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फ़लक तलक - Part 8 in Hindi

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AuthorAfzal Shaikh
बाइक पर सवार एक आदमी हेलमेट से अपना चेहरा छुपाए जंगल में शरीर के टुकड़े फेंकते जा रहा है। दूर खड़े काले लिबास में 12 लोग यह सब देख रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं रहे हैं। कौन हैं ये बारह काले लिबासी? काले लिबासी मरने का रहस्‍य ढूंढ रहे हैं, ऐसा क्‍यों? दूसरी ओर एक आदमी अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखाने आया था। पुलिस और काले लिबासी आपस में टकराते हैं, तो अब क्‍या होगा? रहस्‍य और हैरतअंगेज घटनाओं से भरी इस कहानी को सुनें बिना आप नहीं रह पाएंगे।
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फिल्म राइटिंग और बुक राइटिंग में फर्क होता है । किसी फिल्म स्क्रिप्ट के तीन हिस्से होते हैं यानि की एक फिल्म लिखनी हो तो उसे तीन पार्ट में डिविजन करके लिखा जाता है स्टोरी, स्क्रीनप्ले और फिर डायलॉग । किसी भी कहानी को स्क्रिप्ट बनाने से पहले उसकी वन लाइन स्टोरी दो तीन पन्नों में लिखनी पडती है । मैंने दिशा की माँ सुषमा जी की कहानी को वन लाइनर में ही लिखा था और इस कहानी को मैंने नाम दिया था बुढिया । उनकी कहानी का दर्द मैंने महसूस किया था क्योंकि मुझे उनकी बेटी दिशा से प्यार । अब तो दिशा की इज्जत मेरी नजरों में और बढ चुकी थी । अब मैं उसे एक साधारण लडकियों की लिस्ट में रखी नहीं सकता था । वो अलग थी, सबसे अलग है । उसने न सिर्फ एक औरत होकर एक औरत का साथ दिया था बल्कि एक बेटी होने का फर्ज भी निभा रही थी । उसने साबित कर दिया था कि रिश्ते निभाने के लिए सगा होना जरूरी नहीं बल्कि सच्चा होना जरूरी है । मुझे दिशा से प्यार तो बहुत पहले ही हो गया था लेकिन अब अब मैं उसे कह देना चाहता था हिम्मत आ चुकी थी । मुझे इस बात का डर नहीं था कि वो इंकार कर दी । इंकार में अगर उसे खुशी मिले तो उसका इनकार भी सर । आंखों पर मैंने मन बना लिया था कि आज उसे कह दूंगा । आज से मेरी पांचवीं मुलाकात इस बीच उस से काफी अटैच हो चुका था । काफी बातें हो चुकी थी । उसके सगे पिता अधीर शर्मा से भी मिल चुका था । ये और बात थी कि उन्हें मैं कुछ खास सही नहीं लगा था । दिशा के भाई रोहन से भी मिल चुका था और जैसा उसका कैरेक्टर मुझे दिशा की माँ सुषमा देवी ने बताया था । रोहन वैसा ही था । उसने भी मुझे गरीब और तो इंसान ही समझा था जिसमें अपनी माँ को इस घटना दी हो । वो बोला मुझे क्या समझेगा? खैर मैं आज किसी कहानी वाहनी के चक्कर में नहीं था । आज में अपनी आशिकी के मूड में था । आज राइटर साहब अपने प्यार का पहला इम्तिहान देने वाले थे यानी प्रपोज करने वाले हैं । बहुत खुश था । लेकिन मेरी ये खुशी ज्यादा देर टिकने वाली नहीं बल्कि अब मेरी बर्बादी की कहानी शुरू होने वाले हैं । जो दूसरों की कहानी सोचता लिखता था, उसकी कहानी किस्मत लिख रही थी । दिशा मेरा इंतजार करते हुए दरबार रेस्टोरेंट के पास मिलने का समय और स्थान हमने पहले ही तय कर दिया था । मैंने उसे ज्यादा समय वेट करने नहीं दिया और मैं पहुंच गया । उसने आज मुझे नीचे से ऊपर देखा । अच्छे लग रहे हो । हल्की हंसी के साथ मैंने रिप्लाइ किया । उसने आज मेरी तारीफ की । इस बात से ही मैं खुश था । चलेगा कुछ खाते हैं । मैंने रेस्टोरेंट में चलने के लिए कहा । हम देख रहे हैं क्या? अचानक से उसने पूछा मैं गडबडा गया? लडकियों के ऐसे सवाल बडी सिम्पल होते हैं । लेकिन जाने क्यों जवाब देने में हालत खराब हो जाती है । रास्ते भर का जमा हुआ सारा आत्मविश्वास कम तोड दिया । मैं जानती हूँ कुशल तुम क्या सोच रहे हैं तुम्हारे दिल दिमाग में क्या चल रहा है । आपने उसे भी समझती । उसने रेस्ट्रॉन्ट के बाहर ही मुद्दे पर बात शुरू करते है । मैं अंदर से खुश हुआ कि वह मेरी मदद कर रही हैं । इस बात में मदद की मैं उसे चाहता हूँ । मेरे सवाल वह खुद ही कह रही थी । एक लाइन का सवाल मैं करता हूँ क्या काम करती हूँ तो क्या तुम जो सोच रहे हो वो निकाल दो दिमाग से क्योंकि उनके नहीं कुर्ला स्टेशन के पास के बस डिपो में अक्सर बसें खाती जाती है । काफी भीड रहते दिशा के इस डायलॉग ने मानो वहाँ किसी बस के नीचे धकेल दिया । ऐसा लगा कोई बस मेरे सीने पर चलकर जा रही है । दिल कुचल दिया गया हूँ । सोचना आसान होता है कि उसकी ना भी कबूल है । लेकिन उस नाम को कबूल कर पाना असंभव सा फील होता है । क्योंकि उनकी नहीं अब खामोश रहना । अपने ही आपके साथ नाइंसाफी होती । फिलहाल में इसका जवाब नहीं दे सकती । लेकिन क्यों तुम किसी और से प्यार करती हूँ । बस इतना जान लो कि मुझे किसी को प्यार करने की परमिशन नहीं बढिया जी हूँ, अपने फैसले खुद लेती हो हर मामले में, यहाँ तक कि पिता और भाई से भी आगे सोचती हूँ । और खुद की लाइफ के बारे में तो मैं प्यार करने के लिए किसी से परमिशन लेने की जरूरत । मैंने खुद को खुद ही रोक रखा है । कुशल मैं खुद को परमिशन नहीं दे सकते हैं । इस प्यार मोहब्बत के लिए मैं हिल गया था, अजीब बातें कर रही थी, लेकिन क्यों? मुझे क्या कमी है? प्यार न करने के लिए कमी ही वजह नहीं हो तो ऍम तुम्हारी आंखें, तुम्हारा चेहरा, तुम्हारे बाल सबकुछ खूबसूरत है । हमारी सीरत भी कमाल है लेकिन लेकिन लेकिन मुझे नफरत है, मोहब्बत है । अब मैं हैरान हो । लडकी जिसमें इतनी मोहब्बत भरी थी वो नफरत की बात कैसे कर सकती हैं । क्यों? क्यों? क्योंकि इस मोहब्बत नहीं मेरी माँ का जीवन बर्बाद किया, पहली माँ का भी और दूसरी मांग कर देखो वो सभी खाद सा था इसमें प्लीज ट्यूशन कन्विंस मत करो । प्यार में कमेंट करने की जरूरत नहीं होती है । तुमसे शायद हैं क्या पता नहीं लेकिन प्यार न करना मेरे उसमें मेरी जरूरत में मुझे सिर्फ मेरी माँ की ठीक है । अब मैं चलती हूँ । मुझे देर हो रही है । दिशा ने दिल तोड दिया था और फिर चली भी गई । मेरी आंखों से आंसू बहने के लिए वो पट्टी भी नहीं और मैं उसे ओझल होने तक देखता रहेगा तो फेल हो गया है तो मुझे कुछ समझ आ रहा है । बी । कॉम फर्स्ट ईयर का रिजल्ट मेरे मूड पर मारते हुए मेरे पिता जीत कर्ज पडेंगे सर झुकाए में खडा था पिताजी जस्ट मेरे सामने थे । बगल में भैया भी खडे थे । मेरा समय ही खराब चल रहा था । एक महीने पहले में प्यार में फेल हुआ था और आज कॉलेज में पहले पिताजी सही थे लेकिन ये भी सच था कि मैं भी सही था । किसी के कॉलेज में फेल हो जाने भर से वो गलत कैसे हो सकता है । कुछ बोलेगा या आप ऐसे ही मुँह लटका खडा रहेगा । आखिर तो चाहता क्या है? इसके आगे उनका हाथ उठा और लगातार मुझे थप्पड थप्पड पीटने लगे । मेरे गालों पर उनके थप्पड के निशान और उन निशानों पर दूसरे फिर तीसरे थप्पड के निशान एक बात बता दूँ । मुझे सांस की प्रॉब्लम है अस्थमा के बीमारी । लेकिन इस समय वो अटैक नहीं आया था । लेकिन अगले कुछ समय में ये अटैक आने वाला था क्योंकि आज जो होने वाला था तो मेरे जीवन का सबसे बुरा समय था । आज का हादसा मेरे जीवन की दिशा और दशा दोनों बदलने वाला था । पिताजी के हाथ रूप चुके थे । मेरे गालों के निशान पर अब आंसू झलकने लगे थे । मुझे दिशा की बहुत याद आ रही थी । वो सामने होती तो उससे चिपट कर होता । खूब भी लगता है और कह देता हूँ कि आज मेरे फेल होने की वजह तुम हूँ क्योंकि तुमने मेरे प्यार को ठुकराया और मैं उसे बर्दाश्त ना कर सका । पढाई तो दूर कहानियों तक से मेरा छूट गया था, लेकिन क्या उसे एग्जाम देना ठीक होगा । अभी ख्याल जहन में चल ही रहा था कि गुस्से में सोफे पर बैठे पिताजी फिर भडके ये सब इसकी कहानियों की वजह से हो रहा है । एक काम करना कुछ इस की कहानियों की सारी कॉफी निकाल और चलाते नहीं । क्या देखना है ना कुछ बोल रहा हूँ मेरे तो रोंगटे खडे हो गए । तुरंत महसूस हुआ कि अपनी कहानियों से उबा नहीं हूँ । दिशा के प्यार में पढाई और कहानियाँ कुछ समय के लिए भोला जरूर था लेकिन इतना बडा स्वार्थी नहीं की अपनी कहानियों को लावारिस करता सेहत गया था पिता की इस बात को सुनकर । और तब तब तो मेरी हालत और खराब हो गई जो मैंने देखा कि भैया एक तरफ पडे उस तरह आज की तरफ बढे थे जहाँ मेरे शब्दों के खजाने थे जहाँ मेरी कहानियों की गुल्लक थी जहाँ मेरी कहानियों कि कौन क्या थी तेरी खेली आंख हैं डर के मारे बडी हो चुकी थी हल्की सी आवाज मेरी मुस्लिम नहीं भैया नकुल भैया वो सारी कॉपियाँ दराज से निकालकर जमीन पर पता चुका है । वर्ष पर सारे टाइटल बिखरे पडे थे मैं अवाक खडा नजरें नीचे फर्श की तरफ किए देखना फलक कहानी जमीन पर पडी थी जंगल, साबुन, बुढिया, देशद्रोही, कुबडी समाज । सारी कहानियां फर्श पर गिरी पडेगा । भैया किचन की तरफ पर हैं । वो माचिस लाने गए । मैं बहुत ज्यादा डर गया था । ऐसा लग रहा था मेरी कहानियों को नहीं मुझे चलाया जा रहा है । एक भी मत छोडना, सब जला देना और उसके बाद इसकी किताबें नहीं क्योंकि अब ये पडेगा भी नहीं और लिखने तो मैं इसे दूंगा नहीं । पिताजी गुस्से में बोले जा रहे हैं भैया माचिस लेकर आ चुके हैं । मैं संगत कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, कैसे बचाओ अपनी कहानी कैसे रोक भैया और पिताजी को आज वो दोनों मानव पागल हो चुके हैं । मैं उन्हें आज पागल ही समझ रहा था । अलावा कोई बाप ऐसा करता है क्या? ये तो नाइंसाफी है । उन कहानियों को मैंने कितनी मेहनत से लिखा है और मेरे फेल होने में उनका क्या दोष? वो कहानियाँ तो बेकसूर हैं । मेरे मन मस्तिष्क में हलचल मच चुकी है और ये हलचल अब हालत कर जा चुके सांसों की नली ब्लॉक होने लगी थी । सांस हमने लगी । मैं अब ऑफ नहीं लगा । अस्थमा का अटैक आ चुका है । पिताजी गुस्से में एक हाथ से अपना सर पकडे सोफे पर बैठे हैं । और भैया वैया माचिस की एक तीन जला चुके हैं । उनके एक हाथ में तीन ली थी और दूसरे हाथ में एक कहानी थी चल गया । वो जंगल को पहले जलाएंगे और फिर उस जंगल से बाकी कहानी । उन्होंने तीन ही जंगल की तरफ पढाई ही थी कि मैं हफ्ते हुए तेजी से लग का बडी फुर्ती के साथ सारी कहानियों को उनसे छीन लिया । मैं अपने बच्चों को जैसे एक माँ सीने से लगा लेती है वैसे ही सारी कहानियों को उन कागजों को अपने सीने में दोनों हाथों से दबा लिया है । सांस जा रही थी लेकिन वापस आ नहीं रही थी हम बस आंसू तेज थे । आपको बिरयानी देखा और बस देखते रहेंगे । इसे आज में सुधार कर ही मानूंगा । पिताजी गुस्से में उठे मेरी तरफ पडे और मेरे दोनों हाथ अलग करने की कोशिश की लेकिन इस बार भैया ने रोक दिया । पिताजी रुकिए, मैं से समझाऊंगा पिताजी रूप हो गए लेकिन खडे होकर गुस्से में बोल रहे हैं । इस नालायक का कुछ नहीं हो सकता है इसकी ये लगती से कहीं का नहीं छोडेगी । गुस्से में कमरे से बाहर निकल गए । पिता जी यानी तरह से मेरी दवाई की स्प्रे निकली और मेरी तरफ प्यार से बढाएंगी । मैंने एक हादसे ऑस्ट्रेलिया और फिर अलग में दो से खींच लिया । सांस में सांसद यानी सर पर हाथ । फिर इन कॉपियों को मैं रख देता हूँ । उन्होंने मेरी कहानियों की तरफ हाथ बढाया । लेकिन मैं पीछे सरक गया । मैं वो कागज उन्हें देना नहीं चाहता था । मैं डरा हुआ था । मेरी कहानियां सेफ नहीं । इस पर भी यही लग रहा था । भैया ने एक बार और सर पर हाथ फेरा और कमरे से बाहर निकल गए । मेरी आंखों में आंसू और हालत में सिर्फ क्या नहीं और सीधे से छिप की थी । फिर सभी कहानियाँ

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बाइक पर सवार एक आदमी हेलमेट से अपना चेहरा छुपाए जंगल में शरीर के टुकड़े फेंकते जा रहा है। दूर खड़े काले लिबास में 12 लोग यह सब देख रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं रहे हैं। कौन हैं ये बारह काले लिबासी? काले लिबासी मरने का रहस्‍य ढूंढ रहे हैं, ऐसा क्‍यों? दूसरी ओर एक आदमी अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखाने आया था। पुलिस और काले लिबासी आपस में टकराते हैं, तो अब क्‍या होगा? रहस्‍य और हैरतअंगेज घटनाओं से भरी इस कहानी को सुनें बिना आप नहीं रह पाएंगे।
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