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चॅू किशोर और पूनम का प्यार । अब तो दिन दोगुना और रात चौगुना बढने लगा था । विदेश लो एक दूसरे को जीवन साथी के रूप में पाना चाहते थे । ऐसे में एक दिन किशोर की माँ को जब इस बात का पता चला तो पूनम को अपने घर की बहू बनाने के लिए सहर्ष राजी हो गई और जब किशोर को इस बात का पता चला कि उसकी माँ पूनम का हाथ की शोर के लिए मांगने पूनम के घर जाने वाली है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । माँ पूनम के बाबू जी से मिलकर घर वापस आई तो किशोर बच्चों के समान दौडते हुए माँ की गले लग गया और कहने लगा तो मेरी प्यारी मां । आप दुनिया की सबसे अच्छी है । अरे क्या बात है भाई, इतना खुश क्यों है? अशोक ने प्रवेश करते हुए पूछा आज में पूनम के घर गई थी । किशोर के लिए रिश्ता मांगने और उसके पापा सहज तैयार हो गए । मैंने कहा अच्छा तो ये बात है । अशोक तो शरारती था ही । उसने आगे कहा मना लो भैया, जितनी खुशियाँ बनानी है मना लो पर कुछ देर की खुशियों के लिए जीवन भर पछताना पडेगा । तो ऐसा क्यों कह रहे हो शोक किशोर सकते में आ गया । देहरादून जाना या मैंने तो मैं अशोक ने हसते हुए आगे कहा बडे बुजुर्ग कह गए कि शादी का लड्डू तो ऐसा है जो खाये पस्ता और जो ना खाए वो भी पछताए । वैसे आज तक शादी से कोई खुश नहीं हुआ । भैया शादी के बाद हो जाती आजादी है आपको विश्वास नहीं हो रहा है । तो आपने दोस्ती बारी भैया से पूछ लूँ क्या पूछो उसे? किशोर ने अशोक का कान रहते हुए कहा यही की उसका अनुभव कितना बुरा रहा है । विचार कोल्हू के बैल हो गए हैं । अशोक ने कहा इसका मतलब ये है की तू तो शादी करेगा ही नहीं । किशोर ने कहा अरे आपने तो मुझे फंसा दिया । बात ये है भैया की आप मेरे आदर्श हो तो जब आप विवाह कर ही रहे हैं तो मुझे भी तो आप के नक्शे कदम पर चलना ही होगा । अशोक ने कहा ईश्वर करे तो भाइयों के प्यार को किसी की नजर ना लगे । माने दोनों बेटों को गले लगाकर कहा जिसकी आज जैसी हो उसके बेटों को भला किसी की नजर कैसे लग सकती है । माँ किशोर ने कहा
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