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भाग - 03 in  |  Audio book and podcasts

भाग - 03

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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अध्याय थी किरपाराम मूलचंदानी और अच्छा भी । आपने खुराफातों को अंजाम देने गोवा पधार चुके थे । इतना ही नहीं उन्होंने भी मीठा मार बीच पर ये छोटा सा कॉटेज किराये पर ले लिया था । जो आना पहले से कुछ ही फास्ट था । कुल मिलाकर गोवा से मीठा मार बीच पर तमाम केदार जमा हो चुके थे और वो स्थान धीरे धीरे घटनाओं का केंद्र बिंदु बनता जा रहा था । किरपाराम, मूलचंदानी तथा उषा इस समय बिस्तर पर थे और आपस में खूब गुत्थम गुत् हो रहे हैं । मणि में लाइट बंद करता हूँ पर आ मूलचंदानी ऊषा के पहले से उठने की कोशिश की क्यों पूछा नहीं उसे तुरंत करता हूँ लाइट क्यों बनकर मनी अंधेरे में ताज की गद्दी के अंदर फेरी लगाने में कुछ और ही मजा आएगा? नहीं उषा हँसी ऍम वो मुदित मुद्रा में पूरा तुम्हारा जैसे बात कहते हैं । जैसे कोई नई नवेली दुल्हन तुम्हारे हत्थे चढ रही हूँ । ले के ऊपर आ मूलचंदानी भी हादसा हो तो नई नवेली नहीं और कुछ सस्ता है । कितनी बढिया बात है । उषा खिलखिलाएं हजार बार हंडिया चूल्हे पर चढ चुकी दर्जनों तरह की चम्मच झंडिया में घूम चुके फिर भी ग्राहक की निगाह में हंडिया कोरी की पूरी जैसे एकदम ताजी कुम्हार के चाक से बनकर उत्तरी वानी तुम मुझे इस तरह की मिसाल मध्य आकर किरपाराम मूलचंदानी बनबना जब तो मेरे से ऐसी बात बोलती है नहीं मेरा बेटा गरम होता है ठीक है कुछ नहीं है आज इसे नहीं बोलूँगा तभी के पर आ मूलचंदानी ने आगे बढकर लाइट का स्विच ऑफ कर दिया तत्काल कमरे में गहन अंधेरा क्या हो गया? क्या कर रहे हो अंधेरा होने के कुछ क्षण बाद ही उषा की चीज नहीं किरपाराम खिलखिलाकर हाँ ऐसा ही कुछ तो मैं कर ही रहा होंगा अब्दुलपुर फॅमिली पानी भी करनी मैं उतारती हूँ वो जल्दी से बोली हट जाएगी बट नहीं थे हूँ फिर ऊषा की उन्मुक्त हंसी की आवास को फिर किरपाराम ने उसी ढंग से हूँ ही तुम क्या कर रही हूँ उसी क्षण किरपाराम मूलचंदानी हर बढाया मैं भी वही कह रही हूँ तुम ने अभी अभी क्या लेकिन तभी कपडों के सर सराकर उतरने क्या है फिर जिसमें से जैसा रखना नहीं किया उसके बाद ही कर रही हो । तुम भी कभी कभी बिल्कुल बच्चे बन जाती हूँ । पूछा झल्लाए पानी तो मिसाल भूल गई । बच्चा और बुरा एक समान होता ही नहीं तुम कोई बडी बडी मैं बूढा नहीं मैं मिलिट्री का ट्रक जरूर बुलबुल लेकिन डिस्कॅाम और मैं क्या हूँ । पूछा पुनः खिलाकर भी बडे तू तो एकदम नहीं नकोर जीत है एकदम ताजी शोरूम से बाहर निकली हुई नया पेट नहीं । बॉडी नया सीट ऍम सब कुछ नाॅक हूँ घोषा की फिर हंसी छूट गया । फिर वहाँ ऐसी कह रहे गहरी सिक्स कार्यों में कहा गई हमारे मियां दोस्ताना गया था । किरपाराम मूलचंदानी नहीं फेंकनी की दो ग्लास तैयार किया । फिर एक ग्लास ऊषा को दिया तथा एक खुद ले लिया ही नहीं हुआ । ॅ पूछा नहीं लेनी का एक स्कूल भर्ती ही कडवा समूह बना का मगजमारी ऐसी जैसे शहर करेगी, कुछ चीरता चला जाए फिर पडा मूलचंदानी खामोशी हूँ बता रहा हूँ क्या करना है वो ही बढिया । वह क्या करना है? नहीं, पर आ मूलचंदानी हो सकता । अब तो या सारे पत्ते है चुके हैं । रीता सान्याल उस करोडपति बुढिया की बेटी बनकर आना पैलेस के अंदर घुसने में कामयाब हो गई । यानी सचिन देवडा ने भी कॉटेज किराये पर ले लिया और हम यहाँ शिफ्ट हो गए नहीं यानी सारे यमदूत अपने अपने मोर्चे पर फिर अब तो बस बुढिया के लोढा करने का वेट करना है और ठंड ठंड में करोडों के सपने देखने अगर मान लो गुडिया की दौलत हमारे हाथ लग गई फिर तो मुझे अदालत का क्या करोगे सबसे पहले तो तेरे वास्ते आना पहले जितना बडा यहाँ बंगला खरीदों का किरपाराम मूलचंदानी स्वप्निल अंदाज में बोला जिसके तेरे वास्ते हीरो नौकर जाकर होंगे घूमने के लिए मर्सिडीज बेंज कार होगी शोफर तेरे सम्मान में कार का दरवाजा खोले खडा होगा तू बहनों से इस तरह लकदक होगी कि तुझे देखकर सोफिया लॉरेन शर्मा है । महारानी अलग बहुत शर्म आ जाए तू जिधर जिधर से गुजरे किये उधर उधर से लोग मुझे यहाँ से भरी नहीं कहा हूँ से देखेंगे तो शहर की महारानी मैं शहर का महाराजा पूछा के पर हमसे कस करने पड गई था । क्यों मुझे इतने बडे बडे सबके दिखाती हूँ कि पडा पूछा उद्विग्न विभाव से बोले तुम इतने बडे बडे सपने दिखाती हूँ तुम्हें हवा में होने लगती है । बडी सपने नहीं है बिल्कुल । किरपाराम मूलचंदानी ने उसे अपने सीने से कस कर दिया था । सपने नहीं है नी ये तो सच्चाई है, बहुत जल्द हकीकत कर धारण करेगी नहीं एक दिन ये सारी चीजें हमारे पास होगी और ये हम धीरे धीरे अपनी मंजिल की तरफ बढ रहे हैं । और ये सब कुछ मैं तेरे लिए कर रहा हूँ नहीं आनी सर फॅमिली है । पूछा किरपाराम मूलचंदानी की बाहों में सिमटी अनंत आकाश में विचरण करती रही । उसी रात रीता सान्याल ने नई चाल खेली । उसने ऑडियो कैसेट कोई छोटे से पॉकेट टेप रिकॉर्डर में लगाया । उसका सिर के अंदर बडी बडी अजीब तरह के आम आदमी भरी हुई थी । फिर जब लेडी आना गोंजाल्विस हूँ कहीं तो रीता सान्याल उस टेपरिकॉर्डर को बहुत स्लो वालियों फर्स्ट आकर के उन के बैठ के नहीं खाई । वो सुबह उसी कैसेट के कारण आना पालस में काफी हंगामा के सुबह रहे । हरियाणा गोंजाल्वेस और रीता सान्याल डायनिंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रही थी । बूटा राम भी इत्तेफाक से उस क्षण वहीं हॉल में था । रात तो मेरे साथ बडी अजीब घटना घटी । जूलिया आना गोंजाल्वेज नाश्ता करते हुए बोले कैसे घटना हूँ मुझे बडी अच्छी बच्ची बावासीर सुनाई थी । कॅश ऐसे हवा से जो मेरी जिंदगी में पहले कभी नहीं सकती हूँ कि क्या ऍम नाश्ता करते करते ठिठककर आपसी क्या सियासी? कुछ बडी अच्छी तरह की आवाज थी है । ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरे कमरे में ये इधर से उधर चक्कर काट रहा है । मैंने आंखें खोलकर देखा तो कमरे में कोई नहीं था लेकिन किसी के चक्कर काटने की आप वहाँ से मुझे लगातार सुनाई देती नहीं । और उसके बाद तो एक बिलकुल ही नहीं काम हूँ क्या मुझे फिर ऐसी आवाजें सुनाई देने शुरू हो गई जैसे कोई दरवाजा खटखटाता है लेकिन दरवाजे के बाहर कोई नहीं था । वैसे भी मैं कभी दरवाजे के अंदर से सिर्फ नहीं लगा कर नहीं सुनती हूँ । आॅर्ट रीता सानिया के नेत्र भाटी के पार्टी रहते हैं । ये तो कुछ ऐसी आवाजें जैसी आवाज मेरी सहेली की मम्मी को सुनाई देती थी । उन सर वो आपको कोई सी बीमारी लग गया ना । मैं आज ही आपका किसी अच्छे डॉक्टर से चेकअप करता हूँ । नहीं ऍफ की कोई जरूरत नहीं । ऐसी आवाज तो कभी भी किसी को भी सुनाई दे सकते हैं । इसमें क्या बडी बात है यही तो लोगों का बहन होता है ना लीटर सानिया चिंतित मुद्रा में मैंने रात में बताया था ना कभी कभी इस तरह की छोटी छोटी बातें बहुत गंभीर बीमारी का रूप धारण कर ली थी । मेरी सहेली की मम्मी भी तो इन बातों को इसी प्रकार डाल रही थी । लेकिन फिर अंत में क्या हुआ नहीं मैं कोई रसमें ले सके । आना मैं आज ही आपका चक्कर करेंगे । बूटा राम जो इन बातों को बडे गौर से सुन रहा था उसके कान भी खडे हो गए तो मैं उससे बाबा मुझे तो लगता है इस बारे में आना की सलाह ही ठीक है । रात के समय इस तरह की आवाजें सुनाई देना कोई बहुत बडी बात नहीं है । दो साल पहले मुझे भी ऐसी साउंड सुनाई देती थी । साउंड नहीं सौं सौं वाईफाई बूटा राम जल्दी में हर बढाकर बोला । मुझे भी इसी तरह रातों को भागने दौडने की आवाज सुनाई देती थी । कभी कभी तो ऐसा लगता था जैसे कोई हवाई जहाज भयानक गर्जन करता हूँ । मेरे सिर के ऊपर से गुजर गया । एक महीने तक मुझे वो आवाज सुनाई देती रही । फिर अपने आप उनका सुनाई देना बंद हो गया । मैं जानती हूँ कभी कभी आबाजी सिर्फ मन का वहम होती है फॅमिली लेकिन यही मामूली से लगने वाली आवासी जब भयानक बीमारी का रूप धारण कर लेती है तो फिर इंसान को अपनी जान बचाने भारी पड जाती है । ऐसा एक हादसा में अपनी आंखों के सामने होते हुए देख चुकी हूँ । इसलिए मैं कोई रसमें लेना चाहती हूँ । मैं आज ही आना का चक्कर रहूँ । बूटा राम भी कुछ नहीं बोला । उस डॉक्टर के उम्र पचास पचपन साल के आसपास थी । वो तंदुरुस्त देश ही वाला था । लेकिन उसके बाल एकदम सामने जैसे सफेद थे और वो सुनहरी फ्रेम का आनंद लगता था । जैसे उसकी पर्सनालिटी बेहद गरिमापूर्ण बन गई थी । वो गोवा का एक फेमस मनोचिकित्सक था और उसकी ख्याति दूर दूर तक पहली हूँ । उस डॉक्टर ने लेते आना गोंजाल्विस को एक टेबल पर लेटाकर उसका बडी गंभीरतापूर्वक । क्या ये आवाज आपको कबसे सुनाई दे रही है? उसने लेते आना गुंजाल जिसकी तरफ देखते हुए पूछा कल रात पहले ही महत्वा सुनाई दी थी । फॅमिली ऍम को उतना फॅमिली भी नहीं थी जितना ये मेरी बेटी फॅमिली ले रही है । हम मैं तो समझती हूँ कि इस तरह की आवाजें कभी भी किसी को सुनाई दे सकती हैं । नहीं, इतना सीरियस ले लेना कोई अक्लमंदी नहीं । ऐसा कुछ नहीं है । मैं डॉक्टर का भारी स्वर्ग हो जाए । कभी कभी जो बात हमें मामूली लगती है, वह बडी साबित होती है । ये बात तो मैं समझाना चाहती हूँ । डॉक्टर डॉक्टर के मुझ से निकले । वो शब्द वीटा सान्याल के लिए मानव वरदान साबित हुए । वो तुरंत बोल बडी दरअसल हमें किसी भी बात को इतने हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए । खासतौर पर तब जब जिंदगी मौत का सवाल हूँ । अभी डॉक्टर ने अपनी पेंसिल टॉर्च का प्रकाश ले रियाना गुंजाल, जिसके आंखों में डालकर देखा, फिर उनके कान भी चक्की । वैसे आमतौर पर आपको आवाज तो साफ सुनाई देती है । टाॅफी हम बिलकुल क्या पिछले कुछ दिनों से परेशान थी? हाँ मेरा मतलब है हाइपरटेंशन तो नहीं थी, बिल्कुल भी नहीं । मेरियाना गुंजाल जिसकी गर्दन तुरंत इंकार में ही कमाल की सच्चाई तो यह डॉक्टर नहीं । पिछले कुछ दिनों में जितनी खुश नहीं हूँ, उतने खुश शायद ही जिंदगी में पहले कभी रही होंगी । फिर पूरे पंद्रह साल में अपनी बेटी को देख रहे थे मेरी बेटी जो हमेशा हमेशा के लिए मेरे पास आ चुकी है । पहला इससे ज्यादा खुशी की बात मेरे लिए और क्या हो सकती है? टेंशन तो मेरे दिमाग में दूर दूर तक नहीं थी । ये ऍम मेरे आने की वजह से ये वाकई बहुत खुश थी । कल रात उन्होंने इसी खुशी में बाल इसके अंदर एक बडी पार्टी का भी आयोजन किया था । डॉक्टर ने विचारपूर्ण मुद्दा बनाने, कभी आपके सिर में चोट वगैरह तो नहीं लगी थी । नहीं डॉक्टर ने फॅस का प्रकाश ऍम घटेगा । ठीक है आप चाहिए फॅमिली उठकर बैठ के फिर हीटर सान्याल ने एक और बडी जबरदस्त मनोवैज्ञानिक चली । जिस कमरे में डॉक्टर नहीं मेरी आना गोंजाल्विस का चक्कर किया था उसी कमरे साॅस बोर था जिसमें डॉक्टर बैठ था और आपने पेशंस से मिलता था । चैकप करने के बाद वो अपने उसी रूम की तरफ बढ गया ही बैठे ऍसे कहा मैं भी डॉक्टर से बात कर के आती हूँ आना गोंजाल्विस वही ठिठककर बैठके जाॅन डॉक्टर के पीछे पीछे चलती हुई दूसरे कमरे में पहुंच गई । फिर उसने अगला गाओ ये चला कि डॉक्टर से बडे गंभीर अंदाज में बात कर लेंगे । अपने चेहरे पर काम चिंता के भाव पैदा चाहिए और वो डॉक्टर से बात करते हुए बार बार पलट पलट कर पारदर्शी शिष्य में से लेते आना जाना उसको देखने लगी । अब आना गोंजाल्विस की सब पता हैं । उन्हें लगा जरूर को सीरियस मांगता है का तूफानी गति से आना पालस की तरफ दौडी जा रही थी । कार को गंभीरता की प्रतिमूर्ति बनी रॅायल कर रही थी जबकि उसके बराबर में फ्रांस सीट पर ही आना गोंजाल्विस बैठी थी और इस समय चुप चाप थी, चलते हैं डॉक्टर ने क्या कहा आना? गोंजालवेज ने काफी देर बाद पूछा आप कोई खास बात नहीं कहीं रीटर सानिया नजरीन चलाते हुए इस तरह बोली जैसे कोई बडी खास बात छुपा रही हूँ हम । दस डॉक्टर ने इतना ही कहा आपको कोई गंभीर किस्म की बीमारी नहीं राहत इत्तेफाक से ही वहाँ वहाँ से आपको सुनाई दे रही होंगी । हो सकता है तो आप ऐसे मन का वह भी हूँ बहन हम हॅूं । डॉक्टर कहता हूँ वो आवाजे फिर सुनाई देंगे क्या सचमुच डॉक्टर यही कहता है कि मुझे कोई बीमारी ने ही आना गुंजाल जिसका सशंकित स्वार्थों अब बिलकुल ना मैं आपसे झूठ क्यों बोलूंगी? लेकिन लेते आना गोंजाल्वेस के चेहरे पर यकीन के भाव भेज भी ना है । उस दिन लीटर सान्याल की ट्रेनिंग के मुताबिक आना । पंजाब उसके मन में शक की कीडे का जन्म हो गया था । उन्हें लगने लगा था उनसे कुछ छिपाया जा रहा है आना पालस के पीछे काफी बडा बैडमिंटन कोर्ट बना हुआ था वो बैडमिंटन कोर्ट वर्षों तक वीरान रहा था लेकिन अब सात सफाई करके उसे सुंदर बना दिया गया था और कोर्ट के बीचोंबीच नई नई भी लगी थी । शाम का समय था और उस समय रीता, सानिया तथा बूटा राम कोर्ट में जमकर बैडमिंटन खेल रहे थे तो मैं ऍसे बाबा, बूटा राम जोरदार ढंग से सर्विस देता हूँ । बोला जब तुम छोटी थी तब भी हम दोनों इसी तरह इसी कोर्ट पर बैडमिंटन खेला करते थे । ऍम आकर्षक हूँ और मुझे भी आता है तो मतलब जानबूझ कर रहा जाते थे । बूटा राम जोर से खिलखिलाकर आता हूँ । वाकई तुम्हारी याददाश्त कमाल की है । मैं भी बाबा लेकिन एक बात ध्यान रहे क्या अब मैं तुमसे जानबूझ कर नहीं हारूंगा । इसलिए पूरे दिलोजान से खेलो । बेफिक्र रहो बूटा राम तब तक में हर आ देना मेरे बाएं हाथ का खेल है तो नहीं जानते । मुंबई में रहकर मैंने काफी बैडमिंटन खेला है । ये देखो मेरा एक शांत फॅसने हवा में उछल कर एक बेहतरीन प्रश्न का शॉट लगा दिया था । मोटा राम लडखडाया लेकिन फिर उसने भी और शॉर्ट का वैसे ही करारा जवाब दिया । काफी देर तक हो गेम चलता रहा । दोनों धुरंदर खिलाडी थे । तभी रीता सानिया ने जम्प लगाकर अपनी संपूर्ण शक्ति से एक और जबरदस्त किया है । वो वाकई जबरदस्त था । बूटा राम जैसे फुर्तीले आदमी से भी उसका कोई जवाब न बन पाया । वो हार गया । फॅमिली मार अलावास भूराराम उस शॉट की तारीख में चला है । मारना आवास नहीं । महाबलेश्वर माडॅल हाँ, वही वही तुम वाकई एक बेहतरीन खिलाडी बन चुकी हूँ । मोटाराम जाकेट हवा में कमाता हुआ कितना पढा ऍम जानती हूँ तुम्हारे आज के शॉट को देखकर मुझे तुम्हारे बचपन का एक आ गया मेस्सी बाबा एक बार तो उन्हें बचपन में भी आपने उलटे हात से ऐसा इलाज अब आप शॉट लगाया था जिसका मुझसे कोई जवाब नहीं दिया गया । ऍर ईटा सान्याल के दिमाग में तुरंत चिंगारियां छोटे अनार बडे तो क्या छूट ऍम थी क्या उसके आतंक करते समय उससे कहीं गलती हो गई थी । रेट आसानियां बैडमिंटन खेलना भूल गई । उसने मेहत स्कोप अंदाज में आना पैलेस के अंदर थोडी छानबीन की नहीं तो शीघ्र ही उसे मालूम चल गया की सच मझौलिया बचपन से फॅमिली थी । आॅर्ट इतनी बडी गलती हो रही थी उससे और मोटा राम जैसे कहीं आदमी के सामने हो रही थी । रीटर सान्याल के पसीने छूट पडे सचिन देवरा ने अपना आधे से ज्यादा दिन मीडिया मार बीच पर हिप्पियों के बीच मटर गस्ती करते हुए हैं । फिर जब सूरज पश्चिम आकाश में डूबने लगा और उसकी विलक्षण लालिमा समुद्र की सतह पर फैलने लगी तो वो अपने कॉलेज में वापस लौटा । पैसे भी शाम होते होते आजकल मीटर बाहर बीच पर लोगों की आवाजाही काफी कम हो जाती थी । दरअसल इन दिनों वहाँ साइकल श्री नाम का एक खतरनाक अपराधी सक्रिय था । शाम होते ही मीटर मार बीच तथा उसके आस पास के निर्जन क्षेत्र में एक्टिव हो जाता था तो कहीं भी किसी अकेले धकेले लडकिया लडकी को देखता तो वहीं उसे दबोच लेता और साई कर की । छह दिन उसके गले में डालकर उसे बडी बेरहमी के साथ मजा आता था । फिर वो अपराधी उसकी जेबों से नकदी और जेवर बगैरा लेकर फरार होने से भी ज्यादा टाइम नहीं लगता था । अब तक पांच मॉडर कर चुका था और उसके नाम का साॅन्ग उन दिनों से पूरे इलाके में फैल हो ना । रात के आठ बजे बेटा सानिया सचिन देवडा से मिलने उस कॉलेज में आई । हम जगह तुमने वाकई बहुत अच्छी चीज है फॅमिली हुए थे । सचिन देवरा ने कुछ नहीं कहा तुम अपनी सुना वो थोडा धैर्य के साथ बोला ॅ क्या हो रहा है टेनिस में अब वही हो रहा है तो मैं चाहती बॅाल पैर फैलाकर एक्सॅन । वहाँ मैंने अपनी प्लानिंग के पत्ते फैलाने शुरू करते हैं । सबसे बडी बात ये है कि लेरी आना गोंजाल्विस के दिमाग में भी धीरे धीरे ही शक डालना शुरू कर दिया है । किसी कोई गंभीर बीमारी है । वक्त गुजरने के साथ साथ आहिस्ता आहिस्ता ये शक पुख्ता होता चला जाएगा । लेकिन आज एक बडी अजीबो गरीब घटना घट के कैसे घटना सचिनदेव रहे उसके सामने एक दूसरी सौ पचहत्तर बैठ चुका था हम । दरअसल मैं आज बूटा राम के साथ बैडमिंटन खेल रही थी । तभी ये रहस्योद्घाटन हुआ कि जूलिया बचपन में लेफ्ट अंडा थी । रीता सान्याल बोले ऍम ऍम मैंने इस बात की आना । पहले इसमें बडे ढके छुपे अंदाज में छानबीन भी की तो बात हंड्रेड पर्सेंट सच निकली । चुहिया वाकई ऍम थी लेकिन एक बडी उलझन में अब भी महसूस कर रही है क्या? जूलिया और मैं कस्तूरबा गर्ल्स हॉस्टल के अंदर काफी दिन तक साथ साथ रहे थे । लेकिन मैंने वहाँ से कभी लेफ्ट ध्यान से कोई काम करते नहीं देखा । कितना नहीं । जस्सियां ने मुझे कभी ये नहीं बताया कि वह वास्तव मिला ठंडा है । अगर झोलियां थाना थी तो कम से कम रसिया को तो ये राहत मालूम होना चाहिए था । आखिर क्या पिछले कई साल से उसके साथ रह रही थी? ये बात तो ठीक है लेकिन आना फिर इसमें छानबीन करने से ये साफ साबित हो गया है कि वास्तव में ही लाॅट थी । इसके पीछे एक बात हो सकती है । सचिन देवडा बोला क्या संभव है जो लिया बचपन में लेफ्ट ठंड रही हूँ लेकिन मुंबई पहुंचने के बाद जब उसने स्कूल में एडमिशन लिया हो वहाँ उसके लेफ्ट से काम करने को लेकर उसकी सखी सहेलियां मजाक उडाती हूँ तो उसने धीरे धीरे सीधे हाथ से काम करने कि आदत डाली हूँ । ऐसे भी वो अंतरमुखी स्वभाव की लडकी थी और ऐसे स्वभाव की लडकी को इस तरह के कमेंट ज्यादा झंझट होते हैं । बात तो तुम्हारी काफी हद तक ठीक है । रीटर सानिया प्रभावित मुद्रा में हुई । ऐसा हो सकता है कि जूलिया बचपन में नहीं ठंड रही हूँ लेकिन फिर बाद में धीरे धीरे वो अपने आदत में परिवर्तन में आई हूँ । लेकिन अब तो क्या करेंगे? सचिनदेव हो गया कैसे सारे हालात को संभालो वो सब मैं खुद संभाल होंगी । फिलहाल इस बात का शुक्र है कि मुझे समय रहते ही रहा पता चल गया बडा बूटा राम इसी को इन की वजह से कोई बडा हंगामा कर सकता था । फिर ऍम छोडकर खडी हो गई मुझे चलना चाहिए अभी से जा रही हूँ । सचिन थोडा धीरे से उठा उसमें उसकी आप हुई ऍम अब वो क्या है । मैं बूटा राम के कारण ज्यादा देर यहाँ नहीं रखना चाहते हैं क्या पंद्रह मिनट भी नहीं सचिन देवडा आगे बढाना उसने रेटर सान्याल अपनी बाहुबली मीरा सान्याल भी अमरबेल की तरह उससे कस खर्चे हटाएँ आज थोडा जल्दी ऍम मैं ठीक हूँ । सचिन देवरा ने अपने तहते हूँ उसके होठों पर रखें मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं कमरे का तापमान का इस काफी बढ गया था । सचिन देवडा रीटर सानिया का अपनी हूँ में भरी भरी बिस्तर की तरह पढा वहाँ जाकर ढेर हो गया । सुबह लेते आना गुंजाल रस और रीता सान्याल नाश्ते की टेबल पर फिर एक साथ थी । फॅस की आंखों में आज कुछ बेचैनी के भाव थे और उनके चेहरे से स्पष्ट महसूस हो रहा था और ढंग से सो नहीं सकी हैं । क्या बात है आना । बूटा राम वही खडा था । आदर सूचक मुद्रा में बोला कि आज आप की तबियत ठीक नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है । वो उठा रहा हूँ भेज आना गोंजाल्वेस स्लाइस पर धीरे धीरे मक्खन लगाते हुए हुई । दरअसल रात मुझे भी कुछ आवाज सुनाई आवासी ऍम यहाँ क्या क्या दिया ना क्या राहत आपको फिर ऐसा लगा जैसे आपके कमरे में कोई टहल रहा है नहीं ऐसा तो नहीं लगा ऍम आवाज ही नहीं तथा की थी । मुझे ऐसा लगता था जैसे कोई मेरे सिर पर जोर जोर से नगाडे बजा रहा हूँ । कभी न गाडी की आवाज हल्की हो जाती, कभी तेज हो जाती है कोई दो घंटे तक मुझे लगातार न गाडी की वो आवाज सुनाई देती नहीं बडा चिंताजनक मामला है बेटा सान्याल मानो नाश्ता करना भूल गई रात उसी ने वो टेप लगा था । वोटा राम और वहाँ आस पास खडी नौकरों के चेहरे पर भी चिंता के भाव आ रहे थे । मेरे तो यही समझ में नहीं आ रहा आना ऍम कि यहाँ वहाँ से मुझे क्यों सुनाई देती है । आवाजे इतनी साफ थी कि उन्हें मन का वहम भी नहीं माना जा सकता है । मुझे तो ऐसा बिल्कुल उपन्यासों जैसी बात लगती है ना मोटा हो मालूम है जासूसी उपन्यास में बिल्कुल ऐसा ही घटनाक्रम था । एक आदमी को रात के समय इसी तरह बडी अजीब अजीब आवाजें सुनाई देती थी । कभी उसे ऐसा लगता था जैसे कोई जोर जोर से चिल्ला रहा हूँ । कभी ऐसा लगता था जैसे ट्रेन धडधडाती हुई उसके ऊपर से गुजर गई हूँ । बडी अजीब अजीब आवाजे उस आदमी को सुनाई देती थी । फिर उपन्यास के अंत में उन आवाजों का राज भी खुला और बढत धमाकेदार आज खिला कैसा रहा? दरअसर कोई आदमी उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहा था । बूटा राम बोला वो उसे बीमार साबित करके माहौल डालना चाहता था । तो तुम क्या कहना चाहती हूँ ऍम क्या खाना के साथ भी ऐसा कुछ हो रहा है? नहीं मेरा ऐसा कोई मतलब नहीं । फिर हमें इस बात की कहानी सुना रहे बोटल हम सब पकाकर खामोश हो गया । जबकि सच्चाई ये थी मोटा राम के उस बात में खुद रीटर सान्याल के छक्के छुडा दिये थे क्योंकि बूटा राम की उस बात में पूरी तरह सच्चाई जो छुपी थी । तभी रीता सान्याल ने एक चाल और उसने अपने हाथ में मौजूद चम्मच जानबूझ कर नीचे गिरा दिया । फिर सबको दिखाते हुए उसे उल्टे हाथ से उठाकर वापस केवल पर रखा और उसके बाद उलटी हाथ से ही नाश्ता करने लगे । डेटा सान्याल के उस हरकत को देख कराना गुंजाल जिसके होठों पर मुस्कान दौडे बिना नहीं रह सके । तुमारे बचपन की ये आदत अभी तक छूटी नहीं । अब कैसे आदत ऍम से काम करने की तो रीता सान्याल भी बडे स्वभाविक अंदाज मुस्कराए तथा फिर हर बढाकर बिल्कुल पहले की ही तथा सीधे हाथ से काम करने लगी । ऍम मैंने साधक कुछ होने के काफी प्रयास किए । डेटा सानिया गोली काफी हद तक की आदत छोड भी थी लेकिन फिर भी कभी कभी गलती हुई जाती है । ये बचपन की आदतें में सी बाबा तभी टन इसका एक पुराना नौकर और बचपन की आदतें इतनी आसानी से नहीं छूटती । अपनी सही कहा का वाकई बचपन के आदित्य इतनी आसानी से नहीं छोटा करती । छोडना चाहूँ तब भी नहीं । डायनिंग हॉल का माहौल कुछ देर के लिए हल्का फुल्का हो गया । आज सुबह सुबह कहाँ चले गए थे मैं कब से तुम्हारा वेट कर रही हूँ पूछा के पर आ मूलचंदानी कॉलेज में दाखिल होते देखकर बडी जरा आना पालस का एक फेरा लगाने कहाँ था? गिर बारामूल चलाने ने अपनी सिंधी टोपी उतारकर एक तरफ रखिए और कॉटेज में बकरे को चेक करने गया था कि वह क्या कर रहा है । मैंने रात भी तुमसे कहा था । पूछा हुई चालीस के ज्यादा चक्कर मत काटा कर अगर किसी अमृता, सानिया या सचिन देवरा में से किसी की नजर तुम्हारे ऊपर पड गए ना तो उसी दिन हमारे सारे रात हो जाएंगे । वो उसी दिन भाग जाएंगे की हम दोनों के चक्कर में है किस फिराक में है वही मैं कोई पागल नहीं हूँ । फिर बारामूल चलना नहीं चल रहा है । मैं जब ऍम सचिन डेवलॅप इसका फेरा लगाने जाता हूँ तो भरपूर चौकसी बरता हूँ और मेरी ने कहा जितनी उन दोनों के ऊपर होती है उतनी ही इस बात के ऊपर भी होती है कि वह मुझे तो नहीं देख रहे हैं थे । कभी गलती तो हो सकती है ना बिल्कुल हो सकती यानि अगर इसका मतलब ये तो नहीं बुलबुल यहाँ अपने बकरों की निगाह भी नहीं छोड दे । उन्होंने बिल्कुल आधार परिंदों की तरह खुले आकाश में उडने दे अपनी आखिरी मूंदकर बैठ जाए । ऊषा कम हो गई वो जानती थी किरपाराम मूलचंदानी थी कह रहा है अगर बकरों को हलाल करना था, उनसे मोटी रकम झाड नहीं थी तो सारी मशक्कत तो उन्हें करनी ही करनी थी । बिना मशक्कत के तो कुछ भी संभव नहीं था ।

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"फंस जाओ मेरे लिए" का दूसरा भाग जो रीटा सान्याल की खोल सकता है पोल। क्या हुआ जब वो हवेली पहुंच गई? आखिर मैडिकल साइंस, पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स और पुलिस इन्वेस्टीगेशन को कैसे चकमा दिया उसने?
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