आज के ज़माने में भी ऐसे कई लोग हैं जो लड़कियों को कोख में ही मार देना चाहते हैं। ऐसे ही हैं जमींदार सुमेर सिंह और उनकी काँता बुआ। पर क्या सुलोचना अपनी कोख में पल रही बेटी को बचा पायेगी ? बचाने के बाद भी क्या वो अकेले इस पुरुष प्रधान समाज से लड़ पायेगी ? या भांग हो जाएगी उसकी ये बदलाव की प्रतिज्ञा ? Read More
आज के ज़माने में भी ऐसे कई लोग हैं जो लड़कियों को कोख में ही मार देना चाहते हैं। ऐसे ही हैं जमींदार सुमेर सिंह और उनकी काँता बुआ। पर क्या सुलोचना अपनी कोख में पल रही बेटी को बचा पायेगी ? बचाने के बाद भी क्या वो अकेले इस पुरुष प्रधान समाज से लड़ पायेगी ? या भांग हो जाएगी उसकी ये बदलाव की प्रतिज्ञा ?