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फ़लक तलक - Part 10 in Hindi

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AuthorAfzal Shaikh
बाइक पर सवार एक आदमी हेलमेट से अपना चेहरा छुपाए जंगल में शरीर के टुकड़े फेंकते जा रहा है। दूर खड़े काले लिबास में 12 लोग यह सब देख रहे हैं लेकिन कुछ कर नहीं रहे हैं। कौन हैं ये बारह काले लिबासी? काले लिबासी मरने का रहस्‍य ढूंढ रहे हैं, ऐसा क्‍यों? दूसरी ओर एक आदमी अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखाने आया था। पुलिस और काले लिबासी आपस में टकराते हैं, तो अब क्‍या होगा? रहस्‍य और हैरतअंगेज घटनाओं से भरी इस कहानी को सुनें बिना आप नहीं रह पाएंगे।
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मैं उदास मेरी कहानियां ॅ मेरे रास्ते उदास क्योंकि मंजिल का पता नहीं था । कहानियाँ इसलिए दुखी थी क्योंकि पूरी तरह से अभी उन्हें कोई प्रोड्यूसर या डायरेक्टर सुनने को राजी नहीं था । रात के नौ बज रहे थे और हम सब अपने रैनबसेरे वाले जगह पर आ चुके थे । उसी फुटपाथ पर एक तरफ मेरी कहानियां उदास बैठी थी । दूसरी तरफ में रघु मेरे सामने खडे बी डी पी रहा था । उसकी बीडी पीने की ज्यादा को मेरी कहानी बुढिया बडे ध्यान से देख रही थी तो टेंशन मत ले । ये प्राॅक्टर आजकल के ना खुद तो पागल होते हैं और दूसरों को पागल समझते हैं । बीडी खींचते हुए रघु बोल रहा हूँ, देख तू ऐसी बातें मत किया कर भाई मैंने उसे तो का क्यों क्या हो गया? अब दिन का गुस्सा मेरे सहमत नहीं हूँ । ऐसा नहीं है । मेरी कहानियां तेरी भाषा सीखती है, आज पता है वह पालक ऐसी बातें कर रही थी । अलग ऍम कोई लडकी है क्या? किधर मिली खुश होते हुए वो मेरे बगल में बैठ गया । पालक लडकी है लेकिन हो कोई इंसान नहीं । मेरी कहानी काली रात बताया था और अभी इस टाइम होते आजू बाजू बैठे रहेंगे । हाँ तीन कहानी तेरे पीछे, दो कहानी मेरे बाजू में और चार कहानी उधर सडक पे टहल रही हैं और तीन कहानी उधर रेलिंग के पास । पालक मेरे बाजू में कहानी लिखते लिखते तो ना पागल हो गया । अब अपने दोस्त से झूठ बोलता है । देख तूने सुना होगा कि हम जैसे प्यार करते हैं, आंखे बंद करके भी उसे देख सकते हैं । हाँ, रघु ने दूसरी बीडी जलाई और बीडी के बंडल को उसी फुटपाथ पे रख कर मेरी बातों को ध्यान से सुनने लगा तो बस समझ ले ऐसे ही वह कहानियाँ हैं । मैं इतनी शिद्दत से उन्हें लिखता हूँ की ऊपर वाले ने मुझे शक्ति दी है । अच्छा फिर तो ये भी हो सकता है मेरा मतलब अगर तेरी बात सच है एक मिनट के लिए चल मान लेते हैं कि अगर ये सच है तो ऐसा भी हो सकता है कि जो तिरिन कहानियों को पढे या सुने और दिल से सुने जैसा की तो बता रहा है तो ये कहानियां उनको भी दिखनी चाहिए । उसकी बातों में पॉइंट था लेकिन फिलहाल इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं था । अभी तक रघु और भैया के सिवा किसी ने भी मेरी कहानी को गौर से सुना नहीं था । पता नहीं इस बारे में तो मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ, लेकिन इतना कह सकता हूँ कि अगर किसी चीज को हम दिल से चाहे उसे एहसास करें तो वह चीज हमारे सामने मैच हो जाती है तो मेरा मंडल कहाँ गया? रघु अपना बीडी और लाइटर ढूंढने लगा था । मेरी नजर मेरी कहानी देशद्रोही के नायक आकाश पर गई । वो समाज और फलक सी डी पी रहे हैं । मैं आवाज था मेरी कहानियां बी । डी । पी रही थी । ये सब क्या और क्यों सीख रही थी? में तेजी से उठकर रेलिंग की तरफ बढा और अपनी तीन कहानियों पर पढने लगा । रघु मेरी इस हरकत पर हैरान था । ये क्या है? आकाश तुम लोग बीडी पी रहे हो और फल तुम भी । रघु ने ध्यान से देखा । बीडी का बंडल रेलिंग पर रखा था । लोगों की आंखें बडी हो गई थी । वो परेशान था कि आखिर बीडी का बंडल वहां पहुंचा के उसके पॉइंट ऑफ व्यू से मैं हवा में बातें कर रहा था । जब मैं मैं अपनी कहानियों को आंखे मिलाकर डांट रहा था । बी । डी पी रहे हो क्या इसलिए तुमको मैंने बनाया? तुम लोग कहानी हो, इंसान नहीं और जरूरत क्या है सीखने की पहले ही बता चुका हूँ । पालक की एक्स्ट्रा जोड घटाओ । मुझे बिलकुल पसंद नहीं है । रघु की हालत खराब थी । शायद उसे शक हो रहा था कि मैं सच में अपनी कहानियों से बातें करता । वो हवा में सूंघने की कोशिश भी कर रहा था । क्यों स्कॉट पे बीडी की मैच है या नहीं और मैं थी एक । इधर तो सच में कोई बी । डी । पी रहा था इस बंडल से । टीम बीडी गायब रघु चल पडा था मानव किसी सीआईडी की तरह उसने कोई केस क्रैक कर दिया । मेरी बात का उसे छोटा सा रूम मिल गया और वो आश्चर्य में पड बढा नहीं लगता तो तीन बीडी ये तीन पी रहे थे समाज आकाश और पालक ये तो अच्छा हुआ । मेरी नजर पड गई नहीं तो पूरा बंडल खाली कर देते हैं । रघु चौंककर बंडल जेब में रख लेता है । गले में आती सांस का एक घूंट लेकर वो कभी मुझे देखता हूँ कभी मेरे सामने की दिशा में हवाओं । तभी एक तरफ से मेरी बाकी कहानी आए तो मैं लोगों को समझाती नहीं । ये लोग बीडी पी रहे हैं । बी । डी कल से पी रहे हैं । कल रात जब तुम सोए थे तो रहोगी जेब से बंडल निकालकर क्या तुम लोगों ने कल भी कल ही रात को मुझ से मिले और कल रात रघु था था । उसी बीडी पीता देख मेरा मन हुआ कि देखो क्या है सीखने के लिए? दो बीडी पीनी । आकाश ने सर झुकाकर जवाब दिया और फिर फल अपने आकाश को पीते देखा । कोडिया ने बताना शुरू किया कि अचानक मैंने उसे बीच में रोका । बस तुम लोगों को समझना और समझाना ही बेकार है । गुस्से में मैं अपनी जगह वापस आ कर बैठ गया । रघु भी हैरत में मेरे बगल में आया । कल रात मेरा पूरा बंडल खाली था । मतलब हम दोनों जब सो रहे थे, तब मेरी कहानियों की पल्टन मेरी बीवी फोकट में फूँक रही थी । वह झिझक के साथ पूछ रहा था और मैं खामोश बैठा था । फॅमिली में अपनी कहानियों से नाराज था । मेरी कहानियां थी और रघु जैसे कैरेक्टर की हरकतें वो सीख रही थी । उसके अंदाज को खुद में ढल रही थी । रघु इंसान अच्छा था, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि कागजों की दुनिया से आई मेरी कहानियां इंसानों से कुछ सीख, वरना उन इंसानों का क्या जिन्हें जानकर देखकर सोच कर या सुनकर मैंने वह कहानियाँ लिखी है । अगर मैंने महात्मा गांधी को लिखा होता और वो कहानी यानी कि गांधी जी मेरे सामने आकर मुझसे बातें करते हैं । इन्हें कहानियों की तरह मेरे आस पास रहते हैं । घूमते चलते फिरते और फिर एक दिन बीडी पीते पकडे जाते हैं । तो फिर तो सरासर अन्याय होता उस किरदार के साथ क्योंकि महानता की हद है । इसलिए किरदारों की अच्छाई, बुराई की सीमा होती है और वो सीमा तय करता है । उसका रचना वो जैसा चाहता है । कहानी वैसी ही बनी रहे । कहानियों के साथ छेडछाड कहानियों को बिगाड देते अफसोस यहाँ तो मेरी कहानियां खुद को बिगाड रही थी । अब ये कोई जादू था क्या? आने वाले समय की एक तैयारी पता नहीं लेकिन इस समय उनसे मैं नाराज हो गया था । एक सीरियल की शूटिंग चल रही थी । मैं सेट पर आया था । फेसबुक के जरिए मेरी बहुत पहले एक कॉर्डिनेटर से दोस्ती हुई थी । उसका नाम तरुण था । वो बॉलीवुड के जानेमाने प्रोडक्शन हाउस के लिए राइटिंग का काम करता था और ये सीरियल वहीं था जिसमें वो एक राइटर के तौर पर था । अक्सर राइटर सेट पर नहीं होते लेकिन उम्मीद की एक इशारे पर नहीं सेट पर आया था । शायद उस से मुलाकात हो या उसकी कोई जानकारी मिले और मैं उससे राइटिंग का काम मांग सकूँ । मैं अपनी कहानियों से नाराज था इसलिए रास्ते भर किसी से बात नहीं की । वो हर वक्त मेरे साथ रहती थी । उन्हें मैं कह भी नहीं सकता था कि आज में अकेले ही कहीं जाना चाहता हूँ । मुझे इस समय इस बात का भी डर था कि ये कहानियां शूटिंग पर किसी चीज को हाथ का लगाए मना भी नहीं किया था क्योंकि रात के गुस्से में मैंने उन्हें एक शब्द बोलना भी गवारा नहीं समझा था । मुझे अफसोस हो रहा था कि मेरी अपनी कहानियां जो चोरी की कहानियां नहीं थी वो कहानियाँ चोर बन गई थी । जबकि सच यह था कि फिलहाल मैं भी उन्हें नहीं समझ पा रहा था । वो चोर नहीं थी बल्कि वह चीजों को सीखने की कोशिश कर रहे थे । उनका जो मन करता अपने हिसाब से नजर आती चीजों, बातों को वो अडॉप्ट कर रही थी । सेट पर मैं एक तरफ बैठा शूट देख रहा था । साथ ही यहाँ वहाँ आंखे भी घुमा रहा था की कोई ऐसा मिल जाए जिससे में बात करके तरुण की जानकारी निकाल सकूँ । रोने धोने वाला सीरियल था इसलिए शूटिंग में दिल भी नहीं लग रहा था लेकिन मेरी कहानियां बाप रे मुझे शूटिंग देखने में इतना हो गई थी माना उन्हें आज से पहले कभी इस तरह का मजा नहीं आया हूँ । मेरी नजर जब कहानियों को ढूंढ रही थी तो कुछ देर के लिए वह मुझे दिखाई ही नहीं दे रही थी और जब देखी तो मैं हैरान था । फलक और बुढिया कैमरे के पास थी । कैमरा ट्रॉली पर था और सास बहु का होने वाला शर्ट चल रहा था । बहुत इतना रो रही थी कि उसका मेकप बार बार बिगड रहा था । मैंने फलत को देखा वो भी हो रही थी । बुढिया को देखा । वो सास की तरह एंग्री और भडके हुए लुक में दिख रही थी । दोनों एक दूसरे के अपोजिट किरदारों को खुद में महसूस कर रहे थे । अपनी दूसरी स्टोरीज को ढूंढते हुए मेरी नजर एक तरफ रखे मॉनिटर पर गई । आकाश समाज, जंगल, कुबडी, साबुन ये सब डायरेक्टर के साथ आजू बाजू खडे थे । इनकी नजर कभी मॉनिटर पर तो कभी डायरेक्टर पढते डायरेक्टर परेशान था । वो रह रहकर कट बोल रहा था । सीन कट होने से आकाश को बुरा लग रहा था । वो गुस्से में डायरेक्टर को लुक भी दे रहा था । फिल्म सिटी के इस सेट पर मेरी दर्जनभर कहानियाँ भूतों की तरह घूम रही थी और ये जानकारी सिर्फ मेरे पास थी । मेरी कहानियां शूटिंग देख रही थी और मैं अपनी कहानियों को । अचानक फलक मेरे पास नहीं है । तरुण आया है और वो उधर खडा है । फल अपने सामने थोडी दूर पर एक कुर्सी पर बैठे इंसान की तरफ इशारा किया । मैंने देखा तो वह तरुण था । मैं हैरान था कि फलकों से कैसे जानती है । तुम को कैसे पता कि वह तरुण है । एक दो लोगों से तरुण कैसे पुकार रहे थे? मैंने सुन लिया क्योंकि उत्तर नहीं है क्या? नहीं । वो है तो तरुण ही ओके । चलो चलते हैं उससे मिलते हैं । मैं कुछ हद तक अपनी कहानियों की दशा अब समझने लगा था । मैं जान चुका था कि वह कुछ भी सीख सकती हैं । अब सीखना क्या है और क्या नहीं सीखना है ये उन्हें सिखाना पडेगा । ऍम मैं तरुण के सामने था । उसने मुझे गौर से देखा । याद करते हुए वह अचानक बोल पडा कुशल ना मैंने हाँ ऐसे खिलाया स्पॉट ज्यादा एक चेयर और चाय ले के आना । तरुण ने जोर से आवाज लगाई । अगले कुछ ही पल में तीस बत्तीस साल का आदमी एक कुर्सी और चाय के साथ हाजिर हुआ । हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे । यहाँ कैसे पहुंचे तो तुमने कोई मैसेज भी नहीं क्या? फेसबुक पे अपनी कहानी फिर कभी बताऊंगा । फिलहाल में राइटिंग के लिए आया और आपको ही घूमते हुए इस उम्मीद में कि मुझे लिखने का आप मौका दिलाएंगे । देखो कुशल में हूँ तो कॉर्डिनेटर लेकिन मैं सीरियल राइटिंग का भी काम करता हूँ । जो भी राइटिंग का काम मैं कर रहा हूँ, कोशिश करूंगा कि तुम्हें अपने साथ लेकिन तुम्हें काफी कुछ सीखना पडेगा । तरुण ने थोडा उम्मीद दिखाया । मन में खुशी की एक लहर दौड गई थी । चाय की दो तीन से पीकर मैंने बगल में रख दिया था और मेरा ध्यान भी नहीं था कि वह चाय अब पालक भी रही थी । मेरी कहानी चाहती रही थी । कमाल है ना फॉर्मेंट सीखूंगा वो भी जल्दी आपको निराश नहीं करूंगा । करना भी मत क्योंकि मैं निराश करने वालों को छोडना भी नहीं । एक लुक दिया उसने और अगले ही पल जोर से हंस पडा । मजाक कर रहा उपर ले एक काम करो अपना नंबर दो तो मैं कल जहाँ बुलाओ वहाँ जाना स्टार प्लस का एक शो है । उसकी मीटिंग कल है । हो सकता है तो हमारा भी कल ही जुगाड हो जाये । मैंने उसे नंबर दिया और मुस्कुराकर अपनी कुर्सी से उठकर जाने लगा । तुम्हारी चाहे तरुण ने कहते हुए जब कब देखा तो कब खाली था । हैरान था वो शायद वो ये सोच रहा था कि मैंने चाय कब खत्म

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