Made with  in India

Buy PremiumBuy CoinsDownload Kuku FM
From Weds To Vs Part 2 in  |  Audio book and podcasts

From Weds To Vs Part 2

384Listens
Buy Now
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
Read More
Transcript
View transcript

शिखा वालों को वहाँ से ले जाती है और दोनों वहाँ से बाजार घूमने चले जाते हैं । थोडी देर बाद बाजार घूमने के बाद भानु और शिखा दोनों घर वापस आ जाते हैं । वापिस आकर देखते हैं कि वो लडका जिसकी उन्होंने पिटाई की थी वो अपनी माँ को लेकर भानु की शिकायत लेकर आया हुआ है । वाहनों की पिटाई की वजह से उसे काफी चोटें आई हुई है । रिकी ने भाई को बहुत डांटा हूँ । डांट खाकर वाहनों छत पर चला जाता है । शिखा भी उसके पीछे पीछे छत पर आ जाती है और भानु से उस झगडे के बारे में पूछती है और पूछती है कि उसने इस छोटी सी बात को इतना क्यों बढा दिया । धनु चुप रहता है और उसकी बात का कोई जवाब नहीं देता हूँ । शिखा बार बार भाइयों से इस बारे में पूछ रही थी परंतु भानु कोई जवाब नहीं दे रहा था । आखिरकार शिखा के ज्यादा जोर देने पर ध्यान उसका जवाब देने लगता हैं परन्तु अपनी समस्या की वजह से वो शिखा के सामने हाथ फैलाने लगता है और धीरे धीरे हकलाते हुए शिखा को कहता है कि तो मुझे बहुत अच्छी लगती हूँ और मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा । जब उन लडकों ने तुमसे बदतमीजी की तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हूँ । जिस कारण मैंने अपना आपक हो गया और उन लडकों के साथ मारपीट करनी शुरू कर । इतना सुनकर शिखा को गुस्सा आ गया और वह बहनों से कहने लगी तुमने अपने और मेरे बारे में इतना कुछ कैसे सोच लिया? तुम जैसे हक ले के साथ कोई दोस्ती करना पसंद ना करें । मैं तो फिर भी तुम्हारे साथ घूम रही हूँ । मेरे पापा को भी तुम्हारे जैसी समस्या है वो भी तुम जैसे रुक रुककर बोलते हैं । सभी उनका मजाक बनाते हैं । मेरे ननिहाल वाले भी पापा की बातों का खूब मजाक बनाते हैं । उनकी वजह से मेरी सारी सहेलियाँ मेरा मजाक बना जिससे हमारा जीना मुश्किल हो गया है तो मैं भी ऐसी ही समस्या है । लोग तुम्हारा भी मजाक उडाते होंगे । इससे आगे शिखा कुछ पार्टी वानू बिना कुछ कहे वहां से चला गया । भाई की आंख में पानी था । शिखा भानु को छत से बाहर जाते हुए देख रही नहीं । ऐसा लगता था कि मानो उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है । बहनों घर आ जाता है और अपने कमरे में जाकर लेट जाता है । शिखा की कही हुई बातें उसके कानों में गूंज रही थी । वो हैरान था और सोच रहा था कि क्या उसका गुना केवल इतना ही है कि उसे हकलाहट की समस्या है । इसमें उसका क्या दोष है । सब लोग उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों करते हैं? इसके दो तीन दिन बाद शिखा भाई के घर आई । वो अपने घर जाने से पहले उन सब को मिलने आई थी । उस दिन की बात को लेकर आलू के मन में शिखा के प्रति गुस्सा और नाराजगी थी जिस कारण वह शिखा के साथ बात नहीं करना चाहता था । शिखा भी उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर रही है । कुछ देर के बाद वो अपने घर चली जाती है । उसके चले जाने के बाद कानून कई दिनों तक उदास और चुपचाप रहता है । वो किसी से कुछ बातचीत नहीं करता हूँ । सारा दिन इसी टेंशन में रहता था की कैसे वो अपने ही इस समस्या से छुटकारा पाए । हकलाहट एक ऐसी समस्या है जो कि इसके बारे में ज्यादा सोचने और ज्यादा टेंशन लेने से ज्यादा बढ जाती है । ठीक ऐसा ही भाइयों के साथ भी होने लगा । उसकी हकलाहट की समस्या दिनबदिन बढने लगा । उसका कोई दोस्त नहीं था जिससे वह अपने दिल की बात कह पाता या जिससे कुछ सलाह ले पाता हूँ । वो लोगों की इस भीड के बीच अकेला अकेला सा महसूस करने लगा था । कुछ दिनों के बाद रिंकी के घर से खबर आती है कि उसका पति काफी बीमार हैं और अस्पताल में दाखिल है । घर के सभी सदस्य बारी बारी उसका पता लेने के लिए जाते हैं । वहाँ भी वहाँ उनका पता लेने के लिए जाता है । जब वो अस्पताल के कमरे में दाखिल होता है तो देखता है कि शिखा पहले से ही वहां मौजूद होती है । भानु उसे काफी देर के बाद मिल रहा होता है । इसलिए वो इस उम्मीद के साथ शिखा की तरफ देखता है कि शायद वो पिछला कहाँ सब कुछ भूल उसकी बात को मान ले । परंतु इसके विपरीत शिखा अपने रिश्तेदारों के सामने उसकी हकलाहट की समस्या का बहुत मजाक बनाते, उसे सबके सामने बहुत जलील करती है । बहनों की आंखें पानी से भी जाते हैं और भीगी आंखों के साथ वहाँ से चला जाता है । शिखा के पिता को उसकी हरकत अच्छी नहीं लगती क्योंकि वो भी उसी परिस्थिति से गुजरा होता है । जिस परिस्थिति से अब भानु गुजर रहा है । वो हकलाहट की समस्या से ग्रस्त जीवन के दर्द को भलीभांति जानता है जिस कारण उसे शिखा की ही सरकार पर बहुत गुस्सा आता है और उसे हकलाहट की समस्या से ग्रस्त जीवन के दर्द को समझाने की कोशिश करता है । शिखा को जब इस बात का एहसास होता है कि उसने जो बहनों के साथ क्या वो बहुत गलत किया तो वह बहुत बच जाती है और उसके आंखों में छिपे दर्द और दिल में उसके प्रति छिपे प्यार को पहचान जाती हैं और मन ही मन उसे चाहने लगती है । उधर रिंकी के पति का लंबी बीमारी के बाद अस्पताल में निधन हो जाता है । रिंकी के ससुराल वाले रिंकी को तंग करने लगते हैं जिनकी की शादी को हुए जिनकी की शादी को हुए अभी कुछ ही देर होती है जिस कारण उसके ससुराल वाले उसके पति की मृत्यु का जिम्मेवार उसे मानते हैं । जिससे दोनों पक्षों में काफी कहा सुनी हो गई कि के पति की मृत्यु के बाद उसका ससुराल में रहना मुनासिब नहीं जिस कारण ये तय हुआ कि उसके पति की हम ंतिम रस्म क्रिया के बाद रिंकी वापस अपने मायके चली जाएगी । रस्म क्रिया वाले दिन भानु स्कूल से जल्दी घर आ जाता है और घर में शिखा को बैठे देखता है । वाहनों से अनदेखा करके अपने कमरे में चला जाता है । शिखा उसके पीछे पीछे कमरे में आती है और भाई से बात करने की कोशिश करती है । वाहनों उस दिन की बातचीत शिखा से काफी नाराज होता है जिस कारण वो उससे बात नहीं करता हूँ । शिखा के काफी मनाने पर वाहनों से कहता है अब मनाने और बात करने का क्या फायदा है । अगर मैं हकलाता हूँ तो इसमें मेरा क्या दोष है । मुझे कुदरत ने ऐसा बनाया है । मुझसे कोई दोस्ती नहीं करना चाहता हूँ । सब मेरा मजाक उडाते हैं । तुम ने भी तो मेरा मजाक उडाने में कोई कसर नहीं छोडी । वो रिश्ता जिसके सहारे हम एक दूसरे से मिलते थे । वो रिश्ता भी अब टूट चुका है । मसलन के रिंकी और उसके पति के कारण दोनों परिवार आपस में मिलते जुलते थे । रिंकी के पति की मृत्यु के बाद भविष्य में उन दोनों परिवारों का आपस में मिलना मुमकिन नहीं था । भानु और शिखर दोनों इस बात से वाकिफ हो चुके थे । ये मुलाकात उन दिनों की आखिरी मुलाकात होती है । वो दोनों घर से रिंकी के ससुराल वाले घर की ओर चल दिए हैं । जहाँ रिंटी के पति की अंतिम रस्म क्रिया नहीं दोनों पैदल जा रहे थे और लगभग खामोश शिखा ने एक दो बार वालों से बात करने की कोशिश की परंतु भाइयों ने उसकी किसी बात का जवाब नहीं दिया । थोडी ही देर में रिंकी का ससुराल वाला घर आ जाता है और शिखा घर के अंदर जाने लगती है । परंतु बहनों घर के अंदर नहीं जा रहा था । बस चुप चाप शिखा की तरफ देखे जा रहा है । उसकी आंखों में शिखा से सदा के लिए बिछडने का दुख साफ नजर आ रहा था । शिखा भी उस की ओर देख रही थी । उसकी आंख हैं । बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह रहे हैं मानो आंखों ही आंखों में उससे आपने की पर माफी मांग रही थी । कुछ देर के बाद भानु वहाँ से नम आंखों के साथ अपने घर की ओर निकल पडता है । घर आकर उस ज्यादातर चुपचाप रहने लगा । उसने बातचीत करना भी कम कर दिया था । वो ये सब कुछ बुलाने के लिए पढाई में ध्यान देने लगा । उसकी आठवीं कक्षा की परीक्षा शुरू होने वाली थी जिस कारण वो अपनी परीक्षा की तैयारियों में जी जान से जुट गया । कानून पडने में पहले से ही होशियार था अच्छा वो आठवीं की परीक्षा में अपनी कक्षा में से पहले स्थान में पास कर लेता है । किसानों का स्कूल आठवीं कक्षा तक ही था । आगे की पढाई के लिए उसे किसी दूसरे स्कूल में जाना । दूसरे स्कूल में उसी कैसा माहौल मिलेगा शायद उसे इस बात का अंदाजा नहीं था । दूसरा स्कूल उसके लिए नया था । वहाँ के अध्यापक नहीं थे । वहाँ के सहपाठी उसके लिए नहीं थी । वो सब उसकी हकलाहट की समस्या से अंजाम थे । नए स्कूल की नई कक्षा में वो कुछ अच्छा महसूस नहीं करता है । वो इस डर से भलीभांति परिचित था कि जब उसके सहपाठियों को पता चलेगा कि वह हकलाकर बात करता है तो वो सब उसका क्या हाल करेंगे और उसे चढाने के लिए किस नाम से पुकारेंगे । ये सब बातें सोच कर वो काफी डर जाता है और आखिरकार वही होता है जिस बात से वो डर रहा होता है । जब नहीं कक्षा में उसकी पढाई शुरू हो जाती है और पहले दिन अपने नए स्कूल में जाता है । वो अपनी कक्षा में जाता है, उसकी अध्यापिका कक्षा में आती है और सब नए बच्चों से उनका परिचय लेती हैं । सब बडे आराम से अपने बारे में बता रहे होते हैं । भानु ये सब देखकर काफी डर जाता है । डर इस बात कहा की जो परिचय देने की बारी उसकी आएगी तो वो अपना परिचय कैसे देगा । उसे पूरा यकीन था कि वो उन सब के सामने बोलते हुए अखिला जाएगा और हर बार की तरह इस बार भी सब उसका खूब मजाक बनाएंगे । वो सब सोच ही रहा होता है कि तभी उसके अध्यापिका उस वो इशारा करती है और अपना परिचय देने के लिए कहती है । भानु परिचय देने के लिए खडा होता है पर कुछ बोल नहीं पडेगा । उसकी अध्यापिका उसे बार बार अपना परिचय बताने के लिए बोलती है । काफी जद्दोजहद के बाद वो कुछ हकलाते हुए अपना नाम बोल पाता है । उसका इस तरह का परिचय सुनकर सारी कक्षा उसपर हसने लग जाती है । उसकी अध्यापिका भी अपनी हंसी रोक नहीं सकी और वो भी बाकी सब पार्टियों के साथ उस पर खास नहीं लगी । ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा क्योंकि उसके स्कूल में अलग अलग विषय के लिए अलग अलग अध्यापक हैं । जिस कारण उसे हर अध्यापक के सामने अपना परिचय देना पडता है और बार बार उसे पूरी कक्षा के सामने बेइज्जती का सामना करना पडता हूँ । उसके सहपाठियों ने उसे चिढाने और उसकी हकलाहट का मजाक उडाने के लिए उसका एक नया नाम डाल दिया । वो उसे अब्बू के नाम से पुकारने लगे थे । अब्बू एक कार्टून कैरेक्टर का नाम है जो की अलादीन नाम के कार्टून कैरेक्टर के बन्दर का नाम है । वो बन्दर बोलता नहीं सिर्फ खाने की की ध्वनि निकालता है । बहनों के सहपाठियों का कहना है कि वह उस बन्दर यानी अबू की तरह बोलता है । वाहनों अपने इस नए नाम से काफी दुखी होता है पर वो कर भी कह सकता था वो शारीरिक रूप से काफी कमजोर था जिस कारण वह किसी से लडाई भी नहीं कर सकता था । वो अपना गुस्सा भी नहीं निकाल सकता था । जिस कारण वह सदैव चिडा चिढा सा रहने लगा । उसे अपनी हकलाहट की दम घुटने वाली जिंदगी जेल में बंद कैदी की सामान महसूस होती थी । एक बार की बात है । वाहनों अपनी कक्षा में बैठा था । तभी उसका एक सहपाठी जिसका नाम राहुल था वो उसे काफी देर से काम कर रहा था । राहुल से अवसर टन क्या करता हूँ, उसका अबू नाम भी उसी नहीं डाला । पर उस दिन तो उसने हद ही कर दी । वो पूरी कक्षा के सामने उसका मजाक बना रहा है । बार बार उसे अभी कह रहा था, कुछ भी नहीं कर पा रहा था । इतने में उसकी अध्यापिका कक्षा में दाखिल होती है और सभी सहपाठी उनके आदर के लिए खडे हो जाते हैं । राहुल भी उन सब के साथ अपनी अध्यापिका के आदर के लिए खडा हो जाता है । अध्यापिका उन सब को बैठने का इशारा करती है । उन सब के साथ राहुल जैसे कि बैठने लगता है । बालू अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए राहुल के नीचे अपनी पेंसिल रख देता है । राहुल उस पेंसिल के ऊपर बैठ जाता है जिस कारण उसे काफी चोट लगती है । उसकी अध्यापिका उसकी सरकार से काफी नाराज हो जाती है और उसे काफी डांटती है । मानो आपने अध्यापिका की डांट से नाराज नहीं होता हूँ बल्कि उसे इस बात की खुशी होती है कि उसने राहुल से अपनी बेइज्जती का बदला ले लिया है । परन्तु बहनों की इस हरकत से उसका कक्षा में जीना और भी मुश्किल हो जाता है । जैसे तैसे बचते बचाते वो अपनी स्कूल की जिंदगी व्यतीत कर रहा था । ये जानते हुए कि उसे बोलने में समस्या है । उसके कुछ अध्यापक जानबूझकर उसी कक्षा में खडा करते हैं और उसे कुछ सुनने के लिए कहते हैं और हर बार की तरह जब बोलते समय निकला जाता तो अध्यापक समेत उसके सब सहपाठी उस पर हंसने लगते हैं । हर व्यक्ति के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब उसे ये निर्णय लेना होता है की उसे अपने जीवन में क्या करना है, क्या बनना है और वो जीवन जिसे उसने सारी जिंदगी व्यतीत करना है और वो समय जिसमें उसे ये निर्णय लेना है कि भविष्य में उसे किस काम को अपना पानों के जीवन में ऐसा समय तब आया जब दसवीं कक्षा में पढ रहा होता है । उसके घरवालों और रिश्तेदारों का उस पर काफी दबाव था । उसे अपने भविष्य के बारे की चिंता सताने लगी थी ।

Details
यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
share-icon

00:00
00:00