Made with in India
वो जस्टिस चौधरी को वह बहुत मेरी है लगा । लेकिन फिर उन्हें अपने ही खयालों पर मन ही मन हसी आ गए कि वह कैसे एक मशीन को लेकर भावुक हो रहे हैं । अब उन्होंने दोनों कंपनियों के साझा वकील की तरफ नजर उठाए । ये एक काबिल नौजवान वकील था जो वकालत के अलावा दूसरे विषयों में भी गहन रूचि और समझ रखता था । नौजवान आपको इस बारे में क्या कहना है? उन्होंने पूछा ॅ ऍम नौजवान वकील ने कहा, यानी आप अदालत का फैसला सुनने से पहले ही अपना फैसला सुना रहे हैं । एक साथ ही जूरी मेंबर ने उससे पूछा, सौं वह हकलाने लगा? मेरा ये मतलब नहीं था । घबराइए मत, आप जो कहना चाहते हैं इत्मीनान से कहिए । जस्टिस चौधरी ने उसकी बौखलाहट पर तरस खाते हुए कहा, और अपने पास बैठे जूरी मेंबर को इशारे से संयम बरतने की ताकीद की फॅार मेरा यही कहना है कि मेरे सीनियर वकील साहब ने आरोपी पर जिस तरह एक तरफ आॅप्शंस लगाते हुए उसे गिनती करार दे दिया है, उसकी कोई सॉलिड वेस्ट नहीं है और उनके पेशकिये गवाह जिस तनातनी की बात कर रहे हैं, उसका कभी कोई वजूद नहीं रहा है । नौजवान वकील ने पूरे आत्मविश्वास से इस बारे में अपनी दलीलें देना आरंभ कर दिया । उसकी पूरी बात का लब्बोलुवाब यह था कि आरोपी रोबोट को फैक्ट्री में लाए जाने के तुरंत बाद से ही लोगों के वर्कर ट्रेड यूनियन के साथ मिलकर लगातार उसके खिलाफ माहौल बनाने और मैनेजमेंट पर प्रेशर डालने में लगे थे कि जैसे भी हो उसकी छुट्टी की जाए और फैक्ट्री में ज्यादा से ज्यादा रोबोट टू पॉइंट करने की कंपनी के प्रोग्राम को बंद किया जाए हूँ । इस एक्सिडेंट में जैसे हत्या साबित करने की कोशिश की जा रही हैं । हुआ ये था कि आरोपी के हाथ से एक हैवी मेटल प्लेट जिस पर शायद कहीं कोई लुब्रिकेंट लगा हुआ था या लगाया गया था, स्लिप हो गई और उसी वक्त वहां से गुजर रहे सुपरवाइजर के सर पर जा गिरी थी जिससे उसकी मौत हो गई । लेकिन इस एक्सिडेंट ने आरोपी के विरोधियों को उसे निपटाने का मौका दे दिया । गवाही के दौरान प्रोमो के डायरेक्टर्स ने भी इस बात की पुष्टि की कि यूनियन आरोपी को नियुक्त किए जाने, ऑटोमेशन के प्रोग्राम को आगे बढाए जाने की फैक्ट्री की योजना से खुश नहीं थे । क्या ये मुमकिन है कि आरोपी ने खुदी कामना किया हो लेकिन उससे करा रहा हूँ । जस्टिस चौधरी ने उसके जोशीले अंदाज से प्रभावित होते हुए पूछा । उन्हें कई ऐसी खबरें थी जिनमें एक एथिकल हैकर्स ग्रुप ने रोबोट रीना जैसे ही एक कंपनी के करीब आधा दर्जन रोबोट को हैक करके उनसे ऐसे काम करवाए थे जिनके लिए उन्हें प्रोग्राम नहीं किया गया था । जस्टिस चौधरी ने वहां मौजूद लोगों को इस खबर को साझा करते हुए अपनी आशंका जाहिर की । बिल्कुल मुमकिन है । नौजवान वकील ने उनकी अवेयरनेस के लिए मन ही मन उनकी सराहना करते हुए कहा, लेकिन इस मामले में इसकी गुंजाइश इसलिए कम है की आरोपी के विरोधी टेक्निकली और फॅमिली इतने ज्यादा कैपेबल नहीं हैं कि उसकी प्रोग्रामिंग में कुछ भी छेडछाड कर सकें । बरवे किसी केवल पर्सन की मदद तो ले सकते हैं । दूसरे जूरी मेंबर ने संभावना व्यक्त की । इसी बीच रोबोट रीना के डायरेक्टर ने अपना हाथ होता क्या? जस्टिस चौधरी ने उसे बोलने की इजाजत दी फॅार आपने जिस खबर का जिक्र किया है उसमें जो हैकर सिंह बहुत थे, उन्होंने अपने इस एक के बाद ऍम यूज वाले रोबोट बनाने वाली ऑलमोस्ट सभी इंडियन कंपनी को फोन किया था कि उनके प्रॉडक्ट्स को हैॅ किसी भी तरह के खतरनाक मिशन में यूज किया जा सकता है । अफसोस की बात ये है कि ज्यादातर रोबोट्स कंपनी ने उनकी वॉर्निंग को सिर्फ इसलिए नहीं लिया था, लेकिन फॅमिली रोबोट रीना ने इस बात की इस क्रिसमस को समझा और अपने सभी रोबोट्स में ऐसे लॉकिंग सिस्टम है किए जिससे उन्हें हैक कर पाना असंभव है । इसका मतलब साफ फॅार आरोपी ने खुद अपनी मर्जी से ही मकतूल की हत्या की है । किसी ने इसके लिए मॉडिफाई नहीं किया । यूनियन का वकील जोश में बोला, जो बहुत देर से बोलने के मौके का इंतजार कर रहा था । क्या यह उचित नहीं होगा कि हम आरोपी को भी अपनी सफाई में कुछ कहने का मौका दें? एक जूरी मेंबर ने अपनी राय दी । जस्टिस चौधरी को उसकी राय पसंद आए और उन्होंने आरोपी रोबोट से पूछा कि क्या वो इस बारे में कुछ कहना चाहता है? मैं सिर्फ वही करता हूँ । ऐसे करने के इंस्ट्रक्शन्स के साथ मुझे बनाया गया है । उसने अपनी यांत्रिक आवाज में उत्तर दिया, मेरे ख्याल से यहाँ मौजूद सभी पक्ष अपनी बात अदालत के सामने रख चुके हैं । जस्टिस चौधरी ने गलत अहंकार का कहना शुरू किया हूँ । इस बात में कोई दो राय नहीं है कि एक इंसान की जान गई है और इस मशीन की वजह से गई है । सवाल यह है कि यह जान इस मशीन ली है या नहीं । इसका फैसला करने के लिए अदालत को कुछ देर का वक्त चाहिए होगा तो जेंटलमैन आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं । कहकर उन्होंने दोनों जूरी मेंबर्स की ओर देखा । उन्होंने भी सहमती में अपना सिर हिलाया । जस्टिस चौधरी ने घंटी बजाकर अर्दली को बुलाया और तीन ग्रीन टी लाने को कहा । जूरी का इशारा समझकर जोरि के अलावा सभी लोग उस कमरे से बाहर निकल गए हूँ । दो तो हम सभी ने सभी पक्षों को ध्यान से सुना है । उन्होंने बोलना शुरू किया । आरोपी रोबोट ने ये हत्या की है या नहीं, ये एक डिगर मसला है । लेकिन इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता कि रोबोट्स की वजह से इंसानों में खासकर जो छोटी मोटी नौकरियां करके अपना गुजारा कर रहे हैं, बहुत बेचैनी है । इनकी वजह से हजारों लोगों पर बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है । हाँ, ये सच है । बीते दिनों मैंने भी एक रिपोर्ट पडी थी कि हर एक हजार लोगों के बीच एक रोबोट की नियुक्ति उनमें से चाय लोगों को बेरोजगार कर देती है । एक जूरी मेंबर ने अपनी जानकारी साझा करते हुए कहा, और अमेरिका, मैं तो इन दो तीन सालों में इसके वजह से पचास लाख लोगों के जॉब होने की आशंका जताई जा रही है । फॅमिली जस्टिस चौधरी उत्साहित होकर बोले, यही मैं कहना चाहता हूँ कि एक रोबोट के न होने से किसी की जिंदगी पर कोई फर्क नहीं पडता, लेकिन उसका न होना बहुत से लोगों की जिंदगी को बत्तर होने से बचा सकता है । आप सच कह रहे हैं । दूसरा जूरी मेंबर बोला, लेकिन क्या एक रोबोट को कातिल करार देने से समस्या का समाधान हो जाएगा? यहाँ सवाल एक रोबोट का नहीं बल्कि एक ऐसे फैसले है जो आगे के लिए भी एक नजीर बनने वाला है । उन्होंने कहा, लेकिन सवाल यह भी हाय, क्या हमारे फैसलों का हमारे पूर्वाग्रहों से प्रभावित होना सही कहा जा सकता है? तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और अर्दली ने चाय की ट्रे के साथ भीतर प्रवेश किया । चाय की ट्रे टेबल पर रखते हुए उसने जस्टिस चौधरी के पास झुककर धीरे से कुछ कहा । उन्होंने सहमति में सिर हिलाया और अर्दली कमरे से बाहर निकल गया हूँ हूँ । जब वापस लौटा तो उसके साथ एक खूबसूरत युवती थे । उसे देखते ही इस बंद वातानुकूलित कमरे में भी जस्टिस चौधरी के माथे पर पसीने की बूंदें छुप छुप हाँ आई फॅसा पहचाना मुझे उसने मादक स्वर में कहा रोज ना धो । यहाँ जस्टिस चौधरी ने आशांकित स्वर में कहा घटना ये मच्छर साहब मैं आपका ज्यादा वक्त नहीं होंगी । उसने जल्दी से कहा मैं सिर्फ ये कहने आई हूँ की आप एक बार गलत फैसला सुना चुके हैं । कोशिश कीजिएगा गलती दोबारा ना हो । यह कहकर वह तेजी से कमरे से बाहर निकलते हैं । जस्टिस चौधरी ने आंखे बंद करके अपना सिर्फ कुर्सी की पुश्त से टिका दिया । जब साहब क्या हुआ कौन थी? ये लडकी है? एक ज्यूरी मेंबर ने चिंतित स्वर में पूछा मेरे एक फैसले की प्रभावित या शिकार वो बस इतना ही कह पाए लेकिन फिर संयत होकर उन्होंने जूरी को बताया की रोजी ना एक रोबोट थे जो एक कंपनी में काम करते थे और करीब तीन महीने पहले अपने साथ कंपनी के सीओ द्वारा बलात्कार किए जाने की फरियाद लेकर उनके पास आई थी । ऐसे ही एक बंद कमरे में हुई सुनवाई के बाद उन्होंने बिना ज्यादा विचार किए यही फैसला सुनाया था कि एक मशीन के साथ बलात्कार नहीं किया जा सकता है । उसकी शिकायत जरूर किसी कॉरपोरेट कॉन्सपिरेसी का हिस्सा है जिसे ज्यादा गंभीरता से लिए जाने की जरूरत नहीं है । तो क्या आपको लगता है कि आपने गलत फैसला सुनाया था? एक जूरी मेंबर ने पूछा पता नहीं लेकिन आज अगर मैं रोबोट को कातिल करार देता हूँ तो यकीनन मेरा एक फैसला तो गलत साबित हो ही जाएगा । उन्होंने धीमे स्वर में कहना शुरू किया, क्योंकि अगर मैं ये मानता हूँ कि एक मशीन के साथ रेप नहीं हो सकता तो मैं ये कैसे कह सकता हूँ कि एक मशीन ने किसी इंसान की हत्या किया है । फिर क्या किया जाए? दूसरे जूरी मेंबर ने पूछा, सच तो यह है कि हमारे पास आरोपी को हत्यारा मानने की कोई वजह नहीं है । पहले ने कहा ये तो हम इंसान होने के नाते से इंसानों के पक्ष में सोच रहे थे । जस्टिस चौधरी ने और दूसरे जूरी मेंबर ने उसके बाद से सहमती जाहिर की । तब तक समय बीत चुका था और इस मामले से जुडे लोग एक एक करके इस कमरे में आना शुरू हो गए थे । आखिर फैसले की घडी आप पहुंची थी । मामले के सभी पहलुओं पर गंभीरता से गौर करने के बाद जूरी इस नतीजे पर पहुंची है कि एक मशीन को हत्यारा मानना एक ऐसी मूर्खता होगी जिसके लिए लंबे समय तक कानून और न्याय का मजाक बनाया जाता रहेगा । जस्टिस चौधरी संयत स्वर में अपना फैसला सुनाने लगे । ये एक हादसा है । इसके सिवा कुछ नहीं । जिसके लिए प्रोग्रेस मोटर्स को अपने मृत कर्मचारी के परिवार को वही सब सहूलियते देनी होगी जो किसी भी हादसे के होने पर कानूनी तौर पर दी जानी चाहिए । अदालत इस फैसले में आरोपी मशीन को बेगुनाह मानते हुए बरी करती है । किसी भी मशीन की वजह से कोई हादसा होता है तो उस मशीन को नष्ट नहीं किया जाता बल्कि उसकी मरम्मत की जाती है । रोग वैसे मोटर चाहे तो वोट रीना से इस मशीन की जांच और मरम्मत की मांग कर सकती है । अपनी बात खत्म करने के बाद जस्टिस चौधरी ने उस नौजवान वकील की ओर देखा । उसकी आंखों में विजय की खुशी और शरारत झलक रहे थे । दो मुझसे अदालत के बाहर मिलना उन्होंने कहा और उठकर खडे हो गए हैं । इसी के साथ इस केस की सुनवाई समाप्त हो गई । अदालत के बाहर आकर जस्टिस चौधरी अपनी कार के इंतजार में खडे हुए थे । तभी उस नौजवान वकील ने आकर उनके पैर हुए तो ये तुम्हारे का राजस्थानी थे । वो मुस्कराकर बोलेगी लेकिन रोज ना तो मैं मिली कहाँ से और उसके बारे में तो मैं कैसे पता चला । फेसबुक पर उसने एक फेसबुक पेज बनाया हुआ था जिसमें उसने अपने साथ हुए रेप और इन जस्ट इसके बारे में डिटेल शेयर की थी । मैं इस चीज को सपोर्ट करने वाले फॅसे ज्यादा लोगों में से एक हूँ तो क्या वाकई उसके साथ रेप हुआ था? जस्टिस चौधरी ने हैरानी से पूछा जी फॅमिली रोजिना के जिस सीनियर सीईओ ने ये किया वो जीना से पहले कभी नहीं मिला था । उसने एक सेक्स डॉल ऑर्डर की हुई थी और एक शाम जब रोज ऑफिस के किसी काम से उस से मिलने गई तो उसने गलती से उसे ऑर्डर की हुई सेक्स डॉल समझ लिया । अकेलेपन का फायदा उठाते हुए उसने उसके साथ पहले नॉर्मली फिर फोर ऍम करने की कोशिश की । रोज ना की तमाम प्रोटेस्ट का उस पर कोई असर नहीं हुआ और वो अपनी इच्छा पूरी करके ही मना । उस नौजवान वकील ने उन्हें सच्चाई से अवगत कराते हुए कहा, मैं माफी चाहता हूँ अगर आज उसे आपके सामने लाकर मैंने आपको हर्ट किया हूँ नो नो यंग मैन । जस्टिस चौधरी ने उसका कंधा थपथपाया, मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहिए कि तुमने मुझे दूसरी बार गलत फैसला सुनने से बचा ली हूँ । हाँ कहकर वो आपने कहाँ की ओर बढ गए जिसे लेकर उनका ड्राइवर वहाँ पहुंच चुका था । बताइए क्या आप अब भी मेरी बात का यकीन नहीं करेंगे? उसने कहानी खत्म करके पूछा सच्ची को तो पता नहीं लेकिन ये वाकई बहुत अच्छी कहानी है । जब साहब ने लिख दिया गया नहीं मैंने और ये पूरी तरह सच है । उस ने जोर देकर कहा क्या तुम लेखक भी हूँ? मैंने हैरानी से पूछा जी नहीं, मैं वो रोबोट हूँ जिसे जब साहब को बाइज्जत बरी करना पडा था । रोशल के इस रहस्य उद्घाटन से मुझ पर क्या गुजरी होगी इसका अंदाजा आप लगा ही सकते हैं । लेकिन मेरी तरह ये सवाल आप को भी परेशान कर रहा होगा कि रोशल जज साहब के घर में कैसे आकर रहने लगा था? इस सवाल का जवाब मुझे जज साहब के लौटने ही मिल गया था । आप भी जान लीजिए हुआ ये था कि जब साहब ने तो सबूतों के आधार पर उसे बेगुनाह करार दिया था, लेकिन जिस कंपनी में उसके हाथों एक इंसान की जान गई थी वो ट्रेड यूनियन के विरोध की आशंका के मद्देनजर उसे वापस लेने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थी । फिर रोशन को बनाने वाली रोबोट रीना को भी लगने लगा की कंपनी की साख बचाने के लिए उसे नष्ट करना अच्छा होगा । जब जब साहब को उनके इस इरादे के बारे में पता चला तो उन्होंने कंपनी को याद दिलाया कि ऐसा करना अदालत की अवमानना माना जाएगा जिसके लिए कंपनी को फिर एक बार अदालत में घसीटा जा सकता है । कंपनी की घबराहट का फायदा उठाते हुए उन्होंने उसे खरीदने की पेशकश की लेकिन रोबोट रीना ने अपनी जीत की खुशी में इसे उपहार स्वरूप भी उन्हें दे दिया । इस भेंट को स्वीकार करने में उन्हें भी कोई हर्ज नजर नहीं क्योंकि अगले ही महीने वो रिटायर होने जा रहे थे । रिटायरमेंट के बाद उन्होंने रोबोट रीना से अनुरोध किया कि वह इसे उनकी जरूरतों के हिसाब से रीप्रोग्राम करते हैं जिससे वह उनका मददगार और उनके अकेलेपन का साथ ही बन सके । रोबोट रीना ने उन की बात मानते हुए रोशल को वैसा ही बना दिया जैसा कि चौधरी साहब चाहते थे । उन्होंने इसके बाद मेरी रो शील से कई बार मुलाकात हुई है लेकिन मैं कभी उससे ये पूछने का साहस नहीं जुटा पाया की ये कहानी उसने रीप्रोग्राम होने से पहले लिखी या बाद में लिखी । फिर कुछ दिन बाद रोशल ने मुझे ये भी बताया कि उस नौजवान वकील के जरिए चौधरी साहब ने रोजिना से मुलाकात कर उससे आपने गलत फैसले के लिए माफी मांगी है और उसकी सहमती से उसका केस रीओपन करवाने के लिए एप्लिकेशन फाइल कर दी है और इस बार वे खुद उसकी पैरवीकार उसे न्याय दिलाएंगे तो
Producer
Voice Artist