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From Weds To Vs Part 4 in  |  Audio book and podcasts

From Weds To Vs Part 4

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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उसे समाज के सामने बिना हकलाते हुए बोलने के लिए जरूरी था कि उसे समाज से इस बात का डर नहीं होना चाहिए कि अगर वो कहीं बोलते समय रुक गया या हकला गया तो ये समाज उसकी हकलाहट का मजाक नहीं बनाएगा । इस डर को खत्म करने के लिए पूरे समाज को बदलना जरूरी था और पूरे समाज को बदलना उसके लिए काफी मुश्किल काम था । या फिर इसका दूसरा हाल ये था कि भानु इस समाज की परवाह ना करें । वो बिंदास होकर इस समाज के सामने बोलता रहे और समाज द्वारा किए गए मजाक की ज्यादा फिक्र ना करें और नहीं ज्यादा टेंशन लेगी । वो इस समाज द्वारा बोले गए मजाकिया लफ्जों से बेपरवाह रहे । बानू ने उपरोक्त यही तरीका अपनाया और समाज की परवाह करनी बंद कर दी । अब किसी के द्वारा किए मजाक की ज्यादा परवाह नहीं करता था । परन्तु ये कहना बहुत आसान था कि भागवत समाज की परवाह नहीं करता हूँ और असलियत में ये बहुत मुश्किल काम था । वाहनों अपनी हकलाहट की समस्या के कारण स्वभाव में काफी गुस्सैल और चिडचिडा हो गया था परन्तु वो अपने गुस्से को कभी भी किसी पर जाहिर नहीं होने देता था । वो अपने गुस्से को अपने अंदर ही दबाए रखता था और अंदर ही अंदर घुटता रहता था । परंतु जब कभी गुस्से की अति हो जाती है तो वो अपना सारा गुस्सा उस पर निकाल देता था जो उसके गुस्से का मुख्य कारण था यानी जिसकी वजह से उसे गुस्सा आया है । निर्देशक बाद में भानु को अपने किए पर पछताना पडता था । ऐसा ही एक वाकया बहनों के साथ होता है । वाहनों जब सुनार का काम सीखने अपने जीजा जी के दोस्त के पास जाता है तो वहाँ उसके साथ राजू नाम का लडका भी उसके साथ काम सीख रहा होता है । वो दोनों भानु और राजू एक साथ बैठकर काम सीखते थे । पहले तो भानु कई दिनों तक काम बोल कर अपनी हकलाहट की समस्या को सबसे छुपाता रहता है परंतु वो ज्यादा देर तक ऐसा नहीं कर पाता है और आखिरकार उसकी दुकान में सबको उसकी इस समस्या के बारे में पता चल जाता है । वाहनों की हकलाहट की समस्या उनके लिए हसी, मजाक और मनोरंजन का साधन बन जाते हैं । वो बार बार भानु से कोई ना कोई सवाल पूछते हैं और जब इसका जवाब भानु हकलाते हुए देता है तो उस की दुकान में काम कर रहे सब लोग मुस्कुरा देते हैं और उसके दुकान से बाहर जाते ही उस पर हंसने लगते हैं । राजू भी उन्हीं में से एक वालों को ये सब पता था परन्तु वो कर भी कह सकता था । उसे उन पर गुस्सा तो बहुत आता था परंतु वो अपना गुस्सा किसी पर जाहिर नहीं होने देता था और अपने गुस्से को अपने अंदर ही दबाकर रखता था । एक दिन वह सब लोग आम दिनों की तरह दुकान पर काम कर रहे थे । भानु अपनी धुन में मस्त था तभी वहाँ दुकान में काम कर रहे किसी व्यक्ति ने भानु से कुछ पूछा । इसके जवाब में उन्होंने हकलाते हुए उन्हें उनकी बात का जवाब दिया जिससे सभी वाहनों की बात पर हंसने लगे परन्तु राजू कुछ ज्यादा ही मजाक उडाने लगा । पहले तो भानु ने उसे कुछ नहीं कहा परंतु जब बात हद से ज्यादा बढ गई तो भानु राजू के साथ झगडा करने लगा । हाँ, पूरे गुस्से के साथ उसके साथ मारपीट करने लगा । मारपीट करने के दौरान भानु राजू को धक्का देता है और वह आभूषण बनाने वाली एक मशीन के ऊपर जा देता है । वो मशीन काउंटर से नीचे एक आधे बने आभूषण के ऊपर गिर जाती है जिससे वो आभूषण टूट जाता है जिससे उसकी दुकान का काफी नुकसान होता है । दुकान में काम कर रहे सभी लोग इस घटना का सारा दो स्थानों पर लगाते हैं । बहनों को दुकान में हुई उस वारदात के कारण उसके पिताजी से बहुत डांट पडती है । खैर कहानी को आगे बढाते हुए वाहनों की हकलाहट की समस्या के हल की तरफ बोलते हैं । बहनों के सामाजिक डर की समस्या का हल बहनों के हाथ में नहीं था क्योंकि इसके लिए पूरे समाज की मानसिकता को बदलना पडता है जो कि एक नामुमकिन काम था । उन्होंने नोट किया कि वो कुछ खास अक्षरों को बोलते समय ज्यादा हकलाता है । ये अफसर ज्यादा नहीं सिर्फ कुछ पांच अच्छा है की संख्या में थे । बहनों को ज्यादातर इन अक्षरों से शुरू होने वाले शब्दों को बोलने में कठिनाई होती थी । इसे इंग्लिश में फॉरवर्ड प्रॉब्लम कहते हैं । इस समस्या का हल बहनों को फिल्म अभिनेता ऋतिक रोशन के पास मिला । ये उन दिनों की बात है जब फिल्म अभिनेता ऋतिक रोशन की पहली फिल्म कहो ना प्यार है रिलीज हुई थी । बालों घर में बैठा टेलीविजन देख रहा था और साथ में इस पोस्ट वर्ड प्रॉब्लम के हाल के बारे में सोच रहा था । तभी उसके टेलीविजन पर ऋतिक रोशन जी के इंटरव्यू का प्रसारण चल रहा था । इस इंटरव्यू में वो बताते हैं कि वह भी बचपन में हकलाहट की समस्या के शिकार थे और उनके दोस्त कैसे उनकी इस हकलाते हुए बोलने का मजाक उडाते थे जिस कारण में बहुत ही कम बोलते थे । उन्होंने ये भी बताया कि कैसे वो उस एक एक शब्द को बार बार बोलते रहे जब तक कि उन्होंने उस शब्द को बिल्कुल आसानी और बिना किसी रुकावट के नहीं बोल दिया । कहने का अर्थ साफ था कि उन्हें जिस शब्द को बोलने में समस्या आती थी वे उस शब्द को बार बार बोलते थे और हर रोज बोलते थे जब तक की वह उस शब्द को आसानी से नहीं बोल लेते हैं । बालों को ये बात समझ में आ गई और अब वो बोलते समय जिस शब्द पर हकलाने लगता वो उस शब्द को अपने पास नोट कर लेता हूँ और उस शब्द को सुबह अगले दिन पच्चीस तीस बार बोलता । बानू हर रोज ऐसा करने लगा जिस कारण उसकी हकलाहट की समस्या में काफी कमी होने लगी थी । धानों के हकलाने के कुछ कारणों में सांस की समस्या भी शामिल थी । भानु के हकलाने के कुछ कारणों में सांस की समस्या भी शामिल थी । जैसा की कहानी में पहले बताया गया है इस समस्या का हल उसे अपने एक अध्यापक के पास से मिला । भानु जब नौवीं कक्षा में पडता था तब वो हिसाब के विषय को पढने के लिए अपने परिचित अध्यापक के पास जाता था । उनका नाम ब्रिज मोहन शर्मा था । एक दिन भानु उनके पास पड रहा था की उन्होंने भाइयों से कुछ सवालों के जवाब पूछे । मानो उन सवालों के उत्तर जानता था परन्तु अपनी हकलाहट की समस्या के कारण उनका उत्तर बता नहीं पाया । उसके अध्यापक को जब बहनों की इस कमजोरी के बारे में पता चला तब उन्होंने बहनों को छुट्टी के बाद अपने पास बुलाया और उससे कहा कि अगर वो अपनी समस्या से छुटकारा पाना चाहता है तो वो उनके बताए हुए कुछ काम करें । उन्होंने सलाह दी कि वह किसी अकेले स्थान में जाए और वहाँ जाकर जोर जोर से चीखे चिल्लाए । इससे उसके अंदर का गुस्सा बाहर निकलेगा और उसका मन हल्का महसूस करेगा । वो कहते थे कि वह जीत गए । गीत गाते समय वो बिल्कुल भी नहीं लाएगा । हाँ तो ऐसा ही करने लगा परंतु उसके पास अकेले में कहीं जाने का समय नहीं था । उसने इसका भी एक हल खोज निकाला । वानू जब सुबह नहाने के लिए जाता तो नहाते समय वो ऊंची आवाज में कोई ना कोई गीत गाने लगता है परन्तु इससे उसके घर वाले मना करते थे । परंतु वो गीत गाना भी छोड नहीं सकता था । तब उसने इसका भी एक हल खोज लिया । उसने अपने बातों में स्पीकर सिस्टम लगा दिया । वो नहाने से पहले उसमें कई गीत लगा देता और उसके साथ साथ वह भी गाने लगता है । स्पीकर सिस्टम लगाने से ये फायदा होता कि भानु के गीत गाने का किसी को पता भी नहीं चलता था क्योंकि बहनों के गीत गाने की आवाज स्पीकर सिस्टम की आवाज के नीचे दब जाती थी । उन्होंने उसे आईने के सामने बैठ कर अपने आप से बातें करने के लिए कहा । इससे उसका सामाजिक डर खत्म होगा और वह बे झिझक सबके सामने बोल सकेगा । भानु रोज आईने के सामने बैठ था और अपने आप से बातें करता है । उन्होंने अपने बातों में भी आदमकद का आइना लगवा लिया था जिससे वो नहाते समय भी प्रैक्टिस कर सकता था । ये तरीका भानु को अपनी समस्या हल करने में काफी मददगार साबित हुआ । हकलाहट किसी घर की दीवार पर लगे पीपल के वृक्ष की तरह होती है क्योंकि पीपल का पौधा जब किसी दीवार पर लग जाता है तब उसे पूरी तरह नष्ट करना थोडा मुश्किल होता है । इसे जितने बार काटने की कोशिश करेंगे ये उतनी बार ही वापस होगा आएगा इसे पूरी तरह से नष्ट करने के लिए बार बार काटना पडेगा । मेरा कहने का मतलब है कि बार बार ये ध्यान रखना पडेगा कि ये फिर से ना हो जाए । किसी कारण वश अगर हमने ध्यान रखना बंद कर दिया और ये पौधे से पेड बनना शुरू कर देगा और साथ साथ घर की दीवार को भी नुकसान पहुंचाता जाएगा । इसलिए अगर इस तरह के नुकसान से अपने घर को बचाना है तो समय समय पर पीपल के पौधे को काटते छांटते रहें । ये ना हो कि ये एक दिन इतना बढ जाए कि आपके पूरे घर को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देंगे । ठीक इसी प्रकार हकलाहट को भी उस की शुरुआत में ठीक करने की कोशिश करनी चाहिए । उसे इतना नहीं बढने देना चाहिए की ये आपके जीवन को नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं । किसी कारण वश अगर ये बढ गई किसी कारण वश अगर ये बढ गई है तो समय पर इसे नियमित व्यायाम से ठीक करने की कोशिश करते रहे हैं जो कि थोडी मुश्किल जरूर है लेकिन नामों की नहीं । ये ना हो कि एक दिन हकलाहट इतनी बढ जाए कि आपकी घर की दीवार की तरह आपके जीवन को भी नुकसान पहुंचाना शुरू करते हैं अथवा हकलाहट की समस्या पर काबू पाना और एक जंगली घोडे को अपने वश में करना दोनों एक समान है । कहने का तात्पर्य यह है कि एक जंगली घोडे को अपने वश में करने के लिए या उस पर नियंत्रण करने के लिए समय लगता है और एक बार इसको अपने वर्ष में कर लेने के बाद वो अपने नियंत्रण में आ जाता है । फिर जरूरत होती है उस नियंत्रन को बरकरार रखने की ताकि वो फिर से अपने नियंत्रण के बाहर ना हो जाए । इसके लिए आपको समय समय यहाँ रखना पडता है । हकलाहट की समस्या भी कुछ इसी प्रकार है । कुछ विशेष प्रकार के व्यायाम और उचित देखरेख से ये समस्या काफी हद तक नियंत्रण में आ जाती है । परन्तु इसका ये अर्थ नहीं है कि ये समस्या भविष्य में सदा के लिए समाप्त हो गई । कुछ खास कारण जैसे चिंतित रहने, अत्याधिक क्रोध होने या समय समय पर हकलाहट के प्रति जागरूक ना होने से ये समस्या फिर उभरकर सामने आ जाती है । बहनों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ । एक दिन भालों के पेट में अचानक तेज दर्द होता है । उसके घर वाले जल्दी से उसे स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाते हैं । डॉक्टर के चैकप करने के बाद वाहनों को अपेंडिक्स की समस्या आती है जिसकी वजह से बहनों को अस्पताल में दाखिल होना पडा । कानों के पूरी तरह से ठीक होने में लगभग डेढ दो महीने लग गए । जिस वजह से जो थोडी बहुत उसकी हकलाहट की समस्या ठीक हुई थी वो फिर से ज्यादा शुरू हो गयी । वो काफी निराश हो जाता है परन्तु वो हार नहीं मानता और एक जुनून के साथ फिर से अपनी हकलाहट की समस्या को ठीक करने की तरफ ध्यान देने लगता है । मानों कि हकलाहट की समस्या के कारण एक और समस्या उत्पन्न हो जाती है । वो तेज तेज बोलने लगता है । तेजी से बोलने के कारण वो और भी ज्यादा हकलाने लगा था । वो ये नहीं जानता था कि ऐसा क्यों हो रहा है । वो पहले से ज्यादा तेज स्पीड में क्यों बोल रहा है । इसका कारण ये था कि भानु को डर रहता था की वो इससे पहले की वह बात करते समय हस लाने लगे उसे अपनी पूरी बात कर लेनी चाहिए जिसके कारण वह तेज तेज बोलने लगता था । ये तेज बोलने की आदत का पक्की हो गई, उसे पता भी नहीं चला । स्थानों को अपनी हकलाहट की समस्या पर काबू पाने के लिए पहले अपनी इस तेज बोलने की आदत पर काबू पाना जरूरी था । इसका हल वाहनों को इंटरनेट से मिला मानो एक दिन अपने नए मोबाइल फोन पर इंटरनेट इस्तेमाल कर रहा था कि अचानक उसके दिमाग में अपनी तेज बोलने की आदत का हल खोजने का ख्याल आता है । वो इंटरनेट में गूगल डॉट कॉम पर इसका हल खोजता है । काफी जद्दोजहद के बाद आखिरकार उसे इसका हल मिल जाता है । इसका हल ये था कि अगर किसी को हकलाहट की समस्या के दौरान तेज बोलने की आदत है तो उसे किताबें पढनी चाहिए । किताबें बहुत ही धीमी गति से और ऊंची आवाज में पढनी चाहिए । एक या दो महीने के बाद इसका असर साफ नजर आने लगता है । उन्होंने ऐसा ही किया । वो तर्कशील सोसाइटी भारत का आजीवन सदस्यता भानु ने उनसे उनकी किताबें मंगाता रहा और उपरोक्त तरीके के साथ पडता रहा है । कुछ महीनों के प्रयासों के बाद उन्होंने अपनी तेज बोलने की आदत से काफी हद तक छुटकारा पा लिया था । अब उसे ये समस्या कभी कवार ही होती थी । बहनों की हकलाहट की समस्या लगभग खत्म हो चुकी थी परंतु उसकी सामाजिक डर की समस्या जिसकी वजह से हकलाहट की समस्या उत्पन्न होती थी वो जॉॅब बनी हुई थी । उस समस्या का हल भी उसे इंटरनेट से मिला । इस समस्या का हल ये था कि अगर किसी को ये समस्या है तो उसे किसी अंजान जगह पर जाकर अंजान लोगों या दुकानदारों से बात करनी चाहिए । इससे फायदा ये होगा कि अगर वो उनसे बातचीत करते हुए कहीं हकलाने लग जाता है तो उसे इस बात का डर नहीं होगा कि जब वह सब उसकी हकलाहट की समस्या पर हसेंगे तो वह कौन सा होने जानता है । ये अंजान जगह है यहाँ के लोगों के साथ उसने दोबारा कभी भी मिलना नहीं है और इससे उसका डर का मुख्य कारण यानी कि हकलाहट की समस्या के कारण हुई बेइज्जती का डर खत्म हो जाता है और इस समस्या से परेशान व्यक्ति बिना किसी डर के बोलने लगता है । कई लोगों को टेलीफोनिया मोबाइल पर बात करते समय भी ये समस्या होती है । उस परिस्थिति में भी किसी गलत नंबर पर फोन पर बात करके या किसी कंपनी के ग्राहक देखभाल अधिकारी के यहाँ फोन करके इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है । वहाँ पर भी ये तरीका कारगर साबित होता है । कानून ठीक ऐसा ही किया वो हर हफ्ते में तीन चार बार बाहर अंजान जगह जहाँ उसे कोई नहीं जानता था वहाँ जाता और वहां के दुकानदारों उसके साथ बातचीत करता हूँ । धीरे धीरे बहनों का डर खत्म हो गया और उसकी हकलाहट की समस्या में सुधार आना शुरू हो गया । बहनों को बचपन से ही अपने सहपाठियों और कुछ लोगों के प्रति बहुत गुस्सा था जो अब भी उसके अंदर था । वो बचपन से ही उन सब के द्वारा किए गए मजाक को सहता आ रहा था जिसे वो चाहकर भी भूल नहीं पा रहा है । उसकी हकलाहट की समस्या को बढाने का एक कारण ये भी था । इस नई पैदा हुई समस्या का समाधान उसे जिम में जाकर मिला । वो अपना सारा गुस्सा जिम में व्यायाम करके निकालने लगा । इसके दो फायदे हुए एक तो उसका गुस्सा बाहर निकल गया और दूसरा उसकी थोडी बहुत सेहत भी बन गयी । बचपन से लेकर अबतक भानु ने अपनी हकलाहट की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के टोटके अपनाए परंतु सब व्यर्थ साबित हुए । बहनों द्वारा अपनाए कुछ टोटकों और हकलाहट की समस्या से निजात पाने के प्रचलित मिथकों का वर्णन कुछ इस प्रकार हैं । पहला हकलाहट की समस्या से निजात पाने के लिए जो मित्र प्रचलित है उनमें से मुख्यतय किसी पक्षी खासकर होते का झूठन खाने से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है । उन्होंने अपने एक पडोसी के घर पर लगे अमरूद के पेड से होते द्वारा झूठे किए कई इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाता है तो वो डॉक्टर उसे कई अलग अलग तरह की दवाइयाँ देकर उनसे काफी है । पांच भारत के कुछ अशिक्षित और पिछडे वर्ग के लोग हकलाहट को किसी दैवीय शक्ति का प्रकोप मानकर हो जाओ और तांत्रिकों के पास इस समस्या का समाधान ढूंढते हैं । कुछ लोग मानते हैं कि कुछ लोग मानते हैं कि जीव के ऊपर कपूर रखकर आग से जलाने पर हकलाहट की समस्या दूर हो जाती है जो कि हास्यास्पद ही नहीं हानिकारक भी है । इस प्रकार के मृतकों का कोई भी ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं होता । इसलिए इन बेबुनियादी मृतकों पर विश्वास करने से किसी भी प्रकार का कोई लाभ प्राप्त नहीं होता हूँ । इधर बहनों के हकलाहट की समस्या ठीक हो रही थी और उधर वो सुनार का काम सीख कर अपनी खुद की दुकान खोलने जा रहा था । वो अपने भाई के साथ मिलकर सुनार का काम शुरू करने वाला था । उसका भाई किसी और शहर से सुनने का काम सीख कराया । भानु और उसके भाई दोनों मिलकर अपनी नई सुनार की दुकान चला रहे थे । दुकान के खुलते ही वाहनों को शादी के लिए रिश्ते आने शुरू हो गए । उसकी शराफत और अच्छेपन के चर्चे उसके सभी रिश्तेदारों में थे । वो अपने तीनों भाइयों में सबसे बडा था । बहनों की दादी पास के शहर में रहती थी । एक दिन वो भालू के घर आई और बहनों के पिताजी को अपने किसी परिचित की लडकी के बारे में बताने लगे । लडकी का नाम ईशा था । लडकी की उम्र उन्नीस बीस के आसपास थी । वो एक भाई और दो बहने हैं जिनमें से वो सबसे छोटी थी । उसके पिता अकाउंटेंट का काम करते थे । बहनों के पिता को उसकी दादी का ये प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने दो चार दिन तक लडकी को देखने का प्रोग्राम बनाया । धानों के पिता ने इस बारे में इसके ताऊ से बात तय प्रोग्राम के अनुसार भानु को छोड कर उसके परिवार के बाकी सदस्य और उधर से बहनों के ताऊ जी और उनका छोटा लडका यानी मनोज का भाई वो सब दादी के साथ लडकी देखने चले गए । लडकी देखने में सुंदर थी । लडकी वालों का घर बार भी ठीक था । लडकी के माता पिता देखने में शरीफ और भले आदमी लगते थे । धानों के पिता और उसके ताऊ को उसकी दादी द्वारा बताया ये रिश्ता पसंद आ गया और उन्होंने इस रिश्ते के लिए हामी भरती । तभी मनोज के भाई ने झट से ईशा की अपने मोबाइल फोन से चार पांच फोटो खींच के वो सब अपने घर वापस आ गए । वाहनों के ताऊ जी अपने घर चले गए । वाहनों की माने बहनों को एशिया की सुन्दरता और उसके परिवार की सादगी के बारे में बताया । उधर मनोज के भाई ने भाई को फोन करके बताया कि उसके पास उस की होने वाली भावी यानी ईशा की फोटो है । उन्होंने उसे ईमेल के जरिए भेजने को कहा परंतु मनोज का भाई बहनों से मजाकिया लहजे से इस फोटो के पांच सौ रुपए प्रत्येक फोटो के हिसाब से मांगता है । दोनों फोन पर इस विषय पर काफी देर तक बहस और हँसी मजाक करते हैं । धानों की दादी वाहनों के पिता से उनके आगे के प्रोग्राम के बारे में फोन पर पूछती है और साथ में भानु ओडिशा का एक दूसरे को देखने और पसंद करने के बारे में भी बहनों के पिता से पूछती है मानो इस बारे में इंकार कर देता है कि वह लडकी को नहीं देखेगा क्योंकि उसके परिवार के बडे सदस्यों ने लडकी को देख लिया है और पसंद भी कर लिया है । उसे उन सब पर पूरा विश्वास है जिस वजह वो लडकी को देखना नहीं चाहता हूँ । उसके घर वाले उसे बहुत समझाते हैं परन्तु भानु नहीं मानता हूँ । बहनों के पिता उसके ताऊ को इस बारे में बताते हैं । उसके ताऊ भाई को फोन करके बहुत समझाते हैं और उनके समझाने पर मानो लडकी देखने के लिए राजी हो जाता है । बहनों के पिताजी उसकी दादी को फोन करके इस बारे में जानकारी देते हैं । वाहनों की दादी ने उन्हें अगले दिन उनके घर आकर लडकी को देखने की बात कही । बालों के घर में तय हुआ कि अगले दिन बहनों के पिता को छोडकर भानु समेत घर के सभी सदस्य लडकी देखने वालों की दादी के घर जाएंगे । वाहनों को बचपन से ही हकलाहट की समस्या थी परन्तु उसकी ये समस्या अब ठीक हो चुकी थी । वो ये बात लडकी यानी एशिया से छुपाना नहीं चाहता था । वो एशिया को अपने बारे में सब कुछ बता देना चाहता था । उसने अपनी माँ से कहा कि जब वो दिशा को देखने जाएगा तो वो उससे अकेले में बैठ कर कुछ बातें करना चाहता है । वाहनों की मानें उसकी इस बात के लिए हामी भरती । अगले दिन सुबह सुबह भानु अपनी माँ और भाइयों के साथ लडकी देखने उनके शहर की ओर रवाना हो गए । सारे रास्ते में भानु ये सोचता रहा कि वह ईशा से अपने बारे में क्या बात करेगा । वो चाहता था कि वो उसे अपनी हकलाहट के बारे में और अपने कम पढे लिखे होने के बारे में बता दें । बानू बारहवीं में एक विषय में फेल होने के कारण अपने आप को कम पढा लिखा मानता था । वो सारे रास्ते यही सोचने में व्यस्त था की उस की दादी का घर कब आ गया उसे पता भी नहीं चला ।

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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