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नमस्कार मैं वो शिवांग और आप सुन रहे हैं तो कोई ऍम सुने जो मन चाहे है और ये है इस कहानी का तीसरा एपिसोड । तो चलिए शुरुआत करते हैं वो वन जिला में आए हुए तरीका और चेतन को करीब एक महीना हो गया था । सामान बहुत हद तक व्यवस्थित हो गया था । चेतन तो ऑफिस चला जाता था इसलिए सारिका की मदद के लिए उसने अपनी चचेरी बहन नंदनी की पहचान की । एक औरत को काम पर लगा लिया था । उसका नाम सुशीला था । सुशीला उनके पुराने घर में भी काम करती थी । हर रोज सुबह काम पर आती थी और शाम को अपने घर चली जाती थी । सारिका ने अपने नए घर को बहुत अच्छी तरह सजाया था । फिर भी उसे लगता था कि इस नए घर में बहुत सा नया समान खरीदने की जरूरत है । चेतन और वहाँ अक्सर इस बात की चर्चा करते थे कि कौन कौन सा नया फर्नीचर खरीदना है । केजरीवार के लिए नई पेंटिंग लेनी है । चेतन का बहुत मन था की हॉल की बडी दीवार के लिए वहाँ अपनी मनपसंद पेंटर मनुष्य की पेंटिंग खरीदें । लेकिन सारिका ने उसे समझाया चेतन अभी हमें कुछ समय तक खर्चों पर काबू करना होगा । लोन लिया है, उसकी किस्तें भी देनी है । मनुष्य की पेंटिंग बहुत महंगी होती हैं । मैं सोच रही थी कि कुछ दिनों में फिर से अपना काम शुरू करूँ ताकि तुम्हारी कुछ मदद हो सके । चेतन उसकी मनोदशा को समझ रहा था । उसके स्तर पर बिहार से हाथ फिराकर बोला तो फिक्र मत करो । मैं सब सामान लूंगा । पहले तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओ । फिर काम के बारे में सोचना । मैं ठीक हूँ । काम करूंगी तो और भी अच्छी हो जाएंगे । ठीक है पर तुम लोन का बोझ अपने मन पर मतलब हो । मैं सब देख लूंगा तो दोस्त हूँ । अभी के लिए इतना ही बाकी की बातें करेंगे । अगले एपिसोड में आप सुनते रहे तो फॅस सुने जो मंचा है मैं वो शिवांक लेता हूँ । विदा
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Voice Artist