रज्जो बिन ब्याही मां बन जाती है। गांव उसे समाज से बाहर कर देता है। एक हवेली में उसे काम और रहने खाने को मिलता है। वो खुश हो जाती है, लेकिन बदनसीबी यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती। बेटा 20 साल का हो जाता है। रज्जो मालिक और मालकिन के साथ कुछ दिनों के लिए बाहर जाती है। यहां मालकिन की मां लोचन पर हार चोरी का इल्जाम लगाकर बहुत जलील करती है और मुंह पर कालिख पोतकर पूरे सोसायटी में घूमाती है। इससे दुखी होकर लोचन आत्महत्या कर लेता है। 60 साल की उम्र में उसकी मौत लिखी रहती है, लेकिन वो 20 साल में ही मर जाता है। उसकी आत्मा सालों तक भटकती है। ऐसे में कई डरावनी घटनाएं होती है।Read More
रज्जो बिन ब्याही मां बन जाती है। गांव उसे समाज से बाहर कर देता है। एक हवेली में उसे काम और रहने खाने को मिलता है। वो खुश हो जाती है, लेकिन बदनसीबी यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती। बेटा 20 साल का हो जाता है। रज्जो मालिक और मालकिन के साथ कुछ दिनों के लिए बाहर जाती है। यहां मालकिन की मां लोचन पर हार चोरी का इल्जाम लगाकर बहुत जलील करती है और मुंह पर कालिख पोतकर पूरे सोसायटी में घूमाती है। इससे दुखी होकर लोचन आत्महत्या कर लेता है। 60 साल की उम्र में उसकी मौत लिखी रहती है, लेकिन वो 20 साल में ही मर जाता है। उसकी आत्मा सालों तक भटकती है। ऐसे में कई डरावनी घटनाएं होती है।