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From Weds To Vs Part 1 in  |  Audio book and podcasts

From Weds To Vs Part 1

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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आप सुन रहे हैं वो ऍम किताब का नाम है फॅस जिसे लिखा है रोहित वर्मा रिंकू ने आवाज आशुतोष की है । फॅसने जो मन चाहे भाइयों की हकलाहट की समस्या काम शुरू हुई और कैसे शुरू हुई इसके बारे में ठीक से याद नहीं लेकिन जब उसने पहली बार इस समस्या को करीब से महसूस किया तब का थोडा बहुत ज्यादा है । बात उन दिनों की है जब भानु पहली कक्षा में पडता था । वो अपनी कक्षा का सबसे होनहार चाहते था । वो शारीरिक तौर से बेशक थोडा कमजोर था परंतु मानसिक तौर से एकदम फिट था । पढने के मामले में हमेशा सबसे आगे रहता था जिस वजह से वो अपने अध्यापकों का पसंदीदा छात्र बन गया था । कुछ छात्र उससे जलने लगे थे और कुछ उस से मित्रता करने लगे हैं । जिंदगी मजे से कट रही थी । एक दिन की बात है वो अपनी कक्षा में बैठा था । हिंदी विषय की क्लास चल रही थी । हिंदी की अध्यापिका जी ने सबसे एक प्रश्न पूछा और बोला कि जिस जिस को उसका उत्तर मालूम है, अपने हाथों पर करूँ । क्योंकि भानु को इस प्रश्न का उत्तर मालूम था तो उसने इसका उत्तर देने के लिए अपना हाथ ऊपर कर दिया । अध्यापिका जी ने उसे उत्तर देने का इशारा किया । वो उत्तर देने के लिए खडा हुआ और जैसे ही उत्तर देने के लिए मुंह खोला ये क्या है? बहनों के मुझसे उत्तर देने के लिए आवाज ही नहीं निकल रही थी । वो असमंजस में पड गया और चुप चाप खडा रहा । ये बोलने की बहुत कोशिश कर रहा था परन्तु कुछ भी बोल नहीं पा रहा था । अध्यापिका नहीं । उसे इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए । फिर बोला वो लगातार उत्तर देने के लिए बोलने की कोशिश कर रहा था परंतु बोल नहीं पा रहा था । वो अपने आप को लाचार और असहाय महसूस कर रहा था । कुछ सहपाठी उसकी हालत पर हैरान थे और कुछ इस हालत पर मुस्कुरा रहे थे । अध्यापिका ने भाई को डाटा और बैठने के लिए बोल दिया । वो अपनी सीट पर चुपचाप बैठ गया । वो एक बहुत बडी समस्या का शिकार हो चुका था जिसके बारे में उसे कोई भी जानकारी नहीं थी । हालांकि इससे पहले भी उसके साथ ऐसा कई बार हुआ था परंतु इस बार के हादसे ने भानु को काफी अंदर तक हिलाकर रख दिया । वो ये सोच कर हैरान और परेशान था कि जब अध्यापिका ने उससे प्रश्न का उत्तर पूछा तो उसे एकदम क्या हो गया था? उत्तर को जानते हुए भी कुछ बोल क्यों नहीं पा रहा था । तभी स्कूल में आधी छुट्टी की घंटी बजे वो अपनी से बाहर आया और जल्दी से भागकर स्कूल के मैदान में किसी एकांत जगह पर चला गया । वहाँ जाकर जोर जोर से अपने आप से बातें करने लगा । अब की बार वो बिना किसी परेशानी के काफी आराम से बोल रहा था और ये बात उसे हैरान करने के लिए काफी थी । स्कूल से छुट्टी के बाद भानु अपने घर वापिस आया । मन थोडा उदास था जिस वजह से वो बिना किसी से कुछ भी बातचीत किए अपने कमरे में चला गया । अगले दिन वो जब स्कूल गया तो वहाँ का माहौल काफी बदला बदला सा लग रहा था । उसके कुछ सहपाठी उसके साथ हुए कल वाले हादसे की नकल उतार रहे थे और पूरी कक्षा के सामने उसका मजाक बना रहे हैं । वो क्रोध और उदासी के मिले जुले भाव के साथ चुपचाप अपनी जगह पर जाकर बैठ गया । अध्यापिका कक्षा में आई और हर रोज की तरह हमारी कक्षा की शुरुआत हाजिरी लगाने से करने लगते हैं । अब जैसा कि हर स्कूल में हाथ नहीं लगाने के समय होता है । अध्यापिका रोलनंबर बोलती हैं और जिस छात्र का रोल नम्बर बोला जाता है उसे उसके जवाब में प्रेजेंट में हम बोलना होता है । वाहनों का रोल नंबर दे रहा था । जब अध्यापिका हाजिरी लगाते हुए उसके रोल नंबर के नजदीक पहुंचने लगी तो उसे कुछ अजीब सा डर लगने लगा । शायद इसका कारण उसकी हकलाहट की समस्या ही थी, जिसके बारे में वो अभी तक अनजान था । वो सच में डर नहीं लगा । डर इस बात कहा कि अगर अध्यापिका ने उसका रोल नंबर बोला और इसके जवाब में उससे प्रेजेंट मैं नहीं बोला गया तो वो छात्र जो कल उस पर मुस्कुरा रहे थे और आज थोडी बहुत नकल उतार रहे थे, वो उसका खूब मजाक बनाएंगे । वो अभी इसके बारे में सोच रहा था की अध्यापिका ने भानु का रोल नंबर बोल दिया । अब जिस बात को सोचकर वह डर रहा था वहीं हुआ वो अपने रोल नंबर को सुनकर प्रेजेंट मैम बोलने की कोशिश कर रहा था परंतु बोल नहीं पा रहा जो लगभग खामोश था । अध्यापिका ने तीन चार बार भाइयों के रोल नंबर के साथ उसके नाम को पुकारा और तो जब वो कुछ नहीं बोल सका तो उन्होंने उसकी गैर हाजिरी लगती । तभी किसी सहपाठी ने भानु की तरफ इशारा करके अध्यापिका को बोला कि वो कक्षा में हाजिर है । अध्यापिका ने उसकी तरफ देखा और उसे अपनी जगह पर खडे होने का इशारा किया । अध्यापिका नहीं बहनों से हाजिरी ना बोलने का कारण पूछा क्योंकि इसका कारण से खुद ही नहीं मालूम था तो उन्हें क्या जवाब देता हूँ तो वो कुछ नहीं बोला और चुपचाप खडा रहा । अध्यापिका की बात का कोई भी जवाब न देने के कारण कुछ दिन भाई को उनसे खूब डांट पडी । स्कूल से छुट्टी होने के बाद वो अपने घर वापस आ गया और घर आते ही अपने कमरे में जाकर जोर जोर से रोने लगा । उसकी माँ कमरे में आई और होने का कारण पूछने लगी । पहले तो उन्हें लगा कि शायद भानु का किसी से झगडा हुआ है और जिस कारण वो झगडे में मार खा कराया है । माने भानु से फिर से प्यार से रोने का कारण पूछा और भानु ने रोते रोते हकलाते हुए सारी बात बताई । ना को कुछ समझ में नहीं आया कि उसे क्या हुआ परन्तु जैसे तैसे उन्होंने भानु को चुप करवाया । रोते रोते पता नहीं कब उसे नींद आ गई और वह वहीं पर हो गया । जब वह शामको सोकर उठा तो देखा कि घर में कुछ मेहमान आए हुए मैंने भानु का हाथ धुलवाया और मेहमानों से मिलने के लिए बोला हूँ । मेहमानों में भानु के पिता जी के दोस्त, उनकी पत्नी और उनके बच्चे थे । पिताजी के दोस्त यानी कि मानों कि अंकल । उन्होंने उसे अपने पास बुलाया और उसके सिर पर हाथ फेरकर उसे प्यार करने लगे हैं । बातों बातों में उन्होंने भानु का नाम कुछ और भानु से अपना नाम बोला । नहीं गया वो हैरान परेशान और डर की मिलीजुली परिस्थिति के बीच फसा हुआ था । उसके अंकल नहीं उससे दो तीन बार अपना नाम बताने के लिए बोला है परंतु वो अपने ही नाम को बोल नहीं पा रहा हूँ । भाई के दिल की धडकन तेज हो गई थी । उसे पसीना भी आ रहा था और उसके कान गर्मी के कारण लाल हो गए थे । वाहनों के पिताजी ने समझा कि वह मेहमानों के सामने कुछ शर्मा रहा है जिस वजह से वो अपना नाम नहीं बता रहा है और उसके पिता जी उसे उन सबके सामने डांटने लगे । इनकी डाट से वाहनों काफी डर गया और रोने लगा । तभी भाइयों की माने उसे अपनी गोद में उठाया और चुप कराने लगे और साथ ही माने स्कूल में हुई सारी बात मेहमानों के सामने पिताजी को बताइए । किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर माजरा क्या है । तभी अंकल ने बताया कि भानु को हकलाहट की समस्याएं हकलाहट ये शब्द भानु जैसे एक छह सात वर्ष के बच्चे के लिए बिल्कुल नया था । ये क्या है? ये किस बला का नाम है? वो इस शब्द से बिल्कुल अनजान था । अगर इसके बारे में वो कुछ जानता था तो बस इतना कि जब वह कुछ भी गुनगुनाता है, मतलब कोई गाना गाने लगता है तब कोई समस्या नहीं होती । या फिर अकेले में या अपने किसी परिचित के सामने बात करते समय कोई भी समस्या नहीं होती । मतलब कहने का ये था कि भानु अपने घर में और आपने कुछ निकटतम संबंधियों के सामने बडे आराम से बातचीत कर लेता हूँ । वहीं इसके विपरीत यानी की घर से बाहर और किसी अनजान व्यक्तियों के सामने उसे बोलने में समस्या होने लगती थी । जिस वजह से भानु के व्यवहार में तब्दीली आनी शुरु हो गई थी । बोलते समय वह निकला जाए जिस वजह से लोग उसका मजाक बनाएं । इस डर से वो ज्यादातर चुप रहने लगा और साथ में अकेला अकेला सा रहने लगा । लेकिन इस सबके बावजूद उसे एक बात समझ में नहीं आती थी कि जब वह अकेला होता था या अपने किसी परिचित लोगों से बात करता था तब कोई समस्या नहीं होती । ऐसा क्यों होता है? वो अकेले में काफी जोर जोर से बोलने लगता हूँ, जीतता था, चिल्लाता था और कभी कभी वह होने लगता था । धानों के सहपाठियों ने उसे छोडने के लिए विभिन्न विभिन्न प्रकार के नामों से उसे बुलाना शुरू कर दिया जैसे हकला, शाहरुख खान इत्यादि । धानू बोलते समय रुक जाता था यानी कि वह हकलाकर बोलता था तो इसमें उसका क्या कसूर है । वो सब उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों करते थे? इस बात को लेकर भानु अक्सर दुखी और परेशान रहता था । जब वो कुछ बडा हुआ तो उसके साथ साथ उस की समस्या भी बडी होने लगी । इस समस्या के समाधान के लिए वाहनों के माता पिता ने कई डॉक्टरों से संपर्क किया और उनसे इसका इलाज करवाया । परंतु सब्जियाँ ये सब कुछ समय और पैसे की बर्बादी ही साबित हुआ । जब भानु लगभग दस वर्ष का हुआ तब उन्हें अपने किसी रिश्तेदार के माध्यम से एक डॉक्टर के बारे में पता चला जो कि उस की इस बीमारी का इलाज कर सकता था । हकलाहट की समस्या को वो एक भयंकर बीमारी समझते थे और इलाज के लिए डॉक्टरों से संपर्क करते थे । ऍम के माता पिता कुछ डॉक्टर के पास भी गए । डॉक्टर ने बहनों का चेक किया और कुछ दवाइयाँ लिख दी । उनमें से ज्यादातर दवाइयाँ पीने वाली थी । खैर उन्होंने दो महीने तक उससे अपना इलाज करवाया परंतु कोई भी फर्क नजर नहीं आया हूँ । उन्होंने उस डॉक्टर से इसके बारे में कहा । इसके जवाब में उसने पहले तो भानु की शारीरिक कमजोरी का बहाना बना दिया क्योंकि वो शारीरिक रूप से काफी कमजोर था । जिस कारण उन्हें मजबूरन ये मानना पडा कि भाई की हकलाहट की समस्या का कारण उसकी शारीरिक कमजोरी ही है । परंतु डॉक्टर द्वारा दी गई ये दलील उन सबके गले नहीं उतर रही थी । परंतु मजबूरन उन्हें उसकी बात माननी पडी । इस बार उन्होंने भानु को शरीर मोटा करने की दवाइयाँ दी और अगले एक महीने में हकलाहट की इस बीमारी को जड से खत्म करने का आश्वासन भी दिया । उन्होंने एक नहीं बल्कि दो महीनों तक उसकी दवाई खाई परन्तु उसके हाथ में हर बार की तरह निराशा ही हाथ लगी । वो सब उस डॉक्टर के पास दोबारा गए, भाई की माने उससे शिकायती लहजे से बात की और कहा कि हमें आपके पास इलाज करवाते लगभग छह सात महीने हो गए और अभी तक कोई भी सुधार नहीं हुआ है । ये गलत बात है । अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो हमें मजबूरन किसी और डॉक्टर की सलाह लेनी होगी । इसका सीधा मतलब था कि वो अब उनसे इलाज बंद करवा रहे थे । वो डॉक्टर उनकी बात को समझ गया और उन्हें किसी डॉक्टर के पास नहीं जाने देना चाहता था । अतः उसने एक नई दलील दी । उसने कहा कि आपके बच्चे को किसी भी प्रकार की कोई भी बीमारी नहीं है क्योंकि अकेले में और आपके सामने ठीक तरह से बोल लेता है मगर किसी और के सामने और ज्यादातर स्कूल में ही बोलते समय रुक जाता है तो ये संभव है कि आपका बच्चा झूठ बोलता हूँ और आप सबके सामने ड्रामेबाजी करता हूँ । डॉक्टर की बातें सुनकर बानू काफी हैरान परेशान और थोडा डर गया था । हैरान इसलिए कि वह शख्स जिसके पास हम पूर्ण विश्वास करके आते हैं कि वो हमारी शारीरिक परेशानियों को दूर करेगा । वो अपनी फीस बनाने के चक्कर में हमें बे मतलब की दवाइयों में उलझाता रहा और जो इतना पढा लिखा होने के बावजूद भी वाहनों की समस्या को समझ नहीं पा रहा हूँ और अपनी नाकामी का सारा ठीकरा उसके सिर फोड रहा है और डर इस बात का लग रहा था कि कहीं भाग के घर वाले उस डॉक्टर की बचकानी बातों को सच मानकर ये न समझ लें कि कहीं वो सच में ड्रामेबाजी तो नहीं कर रहा हूँ । ये कुछ बडी बडी बातें थी जो दस साल की आयु वाले छोटे से बच्चे के दिमाग में घर कर दीजिए । भाई के माता पिता नहीं, उसकी हकलाहट की समस्या से निजात पाने के लिए हरसंभव प्रयास किए परंतु सब व्यर्थ साबित हुए । मैंने किसी पंडित के पास उसकी जन्मपत्री को भी दिखाया । पंडित ने अपने स्वभावानुसार उनको फालतू की बहन में डालना शुरू कर दिया । पंडित ने भानु की समस्या को अपनी आजीविका का साधन बना लिया और उनसे बेफिजूल पैसे एंठने शुरू कर दिए । कभी वो पंडित बहनों को कोई धागा गले में डालने के लिए दे देता है तो कभी कोई फॅमिली में डाल देता हूँ । पर समस्या जो कि क्यों रही है? धानों की हकलाहट की समस्या में कोई सुधार नजर नहीं आता । बहनों की माँ डॉक्टर से तो शिकायत कर सकती थी परंतु अंधविश्वास और श्रद्धा के कारण उस पंडित से कैसे शिकायत करें । लिहाजा इस बार उन्होंने पंडित से बात करना अच्छा नहीं समझा हूँ । उधर भाइयों की समस्या जो कि क्यों स्थिर बनी हुई थी उसके डॉक्टर इलाज तो व्यर्थ साबित हुए ही थे, पंडित के बताए सारे उसके भी खास चमत्कार नहीं कर पाए थे । एक दिन साहस बटोरकर माने पंडित से इस बारे में बात की तो उस पंडित ने उन्हें पिछले जन्मो और ग्रह के चक्करों में ऐसी दलीलें दी की ऐसा लग रहा था मानो जैसे भानु ने इस दुनिया में पैदा होकर बहुत बडी गलती कर दी है । खैर पंडित ने माँ को धार्मिक बातों का हवाला देकर प्राचीन पद्धति से बहनों का इलाज करने का दावा करते हुए उनसे इक्कीस रुपये ऐसी है और बदले में मंदिर से शंक देते हुए कहा कि जाओ और इस पवित्र शंक में राजकीय समय पानी डाल कर रखना और सुबह ये पानी अपने बच्चे को पिला देना । कुछ सालों में ये बिल्कुल ठीक हो जाएगा । मरता क्या ना करता इसलिए वह पंडित से बिना किसी बात पर बहस किए वहाँ से घर की ओर चल दी और उन्होंने पंडित के बताइए मुझे को अपने दिनचर्या में शामिल कर लिया । धानों पढाई में काफी होशियार था परन्तु बोलने में कुछ समस्या होने के कारण वो कुछ काम जैसे किताब को पढना अध्यापक द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देना, अपनी हाजिरी को बोलना अभी ये सब काम नहीं कर पाता था और इस बात से उसकी सब अध्यापक भली भांति परिचित थे इसीलिए वो सब उसकी पढाई में उसका बहुत साथ देते हैं । जिसकारण भानु अपनी कक्षा में सदैव पहले स्थान पर रहता था वो सबका चहेता विद्यार्थी बन गया था । वो पढाई में सब विषय में सबसे आगे था परंतु सबसे ज्यादा आगे वो हिसाब के विषय में था । इसका कारण शायद ये था कि हिसाब के विषय में उसे कम बोलना पडता था । स्कूल में इम्तिहानों की समय की बात है । एक दिन भानु का हिसाब का इम्तिहान उसके प्रश्न पत्र में कुल तेईस सवाल लिखे हुए थे जिनमें से उसे कोई भी बीस सवालों का हल करना था । परंतु भानु ने पूरी तेईस के तेईस सवाल हल कर दी और अंतिम लिख दिया । कोई भी सवाल चेक कर लो और अपनी उत्तरपुस्तिका अध्यापिका को दे दी । अध्यापिका भानु की इस हरकत से काफी प्रभावित हुई और उन्होंने ये बात मुख्यध्यापिका को बताई मुख्यध्यापिका ने उसे अपने पास बुलाया और मजाकिया लेते से भानु को उन्हें हिसाब का विषय पढाने की पेशकश की और अगले दिन पूरे स्कूल के सामने भानु की तारीफ की । बहनों की स्कूल की जिंदगी काफी मजे से कटने लगी थी । उसे अपनी हकलाहट की समस्या के अलावा किसी बात की कोई फिक्र नहीं परन्तु एक बात का उसे मलाल था कि वह एक बार अपने स्कूल की सालाना जलसे में हिस्सा लें । वाहनों के स्कूल में हर साल किसी ना किसी प्रकार का जलसा होता रहता हूँ जिसमें उसके सहपाठी बढ चढकर भाग लेते हैं । उसकी भी एक ख्वाहिश थी कि एक बार वह अपने स्कूल के जलसे में हिस्सा लेंगे परन्तु अपनी हकलाहट की समस्या के कारण वो निराश होकर रहे जाता था । एक बार वह साहस बटोरकर अपने मुख्यध्यापिका के पास गया और इस बार होने वाले सालाना जलसे में भाग लेने के लिए कहा । मुख्यध्यापिका कुछ देर सोचती रही और उसे एक कविता को गाने के लिए बोला । उन्होंने बहुत विश्वास के साथ वो कविता बोलती हैं मुख्यध्यापिका बहुत खुश हुई और उसको शाबाशी देकर उसका उत्साह बढाया । साथ में उसे ये कविता स्कूल में होने वाले सालाना जलसे मैं गाने का मौका भी दिया भानु को अपने ऊपर पूरा विश्वास था कि वो उस कविता को सबके सामने डालेगा । क्योंकि हकलाहट की समस्या की सबसे बडी खासियत यह है कि ये गाना गाने या अपने किसी परिचित व्यक्तियों के सामने ना के बराबर होती है और साथ में इस समस्या के बारे में आप जितना सोचोगे उतनी ही ये बढेगी । और अगर आप इस समस्या को नजर अंदाज करके पूरे जोश के साथ बोलने लग होगे तो आप सही ढंग से बिना हकलाए अपनी बात कहते हैं । कानूने ठीक ऐसा ही किया था उसने अपनी समस्या को नजर अंदाज करके पूरे जोश के साथ स्टेज पर चढ गया और बिना किसी रोकटोक के पूरी कविता स्कूल के सामने सुनने लगाओ वो बिना किसी समस्या के कविता सुना देता है जिससे उसकी स्कूली जिंदगी में थोडा बहुत सुधार आ गया । उसके सहपाठी उसकी हकलाहट का मजाक बनाना कम कर देते हैं । कभी कभी जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है जिसे भूल पाना काफी मुश्किल हो जाता है और जो जीवन में अपनी अमिट छाप छोड जाती हैं । ऐसी ही एक घटना बहनों के जीवन में भी घटित हुई जो उसके जीवन में अपनी अमिट छाप ही नहीं बल्कि उसके जीवन पर अपना गहरा प्रभाव छोड गई जिसके कारण उसकी हकलाहट की समस्या और बढ गई । ये तब की बात है जब भानु की उम्र चौदह और पंद्रह वर्ष के आसपास भानु पूरे परिवार सहित अपनी मौसी की लडकी की शादी पर गया हुआ था । वहाँ उनको उनके पिताजी के दोस्त मिले जो की लडके वालों की तरफ से उनकी रिश्तेदारी में से थे । कानून उनसे पहली बार मिला था क्योंकि भानु के पिताजी और उनके दोस्त अपने स्कूल के दिनों से एक दूसरे को जानते थे और स्कूल के दिन खत्म होने के बाद उनकी एक दूसरे से कभी मुलाकात नहीं हुई थी । उनके परिवार में दो लडके और एक लडकी थी । दोनों लडके उम्र में भाइयों से काफी छोटे थे और लडकी की उम्र भानु के लगभग बराबर जी । उस परिवार का भानु के घर में आना जाना शुरू हो गया था । वो दोनों परिवार आपस में काफी घुलमिल गए थे । हर साल स्कूल की छुट्टियों में वो लडकी जिसका नाम शिखा था है । बहनों के शहर उसकी मौसी की लडकी के घर छुट्टियाँ व्यतीत करने आती थी । क्योंकि वालों का जीजा यानी उस की मौसी की लडकी रिंकी का पति शिखा का रिश्तेदार लगता था । जिस वजह से शिखा के घर वाले उसको रिंकी के घर आने जाने से कभी नहीं रोकते थे । और जब कभी शिखर इनकी की घर छुट्टियों में जाती, भानु भी रिंकी यानि अपनी मौसी की लडकी के घर ज्यादा आने जाने लगा । धानों और शिखा दोनों रिंकी के घर खूब हंसी मजाक करते हैं । भानु तो उसे कुछ कुछ कहने लगा परन्तु शिखा के मन में क्या था ये वो नहीं जानता था और न ही वो कभी जानने की कोशिश करता हूँ । इसका कारण शायद उसकी हकलाहट की समस्या थी । ये नहीं कि शिखा भाइयों की हकलाहट की समस्या के बारे में नहीं जानती थी । उसे बहनों की समस्या के बारे में पता था परन्तु उसके इस समस्या के बारे में क्या विचार थी, ये मानु नहीं जानता था । नही । भानु ने कभी इस बारे में शिखा के विचार जानने की कोशिश की और न ही कभी अपने दिल की बात शिखा को बताई । एक बार की बात है । शिखा बहनों की बहन यानि रिंकी के घर छुट्टियाँ बिताने के लिए गई हुई थी । भानु भी रिंकी के कर गया हुआ था । शाम का समय था । दोनों रिंकी के घर की छत पर टहल रहे थे कि सामने के घर की छत पर से कुछ लडके शिखा को छोडने लगे । उस पर तरह तरह की सब्जियाँ कसने लगे । बहनों को सब देखकर बहुत बुरा लगा और वो अपनी छत से ही उन सब को बुरा भला कहने लगा । काफी देर तक कहासुनी होने के बाद भानु और शिखा छत से नीचे आ गए । इसके थोडी देर बाद वो दोनों घर के पास ही बाजार घूमने के लिए निकल गए । तभी वो लडके जो सामने के घर की छत से शिखा को छेड रहे थे वो उन्हें बाजार में मिल गए और भाई के साथ गाली गलोच करने लगे । धीरे धीरे गाली गलौज लडाई झगडे में बदल गयी । बानू शारीरिक रूप से कमजोर था था । कुछ ज्यादा देर तक उन सब के सामने नहीं टिक पाया । फिर भी मानो उनमें से एक लडके को पकड लेता है और जमकर उसकी धुलाई करता है । बाकी के लडके उसे एक को छुडाने में लग जाते हैं । बानों उसे एक लडकी को काफी समय तक पीटता रहता है ।

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यह कहानी एक ऐसे पात्र के जीवन पर आधारित है जो हकलाहट की समस्या से पीड़ित है और उसे अपनी इस समस्या की वजह से कई प्रकार की सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा | कहानी के अंत में उसने अपनी सभी समस्याओं पर कैसे विजय प्राप्त की यह जानना दिलचस्प होगा | नोट :- यह कहानी लिखने का मुख्य उदेश्य समाज को हकलाहट की समस्या के प्रति जागरूक करना है | Author : Rohit Verma Rimpu Voiceover Artist : Ashutosh
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