देखा है । बेशक में सोचूंगी की प्लॉट करने का ये सबसे पुराना तरीका है । लोहित सोचा पुराने तरीके इस्तेमाल नहीं करता मैडम । कुछ ही घंटों पहले मुझे पिक अप लाइंस के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है । रोहित ने फिर कहा मैं झूठ बोल रहा है । तृशा तत्ता नाम की एक लडकी मेरे स्कूल में थी । तृषा ने मुस्कुराते हुए कहा हाँ मेरी क्लास में भी लोहित बंसल था क्या लोहित उम्मीद कर रहा था कि काशी वही लडकी हो जिसे वो जगह जगह तलाश रहा है । लोहित ने कहा, तृषा मेरे बचपन का क्रश है । मैं कभी नहीं भूल सकता । हमने जो पल सात बताए थे, मेरी जिंदगी की सबसे यादगार लम्हे है । हम मुंबई में एक ही स्कूल में पढते थे । मगर मैं कभी मुंबई गए ही नहीं और मेरे स्कूल में लोहित नाम का कोई नहीं था । निराशा के काले बादल लोहित पर फिर से मंडराने लगे । मेरा स्टॉप आ गया तो उन से मिलकर अच्छा लगा । ऐसा कहकर दिशा बस से उतर गई । लोहित ने भगवान को कोसते हुए कहा, ये भगवान इतनी भी क्या जल्दी भी ट्रैफिक जाम खत्म करने की कहा । श्री बस कभी आगे बढते ही नहीं । वह अपने स्टॉप तक कभी पहुंचती ही नहीं । हम बस यूँ ही बैठे बैठे बातें करते रहते हैं । लोग है तो उससे नंबर लिए बिना उसे जाने नहीं देना चाहता था । उसके साथ वो बहुत अच्छा महसूस कर रहा था जैसे कि वो अपनी तृषा के साथ करता था । इससे पहले की बस अपनी स्पीड से दौडने लगती लोहित भी बस से उतर गया । तृशा बस स्टॉप पर ही खडी थी और लोहित को देखकर ऐसे मुस्कुराई जैसे वो लोहित के आने का ही इंतजार कर रही हूँ । तृषा ने पूछा घरे हमने तो वसंतकुंज का टिकट लिया था, फिर यहाँ के उतर गए । वो अच्छी तरह से जानती थी कि लोहित बस से उसके लिए ही उतरा था । फिर भी उसने लोहित को चढाने के लिए पूछा । लोग इतने अपनी सफाई में कहा कि मुझे यहाँ पर कुछ काम याद आ गया । हाँ, वही आखिरी तुम सीईओ हूँ और तो मैं तो कहीं भी काम हो सकता है । तृष्णा वहाँ से जाने लगी । लोहित ने तृषा को रोकने के लिए झट से पूछा तो मैं काफी पसंद है या चाहे क्यों? अगर तुम बताओ की नहीं तो मैं सामने वाले इंडियन कॉफी हाउस में तुम्हारे लिए ऑर्डर कैसे करूंगा? वो लोहित की बात सुनकर सोच में पड गई । अब चलो भी मैं कुछ और टाइम तुम्हारे साथ बताना चाहता हूँ । तो मैं अपनी दिशा के बारे में बताना चाहता हूँ । ठीक है, लेकिन आधे घंटे से ज्यादा नहीं । उसने कहा, हर वह लोग हित के साथ चलने लगी । उन्होंने कॉफी आउटलेट में एंट्री ली । वहाँ की हवा कॉफी के मनमोहक सुगंध से भरी थी । खाएंगे तो भगवान जी, इंडियन कॉफी हाउस हर जगह ब्रांच खोलने के लिए लोग इतने मैंने देखते हुए कहा, मैं पहले कभी किसी भारतीय मूल की कॉफी चेन में नहीं गया । उम्मीद यहाँ की कॉपी अच्छी हो । तृषा ने कहा, भारतीयों द्वारा बनाई गई हर चीज अच्छी होती है । लोग इतने अपना ज्ञान शेयर करते हुए कहा तो ये बताया है । शताब्दी में मूल भारतीयों को ब्रिटिश कॉफी हाउस में जाने की परमिशन नहीं थी और इसीलिए इंडियन कॉफी हाउस टेन का गठन किया गया था । त्रिशा ने उत्साह से कहा बडी ही इंट्रस्टिंग हिस्ट्री है पैसे अब मुझे अपनी तृषा की हिस्ट्री बताओ । लोहित ने अपनी तृषा को याद करते हुए कहा बहुत कुछ बताने को कहाँ से शुरू करूँ परेशानी । कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा, शुरू से शुरू करूँ जब तुमने उसे पहली बार देखा था । लोहित अपनी स्कूल की कहानी सुनाना शुरू करता है है ।

Details

Voice Artist

लोहित बंसल, एक टेकी है, जो अमेरिका में अपनी कंपनी का हेडक्वाटर खोलकर, दुनिया के अमीर लोगों में शुमार होना चाहता है। तृषा दत्ता बेहतरीन स्कूल टीचर है, जो इंडिया में ही रहकर स्टूडेंट्स को क़ाबिल बनाना चाहती है। दोनों में प्यार हो जाता है, लेकिन उनकी शादी से ठीक पहले वो होता है जिसके लिए दिल्ली बदनाम है। सुनिए, कुकुफम पे आपकी सबसे पसंदिता किताब "है दिल का क्या कसूर" के लेखक अर्पित अग्रवाल की नई ऑडियोबुक “जिनी पुलिस”। ये जानने के लिए की कैसे एक खुशमिजाज लड़का अपनी मिलियन डॉलर कंपनी को दांव पे लगा कर बनता है एक हीरो, और एक विलियन, इस सिस्टम से लड़ने के लिए, और अपराध को जड़ से ख़त्म करने के लिए।
share-icon

00:00
00:00