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भाग - 05 in  |  Audio book and podcasts

भाग - 05

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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वो अध्याय डॉक्टर को चलने के माथे पर चिंता की तमाम लकीर खींची हुई थी । कभी किसी ने उन्हें इतना अधिक परेशान नहीं देखा था । वो इस समय कुर्सी पर बैठे थे और गंभीरतापूर्वक सोफे पर लेटी आना । गुंजाल इसको देख रहे थे । ऍम मीठी नहीं हो रही थी लेकिन उसके चेहरे पर थकावट और पीडा के चिन्धा भी भी साफ देखे जा सकते थे । रात भी इनकी तंग में तेज दर्द उठा था । फॅमिली से मुखातिब होती थी । बोली प्रसाद भी इसी तरह से दर्द से छटपटाई थी, सीखी थी चलाई थी आपको मोटा राम ने फोन भी किया था । लेकिन आप कहीं बाहर गए हुए थे, कहाँ डॉॅ धीरे से करता नहीं । मुझे मेजर ऑपरेशन के सिलसिले में शहर से बाहर जाना पड गया था या फिर किसी दूसरे डॉक्टर को बुलाया नहीं । क्यों नहीं क्योंकि चलते आना की तबियत कंट्रोल में आ गई थी । तो डॉक्टर कॉटले के चेहरे पर पहले की तरह शुष्क महाभाग है लेकिन डॉक्टर आना को ये किस तरह की दिन फिर है । मोटा राम बोला डिसाइड नहीं डिजीज डिजीज ऍम बीमारी अब वही वही तरफ से शुरू में तो मैं ऐसे साधारण मामला ही समझ रहा था । लेकिन कल से अब तक जिस तरह ये तीन बार दर्द हो चुका है उसे देखकर लगता है कि आना का ये डर अपने आप बन नहीं होगा । इसके लिए उन्हें बाकायदा दस पंद्रह दिन तक मेडिसिन्स खानी होंगी । लेकिन ये कोई ज्यादा सीरियस मामला तो नहीं है ना । डॉक्टर लीटर सानिया नी चिंता का प्रदर्शन किया नहीं नहीं । डॉक्टर काॅल ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है । ये दस पंद्रह दिन दवाई खायेंगे तो ये दर्द उतना बंद हो जाएगा । कभी कभी इस तरह का दर्द जोडों की वजह से जन्म ले लेता है । पैसे भी आना का बूढा शरीर है इसलिए जोडों में दर्द उतना साधारण सी बात है । तब आप जाने दो रीटर सानिया भावुक होगी, उसकी सीट जैसे आंखों में आंसू झिलमिला लेकिन मैं ना से बहुत प्यार करती । मैंने किसी भी हालत में खोना नहीं चाहती ही तुम्हारे भावनाएं में अच्छी तरह समझ सकता हूँ । थी । डॉक्टर काट लेने उसके सर पर हाथ रखा । चिंता मत कर आना को कुछ नहीं होगा । मैं उन्हें कुछ नहीं होने दूंगा । मैं बस यही चाहती हूँ । डॉक्टर मैं कागज पर दवाई लिखते ऍसे मंगा ले ऍम । डॉक्टर कॉकटेल लेने अपना लगातार निकाला और फिर इस पर सोच विचार कर कुछ दवाएं लिखनी शुरू की । फिर उन्होंने कागज हार, करेक्टर सानिया और कितना बढा दिया । थाना को अब ठीक टाइम पर दवाई देने की जिम्मेदारी तुम्हारी है । बेटी आप बेफिक्र नहीं था । फिलहाल मैं चाहता हूँ अगर आना को फिर इस तरह का दर्द उठी तो मुझे फौरन फोन करके बुला लेता हूँ । डॉक्टर कॉटले चला गया आना । गोंजाल्वेज अपने इर्द गिर्द मंडराते खतरों से बिल्कुल भी पडेगा । अभी इत्मिनान की गहरी नींद सो रहे थे उसे जैसे कुछ मालूम महीना था कि इसके साथ क्या हो रहा है, क्या कह रहे हो? ऊषा विद्रूपता पूर्ण ढंग से हसी आज तक ज्यादा जोश आ रहे हैं । जहाँ की मछलियां कुछ ज्यादा ही भडक रही कि बरा मूलचंदानी भी हादसा हो । ऍम रह रहकर यह एकदम मरियल पिलपिला सा बुड्डा भी जवान हो गया है नहीं, इस की रगो में भी अरबी घोडे जैसी ताकत आ गई है । नहीं फिर बारामूल चलाने ऊषा के ऊपर एकदम से जब तथा फिर उसे कब जाये? कब जायेंगे बिस्तर पर कल आवाज लिखा गया ओशाने खिलखिलाकर हसते हुए उसके शिकंजे से निकलकर भागना चाहा तो फिर बारा मूलचंदानी ने उसे फिर पूछे । ऊषा सेक्स के मामले में भी बहुत ही फितरती औरत थी । वो कभी मार्ग को आसानी से आपने उठे पर हाथ नहीं रखते देती थी और हमेशा खिला खिला कर प्यार देने में ही उसे मजा आता था । वो आनंदित होती थी कुछ और सिंह जहाँ सांसे लाभ नहीं की में माहिर होते हैं वहीं उनके अंदर इस बात की भी बडी पुख्ता ख्वाहिश होती है कि मार उनके सामने चूहा बनकर रहे । बिच बिच चाहिए बिस्तर पर उनके हैसियत मलकार आलिया जैसी हो और मार्ग की थोडी के कुत्ते जैसी जोडी जोडी को चार चार करिए खुश होता है । एहसान मानता है कि मालिक कार्यालया ने उस जैसे हक की शक्ति हो वो बुलंद, उस बंदा क्या फंडा वो इस काबिल कहा इसकी ऐसी ऐसी कहा कम से कम बिस्तर पर ऐसी होते हैं । मार्ग को हर मोर्चे पर पराजित करना चाहती हैं इसलिए वो प्यार ऐसे खींचा खर्चा कर देती है जैसे भिखारियों में मैं बडी बांटी जा रही हूँ । इस बार किरपाराम मूलचंदानी नहीं ऊषा को दबोचा तो दबोचते उसके शरीर से सारे कपडे अलग करते हैं । शीघ्र ही वहाँ आपने बहुत सूट में आ चुकी थी । उस की चोटियों की तरह तनी और वो स्पष्ट नजर आ रहे हैं के पर आ मूलचंदानी ने अपना चेहरा उसकी छातियों में छुपा लिया । ऊषा के अंदर से निकलती आग की लपटें किरपाराम मूलचंदानी के चेहरे को झुलसा नहीं लगे लेकिन वह सुखद आप थी जिसमें कोई भी मार झुलस जाना चल जाना पसंद करें । पूछा ने फिर उसके शिखर जैसे आजाद होना चाहिए तो इस बार के बारामूल चलाने का हाल है । उसके पेट से होकर फिर चलते हुए नीचे तक पहुंच गया । ऊषा के अंदर काम आदमी मरा कुठेर उसने अपने नाखून बेचैनी पूर्वक किरपाराम की पीठ में धंसा दिए । बुधवार एक बार धक्का तो फिर लावे के विसर्जित होने के बाद ही रखा वो दोनों । इस समय भी एक दूसरे की नंगी पीठ में बुरी तरह नाखून गडाए बिस्तर पर लेते थे और जोर जोर से हाथ रहे थे । काफी देर बाद जाकर वो शांत हुए । लगता है कि इस बार आम जैसे जैसे तो महीना गोंजाल्विस किया था । दौलत के करीब पहुंचते जा रहे हैं । ठीक उसी अनुपात में तुम्हारे जिस्म की गर्मी भी बढती जा रही है । तो उषा ने रखी कब सपने? दोनों रोजों पर चढाते हुए उसे प्रशंसनीय नहीं । तुम सिटी था वानी और अच्छी बात है । बिल्कुल किरपाराम मूलचंदानी तो ये सारी दौलत की मालकिन बनने के साथ साथ एक जवान शख्स की बीवी भी बन जाएगी । नहीं जवान शहीद हो तो आपने मोदी जैसे दान चमकाकर बडे मुदित भाव से हसी । फिर उसने अपने चेहरे पर आगे ढलक आये वालों को पीछे झंड पानी तो ये समाज बुलबुल के पर आ मूलचंदानी फस बताया दौलत तो बस किसी भी दिन हमारे हाथ लगने वाली है । वो सीधे हमारे कदमों में लोटती नजर आएगी । नहीं क्यों? क्या कोई और रिपोर्ट मिली है? रिपोर्ट तो रोजाना मिल रही है नहीं की पर आ मूलचंदानी बोला लेकिन बडे मार के की बात मुझे मालूम नहीं है क्या नहीं डॉक्टर कॉटले नाम का एक बडा डॉक्टर कल से अब तक और इसमें कई बार जा चुका है । इतना ही नहीं बुलबुल आज रीता साॅस की दुकान से कुछ दवाइयाँ भी लेकर आए । क्यों पूछा क्योंकि ऍम बीमार है आॅडी मैंने यही पता लगाने के लिए आज बाल इसके एक नौकर को हासानी । वो मार्किट में सबसे लेने आया था । वानी जाॅब के साथ उससे खुद खुद कर पूछा तो उसने बताया कि ताल इसमें लेडी आना । गोंजाल्विस बीमार है उसने आना की बीमारी बडी अजीबो गरीब बताई क्या से बीमारी पानी? उसने बताया भूल पोल किरपाराम मूलचंदानी के आवास सस्पेंस फुल हो ठीक है के पहले आना को रात के समय कुछ आवाजें सुनाई थी जैसे कोई दरवाजा खटखटा रहा है, जैसे कोई कमरे में टहल रहा है या वाणी जैसे उसके सिर के पास नगाडे बजा रहा होनी । दो दिन तक उसकी आवाज सुनाई देती रही और कल से तो उसका भी हालत क्या वाणी कल से उसे ऍम और दर्द भी इतना तेज की वो मछली की तरह तरह तरह जाती है तो वो उषा के नेत्र सिख गए । वहाँ जीत मामला और सबसे अच्छी बात । तो यह बुलबुल, किरपाराम मूलचंदानी ने एक एक शब्द चला कि ये सारी घटनाएं की सारी अजीबो हरी बातें तभी से हो रही है जब से वो बदमाश पुट्टी रीता सान्याल पैलेस के अंदर घुसी तो क्या कहना चाहती हूँ इन सारी वारदात के पीछे जीता सान्याल का माइंड काम करता हूँ बिल्कुल कितना मूलचंदानी बोला । इतना ही नहीं बडी ये सारे प्लानिंग आना गोंजाल्विस को मार डालने की है । लेकिन जीता सानिया की बदौलत कहना तो आवाजे कैसे सुनाई दे सकती है? ऊषा का है देंगे सौरभ उनके शरीर में तरीके से उठ सकता । हाँ न्यूज फट गाडी का नाम रीता सा न्यायालय नहीं बहुत करामाती फट रही है । बहुत खुराफाती फट रही है और यह भागते आदमी के लंगोट में से बिल्ली का बच्चा निकाल सकती है । नहीं पडी वो कुछ भी कर सकती है । वो हरफनमौला चीजें ट्यूशन्स तब ऐसी अपनी जगह बैठे थे । ये अहसास उसे भी हो रहा था कि रीडर सान्याल कोई खेल शुरू कर चुकी है । ऍम हूँ मैं धीरे धीरे अपनी मंजिल की तरफ ऍम ऍम बहुत जोर से खिलखिलाकर ऐसे इस तरह हसी जैसे वो पागल हो गई जैसे उसे हंसी का दौरा पड गया । अब बिंदु नहीं जवाना गुंडा जिसकी मौत मेरे हाथों हो जाएगी । उस औरत की मौत मेरे हाथों हो जाएगी, जिसके कारण मेरे पिता ने मुझे ठकराया मेरी माँ को ठुकरा मैं हाँ डालूंगी, उसे मार डालूंगी । उसका वक्त रेडक्रॅस तेरही बुलंद कह रहे लगती रहे हैं । इस समय वह सचिनदेव राॅबर्ट थी और उसने अपनी पसंदीदा मुगल मोना उसकी जमकर पी रखी थी । शायद उसी विस्की की बदौलत वह इतना अब सेट हो गई थी । इतना जज्बाती हो, ठीक थी जानते हो सचिन फिरेगा एक लीटर साल की हसीना जाने कहाँ हो गए उसके चेहरे पर भावनाओं का बवंडर उठ नहीं । मैंने अपने इस छोटे से जीवन में बहुत खेले । मेरी माँ भी दुख झेलते झेलते, मौत की भेंट चढ के और ये सब इस की बदौलत हुआ सिर्फ और सिर्फ स्थाना की बदौलत बेटा सान्याल में फिर एक और बैंक बनाया और उसे अपने होठों से लगना चाहिए । अब बस फॅमिली था । सचिन देवरानी वही उसका हाथ आपस करूँ । तुम पहले काफी चुकी हूँ तो नहीं जानती प्रतिशोध की ज्वाला तुम्हारे अंदर घटक नहीं लगती है तो तुम कितनी खतरनाक होती हूँ! ऍम ऍम रीटर सान्याल ने फिर एक बुलंद कह रहा लगाया और वह सचिन देवडा के विरोध के बावजूद फॅमिली मैं खतरनाक की लगना चाहती हूँ । मैं नागिन बन जाना चाहती हूँ । सचिन जहरीली नागिन मुझे इस दुनिया से नफरत है । बस बस मैं तुमसे प्यार नहीं नहीं रेडर सानिया लेकर एक सचिन देवरा किसी नीजी लग गए । अच्छे उसने जज्बात उनकी प्रवाह में बहते हुए सचिन देवरा के बारे में उन्हें भी दी था तो मुझे प्यार करते हो ना? सचिन हम हाँ तो मुझे आॅफ बोलो ऍम ऍसे कस करने पड गई तो मुझे कभी छोडकर मच्छर कभी नहीं तुम्हारे बिना में जी नहीं सक उनकी सचिन मैं प्यार की भूखी हूँ । उसकी आंखों में आंसू की बूंदें झिलमिला नहीं वो सचमुच कभी सोलह ठीक कभी शक था । अभी याद नहीं है तो कभी बारिश का तैयारियांॅ जब रीता सान्याल के ऊपर से विस्की का नशा उतरा तब कहीं जाकर वो नामल हुई । इस योग्य हुई आपने मॉडर की प्लानिंग पर बात कर सकें । उसने सबसे पहले सचिन देवडा को पालस में घटित हो रही घटनाओं के बारे में जानकारी दी । यानी तुम्हारी प्लानिंग के मुताबिक आना गुंजाल रिस्की दवाइयाँ शुरू हो चुकी हैं । सचिन थोडा उत्साहपूर्वक बोला बिलकुल आज से ही आना नहीं दवाइयाँ लेनी शुरू करती है । वो अपने आप को बिल्कुल स्वस्थ होते हुए भी बीमार समझने लगी है । और सबसे दिलचस्प बात तो ये है कि दवाइयों की वो प्रेस्क्रिप्शन उसके सबसे खास डॉक्टर ने लिखी है । अगर बाहर यहाँ तक पहुंच चुकी हैं तो हम लोगों को तुरंत इस मौके का फायदा उठाना चाहिए । सचिन देखना बोला बिलकुल मैं तो कहता हूँ तुम आज से ही उन दवाइयों के साथ मिलाकर लिमि । की एक मिनट सुबह शाम आना को देने शुरू कर तो फिर तुम कमाल दिखाना फॅस की बदौलत आना का वजन घटने लगेगा । जब ब्लड कैंसर का एक लक्षण है तुम तो ठीक कह रहे हो ऍम की मैं आज रात से आना कुछ स्लाॅट खिलाना शुरू करती है । लेकिन क्या तुम आ रहे थे इस पूरे प्लान में तुम्हारा रोल भी चलती आने वाला है । मुझे खूब अच्छी तरह याद है । सचिन नहीं । राहुल लेकिन तुम उस दिशा में कोई सार्थक कोशिश करते तो नजर नहीं आ रही? ऐसी बात नहीं है । मैं पूरी पूरी कोशिश कर रहा हूँ कि गोवा के किसी नर्सिंग होम हॉस्पिटल के अंदर डॉक्टर के तौर पर पॉइंट हो जाएगा । आज मैंने इस सिलसिले में नर्सिंग होम तथा हॉस्पिटलों की काफी भागदौड की है । मैं समझता हूँ दो तीन दिन के अंदर मुझे सही ना कहीं कामयाबी मिल जाएगी हम लेकिन इस भागा दौडी में एक बात का खयाल रहे किस बात का? कहीं तुम्हारा पिछला रिकॉर्ड जाकर ना हो जाए कि तुम्हें मुंबई में क्या क्या प्रार्थी चिंता मत कर । सचिन थोडा यकीन के साथ बोला वो रिकॉर्ड आसानी से उजागर नहीं होगा । सबसे बडी बात तो ये है कि यहाँ गोवा में कोई मेरे नाम से वाकिफ नहीं । मैं यहाँ सब के लिए आज मैं अभी आती हूँ । फिर मैं यहाँ अपने आप को एक प्लास्टिक सर्जन के तौर पर शो भी नहीं कर रहा हूँ । ये बहुत अच्छा क्या काम है? फॅमिली खुद को प्लास्टिक सर्जन के तौर पर क्यों नहीं कर रहे हैं? बहरहाल मैं आज रात से सबसे पहला कदम ये उठाती हूँ । कियाना कोस लिमिट आप ले देना शुरू कर दी । बिल्कुल ये कदम ज्यादा जरूरी है । अभी आगे का रिजल्ट भी निकल कर सामने आएगा ।

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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