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From Weds To Vs Part 7 in  |  Audio book and podcasts

From Weds To Vs Part 7

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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खैर अब कहानी को आगे बढाते हैं । ईशा भानु को उसके परिवार से अलग करने में कामयाब हो गई थी परन्तु कब तक कामयाब होती क्योंकि परिवार से अलग रहने की जिद करना एक अलग बात है और परिवार से अलग रहकर जीवन यापन करना दूसरी बात है । ईशा को जल्दी महसूस हो गया कि सुख में ना सही परंतु दुख में अपना परिवार ही काम आता है । ईशा गर्भवती थी और अपने गर्भकाल के आखिरी दौर से गुजर रही थी । उसके अलग रहकर कामकाज करने में बहुत मुश्किलें पेश आ रही । भाई के परिवार से उसकी यह दशा देखी नहीं जा रही है । अतः बहनों के पिता के समझाने के बाद वो फिर से उनके परिवार में शामिल हो गए और अपने कमरे में बनाई हुई अस्थायी रसोई का खेल खत्म कर दिया । कुछ दिनों के बाद भालू के घर में एक लडकी का जन्म हुआ । भानु और उसके परिवार के लिए तो जैसे खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि ये उनके परिवार में हालत के रूप में जन्मी पहली लडकी थी । इनके लिए तो जैसे खेलने के लिए कोई खिलौना ही मिल गया । भाई की बुआ ने भानु की लडकी का नाम पर ही रखा । सभी उसे पारी के नाम से ही बुलाने लगते हैं । पारी को औलाद के रूप में पाकर मानों कि जैसी दुनिया ही बदल गई हूँ । अपनी सारी थकावट जब बहनों दुकान से घर आकर तरी के साथ खेलता तो सारे दिन की थकावट और सारा तनाव तो जैसे भूल ही जाता है । सारे परिवार का ध्यान परी ने अपनी ओर खींच कर रखा हुआ था । भाई को लगता था कि उसकी विवाहिक जीवन में कोई भी कलर कलेश नहीं होगा परंतु वालों को शायद इस बात का पता नहीं था कि और कोई शायद उसका साठ सैलानी आए परंतु काला सलेश लडाई झगडा उसके जीवन भर साथ निभाने वाले थे । ईशा को ज्ञात हो गया था कि भानु और उसका परिवार परी के साथ बहुत प्यार करते हैं । करें भी क्या ना परिवहनों के परिवार में पहली वाला थी और पहला बच्चा सभी को प्यारा होता है । ईशा किसी प्यार का नाजायज फायदा उठा दीजिए । अब वो जब भी कभी बहनों से लडाई झगडा करती तो जानबूझकर रूठकर अपने मायके चली जाती है या फिर अपने मायके वालों को बुलाकर उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए वानू और उसके परिवार के बाकी सदस्य परी के बिना रह नहीं सकते हैं । जिस कारण वो ईशा को जल्दी ही मायके से लेने चले जाते । बहनों का एक दोस्त था । उसका नाम सनी था । वो भालू के जीजा का रिश्तेदार था । उसने और भानु दोनों ने एक ही बाजार से सुनार का काम सीखा था । तब से उसकी जान पहचान वालों से हो गई थी । उसका कोई भाई नहीं था । सिर्फ एक बहन थी जिस वजह से वो भाई को ही अपना बडा भाई मानता था । सनी के मामा के लडके की रिश्तेदारी वाहनों के ससुराल पक्ष की तरफ से भी थी । जिस वजह से वह बहनों की शादी के वक्त बहनों की बारात के पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच गया । वो ईशा के करीब रहने की कोशिश करने लगा था जिस वजह से भानु अब उसे ज्यादा पसंद नहीं करता था । एक बार भानु ने ईशा को सनी के साथ उसके फोन पर कुछ बातचीत करते सुन लिया । कानूने ईशा को इस बारे में थोडे शक के लहजे से पूछा तो ईशा ने कहा, सनी मेरी बडी मौसी की छोटी लडकी से प्यार करता है और दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते हैं । वो उससे शादी करना चाहता है और वो मुझे फोन पर बोल रहा था की भावी आप अपनी बडी मौसी को मेरे बारे में बोले । सनी की इस शादी से वालों को थोडा बहुत ऐतराज था क्योंकि वो उसकी बडी मौसी को अच्छी तरह से जानता था । वो भी मायके के फोन की एक सदस्य थी । ईशा और भाइयों की लडाई में थोडा बहुत हाथ उसका भी था । भाई को शक था कि ईशा ने जानबूझकर सनी को उसकी बडी मौसी की लडकी के बारे में बताया हुआ था क्योंकि सनी अपने परिवार का इकलौता बेटा हैं । ईशा को इस बात का पता था कि जो कोई भी लडकी सनी से शादी करेगी उसे भविष्य में किसी भी बात की चिंता नहीं परन्तु इसमें भी एक अडचन थी । सनी के मामा का लडका ईशा की बडी मौसी का दामाद था । यानी सनी ईशा की जिस मौसी की लडकी से प्यार करता था वो उसकी बडी बहन का पति था । सनी की उसके मामा के परिवार के साथ नहीं पडती थी । दोनों परिवारों का मेलजोल काफी कम था जिस वजह से उसने अपनी सास यानी ईसा की मौसी को कह रखा था कि अगर उन्होंने किसी के कहने से सनी की शादी उसकी साली से की तो उसका उसके परिवार के साथ कोई मेलजोल नहीं रहेगा । ईशा की मौसी अपने बडे दामाद यानी सनी के मामा के लडके की बात को टाल नहीं सकती थी । जिसकारण ईशा की मौसी ने सनी की तरफ से आया हुआ रिश्ता ठुकरा दिया था । अब सनी चाहता था कि इस रिश्ते की बात दिशा और भानु अपनी तरफ से करें । पहले तो भानु अपनी तरफ से सनी के रिश्ते की बात उसकी मौसी के साथ नहीं करना चाहता हूँ क्योंकि भानु का तर्क था कि वैसे लगता तो वो भी उस की मौसी का दामाद था । परंतु उसकी मौसी सबसे पहले अपने दामाद की बात मानती अपनी बहन के दामाद यानी बहनों की बात वो कभी भी नहीं मानेगी । अगर वो सनी यानी अपने सबसे अजीज दोस्त का रिश्ता ईशा की मौसी के पास उसकी छोटी लडकी के लिए लेकर गया और अगर ईशा की मौसी ने उसके द्वारा लाया गया वो रिश्ता ठुकरा दिया तो वह तमाम उम्र ईशा की मौसी के घर क्या मूल लेकर जाएगा । सनी के बहुत समझाने पर भी उन्होंने मना कर दिया और कहा कि अगर उस की शादी ईशा की मौसी की लडकी के साथ हो जाए तो उसे कोई ऐतराज नहीं होगा बल्कि उसे तो इस बात की खुशी होगी की उसका अजीज दोस्त अब उसका साडू भाई बन जाएगा परन्तु वो इस रिश्ते की बात दिशा की मौसी से सीधी नहीं करेगा । सनी के बहुत समझाने पर कानूने इसका भी एक हल निकाला । उसने सनी से कहा कि वह इसके बारे में अपने घर वालों से बात करें और अपने पिता, चाचा और दादा जी को लेकर ईशा की मौसी के घर रिश्ते की बात करने भेज । दूसरी तरफ वो अपनी सात से इस बारे में बात करेगा और उन्हें भी इस रिश्ते की बात करने उनके घर भेजेगा । सनी ने ऐसा ही किया और अपने परिवार के मुख्य सदस्यों को लेकर एशिया की मौसी के घर रिश्ते की बात करने के लिए चला गया । उधर इस बात का पता सनी के मामा के लडके को चल गया और उसने फोन करके अपनी सास को चेतावनी दे दी कि अगर उन्होंने सनी के परिवार की बात मान ली तो ये उनके और उनकी बेटी के लिए अच्छा नहीं होगा । परन्तु सनी तो पूरे परिवार को साथ लेकर ईशा की मौसी के घर रिश्ते की बात करने आ गया था और वो अब सनी के रिश्ते के लिए जोर देने लग पडे थे । पहले ईशा की मौसी ने उनकी एक न मानी परन्तु काफी बहस बाजी और जद्दोजहद के बाद वो इस रिश्ते के लिए मान गई । सनी के परिवार ने भी बिना देर किए मौके पर ही पंडित बुलाकर वहीं उसी समय बिना ज्यादा शोर शराबा किए सनी की शादी ईशा की मौसी की लडकी से करवा दिया । सनी की इस शादी में बालों का बहुत बडा योगदान रहा था । भानु के हस्तक्षेप के बिना सन्नी कि शादी असंभव थी । इस बीच ईशा भाइयों से कई बार झगडा करके पारी को साथ लेकर अपने माइके चली जाती थी और हर बार भाइयों के माता पिता उसे घर जाकर पारी की खाते एशिया से माफी मांग कर उसे अपने घर लेकर आ जाते हैं । ईशा अपनी बेटी को भानु के परिवार के प्रति प्यार को उनके ही विरुद्ध एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही थी । उधर सनी कि शादी के बाद वो अपनी पत्नी को साथ लेकर भानु के घर अक्सर आने जाने लगा । भानु का उसके साथ पहले ही बहुत लगा था और दोनों की रिश्तेदारी होने की वजह से दोनों काफी घुल मिल गए थे । एक दिन भाई किसी बात पर ईशा के साथ झगडा कर रहा था तभी मौके पर ही सनी उनके घर आ गया और उन दोनों को झगडा करते हुए दी गई । सनी वहाँ से तो तुरंत चला गया परंतु बाद में उसने भाइयों से उसके घर में ईशा के साथ ही लडाई के कारण के बारे में पूछने लगा । भानु पहले तो उसे कुछ बता नहीं रहा था परन्तु उसके बार बार पूछने पर उसने ईशा के बारे में सारी बात बताने लगा क्योंकि वो दोनों पहले बहुत गहरे दोस्त थे और अब रिश्तेदार भी बन चुके थे । जिस वजह से भानु को सनी से ईशा और उसके मायके के बारे में बात करने में किसी किस्म का कोई गुरेज नहीं था । सनी के ससुराल की विभाजनों के ससुराल जैसी कहानी नहीं मतलब कि सनी के घर में भी मायके के फोन ने कल अखिलेश डाला हुआ था । परन्तु फर्क सिर्फ इतना था कि सनी अपनी पत्नी की हर जायज और नाजायज बात को मान लेता था । चाहे उसे अपने परिवार वालों के साथ ही झगडा किया ना करना पडेगा । उधर भानु की बातें सुनकर सनी भी उससे अपने ससुराल के बारे में बहुत बातें करता है । इस तरह दोनों हम रास बन जाते हैं । इसके विपरीत सनी भाइयों और ईशा के बीच लडाई की एक वजह भी बन जाता है क्योंकि सनी की पत्नी और ईशा दोनों मौसेरी बहन थी जिस वजह से अब सनी अपनी पत्नी के साथ अक्सर वालों के घर आने लगा । कई बार वो भालू की गैरमौजूदगी में भी आता था और ईशा उन्हें ले जाकर अपने अलग कमरे में ले जाती है जिसका बहनों के परिवार वालों को बहुत बुरा लगता था । उनका कहना था कि अगर वह मेहमान है तो भाई की मौजूदगी में घर पर मिलने के लिए आएगा । भानु की गैरमौजूदगी में उसके आने का क्या काम था । कानूने ईशा को इस बारे में कई बार कहा कि वह यह बात मानता है कि सैन्य उसका छोटा जीजा भी है परंतु उससे पहले वो हमारे जीजा जी का रिश्तेदार भी है और अगर उसके घर वाले कहते हैं कि जब मिलने के लिए घर आए तो उसको अलग से अपने कमरे में ना बिठाया करें तो इस बात पर उसे गुरेज किस बात का है परंतु जानबूझकर लडाई झगडा करना तो जैसे ईशा की आदत सी बन गई है । अब जब भी सनी अपनी पत्नी के साथ उनके घर आता है तो ऐसा जानबूझ कर उन्हें अपने अलग कमरे में ले जाते हैं । भालू से हर बार समझाता परन्तु ईशा बार बार उसे चढाने के लिए वहीं गलती बार बार दोहराती और भाई के इस बारे में कुछ कहने पर उससे झगडा करने पर उतारू हो जाए । एक बार दिशा कुछ दिन रहने के लिए माइकी गई हूँ । इसी बीच बहनों के पिताजी ने नई कार करेंगे । वानू की भाई और बाकी परिवार वाले चाहते थे कि वो सब उस नहीं कार में कहीं घूमने के लिए जाए परंतु ईशा के घर पर न होने के कारण वो कहीं नहीं जाना चाहता था । भालू के पिताजी ने निर्णय किया कि वह सब ईशा को लेने के लिए उसके मायके चलते हैं और इसी बहाने ईशा को घर भी ले आएंगे और साथ में नई कार में घूम फिर भी आएंगे । परन्तु उन्होंने जब इस बात की जानकारी ईशा को दी तो ईशा ने अभी अपने घर यानी ससुराल आने से मना कर दिया । एशिया के घर में एक धार्मिक सक्षम था । ईशा इस धार्मिक सब संघ को सम्पन्न करने के बाद ही अपने ससुराल आना चाहती थी परन्तु इसके बारे में भाई को कोई जानकारी नहीं दी । उसने बहनों से कह दिया था कि वह दो तीन दिन के बाद अपने भाई के साथ मई किसी वापस ससुराल आ जाएगी । भानु को इस बात पर कोई ऐतराज नहीं था कि वो अपने भाई के साथ दो तीन दिन के बाद वापिस आएगी । परंतु से हैरानी इस बात पर थी कि उसके ससुराल में होने वाले धार्मिक सब संघ कि उसे जानकारी नहीं थी । दूसरी तरफ सनी अपनी पत्नी के साथ वालों के ससुराल में वही धार्मिक सत्संग में शिरकत कर रहा है । इसके बारे में भी भाई को कोई जानकारी नहीं थी और न ही सनी ने वालों से उसके ससुराल जाने के बारे में कोई बात की । ये कुछ बातें बहनों को काफी परेशान कर रही थी । भाई को सनी के उसके ससुराल जाने की जानकारी तब मिली जब ईशा मायके से ससुराल सनी के साथ कार्य में आ गया और रास्ते में उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हुई । ये सब उस कार दुर्घटना में बाल बाल बच गए थे । उस कार्य में भाई की बेटी परी भी मौजूद थी जो कि इस दुर्घटना में बाल बाल बच गई थी । उधर भानु ने अपने ससुराल में एशिया के भाई को फोन पर उनके आने के बारे में पूछा तो उसने ईशा की सनी के साथ उनकी कार में आने की जानकारी दी । भानु हैरान परेशान होकर सनी को फोन करता है तब उसे उनके साथ हुई दुर्घटना के बारे में पता चलता है । उनकी दुर्घटना के बारे में सुन कर भानु और उसका परिवार टेंशन में आ जाता है । भानु के पिता जी तो पहले बहनों को डांटते हैं कि ईशा सनी के साथ क्यों आ रही है । जबकि उसने तो अपने भाई के साथ आने के लिए कहा था और अगर वह सनी के साथ आ रही है तो इस बात की जानकारी उसे क्यों नहीं थी? उनके जवाब में भानु कहता है कि उसे सच में किसी भी बात की जानकारी नहीं है । कुछ देर के बाद ईशा सनी के साथ अपने ससुराल पहुंचती है । भानु गुस्से के मारे उन सब से बात नहीं करता है और वहाँ से अपनी दुकान में चला जाता है । सनी उससे बात करने के लिए उसके पीछे उसकी दुकान में आ जाता है । पहले तो भानु से कोई बात नहीं करता हूँ । सनी भाई की मानसिक दशा को बहुत लेता है और बिना कुछ कहे वहां से चला जाता है । बालों के मन में एक सवाल अब भी कांटे की तरह चुभ रहा होता है कि आखिर सनी उसके बिना उसी के ससुराल में क्यों चला जाता है और आखिरकार उसके ससुराल में हो रहे धार्मिक सब संघ के बारे में उसे कोई खबर क्यों नहीं । अगर ईशा ने फोन पर अपने भाई के साथ अपने ससुराल आने की बात कही थी तो वह सनी के साथ क्यों आ गई थी और उसके सनी के साथ आने की जानकारी उसे क्यों नहीं वालों ने दुकान से घर वापस आकर रात को इस सबके बारे में एशिया से पूछा परन्तु ईशा उसके द्वारा पूछे गए सवालों का तसल्लीबख्श जवाब न देते हुए वाहनों से झगडने लगी । वाहनों की माने तो इस बार हद हो गयी । उनका झगडा इतना बढ गया था कि ईशा ने वहाँ को हमेशा के लिए अपने मायके जाने की धमकी दे डाली । ईशा की ये धमकी सुनकर वालों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने भी गुस्से में आकर कह दिया कि अगर वह जाना चाहती है तो वह चौक से जा सकती है परन्तु हुआ उसकी बेटी यानी पारी को अपने साथ नहीं ले जा सकती । इतना सुनते ही ईशा ने पारी को गुस्से में भानु की तरफ फेंक दिया । उस समय पर ही डेढ साल से भी कम उम्र की थी और वो अपनी माँ यानी दिशा का दूध दीजिए । वाहनों से झगडे के बाद ईशा ने पूरी रात अपनी बेटी यानी पारी को दूध नहीं पिलाया जिस वजह से वो पूरी रात भूख के कारण रोती रही और आलू पूरी रात से चुप करवाने में लगा रहा है । उन दोनों के झगडे का खामियाजा विचारी बीजू पान पारी को भुगतना पड रहा था । सुबह होते ही कानूने रात के झगडे के बारे में अपने माता पिता को बताया और तरीके पूरी रात दिशा के दूध ना पिलाने के कारण उसके रोने के बारे में भी जानकारी दी । भानु की बात सुनकर पहले तो वाहनों की माँ ने उसे खूब डाटा और बोली कि अगर ईशा ने इस बिचारी को दूध नहीं दिया तो वो उसे बोलता वो बोतल में दूध डालकर उसे पिला दी थी । उधर भाग के पिता को भानु से पिछली रात को हुए उनके झगडे के बारे में पता चल चुका था और वो उन दोनों की सुलह करवाने और ईशा को समझाने के लिए वाहनों के कमरे में जाते हैं । परंतु इस सबसे पहले ईशा इस झगडे की जानकारी पहले ही अपने मायके वालों को मायके के फोन के जरिए दे देती है और वो भी उसे अपने साथ ले जाने के लिए घर से चल पडते हैं । कानून के पिता ईशा को बहुत समझाते हैं वो उस से माफी तक मानते हैं और यहाँ तक कह देते हैं कि अगर वो उन सब के साथ नहीं रहना चाहती तो मत रहे वो उसे अलग से घर खरीदेंगे परन्तु वो अपना बसा बसाया घर उजाडकर न जाए । ईशा उनकी एक नहीं सुनती और अपने मायके जाने की जिद पर अडी रहती है । उधर मायके के फोन के जरिए सारी सूचना मिलने पर ईशा के मायके वाले उसकी ससुराल पहुंच जाते हैं । बहनों के पिता सोचते हैं कि शायद वो अपनी बेटी का घर बसाने के लिए दिशा को समझाएंगे और उसे उसकी ससुराल में ही छोड जाएंगे । परंतु ईशा के मायके वालों ने तो हद ही करती ईशा को लेने के लिए उसके मायके से ईशा की माँ, उसका भाई और उसके भाई का एक दोस्त आया हुआ था । ईशा की मां बिना किसी को कुछ नहीं सीधा ईशा के कमरे में जाती है और उसका हाथ पकडकर अपने साथ ले जाती है । वो भालू के घर में दो मिनट तक भी नहीं रखती । ईशा की माँ की इस तरह की तेज प्रतिक्रिया देखकर सभी हैरान रह जाते हैं । जिस समय ईशा वहाँ से जा रही थी उस समय भानु पारी को लेकर अपने पिताजी के कमरे में सो रहा था । उसे ईशा के मायके वालों की इस तरह की कार्यवाही के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था । उसके मायके वालों की तरफ से किसी ने एक बार भी पारी के बारे में नहीं पूछा और ना ही ईशा जाते समय से मिलकर उन सब के जाते ही बहनों की माने । उसे उठाया और ईशा के मायके वालों की इस प्रकार की हरकत की जानकारी पहले तो हो सकते हैं और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ ही क्या हो रहा है । उसे अपने ससुराल वालों की इस हरकत पर बहुत हैरानी होती थी । उधर परीक्षा भूख के हमारे रो रो कर बुरा हाल हो जाता है । वाहनों की माँ गिलास में दूध डालकर कटोरी और चम्मच की सहायता से पारी को दूध पिलाने की कोशिश करती है परंतु इसके उलट पर एक चम्मच को पीछे रखकर सीधा कटोरी के मूल लगाकर दूध पीने लगती है । पर ही का ये कारनामा देखकर भानु हैरान रह जाता है और उसकी आंखों में परी के लिए आंसू आ जाते हैं । एशिया जिस समय भाइयों के घर से जाती है उस समय वो दूसरी बार गर्भवती होती है । इस बात के बारे में उनके बहुत ही कम रिश्तेदारों को पता होता है । ईशा की गर्भकाल के दौरान की दवाई भी चल रही होती है और वो अपने साथ कोई दवाई नहीं ले जाते हैं । बहनों के घर वालों का मानना था की हर बार की तरह इस बार वो ईशा को लेने उसके मायके नहीं जाएंगे क्योंकि बार बार वहाँ जाकर और बार बार उन सब से माफी मांगने के कारण ईशा और उसके परिवार का हौसला इतना बढ गया है कि वो बिना किसी को कुछ कहे सीधा भाइयों के घर आकर उषा को ले जाते हैं और किसी से कोई बात भी नहीं करते और ईशा को हर महीने डॉक्टर को भी तो चक्कर आना होता है । डॉक्टर को चेक कराने के लिए ईशा को अपने ससुराल में आना ही होगा । दूसरी तरफ ईशा के मायके वालों का मानना था की पारी ईशा के बिना एक पल भी नहीं रह सकती है जिस कारण बहनों के परिवार वालों को पारी की खाते ईशा को खुद ब खुद लेने आना ही पडेगा । दो तीन दिन के बाद सनी भाइयों की दुकान पर उस से मिलने के लिए आया और आते ही उस पर बरसने लगा । सनी ने बहनों से पूछा कि उसकी ईशा के साथ क्या बात हुई थी और उसका झगडा किस बात पर हुआ था । इससे पहले की सनी भाइयों से इस बारे में और कुछ पूछता थानों उससे पूछता है कि उसे इस सबके बारे में किसने बताया है । सनी बताता है कि उसे ईशा के भाई राजेश का फोन आया था और वो बोल रहा था कि ईशा और वालों की बहुत लडाई हुई है और उन्होंने रात को शराब पीकर एशिया के साथ बहुत मारपीट की और साथ में उसने हमारे पूरे परिवार को जमकर गालियां और इस लडाई का मुख्य कारण उसे माना जा रहा है । भालू ये सुनकर हैरान रह जाता है और इसके जवाब में उसे कहता है उनकी ये बात बिल्कुल सही है कि हम दोनों में दो दिन पहले कुछ लडाई झगडा हुआ था जिसमें थोडी बहुत गाली गलोच भी हुआ था परन्तु ये बिल्कुल गलत है कि मैंने एशिया के साथ कोई मारपीट कीजिए । मैंने उस पर पहले भी कभी हाथ नहीं उठाया और उस दिन तो उस पर हाथ उठाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता । बाकी उसके शराब पीने की बात है तो वह शराब का सेवन कभी कबार ही करता है और इतना ज्यादा नहीं करता जितना कि वो लोग बोल रहे हैं । बहनों की बातें सुनकर सनी पूछता है कि उन की इस लडाई में उसकी क्या भूमिका है? उसे क्यों इस लडाई झगडे में फसाया जा रहा है । वाहनों कहता है, मेरे ससुराल में धार्मिक कार्यक्रम था । इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी परन्तु तुम्हें इस बारे में सारा पता था । फिर तुमने मुझसे इस बारे में कभी बात नहीं की है । तुम मेरे ससुराल में गए हुए थे परंतु तुमने मुझे एक बार भी इसकी भनक तक नहीं लगने दी । मैंने तो मैं दोस्त नहीं बल्कि अपने भाई से बढकर माना था और तुम मुझे ही धोखा देने पर तुले हुए हो । लगता है तो मेरे ससुराल वालों के झांसे में आ गए हो और उन्हीं का ही गुणगान कर रहे हो । परन्तु मेरी भी एक बात याद रखना तो मेरे साथ जो भी कर रहे हो वो ठीक नहीं है तो तुम एक नई दिन बचता हूँ । इस तरह भानु और सनी के बीच काफी तू तू मैं मैं हो जाते हैं । सनी गुस्से में बहनों की दुकान से चला जाता है । ओडिशा के भाई को फोन करके उसके खिलाफ काफी बुरा भला कहता है । वो भालू द्वारा उन सब के खिलाफ कही गई एक एक बात दिशा के भाई को बता देता है । सनी की कही हुई बातें ईशा और भालू के बीच चल रही लडाई में आग में घी का काम करती है । उसके बाद सिलसिला शुरू होता है ईशा के घर वालों का बहनों के ऊपर बेबुनियाद इल्जाम लगाने का । ईशा को मायके गए हुए तकरीबन दो सप्ताह से ज्यादा समय हो जाता है । उधर भाग के करीबी रिश्तेदार इस सब के बारे में पता चल जाता है और वह बहनों के घर इस बारे में पूछने के लिए आते हैं । वो सब बहनों के पिता को सलाह देते हैं कि वह ईशा के घर जाकर उससे बात करेंगे और उस से पूछे कि आखिरकार वह चाहती क्या । वाहनों के पिताजी बोलते हैं कि वह कई बार ईशा के घर उसे लेने और उससे माफी मांगने उसके घर जाए परन्तु इस बार तो हद ही हो गई है और इस बार वो उसे लेने के लिए कभी नहीं जाएंगे । अगर उसे आना होगा तो खुद ब खुद आई परंतु वो सब उन्हें पारी का वास्ता देते हैं और कहते हैं कि उन्हें पारी की खाते हैं उसे लेकर आना होगा । बहनों के पिता कहते हैं कि ईशा और उसके घर वाले परी के प्रति हमारे प्यार हो एक हमारे खिलाफी इस्तेमाल कर रहे हैं परन्तु वो सब भानु के पिता की बात नहीं मानते और ईशा को घर लाने की अपनी जिद पर अडे रहे हैं । काफी जद्दोजहद के बाद बहनों के पिता ये फैसला लेते हैं कि उनमें से कुछ लोग ईशा के मायके जाएंगे और वहाँ जाकर उसे समझा बुझाकर वापस अपने ससुराल लेकर आएंगे । अगले दिन बहनों के मोहल्ले की दो औरतें, एक भानु की बहन वालों का, मोहल्ले का दोस्त कपिल और भाइयों के परिवार के दो सदस्य कार में ईशा को लेने के लिए इसके मायके की तरफ रवाना हो जाते हैं ।

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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