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Ch-6 in Hindi

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964 Listens
AuthorPrabhat Prakashan
पहली बार जब उसने अपनी नई मकान-मालिकन पर नजर गड़ाई, जो एक विधवा और उससे ग्यारह साल बड़ी है, तो उसे एक मौका दिखाई पड़ा। उसके पास अमीर बनने का एक प्लान है और वह उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, जब तक कि उसकी मुलाकात पीहू से नहीं होती। वह एक अपरिपक्व टीनएजर है, जो नील को चाहती है, और आंख मूंदकर मान लेती है कि वह एक फरिश्ता है, जो उसकी जिंदगी की सारी मुश्किलें दूर कर देगा। बेवजह की इस चाहत और प्लान का कांटा बनती पीहू से नील नफरत करता है, लेकिन नील को बेहतर इनसान बनाने की पीहू की जिद नील को अंदर तक झकझोर देती है। क्या पीहू उसे बदल पाएगी? क्या जो इनसान सारी हदों को पार कर चुका है, उसका हृदय बदला?
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छह । डीएवी स्कूल अपने सख्त नियमों वह विनियमों के लिए बेहद प्रतिष्ठित था । उस स्कूल में छात्रों, माता पिता और शिक्षकों के बीच पारदर्शिता बनाए रखने पर जोर दिया जाता था । वहाँ हर महीने के अंतिम शुक्रवार को पेरेंट्स टीचर मीटिंग का अनिवार्य रूप से आयोजन किया जाता था । इस बार इन मीटिंग में मेरे लिए कुछ बुरा होने की संभावना थी । क्या होगा अगर पी हूँ की माँ को मेरे स्कूल के आवाज को छोडने का सच पता चल गया तो मैं बहुत ज्यादा परेशान था । एक । मैं पहले से ही रडार के नीचे था और मुझे अनुशासात्मक समिति के समक्ष उपस्थित होना था था । दो । मैं इस हवेली को छोडना नहीं चाहता था जिसे अचानक एक दुआ के रूप में मुझे दिया गया था, वो भी लगभग मुफ्त में । मैं जीवन की वास्तविकता से अवगत था । मुझे पता था कि अन्नू किसी को भी किसी भी दिन उसकी राय से कई गुना ज्यादा किराये पर उस हवेली को दे सकती थी जिसमें रहने के लिए मैं सहमत हुआ था और यही कारण है कि मैंने अपने किसी भी बैंक को अभी तक पूरी तरह से खोला नहीं था । मैंने खुद को मजबूत बना लिया था और जो कुछ भी होता है, उसे अपनाने के लिए अपने आप को तैयार कर लिया था । पिछले दिनों जो मेरे साथ घटित हुआ और मैं बहुत पछतावा कर रहा था । मैं चीजों से बाहर निकलने के तरीके खोजने की कोशिश कर रहा था । हर सेकेंड से खेद व्यक्त करते हुए इस तरह से मैंने अपनी इच्छाओं का नेतृत्व किया था और कैसे वह मेरे अपने पतन का कारण हो गया था । लेकिन फिर भी अफसोस इन सब ने मुझे बहुत ज्यादा नहीं बदला और ये बेहद मूर्खतापूर्ण बात थी और इस बात पर खेद महसूस करने से भी ज्यादा मैं अपनी लापरवाही के लिए खुद को देख कर रहा था । दरवाजे पर दस्तक सुनाई देने और मैं अपनी इच्छाओं से बाहर निकल गया । मैं डर रहा था कि ये हो सकती है । मैंने घर व्यवस्थित करना शुरू कर दिया । एक अविवाहित के फारिश पर कई चीजें बिखरी होती हैं जिन्हें छिपाने की आवश्यकता होती है । जैसे गंदे अंडरवियर, छोटे छोटे वाले, बदबूदार मुझे और भगवान । जाने क्या क्या । मेरे मामले में मुझे दोनों को छिपाने की जरूरत थी । मैं नहीं चाहता था की मेरी मकानमालकिन मुझे इस जगह को देने के अपने फैसले पर पछतावा करना शुरू करते हैं । दरवाजा खोलने पर मैंने अपनी परेशानी को छिपाने की कोशिश की । भाई पी हूँ क्या हाल है इससे पहले की मैं उसे प्रवेश करने के लिए कहूँ । अंदर ये भ्रष्टाचार उसकी उम्र के बच्चे से अप्रत्याशित था । ऍम सोचता था कि अन्नू का बच्चा इतना अलग कैसे हो सकता है जबकि वह खुद बेहद शालीन और शिष्टाचारी थी । मुझे बहुत खराब लगा अत्याचार की इंडिया ठीक है, घर उसका ही है । लेकिन इस तथा मेरे कमरे में प्रवेश करना विसंगतिपूर्ण था । क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? सर उसने अंदर आते हैं । पूछा मैं भी दरवाजे पर खडा । तुम पहले से ही घर के अंदर होती हूँ तो धन्यवाद सर । उसने मुस्कुराकर मुझे अपने अधिकांश डांट दिखाते हुए जवाब दे । उसके बाद मुझे उस क्या पानी पाक को ताकि एक और झलक मिली । चमदार पीली सूती नहीं कर पहने हुए सीधे कुर्सी पर जा बैठे । उसका बाल जैसा पतला अनाकर्षक पैर मेरा ध्यान आकर्षित करने में असफल रहा । मैंने जो क्या भगवान को धन्यवाद दिया कि उसने इसे इतना औसत रूप दिया है लेकिन इसके बावजूद मेरे घर में बैठे हैं । इस बात की मुझे चिंता हो रही थी । मैंने दरवाजा चौडा खुला छोड दिया था और उस से सुरक्षित दूरी रखी थी । मुझे पहले से ही यौन दुर्व्यवहार करने वाले शिक्षक का खिताब मिला हुआ था । यू मुझे लगता है तो मैं अपनी माँ की अनुपस्थिति में यहाँ नहीं आना चाहिए । मैंने गंभीरतापूर्वक का पर क्यों? उसने मुझसे सवाल किया जैसे कि मैंने उसका जन्मसिद्ध अधिकार छीन लिया था । ऐसा कुछ नहीं था जिसे सत्रह वर्षीय लडकी को समझाया जाना चाहिए । मैंने सोचा मुझे कभी कभी लगा कि लडकियों को ये ज्ञान असहजता से मिलता है और इसीलिए आज के माता पिता इस तरह की शिक्षा के साथ काफी तत्पर हैं । अच्छा इस परिष् बुरा स्पर्श, समस्या से बाहर रहना, अजनबियों से मुलाकात नहीं करना, किरायदारों के पास नहीं जाना अगर घर पर कोई न हो तो लेकिन उसे कैसे समझाया जा सकता है । उसे कोई तर्कसंगत बाद समझने का मन नहीं था । ऐसा लग रहा था वो मुझे लगभग घोलकर पूछ ताछ कर रही थी । तब मैंने जोर से स्पष्ट रूप से इंगित करते हुए कहा यहाँ आने से तुम्हारी मान आगाज हो सकती है । क्यों उसने वास्तव में अचंभित स्वर में पूछा हम जो कर रहे हैं क्या वो गलत है? हाँ, सच कहूँ तो कुछ भी गलत नहीं था । लेकिन आप समझ सकते हैं कि जहाँ से मैं आ रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने ही खजाने को खोजने में लगी हुई थी । अपनी गई किताबों को मैंने ताक पर एक सीधी लाइन में करीने से रख रखा था । लोगों ने देख रही थी सर क्या आपने इन सब पुस्तकों को पढ लिया है? उसने उन्हें आश्चर्यचकित हो कर देगा और पूछा, मैं शिक्षक हूं । मैंने कहा मुझे पता है उसके चेहरे पर एक बेजान मुस्कुराहट थे । गंभीर चेहरा हमेशा दिमाग क्यों रेड दिनों को छुपाता है? मजबूर शांतता के साथ मेरी किताबों के माध्यम से रूबरू हो रही थी । जिस तरह में संदेह में था वो कमरे में कुछ खोज रहे थे । क्या तुम कुछ ढूंढ रही हूँ? मैंने उससे पूछा । आखिर में उसने चारों ओर देखा इस उम्मीद से कि वो जिस चीज की तलाश में थी वो देख जाए । मुझे आपके परिवार की फोटो नहीं दिख रही है । किसी ने इतने लंबे समय बाद मुझसे परिवार के बारे में बात की थी एक बाल के लिए । मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या मेरा परिवार था । असल में मेरे जीवन के बारे में आपने पूरे विवरण में मैंने कभी अपने परिवार के बारे में कुछ भी नहीं बताया है । मैंने अपने दिमाग में विचारों को घुमाया और धीरे से पीयू से पूछा क्योंकि क्या हर किसी के लिए अपने घर में पारिवारिक तस्वीर रखना अनिवार्य है? हाँ मेरे सभी दोस्तों के घर पर है । उसने बडी निर्दोषता से जवाब दिया था । मुझे फिर से ऐसा हुआ कि उसके साथ साल का करना पडा था । वो जिद्दी थी और बात करते समय अपने कान बंद कर देती थी । ये लग रहा था तो थोडा आगे बढ गई । तुम यहाँ मुझसे मेरे परिवार की तस्वीर के बारे में पूछने आई हूँ । अब मैं बेचैन हो रहा था और चाहता था कि वो वहाँ से चली जाएगी । नहीं उसने मुस्कुराकर जवाब दिया और कुर्सी पर बैठ गए । मैं यानी अच्छा से सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया । अचानक उत्तेजना चाहे वह सीधी बैठ गए और पूछने लगी, आप परियोजना देवताओं में विश्वास रखते हैं । मैं समझ नहीं पा रहा था की उस से कैसे निपटना है । क्या तुम ये पूछने आई हो । मैंने थोडा गुस्से में पूछा नहीं मैं आपको कुछ दिखाना चाहती थी । उसने कम से कम तक वाली मुस्कुराहट से कहा और फिर अपनी जेब से एक फोन बाहर निकालकर मुझे दिखाया । मुझे एक नया फोन मिले । मैं चाहती हूँ कि आप इसे देखें । मैंने फोन उठाया और इसे चारों ओर से देखा आई । फोन मैंने अभिनय किया कि मैं इस बात से प्रभावित हूँ और दिलचस्पी लेता हूँ । लेकिन अपने दिमाग में मैं सोच रहा था क्या दसवीं कक्षा की लडकी को एक महंगे फोन की आवश्यकता होती है? की जान कर के उस सवाल से मुझे एक लंबा असंबंधित उत्तर मिलेगा । मैंने कुछ और पूछा इस फोन की विषेशता गया सर, इसमें एक नया छह कोर जीपीयू है जो अन्य फोन की तुलना में पचास प्रतिशत तेज है । फॅसने पाल को अपने नए आईफोन को पतला बनाने और बैटरी की उम्र को बढाने में मदद की है । आप जानते हैं, स्टीरियो स्पीकर भी है । इसमें सभी नवीनतम है, सुन्दर इंटरफेस है और ये वजन में बहुत हल्का वैसे बोल रही थी जैसे रटकर आई हो । ये विश्वास करना मुश्किल था कि वो उन सभी के बारे में जागरूक थी जिस तरह से उसने आम तौर पर बात की । उसके बारे में मुझ पर एक बहुत ही आश्चर्यजनक प्रभाव पडा । ये पहली बार था जब मैंने सोचा की उसमें कुछ दिमाग भी है । मैंने अपनी बांहें उठाकर उसे जताया की मैं प्रभावित हुआ था । वहाँ निश्चित रूप से एक मैं भी अच्छा फोन है । कोई अन्य विशेष सुविधा भी । इसमें मैंने ठंडे स्वर में पूछा । जिस लडकी ने कुछ सैकेंड पहले बुद्धिमानी दिखाई थी, उसने इतनी बचकानी बात कही कि मुझे लगा था कि मेरा जीवन भर में जो विश्लेषण था वो विफल रहा । जब उसने कहा हाँ, आप फोन कॉल भी कर सकते हैं ।

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पहली बार जब उसने अपनी नई मकान-मालिकन पर नजर गड़ाई, जो एक विधवा और उससे ग्यारह साल बड़ी है, तो उसे एक मौका दिखाई पड़ा। उसके पास अमीर बनने का एक प्लान है और वह उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करता है, जब तक कि उसकी मुलाकात पीहू से नहीं होती। वह एक अपरिपक्व टीनएजर है, जो नील को चाहती है, और आंख मूंदकर मान लेती है कि वह एक फरिश्ता है, जो उसकी जिंदगी की सारी मुश्किलें दूर कर देगा। बेवजह की इस चाहत और प्लान का कांटा बनती पीहू से नील नफरत करता है, लेकिन नील को बेहतर इनसान बनाने की पीहू की जिद नील को अंदर तक झकझोर देती है। क्या पीहू उसे बदल पाएगी? क्या जो इनसान सारी हदों को पार कर चुका है, उसका हृदय बदला?
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