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Ep4 - Dainik Yatri in  |  Audio book and podcasts

Ep4 - Dainik Yatri

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समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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दैनिक यात्री ज्योतिंद्रनाथ प्रसाद उद्घोषणा करते हैं मगर रियल आ रही है यह जनता हमारी है ऐसे थोडे ही प्रवेश मिल जाएगा, थोडी धींगामुश्ती होगी और सवार होते होते हैं तो आप सिद्दीका शुरू हुआ नजर आएंगे । इसलिए जो दिन रहते हैं थोडी वर्जिश, मालिश कर लीजिए । हाँ, रेल की छठा क्या निकली है जैसे जगन्नाथपुरी की शोभा यात्रा निकली हो इंजन पर खडे लोग डब्बो की छतों पर बैठे और पायदान पर लाॅक कौन कहता है हमारे ही है हमारे मैंने उन्हें लू, शीतलहरी और वर्ष सबका खुला बजा देती है । तभी तो हम प्रकृति के पुजारी है जो तेजेन्द्रजी आगे कहते हैं भीड देखकर हिम्मत मदारी है । आपके चढने की कोशिश और लोगों के उतरने के हर बॉलिंग में आप का किला फतह हैं क्या? कहा वाले भाइयों ने दूध के तीनों और बहनों से रास्ता जाम कर रखा है और आगे गोयठे की टोकरियों को लांघना मुश्किल है । वही देखिए ये भी दैनिक यात्री है और आप भी । जब वे आपको बर्दाश्त किए हुए हैं तब भी उन्हें कीजिए ज्योतिंद्र जारी है । डीएमयू इंजन बिजली व्यवस्था है । गाडी खुल पडती है । दिल्ली हावडा से आने वाली ट्रेन घंटों लेट है मगर मोकामा से जा रही यहाँ ट्रेन हर स्टेशन पर रुकती हुई क्षण भर के लिए विलंबित नहीं होती । यह रेल मंत्री की कृपा नहीं देनी के यात्रियों का जोर है । फॅमिली के आगे सभी मिले चलते हैं तभी तो इसे मगर मेल जनता मिल कहते हैं ज्योतिंद्रनाथ मानो आपको सूचना देते हो बंकाघाट आ गया । ट्रेन प्लेटफॉर्म को पुलिस ने सील कर दिया है । मजिस्ट्रेट चेकिंग ना सरदार जी मजिस्ट्रेट के उपर स्थिति में बेटिकट गया । टिकेट धारियों के भी पसीने छूट जाते हैं । आजकल सरदार जी जम्मू कश्मीर ड्यूटी के डर से सिख मारे हुए हैं । बनाने के बाद नहीं । आप जल्दी में टिकट नहीं ले सके । कोई बात नहीं यहाँ दैनिक यात्रियों की ट्रेन है क्या मजाल की मजिस्ट्रेटी से छुट्टी ले पाकिर मोकामा से गुलजार बात तक के यात्रियों को पटना के दफ्तरों में समय पर पहुंचना है । मजिस्ट्रेट की शामत आई है जो मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालेंगे । आप बेफिक्र बेटिकट चलिए बहुत लोग इस बहती गंगा में हाथ होते हैं । आप क्यों चुकाएगा? ज्योतिंद्र सुनाते हैं । अभी उसी दिन की बात है । कोई नया मजिस्ट्रेट होगा करती उसने बाईपास पर जैकिंग विद्यार्थियों ने बेल्ट चलाना शुरू कर दिया । दूध वालों ने बहंगी और दफ्तर के बाबू जी ने रोडेबाजी आरंभ कर दी । ऐसे लोगों पर पटरियों के किनारे बिछे पत्थर बहुत कम आते हैं । इस मोर्चाबंदी के सामने लाठीचार्ज ठहर मैं सरकार और जब तक कोई पक्ष मैदान छोड ता दोनों तरफ से खूब रक्तदान हुए । ट्रेन के शीशे चूर हुए तो अलग उस दिन केबिनमैन का सिर्फ भी फिर हुआ था । पटना साहिब में यह गाडी हो गई । आतंकी दिल्ली एक्सप्रेस यहाँ खुली न वहाँ खुली दोनों के क्यों कार्ड दिए गए । जल्द गार्ड की हजामत बन गई । फिर पब्लिक कैबिन मेन के मतलब की और वहाँ यह जहाँ वो हजार ज्योतिंद्र ने कहा यहाँ पर इंडिया एक्सप्रेस है बेचारी आदत से मजबूर पटना दो घंटे लेट आती है । बढिया क्यूल से देने की यात्रा करने वाले लोग इस गाडी से वापस हो रहे हैं । अगर आप सुरक्षित बर्थ पर सफर कर रहे हैं तो खबरदार बाइज्जत इन खडे बाबुओं को बैठा लीजिए वरना गाडी खुलते ही ये आपको उठा कर बैठा देंगे । वैसे भी रात का सफर है और आप नहीं चाहेंगे कि आप की जीवन यात्रा यहीं पर समाप्त कर दी जाए । पटना चाहे मैं सामान की बुकिंग पार्सल भान में नहीं, आपके बर्फ पर होगी । यहाँ व्यवसायिक दैनिक यात्रियों का विशेषाधिकार है आप क्या कंडक्टर क्या रेलवे पुलिस किसी को भी हस्तक्षेप की हिम्मत नहीं । बगल वाले प्लेटफॉर्म पर भोजपुर शटल विराजमान है । यहाँ मोकामा के लिए प्रस्थान करेगी । आसपास यात्री कसरत कर रहे हैं । कभी अपर इंडिया की ओर लगते हैं तो कभी भोजपुर सटल की और कंट्रोल का क्या दिखाना । शटल को ही पहले निकले गनीमत है उसने दोनों के सिग्नल लाल नहीं की है । अब इंडिया का ही सिकंदर होगा । एक्सप्रेस को सिग्नल दिए दस मिनट हो गए । इस शटल का भी सिकंदर झुक गया मगर ना गार्ड का पता है और ड्राइवर का गाडी लावारिस पडी है । जब की उद्घोषणा हो रही है गार्ड ड्राइवर फला डाउन आपका स्टार्टर सिग्नल लोअर है । आप खुली है पडता है । मालूम होता है कि गार्ड साहब का बक्सा नहीं आया है और ड्राइवर महोदय चाय पी रहे हैं । रात्रि सवा दस हो चुके हैं । ट्रेन के खुलने का सही समय नौ बजकर चौबीस मिनट है । मगर यहाँ कब खुलेगी यह पूछताछ दफ्तर वो भी नहीं मालूम । अभी पिछले ही दिनों दैनिक यात्रियों ने पूछताछ के सीसे वगैरह चूर कर कुर्सी दारियों के साथ जमकर कबड्डी खेली थी । मगर ये बाबू लोग भी लोह पुरुष है । चाहे इधर की दुनिया उधर क्यों ना हो जाए । क्या मजाल कि वे अपनी आदत से बाज आए । अब यही देखिए उधर यात्री उबल रहे हैं और इधर पूछताछ में साहब लोग मजे से सिगरेट के धुएं उडा रहे हैं और जाना गाडी तो खुल ली है और वहाँ खुलती भी । लेकिन अब इसका क्या कीजिएगा की खुली तो बडी शान से पर धमक पडी । लोहानीपुर के पास करन जाना है तो डिब्बे से नीचे जान किए । रेल की रक्षा वाहिनी के लोग गठरी में व्यस्त हैं । आखिर सुबह चाय पानी का इंतजाम तो करना ही है । उन्हें जब मेरी गाडी अंधेरे में अंधेरी की ओर जाएगी तो क्या होगा, इसका उन्होंने कोई ठेका तो नहीं ले रखा है । क्या आप चाहते हैं की दैनिक यात्री अपना घूमना भूलकर बंदूक धारियों के सामने मर्दानगी का परिचय

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समाज में व्याप्त हर क्षेत्र के बारे में ज्योतिंद्र नाथ प्रसाद के व्यगात्मक विचार... Author : ज्योतिंद्र प्रसाद Voiceover Artist : Harish Darshan Sharma
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