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From Weds To Vs Part 8 in  |  Audio book and podcasts

From Weds To Vs Part 8

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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उधर ईशा के मायके की तस्वीर एकदम बदली सी होती है । ईशा का उनके प्रति रवैया, उसकी बात करने का ढंग सब बदला बदला सा होता है । भाई की तरफ से आए हुए लोग जब ईशा के मायके में रहने का कारण पूछते हैं तो इसके जवाब में वह सारा का सारा दोष भानु के ऊपर मार देती है । वो उस दिन की ईशा की भाई के साथ हुई लडाई झगडे का कारण भानु को बताते हैं । वो भालू पर इल्जामात की बारिश कर देते हैं । उनका कहना है भानु बहुत बुरा लडका है । वो रोज रोज शराब पीकर ईशा के साथ झगडा और मारपीट करता है तो कमाता भी कुछ नहीं है । उनके परिवार के और ईशा के खर्चे के लिए हमने कई बार एशिया को रुपये भेजेंगे । वो ईशा को बात बात पर गालियाँ देता है । उसके परिवार का रवैया भी ईशा के प्रति ठीक नहीं है । वो हर समय हम से कुछ ना कुछ मांग करते रहते हैं । एशिया को बात बात पर ताना मारते हैं । ओडिसा की माने तो वो जैसे अपने ससुराल में नहीं बल्कि किसी जेल की कालकोठरी में रह रही होती है । उनकी बातें सुनकर भाइयों की तरफ से आए हुए लोग काफी दंग रह जाते हैं और वो भालू पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं और कहते हैं बहानों और उसके परिवार को हम कब से जानते हैं जब वो एक दो साल का था । आपके द्वारा भान ऊपर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं । आपको भानु और उसके परिवार के प्रति कोई न कोई गलतफहमी हुई है । आप भगवान ऊपर आरोप लगाती हो वो शराब पीता है और इसी शराब के नशे में ईशा के साथ लडाई, झगडा, मारपीट करता है । ये सब झूठ है । वाहनों को हम सब उसके बचपन से जानते हैं और हमारा घर भी उनके घर के पास ही है । हम सब एक परिवार की तरह रहते हैं । हमारा दिन में कई बार वाहनों के घर आना जाना लगा रहता है । अगर इस तरह की कोई भी बात होती है तो सबसे पहले हमको यानी मोहल्ले वालों को पता चलती है । आप कहते हैं कि बंदा बुरा लडका है जबकि उस से अच्छा और शरीफ लडका हमारे पूरे मोहल्ले में दूसरा कोई नहीं है । और रही बात कामकाज करने की, पैसे कमाने की और आपके द्वारा दिशा को जीवन यापन के लिए पैसे भेजने की तो आपको सरासर झूठ बोल रहे हैं । आपका इल्जाम तो सरासर गलत और बेबुनियाद है । आप अपनी बेटी को समझाने और उसका घर बसाने के बजाये उसका साथ दे रहे हैं । आप उसके माता पिता हैं और उसके माता पिता होने के नाते आपका ये फर्ज बनता है कि आप अपनी बेटी के ससुराल में ज्यादा दखलंदाजी न करें । हाँ, अगर वो कुछ ज्यादा ही तंग करें तो बात कुछ लगे परन्तु बहनों के परिवार को हम काफी सालों से जानते हैं । उनके परिवार में ऐसी कोई बात हो ही नहीं सकता । भालू की तरफ से गए हुए लोग अब ईशा को समझाते हुए कहते हैं, तो कैसी माहौल जो पिछले दो सप्ताह से अपनी बेटी के बिना रह रही हूँ । हम से तो अपने बच्चों के बिना एक पल भी नहीं रहा जाता हूँ और तुम अपनी दूध पीती बच्ची को छोडकर यहां चली आई हूँ । चलो माना कि भानु से कोई गलती हो गई है । इस बात का मतलब नहीं कि तुम हूँ उसे छोडना, यहाँ लिया हूँ और फिर वो तुम्हारा पति है । और पति पत्नी के बीच अनबन तो होती ही रहती है परन्तु हर बार अपने माता पिता के पास ये चले आना अच्छा नहीं होता और अब तो तभी दूसरी बार गर्भवती भी हूँ । अपनाना सही अपने होने वाले बच्चे का तो ख्याल करूँ तुम अभी हमारे साथ चलो । अगर भाई उन्होंने कोई गलती की है तो उसे हम सब मिलकर समझाएंगे और आइंदा से वो ऐसा कुछ भी नहीं करेगा । इस बात की जिम्मेदारी हम सब अपने ऊपर लेते हैं । भानु की ओर से ईशा को लेने गए हुए लोगों की वो एक नहीं सुनते और उल्टा धानों और उसके परिवार वालों को ही बुरा भला कहने लगते हैं । काफी देर तक बयानबाजी और बहस बाजी के बाद नतीजा ये निकलता है की ईशा के मायके वाले ईसा को उसकी ससुराल में भेजने के लिए राजी नहीं होते और भाई और उसके परिवार वालों पर कानूनी कार्रवाई करने धमकी दे देते हैं । उनकी बातें सुनकर और ईशा के बिना ही वो सब वापस आ जाते हैं और भाई के पिता दिशा के मायके में हुई सब बातें बताते हैं । उनकी बातें सुनकर भानु के पिता को अब ये लगने लग गया था कि अब बात और बढेगी परन्तु इस बार तो हद ही हो गई थी । जो बातें एशिया के मायके वाले कर रहे थे उसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं । वो सिर्फ झूठ का सहारा लेकर भानु और उसके परिवार वालों को बदनाम कर रहे थे । इससे पहले की बात और ज्यादा बिगड जाती बहनों के पिता ने अपने एक वकील दोस्त की इस बारे में सलाह लेनी । ठीक अगले दिन भाइयों के पिता भानु और उसकी बुआ के लडके चेतन को लेकर उस वकील से मिलने के लिए गए । उन्होंने वकील को सारी बातें बताते हैं । पहले तो वकील ने उनसे कहा इस बात में कोई शक नहीं है कि आप सच बोल रहे हैं परन्तु आपकी सच को कोर्ट में सच साबित करना बहुत मुश्किल काम है क्योंकि कोर्ट कचहरी में लडकी वालों का पक्ष भारी माना जाता है । अपने पक्ष को जज के सामने मजबूती से रखने के लिए वो कुछ इल्जाम लगा सकते हैं जैसे मारपीट करना और दहेज के लिए प्रताडित करना आदि मुख्य कामों में से हैं । अगर लडकी पक्ष के लोग इस तरह का कोई भी काम आप के ऊपर लगा रहे हैं तो इन कामों को बेबुनियाद साबित करना बहुत मुश्किल काम होता है । वाहनों और उसके पिता उसकी बातों को सुनकर थोडा डर जाते हैं और उन्हें कहते हैं ऐसा कुछ तो आज तक हुआ नहीं है जो वो सब हमारे और भाई के बारे में बोल रहे हैं । इनके द्वारा लगाए गए इस सब इल्जाम झूठे और बेबुनियाद है । लेकिन फिर भी अगर वो ऐसा कह रहे हैं जिसको की अदालत में गलत साबित करना मुश्किल है तो अपने बचाव के लिए हम सबसे पहले कोई न कोई रास्ता तो होगा ही । उनके वकील ने उन्हें कहा कि वह सबसे पहले अपने नजदीकी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा देंगे और अपने परिवार के सभी सदस्यों की जमानत करवा रहे हैं और ईशा के पति यानी भाई को पुलिस के सामने पेश कर भानु के पिता ने ऐसा ही किया । भानु ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह कभी पुलिस और कोर्ट कचहरी के चक्कर में पडेगा परन्तु ईशा की वजह से आज उसे कचहरी और पुलिस थाना दोनों के दर्शन हो गए । उधर दिशा के माता पिता भानुं और उसके परिवार पर इल्जाम पर इल्जाम लगाए जा रहे थे । वो अपने रिश्तेदारों को तो भानु और उसके परिवार के बारे में बोल ही रहे थे । साथ ही वह बहनों के रिश्तेदारों के पास जाकर क्या उन्हें फोन करके भानु और उसके परिवार के ऊपर कीचड उछाल रहे हैं । वो समाज के सामने अपने आप को सच्चा साबित करने की हर संभव कोशिश कर रहे थे । एक दिन ईशा और उसके माता पिता वाहनों के बडे ताऊ जी से मिलने उनके शहर गई और उनके सामने अपना दुखडा सुनाने लगते हैं । वो उनसे भानु और उनके परिवार की जमकर शिकायतें लगाने लगे । अपने आप को सच्चा साबित करने के लिए ईशा उन सबके सामने आंसू तक बहाने लग गई । वहाँ के बडे ताऊ जी को वालों के घर में चल रही इस तरह की बातों का बिल्कुल भी पता नहीं था । ईशा और उसके परिवार की बातें सुनकर पहले तो उन्हें वहाँ पर बहुत गुस्सा आता है तो उसी समय वाहनों के पिताजी को फोन करके डांटने के अंदाज से बात करते हैं । बहनों के पिता एशिया के परिवार की तरफ से की गई इस तरह की हरकत पर हैरानी व्यक्त करते हैं । वो अपने बडे भाई के सामने कुछ बोल नहीं पाते हैं और वो उसी समय उनके पास आने के लिए कह देते हैं और साथ में ये भी बोल देते हैं । फिर आप ईशा और उसके माता पिता को वहीं पर रोक कर रहे वो भाई को लेकर पूरे परिवार समेत अभी किसी समय आपके पास आने के लिए निकल पडते हैं । भाई के बडे ताऊ जी भानु के पिता का संदेशा ईशा के परिवार वालों को सुनाते हैं और कहते हैं कि वो सब भी यहीं पर रुक कर उन के आने का इंतजार करेंगे । उन के आने के बाद हम सब आमने सामने बैठकर इस बात का फैसला करेंगे कि सच क्या है और झूठ क्या है । भालू के बडे ताऊ जी एशिया के पिता को इस बात का भी भरोसा दिलाया कि वो उनके परिवार में सबसे बडे हैं और उनकी कहीं हुई बात को भानु के पिता कभी नहीं डाल सकते हैं और अगर उन्हें डांटने की जरूरत पडी तो उनके परिवार को डांट भी सकते हैं । वाहनों के बडे ताऊ ने ईशा को भी इस बात का भरोसा दिलाया कि वह घबराए नहीं । उनकी बहुत ही नहीं बल्कि बेटी के समान है । अगर भानु ने उसके साथ ऐसा कुछ किया है तो वो उसे छोडेंगे नहीं । बालों के बडे ताऊ जी ईशा के परिवार को अपने घर में बैठाकर भालू के परिवार वालों के आने का इंतजार करने के लिए कहकर वहाँ से कुछ जरूरी काम के लिए चले आते हैं और अपने नौकरों को उन सबकी खातिरदारी करने के लिए कह जाते हैं । परन्तु थोडी ही देर के बाद जब वो वापस आते हैं तो ईशा और उसके परिवार वालों को महान नहीं पाते हैं । उनको घर के नौकरों से पता चलता है कि वो जो वहाँ से बाहर गए थे तो उसी समय ईशा अपने परिवार के साथ मासिक चली गई । भाई के ताऊ जी ईशा और उसके परिवार के इस तरह के बर्ताव के लिए हैरान थी । उन्होंने बहनों के पिता को फोन करके सारी जानकारी दी । तभी बहनों के पिता ने सारी बात उनको बताई कि ईशा और उसके परिवार वालों ने किस तरह का बर्ताव उनके साथ किया था । उनकी सारी बात शंकर भाई के ताऊ जी हैरान रह जाते हैं और उन्हें ढांढस बनाते हैं और कहते हैं कि वह सब घबराए नहीं । हम सब उनके साथ । दूसरी तरफ दिशा के परिवार वाले भानु और उसके परिवार की बुराई का ढिंढोरा उनके सभी रिश्तेदारों में पीटते बानू और उसके परिवार वाले इसलिए चुप बैठ जाते हैं और उन्हें कुछ नहीं कहते हैं क्योंकि उन दिनों में ईशात गर्भवती होती है और भाई के परिवार का मानना होता है कि दूसरा बच्चा होने पर ईशा और उसके परिवार वालों में कुछ सुधार हो जाएगा । ईशा ने उनकी जिन रिश्तेदारों में उनकी बुराई का ढिंढोरा पीटा था वो सब उनके पास आकर दिशा और उनके बीच चल रही लडाई के बारे में पूछते हैं परन्तु बहनों के परिवार वाले किसी के साथ ईशा की बुराई नहीं करते क्योंकि उनका मानना होता है कि जो कुछ भी हो आखिरकार रहना तो निशाने उनके साथ ही होता है जिस वजह से वो अपने रिश्तेदारों के जवाब में ईशा की बुराई नहीं करते । ईशा को गए हुए तीन महीनों से ऊपर का समय हो गया था और इन तीन महीनों के दौरान उसने एक बार भी बडी को मिलने की कोशिश की और नहीं उसकी कुशल मंगल जानने की । कभी किसी से कोशिश एक दिन बहनों को उसके किसी परिचित रिश्तेदार से पता चलता है कि ईशा ने अपना गर्भपात करवा लिया है । इसके बारे में जानकर थानों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन ही सकते हैं । उसने ये बात अपने परिवार में बताइए । पूरे परिवार में शोक की लहर दौड रहे हैं परन्तु किसी को भी एशिया की इस घिनौनी हरकत पर यकीन नहीं हो रहा था । सच्चाई का पता लगाने के लिए भागो अपनी माँ के साथ उसी समय अपने ननिहाल की तरफ रवाना हो गया मानों कि ननिहाल के पास के घर में ईशा की कुछ रिश्तेदार रहते थे जिससे सच्चाई का पता लग सकता । भानु मामी और उसकी माँ इस सच्चाई का पता लगाने के घर गए और जो बातें उन्हें पता लगी वो सुन कर सन्न रहेंगे । ईशा के मायके पहुंचने ही उसकी मान है । अपनी एक सहेली जो डॉक्टर थी उसके साथ मिलकर उसी दिन उसका गर्भपात करवा दिया था जिसके कारण ईशा की हालत कुछ बिगड गई थी और उस वजह से उसे कई दिनों तक अस्पताल में दाखिल होना पडता है । लेकिन इतना सब हो जाने के बावजूद ये भानु और उसके परिवार वालों तक इस बात की भनक तक नहीं लगने देते । उधर भानु अपने ननिहाल से अपनी माँ के साथ घर वापस आ जाता है परंतु सारे रास्ते वो दिशा द्वारा किए इसके उन्होंने काम के बारे में सोचता रहता है कि आखिरकार वह क्या मजबूरी थी जिसके कारण उसने अपने परिवार के साथ मिलकर इसके उन्होंने काम को अंजाम दिया । वहां उन्होंने अपने दूसरे बच्चे के लिए कई तरह के सपने संजोए हुए थे । वो दो बच्चों का पिता बनने जा रहा था परंतु ईशा द्वारा की इसके उन्होंने काम ने वालों की सारे सपने तोड कर रखती है । भाइयों से अपने दूसरे बच्चे के कत्ल यानी गर्भपात का सदमा बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपने कमरे में जाकर आत्महत्या करने की कोशिश करने लगा । वो अपने ननिहाल से वापस आकर सीधा अपने कमरे में जाता है । वहाँ जाकर पहले तो दिशा का सामान तोड है । उसकी कमरे में रखी हुई सभी फोटो को फाड देता है और अपने कमरे में रखी हुई बहुत सी दवाइयाँ आत्महत्या करने के मकसद से खा जाता है और साथ साथ अपने लेपटॉप से अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए अपनी आत्महत्या और ईशा और उसकी माँ के द्वारा किए इसकी उन्होंने काम के बारे में सब को बता देता है । बहनों आपने लेपटॉप पर फेसबुक चलाते हुए बेहोश हो जाता है और उसकी आत्महत्या वाली बात फेसबुक के जरिये उसके करीबी परिजनों तक पहुंचती है । वो सब भानु की भाई को फोन पर इस बात की सूचना देने लगते हैं । उधर भगवान के घर के काम वाली कानों का कमरा साफ करने के लिए उसकी कमरे में जाती है और बालों को वहाँ बेहोश पाकर शोर मचाते थे । कितने में बालों के घर उसके करीबी रिश्तेदार और मोहल्ले वाले इकट्ठा होना शुरू हो जाते हैं । भाई को बेहोशी की हालत में ही अस्पताल ले जाते हैं । अस्पताल में डॉक्टर अपना इलाज शुरू कर देता है और आत्महत्या का केस होने के कारण पुलिस को इसकी सूचना दे देते हैं । पुलिस को तो भानु के पिता और कुछ करीबी रिश्तेदार संभाल लेते हैं और आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज नहीं उधर भाई को होता जाता है । पहले तो भानु के पिता जी से खूब डांट लगाते हैं परंतु डॉक्टर और बाकी परिजनों के कहने पर उसे दोबारा कुछ नहीं कहते । बानू एशिया की इस घिनौनी हरकत के कारण उसे छोडने का अपना फैसला सबको सुना देता है । यानी कि वो अब उसे तलाक देना चाहता है और उसके साथ रहना नहीं चाहता था । दूसरी तरफ दिशा के परिवार को वाहनों की सरकार के बारे में पता चल जाता है और वो भालू के परिवार से राजीनामा करने की कोशिश करने में जुट जाते हैं । इस काम के लिए वो अपने करीबी रिश्तेदारों की मदद लेते हैं और उन के जरिए भाई के घर संदेशा पहुंचाते हैं । परन्तु भानु अपना फैसला सबको सुना देता है और अपने फैसले पर अटल रहता है । धीरे धीरे दोनों पक्षों के सभी रिश्तेदारों में भानु की ईशा से तलाक लेने वाली बात फैल जाती है और वो उसे समझाने में जुट जाते हैं । बालों किसी की भी बात को नहीं मानता हूँ और अपने फैसले पर अटल रहता है । ईशा की तरफ से आए हुए लोग उसे बताते हैं कि हो सकता है ईशा की कोई मजबूरी रही होगी जिस कारण उसने ये कदम उठाया हूँ । परन्तु वालों को अवीशा की किसी भी बात पर यकीन नहीं होता और इसके जवाब में वह कहता है मैं आपकी बात पर बिल्कुल भी सहमत नहीं क्योंकि इससे पहले भी ईशा मायके के फोन के कहने पर जानबूझकर अपना गर्भपात करा चुकी है क्योंकि उसके पहले गर्भकाल के दौरान उसे जिस बात के लिए मना किया जाता था ईशा जानबूझकर वही काम करती थी । इसकी जिम्मेदार सीधे तौर पर इसकी माँ और इसकी मौसी है । मैं उस लडकी से अब कोई वास्ता नहीं रखना चाहता हूँ जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में अपने पति की ना हो सकती है जो अपनी माँ के कहने पर मुझे कठपुतली की तरह मैं चाहती नहीं जिसने अपनी दूधमुंही बच्ची के बारे में एक बार भी नहीं सोचा और जो अपनी माँ की तो हर बात मानती है परंतु अपनी कोख से जन्मी अपनी डेढ साल की बच्ची को माँ का प्यार नहीं दे सकती । ऐसी लडकी मुझे नहीं चाहिए कि जो मुझे और मेरे सारे परिवार को अपने परिवार के आके नीचा दिखाने पर तुली बहनों की बातें सुनकर वो सब वहाँ से चले जाते हैं और वहाँ पर हुई एक एक बात ईशा और उसके परिवार को बता देते हैं । ईशा के पिता तुरंत जाकर भानु और उसके परिवार के खिलाफ केस दायर कर देते हैं और ढेर सारे इल्जामात की लिस्ट बनाकर पुलिस वालों को हमारे ईशा के परिवार वाले भानु और उसके पूरे परिवार पर पहला इल्जाम दहेज उत्पीडन का लगाते हैं । इसमें वो बताते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी में अपने सामर्थ्य से ज्यादा धन खर्च किया था और उन्होंने दहेज भी अपने सामर्थ्य से ज्यादा ही दिया था । जिसमें घर के सारे सामान से लेकर चालीस बोले यानी लगभग चार सौ ग्राम सोना भी दिया था । दूसरा इल्जाम भाइयों पर शराब पीकर मारपीट की लगाया था । उनका कहना था की भानु रोजाना शराब पीने का आदी था और वो अक्सर रात को बाहर से शराब पीकर आता । ईशा जब उसे शराब पीने से मना करती तो उसके साथ मारपीट करने लगता हूँ । तीसरा इल्जाम उन्होंने ये लगाया एशिया का गर्भपात भानु और उसके परिवार वाले जिनमें बहनों के पिता और भाई शामिल हैं उनके ईशा के साथ मारपीट के कारण हुआ है । उन्होंने चौथा इल्जाम लगाया कि भाई के परिवार वालों ने उसकी दूधमुंही बच्ची को उनसे दूर रखा । ईशा के परिवार वालों का कहना था कि जब वहाँ के घर से अपने मायके जा रही थी तो भानु की माने उससे उसकी दूधमुंही बच्ची को उससे छीन लिया और उसे धक्के देकर घर से बाहर निकाल दिया । बालू के परिवार वाले अपने ऊपर लगे ऍसे काफी गुस्से में आ जाते हैं और वह उन कानूनी कार्यवाही करने के लिए कानून के बडे ताऊ जो खुद एक वकील हैं उनकी सलाह लेते हैं । भाई के बडे ताऊ उनको कोर्ट कचहरी के चक्कर में ना पढते हुए बाहर ही मामला सुलझाने की सलाह देते हैं । बहनों के पिता को ये बात अच्छी लगती है और वो इसके लिए वो अपने शहर की स्वर्णकार बिरादरी से संपर्क करते हैं । वो पानी के पिता उनको सब कुछ सच सच बता देते हैं । स्वर्णकार बिरादरी के प्रधान पानी के पिता को उनकी सहायता करने का आश्वासन दे देंगे । स्वर्णकार बिरादरी के प्रधान एशिया के शहर की स्वर्णकार बिरादरी के प्रधान से संपर्क करके मामला कोर्ट कचहरी में ना ले जाकर बाहर ही सुलझाने पर जोर डालते हैं । एक दिन वो दोनों परिवारों को आमने सामने बैठाकर मामला बाहर ही सुलझाने के लिए बुलाते हैं । पहले तो स्वर्णकार बिरादरी के प्रधान दोनों परिवारों पर सुलह सफाई करके उनके बीच राजीनामा कराने पर जोर डालते ईशा के पिता तो इस बात पर राजी हो जाते हैं परन्तु भानु अपने फैसले पर अभी भी पडा रहता है । काफी देर बहसबाजी के बाद ईशा के पिता उनके सामने अपनी दो शर्तें रख देते हैं । पहली शर्त ये की वो सब कुछ भूलकर एशिया को फिर से अपने घर लें परंतु इसके लिए पानी को अलग से घर लेकर रहना होगा और इस घर में ईशा के ससुराल पक्ष के किसी भी सदस्य की दखलंदाजी नहीं नहीं । दूसरी शर्त ये कि ईशा के तलाक देने की स्थिति में उसे उसके जीवन यापन के लिए चालीस लाख रुपये देने होंगे । वानू और उसके परिवार के लिए दोनों शर्तों को पूरा करना भानु और उसके परिवार के लिए दोनों शर्तों को पूरा करना मुश्किल था क्योंकि वो भालू ओडिशा को अलग से घर लेकर नहीं रखना चाहते हैं क्योंकि इससे उनके और उनके परिवार को भविष्य में ईशा की वजह से और भी समस्याएं आ सकती है और दूसरी तरफ वो मध्यमवर्गीय परिवारों में से थे और उनके लिए चालीस लाख जैसी इतनी बडी रकम का इंतजाम करना बहुत मुश्किल काम था । बहनों के पिता अपने आप को बुरी तरह फंसा हुआ महसूस कर रहे थे । उनके पास इस मुसीबत से छुटकारा पाने का कोई रास्ता नजर नहीं आना हूँ क्योंकि एक और वह ईशा को दोबारा से अपने पास रहने नहीं देना चाहते थे और दूसरी ओर इतनी बडी रकम का इंतजाम कर पाना उनके लिए मुश्किल काम था । अंत में भानु के पिता उनके द्वारा रखी हुई दोनों शर्तों को पूरा कर पाने में अपनी असमर्थता जाहिर करना है और उसे कहते हैं या तो इस मामले का कोई और हर धोनी और या फिर हम न्याय के लिए कोर्ट में जाना पसंद करेंगे क्योंकि ईशा को हम दूसरा घर लेकर नहीं दे सकते क्योंकि इससे हमारा भविष्य अधर में पड सकता है क्योंकि ईशा के उनके घर में रहते हुए भी मायके वालों की दखलंदाजी इतनी ज्यादा थी कि आज इसका नतीजा आप सबके सामने अगर वो उन्हें दूसरा कोई अलग से घर लेकर देख भी देते हैं तो हम तो इस बात की गारंटी देते हैं कि हमारे परिवार का कोई भी सदस्य उस घर में नहीं जाएगा परन्तु क्या एशिया के माता पिता इस बात की गारंटी देते हैं कि वो उन दोनों की जिंदगी में अपनी दखलंदाजी नहीं करेंगे और रही दूसरी बात चालीस लाख रुपये देने की तो हम आप सब से पूछते हैं क्या ये की इतनी बडी रकम का माना जाए? हम लडके वाले हैं क्या यही हमारा कसूर है? आप सब लोग आप सब लोग हम से कहीं ज्यादा बुद्धिमान है । ये नहीं हम दिशा को उसके जीवन यापन के लिए कुछ नहीं देना चाहते हैं । वो हमें कुछ नहीं माने परन्तु हमने उसको अपनी बहु नहीं है । अपनी बेटी मना है इसलिए आप सबसे हाथ जोडकर निवेदन है कि जो भी जायज रकम है वो हमें बताएं । अगर हमारा सामान होगा तो हम जरूर हो रखा हैं अदा करेंगे । ईशा के पिता की बात सुनकर स्वर्णकार बिरादरी सभी सदस्य एक पल के लिए खत्म हो जाते हैं और थोडी देर आपस में सलाह मशविरा करने के बाद वो सब ये फैसला लेते हैं कि अगर वाहनों ओडिशा दोनों साथ में रहना चाहते हैं तो दोनों को अलग से घर में नहीं रहेगी । वो दोनों भानु के परिवार में उनके साथ ही रहेंगे और अगर वो एक दूसरे के साथ नहीं रहना चाहते हैं तो वो उन्हें इस बात के लिए मजबूर नहीं करेंगे परंतु एक दूसरे से तलाक लेने की स्थिति में ईशा के पिता को एक जायज रखा हूँ । पानी के परिवार से लेने का ही होगा । ऐसी परिस्थिति में वो भालू के परिवार वालों को उनकी हैसियत से बढकर रकम की मांग नहीं कर सकते हैं । वहाँ फैसला करने आए कुछ सदस्यों ने इस मामले में एशिया की भी मर्जी जानी चाहिए । इस मामले में ईशा की भी मर्जी जाननी चाहिए कि वो इस मामले में क्या चाहती है । ईशा ने बहनों के साथ उसके परिवार में उसके साथ रहना चाहता हूँ परन्तु भानु ने वहाँ पर बैठे व्यक्तियों से कहा मुझे मुझे इस को अपने साथ रखने में कोई ऐतराज नहीं । आखिर कार्य मेरी पत्नी बस मेरे कुछ सवाल हैं जिनके उत्तर में इससे जानना चाहता हूँ । अगर ये मेरे सवालों का जवाब तसल्लीबख्श दे दे तो मैं पिछली सारी बातों को भूलकर इसे दोबारा से अपनी स्वीकार कर रहा हूँ । मेरा पहला सवाल है किसने दूसरी बार गर्भपात जैसा घिनौना कदम क्यों उठाया और अगर किसी कारणों से ये जरूरी था की इसकी सूचना हमें क्यों नहीं दिया? मेरा दूसरा सवाल है कि आप सब में से क्या कोई ऐसा व्यक्ति है जो इनके परिवार की गारंटी ले कि आइंदा से ये ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिसके लिए आगे से कभी भी हमारे जीवन में तलाक तक की नौबत ही ना आए । मेरा तीसरा सवाल यह है कि मैं एशिया को लेकर अलग घर में रहने के लिए तैयार हूँ । मैं वादा करता हूँ और इस बात की गारंटी भी लेता हूँ कि मेरे परिवार के किसी भी सदस्य की मेरे उस घर में किसी किस्म की कोई दखलंदाजी नहीं होगी । परंतु क्या एशिया के परिवार की तरफ से ऐसा कोई वादा या कोई गारंटी मिल सकती है? इनके परिवार की तरफ से मेरे घर में किसी किस्म की कोई दखलंदाजी नहीं होगी । भाई के सवालों का किसी के पास कोई जवाब नहीं हूँ । वहाँ एकदम खामोशी छा गई थी । वहाँ बैठे कुछ लोगों ने ईशा के पिता को अपना आखिरी फैसला बताने को कहा परंतु वो भी कुछ नहीं बोल रहे थे । तो वहाँ बैठे लोगों ने एशिया के पिता से फिर पूछा कि क्या उनके पास भानु के किसी भी सवाल का जवाब है? परन्तु किसी की तरफ से कोई भी जवाब नानी से वहाँ बैठे स्वर्णकार बिरादरी के सदस्य काफी देर तक आपस में सलाह मशवरा करते रहे और काफी देर बहस बाजी के बाद वो सब ये फैसला लेते हैं । भानु और ईशा का आपस में पति पत्नी की तरह रहना अब मुश्किल है क्योंकि ईशा के परिवार की तरफ से उन्हें कोई तसल्लीबख्श जवाब नहीं मिलता है जिस कारण वो भानु और ईशा दोनों का तलाक लेना ही उचित मानते हैं । इसके लिए भानु ईशा के परिवार वालों को उनके सामर्थ्य के अनुसार ही रकम अदा करेंगे और तभी वो भालू के पिता की तरफ देखते हैं और उनसे इस फैसले और रकम के बारे में पूछते हैं । वाहनों के पिता कहते हैं, हमें स्वर्णकार बिरादरी का क्या फैसला मंजूर है परंतु हम एक मध्यमवर्गीय लोग हैं । हमारे लिए चालीस लाख जैसी इतनी बडी रकम जुटा पाना असंभव है । इसलिए हमेशा के परिवार को हर्जाने के तौर पर तीन चार लाख तक की रकम भी अदा कर सकते हैं । परंतु ईशा के पूरे परिवार और रिश्तेदारों में से कोई भी की वारंटी लेने को तैयार नहीं है । या फिर यूं कह लो कि किसी को भी इनके ऊपर विश्वास नहीं है तो हम इन दोनों का तलाक भारतीय कानून के माध्यम से करवाना चाहिए ताकि भविष्य में हमें इसे कोई भी परेशानी ना हो । वहाँ बैठे सभी लोगों को भानु के पिता का ये फैसला पसंद आता है परंतु ईशा के पिता पैसों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं ।

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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